कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस: उड़ते पंख कटे

10 जनवरी, 2018 को बकरवाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 8 साला बच्ची का अपहरण किया गया. इस के बाद 17 जनवरी को उस की लाश कटीफटी बरामद हुई थी. कठुआ में इस बच्ची को ड्रग्स दे कर दरिंदगी की जाती रही. बच्ची को ड्रग्स के नशे में इसलिए रखा गया, ताकि वह दर्द के मारे चिल्ला भी न सके.

यह खुलासा जम्मूकश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच की उस 15 पन्नों की चार्जशीट में हुआ है जो पठानकोट की अदालत में पेश की गई.  इस बच्ची को मन्नार कैंडी यानी गांजा और एपिट्रिल 0.5 एमजी जैसी दवाएं दी गईं. ड्रग्स की बहुत ज्यादा मात्रा के चलते वह रेप और हत्या का विरोध नहीं कर पाई.

बच्ची को आरोपियों ने 11 जनवरी, 2017 को जबरदस्ती 0.5 एमजी की क्लोनाजेपाम की 5 गोलियां दीं जो सुरक्षित डोज से ज्यादा थीं. बाद में भी उसे और गोलियां दी गईं.

अपने फैसले में जज ने बस इतना ही कहा कि इस केस में तथ्य बहुत हैं लेकिन सच एक ही है- एक आपराधिक साजिश के तहत एक बेकुसूर 8 साला मासूम का अपहरण किया गया, उसे नशीली दवाएं दी गईं, रेप किया गया और आखिर में उसे मार दिया गया.

इस तरह 8 साला मासूम को 17 महीने यानी 380 दिन बाद पठानकोट जिला एवं सत्र न्यायालय से इंसाफ मिल गया. मुख्य आरोपी सांझी राम एक स्थानीय मंदिर का पुजारी था, जहां बच्ची को कैद कर के रखा गया था. सांझी राम और उस के दोस्त परवेश कुमार व स्पेशल पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया को रणबीर पैनल कोड यानी आरपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 (रेप) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत कुसूरवार पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही, अपराध के पहलुओं से संबंधित कई दूसरी सजाएं भी दी गईं जो आजीवन कारावास के साथ ही चलती रहेंगी. तीनों पर एकएक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया, वहीं 3 पुलिस वालों सबइंस्पैक्टर आनंद दत्ता, स्पैशल पुलिस अधिकारी सुरेंदर वर्मा और हेड कांस्टेबल तिलक राज को आरपीसी की धारा 201 (सुबूतों को मिटाना) के तहत कुसूरवार पाया गया. इन्हें 5 साल की सजा दी गई और 50,000 रुपए जुर्माना लगाया गया.

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अभियोजन पक्ष ने मामले को रेयरेस्ट औफ द रेयर बता कर मौत की सजा की मांग की. 10 जून 2019 की शाम 4 बज कर 50 मिनट पर कोर्ट ने जैसे ही उम्रकैद की सजा सुनाई तो सांझी राम ने कोर्ट में खुद को बेकुसूर बताया, वहीं कोर्ट के बाहर सांझी राम की बेटी ने भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की बात कही.

एक सच को छिपाने के लिए भले ही कितने झूठ का सहारा ले लो, पर जज ने भी अपना फैसला सुना कर यह जता दिया कि अपराधी कहीं न कहीं कोई ऐसा सुराग छोड़ जाता है जो अपराध के होने की वजह बनता है.

यह फैसला उन वहशियों के लिए एक सबक हैं जो आएदिन ऐसी ही तमाम वारदातों को अंजाम देते हैं और खुलेआम छुट्टा घूमते हैं कि देखते हैं कि हमारा कौन क्या बिगाड़ लेगा. जो भी सामने आएगा उसे भी इसी तरह मौत के घाट उतार देंगे.

पेचीदा मामला होने के बावजूद भी पठानकोट जिला और सत्र न्यायाधीश डॉक्टर तेजविंदर सिंह ने अपनी पैनी निगाहों से जो फैसला सुनाया वह दूसरों के लिए सबक है.

आरोप जो तय हुए

सांझी राम- आरपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 (रेप), 120 बी (साजिश) के तहत दोषी करार. रासना गांव में देवीस्थान, मंदिर के सेवादार सांझी राम को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है. सांझी राम बकरवाल समुदाय को हटाने के लिए इस घिनौने काम को अंजाम देना चाहता था. इस के लिए वह अपने नाबालिग भतीजे  समेत दूसरे 6 लोगों को लगातार उकसा रहा था.

आनंद दत्ता- आरपीसी की धारा 201 (सुबूतों को मिटाना) के तहत दोषी करार. सबइंस्पैक्टर आनंद दत्ता ने सांझी राम से 4 लाख रुपए रिश्वत ले कर अहम सुबूत मिटाए.

परवेश कुमार- आरपीसी की धारा 120 बी, 302 और 376 के तहत दोषी करार. वह साजिश रचने में शामिल था. उस ने बच्ची के साथ रेप किया और गला दबा कर उस की हत्या की.

दीपक खजुरिया- आरपीसी की 120बी, 302, 34, 376डी, 363, 201, 343 के तहत दोषी करार. विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने बच्ची को नशीली दवाएं दे कर रेप किया. इस के बाद उस का गला घोंट कर मार दिया.

सुरेंदर वर्मा- आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी करार. जम्मूकश्मीर में विशेष पुलिस अधिकारी सुरेंदर वर्मा ने भी सुबूत मिटाने दिए.

तिलक राज- आरपीसी की धारा 201 के तहत दोषी करार. हेड कांस्टेबल तिलक राज ने भी सांझी राम से रिश्वत ले कर अहम सुबूत मिटाए.

-कठुआ गैंगरेप और मर्डर केस में सातवें आरोपी सांझी राम के बेटे विशाल को कोर्ट ने बरी कर दिया.

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पुलिस ने पठानकोट कोर्ट में जो चार्जशीट पेश की, उस के मुताबिक:

4 जनवरी, 2018 : साजिशकर्ता सांझी राम ने बकरवाल समुदाय को इलाके से हटाने के लिए खजुरिया और परवेश कुमार की इस योजना में शामिल होने के लिए अपने नाबालिग भतीजे को तैयार किया.

7 जनवरी, 2018 : दीपक खजुरिया और उस के दोस्त विक्रम ने नशे की गोलियां खरीदीं. सांझी राम ने अपने भतीजे विशाल को कहा कि वह बच्ची का अपहरण कर ले.

8 जनवरी, 2018 : नाबालिग ने अपने एक दोस्त को इस बारे में जानकारी दी.

9 जनवरी, 2018: नाबालिग ने भी कुछ नशीली दवाएं खरीदीं.

10 जनवरी, 2018 : साजिश के तहत नाबालिग ने मासूम बच्ची को घोड़ा ढूंढऩे में मदद की बात कही. वह उसे जंगल की तरफ ले गया. बाद में बच्ची ने भागने की कोशिश की लेकिन आरोपियों ने उसे धर दबोचा. इस के बाद उसे नशीली दवाएं दे कर उसे एक देवीस्थान के पास ले गए, जहां रेप किया गया.

11 जनवरी, 2018: नाबालिग ने अपने दोस्त विशाल को कहा कि अगर वह मजे लूटना चाहता है तो आ जाए. परिजनों ने बच्ची की तलाश शुरू की. देवीस्थान भी गए लेकिन वहां उन्हें सांझी राम ने झांसा दे दिया. दोपहर में दीपक खजुरिया और नाबालिग ने मासूम को फिर नशीली दवाएं दीं.

12 जनवरी, 2018 : मासूम को फिर नशीली दवाएं दे कर रेप. पुलिस की जांच शुरू. दीपक खजुरिया खुद जांच टीम में शामिल था जो सांझी राम के घर पहुंचा. सांझी राम ने रिश्वत की पेशकश की. हेड कांस्टेबल तिलक राज ने कहा कि वह सबइंस्पेक्टर आनंद दत्ता को रिश्वत दे. तिलक राज ने डेढ़ लाख रुपए रिश्वत ली.

13 जनवरी, 2018 : विशाल, सांझी राम और नाबालिग ने देवीस्थान पर पूजा की. इस के बाद लड़की के साथ रेप किया और उसे फिर नशीली दवाएं दीं. इस के बाद बच्ची को मारने के लिए वे एक पुलिया पर ले गए. यहां पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया ने कहा कि वह कुछ देर और रुक जाएं क्योंकि वह पहले रेप करना चाहता है. इस के बाद उस का गला घोंट कर मार दिया गया.

15 जनवरी, 2018: आरोपियों ने मासूम के शरीर को जंगल में फेंक दिया.

17 जनवरी, 2018 : जंगल से मासूम बच्ची का शव बरामद.

Edited By- Neelesh Singh Sisodia 

5000 करोड़ की ठगी

सब्जी बेचने वाली और निम्नमध्यम परिवार की डा. नौहेरा शेख ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि वो एक दिन 5000 करोड़ की संपत्ति वाले देश के जानेमाने हीरा ग्रुप औफ कंपनी की संस्थापक चेयरमैन और सीईओ के रूप में जानी जाएगी. देश के कई राज्यों में उस की कंपनी के आलीशान दफ्तर होंगे और वह देश और दुनिया में होने वाले बड़ेबड़े जलसों में शिरकत करेगी. जमीन से उठ कर बुलंदियों को छूने वाली नौहेरा शेख की उड़ान अभी बाकी थी. वह चाहती थी कि उस का हीरा ग्रुप और ज्यादा उन्नति करे और उस की कंपनी का पूरे भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी परचम लहराए. इसीलिए वह प्रयासरत थी. लेकिन अचानक ही उस पर गर्दिश के ऐसे बादल फटे कि वह अब अलगअलग राज्यों की जेल की सलाखों के पीछे अपना वक्त गुजार रही है.

डा. नौहेरा शेख आखिर कौन है और ऐसा क्या हुआ कि वह अचानक ही अर्श से फर्श पर आ गई. इसे समझने के लिए पहले नौहेरा के बारे में जानना जरूरी है.

नौहेरा बेगम का जन्म तिरुपति के एक सामान्य मध्यमवर्गीय शेख नानेसाहेब के परिवार में हुआ था. उस की मां शेख बिल्किस एक घरेलू महिला थीं. नौहेरा शेख उन की एकलौती संतान थी. उस ने अपनी शुरुआती शिक्षा इसलामिक मदरसे से पूरी की. घर में जब आर्थिक तंगी हुई तो शेख बिल्किस सब्जी व फैल बेचने लगी. बाद में नौहेरा शेख ने भी अपनी मां के साथ सब्जी व फल बेचने का काम शुरू किया.

कई सालों तक यही काम करने के साथसाथ उस ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उच्चशिक्षा हासिल कर ली. बाद में उस ने ओपन इंटरनैशनल यूनिवर्सिटी कोलंबो से पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर ली. अब वह डा. नौहेरा शेख बन गई थी.

कहते हैं शिक्षा के विकास के साथ इंसान में कुछ नया करने की सोच और जज्बा पैदा हो जाता है. नौहेरा खान के अंदर भी सामाजिक कार्य करने की इच्छा जागृत हुई तो उस ने 19 साल की उम्र में लड़कियों की शिक्षा के लिए हैदराबाद में पहला मदरसा खोला. साथ ही उस ने सब्जी बेचने का काम छोड़ कर पुराने कपड़ों की सेल लगानी शुरू कर दी.

नौहेरा शेख की सोच बहुत ऊंची थी. इसे साकार करने के लिए उस ने दूसरी योजना बना रखी थी. लेकिन उस के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत थी. अपने पिता का घर बेच कर इकट्ठे किए गए पैसों से उस ने महिलाओं का एक ग्रुप बनाया. ग्रुप की महिलाओं को उस ने अपनी योजना समझा दी थी. इस के बाद उन महिलाओं ने भी अपनी क्षमता के हिसाब से नौहेरा को पैसे दिए. फिर नौहेरा ने कमेटी बना कर गोल्ड की ट्रेडिंग शुरू कर दी.

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गोल्ड ट्रेडिंग से होने वाला मुनाफा वह कमेटी की महिलाओं में ईमानदारी के साथ उन के शेयर के हिसाब से बांट देती थी. नौहेरा की यह स्कीम चल निकली और जल्द ही उसे मोटा मुनाफा होने लगा.

ब्याजमुक्त हलाल निवेश

नौहेरा ने इस कारोबार का मुनाफा देख कर 10 साल पहले हीरा गोल्ड नाम से अपनी कंपनी बनाई और इस कंपनी के मार्फत गोल्ड की ट्रेडिंग शुरू कर दी. हीरा गोल्ड कंपनी में बड़ा फंड जुटाने के लिए नौहेरा ने उन लोगों को अपना टारगेट बनाया जो इसलाम धर्म को मानते हैं और सूदखोरी के पैसे को हराम समझते हैं.

उस ने ऐसे लोगों को टारगेट कर एक पौंजी स्कीम चलाई कि अगर वह उस की हीरा गोल्ड कंपनी में पैसा निवेश करेंगे तो उन्हें मूल रकम पर हर साल 32 से 40 फीसदी का मुनाफा देगी. उस ने इस स्कीम को ब्याज मुक्त हलाल निवेश का नाम दिया.

जो लोग सूदखोरी को हराम समझते थे, उन्हें लगा कि वह एक तरह से कंपनी के हिस्सेदार हैं और हिस्सेदारी भी अच्छी है. लिहाजा जल्द ही दक्षिण के राज्यों में रहने वाले मुसलिम समुदाय के तमाम लोगों ने बड़ीबड़ी रकम नौहेरा खान की कंपनी में निवेश करनी शुरू कर दी.

नौहेरा शेख लोगों का पैसा और मुनाफा समय पर अदा करने लगी तो लोगों में उस की कंपनी के लिए भरोसा बढा. अब डा. नौहेरा शेख ने अलगअलग नाम से दूसरे तरह के काम करने वाली और भी कई कंपनियां बना लीं. हर कंपनी का शुरू का नाम हीरा रखा गया. बाद में हीरा नाम की कंपनियों के इस समूह को उस ने हीरा ग्रुप औफ कंपनी का नाम दे दिया.

नौहेरा शेख ने भारत में अपना कारोबार बढ़ाने के बाद करीब 5 साल पहले इसलामिक देशों में अपना कारोबार बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया और अपना पहला दफ्तर दुबई में खोल दिया. चूंकि नौहेरा शेख ने अपनी पौंजी स्कीम को ब्याजमुक्त हलाल निवेश के रूप में प्रचारित किया था इसलिए दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, खाड़ी के दूसरे देशों में रहने वाले मुसलमान उस की कंपनियों में भारी निवेश करने लगे.

देखतेदेखते नौहेरा खान 5000 करोड़ के हीरा ग्रुप औफ कंपनीज की मालकिन बन गई. बाद में नौहेरा ने अपने कारोबार का ट्रैवल, फूड, टैक्सटाइल, कंस्ट्रक्शन और रिटेल जैसे क्षेत्र में विस्तार कर दिया. शुरुआत में उस ने हैदराबाद में एक एजुकेशन सेंटर चलाया. बाद में उसे बड़े स्कूल के रूप में परिवर्तित कर दिया गया. एजुकेशन के धंधे में मोटी कमाई को देखते हुए उस ने एक डीम्ड यूनिवर्सिटी भी खोल दी जिसे शुरू करने के लिए सरकारी प्रक्रिया चल ही रही थी कि उसी दौरान वह कानून के फंदे में फंस गई.

नोटबंदी का पड़ा उलटा असर

नौहेरा शेख ने लेगों को उन की गोल्ड ट्रेडिंग कंपनियों में निवेश करने पर 36 से 40 फीसदी तक रिटर्न देने का भरोसा दिया था. उस ने अपनी 21 कंपनियों में करीब 2 लाख लोगों से निवेश कराया और करोड़ों रुपए एकत्र कर लिए थे. सन 2016 में देश में हुई नोटबंदी और सन 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद हीरा ग्रुप की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो गईं.

इस के बाद नौहेरा की कंपनियों ने निवेशकों को पहले तो हर महीने की जगह तिमाही लाभांश देना शुरू किया लेकिन सन 2017 के अंत में घाटे का बहाना बना कर वादे के मुताबिक निवेशकों को रिटर्न देना ही बंद कर दिया. इतना ही नहीं कुछ लोगों ने जब मूल रकम वापस मांगी तो उस ने उन की मूल रकम भी नहीं लौटाई.

कंपनी ने तय समय में लोगों का पैसा नहीं लौटाया तो कई शहरों में नौहेरा और उस के हीरा ग्रुप के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया. बात हैदराबाद से शुरू हुई थी और धीरेधीरे तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और उड़ीसा तक पहुंच गई. निवेशकों ने उस के खिलाफ अलगअलग थानों में शिकायतें दर्ज करानी शुरू कर दीं. 1 लाख 72 हजार से ज्यादा लोगों ने हीरा ग्रुप में 3000 करोड़ से भी ज्यादा निवेश किया था.

इतना ही नहीं संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब में रहने वाले बहुत से एनआरआई ने भी इस कंपनी में अपनी मोटी रकम का निवेश किया था लेकिन शुरुआत में कुछ रिटर्न मिलने के बाद कंपनी ने उन की रकम हड़प ली. ऐसे एनआरआई आज तक अपनी रकम पाने के लिए विदेश मंत्रालय के जरिए कानूनी काररवाई में उलझे हुए हैं.

जब नौहेरा शेख के खिलाफ आए दिन लोग सड़कों पर उतर कर विरोध करने लगे तो पुलिस ने मामले को गंभीरता से लिया. अंतत: 17 अक्तूबर, 2018 को नौहेरा शेख को तेलंगाना पुलिस ने पहली बार गिरफ्तार किया.

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उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के साथी बीजू थामस और उस की पत्नी मौली थामस को भी गिरफ्तार कर लिया. बीजू थामस केरल की सुवान टेक्नोलौजी सोल्यूशन इंडिया का एमडी है.

थामस ने ही हीरा ग्रुप की कंपनियों के सौफ्टवेयर बनाए थे और वह हीरा ग्रुप के लेनदेन के खाते भी संभालता था. जबकि उस की पत्नी मौली थामस नौहेरा शेख की पीए के तौर पर काम करती थी. मीडिया में उस की छवि बनाने से ले कर देश और दुनिया भर की सेलिब्रिटीज से मिलवाने में नौहेरा की मदद करती थी.

हैदराबाद के पुलिस कमिश्नर अंजनी कुमार के निर्देश पर 10 सितंबर, 2018 को हैदराबाद के बंजारा हिल पुलिस स्टेशन में फरजाना उन्नेसिया मोहम्मद खाजा नाम की महिला की शिकायत पर पुलिस ने भादंवि की धारा 406 और 420 के साथ तेलंगाना वित्तीय जमा स्थापना अधिनियम 1999 औफ द प्राइज चिट्स एंड मनी सर्कुलेशन स्कीम प्रतिबंध अधिनियम 1978 के तहत पहला मामला दर्ज किया था.

फरजाना ने आरोप लगाया था कि उन के पति ने हीरा रिटेल कंपनी में 25 लाख रुपए का निवेश किया था, लेकिन कंपनी ने न तो लाभांश दिया और न ही मूल रकम लौटाई. नौहेरा के खिलाफ निवेशकों से कई सौ करोड़ रुपए ठगने के 16 मामले और दर्ज हो गए.

तेलंगाना पुलिस ने फिर दबोचा

यह मामला दर्ज होने के बाद नौहेरा शेख कानूनी शरण लेने के लिए दिल्ली भाग आई और राजनीतिक आकाओं के पास चक्कर लगाने लगी. लेकिन तभी भनक लगने पर तेलंगाना पुलिस ने दिल्ली आ कर उसे धर दबोचा. यहां से तेलंगाना पुलिस उसे ट्रांजिट रिमांड पर हैदराबाद ले गई. वहीं पर उस से ठगी के कारनामों और निवेशकों से धोखाधड़ी के बारे में विस्तार से पूछताछ हुई थी.

लेकिन इस मामले में चंद रोज बाद ही उसे तीनों को जमानत मिल गई. जमानत पर जेल से बाहर आते ही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने निवेशकों के साथ 300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में 26 अक्तूबर को उसे गिरफ्तार कर लिया. कई निवेशकों ने उस के हीरा समूह के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायतें मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज करवाई थीं.

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने 23 अक्तूबर को भिंडी बाजार निवासी शेन इलाही शेख की शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज की थी. शिकायतकर्ता का आरोप था कि उस ने हीरा गोल्ड में 6 लाख रुपए इन्वैस्ट किए थे. शेन ने पुलिस को बताया कि उसे निवेश पर 2.8 से 3.2 फीसदी की मंथली रिटर्न का वादा किया गया था. उसे कुछ महीनों तक रिटर्न मिला लेकिन जून में बंद हो गया. पुलिस को शेन की तरह दूसरे निवेशकों को 300 करोड़ रुपए की चपत लगाने से जुड़ी शिकायतें मिली थीं.

लेकिन अपने पैसे और रसूख के कारण इस मामले में भी नौहेरा शेख और उस के साथियों को जल्द जमानत मिल गई. वह खुली हवा में सांस ले पाती, उस से पहले ही ठाणे पुलिस ने नौहेरा को गिरफ्तार कर लिया. ठाणे में उस के खिलाफ करीब 150 लोगों ने ऐसे ही आरोपों के आधार पर मामला दर्ज कराया था.

अब तक अलगअलग जगह की पुलिस ने नौहेरा शेख से जो पूछताछ की थी उस के मुताबिक पता चला कि हीरा समूह की प्रबंध निदेशक नौहेरा शेख ने कई तरह की निवेश योजनाएं शुरू की हुई थीं, जिन के बारे में दावा किया गया था कि वह वित्त से जुड़े इसलामिक सिद्धांतों के अनुरूप है.

मुसलिमों को ही बनाया था टारगेट

यही कारण था कि नौहरा शेख के अधिकांश निवेशक मुसलिम समुदाय से थे, जिन्हें उस ने ब्याजमुक्त हलाल बिजनैस का वादा कर के फंसाया था. उस की कंपनियों ने सोने में इन्वैस्टमेंट की स्कीम शुरू की जिस में मूल जमा पर 36 प्रतिशत से अधिक के वार्षिक रिटर्न का वादा किया गया था.

चूंकि नौहेरा शेख व उस की कंपनियों के खिलाफ कई राज्यों में आर्थिक धोखाधड़ी के मामले दर्ज हो चुके थे और इस का सीधा संबंध वित्तीय घोटाले के अलावा फंड के दुरुपयोग से जुड़ा था, इसलिए राज्यों की पुलिस ने इस बाबत प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिख कर मनी लौंड्रिंग एक्ट के तहत जांच करने का अनुरोध किया. लिहाजा ईडी ने भी इन शिकायतों के आधार पर मनी लौंड्रिंग एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

प्रवर्तन निदेशालय की जांच में यह भी पता चला कि नौहेरा शेख ने हीरा ग्रुप की 21 कंपनियों के नाम भारत में 182 बैंक खाते खोल रखे थे. ईडी ने जांचपड़ताल शुरू की तो यह भी पता चला कि यूएई में भी उस की कंपनियों के 10 खाते हैं. ईडी इन सभी खातों में जमा धन की ट्रांजैक्शन पर रोक लगाने की काररवाई शुरू कर चुकी है.

प्रवर्तन निदेशालय भी जुटा जांच में

जांच में पता चला है कि नौहेरा शेख ने इन सभी बैंक खातों में जमा निवेशकों की रकम को अपने व साथियों के निजी बैंक खातों में ट्रांसफर कर के इस रकम से चलअचल संपत्तियां खरीद ली थीं. ज्यादातर फंड को दूसरे काम में निवेश कर दिया था.

ईडी के पास इन तमाम साक्ष्यों के बाद इस बात का पुख्ता आधार है कि उस के खिलाफ मनी लौड्रिंग एक्ट यानी धनशोधन कानून के तहत धन का गलत दुरुपयोग किया है. ईडी ने पुख्ता आधार मिलने के बाद ही 16 मई, 2019 को डा. नौहेरा शेख, उस के साथी बीजू थामस और बीजू की पत्नी मौली थामस को ठाणे पुलिस से अपनी हिरासत में ले लिया.

ईडी ने तीनों को 7 दिन की पूछताछ के लिए अपनी हिरासत में रख कर पूछताछ की तो पता चला कि महाठगिनी डा. नौहेरा शेख ने अपनी उच्चशिक्षा और मुसलिम समाज के कुछ नियमों की आड़ में ठगी के कारनामों को अंजाम दिया था.

वैसे नौहरा शेख की पहली मुसीबत सन 2016 में तब शुरू हुई थी, जब मुंबई पुलिस ने एक हवाला रैकेट का परदाफाश करते हुए उस की कंपनी में काम करने वाले 2 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था. उन से पता चला था कि हीरा ग्रुप का संबंध हवाला करोबार से भी है.

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लेकिन तब तक नौहेरा शेख राजनीति और नौकरशाही में अपना बड़ा रसूख बना चुकी थी. समाजसेवा के नाम पर नौहेरा ने देश के बड़े राजनेताओं और सेलिब्रिटीज से संबंध बना लिए थे. हीरा ग्रुप की कंपनियों के समारोहों में राजनेताओं के अलावा बौलीवुड के बड़ेबड़े कलाकारों को बुलाया जाता था.

कारोबार से ले कर सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों में रसूखदार लोगों के साथ तसवीरें खिंचवा कर उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल कर के नौहेरा शेख अपना कारोबार बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करती थी. ऐसी तस्वीरें इंटरनेट पर खूब देखी जा सकती हैं.

इंटरनेट पर मौजूद ये तमाम तसवीरे इस बात की भी गवाही देती हैं कि नौहेरा देशविदेश में फैशन, फिल्म और शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले चैरिटी समारोह में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बुलेट ट्रेन प्रोजैक्ट की आधारशिला रखी तो नौहेरा शेख ने कई शहरों में मोदी को धन्यवाद देने के लिए हीरा ग्रुप की तरफ से होर्डिंग और पोस्टर लगवाए थे, जिन में नौहेरा शेख के बड़ेबड़े फोटो लगे थे और वो पीएम मोदी का शुक्रिया अदा कर रही थी.

महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ भी नौहेरा की तसवीरें मौजूद हैं. यही कारण था कि देश के लाखों निवेशकों को नौहेरा शेख और हीरा ग्रुप की कंपनियों की विश्वसनीयता पर भरोसा हो गया था. इसे देख कर ही निवेशक हीरा ग्रुप में निवेश करने लगते थे.

सियासत की गलियों में अपना कद ऊंचा रखने के लिए भी नौहेरा शेख अपनी काली कमाई को दोनों हाथों से खर्च करती थी. केरल में बाढ़ सहायता के नाम पर जब नौहेरा शेख ने केरल सरकार को एक करोड़ रुपए की सहायता राशि का चैक दिया तो अखबारों के पन्ने उस की तारीफों से रंग गए.

नौहेरा शेख अपने इसी रसूख के कारण लंबे समय तक कानून के शिकंजे में आने से बचती रही थी.

ग्रैजुएशन करने के बाद नौहेरा शेख ने बिजनैस मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की और उस ने लड़कियों के लिए मदरसा भी शुरू किया. सन 2017 में नौहेरा शेख को दुबई के प्रिंस के हाथों संयुक्त अरब अमीरात की टौप बिजनैस वूमेन का अवार्ड भी मिला था.

सन 2017 में नौहरा शेख ने औल इंडिया महिला इंपौवरमेंट पार्टी यानी एमईएम का गठन किया और उस की पार्टी ने अगले ही साल कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के में सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे.

इस चुनाव के दौरान नौहेरा की पार्टी ने तीन तलाक पर आए आदेश का सर्मथन किया तो उस की पार्टी सियासी लोगों के निशाने पर आ गई. लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि उस की पार्टी को इस चुनाव में बौलीवुड के कई अभिनेताओं का समर्थन मिला था.

सियासत में भी हो गई फेल

बौलीवुड के दबंग सलमान खान के भाई अरबाज खान, सोहेल खान, संजय दत्त, सोनू सूद, अभिनेत्री ईशा गुप्ता, टेनिस स्टार सानिया मिर्जा, फराह खान तक ने उस की पार्टी के समर्थन में प्रचार किया था.

चुनाव के बाद जब नौहेरा खान के हीरा ग्रुप की कंपनियां निवेशकों को उन का पैसा लौटाने में नाकामयाब रही थीं, तो अलगअलग राज्यों में उस की कंपनी के खिलाफ शिकायतें दर्ज होने लगीं और फिर वह कानून के शिकंजे में फंस गई.

कथा लिखे जाने तक नौहेरा शेख, बीजू थामस और उस की पत्नी मौली थामस से प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ चल रही थी.द्य

एक और निर्भया…

इस लड़की को निर्भया नाम दिया गया था. लेकिन अब अगर गैंगरेप का कोई मामला होता है तो लड़की या महिला को निर्भया कह देते हैं. जबकि निर्भया शब्द उस के लिए सही नहीं है. अगर वह निर्भया होती तो… लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी. राजस्थान में 2 चरणों में मतदान होना था. पहले चरण में 13 सीटों के लिए 29 अप्रैल को वोट डाले जाने थे, जबकि दूसरे चरण में 12 सीटों के लिए 6 मई को मतदान होना था. पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार जोरों पर था. एक तरफ सूरज आग उगल रहा था और दूसरी तरफ सियासत की गरमी थी. अलवर जिले में एक तहसील है थानागाजी. अलवरजयपुर स्टेट हाइवे पर विश्व प्रसिद्ध सरिस्का बाघ अभयारण्य थानागाजी तहसील मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर है.

बीती 26 अप्रैल की बात है, दोपहर के करीब 3 बजे थे. आसमान में कुछ बादल घिर आने से सूरज के तेवर कम हो गए थे. थानागाजी इलाके में एक नवदंपति मोटरसाइकिल पर तालवृक्ष की तरफ जा रहे थे. पति मोटरसाइकिल चला रहा था और पत्नी निर्भया उस के पीछे बैठी थी. निर्भया 19 साल की थी और उस का पति 20 साल का. दोनों की कुछ ही दिन पहले शादी हुई थी.

थानागाजी अलवर बाइपास पर दुहार चौगान वाले रास्ते से कुछ दूर अचानक 2 मोटरसाइकिलों पर सवार 5 युवक तेजी से उन के पास आए. इन युवकों ने नवदंपति की बाइक के आगे अपनी मोटरसाइकिलें लगा कर उन्हें रोक लिया. पतिपत्नी समझ ही नहीं पाए कि क्या बात हो गई, उन्हें क्यों रोका गया.

वे कुछ सवाल करते, इस से पहले ही पांचों युवक उन्हें धमकाते और अश्लील शब्द कहते हुए वहां से सड़क के एक तरफ कुछ दूर बने रेत के बड़ेबडे़ टीलों की तरफ ले गए. रेत के ये टीले इतने ऊंचेऊंचे थे कि उन के पीछे क्या हो रहा है, सड़क से गुजरते लोगों को पता नहीं लग सकता था. टीलों के पीछे से सड़क तक आवाज भी नहीं पहुंच सकती थी.

पतिपत्नी को रेत के टीलों के पीछे ले जा कर पांचों युवकों ने उन से मारपीट की. पति को अधमरा कर एक तरफ बैठा दिया गया. फिर पांचों युवकों ने 19 साल की उस निर्भया से दरिंदगी की. पति ने पत्नी को बचाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह दरिंदों का मुकाबला नहीं कर सका.

पांचों दरिंदे निर्भया को नोचते रहे. वह हाथ जोड़ कर छोड़ने की भीख मांगती रही, लेकिन दरिंदे अपने साथियों की मर्दानगी पर हंसते और अट्टहास लगाते रहे. निर्भया चीखती रही, लेकिन उस की आवाज उस जंगली इलाके के रेतीले टीबों में ही गूंज कर रह गई.

दरिंदों ने निर्भया के कपड़े फाड़ कर दूर फेंक दिए. इस दौरान वे हैवान अपने मोबाइल से दरिंदगी का वीडियो भी बनाते रहे. इस दौरान युवक आपस में छोटेलाल, जीतू और अशोक के नाम ले रहे थे. जब दरिंदों का मन भर गया तो उन्होंने निर्भया के पति का मोबाइल नंबर लिया. फिर उसे जान से मारने और वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर पांचों मोटरसाइकिलों पर सवार हो कर भाग गए.

उन के जाने के काफी देर बाद तक लुटेपिटे पतिपत्नी एकदूसरे को ढांढस बंधाते हुए अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाते रहे. कुछ देर बाद जब उन के होशहवास ठीक हुए तो वे फटे कपड़े लपेट कर मोटरसाइकिल से अपने गांव गए.

गांव पहुंच कर उन्होंने घर वालों को इस घटना के बारे में बताया. निर्भया और उस का पति अनुसूचित जाति से होने के साथ गरीब भी थे. दरिंदगी का वीडियो वायरल करने, पति को मारने की धमकी दिए जाने के कारण निर्भया ने उस समय पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज नहीं कराई. घटना के दूसरे दिन निर्भया अपने मायके चली गई और उस का पति जयपुर चला गया, जहां वह पढ़ रहा था.

तीसरे दिन 28 अप्रैल की सुबह निर्भया के पति के मोबाइल पर छोटेलाल का फोन आया. वह मिलने के लिए कह रहा था. निर्भया के पति ने मना किया तो उस ने कहा, ‘‘बेटा, मिलना तो तुझे पड़ेगा वरना वीडियो वायरल कर देंगे.’’

निर्भया के पति ने कहा कि तुम से मेरा भाई मिल लेगा. उस ने छोटेलाल को चचेरे भाई का मोबाइल नंबर दे दिया. इस के बाद पति ने यह बात अपने चचेरे भाई को बता दी. उस ने यह सच्चाई निर्भया के पति के सगे भाई को बता दी. छोटेलाल उसे कभी कराणा बुलाता तो कभी थानागाजी आने की बात कहता.

दोपहर में छोटेलाल का फिर फोन आया और उस ने 10 हजार रुपए की डिमांड की. निर्भया के पति ने कहा कि मैं पढ़ता हूं, 10 हजार कहां से दूंगा. इस पर उस ने कहा, ‘‘देने तो पड़ेंगे चाहे एक हजार रुपए कम दे देना.’’

 

वीडियो वायरल के डर से निर्भया के पति ने उसे कुछ हजार रुपए भिजवा भी दिए. पति के भाई ने यह बात पिता को बताई तो उन्होंने अपने बेटे को जयपुर से बुलवा लिया.

रुपए ऐंठने के बाद भी दरिंदों ने निर्भया के पति को काल कर के फिर पैसे मांगे तो निर्भया का परिवार अपने परिचितों के माध्यम से थानागाजी के विधायक कांती मीणा के पास पहुंचा. उन्होंने विधायक को सारी बात बताई. विधायक ने उन की रिपोर्ट दर्ज करवाने और आरोपियों के खिलाफ काररवाई कराने का आश्वासन दिया, लेकिन चुनाव के बाद.

30 अप्रैल को निर्भया और उस का पति अलवर जा कर एसपी राजीव पचार से मिले. निर्भया ने रोतेरोते एसपी को पति के सामने हुए सामूहिक दुष्कर्म की आपबीती बताई. एसपी ने थानागाजी के थानाप्रभारी सरदार सिंह को वाट्सऐप पर पीडि़ता की रिपोर्ट भेज कर मुकदमा दर्ज करने को कहा.

पुलिस को गैंगरेप भी मामूली सी घटना लगा

 

पुलिस ने इस शर्मनाक वारदात को भी साधारण तरीके से लिया. थानागाजी थानाप्रभारी ने 2 मई को दोपहर 2.31 बजे इस मामले में धारा 147, 149, 323, 341, 354बी, 376डी, 506 आईपीसी और एससी/एसटी ऐक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया. रिपोर्ट में छोटेलाल गुर्जर निवासी कराणा बानसूर और जीतू व अशोक के नाम थे, जबकि 2 आरोपी अज्ञात थे.

भले ही पुलिस ने घटना के 7वें दिन मुकदमा दर्ज कर लिया, लेकिन मीडिया से इसे छिपा लिया. पुलिस ने मामले की जांच में भी लापरवाही बरती. उस दिन पीडि़ता का मैडिकल भी नहीं कराया गया. न ही अभियुक्तों को पकड़ने की कोई काररवाई की गई.

पुलिस को यह बात भी बता दी गई थी कि दरिंदे बारबार फोन कर के वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन पुलिस ने न तो इसे गंभीरता से लिया और न ही इस के दूरगामी परिणामों के बारे में सोचा.

 

रिपोर्ट दर्ज होने के दूसरे दिन 3 मई को पुलिस ने अलवर में पीडि़ता का मैडिकल कराया. पुलिस ने उसी दिन पीडि़ता, उस के पति, पिता और ससुर के बयान दर्ज किए. उसी दिन पुलिस ने पीडि़ता को साथ ले जा कर मौका नक्शा बनाया.

लापरवाही इतनी रही कि एक आरोपी का नामपता और मोबाइल नंबर होने के बावजूद पुलिस ने उसे पकड़ना तो दूर, उसे थाने बुलाने की जहमत तक नहीं उठाई. इस से उन दरिंदों के हौसले बढ़ गए. इस बीच फोन पर बारबार धमकाने के बावजूद जब दोबारा पैसे नहीं मिले तो दरिंदों ने 4 मई को सोशल मीडिया पर वे वीडियो वायरल कर दिए, जो उन्होंने निर्भया से दरिंदगी करते हुए बनाए थे.

6 मई तक ये वीडियो असंख्य मोबाइलों तक पहुंच चुके थे. 6 मई को ही राजस्थान में अलवर सहित 12 लोकसभा सीटों के लिए मतदान था. मतदान के बाद पुलिस ने इस घटना को मीडिया में उजागर किया. तब तक सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो बम बन चुका था, जो किसी भी गैरतमंद आदमी को हिला देने के लिए काफी था.

7 मई को राजस्थान के मीडिया में थानागाजी गैंगरेप की सुर्खियों ने लोकसभा चुनाव की गरमी को भी ठंडा कर दिया. मीडिया ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगाते हुए सवाल उठाए कि चुनाव के कारण इस घटना का खुलासा नहीं कर पुलिस क्या किसी को सियासी फायदा देना चाहती थी? या फिर समझौता कर इस मामले को रफादफा करना चाहती थी? पुलिस कहीं आरोपियों के पक्ष में तो नहीं थी? अगर ऐसा नहीं था तो वीडियो वायरल होने के बाद ही पुलिस ने यह घटना उजागर क्यों की?

 

वीडियो वायरल होने से यह घटना पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई. इस के बाद सरकार और पुलिस अफसरों की नींद खुली. सरकार ने आननफानन में अलवर के एसपी आईपीएस अधिकारी राजीव पचार को हटा कर पदस्थापन की प्रतीक्षा में रख दिया. थानागाजी के थानाप्रभारी सरदार सिंह को निलंबित कर दिया गया. इसी थाने के एएसआई रूपनारायण, कांस्टेबल रामरतन, महेश कुमार और राजेंद्र को लाइन हाजिर कर दिया गया.

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि पुलिस की ओर से अगर किसी भी स्तर पर लापरवाही हुई है तो सख्त काररवाई होगी. महिला सुरक्षा के प्रति सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना को बेहद शर्मनाक बताया.

डीजीपी कपिल गर्ग ने जयपुर में प्रैस कौन्फ्रैंस कर कहा कि थानागाजी थाने के सभी पुलिसकर्मियों की भूमिका की जांच की जाएगी. रिपोर्ट दर्ज होने के 5 दिन तक निष्क्रिय बैठी पुलिस ने आननफानन में अभियुक्तों को पकड़ने के लिए 14 टीमों का गठन कर दिया. अलवर से ले कर दिल्ली, गुड़गांव और बीकानेर तक पुलिस टीमें भेजी गईं.

पुलिस ने भागदौड़ कर एक 22 वर्षीय अभियुक्त इंदराज गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. वह जयपुर जिले के प्रागपुरा का रहने वाला था. इस के अलावा वीडियो वायरल करने के आरोप में काली खोहरा निवासी मुकेश गुर्जर को सरिस्का के जंगल से पकड़ा गया.

 

गैंगरेप में भी राजनीति

 

सामूहिक दुष्कर्म की घटना सामने आने पर एक ओर जहां लोगों में गुस्सा था, वहीं राजनीति भी शुरू हो गई थी. थानागाजी कस्बे में सर्वसमाज की विशाल पंचायत हुई. इस में राज्यसभा सांसद डा. किरोड़ीलाल मीणा और थानागाजी विधायक कांती मीणा भी शामिल हुए.

पंचायत में फैसला लिया गया कि 24 घंटे में सभी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर कस्बे के बाजार बंद कर आंदोलन किया जाएगा. डा. किरोड़ीलाल मीणा ने 8 मई को हजारों कार्यकर्ताओं के साथ जयपुर में मुख्यमंत्री कार्यालय का घेराव करने की भी चेतावनी दी. राजनीति में ऐसा ही होता है.

जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने तुरतफुरत पीडि़ता को 4 लाख 12 हजार 500 रुपए की आर्थिक सहायता राशि मंजूर कर दी. दरअसल एससी/एसटी की महिला से दुष्कर्म का मुकदमा होने पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से प्रथम किस्त के रूप में इतनी राशि देने का प्रावधान है.

 

8 मई को इस घटना के विरोध में अलवर से ले कर जयपुर तक धरनाप्रदर्शन होते रहे. थानागाजी में हजारों लोगों ने अलवरजयपुर सड़क मार्ग जाम कर दिया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की. विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, मंत्री और अधिकारी पीडि़ता से मिलने के लिए थानागाजी से 7 किलोमीटर दूर उस के गांव पहुंच गए.

लोगों ने कहा कि पुलिस प्रशासन के साथ नेता भी कम जिम्मेदार नहीं हैं. हम ने घटना की जानकारी देने के लिए कई नेताओं को फोन किए लेकिन किसी ने मदद नहीं की.

पीडि़त परिवार ने राजस्थान सरकार के श्रम राज्यमंत्री और अलवर ग्रामीण के विधायक टीकाराम जूली को 30 अप्रैल को फोन किया तो उन्होंने कहा कि अभी चुनाव में व्यस्त हैं. बाद में जूली ने माना कि फोन आया था, लेकिन यह नहीं पता था कि मामला इतना गंभीर है.

जयपुर में राज्यसभा सांसद डा. किराड़ीलाल मीणा एवं पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री आवास के पास सिविललाइन फाटक पर प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारी और पुलिस आपस में गुत्थमगुत्था हो गए. आधे घंटे तक हंगामा होता रहा.

बाद में प्रदर्शनकारियों ने राजभवन जा कर राज्यपाल के नाम ज्ञापन दिया. राजस्थान यूनिवर्सिटी में एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री के पुतले के साथ प्रदर्शन किया. अलवर में विभिन्न संगठनों के अलावा महिलाओं ने भी जुलूस निकाले और अधिकारियों को ज्ञापन दिए.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले में प्रसंज्ञान ले कर राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया. साथ ही मुख्य सचिव और महानिदेशक से 6 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी.

इस मामले में उस समय नया मोड़ आ गया, जब पीडि़ता के पति ने राज्य के पूर्वमंत्री और थानागाजी के पूर्व विधायक हेमसिंह भड़ाना पर समझौते का दबाव बनाने का आरोप लगाया. हालांकि भड़ाना ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बता कर सिरे से नकार दिया.

पुलिस ने 8 मई की रात तक 3 अन्य आरोपियों अशोक गुर्जर, महेश गुर्जर और हंसराज गुर्जर को भी गिरफ्तार कर लिया. मुख्य आरोपी छोटेलाल गुर्जर अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगा था.

9 मई को भी अलवर और जयपुर सहित पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन होता रहा. इस के बावजूद सरकार की लापरवाही रही कि वायरल वीडियो ब्लौक करने के लिए सोशल मीडिया कंपनियों को निर्देश तक नहीं दिए. यह वीडियो गूगल, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया पर 9 मई तक पीडि़तों की इज्जत तारतार करता रहा. भाजपा ने अलवर में धरना दे कर मामले की जांच सीबीआई से कराने, पीडि़ता को 50 लाख रुपए मुआवजा देने, एसपी व थानाप्रभारी पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की.

 

महिला आयोग भी आया आगे

 

राष्ट्रीय महिला आयोग के दल ने थानागाजी पहुंच कर पीडि़ता से मुलाकात की. आयोग की सदस्य डा. राहुल बेन देसाई और नेहा महाजन ने इस दौरान मौजूद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजिलेंस गोविंद गुप्ता और आईजी एस. सेंगाथिर को सोशल मीडिया पर वीडियो फोटो अपलोड करने वालों पर तुरंत एक्शन लेने के निर्देश दिए. देश भर से विभिन्न जनसंगठनों के पदाधिकारी भी थानागाजी पहुंचे और पीडि़त परिवार से मिले.

पुलिस ने घटना के 13 दिन बाद मुख्य आरोपी छोटेलाल गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. उसे सीकर जिले के अजीतगढ़ से पकड़ा गया, जहां वह एक ट्रक में छिपा हुआ था. छोटेलाल इस ट्रक में सवार हो कर गुजरात भागने की फिराक में था. छोटे शराब की दुकान पर सेल्समैन का काम करता था. बानसूर के रतनपुरा गांव निवासी छोटेलाल के खिलाफ 2 आपराधिक मामले पहले से दर्ज हैं.

दूसरी ओर, पुलिस ने अलवर की अदालत में पीडि़ता के धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए. वहीं, राज्य सरकार ने मामले की प्रशासनिक जांच के लिए जयपुर के संभागीय आयुक्त को नियुक्त किया. इस के अलावा चुनाव आचार संहिता लगी होने के कारण निर्वाचन आयोग से अनुमति मिलने के बाद आईपीएस औफिसर देशमुख पारिस अनिल को अलवर का एसपी नियुक्त किया गया.

पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाने पर 10 मई को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष एल. मुरुगन इस घटना की जांच करने थानागाजी पहुंचे. वे पीडि़ता और उस के परिवार से भी मिले. इस दौरान राजस्थान के मुख्य सचिव डी.बी. गुप्ता और पुलिस महानिदेशक कपिल गर्ग मौजूद रहे.

आयोग के उपाध्यक्ष ने पीडि़ता से मुलाकात के बाद कहा कि 30 अप्रैल को एसपी को परिवाद देने के बाद भी पुलिस ने 2 मई को मुकदमा दर्ज किया और 7 मई को ऐक्शन में आई, यह साफतौर पर सरकार की लापरवाही है. हम राज्य सरकार की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं.

फिलहाल प्रशासन को पीडि़ता के परिवार की नौकरी की मांग और सरकारी सहायता देने के लिए कहा गया है. इस के अलावा केस दर्ज करने में लापरवाह पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और और पीडि़त परिवार की स्थाई सुरक्षा की व्यवस्था करने को भी कहा गया है.

मुरुगन ने कहा कि आयोग के निर्देश पर यूट्यूब से घटना के वीडियो हटवाए गए हैं. पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए हर जरूरी कदम उठा रहे हैं.

 

जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उच्चस्तरीय बैठक कर ऐसे मामलों में कड़े कदम उठाने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि अगर कोई थानेदार थाने में एफआईआर दर्ज नहीं करेगा तो एसपी को दर्ज करनी होगी. ऐसे थानेदार के खिलाफ सख्त काररवाई होगी. महिला अत्याचार की घटनाओं की मौनिटरिंग के लिए हर जिले में महिला सुरक्षा डीएसपी का नया पद सृजित किया जाएगा.

यह सिर्फ महिलाओं के अपहरण, दुष्कर्म, गैंगरेप आदि मामलों की जांच करेगा. यह डीएसपी महिला थानों की मौनिटरिंग के साथ सामाजिक न्याय व महिला बाल विकास विभाग से समन्वय स्थापित करेगा और महिलाओं व बच्चों पर होने वाले अत्याचार के मामलों में काररवाई करेगा. गहलोत ने कहा कि थानागाजी के मामले को केस औफिसर स्कीम में ले कर आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी.

11 मई को थानागाजी गैंगरेप मामले में देश की सियासत गरमा गई. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजस्थान सरकार को सीधे निशाने पर लिया.

मोदी ने कहा कि अलवर में एक दलित बेटी के साथ कुछ दरिंदों ने सामूहिक दुष्कर्म किया, लेकिन राजस्थान में चुनाव थे इसलिए वहां की कांग्रेस सरकार और पुलिस इस मामले को दबाने में जुटी रही.

 

पीडि़त से हमदर्दी सिर्फ नाम की,

बस मुद्दा उछलता रहा

 

मायावती ने लखनऊ में आयोजित चुनावी रैली में इसे अतिघृणित घटना बताते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि कांग्रेस सरकार के चलते उस दलित महिला को इंसाफ मिलेगा.

पुलिस ने इस मामले में अलवर जेल में न्यायिक अभिरक्षा भुगत रहे 3 आरोपियों हंसराज गुर्जर, महेश गुर्जर व इंदरराज गुर्जर की शिनाख्त परेड कराई. इस के बाद इन्हें 13 मई तक रिमांड पर लिया गया. 3 आरोपी पहले ही 13 मई तक रिमांड पर थे. बाद में अदालत से सभी 6 आरोपियों की रिमांड अवधि 16 मई तक बढ़वा ली गई.

14 मई को इस मामले में जयपुर कूच करने निकले सांसद डा. किरोड़ीलाल और उन के समर्थकों ने दौसा में जयपुरदिल्ली रेलवे ट्रैक जाम करने का प्रयास किया. पुलिस ने खदेड़ा तो किरोड़ी समर्थकों ने पथराव किया. पथराव के कारण कई ट्रेनें बीच रास्ते में रोक दी गईं. काफी देर तक लाठीभाटा जंग होती रही.

इस जंग में 5 पुलिसकर्मियों सहित 8 लोग घायल हो गए. एसपी व एडीएम सहित कई अधिकारियों को भी चोटें आईं. बाद में पुलिस ने किरोड़ी के साथ पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौड़, विधायक हनुमान बेनीवाल व गोपीचंद को गिरफ्तार कर लिया. हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.

दूसरी ओर, पीडि़ता के पिता ने कहा कि उन का परिवार इस घटना के बाद लोगों के आनेजाने और इस से हुई बदनामी से परेशान है. उन्होंने सरकार से मांग की कि पीडि़त दंपति को सरकारी नौकरी दे कर किसी ऐसी जगह भेज दिया जाए, जहां उन्हें कोई न पहचान सके. 7 दिन में इतने नेता और लोग घर पहुंचे कि पूरे देश और समाज को पता चल गया कि वीडियो में दिखे पतिपत्नी का मकान यह है.

15 मई को भी अलवर व जयपुर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में आंदोलन होते रहे. थानागाजी में सर्वसमाज ने आक्रोश रैली निकाली. इस दिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का थानागाजी आने का कार्यक्रम था लेकिन मौसम खराब होने से उन का हेलीकौप्टर दिल्ली से उड़ान नहीं भर सका.

16 मई को राहुल गांधी थानागाजी क्षेत्र में पीडि़ता से मिलने उस के घर पहुंचे. राहुल ने पीडि़ता, उस के पति और उस के परिवार के लोगों से करीब 15 मिनट तक अकेले में बात कर घटना की जानकारी ली. घटना के बारे में बताते हुए पीडि़ता व उस का पति रो पड़े तो राहुल भी भावुक हो गए.

 

राजनीति के लिए नेताओं के घडि़याली आंसू

 

राहुल ने पीडि़ता के पति को गले लगाया अैर कहा कि यह राजनीति नहीं है, आप को न्याय जरूर मिलेगा. परिवार ने पीडि़ता व उस के पति के पुनर्वास, सरकारी नौकरी व आरोपियों को कठोर सजा दिलाने की मांग रखी.

इस दौरान मौजूद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि पीडि़ता के लिए सरकारी नौकरी का इंतजाम किया जाएगा. अलवर जिले में अपराध के आंकड़ों को देखते हुए 2 एसपी लगाए जाएंगे. इस केस में 7 दिनों में चालान पेश कर दिया जाएगा.

पुलिस ने सभी आरोपियों को रिमांड अवधि पूरी होने पर अलवर की अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस ने अदालत में अर्जी पेश कर पीडि़ता के पति को मोबाइल पर धमकी दे कर 10 हजार रुपए मांगने के आरोपी छोटेलाल की आवाज के नमूने लेने की अनुमति मांगी.

17 मई को इस मामले की प्रशासनिक जांच कर रहे जयपुर के संभागीय आयुक्त के.सी. वर्मा ने अलवर में जनसुनवाई कर घटना से संबंधित तथ्य जुटाए. दूसरी ओर राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने राजस्थान में बढ़ रहे यौन अपराधों के मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक और सरकार से जवाब तलब किया है.

यह विडंबना ही है कि चुनाव के दौरान थानागाजी का यह मामला पूरे देश में चर्चा में आ गया. इस से राजनीति में भी उबाल आया. सभी प्रमुख दलों के नेता बयानबाजी करते रहे. कुछ लोग राजनीतिक रोटियां भी सेकते रहे. जबकि जरूरत थी पीडि़ता का दर्द कम करने की. इस के लिए जरूरी था कि राजनीति बंद होती.

 

पीडि़ता का पुनर्वास होना जरूरी है. सरकारी नौकरी से उसे कुछ सहारा मिलेगा तो शायद वह अपने कामकाज में व्यस्त हो कर दिल दहलाने वाली इस घटना को भुलाने की कोशिश कर सके. साथ ही ऐसे दरिंदों को कठोर सजा मिलनी चाहिए, ताकि ऐसी मानसिकता के लोगों को सबक मिल सके.

थानागाजी गैंगरेप मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज होने के 16 दिन बाद 18 मई को अलवर की अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी. 500 पेज की चार्जशीट में 6 आरोपी हैं. इनमें 5 मुलजिमों के खिलाफ गैंगरेप, अपहरण, रास्ता रोकने, मारपीट, निर्वस्त्र करने, जातिसूचक शब्द बोलने, मानसम्मान को ठेस पहुंचाने, डकैती व धमकी देने सहित प्रताडि़त करने और एक अभियुक्त पर वीडियो वायरल करने का आरोप है.

पुलिस ने मामले की त्वरित सुनवाई के लिए केस औफिसर नियुक्त किया है. अदालत में दिनप्रतिदिन सुनवाई के लिए अरजी दी गई है, ताकि आरोपियों को जल्द सजा मिल सके. पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ जिन धाराओं में चालान पेश किया है, उन में आरोप साबित होने पर इन दरिंदों को मरते दम तक उम्रकैद की सजा हो सकती है.

मामले का वीडियो फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने पर पुलिस ने यूट्यूब पर बने एक चैनल टौप न्यूज 24 के खिलाफ अलवर शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया है. यह मुकदमा कोतवाली थानाप्रभारी कन्हैयालाल ने खुद दर्ज कराया है.

दूसरी ओर, सरकार ने पीडि़ता को सरकारी नौकरी देने की तैयारी शुरू कर दी है. सरकार ने उसे राजस्थान पुलिस या जेल पुलिस में से कोई एक कांस्टेबल पद चुनने का विकल्प दिया है. इस में पीडि़ता ने राजस्थान के जयपुर सिटी में पोस्टिंग मांगी है.   द्य

—पीडि़ता का निर्भया नाम काल्पनिक है

 

 

50 करोड़ का खेल

लेखक- निखिल अग्रवाल

21मार्च, 2019 की बात है. उस दिन होली थी. होलिका दहन के अगले दिन रंग गुलाल से खेले जाने वाले त्यौहार का आमतौर पर दोपहर तक ही धूमधड़ाका रहता है. दोपहर में रंगेपुते लोग नहाधो कर अपने चेहरों से रंग उतारते हैं. फिर अपने कामों में लग जाते हैं. कई जगह शाम के समय लोग अपने परिचितों और रिश्तेदारों से मिलने भी जाते हैं. भीलवाड़ा के पाटील नगर का रहने वाला शिवदत्त शर्मा भी होली की शाम अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने के लिए अपनी वेरना कार से बापूनगर के लिए निकला था. शिवदत्त ने जाते समय पत्नी शर्मीला से कहा था कि वह रात तक घर आ जाएगा. थोड़ी देर हो जाए तो चिंता मत करना.

शिवदत्त जब देर रात तक नहीं लौटा तो शर्मीला को चिंता हुई. रात करीब 10 बजे शर्मीला ने पति के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद शर्मीला घरेलू कामों में लग गई. उस के सारे काम निबट गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया था. शर्मीला ने दोबारा पति के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ ही मिला. उसे लगा कि शायद पति के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई होगी, इसलिए स्विच्ड औफ आ रहा है.

शर्मीला बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी. धीरेधीरे रात के 12 बज गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया. इस से शर्मीला को चिंता होने लगी. वह पति के दोस्त राजेश त्रिपाठी को फोन करने के लिए नंबर ढूंढने लगी, लेकिन त्रिपाठीजी का नंबर भी नहीं मिला.

शर्मीला की चिंता स्वाभाविक थी. वैसे भी शिवदत्त कह गया था कि थोड़ीबहुत देर हो जाए तो चिंता मत करना, लेकिन घर आने की भी एक समय सीमा होती है. शर्मीला बिस्तर पर लेटेलेटे पति के बारे में सोचने लगी कि क्या बात है, न तो उन का फोन आया और न ही वह खुद आए.

पति के खयालों में खोई शर्मीला की कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला. त्यौहार के कामकाज की वजह से वह थकी हुई थी, इसलिए जल्दी ही गहरी नींद आ गई.

 

वाट्सऐप मैसेज से मिली

पति के अपहरण की सूचना

 

22 मार्च की सुबह शर्मीला की नींद खुली तो उस ने घड़ी देखी. सुबह के 5 बजे थे. पति अभी तक नहीं लौटा था. शर्मीला ने पति को फिर से फोन करने के लिए अपना मोबाइल उठाया तो देखा कि पति के नंबर से एक वाट्सऐप मैसेज आया था.

शर्मीला ने मैसेज पढ़ा. उस में लिखा था, ‘तुम्हारा घर वाला हमारे पास है. इस पर हमारे एक करोड़ रुपए उधार हैं. यह हमारे रुपए नहीं दे रहा. इसलिए हम ने इसे उठा लिया है. हम तुम्हें 2 दिन का समय देते हैं. एक करोड़ रुपए तैयार रखना. बाकी बातें हम 2 दिन बाद तुम्हें बता देंगे. हमारी नजर तुम लोगों पर है. ध्यान रखना, अगर पुलिस या किसी को बताया तो इसे वापस कभी नहीं देख पाओगी.’

 

मोबाइल पर आया मैसेज पढ़ कर शर्मीला घबरा गई. वह क्या करे, कुछ समझ नहीं पा रही थी. पति की जिंदगी का सवाल था, घबराहट से भरी शर्मीला ने अपने परिवार वालों को जगा कर मोबाइल पर आए मैसेज के बारे में बताया.

मैसेज पढ़ कर लग रहा था कि शिवदत्त का अपहरण कर लिया गया है. बदमाशों ने शिवदत्त के मोबाइल से ही मैसेज भेजा था ताकि पुष्टि हो जाए कि शिवदत्त बदमाशों के कब्जे में है. यह मैसेज 21 मार्च की रात 9 बज कर 2 मिनट पर आया था, लेकिन उस समय शर्मीला इसे देख नहीं सकी थी.

शिवदत्त के अपहरण की बात पता चलने पर पूरे परिवार में रोनापीटना शुरू हो गया. जल्दी ही बात पूरी कालोनी में फैल गई. चिंता की बात यह थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त पर अपने एक करोड़ रुपए बकाया बताए थे और वह रकम उन्होंने 2 दिन में तैयार रखने को कहा था.

शर्मीला 2 दिन में एक करोड़ का इंतजाम कहां से करती? शिवदत्त होते तो एक करोड़ इकट्ठा करना मुश्किल नहीं था लेकिन शर्मीला घरेलू महिला थी, उन्हें न तो पति के पैसों के हिसाबकिताब की जानकारी थी और न ही उन के व्यवसाय के बारे में ज्यादा पता था. शर्मीला को बस इतना पता था कि उस के पति बिल्डर हैं.

शर्मीला और उस के परिवार की चिंता को देखते हुए कुछ लोगों ने उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी. शर्मीला परिवार वालों के साथ 22 मार्च को भीलवाड़ा के सुभाषनगर थाने पहुंच गई और पुलिस को सारी जानकारी देने के बाद अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने शर्मीला और उन के परिवार के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि कपड़ा नगरी के नाम से देश भर में मशहूर भीलवाड़ा के पथिक नगर की श्रीनाथ रेजीडेंसी में रहने वाले 42 साल के शिवदत्त शर्मा की हाइपर टेक्नो कंसट्रक्शन कंपनी है. शिवदत्त का भीलवाड़ा और आसपास के इलाके में प्रौपर्टी का बड़ा काम था. उन के बिजनैस में कई साझीदार हैं और इन लोगों की करोड़ोंअरबों की प्रौपर्टी हैं.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने इस की जानकारी एडिशनल एसपी दिलीप सैनी को दे दी. इस के बाद पुलिस ने शिवदत्त की तलाश शुरू कर दी. साथ ही शिवदत्त की पत्नी से यह भी कह दिया कि अगर अपहर्त्ताओं का कोई भी मैसेज आए तो तुरंत पुलिस को बता दें.

चूंकि शिवदत्त अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी के घर जाने की बात कह कर घर से निकले थे, इसलिए पुलिस ने राजेश त्रिपाठी से पूछताछ की. राजेश ने बताया कि शिवदत्त होली के दिन शाम को उन के पास आए तो थे लेकिन वह रात करीब 8 बजे वापस चले गए थे.

 

जांचपड़ताल के दौरान 23 मार्च को पुलिस को शिवदत्त की वेरना कार भीलवाड़ा में ही सुखाडि़या सर्किल से रिंग रोड की तरफ जाने वाले रास्ते पर लावारिस हालत में खड़ी मिल गई. पुलिस ने कार जब्त कर ली. पुलिस ने कार की तलाशी ली, लेकिन उस से शिवदत्त के अपहरण से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला. कार भी सहीसलामत थी. उस में कोई तोड़फोड़ नहीं की गई थी और न ही उस में संघर्ष के कोई निशान थे.

पुलिस ने शिवदत्त के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन मोबाइल के स्विच्ड औफ होने की वजह से उस की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जांच की अगली कड़ी के रूप में पुलिस ने शिवदत्त, उस की पत्नी और कंपनी के स्टाफ के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा शिवदत्त के लेनदेन, बैंक खातों, साझेदारों के लेनदेन से संबंधित जानकारियां जुटाईं. यह भी पता लगाया गया कि किसी प्रौपर्टी को ले कर कोई विवाद तो नहीं था.

 

पुलिस जुट गई जांच में

 

इस बीच 24 मार्च का दिन भी निकल गया. लेकिन अपहर्त्ताओं की ओर से कोई सूचना नहीं आई. जबकि उन्होंने 2 दिन में एक करोड़ रुपए का इंतजाम करने को कहा था. घर वाले इस बात को ले कर चिंतित थे कि कहीं अपहर्त्ताओं को उन के पुलिस में जाने की बात पता न लग गई हो. क्योंकि इस से चिढ़ कर वे शिवदत्त के साथ कोई गलत हरकत कर सकते थे.

शर्मीला पति को ले कर बहुत चिंतित थी. अपहर्त्ताओं की ओर से 3 दिन बाद भी शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क नहीं किया गया. ऐसे में पुलिस को भी उस की सलामती की चिंता थी.

पुलिस ने शिवदत्त की तलाश तेज करते हुए 4 टीमें जांचपड़ताल में लगा दी. इन टीमों ने शिवदत्त के रिश्तेदारों से ले कर मिलनेजुलने वालों और संदिग्ध लोगों से पूछताछ की, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. शिवदत्त की कार जिस जगह लावारिस हालत में मिली थी, उस के आसपास सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कोशिश भी की गई, लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका.

इस पर पुलिस ने 25 मार्च को शिवदत्त के फोटो वाले पोस्टर छपवा कर भीलवाड़ा जिले के अलावा पूरे राजस्थान सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के पुलिस थानों को सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करने के लिए भेजे.

 

पुलिस को भी नहीं मिला शिवदत्त

 

जांच में पता चला कि शिवदत्त ने कुछ समय पहले महाराष्ट्र में भी अपना कारोबार शुरू किया था. इसलिए किसी सुराग की तलाश में पुलिस टीम मुंबई और नासिक भेजी गई. लेकिन वहां हाथपैर मारने के बाद पुलिस खाली हाथ लौट आई.

उधर लोग इस मामले में पुलिस की लापरवाही मान रहे थे. पुलिस के प्रति लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा था. 26 अप्रैल, 2019 को ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि मंडल ने भीलवाड़ा के कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन दे कर शिवदत्त को सुरक्षित बरामद कर अपहर्त्ताओं को गिरफ्तार करने की मांग की. ऐसा न होने पर उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दे दी.

दिन पर दिन बीतते जा रहे थे, लेकिन न तो अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क किया था और न ही पुलिस को कोई सुराग मिला था. इस से शिवदत्त के परिजन भी परेशान थे. उन के मन में आशंका थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के साथ कुछ गलत न कर दिया हो. क्योंकि इतने दिन बाद भी न तो अपहर्त्ता संपर्क कर रहे थे और न ही खुद शिवदत्त.

पुलिस की चिंता भी कम नहीं थी. वह भी लगातार भागदौड़ कर रही थी. पुलिस ने शिवदत्त के फेसबुक, ट्विटर, ईमेल एकाउंट खंगालने के बाद संदेह के दायरे में आए 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की.

पुलिस की टीमें महाराष्ट्र और गुजरात भी हो कर आई थीं. शिवदत्त और उस के परिवार वालों के मोबाइल की कालडिटेल्स की भी जांच की गई. भीलवाड़ा शहर में बापूनगर, पीऐंडटी चौराहा से पांसल चौराहा और अन्य इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकला.

बिल्डर शिवदत्त के अपहरण का मामला पुलिस के लिए एक मिस्ट्री बनता जा रहा था. पुलिस अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर अपहर्त्ता शिवदत्त को कहां ले जा कर छिप गए. ऐसा कोई व्यक्ति भी पुलिस को नहीं मिल रहा था जिस ने राजेश त्रिपाठी के घर से निकलने के बाद शिवदत्त को देखा हो. त्रिपाठी ही ऐसा शख्स था, जिस से शिवदत्त आखिरी बार मिला था. पुलिस त्रिपाठी से पहले ही पूछताछ कर चुकी थी. उस से कोई जानकारी नहीं मिली थी तो उसे घर भेज दिया गया था.

जांचपड़ताल में सामने आया कि शिवदत्त का करीब 100 करोड़ रुपए का कारोबार था. साथ ही उस पर 20-30 करोड़ की देनदारियां भी थीं. महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के अहमदाबाद में भी उस ने कुछ समय पहले नया काम शुरू किया था.

 

शिवदत्त ने सन 2009 में प्रौपर्टी का कारोबार शुरू किया था. शुरुआत में उस ने इस काम में अच्छा पैसा कमाया. कमाई हुई तो उस ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए. एक साथ कई काम शुरू करने से उसे नुकसान भी हुआ. इस से उस की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी तो उस ने लोन लेने के साथ कई लोगों से करोड़ों रुपए उधार लिए. भीलवाड़ा जिले का रहने वाला एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शिवदत्त की प्रौपर्टीज में पैसा लगाता था.

शिवदत्त भीलवाड़ा में ब्राह्मण समाज और अन्य समाजों के धार्मिक कार्यक्रमों में मोटा चंदा देता था. इस से उस ने विभिन्न समाजों के धनी और जानेमाने लोगों का भरोसा भी जीत रखा था. ऐसे कई लोगों ने शिवदत्त की प्रौपर्टीज में निवेश कर रखा था.

शिवदत्त के ऊपर उधारी बढ़ती गई तो लेनदार भी परेशान करने लगे. शिवदत्त प्रौपर्टी बेच कर उन लोगों का पैसा चुकाना चाहता था, लेकिन बाजार में मंदी के कारण प्रौपर्टी का सही भाव नहीं मिल रहा था. इस से वह परेशान रहने लगा था. लोगों के तकाजे से परेशान हो कर उसने फोन अटेंड करना भी कम कर दिया था.

हालांकि शर्मीला ने पुलिस थाने में पति के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस को एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस के उस के अपहरण की पुष्टि होती. एक सवाल यह भी था कि शिवदत्त अगर उधारी का पैसा नहीं चुका रहा था तो अपहर्त्ता उन के किसी परिजन को उठा कर ले जाते, क्योंकि लेनदारों को यह बात अच्छी तरह पता थी कि पैसों की व्यवस्था शिवदत्त के अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता.

 

घूमने लगा पुलिस का दिमाग

 

आधुनिक टैक्नोलौजी के इस जमाने में पुलिस तीनचौथाई आपराधिक मामले मोबाइल लोकेशन, काल डिटेल्स व सीसीटीवी फुटेज से सुलझा लेती है, लेकिन शिवदत्त के मामले में पुलिस के ये तीनों हथियार फेल हो गए थे. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. सीसीटीवी फुटेज साफ नहीं थे. काल डिटेल्स से भी कोई खास बातें पता नहीं चलीं.

प्रौपर्टी का काम करने से पहले शिवदत्त के पास बोरिंग मशीन थी. वह हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर सहित कई राज्यों में ट्यूबवैल के बोरिंग का काम करता था. इन स्थितियों में तमाम बातों पर गौर करने के बाद पुलिस शिवदत्त के अपहरण के साथ अन्य सभी पहलुओं पर भी जांच करने लगी.

इसी बीच शिवदत्त की पत्नी शर्मीला ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी. इस में शर्मीला ने अपने पति को ढूंढ निकालने की गुहार लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि शिवदत्त को तलाश कर जल्द से जल्द अदालत में पेश किया जाए.

अब पुलिस के सामने शिवदत्त मामले में दोहरी चुनौती पैदा हो गई. पुलिस ने शिवदत्त की तलाश ज्यादा तेजी से शुरू कर दी. मई के पहले सप्ताह में शिवदत्त का मोबाइल स्विच औन किया गया. इस से उस की लोकेशन का पता चल गया. पता चला कि वह मोबाइल देहरादून में है. भीलवाड़ा से तुरंत एक पुलिस टीम देहरादून भेजी गई. देहरादून में पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन ढूंढी तो वह मोबाइल एक धोबी के पास मिला.

धोबी ने बताया कि पास के ही एक गेस्टहाउस में रहने वाले एक साहब के कपड़ों में एक दिन गलती से उन का मोबाइल आ गया. उस मोबाइल को धोबी के बेटे ने औन कर के अपने पास रख लिया था. मोबाइल औन होने से उस की लोकेशन पुलिस को पता चल गई.

पुलिस ने 4 मई, 2019 को धोबी की मदद से शिवदत्त को देहरादून के अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस से बरामद कर लिया. शिवदत्त अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से इस गेस्टहाउस में ठहरा हुआ था. देहरादून से वह लगातार जयपुर की अपनी एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस दौरान शिवदत्त ने देहरादून में एक कोचिंग सेंटर में इंग्लिश स्पीकिंग क्लास भी जौइन कर ली थी.

42 दिन तक कथित रूप से लापता रहे शिवदत्त को पुलिस देहरादून से भीलवाड़ा ले आई. उस से की गई पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी.

 

नाटक और हकीकत में फर्क होता है

 

शिवदत्त ने प्रौपर्टी व्यवसाय में कई जगह पैर पसार रखे थे. उस ने भीलवाड़ा में विनायक रेजीडेंसी, सांगानेर रोड पर मल्टीस्टोरी प्रोजैक्ट, अजमेर रोड पर श्रीमाधव रेजीडेंसी, कृष्णा विहार बाईपास, कोटा रोड पर रूपाहेली गांव के पास वृंदावन ग्रीन फार्महाउस आदि बनाए. इन के लिए उस ने बाजार से मोटी ब्याज दर पर करीब 50 करोड़ रुपए उधार लिए थे, लेकिन कुछ प्रोजैक्ट समय पर पूरे नहीं हुए.

बाद में प्रौपर्टी व्यवसाय में मंदी आ गई. इस से उसे अपनी प्रौपर्टीज के सही भाव नहीं मिल पा रहे थे. जिन लोगों ने शिवदत्त को रकम उधार दी थी, वह उन पर लगातार तकाजा कर रहे थे. ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा था. इस से शिवदत्त परेशान रहने लगा. वह इस समस्या से निकलने का समाधान खोजता रहता था.

इस बीच जनवरी में शिवदत्त अपने घर पर सीढि़यों से फिसल गया. उस की रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी. कुछ दिन वह अस्पताल में भरती रहा. फिर चोट के बहाने करीब 2 महीने तक घर पर ही रहा. इस दौरान उस ने अपना कारोबार पत्नी शर्मीला और स्टाफ के भरोसे छोड़ दिया था. पैसा मांगने वालों को घरवाले और स्टाफ शिवदत्त के बीमार होने की बात कह कर टरकाते रहे.

 

घर पर आराम करने के दौरान एक दिन शिवदत्त ने सारी समस्याओं से निपटने के लिए खुद के अपहरण की योजना बनाई. उस का विचार था कि अपहरण की बात से कर्जदार उस के परिवार को परेशान नहीं करेंगे. उन पर पुलिस की पूछताछ का दबाव भी नहीं रहेगा. यहां से जाने के बाद वह भीलवाड़ा से बाहर जा कर कहीं रह लेगा और मामला शांत हो जाने पर किसी दिन अचानक भीलवाड़ा पहुंच कर अपने अपहरण की कोई कहानी बना देगा.

अपनी योजना को मूर्तरूप देने के लिए उस ने होली का दिन चुना. इस से पहले ही शिवदत्त ने अपनी कार में करीब 8-10 जोड़ी कपड़े और जरूरी सामान रख लिया था. करीब एक लाख रुपए नकद भी उस के पास थे. शिवदत्त ने अपनी योजना की जानकारी पत्नी और किसी भी परिचित को नहीं लगने दी. उसे पता था कि अगर परिवार में किसी को यह बात बता दी तो पुलिस उस का पता लगा लेगी. इसलिए उस ने इस बारे में पत्नी तक को कुछ बताना ठीक नहीं समझा.

योजना के अनुसार, शिवदत्त होली की शाम पत्नी से अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने जाने की बात कह कर कार ले कर घर से निकल गया. वह अपने दोस्त से मिला और रात करीब 8 बजे वहां से निकल गया. शिवदत्त ने राजेश त्रिपाठी के घर से आ कर अपनी कार सुखाडि़या सर्किल के पास लावारिस छोड़ दी. कार से कपड़े और जरूरी सामान निकाल लिया. कपड़े व सामान ले कर वह भीलवाड़ा से प्राइवेट बस में सवार हो कर दिल्ली के लिए चल दिया.

भीलवाड़ा से रवाना होते ही शिवदत्त ने अपने मोबाइल से पत्नी के मोबाइल पर खुद के अपहरण का मैसेज भेज दिया था. इस के बाद उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. भीलवाड़ा से दिल्ली पहुंच कर वह ऋषिकेश चला गया.

ऋषिकेश में शिवदत्त ने अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से नया सिमकार्ड खरीदा. फिर एक नया फोन खरीद कर वह सिम मोबाइल में डाल दिया. कुछ दिन ऋषिकेश में रुकने के बाद शिवदत्त देहरादून चला गया. देहरादून में 29 मार्च को उस ने राकेश शर्मा की आईडी से अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस में कमरा ले लिया.

 

खेल एक अनाड़ी खिलाड़ी का

 

देहरादून में उस ने दिखावे के लिए इंग्लिश स्पीकिंग क्लास जौइन कर ली. वह अपने कपड़े धुलवाने और प्रैस कराने के लिए धोबी को देता था. एक दिन गलती से शिवदत्त का पुराना मोबाइल उस के कपड़ों की जेब में धोबी के पास चला गया. इसी से उस का भांडा फूटा.

शुरुआती जांच में सामने आया कि देहरादून में रहने के दौरान शिवदत्त मुख्यरूप से जयपुर की एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस महिला से शिवदत्त की रोजाना लंबीलंबी बातें होती थीं. जबकि वह अपनी पत्नी या अन्य किसी परिजन के संपर्क में नहीं था.

भीलवाड़ा के सुभाष नगर थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने शिवदत्त को 6 मई को जोधपुर ले जा कर हाईकोर्ट में पेश किया और उस के अपहरण की झूठी कहानी से कोर्ट को अवगत कराया. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संदीप मेहता और विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने शिवदत्त के प्रति नाराजगी जताई. जजों ने याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत और पुलिस को गुमराह करने पर याचिकाकर्ता शर्मीला पर 5 हजार रुपए का जुरमाना लगाते हुए यह राशि पुलिस कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश दिए.

बाद में सुभाष नगर थाना पुलिस ने शिवदत्त के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. उस के खिलाफ अपने ही अपहरण की झूठी कहानी गढ़ कर पुलिस को गुमराह करने, अवैध रूप से देनदारों पर दबाव बनाने और षडयंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया. इस मामले की जांच सदर पुलिस उपाधीक्षक राजेश आर्य कर रहे थे.

पुलिस ने इस मामले में 7 मई, 2019 को बिल्डर शिवदत्त को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन उसे अदालत में पेश कर 6 दिन के रिमांड पर लिया गया. रिमांड अवधि में भी शिवदत्त से विस्तार से पूछताछ की गई, फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

बहरहाल, बिल्डर शिवदत्त मोहमाया के लालच में अपने ही बिछाए जाल में फंस गया. अपहरण की झूठी कहानी से उस के परिजन भी 42 दिन तक परेशान रहे. पुलिस भी परेशान होती रही. भले ही वह जमानत पर छूट कर घर आ जाएगा, लेकिन सौ करोड़ के कारोबारी ने बाजार में अपनी साख तो खराब कर ही ली. इस का जिम्मेदार वह खुद और उस का लोभ है.          द्य

 

अलीगढ़ मर्डर केस : दर्दनाक घटना मासूम की हत्या ने दहला दिया दिल

मासूम बच्ची के पिता को उधारी में 50,000 रुपए मिल तो गए, पर हर रोज तकादा करना. रोजरोज तकादा करने पर किसी तरह से जाहिद को 40,000 रुपए लौटा दिए गए और बाकी की रकम 10,000 रुपए भी जल्दी ही लौटाने की बात की तो मामला तूल पकड़ गया. तय रकम समय पर न देने पर उन्हें देख लेने की धमकी देना इस कदर भारी पड़ गया कि पिता को अपनी मासूम बच्ची खोनी पड़ी.
यह वारदात तालानगरी अलीगढ़ के टप्पल गांव की है. 28 मई को पैसे न देने पर जाहिद की मासूम बच्ची के पिता से कहासुनी हुई. इस के बाद 30 मई को जाहिद ने ढाई साल की बच्ची को अगवा किया और उस की हत्या कर साथी असलम की मदद से शव को ठिकाने लगाया.
बच्ची का शव परिवार को 2 जून को घर से महज 100 मीटर की दूरी पर कूड़े के ढेर में मिला. शव को कपड़े की पोटली में लपेट कर फेंका गया था, जो गल गया था. उस का हाथ अलग मिला. उस की आंखें बाहर निकली हुई थीं.

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पुलिस ने बच्ची की मौत की वजह गला घोंटना बताया है, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट दिल दहला देने वाली है. बच्ची की एक किडनी नहीं मिली. एक हाथ शरीर से अलग था. बच्ची की सारी पसलियां टूटी हुई थीं, बाएं पैर में फ्रैक्चर था, आंखों में जख्म थे और सिर पर चोट के गहरे निशान थे. मासूम को इस कदर मारा गया था कि उस की नोजल ब्रिज (नाक और माथे को जोड़ने वाली हड्डी) टूट गई थी. डाक्टरों का कहना है कि शव इस लायक नहीं था कि रेप की जांच हो सके.
ढाई साला बच्ची की जघन्य हत्या को सुन कर हर किसी का दिल दहल गया. लखनऊ में एडीजी (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने कहा कि मामले के दोनों आरोपियों जाहिद और मोहम्मद असलम ने जुर्म कबूल कर लिया है. इन दोनों पर एनएसए और पाक्सो एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं. मामला फास्टट्रैक कोर्ट में चलेगा.
वारदात को अंजाम देने वाले तीसरे आरोपी मेहंदी हसन को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है. वह आरोपी जाहिद का भाई है. जिस दिन मासूम बच्ची का शव मिला, उसी दिन लोगों ने मेहंदी की जम कर पिटाई की थी. इस के बाद से ही वह फरार हो गया था. वहीं दूसरी ओर आरोपी मेहंदी हसन के बाद महिला आरोपी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
आरोपी मोहम्मद असलम साल 2014 में एक रिश्तेदार की बच्ची से यौनशोषण में गिरफ्तार हुआ था. वहीं साल 2017 में उस पर दिल्ली के गोकलपुरी में छेड़छाड़ और अपहरण का मामला दर्ज है. असलम के खिलाफ पहले से ही अपहरण, दुष्कर्म और गुंडा एक्ट सहित 5 मुकदमे दर्ज हैं.
इस बर्बरता की लोगों ने सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की और इंसाफ की आवाज बुलंद की. जब मामला ज्यादा ही तूल पकड़ गया तो 5 पुलिस वाले सस्पैंड कर दिए गए. वजह, बच्ची जब गायब हुई थी तो इन्होंने रिपोर्ट नहीं लिखी थी. पीडि़त परिवार ने जब प्रदर्शन किया, तब पुलिस जागी और 2 लोगों की गिरफ्तारी की गई.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट से मामले ने तूल पकड़ा. उन्होंने लिखा कि बच्ची की भयावह हत्या से वे सदमे में हैं. कोई इनसान एक बच्ची से ऐसी बर्बरता कैसे कर सकता है. उत्तर प्रदेश पुलिस को हत्यारों को सजा दिलाने के लिए तेजी से कार्यवाही करनी चाहिए. वहीं पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि इस घटना ने उन्हें हिला कर रख दिया है.

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बीएसपी प्रमुख मायावती ने कहा कि कानून का राज कायम करने के लिए प्रदेश सरकार को तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए. वहीं केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा कि इस तरह की घटनाएं इनसानियत को कंपा देती हैं.
सोशल मीडिया भी अछूता नहीं रहा
क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग ने ट्वीट किया कि टप्पल में सब से भयानक तरीके से ढाई साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या की खबर से बेहद परेशान हूं.
फिल्म हीरोइन सोनम कपूर ने ट्वीट किया कि इस मुद्दे का इस्तेमाल निजी स्वार्थ के लिए न करें. छोटी सी बच्ची की मौत आप के नफरत फैलाने की वजह नहीं है.
ट्विंकल खन्ना ने लिखा है कि बच्ची की भयानक हत्या के बारे में सुन कर दिल दहल गया. अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से अनुरोध किया है. वहीं रवीना टंडन ने लिखा है कि यह बर्बर घटना है. कानून को तेजी से काम करना चाहिए.
अभिषेक बच्चन ने ट्वीट किया कि बच्ची के बारे में सुन कर गुस्सा आ गया. कोई ऐसा काम करने की सोच भी कैसे सकता है. यह एक घृणात्मक और गुस्सा पैदा करने वाली घटना है और वे निशब्द हैं.
सनी लियोनी ने लिखा कि वे इस घटना से बेहद दुखी हैं. वहीं आयुष्मान खुराना ने ट्वीट किया कि यह घटना अमानवीय है.
सिद्धार्थ मल्होत्रा ने लिखा कि इस खबर से मैं बेहद परेशान हूं.
फिल्म अभिनेता अर्जुन कपूर बच्ची की हत्या मानवता के लिए एक शर्म की बात है.
न आंखें गायब थीं और न एसिड अटैक : एसएसपी
टप्पल में ढाई साल की बच्ची की हत्या को ले कर एसएसपी आकाश कुलहरि ने सोशल मीडिया पर अफवाह न फैलाने की अपील की है. उन्होंने बताया कि बच्ची पर न एसिड अटैक हुआ है और न उस की आंखें गायब थीं. इस तरह की बातें सोशल मीडिया पर की जा रही हैं, जो पूरी तरह गलत हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया है. रेप की भी पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि जांच के लिए स्लाइड आगरा भेजी गई है, जिस की रिपोर्ट से स्थिति साफ हो पाएगी. शव 3 दिन पुराना था. काफी हिस्सा गल चुका था. कीड़े भी पड़ गए थे. आंख के नीचे चोट के निशान थे, जबकि आंखें ठीक थीं.

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो यही कहती है
शव क्षतविक्षत हालत में था, जिसे कुत्ते खींच रहे थे. डाक्टर उसे जहां से भी पकडऩे की कोशिश कर रहे थे, वह अलग हो रहा था.
हत्या 3-4 दिनों पहले होने की वजह से शव में कीड़े पड़ चुके थे.
बालिका की पीठ पर कटे के निशान थे. एक पैर तोड़ दिया गया था.
बालिका का दायां हाथ गायब था.
बालिका के बाल जलाए गए थे. ऐसा लग रहा था कि शव पर एसिड डाला गया है, लेकिन इस की पुष्टि नहीं हुई.
आंख के नीचे सौफ्ट टिश्यू क्षतिग्रस्त पाए गए.

कोर्ट के इस फैसले पर पति मुश्किल में, कोर्ट ने मानी महिला की बात…

7 मई, 2006 को एक महिला की शादी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में तैनात एक इंस्पेक्टर से हुई. किसी कारणवश यह शादी ज्यादा दिनों तक नहीं चली और 15 अक्तूबर, 2006 को ही दोनों अलग हो गए.
गुजाराभत्ते को ले कर मामला अदालत पहुंचा तो कोर्ट ने पति को निर्देश दिया कि वह अपनी सैलरी का 30% हिस्सा पत्नी को दे. पति इस आदेश से संतुष्ट नहीं था. उस ने ट्रायल कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने इसे घटा कर 15% कर दिया. महिला ने तब इस फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए कहा,”पति की कुल तनख्वाह का 30% हिस्सा पत्नी को गुजाराभत्ते के रूप में दिया जाए. अदालत ने कहा कि कमाई के बंटवारे का फार्मूला निश्चित है. इस के तहत यह नियम है कि अगर एक आमदनी पर कोई और निर्भर न हो तो पति की कुल सैलरी का 30% हिस्सा पत्नी को मिलेगा.

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दरअसल, देश में बढते तलाक के मामले को ले कर अदालत सख्त रूप अपनाती है. अदालतें चाहती हैं कि पतिपत्नी में सुलह हो जाए और वे फिर से साथ रहने लगें.
पर जब इसमें कोई रास्ता नजर नहीं आता तो ही सख्त नियमकानून के तहत तलाक मंजूर करती हैं.

शादी को खिलौना समझने वाले पतियों को अब होशियार हो जाना चाहिए. आमतौर पर जब शादी टूटती है तो अधिकतर पति यही सोचते हैं कि तलाक ले कर वे अपनी अलग दुनिया बसा लेंगे.

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अदालती फैसले के बाद अब यह पति पूरी जिंदगी अपनी सैलरी से 30% हिस्सा तलाकशुदा पत्नी को देता रहेगा और शायद पछताता भी रहेगा.

Edited by Neelesh Singh Sisodia

डाक्टर नहीं जल्लाद

साल 1981 में राजतिलक द्वारा निर्देशत एक फिल्म आई थी ‘चेहरे पे चेहरा’. यह एक थ्रिलर और हौरर फिल्म थी. फिल्म के केंद्रीय पात्र संजीव कुमार थे, जिन्होंने एक वैज्ञानिक और डा. विल्सन का किरदार निभाया था. विल्सन एक ऐसा कैमिकल ईजाद कर लेता है, जो आदमी की बुराइयों को खत्म कर सकता है. इस कैमिकल का प्रयोग वह सब से पहले खुद पर करता है, लेकिन इस का असर उलटा हो जाता है. विल्सन के भीतर की बुराइयों का प्रतिनिधित्व करता एक और किरदार ब्लैक स्टोन उस की अच्छाइयों पर हावी होने लगता है.

सी ग्रेड की यह फिल्म हालांकि दर्शकों ने ज्यादा पसंद नहीं की थी, लेकिन फिल्म यह संदेश देने में सफल रही थी कि आदमी के अंदर अच्छाइयां और बुराइयां दोनों मौजूद रहती हैं. इन में से जिसे अनुकूलताएं मिल जाती हैं, वह बढ़ जाती हैं.

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के एक डाक्टर सुनील मंत्री की कहानी या किरदार काफी हद तक विल्सन के दूसरे चेहरे ब्लैक स्टोन से मिलताजुलता है, जिस के भीतर का हैवान या पिशाच बगैर कोई कैमिकल दिए ही जाग गया था.

होशंगाबाद के आनंदनगर में रहने वाले इस हड्डी रोग विशेषज्ञ की पोस्टिंग नजदीक के कस्बे इटारसी के सरकारी अस्पताल में थी. सुनील मंत्री पोस्टमार्टम भी करता था, लिहाजा लाशों को चीरफाड़ कर मौत की वजह निकालना उस का काम था. अकसर होशंगाबाद-इटारसी अपडाउन करने वाले इस डाक्टर की जिंदगी की कहानी भी हिंदी फिल्मों सरीखी ही है.

अब से कोई सवा साल पहले तक सुनील मंत्री की जिंदगी में कोई कमी नहीं थी. उस के पास वह सब कुछ था, जिस की तमन्ना हर कोई करता है. इज्जतदार पेशा, खुद का मकान व कारें और सुंदर पत्नी सुषमा के अलावा बेटा श्रीकांत और बेटी जो नागपुर के एक नामी कालेज में पढ़ रही है. बेटा श्रीकांत भी मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है.

वक्त काटने और कुछ और पैसा कमाने की गरज से सुषमा ने साल 2010 में एक बुटीक खोला था. इसी दौरान उन के संपर्क में रानी पचौरी नाम की महिला आई, तो उन्होंने उसे भी अपने बुटीक में काम पर लगा लिया.  रानी मेहनती और ईमानदार थी, इसलिए देखते ही देखते सुषमा की विश्वासपात्र बन गई. सुषमा भी उसे घर के सदस्य की तरह मानने लगी थी.

सुनील मंत्री की दिलचस्पी बुटीक में कोई खास नहीं थी लेकिन जब से उस ने रानी को देखा था, तब से उस के होश उड़ गए थे. रानी का पति वीरेंद्र उर्फ वीरू पचौरी एक तरह से निकम्मा और बेरोजगार था, जो कभीकभार छोटेमोटे काम कर लिया करता था. नहीं तो वह पत्नी की कमाई पर ही आश्रित था. वीरू जैसे पतियों की समाज में कमी नहीं है. ऐसे लोगों के लिए एक कहावत है, ‘काम के न काज के, दुश्मन अनाज के.’

रानी जैसी पत्नियों की भी यह मजबूरी हो जाती है कि वे ऐसे पति को ढोती रहें, जो कहने भर का पति होता है. उस से उन्हें कुछ नहीं मिलता सिवाय एक सामाजिक सुरक्षा के, इसलिए वह वीरू को ढो ही रही थी.

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पत्नी की मौत के बाद डाक्टर ने रानी में ढूंढा मन का सुकून

यह कोई हैरानी या हर्ज की बात नहीं थी, पर ऐसे मामलों में जैसा कि अकसर होता है, इस में भी हुआ यानी कि डा. सुनील मंत्री और रानी के बीच भी सैक्स की खिचड़ी पकने लगी. चूंकि रानी के घर आनेजाने की कोई रोकटोक नहीं थी, इसलिए दोनों को साथ वक्त गुजारने में कोई दिक्कत नहीं आती थी.

उस दौरान डा. सुनील मंत्री का वक्त कैसे गुजरता था, यह तो कोई नहीं जानता लेकिन 7 अप्रैल, 2017 को डाक्टर की पत्नी सुषमा की भोपाल के बंसल हौस्पिटल में मौत हो गई. पत्नी के देहांत के बाद तनहा रह गए डा. सुनील मंत्री का अधिकांश वक्त रानी के साथ ही गुजरने लगा.

सुषमा के बाद दिखावे के लिए बुटीक का काम रानी ने संभाल लिया था, लेकिन यह कोई नहीं जानता था कि रानी ने और कई चीजों की डोर अपने हाथ में ले ली थी. जब तक सुषमा थी तब तक रानी का पति वीरू रानी को उस के यहां आनेजाने पर कोई ऐतराज नहीं जताता था लेकिन बाद में रानी पहले से कहीं ज्यादा वक्त बुटीक में बिताने लगी तो उस का माथा ठनका, जो स्वाभाविक बात थी. क्योंकि सुनील मंत्री अब अकसर अकेला रहता था.

रानी जब अपने घर में होती थी तब भी डा. सुनील मंत्री से फोन पर लंबीलंबी और अंतरंग बातें करती रहती थी. वीरू को शक तो था कि डाक्टर साहब और रानी के बीच प्यार की खिचड़ी पक रही है लेकिन उस का शक तब यकीन में बदल गया जब उस ने खुद अपने कानों से डाक्टर और रानी के बीच हुई अंतरंग बातचीत को सुन लिया.

दरअसल हुआ यह था कि मोबाइल फोन खराब हो जाने के कारण रानी ने अपना सिम कार्ड कुछ दिनों के लिए वीरू के फोन में डाल लिया था. न जाने कैसे बातचीत की रिकौर्डिंग वीरू के फोन में रह गई. वही रिकौर्डिंग वीरू ने सुन ली तो उस का खून खौल उठा.

पहले तो उस के जी में आया कि बेवफा बीवी और उस के आशिक डाक्टर का टेंटुआ दबा दे, पर जब उस ने धैर्य से विचार किया तो बस इतना सोचा कि क्यों न डा. सुनील मंत्री को सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बना कर रोज एक अंडा हासिल किया जाए. क्योंकि वह अगर डा. सुनील मंत्री को मारता या हल्ला मचाता तो उस के हाथ कुछ नहीं लगना था, उलटे लोग यही कहते कि गलती डाक्टर के साथसाथ रानी की भी थी.

लिहाजा एक दिन वीरू ने सुनील मंत्री को बता दिया कि वह उस के और अपनी पत्नी रानी के अवैध संबंधों के बारे में जान गया है और इस की वाजिब कीमत चाहता है. इस पेशकश पर शुरू में सुनील मंत्री को कोई नुकसान नजर नहीं आया, उलटे फायदा यह दिखा कि वीरू का डर खत्म हो गया.

यानी वह अपनी मरजी से ब्लैकमेल होने को तैयार हो गया. शुरू में सुनील मंत्री जिसे मुनाफे का सौदा समझ रहा था, वह धीरेधीरे बहुत घाटे का साबित होने लगा. क्योंकि वीरू अब जब चाहे तब उसे ब्लैकमेल करने लगा था. उस का मुंह सुरसा की तरह खुलता और बढ़ता जा रहा था.

डाक्टर की इस दिक्कत या कमजोरी का वीरू पूरा फायदा उठा रहा था. डाक्टर अगर पुलिस में रिपोर्ट भी करता तो बदनामी उसी की ही होती. लिहाजा वह रानी को अपने पहलू में बनाए रखने के लिए अपनी गाढ़ी कमाई वीरू को सौंपने को मजबूर था.

वक्त गुजरता रहा और वीरू डा. सुनील मंत्री को अपने हिसाब से निचोड़ता रहा. इस से डाक्टर को लगने लगा कि ऐसे तो वह एक दिन कंगाल हो जाएगा और रानी भी हाथ से निकल जाएगी.

यह डा. सुनील मंत्री की 56 साला जिंदगी का बेहद बुरा वक्त था. रानी से मिल रहे देह सुख की कीमत जब उस की हैसियत पर भारी पड़ने लगी तो उस ने एक बेहद खतरनाक फैसला ले लिया. चेहरे पे चेहरा फिल्म का हैवान ब्लैक स्टोन उस के भीतर जाग उठा और उस ने वीरू की इतनी नृशंस तरीके से हत्या कर डाली कि देखनेसुनने वालों की रूह कांप उठे. हर किसी ने यही कहा कि यह डाक्टर है या जल्लाद.

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डाक्टर बना जल्लाद

डा. सुनील मंत्री फंस इसलिए गया था कि उस के और रानी के नाजायज ताल्लुकातों के सबूत वीरू के पास थे, नहीं तो तय था कि वह रानी को छोड़ देता. ये सबूत जो कभी सार्वजनिक या उजागर नहीं हो सकते, अब पुलिस के पास हैं.

वीरू की ब्लैकमेलिंग से आजिज आ गए सुनील मंत्री ने उसे अपने यहां बतौर ड्राइवर की नौकरी पर रख लिया. पगार तय की 16 हजार रुपए महीना.

इस जघन्य हत्याकांड का एक विरोधाभासी पहलू यह भी चर्चा में है कि डाक्टर ने वीरू को समझाया था कि तुम मेरे ड्राइवर बन जाओ तो चौबीसों घंटे मुझे देखते रहोगे. इस से तुम्हारा शक दूर हो जाएगा.

जबकि हकीकत में डा. सुनील मंत्री वीरू की हत्या का खाका काफी पहले से ही दिमाग में बना चुका था. उसे दरकार थी तो बस एक अदद मौके की, जिस से वीरू नाम की बला से हमेशाहमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सके. 3 फरवरी, 2019 की सुबह वीरू डा. सुनील को कार से होशंगाबाद से इटारसी ले कर गया था.

दोनों शाम कोई 4 बजे वापस लौट आए. लेकिन वीरू अपने घर नहीं पहुंचा. दूसरे दिन रानी ने फोन पर यह खबर अपने ससुर लक्ष्मीकांत पचौरी को दी.

5 फरवरी की सुबह लक्ष्मीकांत होशंगाबाद आए और बेटे की ढुंढाई शुरू की. रानी ने उन्हें इतना ही बताया था कि वीरू ने 2 दिन पहले ही डा. सुनील मंत्री के यहां ड्राइवर की नौकरी शुरू की है.

यह बात सुन कर वह सीधे डा. सुनील मंत्री की कोठी पर जा पहुंचे और बेटे वीरू की बाबत पूछताछ की तो डाक्टर ने उन्हें गोलमोल जवाब दे कर टरकाने की कोशिश की. इस पर बुजुर्ग और अनुभवी लक्ष्मीकांत का माथा ठनकना स्वाभाविक था. उन्होंने डाक्टर से उस के घर के अंदर जाने की जिद की तो डाक्टर ने अचकचा कर मना कर दिया.

इस पर दोनों में झगड़ा शुरू हो गया. बेटे की चिंता में हलकान हुए जा रहे लक्ष्मीकांत डाक्टर पर वीरू को गायब करने का आरोप लगा रहे थे और डाक्टर उन के इस आरोप को खारिज कर रहा था.

झगड़ा होते देख वहां भीड़ जमा हो गई. इन में कुछ डा. सुनील मंत्री के पड़ोसी भी थे, जिन की नजरों में सुनील मंत्री पिछले 2 दिन से संदिग्ध हरकतें कर रहा था.

इत्तफाक से इसी दौरान पुलिस की एक गश्ती गाड़ी वहां से गुजर रही थी, जिस के पहिए यह झगड़ा देख रुक गए.

आखिर माजरा क्या है, यह जानने के लिए पुलिस वाले गाड़ी से नीचे उतरे और बात को समझने की कोशिश करने लगे. लक्ष्मीकांत ने फिर आरोप दोहराते हुए कहा कि डाक्टर ने उन के बेटे को गायब कर दिया है और अब कोठी के अंदर भी नहीं देखने दे रहा.

इस पर पुलिस वालों को हैरानी हुई कि अगर डाक्टर ने कुछ नहीं किया है तो उसे किसी के अंदर जाने पर इतना सख्त ऐतराज या जिद नहीं करनी चाहिए. लिहाजा खुद पुलिस वालों ने अंदर जाने का फैसला ले लिया.

कीमे के रूप में मिली लाश

अंदर जाने के बाद सख्त दिल पुलिस वाले भी दहल उठे, क्योंकि ड्राइंगरूम में जगहजगह खून बिखरा पड़ा था. इतना ही नहीं, मांस के छोटेछोटे टुकड़े भी यहांवहां बिखरे पड़े थे मानो यह आलीशान कोठी कोई गलीकूचे की मटन शौप हो. पुलिस वालों के साथ अंदर गए लक्ष्मीकांत पहले से ही किसी अनहोनी की आशंका से ग्रस्त थे. उन्होंने खोजबीन की तो एक ड्रम में उन्हें एक कटा हुआ सिर दिखा, जिसे देख वे दहाड़ मार कर रोने लगे. वह सिर उन के जवान बेटे वीरू का था.

जब पुलिस वालों ने घर का और मुआयना किया तो उन्हें टौयलेट में 4 आरियां मिलीं. इन में से 2 आरियों के बीच वीरू के एक पैर के दरजन भर टुकड़े फंसे हुए थे. जब ड्रम को गौर से देखा गया तो एसिड में वीरू के कटे सिर के साथसाथ हाथपैर भी पडे़ दिखे. डाक्टरों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले दस्ताने भी खून से सने हुए थे. इस हैवान डाक्टर ने वीरू के शरीर के 4-6 नहीं बल्कि करीब 500 टुकड़े कर डाले थे.

अब बारी सुनील मंत्री की थी, जिस ने शराफत से अपना जुर्म स्वीकारते हुए बताया कि वह वीरू की ब्लैकमेलिंग से आजिज आ गया था, इसलिए उस ने उस की हत्या कर डाली.

दरअसल, 3 फरवरी को वीरू के दांत में दर्द था. यह बात उस ने डा. सुनील मंत्री को बताई तो उस ने इटारसी जाते वक्त एक गोली दी. लेकिन होशंगाबाद वापस आने के बाद वीरू ने फिर दांत दर्द की बात कही तो डा. सुनील के अंदर बैठे ब्लैक स्टोन ने उसे बेहोशी का इंजेक्शन लगा दिया. इसी बेहोशी में उस ने वीरू का गला रेता और फिर उस की लाश के टुकड़े करने शुरू कर दिए.

एक दिन में लाश को काट कर टुकड़ेटुकड़े कर डालना मुश्किल काम था, इसलिए दूसरे दिन भी वह यही करता रहा और इटारसी अस्पताल भी गया था. लेकिन जल्द ही वापस आ गया था. जाते समय उस ने वीरू के खून से सने कपड़े बाबई के पास फेंक दिए थे. दोनों दिन उस ने घर की लाइटें नहीं जलाई थीं ताकि कोई मरीज न आ जाए. दूसरे दिन लाश के टुकड़े वह दूसरी मंजिल पर ले गया था.

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सुनील मंत्री अपनी योजना के मुताबिक काफी दिनों से एसिड इकट्ठा कर रहा था. चूंकि वह डाक्टर था, इसलिए दुकानदार उस पर शक नहीं कर रहे थे और वह भी पहले से ही बता देता था कि वह स्वच्छ भारत अभियान के तहत एसिड खरीद रहा है. डाक्टर होने के नाते सुनील बेहतर जानता था कि लाश के टुकड़े गल कर नष्ट हो जाएंगे और किसी को हवा भी नहीं लगेगी.

लेकिन जब हवा होशंगाबाद, इटारसी से भोपाल होते हुए देश भर में फैली तो सुनने वालों का कलेजा मुंह को आ गया कि डाक्टर ऐसा भी होता है.

ऐसा हो चुका था और डा. सुनील मंत्री खुद पुलिस वालों को बता भी रहा था कि ऐसा कैसे और क्यों हुआ.

इस खुलासे पर सनसनी मची तो होशंगाबाद के तमाम आला पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों के आते ही डाक्टर की हालत खस्ता हो गई और वह ऊटपटांग हरकतें करने लगा. कभी वह गुमसुम बैठ जाता था तो कभी रोने लगता था. कहीं वह कुछ उलटासीधा न कर बैठे, इस के लिए उस के इर्दगिर्द दरजन भर पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए और उस का पैर जंजीर से बांध दिया गया.

यह बात सच है कि डा. सुनील अपना दिमागी संतुलन अस्थाई रूप से खो बैठा था. उस की शुगर और ब्लडप्रेशर दोनों बढ़ गए थे और वह सोडियम पोटैशियम इम्बैलेंस का भी शिकार हो गया था, जिस में मरीज कुछ भी बकने लगता है और ऊटपटांग हरकतें करनी शुरू कर देता है.

इन बीमारियों पर काबू पाया गया तो एक के बाद एक वीरू की हत्या से ताल्लुकात रखते राज खुलते गए कि इस की आखिर वजह क्या थी.

फंस ही गया डाक्टर चक्रव्यूह में

छानबीन और जांच में पुलिस वालों की जानकारी में जब डाक्टर की पत्नी सुषमा मंत्री की मौत संदिग्ध होनी पाई गई तो एक टीम भोपाल के नामी बंसल हौस्पिटल भी पहुंची. दरअसल, सुषमा की मौत भी सुनील के लगाए गए इंजेक्शन के रिएक्शन से हुई थी. इंजेक्शन लगाने के बाद सुषमा के शरीर में संक्रमण फैलने लगा तो सुनील उसे भोपाल ले कर आया था. इस संदिग्ध मौत के बाद भी सुषमा का पोस्टमार्टम क्यों नहीं किया गया था, इस बात की जांच पुलिस कथा लिखे जाने तक कर रही थी.

रानी के बयान और किरदार दोनों अहम हो चले थे, लेकिन पूछताछ में वह अनभिज्ञता जाहिर करती रही. पुलिस ने जब सुनील मंत्री से उस के संबंधों के बारे में पूछा तो वह खामोश रही. इस से पुलिस को रानी की भूमिका ज्यादा संदिग्ध नजर आई, जिस की जांच पुलिस कथा लिखने तक कर रही थी. सुनील मंत्री से उस की फोन पर हुई बात की रिकौर्डिंग भी पुलिस ने हासिल कर ली.

पुलिस ने मामला दर्ज कर के वीरू की टुकड़ेटुकड़े बनी लाश पोस्टमार्टम के बाद उस के परिजनों को सौंप दी, जिस का दाह संस्कार भी हो गया. कुछ सामान्य होने के बाद सुनील कहने लगा कि हां, उस ने वीरू की हत्या की थी लेकिन अब अदालत में उस का वकील बोलेगा.

रिमांड पर लिए जाने के बाद वह अदालत में असामान्य दिखा, जिस से उस की हिरासत की अवधि लगातार बढ़ाई जा रही है. हालांकि सच यह है कि किसी अंतिम निष्कर्ष पर पुलिस तभी पहुंचेगी, जब रानी मुंह खोलेगी. पुलिस सुषमा की मौत को भी संदिग्ध मान कर काररवाई कर रही है कि कहीं वह भी हत्या तो नहीं थी.

सब कुछ मुमकिन है लेकिन जिस तरह वीरू की हत्या डा. सुनील मंत्री ने की वह जरूर हैरत वाली बात है कि कोई डाक्टर जो जिंदगियां बचाता है, वह इतने वीभत्स, हिंसक और जघन्य तरीके से किसी की जिंदगी भी छीन सकता है.

आशिक हत्यारा

लेखक- अशोक शर्मा 

राजकुमार गौतम अपनी खूबसूरत पत्नी और ढाई वर्षीय बेटी नान्या के साथ 4 महीने पहले ही थाणे

जिले के भादवड़ गांव में किराए पर रहने के लिए आया था. इस के पहले वह भिवंडी के अवधा गांव में रहता था. उस समय उस की पत्नी सपना लगभग 7 महीने की गर्भवती थी. दोनों का व्यवहार सरल और मधुर था. यही कारण था कि आसपड़ोस के लोगों में पतिपत्नी जल्दी ही घुलमिल गए थे.

वैसे बड़े महानगरों में रहने वाले लोग अपनी दोहरी जिंदगी जीते हैं. वे जल्दी किसी से घुलतेमिलते नहीं हैं. सभी अपने काम से मतलब रखते हैं. कौन क्या करता है, कैसे रहता है, इस से उन्हें कोई मतलब नहीं रहता. लेकिन राजकुमार और सपना अपने पड़ोसियों से घुलमिल कर रहते थे.

पतिपत्नी का दांपत्य जीवन अच्छी तरह से चल रहा था. करीब 2 महीने बाद सपना ने दूसरी बच्ची को जन्म दिया. बच्ची स्वस्थ और सुंदर थी, जिसे देख दोनों खुश थे.

2 बेटियों के जन्म के बाद दोनों कुछ दिनों तक कोई बच्चा नहीं चाहते थे. लिहाजा सपना ने डिलिवरी के बाद कौपर टी लगवा ली थी. लेकिन कौपर टी लगने के बाद सपना के पेट में अकसर दर्द रहने लगा था. यह दर्द कभीकभी असहनीय हो जाता था, जिस की वजह से वह बेहोश तक हो जाती थी. यह बात उस के पड़ोसियों को भी मालूम थी.

घटना 4 फरवरी, 2019 की है. उस समय दोपहर के लगभग 3 बजे का समय था, जब पड़ोसियों ने राजकुमार की ढाई वर्षीय बेटी नान्या के रोने की आवाज सुनी. रोने की आवाज पिछले 15-20 मिनट से लगातार आ रही थी. पड़ोसी राम गणेश से नहीं रहा गया तो वह राजकुमार के घर पहुंच गए.

उन्होंने घर का जो दृश्य देखा उसे देख कर उन के होश उड़ गए. वह चीखते हुए भाग कर बाहर आ गए और चीखचीख कर आसपड़ोस के लोगों को इकट्ठा कर लिया. लोगों ने चीखने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि राजकुमार की पत्नी का किसी ने गला काट दिया है.

यह सुन कर जब लोग राजकुमार के घर में गए तो उस की पत्नी फर्श पर औंधे मुंह पड़ी थी. उस के गले के आसपास खून फैला हुआ था. उस की बेटी नान्या उस के पास बैठी अपने नन्हेनन्हे हाथों से मां को उठाने की कोशिश कर रही थी और दूसरी छोटी नवजात बच्ची बिस्तर पर पड़ी हाथपैर मार रही थी.

इस मार्मिक दृश्य को जिस ने भी देखा था, उस का कलेजा मुंह को आ गया. पड़ोसी दोनों बच्चियों को उठा कर घर से बाहर लाए. उन्होंने फोन कर के इस की जानकारी राजकुमार गौतम को दे दी और बेहोशी की हालत में पड़ी घायल सपना को उठा कर स्थानीय इंदिरा गांधी अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने सपना को मृत घोषित कर दिया. अस्पताल ने इस मामले की जानकारी पुलिस को दे दी.

वह इलाका शांतिनगर थाने के अंतर्गत आता था. यह सूचना पीआई किशोर जाधव को मिली तो वह एसआई संदीपन सोनवणे के साथ इंदिरा गांधी अस्पताल पहुंच गए. अस्पताल जा कर उन्होंने डाक्टरों से बात की. इस के अलावा वह उन लोगों से मिले, जो सपना को उपचार के लिए अस्पताल लाए थे.

मृतका के पति राजकुमार ने बताया कि उस की पत्नी की जान कौपर टी के कारण गई है. कौपर टी की वजह से उस की तबीयत ठीक नहीं रहती थी, जिस का इलाज चल रहा था. लेकिन कभीकभी दर्द जब असह्य हो जाता था, तब उस की सहनशक्ति जवाब दे देती थी. ऐसे में वह अपनी जान लेने पर आमादा हो जाती थी.

राजकुमार ने पत्नी की मौत की जो थ्यौरी बताई, वह टीआई के गले नहीं उतरी. उन्होंने यह तो माना कि तकलीफ में कभीकभी इंसान आपा खो बैठता है, लेकिन उस समय सपना की स्थिति ऐसी नहीं थी. डाक्टरों के बयानों से स्पष्ट हो चुका था कि आत्महत्या के लिए कोई अपना गला नहीं काट सकता.

मौत की सही वजह तो पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आनी थी. लिहाजा टीआई किशोर जाधव ने सपना की संदिग्ध हालत में हुई मौत की जानकारी डीसीपी और एसीपी को देने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए उसी अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दी.

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अस्पताल की काररवाई निपटाने के बाद पीआई किशोर जाधव सीधे घटनास्थल पर पहुंचे और वहां का बारीकी से निरीक्षण किया. घटनास्थल पर खून लगा एक स्टील का चाकू मिला, जिसे जाब्ते की काररवाई में शामिल कर के उन्होंने जांच के लिए रख लिया.

पीआई ने राजकुमार गौतम के बयानों के आधार पर सपना गौतम की मौत को आत्महत्या के रूप में दर्ज तो कर लिया था, लेकिन मामले की जांच बंद नहीं की थी. उन्हें सपना गौतम की पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. किशोर जाधव को लग रहा था कि दाल में कुछ काला है.

पोस्टमार्टम और फोरैंसिक रिपोर्ट आई तो पीआई चौंके. चाकू पर फिंगरप्रिंट मृतका के बजाए किसी और के पाए गए. इस का मतलब था कि सपना की हत्या की गई थी.

मामले की आगे की जांच के लिए पीआई किशोर जाधव ने एक पुलिस टीम बनाई. इस टीम में सहायक इंसपेक्टर (क्राइम), कांस्टेबल रविंद्र चौधरी, गुरुनाथ विशे, अनिल बलबी, किरण पाटिल, विजय कुमार, श्रीकांत पाटिल आदि को शामिल किया गया.

टीम ने जांच शुरू कर दी. अपराध घर के अंदर हुआ था, इस का मतलब था कि अपराधी सपना का नजदीकी ही रहा होगा. इसलिए इंसपेक्टर राजेंद्र मायने ने संदेह के आधार पर सपना के पति राजकुमार गौतम से गहराई से पूछताछ की.

उन्होंने उस की कुंडली भी खंगाली. उस की अंगुलियों के निशान ले कर जांच के लिए भेज दिए गए. लेकिन उस के हाथों के निशानों ने चाकू पर मिले निशानों से मेल नहीं खाया. इस से पुलिस को राजकुमार बेकसूर लगा.

तब पुलिस ने उस के दोस्तों की जांच की. जांच में पता चला कि राजकुमार का एक दोस्त विकास चौरसिया उस की गैरमौजूदगी में भी उस के घर आता था. विकास पान की एक दुकान पर काम करता था और राजकुमार के गांव का ही रहने वाला था. दोनों के बीच अच्छी दोस्ती थी. पुलिस ने विकास का फोन नंबर सर्विलांस पर लगा दिया और उस की तलाश शुरू कर दी.

वह अपने घर से गायब था. उस की तलाश के लिए पुलिस ने मुखबिर भी लगा दिए. एक मुखबिर की सूचना पर विकास को भिवंडी के सोनाले गांव से हिरासत में ले लिया गया. पुलिस ने विकास से सपना की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह खुद को बेकसूर बताता रहा. लेकिन सख्ती करने पर उस ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने हत्या की जो कहानी बताई, वह चौंकाने वाली निकली.

25 वर्षीय राजकुमार गौतम उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के गांव कारमियां शुक्ला का रहने वाला था. उस के पिता गौतमराम गांव के एक साधारण किसान थे. गांव में उन की थोड़ी सी काश्तकारी थी, जिस में उन की गृहस्थी की गाड़ी चलती थी.

परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण राजकुमार गौतम की कोई खास शिक्षादीक्षा नहीं हो पाई थी. जब वह थोड़ा समझदार हुआ तो उस ने रोजीरोटी के लिए मुंबई की राह पकड़ ली. उस के गांव के कई लोग रहते थे. मुंबई से करीब सौ किलोमीटर दूर तहसील भिवंडी के अवधा गांव में उन्हीं के साथ रह कर वह छोटामोटा काम करने लगा.

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भिवंडी का अवधा गांव पावरलूम कपड़ों और कारखानों का गढ़ माना जाता है. राजकुमार गौतम ने भी पावरलूम कारखाने में काम कर कपड़ों की बुनाई का काम सीखा और मेहनत से काम करने लगा. जब वह कमाने लगा तो परिवार वालों ने उस की शादी पड़ोस के ही गांव की लड़की सपना से कर दी. यह सन 2016 की बात है.

राजकुमार गौतम खूबसूरत सपना से शादी कर के बहुत खुश था. वह शादी के कुछ दिनों बाद ही सपना को अपने साथ मुंबई ले गया. किराए का कमरा ले कर वह पत्नी के साथ रहने लगा. शादी के करीब डेढ़ साल बाद सपना ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम नान्या रखा गया.

इसी दौरान राजकुमार की विकास चौरसिया से मुलाकात हो गई. विकास चौरसिया पान की एक दुकान पर काम करता था. दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे, इसलिए उन के बीच जल्द ही दोस्ती हो गई.

20 वर्षीय विकास एक महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह जो भी कमाता था, अपने खानपान और शौक पर खर्च करता था. राजकुमार गौतम ने जिगरी दोस्त होने की वजह से विकास की मुलाकात अपनी पत्नी से भी करवा दी थी. राजकुमार ने पत्नी के सामने विकास की काफी तारीफ की थी.

पहली मुलाकात में ही विकास सपना का दीवाना हो गया था. उस ने अपनी बेटी नान्या का जन्मदिन मनाया तो विकास चौरसिया को खासतौर पर अपने घर बुलाया. तब राजकुमार और सपना ने विकास की काफी आवभगत की थी. इस आवभगत में राजकुमार गौतम की सजीधजी बीवी सपना विकास के दिल में उतर गई.

वह जब तक राजकुमार के घर में रहा, उस की निगाहें सपना पर ही घूमती रहीं. जन्मदिन की पार्टी खत्म होने के बाद विकास चौरसिया सब से बाद में अपने घर गया था. उस समय उस ने नान्या को एक महंगा गिफ्ट दिया था. यह सब उस ने सपना को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किया था.

सपना की छवि विकास की नसनस और आंखों में कुछ इस तरह से समा गई थी कि उस का सारा सुखचैन छिन गया. उस का मन किसी काम में नहीं लग रहा था. सोतेजागते उसे बस सपना ही दिख रही थी. वह उस का स्पर्श पाने के लिए तड़पने लगा था.

राजकुमार को अपनी दोस्ती पर पूरा विश्वास था. लेकिन विकास दोस्ती में दगा करने की फिराक में था. वह तो बस उस की पत्नी सपना का दीवाना था. वह सपना का सामीप्य पाने के लिए मौके की तलाश में रहने लगा था.

इसीलिए मौका देख कर वह राजकुमार के साथ चाय पीने के बहाने अकसर उस के घर जाने लगा था. वह सपना के हाथों की बनी चाय की जम कर तारीफ करता था. औरत को और क्या चाहिए. विकास चौरसिया को यह बात अच्छी तरह मालूम थी कि औरत अपनी तारीफ और प्यार की भूखी होती है. जो विकास ने सोचा था, वैसा ही कुछ हुआ भी. इस तरह दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया.

धीरेधीरे दोनों एकदूसरे के काफी करीब आ गए थे. विकास बातचीत के बीच कभीकभी सपना से भद्दा मजाक भी कर लेता था, जिसे सुन कर सपना का चेहरा लाल हो जाता था और वह उस से नजरें चुरा लेती थी.

कुछ दिनों तक तो विकास राजकुमार के साथ ही उस के घर जाता था, लेकिन बाद में वह राजकुमार के घर पर अकेला भी आनेजाने लगा. वह चोरीछिपे सपना के लिए कीमती उपहार भी ले कर जाता था. उपहारों और अपनी लच्छेदार बातों में उस ने सपना को कुछ इस तरह उलझाया कि वह अपने आप को रोक नहीं पाई और परकटे पंछी की तरह उस की गोदी में आ गिरी. सपना को अपनी बांहों में पा कर विकास चौरसिया के मन की मुराद पूरी हो गई.

एक बार जब मर्यादा की कडि़यां बिखरीं तो बिखरती ही चली गईं. अब स्थिति ऐसी हो गई थी कि बिना एकदूसरे को देखे दोनों को चैन नहीं मिलता था. उन्हें जब भी मौका मिलता, दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते. सपना और विकास चौरसिया का यह खेल बड़े आराम से लगभग एक साल तक चला. इस बीच सपना फिर से गर्भवती हो गई.

पहली बार सपना जब गर्भवती हुई थी तो वह अपनी डिलिवरी के लिए अपने गांव चली गई थी. इस बार सपना ने गांव न जा कर अपनी डिलिवरी शहर में ही करवाने का फैसला कर लिया था.

जब सपना की डिलिवरी के 3 महीने शेष रह गए तो राजकुमार अवधा गांव का कमरा खाली कर भादवड़ गांव पहुंच गया और भिवंडी के इंदिरा गांधी अस्पताल में सपना की डिलिवरी करवाई. डिलिवरी के बाद सपना ने पति की सहमति से कौपर टी लगवा ली. यह कौपर टी सपना को रास नहीं आई. इसे लगवाने के बाद सपना को दूसरे तरह की समस्याएं आने लगीं.

सपना की डिलिवरी के 25 दिनों बाद एक दिन दोपहर 2 बजे विकास चौरसिया मौका देख कर राजकुमार गौतम के घर पहुंच गया. उस समय सपना की बेटी नान्या घर के दरवाजे पर खेल रही थी. घर में घुसते ही उस ने दरवाजा बंद कर लिया. उस समय सपना अपने बिस्तर पर लेटी अपनी छोटी बेटी को दूध पिला रही थी. विकास के अचानक आ जाने से सपना उठ कर बैठ गई.

इस से पहले कि सपना कुछ कह पाती विकास ने उस के बगल में बैठ कर बच्ची का माथा चूमा और सपना को बांहों में लेते हुए उस से शारीरिक संबंध बनाने के लिए जिद करने लगा, जिस के लिए सपना तैयार नहीं थी.

सपना ने विकास को काफी समझाने की कोशिश की और कहा, ‘‘देखो, अभी मैं उस स्थिति में नहीं हुई हूं कि तुम्हारी यह इच्छा पूरी कर सकूं. आज तक मैं ने कभी तुम्हारी बातों से कभी इनकार नहीं किया है. आज मैं बीमार हूं, ऊपर से कौपर टीम लगवाई है. अभी तुम जाओ, जब मैं ठीक हो जाऊंगी तो आना.’’

लेकिन वासना के भूखे विकास पर सपना की बातों का कोई असर न हुआ. वह उस के साथ जबरदस्ती करने पर उतारू हो गया और उस पर भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ा. इस के पहले कि वह अपने मकसद में कामयाब होता, सपना नाराज हो गई और उस ने अपने ऊपर से विकास को नीचे फर्श पर धक्का दे दिया. फिर उठ कर वह उसे अपने घर से बाहर जाने के लिए कहने लगी.

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सपना के इस व्यवहार और वासना के उन्माद में वह अपना होश खो बैठा. वह सीधे सपना की किचन में गया और वहां से स्टील का चाकू उठा लाया. उस चाकू से उस ने सपना का गला काट दिया. सपना के गले से खून निकलने लगा और वह फर्श पर गिर पड़ी.

सपना के गले से बहते खून को देख कर विकास चौरसिया की वासना का उन्माद काफूर हो गया. वह डर कर वहां से चुपचाप निकल गया. उस के जाने के बाद दरवाजे पर खेल रही नान्या घर के अंदर आई और मां को उठाने लगी थी. सपना के न उठने पर वह उस से लिपट कर रोने लगी.

विकास चौरसिया से विस्तृत पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया.

राजकुमार गौतम को जब यह मालूम पड़ा कि उस की पत्नी का आशिक और हत्यारा और कोई नहीं, बल्कि उस का अपना जिगरी दोस्त था तो उसे इस बात का अफसोस हुआ कि विकास जैसे आस्तीन के सांप को घर बुला कर उस ने कितनी बड़ी गलती की थी.

कथा लिखे जाने तक अभियुक्त विकास चौरसिया थाणे की तलौजा जेल में था. मामले की जांच इंसपेक्टर राजेंद्र मायने कर रहे थे.

 

शर्मनाक: राजस्थान बन रहा रेपिस्थान

राजस्थान में जिस तरह से रेप के मामले सामने आ रहे हैं, उस से राज्य की नईनवेली सरकार की कलई खुल गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक महीने तक अपने बेटे को चुनाव जिताने में लगे रहे और प्रदेश की इज्जत लुट गई. इस दौरान सरकार तो सो ही रही थी, जिस राजस्थान पुलिस के जिम्मे प्रदेश की सुरक्षा है, वह भी पूरी तरह से नकारा निकली.

चुनाव का सहारा ले कर कोई केस दर्ज नहीं किया गया. थानागाजी में हुए गैंगरेप और वीडियो बना कर वायरल करने जैसी खौफनाक वारदातों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया.

आंकड़ों की बात की जाए तो अप्रैलमई महीने में ही राज्य में गैंगरेप के 12 बड़े मामले सामने आए, जिन में अबलाओं के साथ कई दरिंदों ने एकसाथ दरिंदगी की. लेकिन राजस्थान सरकार और उस की पुलिस की नाकामी का आलम यह रहा कि केवल 3 मामलों में ही कार्यवाही हुई.

12 अप्रैल, 2019. बाड़मेर में एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी (एएनएम) के साथ रेप करने का मामला सामने आया, लेकिन चुनाव के चलते इस को दबा दिया गया और मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया.

12 अप्रैल, 2019. गुजरात से अजमेर घूमने आई एक औरत को रात में एक आटोरिकशा वाला रामगंज में अपने घर ले गया और उस के साथ गैंगरेप किया. इस मामले में शामिल 8 दरिंदों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

18 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के नोखा कसबे के पांचू थाना इलाके में 18 साल की एक लड़की को चाकू दिखा कर उठा लिया गया और उस का गैंगरेप कर डाला.

19 अप्रैल, 2019. नागौर की एक गौशाला के मालिक पर रेप का मामला दर्ज हुआ. बताया गया कि रेप के चलते पीडि़ता ने सुसाइड करने की कोशिश की. 26 अप्रैल, 2019. अलवर के थानागाजी में एक विवाहिता का उस के पति के सामने

5 दरिंदों ने गैंगरेप कर उस के 11 वीडियो वायरल किए गए. 6 दिन बाद मामला दर्ज हुआ और 6 मई, 2019 को वहां चुनाव निबटने के बाद राज्य सरकार को होश आया.

29 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के ही नोखा कसबे में परिवार वाले वोट देने गए हुए थे कि एक 14 साल की नाबालिग से दरिंदों ने गैंगरेप कर डाला.

29 अप्रैल, 2019. दौसा जिले में महज 7 साल

की एक बच्ची को टौफी देने के नाम पर ले जा कर रेप

किया गया.

1 मई, 2019. चित्तौड़गढ़ में एक 5 साल की मासूम बच्ची को झाडि़यों में ले जा कर उस का रेप कर डाला.

1 मई, 2019. जोधपुर में बोरानाडा इलाके में

16 साल की एक किशोरी का सुनसान इलाके में रेप कर दिया.

2 मई, 2019. जोधपुर के बोरानाडा इलाके में एक विवाहिता से रेप किया गया. उस की बेटी से छेड़छाड़ की गई और बेटे का धर्म बदलने की कोशिश की गई.

7 मई, 2019. सीकर में रात को छत पर सो रही एक नवविवाहिता से उसी मकान में रंगरोगन करने वालों ने गैंगरेप कर डाला.

7 मई, 2019. जोधपुर में करवड़ इलाके में एक नाबालिग को घर से भगा कर ले गए और उस का देह शोषण किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर के बगरू थाना क्षेत्र में छीतरोली में 14 साल की नाबालिग से रेप किया गया और उस का वीडियो बना कर ब्लैकमेल किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर की एक लड़की, जो पुष्कर घूमने गई थी, के साथ गाइड ने ही होटल में ले जा कर रेप किया.

7 मई, 2019. नागौर जिले के मकराना क्षेत्र में कूकड़ोद में औरत के घर पहुंच कर 2 नौजवानों ने गैंगरेप किया. वीडियो भी बनाया गया. वायरल करने के बाद इस का खुलासा हुआ.

9 मई, 2019. जैसलमेर की नोखा तहसील में शौच करने के बाद लौट रही एक विवाहिता को कुछ दरिंदे उठा ले गए और उस के साथ सामूहिक बलात्कार कर डाला. उस के साथ कई शहरों में 4 दिनों तक गैंगरेप करने के बाद उस के पिता के घर पर पटक दिया गया.

10 मई, 2019. श्रीगंगानगर में स्कूल की गाड़ी चलाने वाले ने ही 6 साल की मासूम के साथ रेप करने की कोशिश की. बच्ची ने स्कूल जाने से मना किया, तब मामला सामने आया.

10 मई, 2019. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में रातानाड़ा में एक औरत के साथ एक आदमी ने रेप कर डाला. पुलिस ने मामला दर्ज ही नहीं किया.

इतना ही नहीं, इसी दौरान प्रदेश में ऐसे 40 मामले सामने आए, जिन में औरतों की इज्जत तारतार हो गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अपने बेटे के लिए प्रचार कर ‘वैभव’ बचाने में लगे थे, तब थानागाजी में एक औरत की जिंदगी का ‘वैभव’ ही सरेराह लुट रहा था.

गंभीर बात यह है कि प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होने वाली थी, इसलिए पुलिस ने गैंगरेप की घटना में एफआईआर भी दर्ज नहीं की.

नेता हनुमान बेनीवाल और पूर्व आईपीएस पंकज चौधरी का दावा है कि गैंगरेप के जो मामले एसपी तक पहुंचते हैं, वे डीजीपी के भी ध्यान में होते हैं. इन दोनों ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा देने की मांग की.

सब से बड़ी बात यह है कि रेप, गैंगरेप और अपहरण की सब से ज्यादा वारदातें प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अशोक गहलोत के गृह राज्य में हुई हैं. महज एक पखवारे में बलात्कार की 40 घटनाएं.

जिस तरह ऐसी चौतरफा घटनाएं हुई हैं, उस के हिसाब से लग रहा है कि प्रदेश पर वहशी दरिंदों का कब्जा हो गया है. सरकार बस नाम की है.

एक पखवारे में प्रदेश की 40 बेटियों की इज्जत लूटी गई तो क्या इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कोई नैतिकता नहीं बनती है? गृह मंत्रालय उन के पास है और नीचे से ऊपर तक पूरा तंत्र है जो हर घटना की रिपोर्टिंग करता है. साथ ही, सरकारी खुफिया तंत्र है जो गृह मंत्री व मुख्यमंत्री तक सूचनाएं पहुंचाता है. मामला गंभीर है और नीचे से ऊपर तक पूरी सरकार सवालों के घेरे में है.

दरअसल, अनुभव व ऊंची पढ़ाई के नाम पर इस देश के नौजवानों के साथ बहुत बड़ा खेल खेला गया है. सामाजिक तानेबाने के जानकार, जमीनी हकीकत की पहचान रखने वाले व रोजरोज

की समस्याओं से जूझ कर तपे हुए व व्यवस्था में बदलाव लाने का जोश रखने वाले नौजवानों को कभी सत्ता में नहीं आने दिया गया, इसलिए हजारों सालों से चली आ रही गुलामी की सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है.

हमारे धर्मग्रंथ भी बलात्कारों से भरे पड़े हैं, मगर वे बहुतों के आदर्श भी हैं, क्योंकि उन को श्राप, नियोग वगैरह अलग नाम दिए गए थे और संविधान में हम ने बलात्कार लिख कर बहुत बड़ी क्रांति कर दी. ऐसा हमें सत्ता पर कब्जा कर के बैठे एलीट क्लास वालों ने बताया है इसलिए हम भी इस भ्रांति को क्रांति समझ बैठे हैं और जब भी ऐसी घटनाएं घटती हैं तो हम इन के सामने गिड़गिड़ाते नजर आते हैं और हमारे बीच से ही कुछ लोग इंसाफ दिलवाने की दुकान खोल कर इसी ग्रुप में जा कर शामिल हो जाते हैं.

हर जज, सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत तमाम बड़े पदों पर बैठे लोगों के चरित्र की अगर ईमानदारी के साथ जांच की जाए तो जिस तरह आजकल बाबा जेलों में जा रहे हैं, उसी तरह से ऐसे 90 फीसदी लोग यौन शोषण करने या संरक्षण देने की एवज में जेलों की तरफ जाते नजर आएंगे.

भांग लोटे में नहीं, बल्कि पूरे कुएं में घुली हुई है और चंद ईमानदार लोगों को देख कर जनता खुश हो रही है कि इस देश में बराबरी का समाज बनाने की जंग लड़ी जा रही है.

देश के चीफ जस्टिस पर यौन शोषण के आरोप लगे और उसी पीठ ने महिला को बिना निष्पक्ष जांच के झूठा करार दे दिया और आप उम्मीद कर रहे हैं कि इन घटनाओं में इंसाफ मिलेगा.

भारत का पूरा इतिहास खंगाल कर देख लीजिए, राजशाही, धर्मशाही, लोकशाही वगैरह में कुछ हट कर नजर नहीं आएगा. पहले मंदिरों में देवदासियों के नाम पर शोषण होता था और अब जिस तरह इन धर्मगुरुओं की करतूतें सामने आ रही हैं, उस के हिसाब से तो अब गुफाओं में आशीर्वाद के नाम से शोषण हो रहा है.

एक आसाराम के खिलाफ बोलने या गवाही देने वाले कितने लोगों की हत्या कर दी गई, आप जानते ही होंगे. हर डाल पर आसाराम बैठा है, हर गांव में अपराध का टापू बना हुआ है. एक टापू या एक अपराध को ले कर इतने क्रांतिकारी मत बनिए कि सारी ताकत एक पर ही खत्म हो जाए. हमें बीचबीच में ऐसी इंसाफ वाली क्रांतियां करते रहना है, इसलिए पुलिस कौंस्टेबल व एसआई को कोस कर आगे बढि़ए.

अपने जुल्मी व गुलाम इतिहास को हम गौरवशाली बताते हैं. अपने कलंकित वर्तमान पर हमें शर्म आती नहीं है. हम पुरानी व्यवस्था को रौंद कर नई व्यवस्था खड़ी करने का माद्दा नहीं रखते हैं. हम रोज जलालत भरी जिंदगी जी रहे हैं. इनसान कीड़ेमकोड़ों की तरह मर रहे हैं.

3 साल की, 5 साल की, 8 साल तक की बच्चियों के साथ दरिंदगी होती है, मगर हमारा खून नहीं खौलता है. हम आजादी के 72 साल तक व्यवस्था के बदलाव को रोक कर बैठे सत्ताधारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे हैं.

पूरे सिस्टम को ही जंग लगा हुआ है. चेहरे बदलने से कुछ नहीं होने वाला. जवाबदेही व पारदर्शिता के नारे के साथ सुशासन का पिटारा ले कर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठे हैं. आप खुद देख लीजिए इन की जवाबदेही व पारदर्शिता.

उस्तादों के उस्ताद…

इसी साल 7 मार्च की बात है. राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना शहर के पुलिस थाने में नागौर जिले के शेरानी आबाद के रहने वाले सुलतान खां ने

एक रिपोर्ट दर्ज कराई. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वह अपने भाई इरफान के साथ दिल्ली एयरपोर्ट से सऊदी अरब से आए अपने परिचित इरफान और वली मोहम्मद को ले कर अपनी स्कौर्पियो गाड़ी से नागौर जिले के डीडवाना शहर जा रहा था.

शाम करीब 4 बजे नीमकाथाना बाईपास पर बने रेलवे अंडरपास के नीचे उन की स्कौर्पियो गाड़ी के आगे एक कैंपर गाड़ी और पीछे स्विफ्ट कार आ कर रुकीं. दोनों कारों से उतरे लोगों ने हमारी कार रोक ली और हथियार दिखा कर हमें गाड़ी से उतार दिया.

दोनों गाडि़यों से आए बदमाशों ने हम से 30 हजार रुपए नकद, कपड़े, प्रैस, थर्मस, स्पीकर और काजूबादाम वगैरह लूट लिए. इस के बाद बदमाश अपनी कैंपर कार में मेरे भाई इरफान का अपहरण कर ले गए. साथ ही हमें सड़क पर छोड़ कर हमारी स्कौर्पियो भी ले भागे.

पुलिस ने सुलतान खां की रिपोर्ट दर्ज कर ली. हालांकि रिपोर्ट में ऐसी कोई बड़ी बात नहीं थी. कोई बड़ी लूटपाट भी नहीं हुई थी, लेकिन अपहरण का मामला गंभीर था. पुलिस ने तुरंत काररवाई करते हुए इलाके में चारों तरफ नाकेबंदी करवा दी. पुलिस ने अपहृत इरफान की तलाश शुरू की, तो रात को सीकर जिले में ही हांसनाला मंदिर के पास इरफान और लूटी गई स्कौर्पियो गाड़ी मिल गई.स्कौर्पियो गाड़ी में इरफान और वली मोहम्मद से लूटी गई रकम, प्रैस, स्पीकर और थर्मस आदि सामान नहीं मिले. फिर भी लूटी गई गाड़ी और अपहृत युवक के मिल जाने से पुलिस ने राहत की सांस ली. बदमाशों ने इरफान को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया था. न तो उस से कोई मारपीट की गई थी और न कोई धमकी वगैरह दी गई थी.

हालांकि लूटी गई रकम और अन्य सामान बहुत ज्यादा नहीं था, फिर भी यह गंभीर बात थी कि दिनदहाड़े लूट हुई थी. अगर पुलिस साधारण मामला समझ कर कोई काररवाई नहीं करती, तो हो सकता था भविष्य में कोई बड़ी वारदात हो जाती. नीमकाथाना के थाना प्रभारी राजेंद्र यादव ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए लूटपाट की जांच शुरू की.

पुलिस ने जांच शुरू की, तो पता चला लूटपाट करने वाले बदमाशों की दोनों गाडि़यां सुलतान और उस के साथियों की स्कौर्पियो का पीछा करती हुई नीमकाथाना तक आई थीं. सवाल यह था कि सुलतान की स्कौर्पियो का पीछा कहां से किया गया था.

थानाप्रभारी राजेंद्र यादव के दिमाग में एक सवाल बारबार कौंध रहा था कि 2 गाडि़यों में सवार बदमाश केवल 30 हजार रुपए, कपड़े, प्रैस व स्पीकर जैसे छोटेमोटे सामान के लिए दिनदहाड़े लूट की वारदात को क्यों अंजाम देंगे? या तो बदमाशों को सुलतान और उस के साथियों के पास मोटी रकम होने की सूचना थी, जिस की वजह से उन्होंने लूटपाट की. दूसरी बात यह थी कि अगर बदमाशों का मकसद इरफान का अपहरण ही था, तो वे उसे छोड़ क्यों गए? बदमाशों ने इरफान को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचाया था. ये सवाल थानाप्रभारी को बारबार परेशान कर रहे थे.

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समझ से परे थी लूट की वारदात

इन सवालों का सही जवाब या तो बदमाशों के पकड़े जाने पर मिल सकता था या फिर इस बारे में पीडि़त ही कुछ बता सकते थे. इसलिए थानाप्रभारी ने रिपोर्ट दर्ज कराने वाले सुलतान खां और उस के साथी इरफान खां से पूछताछ की. लेकिन उन से ऐसी कोई बात पता नहीं चली जिस से बदमाशों और उन के असल मकसद का पता चल सकता.

सुलतान और इरफान ने लूटपाट करने वाले बदमाशों के बारे में कोई भी जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने सीधे तौर पर किसी पर शक भी जाहिर नहीं किया. ऐसी स्थिति में लूटपाट करने वाले बदमाशों को तलाशना पुलिस के लिए चुनौती से कम नहीं था.

नीमकाथाना के थानाप्रभारी राजेंद्र यादव ने सीकर के एसपी डा. अमनदीप सिंह कपूर के सामने हाजिर हो कर अपने दिमाग में उठ रहे सारे सवाल बताए. एसपी साहब भी थानाप्रभारी की बातों से सहमत थे. उन्होंने थानाप्रभारी से इस मामले की फाइल ले कर एफआईआर और इस के बाद की पुलिस की काररवाई पर सरसरी नजर दौड़ाई. उन्हें लगा कि राजेंद्र यादव की बातों में दम है.

एसपी ने थानाप्रभारी से पूछा, ‘‘राजेंद्र, तुम इस केस को कैसे सौल्व करना चाहते हो?’’

‘‘सर, यह केस सौल्व तो तभी होगा जब बदमाश पकड़े जाएंगे.’’ थानाप्रभारी ने एसपी साहब से कहा, ‘‘सर, सब से पहले हमें यह पता लगाना होगा कि सुलतान और उस के साथियों की स्कौर्पियो गाड़ी का पीछा कहां से शुरू किया गया था.’’

अपनी बात जारी रखते हुए थानाप्रभारी ने एसपी साहब से कहा, ‘‘सर, इस के लिए हमें दिल्ली एयरपोर्ट तक जाना पड़ेगा. इस के साथ हमें दिल्ली से नीमकाथाना तक रास्ते में जहांजहां भी सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, वहां पर 7 मार्च की दोपहर की फुटेज देखनी पड़ेगी. इसी से हमे बदमाशों का सुराग मिल सकता है.’’

‘‘राजेंद्र, तुम्हारा आइडिया अच्छा है.’’ एसपी डा. अमनदीप सिंह कपूर ने थानाप्रभारी की हौसलाअफजाई करते हुए कहा, ‘‘तुम जल्दी से जल्दी यह काम पूरा करो. उम्मीद है तुम्हें कामयाबी जरूर मिलेगी.’’

‘‘थैंक यू सर.’’ थानाप्रभारी राजेंद्र यादव ने एसपी साहब को सैल्यूट किया और वहां से निकल गए.

थानाप्रभारी ने नीमकाथाना पहुंचते ही दिल्ली जाने की तैयारी शुरू कर दी. कुछ देर बाद वे अपने 2 मातहतों को ले कर गाड़ी से दिल्ली के लिए रवाना हो गए.

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मिली एक बड़ी सफलता

दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंच कर उन्होंने एयरपोर्ट के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की 7 मार्च की फुटेज निकलवा कर देखी. इस में सुलतान खां और उस के साथियों की स्कौर्पियो के पीछे एक ब्रेजा गाड़ी नजर आई.

इस के बाद पुलिस ने दिल्ली से नीमकाथाना तक के रास्ते में टोलनाके और अन्य जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकलवा कर देखी. इन में भी वह ब्रेजा गाड़ी इरफान व वली मोहम्मद की स्कौर्पियो के पीछेपीछे आती हुई नजर आई.

इस ब्रेजा गाड़ी के नंबर के आधार पर पुलिस ने नागौर जिले के लाडनूं थाना इलाके के तितरी गांव के रहने वाले चैन सिंह राजपूत को पकड़ा. चैन सिंह से पूछताछ की गई, तो सुलतान खान के साथियों से की गई लूट की वारदात की गुत्थी सुलझ गई. लेकिन उस ने जो कुछ बताया, उसे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई.

थानाप्रभारी राजेंद्र यादव ने एसपी साहब को सारी बातें बताई. एसपी साहब ने राजेंद्र को शाबासी देते हुए चैन सिंह के बताए बाकी अपराधियों को पकड़ने और माल बरामद करने के निर्देश दिए. साथ ही जिले के कुछ अन्य पुलिस अफसरों को सदर थानाप्रभारी के साथ सहयोग करने के लिए लगा दिया.

पुलिस टीमों ने भागदौड़ कर नागौर जिले के डीडवाना थाना इलाके के कोलिया गांव के रहने वाले इकबाल उर्फ भाणू खां, सीकर जिले के रानोली के रहने वाले विजय कुमार उर्फ बिज्जू भाट, नीमकाथाना सदर थाना इलाके के चला गांव निवासी बलराम मील और ढाणी खुड़ालिया तन डहरा जोहड़ी गुहाला के रहने वाले जवान सिंह उर्फ रामस्वरूप जाट को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने गिरफ्तार पांचों आरोपियों की निशानदेही पर डेढ़ करोड़ रुपए की कीमत का 4 किलो 300 ग्राम सोना, वारदात में इस्तेमाल की गईं 3 गाडि़यां ब्रेजा, कैंपर और स्विफ्ट के अलावा 315 बोर का एक कट्टा बरामद किया.

सिर्फ  30 हजार रुपए की लूट का करोड़ों रुपए की लूट में खुलासा होने पर जयपुर रेंज के आईजी एस. सेंगाथिर भी सीकर आ गए. उन्होंने आरोपियों से पूछताछ की और एसपी डा. अमनदीप सिंह कपूर और अन्य मातहत अधिकारियों को बधाई दी.

आरोपियों से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह सोने के तस्करों की आपसी रंजिश की कहानी है. उस्तादों के उस्ताद बनने की यह कहानी सरकारी सिस्टम को भी अंगूठा दिखाती है कि किस तरह विदेशों से तस्करी कर सोना भारत में लाया जा रहा है. इस के अलावा विदेशों में बैठे तस्कर ही अपने सहयोगियों से सोने की लूट भी करवा रहे हैं.

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यह बात किसी से छिपी नहीं है कि विदेशों से रोजाना चोरीछिपे बड़ी मात्रा में सोना भारत लाया जाता है. विदेशों से अधिकांश सोना हवाई मार्ग से ही आता है. तस्करी से जुड़े लोग सोना लाने और कस्टम से बचने के नएनए तरीके अपनाते हैं. कुछ तस्करों की एयरपोर्ट पर सुरक्षा अधिकारियों या एयरलाइंस के कर्मचारियों से मिलीभगत भी होती है. इस से वे सुरक्षित बाहर निकल आते हैं.

राजस्थान में भी सोने की तस्करी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं. इन गिरोहों के लोग दिल्ली या जयपुर एयरपोर्ट पर सोना ले कर आते हैं. इन में कभीकभी कुछ लोग पकड़े भी जाते हैं, जबकि अधिकांश तस्कर सुरक्षा व्यवस्थाओं को धता बता कर सोना लाने में सफल हो जाते हैं.

सोने की ऐसे होती है तस्करी

सीकर, चूरू व झुंझुनूं जिले के शेखावटी इलाके के करीब 5 लाख लोग खाड़ी देशों में काम करते हैं. इन में अधिकतर कामगार हैं, जो भवन निर्माण कार्यों से जुड़े हैं. कोई आरसीसी लेंटर डालने का काम करता है, तो कोई टाइल्स लगाने का काम. ये लोग सालछह महीने में एक बार अपने घर आते रहते हैं.

खाड़ी देशों में सक्रिय सोने के तस्कर शेखावटी के इन लोगों को लालच दे कर अपने कैरियर के रूप में इस्तेमाल करते हैं. बदले में इन कैरियर को हवाई टिकट का पैसा और कुछ खर्चा दे दिया जाता है. एयरपोर्ट से बाहर निकलने पर तस्कर गिरोह के लोग इन कैरियरों से सोना ले लेते हैं. एयरपोर्ट पर पकड़े जाने पर कैरियर अगर फंस जाता है, तो बाहर बैठे तस्कर गिरोह के सदस्य अपनी कोशिशें करते हैं. कोशिश कामयाब हो जाती है तो ठीक, वरना ये लोग उस कैरियर से पल्ला झाड़ लेते हैं.

नागौर जिले के खुनखुना थाना इलाके के शेरानी आबाद के रहने वाले शेर मोहम्मद और लाल मोहम्मद सऊदी अरब से कैरियर के माध्यम से तस्करी का सोना मंगवाते हैं. इन में लाल मोहम्मद अब सऊदी अरब में रहता है. जबकि शेर मोहम्मद और लाल मोहम्मद में आजकल रंजिश चल रही है.

रंजिश का कारण यह है कि करीब डेढ़ साल पहले लाल मोहम्मद की ओर से सऊदी अरब से मंगाए गए सोने की लूट हो गई थी. लाल मोहम्मद को इस लूट में शेर मोहम्मद का हाथ होने का शक था. इस के बाद लाल मोहम्मद के साथ एक बार फिर धोखा हो गया. लाल मोहम्मद के लिए सऊदी अरब से तस्करी का सोना ले कर आया एक कैरियर दिल्ली से निर्धारित गाड़ी में न आ कर दूसरी गाड़ी में बैठ कर चला गया था.

बाद में लाल मोहम्मद ने उस का अपहरण कर अपना सोना वसूल किया था. इस मामले में नागौर जिले के खुनखुना थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस में पुलिस ने लाल मोहम्मद, चैन सिंह, मोहम्मद अली, अली मोहम्मद, अब्दुल हकीम आदि के खिलाफ चालान पेश किया था.

आजकल सऊदी अरब में रह कर भी लाल मोहम्मद अपने विरोधी शेर मोहम्मद की गतिविधियों की सारी जानकारियां रखता था. चूरू जिले के बीदासर गांव का रहने वाला वली मोहम्मद 3 साल से सऊदी अरब में रह रहा था. वह वहां आरसीसी लेंटर डालने का काम करता था. बीदासर गांव का ही रहने वाला इरफान करीब 9 महीने से सऊदी अरब में रह कर टाइल्स लगाने का काम करता था.

तस्कर देते हैं लालच

वली मोहम्मद और इरफान भारत में अपने घर आना चाहते थे. सोने के तस्कर शेर मोहम्मद को यह बात पता चली, तो उस ने सऊदी अरब में सक्रिय अपने लोगों के माध्यम से इन दोनों को सोना लाने के लिए राजी कर लिया. उस ने दोनों को सऊदी अरब से दिल्ली तक का हवाई जहाज का फ्री टिकट और दिल्ली से गांव तक जाने के लिए टैक्सी कराने का वादा किया था.

दूसरी तरफ सऊदी अरब में रह रहे शेर मोहम्मद के विरोधी लाल मोहम्मद को यह बात पता चल गई कि बीदासर के इरफान और वली मोहम्मद नाम के 2 युवक शेर मोहम्मद के लिए सोना ले जाएंगे. इस पर लाल मोहम्मद ने योजना बना कर इन दोनों से संपर्क कर उन्हें लालच दिया और अपनी योजना में शामिल कर लिया.

सऊदी अरब में तस्करी के लिए सोने को पिघला कर अलगअलग रूपों में ढाल दिया जाता है. फिर उस सोने को पारे की परत चढ़ा कर ऐसा रंग दे दिया जाता है कि वह एल्युमीनियम नजर आता है. इस एल्युमीनियम रूपी सोने को इलैक्ट्रौनिक सामान का पार्ट बना दिया जाता है. इस तरह इलैक्ट्रौनिक उपकरण के रूप में तस्करी का सोना भारत आता है.

निश्चित दिन सऊदी अरब में शेर मोहम्मद के लोगों ने बीदासर के इरफान और वली मोहम्मद को भारत ले जाने के लिए 7 स्पीकर और एक प्रैस में छिपा कर 5 किलो सोना सौंप दिया. इस के बाद शेर मोहम्मद के लोग इन दोनों से मोबाइल के माध्यम से लगातार संपर्क में रहे. वहीं, लाल मोहम्मद भी इरफान और वली मोहम्मद से संपर्क बनाए हुआ था. इन से लाल मोहम्मद को पता चल गया था कि वे किस दिन कौन सी फ्लाइट से दिल्ली पहुंचेंगे.

स्पीकर में पारे से एल्युमीनियम के रंग में रंगी सोने की प्लेटों को चिपकाया गया था जबकि इलैक्ट्रिक प्रैस में सोने की प्लेट को सिल्वर रंग दे कर नट से कस दिया गया था. इरफान और वली मोहम्मद हवाई जहाज से दिल्ली एयरपोर्ट पर उतर कर बाहर आ गए. कहा जाता है कि सोने के तस्कर शेर मोहम्मद की दिल्ली एयरपोर्ट पर कस्टम व सुरक्षा अधिकारियों से मिलीभगत थी, इसलिए इरफान और वली मोहम्मद को न तो किसी ने रोका और ना ही उन के सामान की जांच की.

सऊदी अरब से सोना ले कर आ रहे इरफान और वली मोहम्मद को दिल्ली से लाने के लिए शेर मोहम्मद ने सुलतान खां और उस के भाई इरफान को स्कौर्पियो गाड़ी ले कर भेजा.

लूटने की बना ली योजना

दूसरी तरफ लाल मोहम्मद ने सऊदी अरब से ईमो कालिंग के जरिए अपने ड्राइवर नागौर जिले के लाडनूं के तितरी निवासी चैन सिंह राजपूत को सोना ले कर आ रहे इरफान और वली मोहम्मद से माल लूटने को कहा.

उस ने चैन सिंह को इरफान और वली मोहम्मद की फोटो सहित फ्लाइट नंबर वगैरह की सारी जानकारी दे दी. इस पर चैन सिंह ने अपने परिचित बदमाशों इकबाल, विजय कुमार उर्फ बिज्जू, जवान सिंह उर्फ रामस्वरूप, बलराम और 3 अन्य लोगों को साथ ले कर सोना लूटने की योजना बनाई.

योजना के मुताबिक चैन सिंह और उस का एक साथी नरेंद्र सिंह ब्रेजा गाड़ी ले कर 7 मार्च को फ्लाइट आने के समय से काफी पहले ही दिल्ली एयरपोर्ट पहुंच गए. उन्होंने फ्लाइट आने के बाद एयरपोर्ट से बाहर निकल रहे यात्रियों में फोटो के आधार पर इरफान और वली मोहम्मद को पहचान लिया. चैन सिंह व उस का साथी नरेंद्र उन पर नजर रखते रहे.

इरफान और वली मोहम्मद जब सुलतान खां व उस के भाई इरफान के साथ उन की स्कौर्पियो में बैठ गए, तो चैन सिंह व उस का साथी अपनी ब्रेजा गाड़ी से उन के पीछेपीछे चलते रहे. बीचबीच में ये लोग अपने साथियों को सूचना भी देते रहे.

दिल्ली से जयपुर वाले नैशनल हाइवे नंबर 8 पर गुड़गांव, धारूहेड़ा, शाहजहांपुर, नीमराना, बहरोड़ हो कर ये लोग कोटपुतली पहुंच गए. कोटपुतली से नीमकाथाना जाने के लिए हाइवे से अलग रास्ता है. नीमकाथाना में बाइपास पर चैन सिंह के बाकी साथी एक कैंपर और एक स्विफ्ट कार में सोना ला रहे इरफान और वली मोहम्मद की स्कौर्पियो गाड़ी का इंतजार कर रहे थे.

दोनों कैरियरों के साथ सुलतान और उस के भाई की स्कौर्पियो गाड़ी जब नीमकाथाना में रेलवे अंडरपास पर पहुंची, तो चैन सिंह के साथियों ने अपनी दोनों गाडि़यां उन की स्कौर्पियो के आगेपीछे लगा कर सुलतान, उस  के भाई इरफान और दोनों कैरियर वली मोहम्मद व इरफान को गाड़ी से नीचे उतार लिया.

बदमाशों ने इन चारों को अपनी कैंपर गाड़ी में बैठा लिया. इन लोगों ने सुलतान की स्कौर्पियो अपने कब्जे में ले ली. रेलवे अंडरपास से ऊपर चढ़ाई पर सुलतान और उस का भाई इरफान बदमाशों से संघर्ष करने लगे, लेकिन दोनों कैरियर चुपचाप बैठे रहे. इस दौरान बदमाशों की गाड़ी की गति धीमी हो गई, तो दोनों कैरियर इरफान व वली मोहम्मद कूद कर भाग निकले. मौका मिलने पर सुलतान भी किसी तरह बच कर भाग निकला.

बदमाशों ने गाड़ी रोक कर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया, लेकिन शहर के बीच और दिन का समय होने के कारण उन्हें फंसने का डर हुआ. इस पर वे सुलतान के भाई इरफान और उन की स्कौर्पियो को ले कर भाग गए.

बाद में सुलतान ने पुलिस को 30 हजार रुपए नकद और इलैक्ट्रौनिक सामान लूटने और इरफान का अपहरण होने की सूचना दी, तो पुलिस ने नाकेबंदी करा दी. नाकेबंदी के दौरान बदमाश हांसनाला मंदिर के पास इरफान और स्कौर्पियो को छोड़ कर भाग गए.

लेकिन स्कौर्पियो में से वह सारा इलैक्ट्रौनिक सामान ले गए, जो इरफान और वली मोहम्मद सऊदी अरब से लाए थे. इसी इलैक्ट्रौनिक सामान में 5 किलोग्राम सोना छिपा कर रखा हुआ था. सुलतान ने पुलिस में जो रिपोर्ट दर्ज कराई, उस में केवल इलैक्ट्रौनिक सामान लूटने की बात कही थी, सोने का जिक्र नहीं किया था.

बाद में चैन सिंह सहित 5 बदमाशों की गिरफ्तारी से 5 किलोग्राम सोने की लूट का भंडाफोड़ हुआ. बाद में पुलिस ने सऊदी अरब से सोना लाने वाले चूरू के बीदासर निवासी इरफान और वली मोहम्मद को भी गिरफ्तार कर लिया. नागौर जिले के मकराना निवासी एक आरोपी नरेंद्र सिंह को भी पुलिस ने बाद में गिरफ्तार किया.

वह दिल्ली एयरपोर्ट से चैन सिंह के साथ ब्रेजा गाड़ी से सुलतान और दोनों कैरियरों का पीछा कर रहा था. इस वारदात में चैन सिंह के साथ मिल कर लूट व अपहरण की वारदात करने वाले कुछ बदमाश कथा लिखे जाने तक फरार थे. पुलिस उन की तलाश कर रही थी.

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सभी पुलिस वालों को मिली पदोन्नति

इस के साथ ही 700 ग्राम सोने के बारे में भी पता किया जा रहा है. पुलिस ने 6 स्पीकर और एक प्रैस में भरा 4 किलो 300 ग्राम सोना ही बरामद किया है. एक स्पीकर खाली मिला था. पुलिस को अंदेशा है कि आरोपियों ने एक स्पीकर में भरा सोना खुर्दबुर्द कर दिया होगा.

पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार आरोपी विजय कुमार उर्फ बिज्जू भाट राजस्थान के कुख्यात अपराधी आनंद पाल के गिरोह से जुड़ा हुआ था. आनंद पाल के एनकाउंटर के बाद वह राजू ठेहठ गैंग से जुड़ गया. वह अवैध हथियारों की सप्लाई भी करता है. बिज्जू के खिलाफ फायरिंग व लूट के 7 मामले दर्ज हैं. वह 5 हजार रुपए का इनामी बदमाश है.

इकबाल उर्फ भाणू खां नागौर जिले के कुचामन थाने का हिस्ट्रीशीटर है. कुचामन और डीडवाना में उस के खिलाफ  9 मुकदमे दर्ज हैं. चैन सिंह के खिलाफ  खुनखुना व लाडनूं थाने में अपहरण, मारपीट व शराब तस्करी के 8 मामले दर्ज हैं. जवान सिंह उर्फ रामस्वरूप चर्चित भढाढर हत्याकांड का मुख्य आरोपी है. वह लूट व डकैती की कई वारदातों में भी शामिल रहा है.

एसपी डा. अमनदीप सिंह कपूर का दावा है कि शेर मोहम्मद हर साल 5 से 7 बार कैरियरों के माध्यम से सऊदी अरब से सोना मंगवाता है. सोने की तस्करी से जुड़े इस मामले की सीबीआई और फेरा को भी जानकारी दी जाएगी. सोना लूट की यह योजना लाल मोहम्मद ने सऊदी अरब में बैठ कर ही बनाई थी, इसलिए उस के खिलाफ  भी काररवाई की जाएगी.

जयपुर रेंज के आईजी एस. सेंगाथिर ने शेखावटी की अब तक की सब से बड़ी सोने की तस्करी का खुलासा करने वाली पुलिस टीम में शामिल नीमकाथाना के डीएसपी रामावतार सोनी, थानाप्रभारी राजेंद्र यादव, साइबर सेल के सबइंसपेक्टर मनीष शर्मा, हैड कांस्टेबल सुभाषचंद, कांस्टेबल कर्मवीर यादव व मुकेश कुमार की पदोन्नति की सिफारिश करने की बात कही है.

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