कत्ल करने से पीछे नहीं हट रही पत्नियां

एक पारिवारिक झगड़े के मसले पर फैसला देते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की है कि ‘बीते डेढ़ दशक में प्रेम प्रसंगों के चलते होने वाली हत्याओं की दर बढ़ी है, जिस से समाज पर बुरा असर पड़ा है. इस पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है.’

कोर्ट की यह टिप्पणी बताती है कि पारिवारिक झगड़ों में अब प्रेम संबंधों का जड़ में होना बढ़ गया है. इन मामलों पर सोचविचार करने पर पता चलता है कि अब प्रेमी के साथ मिल कर या अकेले पत्नी ही अपने पति की हत्या करने से हिचक नहीं रही है. ऐसी वारदातें बढ़ती जा रही हैं.

राजस्थान के अलवर जिले की एसपी डाक्टर किरण कंग सिद्दू ने बताया कि घाटोली कसबे में 23 जुलाई, 2022 की सुबह एक घर में घाटोली के ही रहने वाले नानूराम उर्फ बीरम लोधा की लाश मिली थी.

नानूराम की मां ने अपने बेटे की ही पत्नी मनोहर बाई के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कराया था. जांचपड़ताल में सामने आया कि मनोहर बाई ने ही अपने प्रेमी राकेश पुत्र बिरधीलाल लोधा और शेर सिंह पुत्र उमराव सिंह लोधा के साथ मिल कर मारपीट कर उस का गला दबा कर हत्या कर दी थी.

पुलिस ने 24 जुलाई, 2022 को मनोहर बाई को तो गिरफ्तार कर लिया था, पर उस का प्रेमी राकेश और उस का साथी शेर सिंह फरार हो गए थे. बाद में पुलिस ने उन को भी पकड़ लिया था और दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था.

एक घटना 25 जनवरी, 2017 की है. रमीला भोई द्वारा थाना बसना में सूचना दी गई थी कि 24 जनवरी, 2017 को उस के बड़े भाई का बेटा विदेशी अपनी पत्नी दुलना और दोनों बच्चों के साथ उस के घर पर आया हुआ था.

25 जनवरी, 2017 को वह किसी काम से घर से बाहर गई थी. उसी दौरान विदेशी के दोनों बच्चे दौड़ते हुए आए और विदेशी द्वारा दुलना को परसूल से मारने की बात बताई. जब वह उन दोनों बच्चों के साथ घर पहुंची तो देखा कि विदेशी कमरे के दरवाजे पर खड़ा था और अंदर दुलना खून से लथपथ पड़ी हुई थी. रमीला ने इस की सूचना बसना थाना में दी.

पुलिस द्वारा मामले की जांचपड़ताल के बाद कोर्ट में अभियोगपत्र पेश किया गया. कोर्ट में मामले की जांचपड़ताल में विदेशी भोई को दुलना बाई की हत्या के आरोप में भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 302 के तहत कुसूरवार पाया गया. जज द्वारा आरोपी विदेशी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

एक और मामले में छायाबाई का लाखन नाम के लड़के से प्रेम प्रसंग था. इस को ले कर छायाबाई और उस के पति भगवान सिंह के बीच अकसर झगड़ा होता था.

11 जून, 2020 की रात को छायाबाई ने अपने प्रेमी लाखन और एक और आरोपित अकील उर्फ अक्कू को रात में घर बुलाया. तीनों ने मिल कर भगवान सिंह के साथ मारपीट की. लोहे की छड़ और ब्लेड से वार कर उस की हत्या कर दी गई.

उसी रात भगवान सिंह की लाश को बोरे में भर कर छायाबाई अपने प्रेमी लाखन और अकील की मदद से स्कूटी से बाईपास हनुमान मंदिर के पीछे ले गई और पैट्रोल डाल कर जला दिया गया.

इस के बाद छायाबाई ने अपने पति भगवान सिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट औद्योगिक थाने में दर्ज कराई. पुलिस को झूठी कहानी बताई. इस पूरे मामले में द्वितीय सत्र न्यायाधीश गंगाचरण दुबे द्वारा 3 जुलाई को फैसला सुनाते हुए आरोपी छायाबाई को आजीवन कारावास और जुर्माना लगाया गया. वहीं लाखन पुत्र बहादुर और अकील उर्फ अक्कू को भी आजीवन कारावास की सजा दी गई.

सीहोर में अपने पति की 2 प्रेमियों के साथ मिल कर हत्या करने वाली पत्नी और उस के दोनों प्रेमियों को जिला कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरएन चंद ने मामले में आरोपी सौरभ दास, हृिदेश निवासी ऊंची ललोई, बैरसिया जिला भोपाल और शारदा बाई निवासी ग्राम जाजनखेड़ी थाना श्यामपुर (मायका ग्राम ऊंची ललोई, बैरसिया, भोपाल) को अभियोजन पक्ष के तर्कों से सहमत हो कर आरोपी सौरभ दास और हृिदेश को धारा 302, 34 भारतीय दंड संहिता में आजीवन कारावास और 5,000-5,000 रुपए के जुर्माने व धारा 120बी भारतीय दंड संहिता में आरोपी शारदा बाई को आजीवन कारावास और 5,000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई.

मीडिया सैल के प्रभारी केदार सिंह कौरव ने बताया कि फरियादी जगदीश गौर पिता हरिप्रसाद गौर ने 14 सितंबर, 2021 को अज्ञात आरोपियों द्वारा मलखान गौर की हत्या कर देने की रिपोर्ट की थी.

फरियादी की रिपोर्ट पर अपराध दर्ज कर जांचपड़ताल की गई, तो पाया गया कि मृतक की पत्नी शारदा बाई के मोबाइल फोन की सिम सौरभ दास के नाम से थी, जो आरोपी सौरभ दास के मोबाइल फोन पर लगातार बात करती थी और आरोपी सौरभ दास की बात आरोपी हृिदेश गौर के मोबाइल पर लगातार हो रही थी.

सीडीआर और चैटिंग रिकौर्ड के आधार पर सौरभ दास और शारदा बाई को पुलिस कस्टडी में ले कर पूछताछ की गई, तब इन लोगों ने बताया कि शारदा बाई का पहले से ही सौरभ दास और हृिदेश गौर से प्रेम प्रसंग चल रहा था और नाजायज संबंध थे.

आरोपी ने यह भी बताया कि शारदा बाई की शादी जगदीश से कर दी गई थी, जबकि तीनों के प्रेम प्रसंग और मिलनेजुलने के चलते आरोपी शारदा बाई का उस के पहले पति जगदीश से तलाक हो गया था. इस के बाद आरोपी शारदा बाई का ग्राम जाजनखेड़ी के मलखान से नाता हुआ था. इस के बाद भी दोनों आरोपी सौरभ दास और हृिदेश से आरोपी शारदा बाई का प्रेम संबंध चलता रहा. तीनों समयसमय पर मिलतेजुलते थे.

वारदात से पहले जब आरोपी शारदा बाई अपने मायके रक्षाबंधन पर गई थी, तब उस ने आरोपी सौरभ दास और हृिदेश से कहा था कि मैं तुम लोगों से अपने पति मलखान के रहते हुए मिल नहीं सकती हूं. तुम लोगों को इसे रास्ते से हटाना होगा, तभी हम लोग अच्छे से मिल सकेंगे.

अगर तुम लोगों ने मलखान की हत्या नहीं की, तो मैं तुम्हारे नाम से आत्महत्या कर लूंगी. तब तीनों आरोपियों ने योजना बना कर मलखान को गांव के बाहर मक्के के खेत के पास बुलाया और दोनों आरोपियों हृिदेश व सौरभ दास ने कुल्हाड़ी से उस की हत्या कर दी.

आरोपियों की निशानदेही पर वारदात में इस्तेमाल की गई कुल्हाड़ी जब्त कर ली गई और सभी आरोपियों के मोबाइल फोन भी जब्त किए गए. तब साइबर जांच रिपोर्ट में तीनों आरोपियों के मोबाइल से लगातार आपस में बातचीत होना पाया गया. एफएसएल रिपोर्ट के बाद कुल्हाड़ी पर इनसानी खून का होना भी पाया गया. पूरी जांचपड़ताल के बाद कोर्ट के सामने अभियोगपत्र पेश किया गया.

उत्तर प्रदेश में रायबरेली जिले के बछरावां के तहत सेंहगो पश्चिम गांव में नौजवान की मौत से परदा उठा तो पता चला कि यह कुदरती मौत नहीं, बल्कि साजिशन हत्या थी, जिस की आरोपी कोई और नहीं, बल्कि उसी की पत्नी निकली. पुलिस ने उस औरत को हत्या के आरोप में जेल भेजा. वहीं औरत का कहना था कि मारपीट से परेशान हो कर उस ने यह कदम उठाया और कानून को अपने हाथ में ले लिया.

अपर पुलिस अधीक्षक विश्वजीत श्रीवास्तव ने बताया कि अतुल वैवाहिक कार्यक्रमों में हलवाई का काम करता था. वह अपनी पत्नी अन्नू और 2 बच्चों के साथ अलग रहता था. अन्नू ब्यूटी पार्लर चलाती थी. 13 दिसंबर की सुबह वह शराब के नशे में चूर हो कर घर लौटा था. उस वक्त बच्चे स्कूल गए हुए थे. अतुल का अन्नू से झगड़ा हो गया. उस ने अन्नू को मारने की कोशिश की. बचाव में उस की पत्नी ने पास पड़ी पाटी उस के सिर पर दे मारी और फिर खुद ही उस का गला दबा दिया.

अतुल की हत्या करने के बाद अन्नू ने लाश को बैडरूम में ले जा कर बिस्तर पर लेटा दिया और खुद ब्यूटी पार्लर चली गई. दोपहर में जब घर वापस लौटी, तब तक बच्चे भी स्कूल से घर आ गए थे. बच्चों ने पूछा कि पापा उठ क्यों नहीं रहे हैं? इस पर अन्नू ने जवाब दिया कि काफी थके होने के चलते वे सो रहे हैं. रात में मौका मिलने पर अन्नू ने अतुल की लाश बैडरूम से बाहर निकाल कर चारदीवारी के पास डाल दी.

पहले भी कई बार अतुल नशे में आता था, तो घर के बाहर ही गिर पड़ता था. पड़ोस में रहने वाले उस के जेठ अतुल का इलाज कराने के लिए ले जाते थे. अन्नू ने सोचा कि इस बार भी कुछ ऐसा ही होगा और वह कानून की नजरों से बच जाएगी. पर ऐसा हो न सका.

जोखिम लेने की ताकत बढ़ी है

पिछले कुछ सालों से औरतों में आत्मनिर्भरता बढ़ी है. ऐसे में अब उन में कानून और पुलिस के साथसाथ समाज का भी डर खत्म हो गया है. अदालतों में फैसला होने में लंबा वक्त लगता है. ऐसे में हत्या के 5-6 महीने जेल में रहने के बाद आरोपी बाहर आ जाता है और वह आराम से अपनी जिंदगी गुजारने लगता है.

पर ऐसे मामलों में घिरे लोग यह भूल जाते हैं कि आज के दौर में अपराध को छिपाना मुश्किल काम होता है. किसी न किसी वजह से अपराधी पकड़ में आ ही जाता है. अपराध करने से पहले सौ बार सोचने की जरूरत होती है. एक अपराध पूरे परिवार को खत्म कर देता है.

अगर पारिवारिक जीवन में कोई परेशानी है, तो खतरनाक कदम उठाने से पहले एकदूसरे से दूर रहने की सोचें. तलाक देने के रास्ते खुले हैं. इस के लिए हत्या जैसे बड़े अपराध करने जरूरी नहीं हैं.

अकेलापन बढ़ाता है समस्या

कुछ मामलों में जहां शादी के बाद पति बाहर रहता है और पत्नी घर पर अकेली रहती है, ऐसे में उस के करीबी संबंध दूसरे लोगों से बन जाते हैं, जो बाद में झगड़े की वजह बनते हैं. यही झगड़े हत्या की भी वजह बन जाते हैं. पत्नियों में अब हिम्मत बढ़ी है. उन को लगता है कि वे चतुराई से बच निकलेंगी, लेकिन ऐसा हो नहीं पाता है.

 शादी के पहले से बने संबंध

कई वारदातें ऐसी होती हैं, जिन में औरत के शादी से पहले दूसरी जगहों पर संबंध बने होते हैं. वे परिवार के दबाव में शादी कर लेती हैं, लेकिन उन का प्रेम संबंध छूटता नहीं. ऐसे में एक जगह वह आती है, जहां पर हत्या की योजना बनने लगती है. नतीजतन, पत्नी अपने प्रेमी के साथ मिल कर वारदात को अंजाम देती है.

नशा है बड़ी वजह

पतिपत्नी के झगड़े में जो वजहें सब से बड़ी दिखती हैं, उन में पति का नशा करना सब से ऊपर होता है. नशा करने वाला पति न तो घरपरिवार की सही तरह से जिम्मेदारी उठा पाता है और न ही वह पत्नी को खुश रखता है. कई बार खुशी की तलाश में पत्नी भटक जाती है. यहीं से छोटेछोटे झगड़े मारपीट से होते हए हत्या जैसे खतरनाक हालात तक पहुंच जाते हैं.

बेटे का पाप

Crime in hindi

सत्यकथा: पत्नी की सहेली पर वासना का वार

दिन ढलने वाला था. करीब 3 बजे का वक्त रहा हागा. उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में रहने वाले 26 वर्षीय अमन बिष्ट कमरे में बैड पर करवटें बदल रहा था. मन में अजीब तरह की बेचैनी थी. काल सेंटर की ड्यूटी से सुबह 5 बजे घर आया था. सीधा बैड पर कंबल में जा घुसा था. पत्नी अनुप्रिया कब ड्यूटी पर घर से निकली, उसे पता ही नहीं चला. दिन में 11 बजे के करीब नींद खुली, तब फ्रैश होने के लिए सीधा बाथरूम में गया.

आधे घंटे बाद किचन में रखा फ्रिज खोलने लगा. उस पर एक चिट चिपकी थी. चिट पर लिखा था, ‘दूध खत्म हो गया है, ले आना. रात की बची सब्जी खा लेना. आटा रखा है. परांठा बना लेना.’ चिट पत्नी अनुप्रिया लगा कर गई थी.

सुबह साढ़े 8 बजे निकलते हुए उस ने सोए अमित को जगा कर कहने के बजाय चिट पर लिख दिया था. चिट की सारी बातें आदेश थीं. पढ़ कर अमन भीतर ही भीतर तिलमिला गया. पत्नी दरवाजा बाहर से लौक कर गई थी. डुप्लीकेट चाबी फ्रिज पर रखी थी.

वह कौशिक एनक्लेव के अपार्टमेंट के नीचे की दुकान से दूध, ब्रेड और मक्खन खरीद लाया. चाय बनाई. उस के साथ 4 ब्रेड सेंक लिए. खाने के बाद कमरे में ही इधरउधर चहलकदमी करता हुआ मोबाइल पर सोशल साइटों को स्क्राल करने लगा.

अचानक जाने उसे क्या सूझी, उस ने बार्डरोब से पत्नी के कपड़े निकाल कर बैड पर फैला दिए. उस में से कुछ अंडरगारमेंट छांटे. बाकी कपड़े सहेज कर दोबारा बार्डरोब में रख दिए.

कुछ समय बाद उस ने मोबाइल से एक नंबर पर काल मिलाया, ‘‘हैलो प्रियंका, क्या हो रहा है?’’

‘‘कुछ खास नहीं, यूं ही शादी के लिए लहंगे का प्राइस पता कर रही हूं. मम्मी ने कहा है कि मेरी शादी के कुछ हफ्ते ही बचे हैं.’’ प्रियंका बोली.

वह उस की पत्नी अनुप्रिया के स्कूल की खास सहेली थी. पास में ही अपने मातापिता और भाईबहन के साथ रहती थी. अमन ने पत्नी की उसी सहेली प्रियंका को काल किया था. वह उस से काफी घुलीमिली थी. उस के घर भी आनाजाना लगा रहता था.

जब कभी अमन का मन विचलित होता या उदासी से घिर जाता, तब प्रियंका से बातें कर लिया करता था. इस बात को प्रियंका भी समझती थी.

उस रोज 18 फरवरी, 2022 को भी अमन का मन बेचैन था. मन में कुछ वैसी बातें गांठ बन रही थीं, जो प्रियंका ही खोल सकती थी. इसलिए वह अपने मन की बात प्रियंका को बताना चाहता था. खुशमिजाज प्रियंका को उस ने कहा, ‘‘तुम से आज मिलना चाहता हूं, कुछ जरूरी काम है.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ? फिर अनुप्रिया से झगड़ा हो गया?’’ प्रियंका बोली.

‘‘वैसा ही कुछ समझ लो, वैलेंटाइन डे के एक दिन पहले से ही रूठी है.’’

‘‘आखिर हुआ क्या?’’ प्रियंका बोली.

‘‘मैं जो गिफ्ट देना चाहता था, उस का नाम सुनते ही भड़क उठी. फिर भी मैं अगले रोज खरीद लाया,’’ अमन बोला.

‘‘क्या गिफ्ट था, जरा मैं भी तो सुनूं.’’ प्रियंका बोली.

‘‘मिलोगी, तब उस बारे में बताऊंगा.’’ अमन बोला.

‘‘अच्छा छोड़ो पुरानी बात, अब क्या है? वैलेंटाइन गए तो कई दिन गुजर गए,’’ प्रियंका ने कहा.

‘‘मैं चाहता हूं कि उस के पसंद की साड़ी खरीदूं, लेकिन मुझे उस की अच्छी समझ नहीं है. इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम मेरे साथ बाजार चलो ताकि मैं अच्छी साड़ी खरीद लूं. वैसे भी तुम उस का टेस्ट मुझ से अच्छी तरह जानती हो,’’ अमन आग्रह के लहजे में बोला.

‘‘चलो ठीक है चलती हूं, लेकिन मम्मी से पूछ कर काल करती हूं. तुम अपनी स्कूटी ले कर आ जाना,’’ कहती हुई प्रियंका ने फोन कट कर दिया.

कुछ देर में ही प्रियंका ने अमन को फोन कर आने की सूचना दे दी. अमन 10 मिनट में प्रियंका के घर चला गया. उसे स्कूटी पर अपने फ्लैट पर ले आया. जबकि प्रियंका ने उस से सीधे बाजार चलने को कहा, तब उस ने बताया कि पहले उसे वह गिफ्ट को दिखाना चाहता है, जो पत्नी के लिए खरीदा था.’’

बातें करतेकरते दोनों फ्लैट में आ गए थे. अमन ने प्रियंका को सीधा बैडरूम में जाने के लिए इशारा किया और खुद किचन में चला गया. प्रियंका बैडरूम में बैड पर फैले कपड़ों को देख कर चौंक पड़ी.

तुरंत वह भी किचन में आते ही बोली, ‘‘यह सब क्या है अमन? बैडरूम की तुम ने क्या हालत बना रखी है. और…और उस पर तुम ने बीवी के कैसेकैसे कपड़े फैला रखे हैं. मुझे लगता है कि अनुप्रिया ने तो ऐसा नहीं किया होगा.’’

‘‘क्यों, क्या हुआ पसंद नहीं आया वह सब,’’ अमन मुसकराता हुआ बोला.

‘‘पसंद? कैसी बेशर्मी की बातें कर रहे हो, वह भी एक लड़की के सामने. अब समझी कि अनुप्रिया तुम से क्यों नाराज हुई होगी.’’ प्रियंका सख्ती से बोली.

‘‘इस में नाराज होने की बात क्या है? मैं वही तो उस के लिए वैलेंटाइन गिफ्ट ले कर आया था. उसे पसंद नहीं आया. तुम्हें पसंद है तो तुम ले लो मेरी तरफ से यह गिफ्ट.’’

‘‘तुम तो बड़े बदतमीज हो. मैं तुम से अंडरगारमेंट्स गिफ्ट लूंगी? शर्म नहीं आती है तुम्हें… मैं तो तुम्हें बहुत अच्छा और सभ्य समझती थी, लेकिन तुम तो बेहद ही गंदे इंसान निकले. मैं जा रही हूं.’’ कहती हुई प्रियंका मेन गेट की ओर बढ़ी.

अमन ने उस का हाथ पकड़ लिया. एक झटके में हाथ छुड़ा कर प्रियंका तेजी से दरवाजा खोलने के लिए हैंडल घुमाने लगी. दरवाजा लौक था. पीछे से अमन उस के पास आ कर बोला, ‘‘लौक लगा है. दरवाजा तब तक नहीं खुलेगा, जब तक मैं नहीं चाहूंगा.’’

प्रियंका का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बैडरूम में ले गया. उसे बैड पर वहीं गिरा दिया, जहां अनुप्रिया के लिए खरीदे गए अंडरगारमेंट्स फैले थे. कुटिलता के साथ बोला, ‘‘मैं आज इस बिकिनी और ब्रा को तुम्हें अपने हाथों से पहनाऊंगा और गिफ्ट भी करूंगा…’’

प्रियंका बैड से उठ बैठी. उस ने हाथ जोड़ लिए. वहां से जाने देने की भीख मांगने लगी, लेकिन अमन के दिमाग में उस समय कुछ और ही चल रहा था. प्रियंका उस की आंखों में सैक्स का उतावलापन देख कर सहम गई थी.

कमरे से निकलने की कोशिश करने लगी, लेकिन अमन उसे दबोचने का प्रयास करने लगा, ‘‘मैं जो कहता हूं, सीधी तरह मान जाओ, वरना मैं कुछ गलत कर बैठूंगा, तब मुझे बाद में मत कहना.’’

‘प्लीज मुझे छोड़ दो! छोड़ दो!!’ प्रियंका कहती रही. जबकि अमन उसे अपनी जिद के आगे झुकाने में लगा रहा.

‘‘मैं तुम्हें अपने हाथों से बिकिनी पहनाऊंगा, साथ में एक सेल्फी लूंगा. फिर तुम उसी पर अपने कपड़े पहन लेना और चली जाना. मैं सिर्फ इतना ही चाहता हूं.’’ अमन बोला.

‘‘नहीं…नहीं, प्लीज… अगले महीने मेरी शादी होने वाली है,’’ प्रियंका गिड़गिड़ाने लगी.

‘‘तो तुम ऐसे नहीं मानोगी.’’ यह कहते हुए अमन तेजी से किचन जा कर नायलोन की रस्सी ले आया.

पीछेपीछे दरवाजे तक आ चुकी प्रियंका को धकेलते हुए उस ने उसे बैड पर दोबारा पटक दिया. उस के हाथपैर बांध दिए. उस के साथ जबरदस्ती करने लगा. उस ने उस की जींस की बेल्ट खोलने की कोशिश की.

बचाव में प्रियंका पलट गई. अमन गुस्से में बोला, ‘‘साली… हरामजादी, हमारी बिल्ली, हम से म्याऊं. यह ले और छटपटा ले.’’ गुस्से में बड़बड़ाते हुए अमन ने उस के गले में रस्सी फंसा कर जोर से खींच दिया. प्रियंका की हलकी सी चीख निकल पड़ी और छटपटाती हुई कुछ पल में ही शांत हो गई.

औंधे मुंह पड़ी प्रियंका को देख कर अमन बोला, ‘‘सीधी तरह मान जाती तो बेहोश नहीं होती. पड़ी रह ऐसे. तेरे साथ मैं तो अब मनमाफिक सैक्स भी करूंगा…’’

अमन प्यार से प्रियंका के बदन को सहलाने लगा. उस की जींस खोल दी. उसे बिकिनी पहनाई. मोबाइल में उस की तसवीरें भी लीं और अपने मन की हर मुराद पूरी कर ली.

पत्नी की बेरुखी के चलते यौन जीवन से वंचित गुबार निकालने के बाद उस ने पाया कि प्रियंका बेहोश नहीं थी, बल्कि उस की सांसें हमेशा के लिए थम चुकी थीं. इस दौरान उस ने प्रियंका की लाश के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध भी बनाए.

प्रियंका की मौत हो जाने का एहसास होने पर वह घबरा गया. उस ने बचाव के लिए फटाफट अपने कपड़े और जरूरी सामान बैग में भरे और फरार हो गया. प्रियंका की लाश उस ने वहीं छोड़ दी. कमरे को इंटरलौक करने के अलावा बाहर से एक दूसरा ताला जड़ दिया.

शाम के करीब 8 बजे अनुप्रिया ड्यूटी से अपने फ्लैट पर आई. बाहर दूसरा ताला जड़ा देख चौंक गई. किसी अनहोनी से भी आशंकित हो गई. कारण इंटरलौक के साथसाथ दूसरा ताला तभी लगाया जाता था, जब दोनों अधिक समय या कुछ दिनों के लिए कहीं बाहर जाते थे.

अमन की स्कूटी नीचे पार्किंग में लगी थी. उस के पास बाहर लगे ताले की एक्स्ट्रा चाबी नहीं थी. वह सोच में पड़ गई. क्या करे… नहीं चाहते हुए भी उस ने अमन के मोबाइल पर काल किया, जो स्विच्ड औफ था.

अब उस की चिंता और बढ़ गई. कुछ देर इंतजार किया. करीब आधे घंटे तक वह नहीं आया, तब उस ने पड़ोसियों की मदद से ताला तुड़वाया.

कमरे में घुसते ही उसे कुछ अच्छा महसूस नहीं हुआ. जहांतहां सामान बिखरा पड़ा था. बैडरूम में जाते ही उस की चीख निकल गई. बैड पर एक युवती की अर्धनग्न लाश पड़ी थी. उस का चेहरा आधा दिख रहा था. उस ने तुरंत उसे पहचान लिया, मुंह से निकल पड़ा, ‘‘अरे यह तो प्रियंका है. यहां कैसे आई?’’

उस ने तुरंत पुलिस कंट्रोल रूम को काल कर लाश की सूचना दे दी. पुलिस टीम के साथ 5 मिनट में ही आ गई. पुलिस बैड पर पड़ी लाश की स्थिति, पास पड़ी नीले रंग की नायलोन की रस्सी, गले में रस्सी के गहरे निशान, अस्तव्यस्त बैड की चादर, बिखरे कपड़े आदि से समझ गई कि उस की गला घोट कर हत्या की गई है. युवती का अर्धनग्न शरीर रेप की भी गवाही दे रहा था.

पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में अनुप्रिया ने बताया कि मरने वाली प्रियंका उस की सहेली थी. उस का पति अमन बिष्ट वारदात के बाद से ही फरार है.

शुरुआती जांच में हत्या का संदेह अनुप्रिया के पति पर गया. पुलिस ने मृतका के घर वालों को इस की सूचना दे कर घटनास्थल पर बुला लिया.

मृतका की मां भागीभागी आई. उन्होंने पुलिस को बताया कि उस की बेटी प्रियंका अनुप्रिया के पति अमन के साथ बाजार से साड़ी खरीदवाने के लिए गई थी. अमन ही उसे बुलाने आया था.

इस मामले में थाना बुराड़ी में अमन बिष्ट के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. अनुप्रिया ने बताया कि उस ने अमन से 2 साल पहले प्रेम विवाह किया था. ग्रैजुएट अनुप्रिया एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करती थी. जबकि अमन एक काल सेंटर में काम करता था.

उस ने हरियाणा से पौलिटैक्निक किया था. अमन के मातापिता उन के प्रेम विवाह से नाराज चल रहे थे. वे अमन से कोई संबंध नहीं रखते थे. इस कारण अमन परिवार वालों से अलग किराए के मकान में रहता था.

फरार अमन की तलाशी के लिए डीसीपी (नौर्थ) सागर सिंह कलसी ने एसीपी स्वागत पाटिल के नेतृत्व में एक टीम बनाई.

टीम में बुराड़ी थानाप्रभारी राजेंद्र प्रसाद, एसआई सतेंद्र कुमार, दीपक कुमार, एएसआई राजीव कुमार, हैडकांस्टेबल सतवीर, परवीन कुमार, कांस्टेबल शीशराम, कुलदीप के साथसाथ महिला कांस्टेबल मेघा को शामिल किया गया.

अमन को ढूंढने की शुरुआत 18 फरवरी से हो गई. उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया. अगले रोज 19 फरवरी की शाम को दिल्ली पुलिस ने अमन का फोन लखनऊ में औन पाया. तुरंत वहां की पुलिस को सूचना दे कर मदद मांगी गई. लेकिन पुलिस उसे लखनऊ में नहीं दबोच पाई.

मोबाइल फोन सर्विलांस के माध्यम से 20 फरवरी, 2022 को अमन के जयपुर में होने की जानकारी मिली. दिल्ली पुलिस ने तुरंत वहां की पुलिस से संपर्क किया. अमन जयपुर से निकल भागने में सफल नहीं हो पाया. जयपुर की पुलिस ने अमन को बस अड्डे से गिरफ्तार कर लिया.

21 फरवरी की सुबहसुबह अमन बुराड़ी थाने में था. उस से जांच टीम ने प्रियंका की हत्या के मामले में गहन पूछताछ की. जल्द ही उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

अमन के बयान के आधार पर उस पर 24 वर्षीय युवती प्रियंका की हत्या और उस के साथ अप्राकृतिक यौनाचार संबंधी आईपीसी की धाराएं लगाई गईं. हत्या की धारा 302 तो पहले से ही एफआईआर में दर्ज थी. उस में बलात्कार की धारा और अप्राकृतिक यौन संबंध की धारा 377 को  भी जोड़ दिया गया.

अमन ने बताया कि उस ने प्रियंका के साथ बलात्कार करने की कोशिश की थी. वह उस की हत्या नहीं करना चाहता था, लेकिन उस के द्वारा  विरोध करने पर गुस्से में उस के गले में रस्सी डाल दी थी. उसे अंदाजा नहीं था कि उस की मौत हो जाएगी.

इस छानबीन के बाद पुलिस ने दावा किया कि आरोपी एक सैक्स उन्मादी युवक था. वह नियमित रूप से पोर्न देखता था. अपनी पत्नी के साथ यौन जीवन से असंतुष्ट था.

इस कारण ही उस ने 24 वर्षीया प्रियंका को निशाना बना लिया था. यहां तक कि वह ड्रग्स और सैक्स क्षमता बढ़ाने वाली गोलियां लेता था. वह अपने करीबी दोस्तों के तानों से भी परेशान था. वे उसे कमजोर मर्द का ताना देते थे.

पूछताछ के दौरान अमन ने पत्नी के वास्ते साड़ी दिलाने के बहाने प्रियंका को अपने कमरे में बुलाने की बात स्वीकार ली. उस की बात मानने से इनकार करने पर जबरदस्ती की. गुस्से में आ कर उस की गरदन पर इतना जोर लगाया कि उस का दम घुट गया.

पुलिस ने नीले रंग की नायलोन की रस्सी बरामद कर ली. मैडिकल रिपोर्ट के आधार पर अप्राकृतिक यौन संबंध का खुलासा हो गया था.

दिल्ली पुलिस ने पूछताछ कर 23 फरवरी, 2022 को उसे कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

(यौन उत्पीड़न से संबंधित मामलों पर माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार पीडि़ता की निजता की रक्षा के लिए उस की पहचान का खुलासा नहीं किया गया है. कथा में अनुप्रिया और प्रियंका परिवर्तित नाम हैं)

बेटे का पाप : भाग 3

6 मार्च, 2020 की शाम साढ़े 5 बजे लक्ष्मी देवी घर पर नहीं थी, वह मंदिर गई हुई थी. शिवम ने रानी को बुला लिया और घर में रखे पैसे और गहने निकालने लगा. तभी लक्ष्मी देवी घर वापस लौट आई. शिवम की हरकत देख कर वह बिफर पड़ी, ‘‘शिवम!’’

मां की आवाज सुन कर शिवम चौंक गया और एक झटके में खड़ा हो कर अपनी मां की तरफ  देखने लगा. उस के पास ही रानी भी खड़ी थी.

बेटे शिवम को दुत्कारते हुए लक्ष्मी देवी बोली, ‘‘अब यही दिन तो दिखाना बाकी रह गया तुझे दुष्ट. खुद तो कभी कुछ कमाया नहीं और मेरी जिंदगी भर की पूंजी को चुरा कर उड़ाने पर आमादा है. आज तुझे तो मैं सबक सिखा कर ही रहूंगी. अभी मैं पुलिस को फोन करती हूं और तुम दोनों को अंदर करवाती हूं. जब जेल की हवा खाओगे, तब समझ में आएगा.’’

यह सुन दोनों घबरा उठे और एकदूसरे की ओर देखा. शिवम ने महसूस किया कि रानी जैसे उस से कह रही हो रोको अपनी मां को. शिवम ने सहमति में सिर हिलाया. फिर अपनी मां की ओर झपटा. मां के हाथ से मोबाइल छीन कर शिवम ने मां को बैड पर गिरा दिया. फिर बैड पर रखे तकिया से उस ने अपनी मां का कस कर मुंह दबा दिया, जिस से दम घुटने से लक्ष्मी देवी की मौत हो गई.

अब शिवम को समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या करे. उस ने रानी को उस के घर भेजा. फिर मकान के मेनगेट में लौक लगा कर वह भावना एस्टेट गया, वहां एक चाय की दुकान पर बैठा रहा. वहां बैठने के दौरान उस ने रानी से कई बार फोन पर बात की. वह चाय की दुकान पर 5 घंटे बैठा रहा. रात 11 बजे वह घर पहुंचा, तब उस ने जगदीशपुरा थाने को मां की मौत हो जाने की सूचना दी.

सूचना मिलने पर इंसपेक्टर राजेश कुमार अपने मातहतों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने लाश का निरीक्षण किया तो लक्ष्मी देवी के शरीर पर किसी तरह की चोट के निशान नहीं दिखे. इस का मतलब यही था कि किसी चीज से गला घोंटा गया है.

इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह घर पर नहीं था. अभी वह घर लौटा तो मां को इस हालत में पाया. घर में किसी अंजान व्यक्ति द्वारा वारदात किए जाने की शंका होते ही उस ने पुलिस को सूचना दी.

इन सब में इंसपेक्टर राजेश कुमार को अजीब बात यह लगी कि जिस बेटे की मां की मौत हुई थी उस बेटे को कोई गम नहीं था, चेहरे पर कोई शिकन तक नहीं थी, यह आश्चर्य की बात थी.

शिवम पर संदेह होने पर भी उन्होंने छेड़ा नहीं. अभी ऐसा कोई सुबूत उन के पास नहीं था, जिस से उसे गुनहगार ठहराया जा सके. उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया.

फिर थाने आ कर उन्होंने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में मृत्यु का कारण दम घुटना बताया गया था. मौत भी सूचना मिलने के पांच घंटे पहले होने की  बात बताई गई थी.

इस के बाद इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. घटना के समय शिवम की लोकेशन उस के घर की ही थी. काल डिटेल्स में एक नंबर पर इंसपेक्टर राजेश कुमार की नजर गई, उस नंबर पर शिवम की रोज कई बार बात होती थी.

घटना वाले दिन भी देर रात तक कई बार उस नंबर पर बात की गई थी. उस नंबर की जांच की गई तो वह शिवम के पड़ोस में रहने वाली रानी का निकला. घटना के समय रानी के मोबाइल फोन की लोकेशन शिवम के साथ ही थी.

8 मार्च, 2020 को इंसपेक्टर राजेश कुमार ने शिवम और रानी को गिरफ्तार कर लिया. उन से थाने ला कर पूछताछ की गई तो दोनों ने हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. इस के बाद इंसपेक्टर कुमार ने हत्या में प्रयुक्त तकिया भी बरामद कर लिया, जिस से उन्होंने लक्ष्मी देवी का गला घोंटा था.

आवश्यक कागजी खानापूर्ति करने के बाद शिवम और रानी को सक्षम न्यायालय में पेश किया गया, वहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधार

खुद को बचाने के लिए मार दिया दोस्त को

कंधे पर बैग टांग कर घर से निकलते हुए राजा ने मां से कहा कि वह 2 दिनों के लिए बाहर जा रहा है तो मां ने पूछा, ‘‘अरे कहां जा रहा है, यह तो बताए जा.’’ लेकिन जब बिना कुछ बताए ही राजा चला गया तो माधुरी ने झुंझला कर कहा, ‘‘अजीब लड़का है, यह भी नहीं बताया कि कहां जा रहा है?’’ यह 19 अक्तूबर, 2016 की बात है.

मीरजापुर की कोतवाली कटरा के मोहल्ला पुरानी दशमी में अशोक कुमार का परिवार रहता था. उन के परिवार में पत्नी माधुरी के अलावा 4 बेटों में राजन उर्फ राजा सब से छोटा था. उस की अभी शादी नहीं हुई थी. अशोक कुमार के परिवार का गुजरबसर रेलवे स्टेशन पर चलने वाले खानपान के स्टाल से होता था.

अशोक कुमार के 2 बेटे उन के साथ ही काम करते थे, जबकि 2 बेटे गोपाल और राजा मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर स्थित होटल जननिहार में काम करते थे. चूंकि मीरजापुर और मुगलसराय स्टेशन के बीच बराबर गाडि़यां चलती रहती हैं, इसलिए उन्हें आनेजाने में कोई परेशानी नहीं होती थी.

राजा 2 दिनों के लिए कह कर घर से गया था, जब वह तीसरे दिन भी नहीं लौटा तो घर वालों ने सोचा कि किसी काम में लग गया होगा, इसलिए नहीं आ पाया. लेकिन जब चौथे दिन भी वह नहीं आया तो घर वालों को चिंता हुई. दरअसल इस बीच उस का एक भी फोन नहीं आया था. घर वालों ने फोन किया तो राजा का फोन बंद था. जब राजा से बात नहीं हो सकी तो उस की मां माधुरी ने उस के सब से खास दोस्त रवि को फोन किया. उस ने कहा, ‘‘राजा दिल्ली गया है. मैं भी इस समय बाहर हूं.’’

इतना कह कर उस ने फोन काट दिया था. राजा का फोन बंद था, इसलिए उस से बात नहीं हो सकती थी. उस के दोस्त रवि से जब भी राजा के बारे में पूछा जाता, वह खुद को शहर से बाहर होने की बात कह कर राजा के बारे में कभी कहता कि इलाहाबाद में है तो कभी कहता फतेहपुर में है. अंत में उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया.

जब राजा का कहीं पता नहीं चला तो परेशान अशोक कुमार मोहल्ले के कुछ लोगों को साथ ले कर कोतवाली कटरा पहुंचे और राजा के गायब होने की तहरीर दे कर गुमशुदगी दर्ज करा दी.

कोतवाली पुलिस ने गुमशुदगी तो दर्ज कर ली, लेकिन काररवाई कोई नहीं की. इस के बाद अशोक कुमार 26 अक्तूबर को समाजवादी पार्टी के युवा नेता और सभासद लवकुश प्रजापति के अलावा मोहल्ले के कुछ प्रतिष्ठित लोगों को साथ ले कर मीरजापुर के एसपी अरविंद सेन से मिले और उन्हें अपनी परेशानी बताई. अशोक कुमार की बात सुन अरविंद सेन ने तत्काल कटरा कोतवाली पुलिस को काररवाई का आदेश दिया. कोतवाली पुलिस ने राजा के बारे में पता करने के लिए उस के दोस्त रवि से पूछताछ करनी चाही, लेकिन वह घर से गायब मिला. अब तक राजा को गायब हुए 10 दिन हो गए थे. रवि घर पर नहीं मिला तो पुलिस ने उस का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिया, क्योंकि उस ने अपना मोबाइल बंद कर दिया था.

पुलिस की लापरवाही से तंग आ कर बेटे के बारे में पता करने के लिए अशोक कुमार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. मामला न्यायालय तक पहुंचा तो पुलिस ने तेजी दिखानी शुरू की. 28 अक्तूबर, 2016 को राजा के दोस्त रवि और उस के पिता को एसपी औफिस के पास एक मिठाई की दुकान से पकड़ कर कोतवाली लाया गया. लेकिन उन से की गई पूछताछ में कोई जानकारी नहीं मिली तो पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया. इसी तरह अगले दिन भी हुआ. संयोग से उसी बीच एसपी अरविंद सेन ही नहीं, कोतवाली प्रभारी का भी तबादला हो गया. मीरजापुर जिले के नए एसपी कलानिधि नैथानी आए. दूसरी ओर कटरा कोतवाली प्रभारी की जिम्मेदारी इंसपेक्टर अजय श्रीवास्तव को सौंपी गई. अशोक कुमार 9 नवंबर को नए एसपी कलानिधि नैथानी से मिले. एसपी साहब ने तुरंत इस मामले में काररवाई करने का आदेश दिया. उन्हीं के आदेश पर कोतवाली प्रभारी ने अपराध संख्या 1232/2016 पर भादंवि की धारा 364 के तहत मुकदमा दर्ज कर के काररवाई शुरू कर दी.

इस घटना को चुनौती के रूप में लेते हुए एसपी कलानिधि नैथानी ने कोतवाली प्रभारी कटरा, प्रभारी क्राइम ब्रांच स्वाट टीम एवं सर्विलांस को ले कर एक टीम गठित कर दी. इस टीम ने मुखबिरों द्वारा जो सूचना एकत्र की, उसी के आधार पर 14 नवंबर, 2016 को राजा के दोस्त रवि कुमार को मीरजापुर के नटवां तिराहे से गिरफ्तार कर लिया. उस से राजा के बारे में पूछा गया तो उस ने उस के गायब होने के पीछे की जो कहानी सुनाई, उसे सुन कर पुलिस वाले जहां हैरान रह गए, वहीं रवि के पकड़े जाने की खबर सुन कर कोतवाली आए राजा के घर वाले रो पड़े. क्योंकि उस ने राजा की हत्या कर दी थी. उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर के थाना नरसैना के गांव रूखी के रहने वाले नरेश कुमार पीएसी में होने की वजह से मीरजापुर में परिवार के साथ रहते हैं. वह पीएसी की 39वीं वाहिनी में स्वीपर हैं. रवि कुमार उन्हीं का बेटा था. उस की दोस्ती राजा से हो गई थी, इसलिए कभी वह उस से मिलने मुगलसराय तो कभी उस के घर आ जाया करता था. दोनों में पक्की दोस्ती थी.

रवि का एक चचेरा भाई दीपेश उर्फ दीपू फिरोजाबाद के टुंडला की सरस्वती कालोनी में किराए का कमरा ले कर पत्नी के साथ रहता था. वह वहां दर्शनपाल उर्फ जेपी की गाड़ी चलाता था. जेपी की बहन राजमिस्त्री का काम करने वाले प्रवीण कुमार से प्यार करती थी. यह जेपी को पसंद नहीं था. उस ने बहन को समझाया . बहन नहीं मानी तो प्रेमी से उसे जुदा करने के लिए उस ने प्रवीण कुमार को ठिकाने लगाने का मन बना लिया.

यह काम वह अकेला नहीं कर सकता था, इसलिए उस ने अपने ड्राइवर दीपेश उर्फ दीपू को साथ मिलाया और 13 अक्तूबर, 2016 को बहन के प्रेमी प्रवीण कुमार को अगवा कर लिया. दोनों उसे शहर से बाहर ले गए और गोली मार कर हत्या कर दी. दोनों के खिलाफ इस हत्या का मुकदमा थाना टुंडला में दर्ज हुआ. चूंकि इस मुकदमे में एससी/एसटी एक्ट भी लगा था, इसलिए पुलिस दोनों के पीछे हाथ धो कर पड़ गई. दर्शनपाल उर्फ जेपी तो गिरफ्तार हो गया, लेकिन दीपेश उर्फ दीपू फरार चल रहा था. पुलिस उस की गिरफ्तारी के लिए जगहजगह छापे मार रही थी. पुलिस दीपेश को तेजी से खोज रही थी. इस स्थिति में पुलिस से बचने के लिए वह मीरजापुर आ गया था. टुंडला में घटी घटना के बारे में उस ने चचेरे भाई रवि को बता कर कहा, ‘‘रवि, मैं बुरी तरह फंस गया हूं. अगर तुम मेरी मदद करो तो मैं बच सकता हूं.’’

इस के बाद राजा और दीपेश ने योजना बनाई कि किसी ऐसे आदमी को खोजा जाए, जिसे टुंडला ले जा कर हत्या कर के उस की लाश को जला दिया जाए और लाश के पास दीपेश अपनी कोई पहचान छोड़ दे, जिस से पुलिस समझे कि लाश दीपेश की है और उस की हत्या हो चुकी है. इस के बाद पुलिस उस का पीछा करना बंद कर देगी.

जब ऐसे आदमी की तलाश की बात आई तो रवि को अपने दोस्त राजा उर्फ राजन की याद आई. क्योंकि राजा का हुलिया दीपेश से काफी मिलताजुलता था. फिर क्या था, दोनों ने राजा को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली, उसी योजना के तहत उस ने 18 अक्तूबर को राजा को फोन कर के कहा, ‘‘राजा, हम लोगों ने किराए पर एक गाड़ी की है, जिस से कल यानी 19 अक्तूबर को दिल्ली घूमने चलेंगे. मेरा चचेरा भाई दीपेश भी आया हुआ है, वह भी साथ चलेगा. मैं चाहता हूं कि तुम भी चलो.’’

राजा तैयार हो गया तो रवि ने 19 अक्तूबर, 2016 को पीएसी कालोनी के एक परिचित की गाड़ी बुक कराई और राजा को साथ ले कर दिल्ली के लिए चल पड़ा. योजना के अनुसार रास्ते में पैट्रोल खरीद लिया गया. इस के बाद उन्होंने बीयर खरीदी और राजा को जम कर पिलाई. वह नशे में हो गया तो रात 11 बजे के करीब फिरोजाबाद के थाना पचोखरा के गांव सराय नूरमहल और गढ़ी निर्भय के बीच सुनसान स्थान पर पेशाब करने के बहाने गाड़ी रुकवाई और राजा को उतार कर मारपीट कर पहले उसे बेहोश किया, उस के बाद पैट्रोल डाल कर जला दिया.

जब उन्हें विश्वास हो गया कि राजा मर गया है तो पहचान के लिए दीपेश ने अपना जूता राजा की लाश के पास रख दिया, जिस से बाद में उस लाश की पहचान उस की लाश के रूप में हो. इस के बाद दीपेश ने फिरोजाबाद पुलिस को मोबाइल से फोन कर के कहा, ‘‘मैं दीपेश उर्फ बाबू बोल रहा हूं. 3-4 बदमाश मेरा पीछा कर रहे हैं. मुझे बचा लीजिए अन्यथा ये मुझे मार डालेंगे.’’

जिस जगह पर रवि और दीपेश ने राजा को जलाया था, दीपेश का घर वहां से करीब 8 किलोमीटर दूर था. दीपेश ने इस जगह को यह सोच कर चुना था, जिस से पुलिस को लगे कि वह चोरीछिपे अपने गांव आया था. बदमाशों को पता चल गया तो उन्होंने उसे मार डाला. पुलिस को फोन कर के रवि और दीपेश फरार हो गए. जबकि पुलिस सर्विलांस के माध्यम से लोकेशन के आधार पर उन की तलाश में मीरजापुर से फिरोजाबाद तक उन के पीछे लगी थी. दीपेश तो फरार हो गया, लेकिन रवि मीरजापुर तो कभी सोनभद्र तो कभी सिगरौली जा कर छिपा रहा. आखिर ज्यादा दिनों तक वह पुलिस की नजरों से बच नहीं पाया और 14 नवंबर को उसे पकड़ लिया गया.

पूछताछ के बाद रवि की निशानदेही पर पुलिस ने पैट्रोल का डिब्बा, वह गाड़ी जेस्ट कार संख्या यूपी 63जेड 8586, जिस से वे राजा को ले गए थे, बरामद कर ली. इस के बाद उसे उस स्थान पर भी ले जाया गया, जहां उस ने दीपेश के साथ मिल कर राजा को जलाया था. राजा के पिता अशोक कुमार भी साथ थे, इसलिए उन्होंने राजा के अधजले कपड़ों को पहचान लिया था. पुलिस ने रवि को प्रैसवार्ता में पेश किया, जहां उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के हत्या की सारी कहानी सुना दी.

घटना का खुलासा होने के बाद कोतवाली पुलिस ने राजा उर्फ राजन की गुमशुदगी हत्या में तब्दील कर आरोपी रवि को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. दीपेश उर्फ दीपू की तलाश में पुलिस ने ताबड़तोड़ छापे मारने शुरू कर दिए तो दबाव में आ कर उस ने फिरोजाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे जेल भेज दिया था.

बेटे का पाप : भाग 2

शिवम उस की तारीफ करते हुए पहले भी ऐसा कुछेक बार कर चुका था. रानी शिवम के मन की यौन जिज्ञासाओं को समझती थी. इसलिए उस की हरकतों का बुरा नहीं मानती थी.

वह जानती थी कि शिवम का मन इस से आगे कुछ और भी चाहता होगा, पर वह शिवम से यही कहती थी, ‘‘बेसब्र मत बनो, मैं तुम से प्यार करती हूं और शादी के बाद पूरी तरह तुम्हारी हो जाऊंगी, तब जो जी चाहे करना.’’

शिवम भी उस की भावनाओं को समझ कर खुद को रोक लेता था. लेकिन आज माहौल एकदम बदला हुआ था. शिवम के नग्न भीगे कसरती बदन को देख कर रानी की सोई हुई भावनाएं जाग उठी थीं. जब शिवम ने उस की पतली कमर में हाथ डाल कर जिस तरह उस के होंठों को चूमा तो उस के बदन में चिंगारियां चटखने लगी थीं.

एक फुट के फासले पर खड़े शिवम के हाथ में रानी की कलाई थी और निगाहों में एक सवाल था. वह अपलक रानी के चेहरे को निहार रहा था. जबकि रानी की झुकी हुई आंखें चोरीचोरी उस के बदन को देख रही थीं. उस की नजरों के लक्ष्य को समझ कर शिवम ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘जब तुम्हारा हूं तो मेरे शरीर का जर्राजर्रा तुम्हारा है इन पर तुम्हारा ही हक है.’’

रानी लजा गई. चेहरे पर हया की लाली फैली तो कांपते होंठों से उस ने कहा, ‘‘तुम बहुत शरारती होते जा रहे हो.’’

‘‘हुस्न का खजाना बांहों में हो तो बड़ेबड़े तपस्वी बेईमान हो जाते हैं.’’ कहते हुए शिवम रानी के एकदम करीब खिसक आया. उस ने अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका कर उस ने रानी को अपनी जद में ले लिया. फिर धीरे से अपने होंठ उस के होंठों की तरफ  बढ़ाए.

‘‘नहीं शिवम यह ठीक नहीं है,’’ रानी ने उसे रोकना चाहा, लेकिन शिवम तब तक अपने जिस्म का बोझ उस पर डाल चुका था. तन की गरमी पा कर रानी का विरोध मंद पड़ गया.

रानी भी खुद पर नियंत्रण न रख सकी. फिर दोनों पहली बार आनंद की एक नई दुनिया की सैर को निकल गए. मंजिल मिलने के बाद ही वह एकदूसरे से अलग हुए.

रानी को हासिल करने के बाद शिवम उस का और भी दीवाना हो गया. उस की सुबह रानी से शुरू होती थी और शाम रानी पर खत्म होती थी. उन को अलग होने का बिलकुल भी मन नहीं होता था लेकिन लोकलाज के चलते शिवम अपने घर और रानी अपने घर जाने को मजबूर हो जाती.

दोनों विवाह कर के एक साथ जिंदगी बिताना चाहते थे लेकिन यह संभव नहीं था. क्योंकि वे एक जाति के नहीं थे. ऐसे में लक्ष्मी देवी कभी भी अपने बेटे शिवम को दूसरे कुल में शादी करने की अनुमति नहीं देती.

लक्ष्मी देवी पुजारिन होने के कारण धार्मिक प्रवृत्ति की थी. वह हरगिज दोनों के रिश्ते को मंजूरी नहीं देती. अपनी मां के बारे में शिवम बखूबी जानता था. ऐसे में शिवम के दिमाग में उथलपुथल मचने लगी कि क्या करे, क्या न करे.

उसे सिर्फ एक ही रास्ता सूझा कि वह आर्यसमाज मंदिर में रानी से शादी कर ले और उसे ले कर कहीं दूर चला जाए. रानी से  शिवम ने बात की तो उस का भी यही कहना था कि जब परिवार हमारे मन की करेंगे नहीं, हमारी खुशियों के बारे में नहीं सोचेंगे तो हम क्यों उन के बारे में सोचें. हम भी वही करेंगे जो हमें सही लगेगा.

आपसी सहमति के बाद दोनों ने आर्यसमाज मंदिर में विवाह कर लिया. विवाह कर के दोनों बहुत खुश थे. क्योंकि वह एक नई जिंदगी की शुरुआत जो कर रहे थे.

विवाह करने के बाद शिवम ने कुछ सोच कर अपनी मां लक्ष्मी देवी को रानी के साथ विवाह करने के बारे में बताया तो लक्ष्मी देवी ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई, ‘‘निखट्टू घर में पड़ेपड़े मेरे दिए निवाले तोड़ता रहा, कभी एक पैसे का काम नहीं किया. अब ऊपर से चोरीछिपे शादी कर लेने की बात कर रहा है. पहले तुझे, अब उसे भी छाती पर बैठा कर खिलाऊं, ऐसा कभी नहीं हो सकता. वैसे भी मैं तेरी इस शादी को नहीं मानती.’’

‘‘आप मानो न मानो रानी से मेरी शादी हो चुकी है. मैं उसे हरगिज नहीं छोड़ सकता.’’ इतना कह कर शिवम वहां से चला गया.

लक्ष्मी देवी बैठ कर सिसकने लगी और उस दिन को कोसने लगी, जब शिवम पैदा हुआ था. वह सिसकते हुए बोली, ‘‘ऐसे कपूत से तो निपूती रहती.’’

इस के बाद मांबेटे में शादी की बात को ले कर रोज झगड़ा होने लगा.

दूसरी ओर रानी के घरवालों ने उस के लिए उपयुक्त वर देख कर उस का रिश्ता पक्का कर दिया. रानी इस से घबरा उठी. एक तरफ रानी की शादी तय हो गई, दूसरी ओर लक्ष्मी देवी उस को अपनाने को तैयार नहीं थी.

ऐसे में दोनों घर से भाग कर कहीं और अपनी दुनिया बसाने के बारे में सोचने लगे. शिवम के पास कोई कामधाम तो था नहीं, जो पैसे होते. इसलिए शिवम ने फैसला किया कि वह घर में रखे रुपए और गहने चोरी से निकाल कर रानी के साथ भाग जाएगा.

 

बेटे का पाप : भाग 1

जब किसी को किसी से प्यार हो जाए, तो उस की हालत अजीब हो जाती है. सोतेजागते उस का ही खयाल, उस के ही सपने आते हैं. सीने में अजीब सी आग भरी होने का अहसास होता है. इतना ही नहीं, आंखों और नींद में रार मच जाती है. प्रेम दीवानी रानी का यही हाल था. जब तक वह अपने प्रेमी शिवम शर्मा को देख न लेती तब तक बेचैनी उसे सताती रहती थी.

शिवम कहीं दूर नहीं रानी के घर के पास ही रहता था. बचपन से रानी उसे देखती आ रही थी. उस के प्रति मन में कभी किसी प्रकार की भावना नहीं आई थी. मोहल्ले में जैसे सब रहते थे, वैसे ही शिवम रहता था. शिवम का थोड़ा महत्त्व इसलिए था कि दूसरे लोगों के मकान कुछ फासले पर थे, जबकि शिवम रानी के घर के पास ही रहता था.

प्यार के लिए मुद्दत के इंतजार की जरूरत नहीं होती. यह तो कुदरत की वह नेमत है, जो किसी भी पल इंसान को मिल जाती है. गर्मियों की एक सुबह की बात है. कहीं जाने के लिए शिवम रानी के घर के सामने से गुजर रहा था. उस वक्त उस के जेहन में कल्पना तक नहीं थी कि कुछ क्षणों बाद उस के जीवन में एक नया मोड़ आने वाला है.

गरमी के मौसम में लू चलने के कारण धूल बहुत उड़ती है. इसीलिए लोग घरों के सामने पानी की छिड़काव कर देते हैं, ताकि धूल न उड़े.

उस सुबह रानी भी पानी से भरी बाल्टी ले कर अपने घर के सामने छिड़काव करने के लिए दरवाजे पर आई. वह यह नहीं देख पाई कि सामने से शिवम निकल रहा है. उस ने बाल्टी के पानी से मग भरा और दरवाजे से बाहर फेंक दिया. फेंका गया पानी शिवम पर गिरा. कुछ पल के लिए वह चौंक गया और उस के पैर जहां के तहां ठिठक गए.

रानी भी उसे देखती रह गई. मन में वह सोच रही थी कि यह उस से क्या हो गया. शिवम न जाने कहां जा रहा था, उस की एक गलती से उस के कपड़े भीग गए. शिवम अब उसे बहुत डांटेगा.

रानी हैरान तब हुई, जब शिवम ने अपने गीले कपड़े झटके और रानी की आंखों में देख कर मुसकराने लगा. शिवम की मुसकराहट ने रानी के डर को दूर कर दिया, वह बोली, ‘‘मैं ने तुम्हें आते नहीं देखा था, गलती से पानी फेंक दिया, माफ  कर दो.’’

‘‘गरमी के इस मौसम में ठंडा पानी मन को तरावट देता है. थोड़ी देर के लिए ही सही, ताजगी और तरावट का मजा आ गया,’’ शिवम हंसने लगा, ‘‘रही कपड़े भीगने की बात तो उस की चिंता नहीं. मौसम ऐसा है कि कुछ कदम चलते ही गरम हवा कपड़े सुखा देगी.’’ वह एक बार फिर मुसकराया और अपनी राह चल पड़ा.

शिवम की मुसकान में न जाने ऐसा क्या था कि तीर की तरह रानी के जिगर के पार हो गई. उस ने बाल्टी से पानी का मग भरा और अपने सिर पर उड़ेल लिया.

रानी की मां ने यह तमाशा देखा तो वह चिल्लाई,‘‘दरवाजे पर खड़ी हो कर तू खुद को क्यों भिगो रही है, नहाना है तो घर के भीतर आ कर नहा ले.’’

‘‘मम्मी, मैं नहा नहीं रही, ठंडे पानी से कपड़े भिगो कर खुद को ताजगी और तरावट से भर रही हूं.’’ वह बोली.

इस के बाद वह महसूस करने लगी कि जब शिवम भीगा होगा, तब उस ने ऐसा ही महसूस किया होगा. उस पल से एक अहसास ही नहीं जुड़े, दिल के तार भी जुड़ गए. बस इस के बाद शिवम बहुत तेजी से रानी के दिलोदिमाग पर छाता चला गया.

शिवम का हाल भी रानी से अलग नहीं था. पानी फेंकने में हुई चूक के बाद उस का हैरान चेहरा और फैली आंखें शिवम के दिल में बस गई थीं.

बस इसी एक बात ने उस की सोच को नई दिशा दे दी. शिवम ने रानी के बारे में सोचा तो वह यकायक अपनी सी लगने लगी. दिल भी उछल कर बोलने लगा कि हां उसे भी रानी से प्यार हो गया है.

ताजनगरी आगरा के जगदीशपुरा थाना क्षेत्र के वैशाली नगर, नगला गूजर में रमेश चंद्र शर्मा रहते थे. परिवार में उन की पत्नी लक्ष्मी देवी और इकलौता पुत्र शिवम शर्मा था. रमेश चंद्र पंडिताई का काम करते थे. उसी से परिवार का खर्च चलता था.

करीब 12 साल पूर्व रमेश चंद्र की आकस्मिक मृत्यु हो गई थी. अब लक्ष्मी देवी पर अपना और बेटे का पेट भरने और उसे अच्छी जिंदगी देने की जिम्मेदारी आ गई.

पति की पंडिताई को करते देखते हुए लक्ष्मी भी उस में पारंगत हो गई थी. इसलिए पति की मृत्यु के पश्चात एक मंदिर की पुजारिन बन गई. वहां आने वाले चढ़ावे से अपना और बेटे का पेट पालने लगी.

25 साल के हो चुके शिवम ने केवल इंटरमीडिएट तक ही पढ़ाई की थी. उस ने कुछ दिन एक कपड़े की दुकान पर काम किया, फिर वहां से छोड़ दिया. बेरोजगारी में दिन काटने लगा. मां जो लाती उसी में वह गुजारा कर लेता.

लक्ष्मी देवी के मकान के पास ही कालीचरण का मकान था. 20 वर्षीय रानी कालीचरण की ही बड़ी बेटी थी. रानी ने हाईस्कूल तक ही पढ़ाई की थी. पासपास रहने के कारण दोनों परिवार एकदूसरे से परिचित थे.

बचपन से रानी और शिवम एकदूसरे को देखते आ रहे थे. किशोरावस्था को पार कर के युवावस्था में प्रवेश कर गए, तब भी उन के मन नहीं मचले. उस दिन पानी के मग ने दोनों के बीच एक बेनाम रिश्ता बना दिया. ऐसा बेनाम रिश्ता जिस में तड़प, बेचैनी, कसक और प्यार था.

उस दिन से शिवम और रानी की आंखें एकदूजे के दीदार की प्यासी रहने लगीं. शिवम फुरसत में होता तो वह अपने घर के चबूतरे पर बैठा होता. मन रानी के बारे में सोच रहा होता और प्यासी आंखें उस के द्वार पर टकटकी लगाए होतीं.

शिवम को देखने के लिए किसी बहाने से रानी भी घर के बाहर आ जाती. दोनों की आंखें मिलतीं तो दोनों के लब खिल जाते. इस के साथ ही धड़कनों की गति बढ़ जाती.

रानी और शिवम में बातचीत होनी सामान्य बात थी. पूरे मोहल्ले के सामने बात भी करते तो उन के रिश्ते पर कोई शक नहीं करता. कहते हैं कि न, जब प्यार होता है तो मन में चोर भी पैदा हो जाता है. रानी और शिवम के मन में भी चोर पैर जमाए बैठा था. सो एकांत में सामना होते ही मानो उन की हिम्मत जवाब देने लगती.

शिवम को भी डर लगता कि प्रेम निवेदन सुन कर रानी भड़क गई तो सिर पर इतने जूते पड़ेंगे कि वह गंजा हो जाएगा.

कुछ दिन यूं ही आंखमिचौली चलती रही, फिर एक दिन मौका मिला तो शिवम ने हिम्मत कर के मन की बात कह दी, ‘‘रानी, मुझे तुम से प्यार हो गया है, अब तुम भी अपने प्यार को जता कर मेरे दिल की रानी बन जाओ.’’

शर्म से रानी के गाल गुलाबी हो गए. उस ने सिर झुका लिया और पैर के अंगूठे से जमीन खुरचने की नाकाम कोशिश करने लगी.

रानी के अंदाज से वह समझ गया कि डरने की कोई बात नहीं. रानी भी उस से प्यार करती है.

प्रेम तभी आनंद देता है जब उस का प्रदर्शन किया जाए. शिवम भी रानी के मुंह से उस के दिल का हाल सुनना चाहता था. इसलिए उसे बोलने के लिए उकसाया, ‘‘कहो न, तुम भी मुझ से प्यार करती हो?’’

रानी ने सिर उठा कर शिवम की आंखों में देखा, उस के बाद पुन: नजरें नीची कर लीं. मुसकराई, इकरार में सिर हिलाया और तेजी से उस के सामने से हट गई. शिवम का दिल बल्लियों उछलने लगा, वह समझ गया कि रानी को भी उस से प्यार है.

मोहब्बत का इजहार और इकरार होते ही रानी व शिवम की प्रेम कहानी शुरू हो गई. कभी शिवम का सूना घर, कभी पार्क तो कभी सुनसान स्थान रानी और शिवम की मोहब्बत के खामोश गवाह बनने लगे.

शिवम की मां मंदिर चली जाती तो घर में शिवम ही अकेला रह जाता था. ऐसे में रानी मिलने के लिए शिवम के घर आ जाती थी. वहां उस से घंटों बतियाती, प्यार भरी बातें करती.

एक रोज रानी सजसंवर कर शिवम के घर पहुंची. उस ने नया सूट पहन रखा था. शिवम के कमरे में दाखिल हुई तो उसे शिवम नहीं दिखा, वह बाथरूम में था. रानी ने आवाज लगाई, ‘‘शिवम!’’

‘‘कौन?’’ शिवम ने बाथरूम के अंदर से ही पूछा.

‘‘अच्छा तो जनाब मेरी आवाज भी नहीं पहचानते. आ कर बताऊं कौन हूं मैं?’’ रानी का लहजा शरारत भरा था.

‘‘बिलकुल आ जाओ, मैं कौन सा डरता हूं.’’ वह बोला.

रानी को लगा कि इस समय अन्य कोई वहां आ गया तो बदनामी होगी उस की. वह वापस मुड़ी और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. दरवाजा बंद करने के बाद उस ने बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक दी तो शिवम ने उसे अंदर खींच लिया. शिवम मात्र अंडरवियर पहने हुए था. उस का पूरा शरीर पानी से भीगा हुआ था.

शिवम की आंखों में शरारत नाच रही थी. उस ने रानी को करीब खींचा तो वह चिहुंक उठी, ‘‘छोड़ो मेरा सूट गीला हो जाएगा, आज ही पहना है इसे. मैं तो तुम्हें अपना सूट दिखाने आई थी कि तारीफ  क रोगे तुम मेरी.’’

‘‘तारीफ  तो मैं तुम्हारी हमेशा करता हूं, आज फिर से कह रहा हूं कि तुम से हसीन इस जहां में कोई नहीं है.’’ कहते हुए शिवम ने उस के होंठों को चूम लिया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

WhatsApp के जरिये खेत में बुलाकर लड़कियां करती है यह गंदा काम

आज कल हमें बहुत सी ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती है जिनमें महिलाओं का शोषण किया जाता है. लेकिन अगर लड़कियां इस बात का फायदा उठाने लग जाएं तो क्या होगा. हमारे देश में बहुत सी लड़कियों का ऐसा गिरोह है जो लड़कों को अपने जाल में फंसाकर उनसे पैसे लूट रही हैं. लड़के लड़कियों के इस जाल में बहुत ही जल्दी फंस जाते हैं.

अब एक नया मामला सामने आया है. इसमें समीर नाम के एक लड़के ने पुलिस को बताया कि रात को WhatsApp पर एक लड़की ने मुझे मैसेज किया और उसने मुझे एक सुनसान जगह पर बुलाया. सुनसान जगह पर बुलाने के बाद वहां पर लड़की ने अपने 5 लोगों को और बुला लिया और उन सभी ने उस लड़के के साथ लूटमार की और उसके सारे पैसे ले गए.

पुलिस ने जब छानबीन की तो पता चला कि कविता और उसकी छोटी बहन लड़कों को WhatsApp पर मैसेज करके सुनसान जगह पर बुलाती थी और वहां पर पहले से ही उनके लोग मौजूद होते थे. जब लड़का लड़की को किस करने लग जाता तो यह लोग उनका वीडियो बना लेते और फिर इन्हें ब्लैकमेल करके इनसे पैसे वगैराह ले लेते.

जब छात्र जिंदगी में खुदकुशी के बन जाए चश्मदीद

वैसे तो हिंदी वैब सीरीज ‘फ्लेम्स’ जवान होते स्कूली छात्रों के पहले प्यार और रोमांस पर बनी है, पर इस में एक सीन बड़ा झकझोर देने वाला है, जिस में मेन किरदार रजत उर्फ रज्जो का बड़ा भाई इंजीनियरिंग के अपने एक सैमेस्टर के बीच में ही घर आ जाता है और जब उस के सब्र का बांध टूट जाता है, तब वह अपने पिता को बताता है कि उस के खास दोस्त ने होस्टल में खुदकुशी कर ली है और यह बात उस के दिमाग से निकल नहीं रही है.
ऐसा नहीं है कि होस्टल में किसी छात्र की खुदकुशी कोई नई बात हो, बल्कि आएदिन हम असली जिंदगी में भी खबरें पढ़ते रहते हैं कि तनाव के चलते फलां कालेज के लड़के या लड़की ने खुदकुशी कर ली.
साल 2022 के आखिरी महीने में उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के कमलापुर कसबे में बने राजा बहादुर सूर्य बख्श सिंह इंटर कालेज की 3 छात्राओं द्वारा एक हफ्ते के अंदर खुदकुशी किए जाने के मामले से पूरे इलाके में सनसनी मच गई थी.
नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में देश में 11,396 बच्चों ने खुदकुशी की थी, जो साल 2019 के मुकाबले 18 फीसदी ज्यादा थी. साल 2019 में 9,613 जबकि साल 2018 में 9,413 बच्चों ने खुदकुशी की थी.
ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं, लेकिन बतौर आम आदमी पहले तो हम सब लोग उस इनसान के प्रति हमदर्दी जताते हैं, जो अपनी जान अपनी नासमझी की वजह से गंवा देता है और फिर उस के परिवार के लिए अफसोस करते हैं कि उन की जिंदगी तो जीतेजी नरक हो गई, पर हमारा ध्यान कभी उन हमउम्र छात्रों की तरफ नहीं जाता है, जो इस तरह की बेदर्द मौत के चश्मदीद बनते हैं.
ऐसे बच्चों पर क्या बीतती होगी, जो अपने रूम पार्टनर को फांसी से झूलते या हाथ की कटी नस से बेसुध बिस्तर पर पड़े या फिर इमारत की छत से छलांग लगाते देख लेते हैं?
एक ऐसे ही छात्र की आपबीती सुनते हैं. हरियाणा के फरीदाबाद शहर में रहने वाले दीपक (बदला नाम) कुरुक्षेत्र से अपनी पढ़ाई कर रहे थे. वहां उन के होस्टल के सामने एक तिमंजिला इमारत में भी कई छात्र किराए पर रहते थे.
दीपक ने उस खौफनाक मंजर के बारे में बताया, ‘‘एक दिन हम कुछ छात्र अपने होस्टल की छत पर बैठे थे. सामने उस इमारत की छत के किनारे एक लड़का खड़ा था, जिस ने देखते ही देखते छलांग लगा दी. यह देख कर हमारी तो ऐसीतैसी हो गई कि अभी तो अच्छाभला खड़ा था और एकदम से कूद गया.
‘‘हम सब ने हल्ला मचा दिया कि ‘सुसाइड कर लिया, सुसाइड कर लिया’. फिर उसे अस्पताल ले जाया गया, पर उसे बचाया नहीं जा सका. इसी बीच उस लड़के के एक दोस्त ने बताया कि वह डिप्रैशन में था. उस के कुछ पेपर क्लियर नहीं हुए थे और पैसे के मामले में भी वह एक गरीब घर का लड़का था.
‘‘सच कहूं, तो वह कांड देख कर मैं ने सोच लिया था कि अब कालेज नहीं जाऊंगा. उसी समय मैं ने अपने मम्मीपापा को फोन कर के बताया कि मैं अभी घर आ रहा हूं, पर उन्होंने कहा कि घबराओ मत और कल आ जाना.
‘‘मैं रुक तो गया, पर अगले 2 दिन तक होश सा खो दिया था. बारबार उस लड़के की सड़क पर पड़ी लाश ही मेरे दिमाग में घूम रही थी. घर आने के बाद ही मैं अपने घर वालों की मदद से यह बात भूल पाया.’’
कालेज लाइफ में छात्र अपनी उम्र के उस पड़ाव पर होते हैं, जहां उन्हें अच्छेबुरे की उतनी समझ नहीं होती है. घर से दूर वे अपने अकेलेपन को दूर करने या पढ़ाई के बोझ के चलते कई बार नशे के चक्कर में पड़ जाते हैं और अपनी जिंदगी को और मुश्किल कर लेते हैं. गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड से रिलेशनशिप टूटने को वे इस कदर दिल से लगा लेते हैं कि उन्हें अपनी जान भी बोझ लगने लगती है.
बहुत से छात्र तो पढ़ाई ढंग से न कर पाने या पैसे की कमी या फिर जातिवाद की वजह से इतने ज्यादा तनाव में आ जाते हैं कि खुदकुशी करना ही उन्हें सब से बेहतर लगता है.
वजह कोई भी हो, पर खुदकुशी करना किसी समस्या का हल नहीं है. लेकिन कोई अगर ऐसा कर लेता है, तो वह तो इस दुनिया से चला जाता है, पर उन दूसरे लोगों को अनचाहा दुख दे जाता है, जो उस की मौत के चश्मदीद होते हैं.
दीपक ने अपने हालात के बारे में बताया, ‘‘मैं ने खुद को अपने दोस्तों के साथ रह कर संभाला. आप पार्टी कर के, कोई गेम खेल कर या कहीं घूम कर अपनेआप को संभाल सकते हैं.’’
यह सच है कि इस तरह के भयानक हादसों को भूलना आसान नहीं होता है, पर जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए ऐसा करना जरूरी होता है.
मनोवैज्ञानिक डाक्टर पुलकित शर्मा ने इस सिलसिले में बताया, ‘‘जब हम छात्र जीवन में अपने आसपास किसी और छात्र को खुदकुशी करते देखते हैं, तो हमारा मन बहुत ही ज्यादा डर और दुख से भर जाता है. डर यह नहीं होता कि उस का भूत वहां पर घूमेगा, जैसे कि लोग कहते हैं, पर डर इस चीज से होता है कि जब हमारी उम्र का कोई हिम्मत हार गया तो कहीं हम भी हिम्मत न हार जाएं.
‘‘छात्र जीवन में तो दुख, तकलीफ, दबाव, पढ़ाई ठीक से न कर पाना, प्यार में धोखा खाना, यह सब तो चलता ही रहता है, लेकिन कभी हौसला नहीं हारना चाहिए.
‘‘लेकिन, जब कोई ऐसे हादसों को अपनी आंखों से देख लेता है, तो उसे अपने मन में उठने वाली डर की भावनाओं को अपने अच्छे दोस्त या परिवार वालों से शेयर करना चाहिए. बातचीत से मन हलका होता है, जबकि मन में ऐसी बातें रखने से और ज्यादा घबराहट होगी.
‘‘अपनी जिंदगी को कभी शौर्ट टर्म विजन से मत देखिए. छात्र जीवन तो हमारी जिंदगी का एक छोटा सा हिस्सा है. अगले 10-15 साल के बाद तो याद भी नहीं रहेगा कि पढ़ाई के दौरान क्या हुआ था. अगर छात्र जीवन में आप
को कभी हारना भी पड़ जाता है, तो
उसे मुसकराहट के साथ स्वीकार करें. हम इनसान हैं और हम से गलती हो सकती है.
‘‘इस के अलावा आप एक बैलेंस्ड लाइफ जिएं. ज्यादा देर तक मत जागें. नशे से दूर रहें. साथ ही, अपने खानेपीने का भी ध्यान रखें. खुद को दिमागी तौर पर मजबूत करें. अच्छी किताबें और पत्रिकाएं पढ़ें. अपनी पसंद का कोई काम जरूर करें. दोस्तों से मिलें. परिवार और वार्डन को अपनी समस्या जरूर बताएं और धीरेधीरे उस कांड को भूलने की कोशिश करें.’’

दोस्ती के दम पर कर डाला गंदा काम

महेश उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर के कस्बा बिंदकी का एक दबंग किसान था. स्थानीय राजनीति में भी उस की अच्छी पकड़ थी. वह एक बार का प्रधान भी रह चुका था. उस की 4 बेटियां थीं, जिन में नीलम सब से छोटी थी. नीलम के अलावा वह तीनों बेटियों का विवाह कर चुका था. सब से छोटी होने की वजह से थोड़ा चंचल स्वभाव की नीलम घर में सब की लाडली थी. वह शादी लायक हुई तो महेश ने सन 2006 में जिला कानपुर के गांव रघुनाथपुर के रहने वाले जगदेव कुशवाहा के बेटे पिंटू से उस की शादी कर दी. पिंटू अपने पिता के साथ खेतीकिसानी करता था.

पिंटू खूबसूरत पत्नी पा कर खुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहा था. जबकि नीलम दुबलेपतले और सांवले रंग के पिंटू को पा कर अपने को बदकिस्मत समझ रही थी. नीलम सुंदर होने के साथ तेजतर्रार भी थी, इसलिए पिंटू उस से दबादबा सा रहता था और उस की हर बात मानता था. कुछ ही दिनों बाद नीलम पति को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी थी.

पिंटू बहुत मेहनती था. वह सुबह 8-9 बजे खेतों पर चला जाता था तो शाम को ही घर लौटता था. वह नीलम को खुश रखने की हरसंभव कोशिश करता था, लेकिन तुनकमिजाज नीलम उस से खुश नहीं रहती थी. कभी वह कम कमाई का रोना रोती तो कभी अपने भाग्य को कोसती. दरअसल, नीलम ने हृष्टपुष्ट, सुंदरसजीले पति के सपने संजोए थे, लेकिन मिला उस के एकदम उलट था. वह उसे किसी भी तरह से संतुष्ट नहीं कर पाता था. इस तरह जैसेजैसे उस के साथ नीलम की जिंदगी कट रही थी.

पिंटू का एक दोस्त था इंद्रपाल. वह पड़ोसी गांव लालपुर का रहने वाला था और वह हैंडपंप लगवाने के ठेके लेता था. हृष्टपुष्ट शरीर का इंद्रपाल मजाकिया स्वभाव का था. पिंटू को जब भी फुरसत मिलती तो वह इंद्रपाल के गांव पहुंच जाता. वहां दोनों साथ खातेपीते और खूब बातें करते. पहले पिंटू शराब नहीं पीता था, लेकिन नीलम के बर्ताव से दुखी हो कर वह शराब पीने लगा था. धीरेधीरे वह शराब का लती बन गया था. एक दिन पिंटू के घर का हैंडपंप खराब हो गया तो मरम्मत के लिए उस ने इंद्रपाल को बुला लिया. पिंटू की शादी के बाद इंद्रपाल उस दिन पहली बार पिंटू के घर आया था. शादी के बाद नीलम के रूपरंग में और निखार आ गया था. इंद्रपाल ने नीलम को देखा तो वह उस की आंखों में रचबस गई.

हैंडपंप ठीक होने के बाद नीलम इंद्रपाल को पैसे देने लगी तो इंद्रपाल ने पैसे नहीं लिए. उस ने कहा, ‘‘भाभी, पिंटू मेरा दोस्त है, फिर पैसे किस बात के. आप बहुत सुंदर हैं. एक बार देख कर मुसकरा देंगी तो हम समझेंगे कि पैसा मिल गया.’’

अपने रूप की तारीफ सुन कर नीलम इंद्रपाल को गौर से निहारने लगी. फिर मुसकरा कर अपना सिर नीचे कर लिया. दिल में नीलम को बसा कर इंद्रपाल भी वहां से चला गया. इस के बाद इंद्रपाल और पिंटू जब कभी मिलते, पिंटू उसे घर ले आता. इंद्रपाल चाहता भी यही था.

नीलम को आकर्षित करने के लिए वह कभी उस के लिए साड़ी ले आता तो कभी साजशृंगार का सामान. थोड़ी नानुकुर के बाद नीलम यह स्वीकार कर लेती. पिंटू को खुश करने के लिए वह उस के साथ शराब पार्टी करता था. इंद्रपाल की आमदनी अच्छी थी इसलिए वह खूब खर्च करता था. कभीकभी वह नीलम को भी हजार-5 सौ रुपए दे देता था. इस तरह नीलम का झुकाव उस की तरफ होता गया. इंद्रपाल अब पिंटू की गैरमौजूदगी में भी उस के घर आने लगा.

जून की तपती दोपहर में एक दिन इंद्रपाल नीलम के घर पहुंचा. नीलम उस समय कमरे में सो रही थी. गरमी अधिक होने की वजह से नीलम सिर्फ पेटीकोटब्लाउज पहने हुए थी. आसपास सन्नाटा पा कर इंद्रपाल नीलम के घर पहुंचा तो उस का कमरा बंद था, मगर खिड़की खुली हुई थी.

अविवाहित इंद्रपाल ने खिड़की से कमरे में झांका तो अस्तव्यस्त कपड़े में सो रही नीलम को देख कर वह बेकाबू हो उठा. पेटीकोट से बाहर झांकती नीलम की अधखुली टांगें तथा उफनते वक्षस्थल देख कर इंद्रपाल की धड़कनें बढ़ गई. उस ने दरवाजा खटखटाया तो नीलम की आंख खुल गईं.

नीलम ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने मंदमंद मुसकराते इंद्रपाल को देख कर वह शर्म की वजह से चारपाई की तरफ बढ़ी. उस ने चारपाई पर रखी साड़ी लपेटनी चाही पर इंद्रपाल ने उस की साड़ी एक तरफ फेंक कर दरवाजा भीतर से बंद कर दिया. इस के बाद उस ने नीलम को अपनी बांहों में भर कर कहा, ‘‘कब तक तरसाओगी भाभी?’’

इस के बाद इंद्रपाल ने नीलम के बदन को चूमना शुरू कर दिया. नीलम ने उस का कोई विरोध नहीं किया तो इंद्रपाल ने उस के बचे हुए कपड़े भी उतार दिए. नीलम भी उस से लिपट गई और चंद मिनटों में उन्होंने सारी मर्यादाएं तोड़ दीं. इस के बाद अवैध संबंधों का यह खेल आए दिन खेला जाने लगा.

पिंटू अपनी पत्नी के प्रेमप्रसंग से बिलकुल अनजान था. लेकिन पासपड़ोस के लोगों में इंद्रपाल और नीलम के नाजायज संबंधों को ले कर चर्चा होने लगी थी. पर उन दोनों ने इस की परवाह नहीं की. इंद्रपाल नीलम का दीवाना था तो नीलम उस की मुरीद. धीरेधीरे इंद्रपाल उस पर अपना अधिकार समझने लगा.

एक दिन पिंटू ने नीलम से कहा कि वह बीजखाद के लिए कानपुर जा रहा है. वह रात में नहीं आ पाएगा. अगले दिन शाम तक ही लौट सकेगा. उसे किसी चीज की जरूरत हो तो बता दे, वह इंतजाम कर जाएगा.

नीलम बोली, ‘‘घर पर सब सामान है. तुम चिंता मत करो. अगर सिद्धनाथ मंदिर जाओ तो वहां से हमारे लिए प्रसाद जरूर ले आना.’’

पिंटू चला गया. उस के जाते ही उस ने इंद्रपाल को फोन कर के पति के कानपुर जाने की बात कह कर उसे रात में घर आने को कह दिया. पर पिंटू कानपुर गया ही नहीं था. दरअसल जब वह घाटमपुर स्टेशन पर पहुंचा तो उसे गांव का गिरिंदपाल मिल गया.

उस ने बताया कि वह खाद लेने कानपुर गया था, लेकिन गोदाम में स्टाक नहीं है. 2-4 दिनों बाद ही खादबीज आएगा. गिरिंद की बात सुन कर पिंटू ने कानपुर जाने का इरादा छोड़ दिया और घाटमपुर स्थित ऐतिहासिक शिवमंदिर चला गया. वहां दर्शन कर के वह प्रसाद ले आया.

पिंटू रात 9 बजे घर पहुंचा, उस समय नीलम इंद्रपाल की बांहों में समाई बेसुध पड़ी थी. पिंटू ने खिड़की से यह सब देखा तो आगबबूला हो उठा. उसे अपने दोस्त से ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. लेकिन सोचविचार के बाद उस ने खून का घूंट पी कर चुप रहना ही उचित समझा. उस ने सोचा कि इतनी रात को वह घर में कलह करेगा तो पूरा मोहल्ला जाग जाएगा, जिस से बदनामी उसी की होगी.

पिंटू पंचायत घर गया और वहां पड़े तख्त पर लेट गया. रात भर वह सो नहीं सका. सारी रात करवटें बदलता रहा. सवेरे वह उठा और इंद्रपाल के घर पहुंच गया. इंद्रपाल उस का तमतमाया चेहरा देख कर समझ तो गया कि शायद उसे उस पर शक हो गया है लेकिन खुद को सामान्य रखते हुए उस ने पूछा, ‘‘पिंटू भैया, आज सवेरेसवेरे?’’

‘‘हां इंद्रपाल, बात ही ऐसी है कि आना पड़ा.’’ पिंटू ने कहा.

‘‘मेरे लायक कोई काम?’’ इंद्रपाल ने पूछा.

‘‘आओ, मेरे साथ चलो, कहीं एकांत में बैठ कर बातें करते हैं.’’ पिंटू ने कहा.

इंद्रपाल उस के साथ चल पड़ा. गांव से बाहर निकल कर दोनों बंबा की पुलिया पर बैठ गए तो पिंटू ने पूछा, ‘‘आजकल मेरी पत्नी तुम पर काफी मेहरबान है?’’

‘‘मैं कुछ समझा नहीं.’’ इंद्रपाल ने अनजान बनते हुए कहा.

‘‘जानबूझ कर अनजान मत बनो.’’ पिंटू ने कहा.

‘‘इतना नाराज क्यों हो रहे हो भैया?’’

‘‘कल रात तुम कहां थे?’’

‘‘अपने घर पर.’’

‘‘सफेद झूठ.’’

इंद्रपाल ने सिर झुका कर मौन साध लिया. उसे इस तरह देख कर पिंटू होंठ चबाते हुए बोला, ‘‘तू मेरा दोस्त नहीं होता तो मैं तुझे कल रात तब ही कुल्हाड़ी से काट डालता, जब तू नीलम के साथ था. अब तू अगर अपनी खैर चाहता है तो ध्यान रखना कि फिर कभी मेरे घर की ओर भूल कर भी कदम मत रखना, वरना मैं तुझे जिंदा नहीं छोड़ूंगा.’’

इंद्रपाल को खरीखोटी सुना कर पिंटू अपने घर पहुंचा और पत्नी की जम कर पिटाई की. नीलम और इंद्रपाल को चेतावनी देने के बाद पिंटू शराब के ठेके पर पहुंचा और जम कर शराब पी. पत्नी की बेवफाई से वह बुरी तरह टूट गया. उस ने दाढ़ीमूंछ बढ़ा ली और नशे का लती बन गया.

दूसरी ओर नीलम और इंद्रपाल ने एकदूसरे से मिलनाजुलना तथा बोलना बंद कर दिया. पिंटू और इंद्रपाल की दोस्ती में दरार पड़ गई थी. लेकिन यह दरार ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सकी. वजह यह कि पिंटू को पीनेखाने की दिक्कत होने लगी थी क्योंकि उस के पीनेखाने पर इंद्रपाल ही खर्च करता था.

अपनी इन्हीं मजबूरियों के चलते पिंटू ने इंद्रपाल से फिर से दोस्ती कर ली. दोनों साथ बैठ कर फिर खानेपीने लगे. इंद्रपाल ने वादा किया कि वह नीलम को अब कभी बुरी नीयत से नहीं देखेगा. लेकिन वह ज्यादा दिनों तक अपना वादा नहीं निभा सका और नीलम से लुकछिप कर मिलने लगा.

लेकिन सावधानी बरतने के बावजूद नीलम का कारनामा छिपा न रह सका. इस बार नीलम और इंद्रपाल को पड़ोसन सावित्री ने रंगेहाथों पकड़ लिया. सावित्री ने यह बात पिंटू को बताई तो उस का खून खौल उठा. उस ने नीलम की जम कर पिटाई कर दी.

पिंटू एक तरफ अपने गद्दार दोस्त से परेशान था तो दूसरी ओर पत्नी से, जो उस की आंखों में धूल झोंक कर रंगरलियां मना रही थी. आखिर जब बात पिंटू की बरदाश्त के बाहर हो गई तो उस ने गद्दार दोस्त इंद्रपाल को सबक सिखाने का फैसला कर लिया.

इंद्रपाल को सबक सिखाने के लिए पिंटू ने लालपुर गांव निवासी मोहनलाल गुप्ता से बात की. मोहनलाल ने पहले तो नानुकुर की, लेकिन बाद में पिंटू का साथ देने को तैयार हो गया. दरअसल, मोहनलाल का झगड़ा अपने भाई राजेंद्र से होता रहता था. वह झगड़ा पैतृक संपत्ति के बंटवारे को ले कर था.

इस झगड़े में इंद्रपाल राजेंद्र का साथ देता था, जिस से मोहनलाल इंद्रपाल से रंजिश रखता था. इसी कारण पिंटू ने जब इंद्रपाल को ठिकाने लगाने की बात मोहनलाल से की तो वह उस का साथ देने को राजी हो गया.

पहले से तैयार योजना के तहत पिंटू 12 फरवरी, 2017 की शाम इंद्रपाल से मिला. उस ने कहा, ‘‘इंद्रपाल, आज मेरा मूड ठीक नहीं है. सिर और बदन में दर्द हो रहा है. मन में अजीब सी बेचैनी है.’’

इंद्रपाल खिलखिला कर हंसते हुए बोला, ‘‘दोस्त, तुम्हारे मर्ज की दवा मेरे पास है. उस से सिरदर्द भी गायब हो जाएगा और मूड भी ठीक हो जाएगा. 2 पैग लगाते ही हवा में उड़ने लगोगे.’’

इस के बाद इंद्रपाल ने पिंटू के साथ शराब पी. वहां से वापस लौटते समय दोनों बंबा की पुलिया पर बैठ गए. उसी समय मोहनलाल आ गया. मोहनलाल ने इंद्रपाल से तो बात नहीं की, लेकिन पिंटू से बातें करने लगा. इसी बीच मौका पा कर पिंटू ने इंद्रपाल को दबोच लिया.

इंद्रपाल ने छूटने की कोशिश की तो मोहनलाल उस पर टूट पड़ा और लातघूंसों से मारमार कर उसे पस्त कर दिया. हिम्मत कर के इंद्रपाल जान बचा कर भागा, लेकिन कदमों ने उस का साथ नहीं दिया और सरसों के खेत में गिर पड़ा. उसी समय मोहनलाल ने इंद्रपाल को दबोच लिया तो पिंटू ने तेज धार वाले चाकू से उस का गला रेत दिया. उन्होंने इंद्रपाल का धड़ तो वहीं खेत में छोड़ दिया, लेकिन उस के सिर को ले जा कर एक किलोमीटर दूर रायपुर गांव निवासी राकेश वाजपेयी के मटर के खेत में फेंक दिया. इस के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह लालपुर का रामू तेली अपने खेत पर पहुंचा तो उसे पड़ोसी के खेत में किसी का धड़ पड़ा दिखाई दिया. उस ने यह जानकारी गांव वालों को दी तो गांव के तमाम लोग इकट्ठा हो गए. इसी बीच किसी ने थाना घाटमपुर पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी अजय कुमार यादव पुलिस फोर्स के साथ लालपुर पहुंच गए.

अजय कुमार यादव ने वारदात की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी और जांच में जुट गए. सरसों के खेत में एक युवक की सिरविहीन लाश पड़ी थी. उस के सिर का पता नहीं था. थानाप्रभारी सिर की तलाश में जुट गए. वहां मौजूद गांव के कुछ लड़के भी सिर खोजने लगे.

दोपहर 12 बजे के करीब अजय कुमार यादव को सूचना मिली कि पड़ोसी गांव रायपुर में राकेश वाजपेयी के मटर के खेत में किसी का कटा सिर पड़ा है. सूचना पाते ही वह रायपुर पहुंचे और राकेश वाजपेयी के मटर के खेत से कटा सिर बरामद कर लिया. सिर और धड़ को जोड़ा गया तो लालपुर गांव के लोग चौंके. वहां मौजूद रामपाल फूटफूट कर रोने लगा. उस ने बताया कि यह लाश उस के भाई इंद्रपाल की है.

उसी समय एसपी ग्रामीण राजेश कुमार सिंह भी आ गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और मृतक के घर वालों से बात की. चूंकि लाश की शिनाख्त हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय चिकित्सालय कानपुर भिजवा दिया. अजय कुमार यादव ने मृतक के भाई रामपाल से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गांव का मोहनलाल गुप्ता इंद्रपाल से रंजिश रखता था. शक है कि उसी ने इंद्रपाल की हत्या की है. शक के आधार पर पुलिस ने मोहनलाल गुप्ता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई लेकिन उस ने हत्या से साफ इनकार कर दिया.

16 फरवरी, 2017 को पुलिस ने पुन: मोहनलाल से सख्ती से पूछताछ की. इस बार पुलिस की सख्ती से मोहनलाल टूट गया और इंद्रपाल की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि रघुनाथपुर निवासी पिंटू की पत्नी नीलम से इंद्रपाल के नाजायज संबंध थे. पिंटू के कहने पर उस ने उस की हत्या की थी.

मोहनलाल के बयानों के आधार पर पुलिस ने पिंटू को भी हिरासत में ले लिया. पिंटू ने जब थाने में मोहनलाल को देखा तो अपना अपराध स्वीकार कर लिया. चूंकि दोनों ने अपराध स्वीकार कर लिया था, इसलिए पुलिस ने मृतक के भाई रामपाल की ओर से इंद्रपाल की हत्या का मुकदमा मोहनलाल और पिंटू के खिलाफ दर्ज कर लिया और पिंटू की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू बरामद करा लिया, जिसे उस ने अपने खेत में छिपा दिया था.

17 फरवरी, 2017 को थाना घाटमपुर पुलिस ने पिंटू और मोहनलाल को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक उन की जमानत नहीं हुई थी.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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