प्यार और हवस में फर्क करना सीखें- काजल राघवानी

भोजपुरी फिल्मों की हौट हीरोइन काजल राघवानी को भोजपुरी बैल्ट की सनसनी माना जाता है. वे भोजपुरी फिल्मों की ऐसी हीरोइन हैं, जिन की एक  झलक पाने के लिए उन के चाहने वाले बेताब रहते हैं. फिल्मों की शूटिंग के दौरान काजल राघवानी के साथ सैल्फी लेने की भीड़ देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें लोग किस हद तक पसंद करते हैं.

पुणे, महाराष्ट्र में पलीबढ़ी काजल राघवानी ने दर्जनों कामयाब फिल्में दी हैं, जिन में  ‘सब से बड़ा मुजरिम’, ‘पटना से पाकिस्तान’, ‘भोजपुरिया राजा’, ‘मेहंदी लगा के रखना’, ‘दबंग सरकार’, ‘कुली नंबर वन’ वगैरह शामिल हैं.

भोजपुरी फिल्म ‘अमानत’ के सैट पर काजल राघवानी से हुई मुलाकात में उन के फिल्मी सफर पर खुल कर बात हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

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अपने परिवार के बारे में बताएं?

मैं मूल रूप से गुजराती हूं और मेरे मम्मीपापा पुणे में रहते हैं. या कह लिया जाए कि अब वहीं पर मेरा घर भी है. मेरी एक बहन और एक भाई हैं.

अब भोजपुरी हीरोइनों के लिए मजबूत किरदार लिखे जा रहे हैं. इस बदलाव को आप कैसे देखती हैं?

सच कहूं, तो अभी भी भोजपुरी हीरोइनों को फोकस कर के उतने मजबूत किरदार नहीं लिखे जा रहे हैं, जितनी जरूरत है, फिर भी इस की शुरुआत भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में हो चुकी है और ऐसी फिल्में कामयाब भी हुई हैं. मु झे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस में तेजी आएगी.

आजकल दर्शकों में रोमांच पैदा करने के लिए डरावनी फिल्में भी खूब बनती हैं. क्या डरावनी फिल्मों को शूट करते हुए या देखते हुए आप को डर लगता है?

डरावनी फिल्मों से डर कैसा? ये महज मन की कोरी कल्पना पर आधारित होती हैं और उसी आधार पर कहानियां गड़ी जाती हैं. चूंकि मैं फिल्मों का ही हिस्सा हूं, इसलिए मु झे पता होता है कि ऐसी फिल्में कैसे फिल्माई जाती हैं.

फिल्म ‘अमानत’ में आप किस तरह के रोल में नजर आने वाली हैं?

यह एक लव स्टोरी मूवी है, जिस में फैमिली ड्रामा होगा. इस फिल्म में मैं एक ऐसी लड़की के रूप में नजर आने वाली हूं, जो एक फौजी से प्यार करती है.

आप को अपने सपनों के जिस राजकुमार की तलाश है, उस के अंदर क्याक्या खूबियां होनी चाहिए?

मेरे सपनों का राजकुमार मुझ पर विश्वास करने वाला हो और उस में ढेर सारी अच्छाइयां हों. वह लोगों की इज्जत करना जानता हो. उस के पास मेरे लिए बहुत सारा प्यार हो. साथ ही, मेरा जो भी हमसफर बने, मैं चाहती हूं कि वह मेरी भावनाओं का सम्मान करे, साथ ही वह दूसरों का भी सम्मान करना जानता हो.

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इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में प्यार गुम सा होता जा रहा है और उस की जगह हवस हावी होती जा रही है. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगी?

आज के जमाने में प्यार की जगह हवस ज्यादा हावी है. मेरा मानना है कि प्यार चुनिंदा लोगों को ही मिल पाता  है. यह भी देखा गया है कि कई बार  काम के चक्कर में भी लोगों का गलत इस्तेमाल किया जाता है. मैं ऐसे लोगों से बस इतना ही कहूंगी कि काम को लेकर गलत तरीके से इस्तेमाल न हों और प्यार व हवस में फर्क करना सीखें.

आप भोजपुरी सिनेमा में किस कलाकार के साथ सहज महसूस करती हैं?

अभी तक मैं ने जितने भी भोजपुरी कलाकारों के साथ काम किया है, किसी के साथ भी असहजता महसूस नहीं  हुई. यहां तक कि जिस कलाकर के  साथ पहली बार भी काम किया, उस के साथ भी खुद को सहज ही महसूस  किया है.

मैं फिल्म ‘अमानत’ में हीरो जय यादव के साथ पहली बार काम कर रही हूं और उन के साथ भी फिल्म को खूब मौजमस्ती करते हुए शूट कर रही हूं.

आप स्टारडम को किस तरह संभाल रही हैं? इस का खुमार आप पर चढ़ा है या नहीं?

यह सही है कि भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में मेरे चाहने वालों की तादाद करोड़ों में है और मु झे उन्हीं लोगों ने स्टार बनाया भी है. ऐसे में मैं खुद को जमीन पर रखने की कोशिश करती रही हूं, क्योंकि जिस भी कलाकार पर स्टारडम हावी हुआ, वह अपने चाहने वालों से दूर होता जाता है. फिर उस का स्टारडम भी धरा का धरा रह जाता है.

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मैं ने खुद को स्टारडम से दूर ही रखने की कोशिश की है और कभी भी अपने चाहने वालों के सामने स्टारडम को हावी नहीं होने दिया है, इसलिए वे मेरे साथ घुलमिल कर रहते हैं और मु झे अपने ही बीच का मानते हैं.

मैं गर्व से कह सकती हूं कि मेरे ऊपर स्टारडम का खुमार न चढ़ा है और न ही चढ़ने पाएगा.

अक्षरा सिंह ने इस गाने में बताया ‘BOYFRIEND बदलने का नया तरीका’ देखें Viral Video

भोजपुरी दिलों की धड़कन अक्षरा सिंह लगता है अब उन लड़कों को सबक सीखा कर ही दम लेंगी, जो लड़कियों के इमोशन के साथ खिलवाड़ करते हैं. तभी अक्षरा ने अपना नया हिंदी रैप सांग ‘BOYFRIEND बदलने का नया तरीका’ लेकर आयीं है, जो उन्होंने अपने ही यूट्यूब चैनल से रिलीज किया है. अक्षरा का यह गाना रिलीज के साथ ही वायरल होने लगा और महज कुछ ही घंटों में इस गाने को 1 लाख (100234) व्यूज मिले हैं.

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अक्षरा सिंह अपने इस रैप सांग में थोड़ा गुस्से में नजर आ रही हैं और लड़कियों से खासकर कह रही हैं कि अब वे भी अपने पसन्द से किसी को बॉयफ्रेंड बनाये और उसे बदले भी. ‘BOYFRIEND बदलने का नया तरीका’ क्या होगा, यह अक्षरा के इस गाने में साफ नजर आ रहा है. अक्षरा का यह गाना वायरल तो हो ही रहा है, साथ ही लड़कियों के बीच खूब पसंद भी किया जा रहा है. ये गाने को मिले रहे कमेंट से पता चलता है. वहीं, अक्षरा ने इस गाने को लेकर साफ कहा कि जब लड़के लड़कियों को छोड़ने में हिचकते नहीं, तो लड़कियां भी क्यों पीछे रहे. शायद इसलिए अक्षरा ने BOYFRIEND को लेकर उलझन में रहने वाली लड़कियों को नया तरीका सुझाया है और अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर लिखा है – लो जी आ गया नया तरीका.

बहरहाल अक्षरा के ‘BOYFRIEND बदलने का नया तरीका’ का असर लड़कियों पर क्या होता है, वो तो देखने की बात होगी. लेकिन इतना तय है कि जिस तरह से अक्षरा के गानों को लोग पसन्द कर रहे हैं, वो इस बात की ओर इशारा करता है कि यह गाना भी चार्टबस्टर होने वाला है. आपको बता दें कि हिंदी रैप सांग ‘BOYFRIEND बदलने का नया तरीका’ को अक्षरा ने खुद गया है. लिरिक्स सूरज सिंह (आरा) का है. म्यूजिक आशीष वर्मा का है. वीडियो डायरेक्टर पंकज सोनी हैं.

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फिल्म ‘लिट्टी चोखा’ के ट्रेलर लॉन्च से दूर रहीं काजल राघवानी और श्रुति राव, सामने आई ये वजह

भोजपुरी अभिनेता खेसारीलाल यादव और खूबसूरत भोजपुरी अदाकारा काजल राघवनी के बीच दूरियां इस कदर बढ़ गयी हैं कि प्रोफेशनल रिश्तों को भी निभाना भूल गए हैं. इसका अहसास हर किसी को उस वक्त हुआ जब प्रयागराज में निर्माता प्रदीप के शर्मा और निर्देशक पराग पाटिल की फिल्म ‘लिट्टी चोखा‘ के ट्रेलर लॉन्च के अवसर पर फिल्म की मुख्य अदाकारा काजल राघवानी नदारद रहीं. इतना ही नही काजल की दोस्त व फिल्म की सेकंड लीड अभिनेत्री श्रुति राव भी इस समारोह में शामिल नहीं हुई.

ट्रेलर लॉन्च के मौके पर निर्माता व निर्देशक के साथ केवल खेसारीलाल यादव ही नजर आए. फिल्म के ट्रेलर लांच के अवसर पर काजल राघवानी व श्रुति राव की अनुपस्थिति पर बोलने से हर कोई बचता नजर आया. यहां तक कि युनिट से से जुड़े लोगों ने भी इस बाबत अपना मुंह सिल रखा था.

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लेकिन खेसारीलाल यादव ने फिल्म के ट्रेलर रिलीज के बाद फिल्म को शानदार बताते हुए जमकर बातें की. उन्होंने दावा किया फिल्म में सभी कलाकारों के किरदारों की अहमियत है. उन्होने कहा- ‘‘इसमें प्रदीप के शर्मा, पराग पाटिल, पद्म सिंह, काजल राघवानी सहित सभी लोगों की सोच दिखती है. यह फिल्म किसानों की बात को प्रमुखता से दर्शकों के बीच रखेगी. इसकी कहानी शोषण, उत्पीड़न और जुल्म पर चोट करती है. तो किसानों के मुद्दे पर खुलकर बात करती है. आखिर किसान आत्महत्या क्यों करते हैं, जबकि किसानों के बिना पैसे वालों की भी जिंदगी नहीं चल सकती.

किसान साल भर खेत में खून पसीना एक करते हैं, तब जाकर एक आम आदमी से लेकर देश की नीतियां बनाने वाले प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अधिकारी और पैसे वालों को रोटी नसीब होती है. इसलिए यह ज्वलंत विषय है.इस पर सरकार को और हमें भी सोचना चाहिए.’’

जब खेसारी लाल यादव से पूछा गया कि ट्रेलर लांच पर काजल राघवानी क्यों नही आयी, तब भी इस मसले पर कुछ भी कहने से खेसारीलाल यादव टाल गए.

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यूं तो विवादो के चलते फिल्म के फर्स्ट लुक लांच के दौरान भी काजल राघवानी शामिल नहीं हुईं थी. बहरहाल, फिल्म लिट्टी चोखा का ट्रेलर लांच हो गया है. यह फिल्म अप्रैल के दूसरे हफ्ते में रिलीज होगी.‘बाबा मोशन पिक्चर प्रा.लि.’ के बैनर तले फिल्म ‘लिट्टी चोखा‘ में मुख्य भूमिका में खेसारीलाल यादव, काजल राघवानी, मनोज सिंह टाइगर, पदम सिंह, प्रगति भट्ट, प्रीति सिंह, श्रुति राव, उत्कर्ष, यादवेन्द्र यादव, देव सिंह, करण पांडे, प्रकाश जैश हैं. फिल्म की सह निर्माता अनीता शर्मा और पदम सिंह हैं. फिल्म के संगीतकार ओम झा हैं.

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‘महादेवी वर्मा सम्मान’ से नवाजे गए भोजपुरी फिल्म निर्माता ‘निशांत उज्ज्वल’

ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस (जीकेसी)के सौजन्य से महान कवियत्री और सुविख्यात लेखिका महादेवी वर्मा की जयंती के अवसर पर भोजपुरी फिल्म निर्माता निशांत उज्ज्वल को महादेवी वर्मा सम्मान से अंलकृत किया गया. महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन राजधानी पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में हुआ, जिसमें निशांत उज्ज्वल समेत अलग-अलग क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 16 विभूतियों को महादेवी वर्मा सम्मान से अंलकृत किया गया.

महादेवी वर्मा सम्मान से सम्मानित होने के बाद निशांत उज्ज्वल ने जे की सी का आभार जताने के साथ कहा-‘‘महादेवी वर्मा सम्मान मेरे लिए बेहद गौरवान्वित महसूस करने वाला है.यह मेरे लिए प्रेरणा है.’’ इस अवसर पर जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने अपने संबोधन में कहा-‘‘साहित्य जगत में महादेवी वर्मा का नाम ध्रुव तारे की तरह प्रकाशमान है.

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महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवियत्रियों में से हैं. वह हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं. महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं.’’

जीकेसी की प्रबंध न्यासी रागिनी रंजन ने कहा-‘‘साहित्य में महादेवी वर्मा का आविर्भाव उस समय हुआ,जब खड़ीबोली का आकार परिष्कृत हो रहा था.उन्होंने हिंदी कविता को बृजभाषा की कोमलता दी, छंदों के नए दौर को गीतों का भंडार दिया. उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा गया.’’

इस अवसर पर ‘महादेवी वर्मा सम्मान’’से सम्मानित की गई विभूतियों में रिपुसुदन श्रीवास्तव (साहित्य), श्री आलोक राज( गायन), अरूण प्रभा दास (मिथिला पेटिंग), मृणालिनी अखौरी (लोकगायन), पंखुरी श्रीवास्तव (शास्त्रीय संगीत), मनीष वर्मा (ब्लॉगर), निशांत उज्जवल (फिल्म), समीर परिमल (कविता), कुमार रजत (पत्रकारिता), मर्यादा कुलश्रेष्ठ निगम (शास्त्रीय नृत्य), श्यामल दास (पेटिंग), राजकुमार नाहर (शास्त्रीय संगीत), हिना रिजवी (शायरी), नीतु सिन्हा ‘तरंग (लेखन), प्रिया मल्लिक (पार्श्वगायन) और अनुशा चित्रांशी (लेखन) शामिल हैं.

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जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने अपने स्वागत भाषण में कहा-‘‘महादेवी वर्मा एक महान कवियत्री होने के साथ-साथ हिंदी साहित्य जगत में एक बेहतरीन गद्य लेखिका के रूप में भी जानी जाती हैं.’’

वहीं आलोक राज ने कहा-‘‘महादेवी वर्मा जी एक मशहूर कवियत्री तो थी हीं, इसके साथ ही वह एक महान समाज सुधारक भी थीं. कवि निराला ने उन्हें ‘हिंदी के विशाल मंदिर की सरस्वती’ भी कहा है.’’ विश्वरंजन ने कहा- ‘‘महादेवी वर्मा ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष जोर दिया और महिला शिक्षा को काफी बढ़ावा दिया था.’’

श्याम किशोर ने कहा कि महादेवी वर्मा ने महिलाओं को समाज में उनका अधिकार दिलवाने और उचित आदर सम्मान दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी कदम उठाए थे.

कार्यक्रम के दौरान जूरी पैनल में शामिल सुशील भारती, डा.राजीव रंजन प्रसाद, शिवपूजन झा और मंजरी श्रीवास्तव, विशिष्ठ अतिथि अशोक प्रसाद, जीकेसी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव, एजुकेशन सेल के अध्यक्ष दीपक कुमार वर्मा, युवा संभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाला सौरभ वर्मा समेत कई पदाधिकारी भी मौजूद थे.कार्यक्रम के दौरान समीर परिमल, कुमार रजत, हिना रिजवी हैदर, नीतु सिन्हा ‘तरंग ने कविता पाठ कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.वहीं श्री आलोक राज और प्रिया मल्ल्कि ने पार्श्वगायन जबकि पंखुरी श्रीवास्तव और मर्यादा कुलश्रेष्ठ ने शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति देकर समां को बांध दिया.इस दौरान बीफॉर नेशन और दीदीजी फाउंडेशन के बच्चों ने डांस पर आधारित प्रस्तुति देकर लोगों का मन मोह लिया.

कला संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव कुमार लाल ने ‘देव कुमार लाल एंड फ्रेंडस’के साथ संगत कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए. कार्यक्रम के अंत में जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ और मीडिया सेल के अधिकारियों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया. अंत में धन्यवाद ज्ञापन जीकेसी की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्रीमती रिद्धिमा श्रीवास्तव ने किया.कार्यक्रम का सफल संचालन आरजे श्वेता सुरभि और जीकेसी महिला संभाग की कार्यकारिणी अध्यक्ष संपन्नता वरूण ने किया.

समारोह में विशेष रूप से राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक कुमार अभिषेक, राष्ट्रीय सचिव संजय कुमार, प्रेम कुमार ,युवा संभागके प्रभारी राजेश सिन्हा संजू, धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव, बलिराम जी, अधिवक्ता संजय कुमार सिन्हा, अनुराग समरूप, अभिषेक शंकर, सुशांत सिन्हा, रश्मि लता, डॉ प्रियदर्शी हर्षवर्धन, रवि सिन्हा, हर्ष सिन्हा, सुभाषिनी स्वरूप, निखिल के डी वर्मा, कुमार गौरव, आशुतोष ब्रजेश, पीयूष श्रीवास्तव, सैयद सबीउद्दीन, राजेंद्र यादव, नागेंद्र जी, मधुप मणि पिक्कू, डॉ श्वेता, राजेश कुमार डब्लू, रंजीत प्रसाद सिन्हा आदि ने भी शिरकत की.

किसी से कम नहीं हैं भोजपुरी फिल्में

उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों के साथसाथ हिंदी बैल्ट में भोजपुरी सिनेमा देखने वालों की भरमार है. छोटे बजट की इन फिल्मों के गीत घरघर में सुनाई देते हैं. फिल्म की कहानी और कलाकारों की मेहनत का ही नतीजा है कि सिनेमाघर में बैठे दर्शक सीटी बजाबजा कर फिल्म देखने का लुत्फ उठाते हैं.

इस सब के बावजूद पिछले कुछ सालों तक भोजपुरी सिनेमा को दोयम दर्जे का ही समझ जाता था. इन फिल्मों पर अश्लील होने और गानों के नाम पर बेहूदगी परोसने के लांछन लगते थे. हिंदी, बंगाली, मराठी, पंजाबी और दक्षिण भारतीय फिल्मों के मुकाबले भोजपुरी फिल्में कहीं नहीं ठहरती थीं.

पर, अब माहौल थोड़ा बदल गया है. भले ही ये फिल्में कम बजट की होती हैं, पर इन की क्वालिटी में गजब का सुधार हुआ है.

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अब इन फिल्मों का हीरो भी हवा में उड़ता हुआ विलेन और उस के गुरगों की धुनाई करता है, तेज रफ्तार कार किसी गहरी खाई को भी आसानी से लांघ जाती है. गानों की कोरियोग्राफी पर मेहनत की जाती है.

कहने का मतलब है कि नई तकनीकी के इस्तेमाल के चलते इन फिल्मों को दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं.

यह बदलाव साल 2004 में तब हुआ था, जब भोजपुरी गायक और नायक मनोज तिवारी ‘मृदुल’ की फिल्म ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ ने भोजपुरी बैल्ट से बाहर निकल कर दूसरे राज्यों के सिनेमाघरों में धमाल मचाया था. तकरीबन 30 लाख रुपए के बजट से बनी इस फिल्म ने अव्वल दर्जे की टैक्नोलौजी का इस्तेमाल होने के चलते 9 करोड़ रुपए की कमाई की थी.

इस के बाद भोजपुरी फिल्मों में तकनीकी पक्ष को मजबूत किए जाने पर खासा जोर दिया गया था, जिस के चलते बहुत सी फिल्मों ने अच्छी कमाई भी की थी.

यही वजह है कि आज भोजपुरी फिल्मों में रवि किशन, पवन सिंह, दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’, अरविंद अकेला ‘कल्लू’, रितेश पांडेय, विराज भट्ट, प्रदीप पांडेय ‘चिंटू’, शुभम तिवारी जैसे नामचीन हीरो और रानी चटर्जी, नगमा, काजल राघवानी, प्रियंका पंडित, आम्रपाली दुबे, अक्षरा सिंह, कनक यादव जैसी हीरोइनों का जलवा पूरे देश पर छा रहा है.

आज भोजपुरी फिल्में महंगी वीएफएस व क्रोमा जैसी तकनीकी के इस्तेमाल की तरफ कदम बढ़ा रही हैं. ऐसे में ऐक्शन, डांस, लाइटिंग, ग्राफिक्स, स्पैशल इफैक्ट्स का पक्ष बेहद मजबूत हुआ है. इस के लिए दक्षिण के ऐक्शन मास्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

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कार्यकारी निर्माता संतोष वर्मा ने अपनी फिल्म ‘वांटेड’ के बारे में बताया कि इस फिल्म में आधुनिक साउंड तकनीकी का इस्तेमाल भी किया गया है, क्योंकि फिल्मों के सीन में अगर साउंड और बैकग्राउंड म्यूजिक न डाला जाए, तो ये फिल्में दर्शकों को मूक फिल्मों जैसी लगेंगी.

नई तकनीकी का कमाल है

आजकल भोजपुरी में हौरर फिल्में भी बनने लगी हैं. रितेश पांडेय की फिल्म ‘बलमा बिहारवाला 2’ में भी इसी तरह की बेहतरीन टैक्नोलौजी का इस्तेमाल किया गया था, जिस से डरावने सीन ने फिल्म में जान डाल दी थी.

अब डांस और कोरियोग्राफी पर भी नजर डालते हैं. आज के दौर में भोजपुरी फिल्मों में भी आइटम डांस खूब चलन  में हैं.

आजमगढ़ जिले की अदाकारा सनी सिंह के मुताबिक, कभीकभी एक आइटम डांस गाना ही फिल्म के हिट होने की वजह बन सकता है.

आइटम गर्ल राखी सांवत ने रवि किशन और पवन सिंह की फिल्म ‘कट्टा तनल दुपट्टा पर’ में दमदार आइटम डांस दिखाया था.

भोजपुरी फिल्मों ने हिंदी फिल्म वालों पर भी अपना जादू चलाया है. हीरोइन प्रियंका चोपड़ा ने दिनेशलाल यादव ‘निरहुआ’ और आम्रपाली दुबे को साथ ले कर फिल्म ‘बमबम बोल रहा काशी’ में अपना पैसा लगाया था.

इस फिल्म में इस्तेमाल की गई बेहतरीन फिल्मांकन तकनीकी, लाइट विजुअल व साउंड इफैक्ट के चलते फिल्म के रिलीज होने के 3 दिन के भीतर ही पूरी लागत निकाल ली थी.

नई टैक्नोलौजी से यह साबित होता है कि भोजपुरी फिल्मों में बजट की कमी इन के आगे बढ़ने में आड़े नहीं आ सकती है.

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वीडियो और आर्ट डायरैक्टर आशीष यादव ने बताया कि हाल के सालों में भोजपुरी फिल्मों के फिल्मांकन में टैक्नोलौजी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. अब भोजपुरी बैल्ट के सिनेमाघरों में दर्शक भोजपुरी फिल्मों को देखने में वही रोमांच महसूस करते हैं, जो बौलीवुड व हौलीवुड की फिल्में देखने पर मिलता है.

यही वजह है कि बौलीवुड के अमिताभ बच्चन, मिथुन चकवर्ती, शक्ति कपूर, रजा मुराद जैसे बड़े कलाकार भी भोजपुरी फिल्मों में दिखाई देते रहे हैं.

हंसाना सबसे मुश्किल काम: धामा वर्मा

भोजपुरी, हिंदी और बंगला फिल्मों के कलाकार धामा वर्मा ने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं. वे बेहद मंजे हुए कलाकारों में गिने जाते हैं. फिल्मों में उन की संवाद अदायगी और ऐक्टिंग बेहद पसंद की जाती है. ‘सरस सलिल भोजपुरी सिने अवार्ड’ के दौरान उन से हुई एक मुलाकात में उन के फिल्मी सफर पर लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश :

आप ने अपने सफर की शुरुआत हिंदी फिल्मों से की थी, फिर भोजपुरी फिल्मों की तरफ रुझान कैसे हुआ?

मैं ने गौतम घोष के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘पतंग’ से अपने ऐक्टिंग कैरियर की शुरुआत की थी. उस फिल्म में मेरे साथ शबाना आजमी, ओम पुरी, मोहन अगाशे और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे दिग्गज कलाकारों की पूरी टीम थी.

इस के बाद मुझे लगा कि हिंदी फिल्मों के साथसाथ भोजपुरी सिनेमा में भी अपना हाथ आजमाना चाहिए, क्योंकि भोजपुरी का दर्शक वर्ग बहुत बड़ा है. कई फिल्मों में दमदार रोल कर के मैं दर्शकों के दिलों में आसानी से जगह बनाने में कामयाब रहा.

भोजपुरी सिनेमा को दिलाई पहचान: बृजेश त्रिपाठी

आप ने हिंदी और भोजपुरी फिल्मों के साथसाथ बंगला फिल्मों में भी काम किया है. बंगला भाषा की कोई यादगार फिल्म?

मैं ने गौतम घोष के डायरैक्शन में बनी बंगला फिल्म ‘शून्य’ में काम किया था. यह फिल्म माओवादियों की बैकग्राउंड पर बनी थी.

आप फिल्मों के अलावा टैलीविजन पर भी काफी सक्रिय रहते हैं. आप ने अभी तक किनकिन धारावाहिकों में काम किया है?

मैं ने ‘क्या दिल में है’, ‘अर्जुन पंडित’, ‘जीजी मां’, ‘दीया और बाती हम’, ‘लाल इश्क’, ‘क्राइम पैट्रोल’, ‘सावधान इंडिया’ और ‘विधान’ जैसे धारावाहिकों में काम किया है. भोजपुरी के एक धारावाहिक ‘घरआंगन’ में भी अहम रोल निभाया है. इस के अलावा वैब सीरीज ‘किराएदार’ व ‘बैडगर्ल’ में भी काम कर चुका हूं.

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आप ने अमिताभ बच्चन के साथ भी काम किया है. उन से क्या सीखने को मिला?

मुझे भोजपुरी फिल्म ‘गंगा’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का मौका मिला था. वे फिल्म सैट पर सहज रहते हैं और साथी कलाकारों का हर समय हौसला बढ़ाते हैं.

भोजपुरी सिनेमा में कई अच्छे कौमेडियनों की बाढ़ आ गई है. ऐसे में कितना कंपीटिशन बढ़ा है?

यह भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए अच्छा संकेत है कि अच्छे कौमेडी कलाकार आ रहे हैं. इस से भोजपुरी फिल्मों का दायरा बढ़ेगा.

एक कलाकार के लिए हंसाना सब से मुश्किल विधा मानी जाती है? ऐसा क्यों है?

ऐक्टिंग की सब से मुश्किल विधा है लोगों को हंसाना. इस में कलाकार अपनी पूरी कला लगा देता है. रुलाने के लिए किसी को मार कर रुलाया जा सकता है, गरीबी दिखा कर रुलाया जा सकता है, लेकिन हंसाने के लिए अंदर से फीलिंग लानी पड़ती है, जो मुश्किल काम है.

भोजपुरी के सब से ज्यादा दर्शक बिहार में ही हैं. क्या वजह है कि वहां फिल्मों की शूटिंग को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है?

बिहार सरकार अपने प्रदेश में फिल्मों को बढ़ावा देने के प्रति उदासीन है. अगर वह प्रदेश में शूटिंग को बढ़ावा देती है, तो वहां रोजगार की उम्मीद बढ़ेगी.

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भोजपुरी सिनेमा को दिलाई पहचान: बृजेश त्रिपाठी

भोजपुरी सिनेमा के शुरुआती दौर से जुड़े कलाकारों की जब भी बात आती है, तो उन में सब से ऊपर एक ही नाम आता है और वे हैं भोजपुरी के सब से सीनियर कलाकार बृजेश त्रिपाठी. वे भोजपुरी सिनेमा से उस दौर से जुड़े हुए हैं, जब भोजपुरी में गिनीचुनी फिल्में ही बनती थीं.

भोजपुरी सिनेमा के उस दौर से लेकर आज तक बृजेश त्रिपाठी ने सैकड़ों फिल्मों में काम कर के चरित्र कलाकार और खलनायक के रूप में अपनी अलग ही पहचान बनाई है. उन के बिना भोजपुरी की फिल्में अधूरी सी लगती हैं.

ऐसी थी शुरुआत

‘भोजपुरी के गौडफादर’ कहे जाने वाले बृजेश त्रिपाठी ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 11 सितंबर, 1978 को हिंदी फिल्म ‘टैक्सी चोर’ से की थी, जिस में लीड रोल में मिथुन चक्रवती थे और हीरोइन थीं जरीना वहाब.

यह फिल्म साल 1980 में 29 अगस्त को रिलीज की गई थी. इस फिल्म में उन के रोल को इतना ज्यादा पसंद किया गया था कि उन्हें इस के बाद राज बब्बर के साथ दूसरी फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था, जिस का नाम था ‘पांचवीं मंजिल’. इस फिल्म में भी जरीना वहाब ही हीरोइन थीं.

इस के बाद तो बृजेश त्रिपाठी सिनेमा के हो कर रह गए. इस दौरान उन्हें हिंदी के धारावाहिकों और फिल्मों में काम करने का मौका मिला, लेकिन उन की सही पहचान भोजपुरी फिल्मों से हुई. उन दिनों पद्मा खन्ना भोजपुरी की बहुत बड़ी हीरोइन हुआ करती थीं. उन के सैक्रेटरी शुभकरण अग्रवाल बृजेश त्रिपाठी के बहुत अच्छे दोस्त थे.

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उन्होंने बृजेश त्रिपाठी को साल 1979 में पहली भोजपुरी फिल्म ‘सइयां तोहरे कारन’ में काम दिलाया था, जिस में राकेश पांडेय हीरो थे और पद्मा खन्ना हीरोइन थीं. इस फिल्म में बृजेश त्रिपाठी ने एक बिगड़ैल लड़के का रोल किया था.

इस फिल्म के बाद बृजेश त्रिपाठी की हीरो राकेश पांडेय के साथ अच्छी दोस्ती हो गई थी. राकेश पांडेय ने जब साल 1982 में एक फिल्म बनाई थी, तो उस में बृजेश त्रिपाठी को मेन विलेन का रोल दिया गया था. उस फिल्म में पद्मा खन्ना और प्रेमा नारायण मुख्य भूमिकाओं में नजर आई थीं. इस के बाद उन का भोजपुरी फिल्मों  में ऐक्टिंग का कारवां आगे बढ़ा तो बढ़ता ही गया और वे भोजपुरी की कई कामयाब फिल्मों में मेन विलेन के रूप में नजर आए.

रवि किशन को लाए

बृजेश त्रिपाठी भोजपुरी के ऐसे चेहरे के रूप में स्थापित होने लगे थे, जो भोजपुरी के बड़े कलाकारों की इमेज पर भी भारी पड़ रहे थे. इस की खास वजह यह थी कि 90 के दशक में जब भोजपुरी की फिल्में बननी बंद हो गई थीं या कह लिया जाए कि इक्कादुक्का फिल्में ही बनती थीं, तब इस दौरान के सन्नाटे को तोड़ने के लिए भोजपुरी के बड़े डायरैक्टर मोहन जी. प्रसाद ने उन के सामने भोजपुरी और बंगला भाषा में एक फिल्म का औफर रखा. उन्होंने इस फिल्म का हीरो चुनने की जिम्मेदारी भी बृजेश त्रिपाठी के ऊपर छोड़ दी थी.

बृजेश त्रिपाठी ने उस समय रवि किशन को इस फिल्म में बतौर हीरो लिए जाने की सलाह दी, जो मोहन जी. प्रसाद को पसंद आ गई और आखिरकार भोजपुरी के तीसरे दौर की पहली कामयाब फिल्म ‘सईयां हमार’ में रवि किशन को बतौर लीड हीरो के रूप में काम करने का मौका मिल ही गया.

इस फिल्म में उदित नारायण और कुमार सानू ने गीत गए थे. गीत विनय बिहारी ने लिखे थे.

इस फिल्म ने कामयाबी का नया इतिहास रच दिया था. यहीं से भोजपुरी फिल्मों के बनने का नया दौर चल पड़ा और लगातार 14 कामयाब फिल्मों में रवि किशन हीरो और बृजेश त्रिपाठी विलेन रहे.

बढ़ती गई पहचान

बृजेश त्रिपाठी 2000 के दशक में भोजपुरी के बड़े विलेन के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे, लेकिन धीरेधीरे उम्र बढ़ने के साथसाथ विलेन के रूप में ऐक्शन फिल्मों को करने में कुछ मुश्किलें आने लगीं तो उन्होंने इमोशनल के साथ ही सीरियस और कैरेक्टर रोल भी करने का फैसला लिया और इस की शुरुआत उन्होंने मनोज तिवारी के साथ भोजपुरी फिल्म ‘धरतीपुत्र’ से की. यह फिल्म भी हिट साबित हुई.

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फिर क्या था, वे अपनी विलेन वाले इमेज से निकल कर एक और भोजपुरी फिल्म ‘पूरब’ में भी सीरियस रोल में नजर आए, जिस में उन के रोल को काफी सराहा गया.

इस के बाद तो भोजपुरी की ज्यादातर फिल्में बृजेश त्रिपाठी के साथ ही बनीं.

आज वे भोजपुरी सिनेमा के सब से उम्रदराज कलाकारों में शुमार हैं, इस के बावजूद उन का शैड्यूल इतना बिजी रहता है कि एक फिल्म खत्म होते ही उन की दूसरी फिल्म शुरू हो जाती है.

‘बाजी’ से भोजपुरी सिनेमा में वापसी करेंगे मोनालिसा के पति विक्रांत सिंह

भोजपुरी फिल्मों के सर्वाधिक चर्चित कलाकार विक्रांत सिंह अब फिल्म ‘‘बाजी’’में बहुत सशक्त किरदार में बतौर हीरो रूपहले परदे पर नजर आने वाले हैं. हकीकत में ‘बाजी’से भोजपुरी सिनेमा में विक्रांत सिंह की वापसी होने जा रही है. यह फिल्म उनके फिल्मी करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित होगी.

इस फिल्म में उनके साथ अक्षरा सिंह और राकेश मिश्रा भी होंगे. दो हीरो और एक हीरोइन वाली इस फिल्म की कहानी का ताना बाना प्रेम त्रिकोण के इर्द गिर्द बुना गया है. जो कि दर्शकों को रोमांच से भर देगी.विक्रांत सिंह का दावा है कि इस रोमांचक प्रेम कहानी को देखकर दर्शक दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे. संगीत प्रधान फिल्म‘‘बाजी’’ में बतौर खलनायक देव सिंह नजर आएंगे.

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ज्ञातब्य है कि कुछ दिन पहले फिल्म के निर्माता सुरेश जोशी, कमलेश सिंह और राघवेंद्र प्रताप सिंह ने पटना,बिहार में अक्षरा सिंह और राकेश मिश्रा की मौजूदगी में प्रेस कांफ्रेंस कर फिल्म ‘बाजी’ के निर्माण की घोषणा की थी. उस वक्त तक दूसरे हीरो के किरदार के लिए विक्रांत सिंह का नाम तय नही हो पाया था. पर अब इस फिल्म के साथ विक्रांत सिंह को बतौर हीरो अनुबंधित किया गया है. विक्रांत सिंह इस फिल्म में अहम भूमिका में दिखाई देंगे.

हकीकत में विक्रांत सिंह फिल्म ‘‘बाजी’’से भोजपुरी सिनेमा में वापसी कर रहे हैं. और छोटे शहरों की पृष्ठभूमि की कहानी वाली फिल्म ‘बाजी’ की शूटिंग मई में उत्तर प्रदेश और झारखंड के रमणीय क्षेत्रों में की जाएगी.

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संगीत प्रधान फिल्म ‘‘बाजी’’ का निर्माण  माइलस्टोन फिल्म एंड एंटरटेनमेंट प्रा.लि. के बैनर तले किया जा रहा है. फिल्म के निर्देशक कमलेश सिंह,कथा, पटकथा व संवाद लेखक रजनीश वर्मा, संगीतकार विनय बिहारी एवं मधुकर आनंद,गीतकार विनय बिहारी, प्यारेलाल यादव कवि, मनोज मतलबी और आजाद सिंह, मार्केटिंग हेड विजय यादव हैं.

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फिल्म ‘बाजी’ के निर्देशक कमलेश सिंह कहते हैं-‘‘फिल्म की कहानी पटना और बनारस जैसे शहरों पर आधारित है.यह एक एक म्यूजिकल फिल्म है. हम इस फिल्म को बौलीवुड की बड़ी फिल्मों की तरह फिल्माने वाले हैं.एक्शन और इमोशन पर आधारित यह एक सोशल फिल्म है, जो सभी वर्ग के दर्शकों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है. इस फिल्म में मधुर व कर्णप्रिय संगीत का भी समावेश है.’’

‘दामाद जी किराए पर है’ के ट्रेलर को मिले पांच मिलियन से भी ज्यादा Views, देखें Video

भोजपुरी सिनेमा जगत के चर्चित अभिनेता यश कुमार की शीघ्र प्रदर्तशि होने वाली फिल्म ‘दामाद जी किराए पर है’ के ट्रेलर के बाजार में आते ही पांच लाख मिलियन व्यूज मिल गए. यह अपने आप में एक बड़ा रिकार्ड है. भोजपुरी की यह पहली होगी,जिसका ट्रेलर रिलीज के महज 24 दिनों में पांच मिलियन व्यूज के आंकड़े को पार कर चुकी है.

अब तक इस ट्रेलर को 5,555,060 व्यूज मिल चुके हैं.दर्शक यश की इस फिल्म के ट्रेलर को खूब पसंद कर रहे हैं.

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कांट्रेक्ट मैरिज पर आधारित फिल्म ‘दामाद जी किराए पर है’ में यश कुमार, शिविका दीवान और श्रृद्धा यादव की अहम भूमिकाएं हैं. इसमें यश कुमार का किरदार गांव के सीधे सादे परिवार के लड़के का है, जिसकी शादी उस लड़की से कर दी जाती है, जिसका लाइफ स्टाइल शहर में बिगड़ैल वाली होती है. इस किरदार में शिविका दीवान नजर आ रही हैं, जो शादी के लिए कांट्रेक्ट मैरेज के शर्त पर तैयार होती
हैं.  दोनों की शादी तो हो जाती है, लेकिन यश कुमार के साथ शिविका का व्यवहार बेहद खराब रहता है.

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फिर कुछ ऐसा होता है, जिससे यश उनके दिल में जगह बनाने में कामयाब होते हैं.मगर तब तक यश दूसरी शादी का फैसला कर लेते हैं. मगर क्लाइमेक्स में ऐसा कुछ होता है, जिसकी कल्पना नही की जा सकती. अजय श्रीवास्तव प्रोडक्शन एंड पंकज सिने इंटरटेंमेंट के बेनर तले बनी फिल्म ‘दामाद जी किराए पर है’ के निर्देशक अजय श्रीवास्तव है.

फिल्म के निर्माता शरद श्रीवास्तव और अजय श्रीवास्तव,संगीतकार छोटे बाबा, कोरियोग्राफर रामदेवन, कैमरामैन मनोज सिंह,गायक आलोक कुमार, छोटे बाबा,प्रियंका सिंह, नीलकमल, पमिला सिंह,गीतकार अशोक कुमार दीप, राजेश मिश्रा व सुमित सिंह चंद्रवंशी हैं.जबकि फिल्म में यश कुमार, शिविका दीवान, श्रद्धा यादव के साथ ऋतु पांडेय, शरद श्रीवास्तव भी मुख्य भूमिका में नजर आने वाले हैं.

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भोजपुरी की स्टार अभिनेत्री कैसे बनी नीलू शंकर सिंह

भोजपुरी सिनेमा जगत में नीलू शंकर सिंह एक ऐसी अभिनेत्री हैं,जिन्होंने बहुत कम समय में स्टार अभिनेत्री का दर्जा हासिल करने में सफल रही हैं. जी हां! नीलू शंकर सिंह ने 2017 में फिल्म‘बेटवा बाहुबली 2‘में अजय दीक्षित के साथ अभिनय कर अपने अभिनय कैरियर की शुरूआत की थी.

इसके बाद वह विराज भट्ट के साथ फिल्म‘हमार बलवान’में नजर आयी थी.फिर निर्देशक मिथिलेश अविनाश के साथ उन्होंने फिल्म ‘लज्जो’की, जिसको लेकर उनकी काफी चर्चा हुई.उसके बाद फिल्म ‘लव के लिए कुछ भी करेगा’ को दर्शकों ने सिनेमाघरों में खूब प्यार दिया. इस तरह अब तक उनकी पांच फिल्में रिलीज हो चुकी हैं. हालांकि नीलू ने 14 फिल्मों की शूटिंग कर ली हैं. 2021 में अब तक ‘बी4यू’ टीवी चैनल पर भी ‘नई रस्में नयी कसमें’ और ‘नकली सिंदूर’जैसी फिल्में रिलीज की जा चुकी हैं.

इस साल रिलीज होने वाली उनकी फिल्मों में ‘हंगामा’(छोटू पाण्डेय), ‘छोरा छिछोरा’, ‘सुहागन’(समर सिंह), ‘प्रेम युद्ध’ (गौरव झा), ‘हमरे भउजी के बहिनिया‘ (प्रेम सिंह) इत्यादि शामिल हैं.

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फिलहाल नीलू शंकर सिंह,निर्देशक चुनमुन पंडित की भोजपुरी फिल्म ‘बेबसी’ की शूटिंग बिहार के जिला कैमूर भभुआ के धरहरा गांव में कर रही हैं.निर्मात्री निशा कुमारी की इस पारिवारिक फिल्म में नीलू शंकर सिंह सशक्त भूमिका में नजर आने वाली हैं. इस फिल्म में उनके नायक पंकज मेहता हैं. यह फिल्म दर्शकों का फुल इंटरटेनमेंट करने वाली है.

गौरतलब है कि नीलू शंकर सिंह ने पिछले माह भोजपुरी फिल्म ‘हमरे भउजी के बहिनिया’ की शूटिंग पूरी की है, जिसमें उनके नायक राऊडी हीरो प्रेम सिंह हैं. फिल्म हमरे भउजी के बहिनिया के निर्माता, निर्देशक समीर सिंह,सहनिर्माता हिम्मत सिंह हैं.इसके अलावा अभी हाल में ही नीलू ने बक्सर के गायक व अभिनेता छोटू पांडे के साथ फिल्म ‘दुलरुआ’ की शूटिंग पूरी की हैं, जिसमें कुणाल सिंह भी एक अहम किरदार में हैं.

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रायबरेली, उत्तर प्रदेश निवासी नीलू शंकर सिंह तकदीर को बहुत मानती हैं. वह कहती हैं ‘‘तकदीर मुझे यहां तक लेकर आयी है. मैंने बचपन से हिरोइन बनने का कोई सपना नहीं देखा था.पर तकदीर ने चमत्कार दिखाया. मुझे अपने पापा के नाम को रोशन करने का मौका मिला है. तो मैं सच्चाई की राह पर आगे बढती रहूंगी. न किसी से गिरकर काम माँगना है और न ही कोई समझौता करना है.मेरा काम करने का यही नियम है.’

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