12 वर्षीय नैंसी बचपन की देहरी लांघ कर किशोरावस्था में कदम रख रही थी. वह हंसती थी तो उस के मुंह से फूल झड़ते थे और बोलती थी तो ऐसा लगता था जैसे उस के हर शब्द से चंचलता टपक रही हो. पूरी कोठी उस की शरारतों से महकतीगमकती रहती थी. जब से उसे चचेरी बुआ बबीता (परिवर्तित नाम) की शादी पक्की होने की बात पता चली थी, तब से खुशी के मारे उस के पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. बबीता उस के चाचा सत्येंद्र की बेटी थी.
नैंसी कुमार रवींद्र नारायण झा की बड़ी बेटी थी. रवींद्र नारायण का परिवार बिहार के मधुबनी जिले की तहसील फुलपरास के थाना अंधरामढ़ क्षेत्र में आने वाले गांव महादेवमठ में रहता था. रवींद्र नारायण पेशे से शिक्षक हैं और मुक्तिनाथ एजुकेशन ट्रस्ट के तहत अपना खुद का मुक्तिनाथ पब्लिक स्कूल चलाते हैं. नर्सरी से 5वीं तक का यह स्कूल बिहार सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. पिता के साथसाथ नैंसी की मां अर्चना भी सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं. उन की नैंसी से छोटी एक और बेटी है. मधुबनी में रविंद्र नारायण की गिनती बड़े लोगों में होती है. ऐसे में सामाजिक मानप्रतिष्ठा स्वाभाविक है.
जिस बात को ले कर नैंसी उत्साहित थी, आखिरकार वह दिन आ ही गया. 26 मई, 2017 को उस की चचेरी बुआ बबीता की शादी थी. शादी से एक दिन पहले 25 मई को मेहंदी का कार्यक्रम था.
नातेरिश्तेदार आ चुके थे. घर में खुशियों का माहौल था. सत्येंद्र का घर रविंद्र के घर से थोड़ी सी दूरी पर था. मेंहदी की रस्म में रविंद्र के परिवार की महिलाएं भी शामिल हुईं.
नए कपडे़ पहन कर नैंसी खूब खुश थी. वह अपनी हमउम्र हिमांशु, साक्षी और भारती के साथ चाचा के घर के बाहर खेल रही थी. थोड़ी देर बाद नैंसी की मां अर्चना बाहर आईं तो बेटी को बच्चों के साथ न देख कर परेशान हुईं. उन के पूछने पर बच्चों ने बताया कि नैंसी यहीं कहीं होगी, थोड़ी देर पहले तक तो हमारे साथ ही खेल रही थी. बच्चे फिर से खेलने में मस्त हो गए. उधर अर्चना ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन नैंसी कहीं नजर नहीं आई.
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तभी किसी ने बताया कि उस ने नैंसी को साढ़े 6 बजे के करीब घर की ओर जाते देखा था. यह सुन कर अर्चना को थोड़ी तसल्ली हुई कि नैंसी घर चली गई है. थोड़ी देर बाद मेंहदी की रस्म पूरी कर के वह छोटी बेटी को ले कर घर पहुंची तो नैंसी वहां भी नहीं थी. यह देख कर अर्चना परेशान हो गईं. बात परेशान करने वाली इसलिए थी क्योंकि नैंसी घर से इधरउधर कहीं नहीं जाती थी.
अर्चना की समझ में कुछ नहीं आया तो उन्होंने फोन कर के यह बात अपने पति कुमार रविंद्र नारायण को बताई. रविंद्र शादी की खरीदारी करने निर्मली बाजार गए थे. पत्नी का फोन सुन कर वह भी परेशान हो गए. खरीदारी कर के जब वह रात को 9 बजे घर पहुंचे तो उन के चचेरे भाई राघवेंद्र ने उन्हें एक चौंकाने वाली बात बताई.
उस ने बताया कि शाम साढ़े 6 बजे के करीब ग्रामीण बैंक के पास एक अज्ञात मोटर साइकिल वाला व्यक्ति नैंसी को मोटर साइकिल पर बैठा कर भाग गया. वह सांवले रंग का था और उस के चेहरे पर दाढ़ी थी. उस ने आसमानी रंग की चैक वाली शर्ट और काली पैंट पहन रखी थी. साथ ही उस के सिर पर गमछा भी बंधा था.
राघवेंद्र ने जो हुलिया बताया था वह उसी के गांव के रहने वाले पवन नाम के एक युवक से काफी मेल खाता था. इस का मतलब था कि पवन ने ही नैंसी का अपहरण किया था. नैंसी के रहस्यमय ढंग से गायब होने को ले कर गांव भर में कोहराम मच गया. तब तक गांव के चारों तरफ नैंसी की तलाश कर ली गई थी.
जब बेटी का कहीं पता नहीं चला तो उसी रात रविंद्र गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर थाना अंधरामढ़ पहुंच गए. थानाप्रभारी राजीव उन्हें जानते थे. उन्होंने हालचाल पूछा तो रविंद्र ने उन्हें बेटी के अपहरण की बात बता दी. साथ ही गांव के ही पवन और लल्लू पर संदेह भी व्यक्त किया. थानाप्रभारी राजीव ने उन्हें लिखित तहरीर देने को कहा तो रविंद्र ने पवन और लल्लू पर संदेह व्यक्त करते हुए तहरीर लिख कर दे दी. पुलिस ने भादंवि की धारा 363, 365 के तहत पवन कुमार झा और लल्लू झा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.
अफवाह के आधार पर पवन और लल्लू को ठहराया गया मुलजिम
अगले दिन 26 मई को रविंद्र नारायण की चचेरी बहन बबीता की बारात आने वाली थी. आरोपियों ने उस की शादी में विघ्न डालने के लिए नैंसी की अपहरण किया था. रविंद्र के अनुसार, आरोपियों के ऐसा करने के पीछे जो वजह थी, वह 5-6 साल पहले की एक घटना से जुड़ी हुई थी.
दरअसल, पवन और लल्लू सगे भाई थे और उन्होंने बबीता के साथ छेड़छाड़ की थी. इस पर राघवेंद्र और पंकज ने उन्हें खूब मारापीटा था. उसी का बदला लेने के लिए, उन दोनों भाइयों ने ऐसा किया था. रविंद्र ने यह बात भी पुलिस को बता दी थी.
मुकदमा दर्ज कराने के बाद घर लौटे रविंद्र को पता चला कि आरोपी पवन और लल्लू अपने घर में छिपे बैठे हैं. यह जान कर उन का खून खौल उठा. वह राघवेंद्र और कुछ रिश्तेदारों को साथ ले कर पवन के घर जा पहुंचे. पवन और लल्लू घर पर मिल गए. लोगों ने सारा गुस्सा दोनों भाइयों पर उतार दिया. फिर उन से पूछा कि उन्होंने नैंसी को अगवा कर के कहां छिपाया है.
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पवन और लल्लू ने कुछ नहीं बताया तो गांव वालों ने दोनों भाइयों को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस उन की तलाश में पहले ही गांव आ चुकी थी. दोनों भाइयों के मुंह से शराब की बू आ रही थी. पुलिस ने दोनों को थाने ले जा कर नैंसी के बारे में पूरी रात पूछताछ की. दूसरी ओर पुलिस और घर वाले नैंसी को अलगअलग दिशाओं में तलाशते रहे.
आरोपी पवन और लल्लू खुद को निर्दोष बता रहे थे. उन का कहना था कि न तो उन्होंने नैंसी का अपहरण किया है और न ही उस के बारे में उन्हें कोई जानकारी है. सुबह से देर रात तक वे अपने ड्यूटी पर थे. चाहे तो इस बात की तसदीक करा लें. बता दें कि लल्लू शहर के एक पैट्रोल पंप पर नौकरी करता था.
26 मई को बबीता की शादी बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो गई. लेकिन रविंद्र नारायण का मन बेटी में ही लगा था और वह उस की तलाश में जुटे थे. उन्होंने सभी जगह छान मारीं, लेकिन नैंसी का कहीं कोई पता नहीं चला. पुलिस अधीक्षक दीपक बरनवाल खुद इस मामले की मौनीटरिंग कर रहे थे.
27 मई, 2017 को शाम साढ़े 7 बजे गांव महादेवमठ से लगभग 1 किलोमीटर दूर तिलयुगा नदी के पुल के नीचे एक लाश पड़ी मिली. गांव वालों की सूचना पर अंधरामढ़ के थानेदार राजीव कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी थी.
बड़ी बेदर्दी से की गई थी नैंसी की हत्या
थोड़ी देर में डीएसपी फूलपरास, एएसपी झंझारपुर निधि रानी, एसपी दीपक बरनवाल भी वहां पहुंच गए. दीपक बरनवाल ने ऐहतियात के तौर पर जिले के कई थानेदारों को मौके पर बुलवा लिया था ताकि बात बिगड़ने पर कोई भी कानून अपने हाथ में न ले सके. सूचना पा कर रविंद्र और नैंसी के दादा सत्येंद्र सहित घर वाले भी मौके पर पहुंच गए. शव देख कर उन्होंने उस की पहचान नैंसी के रूप में कर दी.
3 दिनों से लापता नैंसी लाश बन कर सामने आई. उस की लाश मिलते ही गांव में सनसनी फैल गई. रविंद्र के घर में कोहराम मच गया. मासूम नैंसी की लाश जिस स्थिति में बरामद हुई थी, वह वाकई सभ्य समाज के लिए रोंगटे खड़े करने वाली बात थी. लाश फूल कर पूरी तरह क्षतविक्षत हो चुकी थी.
प्रथमदृष्टया उस के शरीर पर तेजाब डाल कर जलाए जाने के निशान नजर आ रहे थे. चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था. उस के दोनों हाथों की नसें कटी हुई लग रही थीं. यहीं नहीं, उस मासूम के साथ बलात्कार की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता था. हत्यारों ने उस का गला भी बड़ी निर्ममता से रेता था.
नैंसी का शव मिलने के बाद पुलिस ने अपहरण के केस में भादंवि की धारा 302, 201, 120बी और जोड़ दीं. पुलिस ने प्राथमिक काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दी. नैंसी के घर वालों के शक और बयान के आधार पर हिरासत में लिए गए दोनों आरोपियों लल्लू और पवन झा से पूछताछ कर के बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया.
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लोग संतुष्ट नहीं थे पुलिस की काररवाई से
नैंसी हत्याकांड चर्चाओं में आ चुका था. सोशल साइट्स कैंपेन के बाद लोगों में बढ़ते आक्रोश को देख कर शासनप्रशासन सकते में था. घटना के 2 दिनों बाद जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई तो पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रेंस की, जिस में एसपी दीपक बरनवाल ने बताया कि पोस्टमार्टम से दुष्कर्म, नस काटने, गला रेतने या एसिड अटैक जैसी बातें प्रकाश में नहीं आई हैं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार नैंसी की हत्या लगभग 72 घंटे पहले की गई थी. उस की मृत्यु का कारण था गला दबने से सांस रुक जाना. पोस्टमार्टम 3 डाक्टरों की टीम ने किया है, जिस में 2 महिलाएं और एक पुरुष शामिल थे.
लेकिन नैंसी के घर वालों ने यह कह कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया कि रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की गई है, जबकि नैंसी की नस काटी गई थी और उस पर एसिड डाला गया था. पोस्टमार्टम में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है.
नैंसी हत्याकांड ने मधुबनी ही नहीं पूरे बिहार को हिला कर रख दिया था. आम आदमी से ले कर कई दलों के नेता तक सड़क पर आ गए थे और आरोपियों को फांसी देने की मांग कर रहे थे. नैंसी को इंसाफ दिलाने की मांग तेज पर तेज होती जा रही थी.
जस्टिस फौर नैंसी कैंपेन चला रही मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने दिल्ली के जंतरमंतर पर कैंडल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया. मिथिला स्टूडेंट यूनियन सहित कई सामाजिक, छात्र संगठनों व आम लोगों के द्वारा अररिया, सहरसा, मधुबनी, दरभंगा सहित कई जिलों में जगहजगह कैंडल मार्च निकाले गए.
बहरहाल, लोगों के रोजरोज के जुलूस, धरनाप्रदर्शन और सोशल मीडिया पर गंभीर कमेंट्स पोस्ट होने से पुलिस की खूब थूथू हो रही थी. ऐसा भी नहीं था कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी थी.
नैंसी हत्याकांड मामले में जनता के बढ़ते दबाव से पुलिस के पसीने छूट रहे थे. लोगों का दबाव देख कर पुलिस अधीक्षक दीपक बरनवाल ने 3 जून, 2017 को थानेदार राजीव कुमार को निलंबित कर दिया और उन की जगह आशुतोष कुमार को थाने की जिम्मेदारी सौंप दी.
यही नहीं उन्होंने जांच का काम अंधरामढ़ थाने की जगह झंझारपुर की सहायक पुलिस अधीक्षक निधि रानी को सौंप दिया. उन के नेतृत्व में एसआईटी टीम का गठन किया गया. निधि ने जांच भी शुरू कर दी.
पता नहीं क्यों राघवेंद्र का बयान एएसपी निधि रानी के गले नहीं उतर रहा था. उन्होंने रविंद्र के बयान का विश्लेषण किया तो उस में कई झोल नजर आए. मसलन एक अकेला युवक 12 साल की किशोरी का कैसे अपहरण कर सकता था? अपहरण के समय नैंसी ने विरोध भी जरूर किया होगा, विरोध किया होगा तो वह अपने बचाव के लिए चिल्लाई भी होगी. लेकिन बताई गई जगह पर एक भी ऐसा गवाह नहीं मिला, जो राघवेंद्र के बयान को तसदीक कर पाता. इस का सीधा मतलब यह था कि वह झूठ बोल रहा था.
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एएसपी निधि रानी ने सुलझाई उलझी हुई गुत्थी
पुलिस ने इस बात को अपने तक ही सीमित रखा. इन सवालों के साथ निधि रानी ने उस पैट्रोल पंप के सीसीटीवी के फुटेज की जांच की, जहां लल्लू नौकरी करता था. फुटेज देख कर निधि हैरान रह गईं. राघवेंद्र ने जिस समय लल्लू द्वारा नैंसी के अपहरण किए जाने की बात कही थी, उस समय वह सीसीटीवी के फुटेज में पैट्रोल पंप की ड्यूटी करता हुआ नजर आ रहा था.
जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…
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