Valentine’s Day 2024: सैक्स से पहले छेड़छाड़ है बेहद जरूरी, अपनाएं ये तरीके

प्रिया का कहना है कि उस का पति जिस्मानी रिश्ता बनाते समय बिलकुल भी छेड़छाड़ नहीं करता और न ही प्यार भरी बातें करता है. उसे तो बस अपनी तसल्ली से मतलब होता है. जब तन की आग बुझ जाती है, तो निढाल हो कर चुपचाप सो जाता है. वह बिन पानी की मछली की तरह तड़पती ही रह जाती है.

कुछ इसी तरह राजेंद्र का कहना है, ‘‘जिस्मानी रिश्ता कायम करते वक्त मेरी पत्नी बिलकुल सुस्त पड़ जाती है. वह न तो इनकार करती है और न ही प्यार में पूरी तरह हिस्सेदार बनती है. न ही छेड़छाड़ होती है और न ही रूठनामनाना. नतीजतन, सैक्स में कोई मजा ही नहीं आता.’’

इसी तरह सरिता की भी शिकायत है कि उस का पति उस के कहने पर जिस्मानी रिश्ता तो कायम करता है, पर वह सुख नहीं दे पाता, जो चरम सीमा पर पहुंचाता हो. हालांकि वह अपनी मंजिल पर पहुंच जाता है, फिर भी सरिता को ऐसा लगता है, मानो वह अपनी मंजिल पर पहुंच कर भी नहीं पहुंची. सैक्स के दौरान वह इतनी जल्दबाजी करता है, मानो कोई ट्रेन पकड़नी हो. उसे यह भी खयाल नहीं रहता कि सोते समय और भी कई राहों से गुजरना पड़ता है. मसलन छेड़छाड़, चुंबन, सहलाना वगैरह. नतीजतन, सरिता सुख भोग कर भी प्यासी ही रह जाती है.

मनोज की हालत तो सब से अलग  है. उस का कहना है, ‘‘मेरी पत्नी इतनी शरमीली है कि जिस्मानी रिश्ता ही नहीं बनाने देती. अगर मैं उस के संग जबरदस्ती करता हूं, तो वह नाराज हो जाती है. छेड़छाड़ करता हूं, तो तुनक जाती?है, मानो मैं कोई पराया मर्द हूं. समझाने पर वह कहती है कि अभी नहीं, इस के लिए तो सारी जिंदगी पड़ी हुई है.’’

इसी तरह और भी अनगिनत पतिपत्नी हैं, जो एकदूसरे की दिली चाहत को बिलकुल नहीं समझते और न ही समझने की कोशिश करते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए, क्योंकि शादीशुदा जिंदगी कच्चे धागे की तरह होती है. इस में जरा सी खरोंच लग जाए, तो वह पलभर में टूट सकती है.

पतिपत्नी में छेड़छाड़ तो बहुत जरूरी है, इस के बिना तो जिंदगी में कोई रस ही नहीं, इसलिए यह जरूरी है कि पति की छेड़छाड़ का जवाब पत्नी पूरे जोश से दे और पत्नी की छेड़छाड़ का जवाब पति भी दोगुने मजे से दे. इस से जिंदगी में हमेशा नएपन का एहसास होता है.

अगर जिस्मानी रिश्ता कायम करने के दौरान या किसी दूसरे समय पर भी पति अपनी पत्नी को सहलाए और उस के जवाब में पत्नी पूरे जोश के साथ प्यार से पति के गालों को चूमते हुए अपने दांत गड़ा दे, तो उस मजे की कोई सीमा नहीं होती. पति तुरंत सैक्स सुख के सागर में डूबनेउतराने लगता है.

इसी तरह पत्नी भी अगर जिस्मानी रिश्ता कायम करने से पहले या उस दौरान पति से छेड़छाड़ करते हुए उस के अंगों को सहला दे, तो कुदरती बात है कि पति जोश से भर उठेगा और उस के जोश की सीमा भी बढ़ जाएगी.

कभीकभी यह सवाल भी उठता है कि क्या जिस्मानी रिश्ता सिर्फ सैक्स सुख के लिए कायम किया जाता है? क्या दिमागी सुकून से उस का कोई लेनादेना नहीं होता? क्या जिस्मानी रिश्ते के दौरान छेड़छाड़ करना जरूरी है? क्या छेड़छाड़ सैक्स सुख में बढ़ोतरी करती है? क्या छेड़छाड़ से पतिपत्नी को सच्चा सुख मिलता है?

इसी तरह और भी कई सवाल हैं, जो पतिपत्नी को बेचैन किए रहते हैं. जवाब यह है कि जिस्मानी रिश्तों के दौरान छेड़छाड़ व कुछ रोमांटिक बातें बहुत जरूरी हैं. इस के बिना तो सैक्स सुख का मजा बिलकुल अधूरा है. जिस्मानी रिश्ता सिर्फ सैक्स सुख के लिए ही नहीं, बल्कि दिमागी सुकून के लिए भी किया जाता है.

कुछ पति ऐसे होते हैं, जो पत्नी की मरजी की बिलकुल भी परवाह नहीं करते, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. पत्नी की चाहत का भी पूरा खयाल रखना चाहिए, नहीं तो आप की पत्नी जिंदगीभर तड़पती ही रह जाएगी.

कुछ औरतें बिलकुल ही सुस्त होती हैं. वे पति को अपना जिस्म सौंप कर फर्ज अदायगी कर लेती हैं. उन्हें यह भी एहसास नहीं होता कि इस तरह वे अपने पति को अपने से दूर कर रही हैं.

कुछ पति जिस्मानी रिश्ता तो कायम करते हैं और जल्दबाजी में अपनी मंजिल पर पहुंच भी जाते हैं, परंतु उन्हें इतना भी पता नहीं होता कि इस के पहले भी और कई काम होते हैं, जो उन के मजे को कई गुना बढ़ा सकते हैं.

कुछ औरतें शरमीली होती हैं. वे जिस्मानी रिश्तों से दूर तो होती ही हैं, छेड़छाड़ को भी बुरा मानती हैं.

अब आप ही बताइए कि ऐसे हालात में क्या पत्नी पति से और पति पत्नी से खुश रह सकता है?

नहीं न… तो फिर ऐसे हालात ही क्यों पैदा किए जाएं, जिन से पतिपत्नी एकदूसरे से नाखुश रहें?

इसलिए प्यार के सुनहरे पलों को छेड़छाड़, हंसीखुशी व रोमांटिक बातों में बिताइए, ताकि आने वाला कल आप के लिए और ज्यादा मजेदार बन जाए.

Valentine’s Day 2024: क्यों कम हाइट की लड़कियों को पसंद करते हैं लड़के, जानें 7 कारण

शादी के लिये रिश्ते करते समय लड़के-लड़की के रंग-रूप और कद-काठी पर भी ध्यान दिया जाता है. कोशिश होती है कि लड़के-लड़की के कद में अधिक अंतर न हो. लेकिन दक्षिण कोरिया में हुई एक रिसर्च के मुताबिक कद का अंतर प्यार बढ़ाता है.

7850 महिलाओं पर किए गए सर्वे में यह सामने आया कि जिन पतियों की लंबाई पत्नी की तुलना में बहुत ज्यादा होती है, वह पुरुष अच्छे पति साबित होते हैं और ऐसी बीवियां भविष्य में बहुत ही खुशहाल जीवन बिताती हैं.

हम यहां बता रहे हैं 7 कारण जिसकी वजह से पुरुष छोटे कद की महिला को पसंद करते हैं.

1-पुरुष खुद को ताकतवर महसूस करते हैं

किसी रिश्ते का सही तरह से आगे बढ़ना या न बढ़ना काफी हद तक एक-दूसरे की सोच पर निर्भर करता है. अपने से कम हाइट की महिलाओं पार्टनर को पाकर पुरुष ताकतवर मेहसूस करने लगता है. उन्हें लगता है कि वो अपने कद की वजह महिलाओं से अपनी बात आसानी से मनवा सकते हैं. ऐसे मामलों में पुरुष न चाहते हुए भी धीरे-धीरे डोमिनेटिंग नेचर के बन जाते हैं.

2-खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं

लंबे पुरुषों को लगता है कि उनकी कम कद की पार्टनर को हर वक्त उनके प्रोटेक्शन की जरूरत है जिससे वो उन्हें एक्स्ट्रा केयर और प्रोटेक्शन देते हैं. ऐसी महिला  के साथ वो किसी भी तरह से असुरक्षित महसूस नहीं करते. कई मामलों में देखा गया है कि कम हाइट की महिलाएं भले ही दिखने में ज्यादा सुंदर हों लेकिन पुरुष अपने लंबे कद की वजह से इसे बैलेंस कर देते हैं.

3-झप्पी देना लगता है अच्छा

ज्यादातर पुरुषों को कम हाइट की महिलाओं को गले लगाना अच्छा लगता है. ऐसी महिलाओं को गले लगाने से उन्हें अपनेपन का अहसास होता है जिसका मौका वो कभी नहीं चूकते.

4- महिलाओं के लंबे कद से लगता है डर

लंबी महिलाएं अपनी हर बात को लेकर बहुत ही कॉन्फिडेंट होती हैं लेकिन उनका कॉन्फिडेंस इगो और घमंड का भरा होता है. पुरुषों में भी इगो वाला नेचर देखा जा सकता है लेकिन वो इसे शो नहीं करते. इसीलिये लंबे कद वाली महिलाओं को पुरुष पसंद नहीं करते.

5-खास होती हैं छोटे कद की महिलाएं

अपने कद को अपने व्यक्तित्व की कमी मानने वाली महिलाएं कई बार इस बात से अंजान होती हैं कि उनके बाकी फीचर्स कितने अलग हैं जो दूसरों को अट्रैक्ट करने के लिए काफी हैं. सरल, मासूम और काइन्ड नेचर होने के साथ कम हाइट की महिलाएं अक्सर रोमांटिक नेचर की होती हैं.

6-करती हैं सेक्स लाइफ को एन्जॉय

पुरुषों को कम हाइट की महिलाएं इसलिए भी ज्यादा पसंद आती हैं क्योंकि वो सेक्स को अच्छे से एन्जॉय करती हैं. कम हाइट की वजह से उनका वजन भी उतना ज्यादा नहीं होता जो पुरुषों के लिए अच्छा होता है. अपनी सेक्सुअल लाइफ को एन्जॉय करने में लिए खासतौर से पुरुष ऐसी महिलाओं को पसंद करते हैं.

7-साथ घूमना-फिरना है आसान

पुरुषों के रोमांटिक नेचर को असल में कम हाइट की महिलाओं के साथ देखा जा सकता है. उन्हें बहुत ही अच्छा लगता है ऐसी महिलाओं को उठाकर घूमना. हनीमून ट्रिप हो या डेट वो ऐसे किसी मौके को हाथ से जाने नहीं देते.

Valentine’s Day 2024 : 1 नहीं 5 तरह का होता है एकतरफा प्यार

अमूमन जब हम किसी से प्यार करते हैं तो बदले में उस व्यक्ति से भी प्यार पाना चाहते हैं, तब भी जब उसे हममे कोई भी रूचि नहीं होती. वैज्ञानिकों ने हाल में किये कुछ शोधों के आधार पर पांच तरह के एकतरफा प्यार का खुलासा किया है और बताया है कि यह सच्चे प्यार से किस तरह अलग होता है.

आप और आपकी दोस्त एक दूसरे को तीन सालों से जानते हैं. आप अपनी दोस्त के प्रति इतने ज्यादा आकर्षित हैं कि आपके दोस्त उसे आपकी गर्लफ्रेंड ही मानने लगे हैं. काश यह सच होता. आप पूरी तरह उसके प्यार में हैं और आप हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहते हैं. लेकिन आपको यह अच्छे से पता है कि वो आपसे प्यार नहीं करती है क्योंकि जब भी कोई उससे आपके बारे में पूछता है तो वह बताती है कि आप दोनों महज दोस्त हैं. इसका मतलब यह है कि आप एकतरफा प्यार में हैं.

मीठा दर्द

जब आपको मालूम है कि उसको आपमें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो आपको क्यों लगता है कि एक दिन उसका दिल पसीज जाएगा. आप उस व्यक्ति के साथ एक ऐसे एकतरफा प्यार में हैं जिसके लिए सिर्फ आपके दिल में रोमांटिक ख्याल आ रहे हैं लेकिन वह आपकी तरह कुछ भी महसूस नहीं कर रही है. दुःख की बात यह है कि एकतरफा प्यार के किस्से काफी आम हैं.

ऐसी स्थिति में क्या एकतरफा प्यार में भी वैसा महसूस करने की संभावना है जैसा कि लोग दोतरफा प्यार में महसूस करते हैं.

इसका जवाब ढूंढने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पांच तरह के एकतरफा प्यार पर अध्ययन किया. उन्होंने पता लगाया कि जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं और उसे हासिल करना चाहते हैं, वह आपको किस तरह प्रभावित करता है और आप एक दूसरे के जीवन में क्या महत्व रखते हैं. अपने शोध के आधार पर उन्होंने पांच तरह के एकतरफा प्यार का जिक्र किया है. आइये उनके बारे में जानते हैं:

एकतरफा प्यार के पांच प्रकार 

सेलेब्रिटी या हीरो से प्यार

आपको किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार है जिसे आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं ना ही कभी जानने की संभावना है, जैसे फिल्म स्टार, रौकस्टार या एथलीट. किशोरावस्था में कई लड़के फिल्म अभिनेत्रियों के प्रति ऐसा प्यार महसूस करते हैं उन्हें लगता है कि उनसे ज्यादा इस हीरोइन को प्यार करने वाला दूसरा कोई नहीं.

बहुत करीब फिर भी बहुत दूर

किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति प्यार जिसे आप अच्छी तरह जानते हैं लेकिन किसी वजह से आप उससे अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं. ऐसा कई लड़के लड़कियों के साथ होता है कि उन्हें अपने क्लासरूम या औफिस में कोई पसंद होता है, लेकिन वे किसी डर या किसी अन्य वजह से उससे कुछ कह नहीं पाते. यह भी एकतरफा प्यार का एक टाइप है.

प्यार पाने की पूरी कोशिश करना

एक ऐसा रिश्ता जिसमें आप किसी व्यक्ति को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन बदले में आपको उस व्यक्ति का प्यार हासिल नहीं हो पाता है.

पुराना प्रेम संबंध

कोई ऐसा प्रेम संबंध जो किसी कारणवश खत्म हो चुका हो, लेकिन आपके दिल में अभी भी उसके प्रति प्यार बना हो लेकिन अब उसके पास लौटने की कोई गुंजाइश न हो.

बेदर्द प्यार

आप अपने की तुलना में उससे ज़्यादा प्यार करते हैं और उसके प्रति ज़्यादा वफ़ादार हैं. ऐसे रिश्तों में ताजगी बनाए रखने के लिए आप अपने पार्टनर से ज्यादा प्रयत्न करते हैं.

सबके साथ होता है

शोधकर्ताओं ने तीन सौ हाईस्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों पर अध्ययन किया और पिछले दो वर्षों में उनके एकतरफा प्यार के अनुभवों के बारे में पूछा. शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का प्रयत्न किया कि भावनात्मक रूप से एक से सात तक के पैमाने उनकी भावनाएं कितनी चरम पर थीं.

शोधकर्ताओं ने 450 छात्रों पर दूसरा अध्ययन किया और उनसे पूछा कि एकतरफा प्यार में जूनून और वफादारी के अलावा अन्य सकारात्मक पहलू क्या होते हैं.

शोधकर्ताओं ने पाया कि छात्रों को दोतरफा प्यार की तुलना में एकतरफ़ा प्यार चार गुना अधिक होता है. करीब नब्बे प्रतिशत लोग उनके लिए रोए थे जो पिछले दो सालों में अपने प्यार को किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा पाए.

शोध में पाया गया कि किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति गहरा आकर्षण जिसे आप जानते हैं लेकिन उससे अपने दिल की बात कह नहीं सकते, एकतरफा प्यार में होने वाली सबसे आम घटना है. दो प्यार करने वालों के बीच एक दूसरे के प्रति बराबर प्यार ना होना भी आम पाया गया.

दुःख तो होता ही है

स्टडी में पाया गया कि हर तरह के एकतरफा प्यार में दोतरफा प्यार की अपेक्षा कम गहराई होती है. दो लोगों के बीच प्रेम संबंध जूनून, अंतरंगता और एक दूसरे का ख्याल रखने से ही प्रगाढ़ होता है.

लेकिन जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं उसके प्रति आपकी भावनाएं कितनी गहरी हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के एकतरफा प्यार में हैं. किसी फिल्म स्टार के प्रति गहरे आकर्षण की तुलना आपकी पुराने गर्लफ्रेंड से नहीं की जा सकती है जिसके साथ आप फिर से जुड़ना चाहते हैं.

रिसर्च ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया है कि एकतरफा प्यार किसी भी तरह दोतरफा प्यार के कुछ सकारात्मक पहलुओं को प्रदान करता है, जैसे उस व्यक्ति के लिए पागलपन, उससे अंतरंगता और शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा और रिश्ते में बिना किसी उतार चढ़ाव के उसके साथ रहने की इच्छा. एकतरफा प्यार असुविधाजनक और निश्चित रूप से असंतुष्ट स्थिति है.

एकतरफा प्यार क्यों होता है?

एक समय ऐसा आता है जब हम किसी व्यक्ति के साथ रोमांस करने को तरसते हैं लेकिन हम जिससे प्यार करते हैं उसे हममें कोई दिलचस्पी ही नहीं होती है. यह जानते हुए भी हम उसकी सभी बातें आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं.

शोधकर्ताओं ने तीन सिद्धांत दिए हैं:

प्यार का एहसास होना अच्छा है

आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जिसे आपमें रूचि नहीं है लेकिन आप उससे वह प्यार हासिल करना चाहते हैं जो दोस्ती के रिश्ते में आप कभी नहीं पा सकते हैं. उदाहरण के लिए एकतरफा प्यार और वास्तविक प्यार दोनों में किसी के लिए पागल होना आम बात है. किसी के साथ रिश्ता जुड़ने का ख्याल और उसका होने का सपना देखना भावनात्मक रूप से अच्छा है बजाय इसके कि कोई ख्याल ही ना आए.

खुद को जानने का मौका

एकतरफा प्यार आपके जीवन का एक ऐसा अनुभव है जो एक समय में गलत साबित जरूर हो सकता है लेकिन इससे आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि आप कैसे हैं और आपको किस तरह के पार्टनर की जरूरत है.

जीत इसी में है

अंत में, शोधकर्ताओं का कहना है कि एकतरफ़ा प्यार देरी से मिलने वाले किसी मुनाफ़े जैसा है. हालांकि यह थोड़ी देर के लिए बेचैन कर देता है लेकिन भविष्य में रिश्ते जुड़ने की संभावना भी इसी से बनती है.

इस Valentines Day जानिए आखिर क्या है मेल पिल्स

मेल कौंट्रासैप्टिव पिल्स के अनुसंधान की शुरुआत हालांकि 7वें दशक के प्रारंभ में हो गई थी किंतु सफलता नहीं मिल पाने के पीछे वैज्ञानिकों की अपनी मजबूरी थी. इस की राह में पुरुषों के प्रजनन अंगों की रचना और फिजियोलौजी की जटिलताएं बारबार आड़े आती रहीं. महिलाओं में ओव्यूलेशन से ले कर फर्टिलाइजेशन और भू्रण को गर्भाशय के अंदर इंप्लांटेशन को रोक कर गर्भधारण को बाधित करना अपेक्षाकृत आसान है. पुरुषों के साथ ऐसी बात नहीं है.

महिला की एक ओवरी से पूरे महीने में मात्र एक ही अंडा निकलता है जिस को नियंत्रित करने में वैज्ञानिकों को विशेष परेशानी नहीं हुई. ओव्यूलेशन के लिए जिम्मेदार हार्मोंस की मात्रा को बाधित कर देने पर न तो अंडे का निर्माण संभव है और न ही ओव्यूलेशन. इसलिए फीमेल पिल्स की ईजाद में चिकित्सा वैज्ञानिकों को विशेष परेशानी नहीं हुई, लेकिन पुरुषों में न तो कभी वीर्य का निर्माण और न ही स्खलन बाधित होता है.

इतना ही नहीं, प्रत्येक स्खलन के दौरान वीर्य के प्रति मिलीलिटर में लगभग 100 मिलियन से भी अधिक शुक्राणु होते हैं. जहां तक प्रैग्नैंसी की बात है, इस के लिए मात्र एक ही शुक्राणु काफी होता है और वह शुक्राणु कोई भी हो सकता है. ऐसी स्थिति में, एकसाथ इतने शुक्राणुओं को नियंत्रित करना वैज्ञानिकों के लिए आसान बात नहीं थी, फिर भी इसी को आधार बना कर शुरुआती दिनों में गोसिपोल नामक गोली के निर्माण में वैज्ञानिकों को आंशिक सफलता मिली. लेकिन ऐसा देखा गया कि इस से शुक्राणुओं की संख्या में तेजी से कमी आती है और 10 फीसदी पुरुष स्थायी रूप से संतानोत्पत्ति में असमर्थ पाए गए. सो, इस के प्रयोग को तुरंत बंद कर दिया गया.

शुरुआती दौर में गोसिपोल का प्रयोग असफल साबित हुआ, किंतु इतना तो स्पष्ट हो गया कि मेल पिल्स के निर्माण में सैक्स हार्मोंस द्वारा ही सफलता मिल सकती है. अर्थात इस की विभिन्न मात्रा का प्रयोग कर ऐसी गोलियां बनाई जा सकती हैं जो शुक्राणुओं के निर्माण को न तो स्थायी रूप से बाधित करें और न ही प्रैग्नैंसी की संभावनाओं को स्थायी रूप से खत्म करें. इस के साथसाथ, वैज्ञानिकों ने इस बात को भी ध्यान में रखा कि मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्लैंड नामक विशेष ग्रंथि को भी नियंत्रण में रखा जाए तो शुक्राणुओं के निर्माण को नियंत्रण में रखा जा सकता है.

वैज्ञानिक इस बात पर ध्यान केंद्रित करने लगे कि शुक्राणुओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा स्राव को बाधित कर दिया जाए तो बिना किसी साइड इफैक्ट या सैक्स की क्रियाशीलता को बाधित किए शुक्राणुओं की संख्या में कमी ला कर प्रैग्नैंसी को नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन अनुसंधान के क्रम में शीघ्र ही एक नए सैक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन का पता चला जो अंडकोष से स्रावित होता है.

शोध से यह भी पता चला कि टेस्टोस्टेरोन नामक यह हार्मोन शुक्राणुओं के निर्माण से ले कर मैच्योर होने के लिए जिम्मेदार है. इतना ही नहीं, वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि यह पुरुषार्थ के साथसाथ मांसपेशियों के विकास तथा दाढ़ीमूंछ के निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भागीदारी निभाता है.

अब वैज्ञानिकों का सारा ध्यान इसी हार्मोन पर था. वे अपने अनुसंधान से यह पता लगाने में लग गए कि किस तरह इस हार्माेन के स्राव को नियंत्रित किया जाए. जैसेजैसे अनुसंधान आगे बढ़ता गया, इस रहस्य से परदा उठने लगा और शीघ्र ही पता चल गया कि शुक्राणुओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार अंडकोष से स्रावित होने वाले टेस्टोस्टेरोन का तार पिट्यूटरी ग्लैंड से जुड़ा है.

इस दौरान यह भी पता चला कि जब इस की मात्रा रक्त में सामान्य से ज्यादा हो जाती है या फिर बाहर से इस का समावेश किया जाता है तो शुक्राणु का निर्माण पूरी तरह बाधित हो जाता है. लेकिन इस से कई दूसरे अवांछित साइड इफैक्ट भी देखने को मिलने लगे. चेहरे पर कीलमुंहासे, वजन में बढ़ोत्तरी के साथसाथ पौरुषग्रंथि में वृद्धि होने की शिकायतें आने लगीं.

इस के बाद वैज्ञानिकों ने एक दूसरा रास्ता निकाला. टेस्टोस्टेरोन के साथ एक दूसरा सैक्स हार्मोन प्रोजेस्टेरोन की एक निश्चित मात्रा मिला कर प्रयोग करने पर विचार किया गया. इस के पीछे वैज्ञानिकों का तर्क था कि यह हार्मोन पुरुष और महिला दोनों में रिप्रौडक्टिव हार्मोन सिस्टम के स्राव को कम कर देता है. ऐसा करने में वैज्ञानिकों को आशातीत सफलता मिली.

लंबे अनुसंधान के बाद यह तय हो गया है कि मेल पिल्स में प्रोजेस्टेरोन तथा टेस्टोस्टेरोन दोनों तरह के हार्मोन का मिश्रण जरूरी है. इस के साथ यह समस्या आने लगी कि प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन से निर्मित पिल्स के खाने के बाद आंत में जा कर पाचक रस और विभिन्न एंजाइम्स के प्रभाव से विच्छेदित हो जाता है, जिस से इस की क्रियाशीलता तथा प्रभाव दोनों कम हो जाते हैं. इसलिए शोधकर्ता अब इन दोनों हार्मोंस के मिश्रण को त्वचा में इंप्लांट करने के लिए इस के माइक्रो कैप्सूल तथा इंजैक्शन विकसित कर रहे हैं, ताकि टेस्टोस्टेरोन की क्रियाशीलता प्रभावित न हो. दुनिया के कई देशों में माइक्रो पिल्स, इंजैक्शन क्रीम, जैल आदि का निर्माण करने पर विचार किया गया.

परीक्षण अब अंतिम चरण में

पिल्स का परीक्षण दुनिया के कई देशों में अब अंतिम दौर में है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब महिलाओं की तरह पुरुष भी मैडिकल शौप से बर्थ कंट्रोल की गोलियां, क्रीम, जैल की शीशियां खरीदते, अस्पतालों में इस का इंजैक्शन लेते और परिवार नियोजन केंद्रों पर इस के सेवन के तरीकों पर चर्चा करते नजर आएंगे.

हाल ही में लगभग 1 हजार पुरुषों पर इस के इंजैक्शन का परीक्षण किया जा चुका है और 99 फीसदी कारगर भी साबित हुआ है. यह अस्थायी तौर पर रिप्रौडक्टिव हार्माेनल सिस्टम को या तो कम कर देता है या उसे पूरी तरह से रोक देता है. खास बात यह है कि यह पूरी तरह रिवर्सिबल है और इस का सेवन छोड़ देने पर 67 फीसदी पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या 6 माह के भीतर सामान्य हो जाती है. शतप्रतिशत सामान्य होने में लगभग 1 साल का समय लगता है. इस में किसी तरह के साइड इफैक्ट देखने को नहीं मिले.

यूनाइटेड नैशन वर्ल्ड और्गेनाइजेशन यूनिवर्सिटीज औफ कैलिफोर्निया, लौस एंजेल्स तथा यूनिवर्सिटीज औफ सिडनी में भी इस का परीक्षण पूरा किया जा चुका है. पौरुष को मैंटेन रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस हार्मोन के सेवन से बिना किसी परेशानी के स्पर्म काउंट में कमी तो आई लेकिन बांझपन, उत्तेजना या इच्छा में कमी जैसे विकार देखने को नहीं मिले. यूनिवर्सिटीज औफ वाशिंगटन के पौपुलेशन सैंटर फौर रिसर्च इन रिप्रौडक्शन के विशेषज्ञ डा. एंड्रियू कोवियेलो के शब्दों में, ‘‘पुरुष कौंट्रोसैप्टिव के लिए यदि टेस्टोस्टेरोन का प्रयोग किया जाता है तो 3 महीने के बाद तक इस का स्राव होता रहता है. यानी इस का प्रयोग 3 महीने बाद तक सुरक्षित माना जा सकता है. फलस्वरूप इस के माइक्रो कैप्सूल विकसित करने की कोशिश की जा रही है जिस में गाढ़े तरल पदार्थ के रूप में हार्मोन होगा और जिसे हथेली तथा बांह की त्वचा के नीचे इंप्लांट करने की सुविधा होगी.’’

आस्टे्रलिया के शोधकर्ताओं ने पुरुषों के लिए जैब नामक नौन बैरियर कौंट्रासैप्टिव मैथड के अंतर्गत इंजैक्शन के निर्माण में सफलता पा ली है. इसे प्रोजेस्टेरोन तथा टेस्टोस्टेरोन के मिश्रण से बनाया गया है और इसे 2 से 3 माह के अंतराल में लगाने की जरूरत होती है.

यह वीर्य का निर्माण नहीं होने देता और इस का प्रभाव स्थायी भी नहीं होता है. एनजेक रिसर्च इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी औफ सिडनी तथा कोनकार्ड हौस्पिटल ने 18 से 51 वर्ष के लगभग 1756 पुरुषों के बीच इस का परीक्षण करने के बाद पाया कि यह इंजैक्शन काफी तेज और प्रभावी है.

इस परीक्षण में शामिल एसोसिएट प्रोफैसर पीटर लिउ के अनुसार, ‘‘आज इस की काफी जरूरत है क्योंकि कई महिलाएं पिल्स का सेवन करना नहीं चाहतीं या फिर इसे किसी कारणवश टौलरेट नहीं कर पातीं. उसी तरह कई पुरुष ऐसे होते हैं जो अपने बंध्याकरण को देर से कराना चाहते हैं या फिर कराना नहीं चाहते.’’

परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार जैब इंजैक्शन बंध्याकरण की तरह उतना ही इफैक्टिव है जितना महिलाओं के द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली पिल्स. इस के सेवन के बाद न तो सर्जरी और न ही दूसरी वजह से स्पर्म के निर्माण को पूरी तरह बंद करने की जरूरत होगी.

अभी मेल पिल्स मार्केट में आई भी नहीं, पर इस को ले कर तरहतरह के सवाल उठ रहे हैं. सवाल तब भी उठे थे जब फीमेल पिल्स पहली बार मार्केट में आई थी. तब यह बात उठी थी कि इस से मां के नैसर्गिक अधिकार का अतिक्रमण होगा. समाज में विकृतियां आएंगी. नैतिक, सामाजिक, वैचारिक मूल्यों में गिरावट आएगी. यौनशोषण को बढ़ावा मिलेगा. अब, लगभग 60 वर्षों के बाद जब मेल पिल्स मार्केट में आने वाली है तब भी कुछ इसी तरह के सवाल उठने लगे हैं. कहा जाने लगा है कि इस से सामाजिक तानाबाना छिन्नभिन्न हो जाएगा. पतिपत्नी और दांपत्य में दरार आएगी, तलाक में इजाफा होगा. सामाजिक कटुता और वैमनस्य बढ़ेंगे आदि.

दुनिया के मशहूर जर्नल फैमिली प्लानिंग ऐंड रिप्रौडक्टिव हैल्थकेयर में यूएसए के यूनिवर्सिटीज औफ सोशल फ्यूचर इंस्टिट्यूट के प्रो. जुडिथ इबरहार्डथ ने लगभग 140 पुरुषों और 240 महिलाओं के बीच बातचीत कर यह जानने की कोशिश की कि आम लोग इस के सेवन के प्रति कितना सहज, सतर्क तथा ईमानदार होंगे.

स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि मल्टी सैक्सुअल पार्टनर तथा लिव इन रिलेशनशिप पर विश्वास करने वाले पुरुषों के बीच यदि कंडोम का प्रयोग कम हुआ तो एड्स तथा गुप्त रोग फैलने की संभावना काफी बढ़ जाएगी.

एक बात और, ऐसी महिलाएं जो प्रैग्नैंसी के बाद पुरुष को जबरदस्ती शादी करने के लिए बाध्य करती हैं, वैसे पुरुषों के लिए यह पिल्स वरदान साबित हो सकती है. साथ ही वे पुरुष जो कंडोम का इस्तेमाल करते हैं, इस पिल्स को इस्तेमाल जरूर करेंगे.

Valentine Special 2024: क्या आप भी शादी से बोर हो गए हैं?

Sex News in Hindi: ‘‘मेरा पति मुझे प्यार करता है, मेरी पूरी इज्जत करता है, मेरा पूरा ध्यान रखता है, इस बात का विश्वास दिलाता है कि वह मुझे धोखा नहीं देगा, विश्वासघात नहीं करेगा, लेकिन अपने मन की बहुत सी बातें मुझ से शेयर करता हुआ वह यह भी कहता है कि वह अन्य औरतों की ओर आकर्षित होता है. ‘‘यह बात मुझे हैरान भी करती है और परेशान भी. हैरान इसलिए कि वह मुझे अपने मन की सचाई बता रहा है, लेकिन वह शादीशुदा होते हुए अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित कैसे हो सकता है, यह बात मुझे परेशान करती है.’’

वैवाहिक संबंधों की एक सलाहकार के सामने बैठी महिला उन्हें यह बता कर अपनी समस्या का समाधान ढूंढ़ने का प्रयास कर रही है. मैरिज काउंसलर का इस बारे में कहना है, ‘‘मुझे पता है कि किसी भी पत्नी के लिए अपने पति का अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित होना परेशानी व ईर्ष्या का विषय है. पत्नी के लिए यह मानसिक आघात व पीड़ादायक स्थिति होती है.

‘‘लेकिन पति आप से अपने इस आकर्षण के बारे में बात करता है, तो वह सच्चा है, आप के प्रति ईमानदार है. इस के विपरीत वे पुरुष, जो अन्य महिलाओं की तरफ आकर्षित होते हैं, उन से रिश्ता रखते हैं, लेकिन पत्नी से छिपाते हैं, झूठ बोलते हैं, वे ईमानदार पतियों की श्रेणी में नहीं आते. ऐसी बात तो पत्नियों के लिए चिंता का विषय है.’’

कुछ भी गलत नहीं

आप चाहे किसी जानीमानी हीरोइन जैसी दिखती हों पर अगर कोई दूसरी आकर्षक शख्सियत कमरे में आएगी तो आप के पति का उस की ओर आकर्षित होना स्वाभाविक है. यह स्थिति परेशान करती है पर बदलेगी नहीं, क्योंकि यह प्राकृतिक है. इस में कुछ भी गलत नहीं है. क्या पत्नियां आकर्षक सजीले पुरुषों की ओर आकर्षित नहीं होतीं, उन्हें नहीं निहारतीं, उन की तारीफ नहीं करतीं? अगर आप के सामने कोई जानामाना शख्स होगा तो आप भी अपने पति को छोड़ कर उसे निहारेंगी, उस की ओर आकर्षित होंगी.

सहजता से लें

किसी भी सुंदर, अच्छी चीज की ओर आकर्षण मानव का स्वभाव है. यह हमारे जींस में है. यह एक हैल्दी धारणा है. आप शादी के बंधन में बंध गए तो आप किसी अन्य महिला या पुरुष की ओर नहीं देखेंगे, यह किसी ग्रंथ या किताब में लिखा भी है तो भी प्रकृति का दिया नहीं है. इसलिए जब कभी कोई एक किसी अन्य को देख कर उस की तरफ निहारे तो कोपभाजन में न जा कर उसे सहजता से लें. देखने भर से अगर किसी को सुकून मिलता है तो इस में आप का कुछ बिगड़ नहीं जाता. आप एक नई कार खरीदते हैं पर आप सड़क पर चल रही अन्य बड़ी, आकर्षक कारों की ओर आकर्षित भी होते हैं, तारीफ भी करते हैं, बल्कि उसे अपना बनाने की चाहत भी रखते हैं. यह तो कार की बात है, लेकिन रिश्ते में आकर्षण यानी विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण स्वाभाविक है.

नीरसता को तोड़ता है

मैनेजमैंट के 2 छात्र आकांक्षा व प्रतीक अपना कोर्स खत्म हो जाने के बाद अपनीअपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए. सालों बाद जब फेसबुक पर वे मिले तो दोनों ने एकदूसरे के बारे में जाना. दोनों की शादी हो गई थी, लेकिन दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हुए. हां, दोनों ने अपनी अपनी सीमाओं का अतिक्रमण नहीं किया. थोड़ा सा रोमानी हो जाना रुटीन की नीरसता को तोड़ता है. आकांक्षा को सास की टोकाटाकी, घर की जिम्मेदारियों व पति के असहयोगी रवैए की अपेक्षा प्रतीक काफी सुलझा हुआ, नारी की स्वतंत्रता में विश्वास रखने वाला लगा. वहीं प्रतीक को बेतरतीबी से रहने वाली अपनी पत्नी की अपेक्षा आकांक्षा कहीं अधिक सजग व आकर्षक लगी. दोनों के बीच मैसेज और औनलाइन चैटिंग होने लगी. दोनों अपने कालेज, दोस्तों, परिवार, समस्याओं और भावनाओं को एकदूसरे के साथ बांटने लगे. दोनों को एकदूसरे का साथ अच्छा लगने लगा. धीरेधीरे दोनों को एकदूसरे की आदत सी हो गई.

जीवन का हिस्सा

प्रतीक की पत्नी सीमा और आकांक्षा के पति गौरव को यह आकर्षण, यह मेलजोल बिलकुल नहीं सुहाता था, लेकिन गौरव और सीमा को अगर कोई पुराना दोस्त मिलेगा और उस में उन्हें आकर्षण नजर आएगा, तो क्या वे आकर्षित हुए बिना रह पाएंगे? हर इंसान एक रुटीन वाली दिनचर्या से नजात चाहता है, जिंदगी में नयापन चाहता है. ऐसे में क्या शादी हो जाने का मतलब अपनी सोचसमझ खो कर सिर्फ एकदूसरे की जिंदगी में बेवजह शक करना और रोज की किचकिच को वैवाहिक जीवन का हिस्सा बनाना है?

परिवर्तन के लिए

आज जब कामकाज के मामले में स्त्रीपुरुष में भेद करना रूढिवादिता है, ऐसे में जब स्त्रीपुरुष दोनों घर से बाहर निकलते हैं, तो उन में यौनाकर्षण होना स्वाभाविक है. चाहे प्राइवेट औफिस हो या विश्वविद्यालय, पुरुष अपनी भावनाओं, अनुभवों को साथ बांटने वाली स्त्री के साथ समीपता महसूस करता है, जो पत्नी के साथ संभव नहीं होता. औरत अकेलेपन से घबराती है, इसलिए वह किसी के साथ ऐसा रिश्तानाता जोड़ती है. घर से बाहर का पुरुष, जिस का स्वभाव उस से मिलता जुलता है, जो उसे घरेलू समस्याओं से दूर रखता है, उस की दिलचस्पी वाले विषयों पर उस से बातें करता है, उस के साथ बैठ कर कामकाजी महिला को थोड़े समय के लिए मानसिक और शारीरिक तनाव से मुक्ति मिलती है, उसे घर की कैद से राहत की सांस मिलती है, जो उसे मानसिक सुकून देती है. घर में साफसफाई, बच्चों की जिम्मेदारी, घर के खर्च, बजट, मैनेजमैंट आदि के मुद्दे पतिपत्नी के अहंकारों के टकराने का कारण बनते हैं, जिस से जीवन प्रेमविहीन होने लगता है. ऐसे में पुरुष व महिलाओं के एकदूसरे की ओर आकर्षण को अपराध मानना गलत है और एकदूसरे को शक के कठघरे में खड़ा करना शादीशुदा जीवन का अंत बन जाता है.

आकर्षण स्वस्थ धारणा है

आप ने बहुत सैक्सी ड्रैस पहनी है. आप के पति आप से पूछेंगे कहां जा रही हो? आप न कहेंगी तो वे हैरान होंगे कि आप ऐसे तैयार क्यों हुई हैं और आप की ओर आकर्षित होंगे ताकि कोई और आप की ओर आकर्षित न हो. आकर्षण एक स्वस्थ धारणा है, इसे शक के दायरे में ला कर इस की खूबसूरती को बदसूरत बनाना समझदारी नहीं है. आप एक नई ड्रैस खरीदती हैं, लेकिन अगर किसी और ने अधिक अच्छी ड्रैस पहनी है तो क्या आप उस ड्रैस की ओर नहीं देखेंगी या उस की ओर आकर्षित नहीं होंगी. यह मानवीय स्वभाव है कि जब आप किसी बंधन में बंध जाते हैं तो आप आजाद हो कर नियम तोड़ना चाहते हैं. ऐसे में विपरीत सैक्स की ओर आकर्षण प्राकृतिक है, यह बेईमानी या विश्वासघात नहीं है. वास्तविकता यह है कि आप का पति बेहद आकर्षक है लेकिन उन के आगे आप को कोई मशहूर शख्स अधिक आकर्षक लगेगा. ऐसा ही पुरुषों के साथ भी होता है.

मजे के लिए

जब पतिपत्नी में से कोई विपरीत सैक्स की ओर आकर्षित होता है, फ्लर्ट करता है तो इस का अर्थ यह नहीं है कि उन में से कोई पति या पत्नी को छोड़ देगा. उन से रिश्ता तोड़ देगा. साथी आकर्षित हो कर फ्लर्ट सिर्फ जिंदगी में नएपन या मजे के लिए करता है और आप को इस की जानकारी है तो इसे स्वस्थ और सकारात्मक नजरिए से देखिए. अगर पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जिम्मेदार हैं, दोनों को एकदूसरे पर विश्वास है, तो परपुरुष या परस्त्री की ओर आकर्षित होना अपराध नहीं है.

अच्छी सेहत के लिए बेहद जरूरी है सेक्स

Sex News in Hindi: हमारे प्राचीन साहित्य (Ancient Literature) में सेक्स को ले कर खुल कर चर्चा हुई है और महर्षि वात्स्यायन ने सेक्स को ले कर कामसूत्र (Kamasutra) जैसे ग्रंथ की रचना की है. यह विडंबना की बात है कि हमारे यहां आज भी सेक्स (Sex) पर खुल कर बात करना वर्जित माना जाता है और सेक्स को एक टैबू (Taboo) माना जाता है. घरेलू महिला (Domestic Women) सुनीता एवं मैरिज काउंसलर दीप्ति के अनुसार, ‘‘सेक्स जरूरी है, जीवन का अभिन्न अंग है, यह आनंद देता ही है. आनंद देने के साथसाथ सेक्स सृष्टि के चलते रहने के लिए संतान की उत्पत्ति का एकमात्र साधन भी है.’’

यौन रोग विशेषज्ञ प्रकाश कोठारी के अनुसार सेक्स शारीरिक प्रक्रियाओं और हारमोंस के संचालन को नियमित रखता है. इस से शरीर के इम्यून सिस्टम यानी प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ावा मिलता है. सप्ताह में 2 बार सेक्स करने वालों की अपेक्षा जो कभीकभी सेक्स कर पाते हैं उन में इम्यूग्लोबिन ‘ए’ का स्तर कम पाया जाता है और रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता काफी कम होती है. ऐसे लोग अकसर बीमार रहते हैं. इसलिए विवाहितों की अपेक्षा अविवाहितों की मृत्युदर अधिक पाई गई है.

सेक्स से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

कैंसर रोग के खतरे से बचाव होता है, क्योंकि पिछले 35 सालों में जो व्यक्ति जितना अधिक स्खलित होता है उस की अपेक्षा कम स्खलित होने वाले पुरुषों की तुलना में 33% कम प्रोस्टेट कैंसर पाया गया, जबकि पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है.

प्रौढ़ावस्था संभालने में सहयोगी

प्रौढ़ावस्था एक ऐसी सीढ़ी है, जिस पर कदम रखते ही स्त्रीपुरुष दोनों ही कुंठाग्रस्त होने लगते हैं, खासकर पुरुष. ऐसे में सेक्स ही कुंठानाशक होता है. यह स्त्रीपुरुष दोनों को एहसास कराता है कि युवावस्था के बाद भी आप का जीवन पूर्ववत चल रहा है, आने वाले जीवन में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है.

सेक्स सौंदर्य बढ़ाता है

1999 में प्रकाशित ‘सुपर यंग’ के लेखक डाक्टर डेविड ने इस संबंध में अनेक शोध कार्य किए. शोध ने प्रमाणित किया कि जो पतिपत्नी सप्ताह में 4 बार औसतन सहवास क्रिया को अंजाम देते हैं वे अपनी वास्तविक उम्र से कम से कम 10 साल छोटे दिखते हैं.

सेक्स उम्र बढ़ाने में मददगार

डा. चार्नतेस्की एवं डा. प्रकाश कोठारी के अनुसार, ‘‘संतुलित सेक्स का आनंद लेने वाले स्त्रीपुरुष, जो करीब 10 सालों में अधिकतम चरमसुख प्राप्त करते हैं, वे कम चरमसुख महसूस करने वाले स्त्रीपुरुषों की अपेक्षा अधिक उम्र तक जीवित रहते हैं.

सेक्स सही ऐक्सरसाइज

पत्रकार मधु सेक्स को सही ऐक्सरसाइज मानती हैं, सेक्स एक अच्छाखासा व्यायाम है. आप रात या सुबहसुबह खुल कर सेक्स करती हैं तो यह आप को चुस्तदुरुस्त रखता है. सेक्स खून के दौरे को नियंत्रित करने में सहायक ही नहीं होता, बल्कि नियमित सेक्स कोलैस्ट्रौल को कम करता है और अतिरिक्त कैलोरी को नष्ट करने में भी सहायक होता है.

सेक्स वजन घटाता है

स्त्रीपुरुष यदि हफ्ते में कम से कम 5 बार सेक्स सुख लेते हैं तो यकीनन उन का बढ़ा हुआ वजन घटाने में सेक्स मददगार होगा, क्योंकि सहवास के दौरान प्रति मिनट में 4-5 कैलोरी और 1 घंटे में 300 कैलोरी कम हो जाती है.

बीमारी से बचाव

सेक्स करने की सलाह देते हुए डा. प्रकाश कोठारी और डा. अशोक जैन का कहना है कि हर स्वस्थ स्त्रीपुरुष के लिए सेक्स जरूरी है. खासकर महिलाओं को होने वाली बीमारियों से सेक्स बचाता है. महिलाओं को विवाह करने की सलाह भी इसलिए दी जाती है ताकि उन की शारीरिक क्रिया संतुलित रहे वरना हिस्टीरिया जैसी बीमारियां जकड़ लेती हैं. बच्चे के जन्म के बाद स्त्री के गर्भाशय की सफाई हो जाती है. स्त्री के शरीर को यदि संतुलित एवं सिस्टम में रखना है तो सेक्स निहायत जरूरी है.

डिप्रैशन कम करने में सहायक

डिप्रैशन में सेक्स रामबाण का काम करता है. दिलीप और मंजू पतिपत्नी दोनों कई बार अवसाद से घिर जाते हैं. जब उन्हें लगता है कि घरेलू समस्याएं उन्हें अवसाद की ओर ले जा रही हैं तो दोनों आपस में खुल कर सेक्स का लुत्फ उठाते हैं.

क्रिएटिव सोच

सेक्स से स्त्रीपुरुष दोनों की सोच में परिवर्तन होते हैं. परिवर्तन से दिमाग में नई क्रिएटिव प्रक्रिया को अंजाम देने की सोच ही पैदा नहीं होती, बल्कि क्रिएटिव कामों को अंजाम भी दिया जाता है. सेक्स एक मैडिसिन है. इस का सब से बड़ा फायदा है कि यह केवल स्वस्थ ही नहीं रखता बल्कि जिंदगी को खुशनुमा भी बनाता है.

अपनाएं उमंगभरा सेक्स

उमंगभरे सेक्स के लिए हफ्ते में 5-6 दिन कुछ कार्डियो (हृदय संबंधी) व्यायाम करें. इस से सेक्स क्षमता बढ़ेगी, कैलोरी बर्न होगी और ब्लड शुगर नियंत्रण में रहेगा. स्त्रीपुरुष दोनों ही स्वस्थ रहने के साथसाथ खुश भी रहेंगे.

भावनात्मक संबंध मजबूत करता है

जब तक स्त्रीपुरुष के भावनात्मक संबंध आपस में प्रगाढ़ नहीं होंगे तब तक सेक्स आप के लिए जरूरी नहीं होगा. मानसिक लगाव के बिना सेक्स अधूरा है. इस के अभाव में केवल खानापूर्ति ही होती है. सेक्स के बिना जिंदगी बेरौनक है. दांपत्य जीवन को तरोताजा रखने के लिए सेक्स को जीवन का अहम हिस्सा मान कर चलें.

 

वादियों का प्यार: कैसे बन गई शक की दीवार – भाग 3

और मैं ने अचानक निश्चय कर लिया कि मैं अभी इसी वक्त अपने मायके चली जाऊंगी. साकेत से मुझे कोई स्पष्टीकरण नहीं चाहिए. इतना बड़ा धोखा मैं कैसे बरदाश्त कर सकती थी? और मैं दोपहर को ही बिना किसी से कुछ कहेसुने अपने मायके के लिए चल पड़ी. आते समय एक नोट जल्दी में गुस्से में लिख कर अपने तकिए के नीचे छोड़ आई थी :

‘मैं जा रही हूं. वजह तुम खुद जानते हो. मुझे धोखे में रख कर तुम सुख चाहते थे पर यह नामुमकिन है. अपने जीवनसाथी के साथ विश्वासघात करते तुम को शर्म नहीं आई? क्या मालूम और कितनी लड़कियां ऐसे फांस चुके हो. मुझे तुम से नफरत है. मिलने की कोशिश मत करना.   -सुनीता’

घर आ कर मम्मीपापा को मैं ने यह सब बताया तो उन्होंने सिर धुन लिया. पापा गुस्से में बोले, ‘उस की यह हिम्मत, इतना बड़ा जुर्म और जबान तक न हिलाई. अब मैं भी उसे जेल भिजवा कर रहूंगा.’

मैं यह सब सुन कर जड़ सी हो गई. यद्यपि मैं साकेत को जेल भिजवाना नहीं चाहती थी पर पापा मुकदमा करने पर उतारू थे.

मेरी समझ को तो जैसे लकवा मार गया था और पापा ने कुछ दिनों बाद ही साकेत पर इस जुर्म के लिए मुकदमा ठोंक दिया. मैं भी पापा के हर इशारे पर काम करती रही और साकेत को दूसरा विवाह करने के अपराध में 3 वर्षों की सजा हो गई.

मेरे सासससुर ने साकेत को बचाने के लिए बहुत हाथपैर मारे, पर सब बेकार.

इस फैसले के बाद मैं गुमसुम सी रहने लगी. कोर्ट में आए हुए साकेत की उखड़ीउखड़ी शक्ल याद आती तो मन भर आता, न जाने किन निगाहों से एकदो बार उस ने मुझे देखा कि घर आने पर मैं बेचैन सी रही. न ठीक से खाना खाया गया और न नींद आई.

साकेत के साथ बिताया, हुआ हर पल मुझे याद आता. क्या सोचा था और क्या हो गया.

इन सब उलझनों से मुक्ति पाने के लिए मैं ने स्थानीय माध्यमिक विद्यालय में अध्यापिका की नौकरी कर ली.

दिन गुजरते गए और अब स्कूल की तरफ से ही शिमला आ कर मुझे पिछली यादें पागल बनाए दे रही थीं.

बाहर लड़कियों के खिलखिलाने के स्वर गूंज रहे थे. मैं अचानक वर्तमान में लौट आई. निर्मला जब मेरे करीब आई तो वह हंसहंस कर ऊंचीनीची पहाडि़यों से हो कर आने की और लड़कियों की बातें सुनाती रही और मैं निस्पंद सी ही पड़ी रही.

दूसरे दिन से एनसीसी का काम जोरों से शुरू हो गया. लड़कियां सुबह होते ही चहलपहल शुरू कर देतीं और रात तक चुप न बैठतीं.

एक दिन लड़कियों की जिद पर उन्हें बस में मशोबरा, फागू, कुफरी और नालडेरा वगैरह घुमाने ले जाया गया. हर जगह मैं साकेत की ही याद करती रही, उस के साथ जिया हरपल मुझे पागल बनाए दे रहा था.

हमारे कैंप के दिन पूरे हो गए थे. आखिरी दिन हम लोग लड़कियों को ले कर माल रोड और रिज की सैर को गए.

मैं पुरानी यादों में खोई हुई हर चीज को घूर रही थी कि सामने भीड़ में एक जानापहचाना सा चेहरा दिखा. बिखरे बाल, सूजी आंखें, बढ़ी हुई दाढ़ी पर इस सब के बावजूद वह चेहरा मैं कभी भूल सकती थी भला? मैं जड़ सी हो गई. हां, वह साकेत ही थे. खोए, टूटे और उदास से.

मुझे देख कर देखते ही रहे, फिर बोले, ‘‘क्या मैं ख्वाब देख रहा हूं? तुम और यहां? मैं तो यहां तुम्हारे साथ बिताए हुए क्षणों की याद ताजा करने के लिए आया था पर तुम? खैर, छोड़ो. क्या मेरी बात सुनने के लिए दो घड़ी रुकोगी?’’

मेरी आंखें बरस पड़ने को हो रही थीं. निर्मला से सब लड़कियों का ध्यान रखने को कह कर मैं भीड़ से हट कर किनारे पर आ गई. मुझे लगा साकेत आज बहुतकुछ कहना चाह रहे हैं.

सड़क पार कर साकेत सीढि़यां उतर कर नीचे प्लाजा होटल में जा बैठे, मैं भी चुपचाप उन के पीछे चलती रही.

साकेत बैठते ही बोले, ‘‘सुनीता, तुम मुझ से बगैर कुछ कहेसुने चली गईं. वैसे मुझे तुम को पहले ही सबकुछ बता देना चाहिए था. उस गलती की मैं बहुत बड़ी सजा भुगत चुका हूं. अब यदि मेरे साथ न भी रहना चाहो तो मेरी एक बात जरूर सुन लो कि मेरी शादी मधु से हुई जरूर थी पर पहले दिन ही मधु ने मेरे पैर पकड़ कर कहा था, ‘आप मेरा जीवन बचा सकते हैं. मैं किसी और से प्यार करती हूं और उस के बच्चे की मां बनने वाली हूं. यह बात मैं अपने पिताजी को समझासमझा कर हार गई पर वे नहीं माने. उन्होंने इस शादी तक मुझे एक कमरे में बंद रखा और जबरदस्ती आप के साथ ब्याह दिया.

‘‘‘मैं आप की कुसूरवार हूं. मेरी वजह से आप का जीवन नष्ट हो गया है पर मैं आप के पैर पड़ती हूं कि मेरे कारण अपनी जिंदगी खराब मत कीजिए. आप तलाक के लिए कागजात ले आइए, मैं साइन कर दूंगी और खुद कोर्ट में जा कर सारी बात साफ कर दूंगी. आप और मैं जल्दी ही मुक्त हो जाएंगे.’

‘‘यह कह कर मधु मेरे पैरों में गिर पड़ी. मेरी जिंदगी के साथ भी खिलवाड़ हुआ था पर उस को जबरदस्ती अपने गले मढ़ कर मैं और बड़ी गलती नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं ने जल्दी ही तलाक के लिए अरजी दे दी. मुझे तलाक मिल भी जाता, पर तभी तुम जीवन में आ गईं.’’

‘‘मैं स्वयं चाह कर भी अपनी तरफ से तुम्हें मैसेज नहीं लिख रहा था पर जब तुम्हारा मैसेज आया तो मैं समझ गया कि आग दोनों तरफ लगी है और मैं अनचाहे ही तुम्हें भावभरे मैसेज भेजता गया.

‘‘फिर तुम्हारे पापा ने जब सगाई करनी चाही तो मैं अपनी बात कहने के लिए इसलिए मुंह नहीं खोल पाया कि कहीं इस बात से बनीबनाई बात बिगड़ न जाए और मैं तुम्हें खो न बैठूं.

‘‘बस, वहीं मुझ से गलती हुई. तुम्हें पा जाने की प्रबल अभिलाषा ने मुझ से यह जुर्म करवाया. शिमला की रंगीनियां कहीं फीकी न पड़ जाएं, इसलिए यहां भी मैं ने तुम्हें कुछ नहीं बताया. उस के बाद मुझे लगा कि यह बात छिपाई जा सकती है और तलाक मिलने पर तुम्हें बता दूंगा पर वह नौबत ही नहीं आई. तुम अचानक कहीं चली गईं और मिलने से भी मना कर गईं.

‘‘जेल की जिंदगी में मैं ने जोजो कष्ट सहे, वे यह सोच कर दोगुने हो जाते थे कि अब तुम्हारा विश्वास कभी प्राप्त न कर सकूंगा और इस विचार के आते ही मैं पागल सा हो जाता था.

‘‘पिछले महीने ही मैं सजा काट कर आया हूं पर घर में मन ही नहीं लगा. तुम्हारे साथ बिताए हर पल दोबारा याद करने के लालच में ही मैं यहां आ गया.’’

और साकेत उमड़ आए आंसुओं को अपनी बांह से पोंछने लगे, फिर झुक कर बोले, ‘‘हाजिर हूं, जो सजा दो, भुगतने को तैयार हूं. पर एक बार, बस, इतना कह दो कि तुम ने मुझे माफ कर दिया.’’

मैं बौराई हुई सी साकेत की बातें सुन रही थी. अब तक सिर्फ श्रोता ही बनी रही. भर आए गले को पानी के गिलास से साफ कर के बोली, ‘‘क्या समझते हो, मैं इस बीच बहुत सुखी रही हूं? मुझे भी तुम्हारी हर याद ने बहुत रुलाया है. बस, दुख था तो यही कि तुम ने मुझ से इतनी बड़ी बात छिपाई.

‘‘यदि एक बार, सिर्फ एक बार मुझे अपने बारे में खुल कर बता देते तो यहां तक नौबत ही न आती. पतिपत्नी में जब विश्वास नाम की चीज मर जाती है तब उस की जगह नफरत ले लेती है. इसी वजह से मैं ने तुम्हें मिलने को भी मना कर दिया था पर तुम्हारे बिना रह भी नहीं पाती थी.

‘‘जब तुम्हें सजा हुई तब मेरे दिल पर क्या बीती, तुम्हें क्या बताऊं. 3-4 दिनों तक न खाना खाया और न सोई, पर खैर उठो…जो हुआ, सो हुआ, विश्वास के गिर जाने से जो खाई बन गई थी वह आज इन वादियों में फिर पट गई है. इन वादियों के प्यार को हलका न होने दो.’’

और हम दोनों एकएक कप कौफी पी कर हाथ में हाथ डाले होटल से बाहर आ गए माल रोड की चहलपहल में खो जाने के लिए, एकदूसरे की जिंदगी में समा जाने के लिए.

वादियों का प्यार: कैसे बन गई शक की दीवार – भाग 2

कहीं ऐसा तो नहीं कि साकेत ने पहले कोई लड़की पसंद कर के उस से सगाई कर ली हो और फिर तोड़ दी हो या फिर प्यार किसी से किया हो और शादी मुझ से कर ली हो? आखिर हम ने साकेत के बारे में ज्यादा जांचपड़ताल की ही कहां है. जीजाजी भी उस के काफी वक्त बाद मिले थे. कहीं तो कुछ गड़बड़ है. मुझे पता लगाना ही पड़ेगा.

पता नहीं इसी उधेड़बुन में मैं कब तक खोई रही और फिर यह सोच कर शांत हो गई कि जो कुछ भी होगा, साकेत से पूछ लूंगी.

किंतु रात को अकेले होते ही साकेत से जब मैं ने यह बात पूछनी चाही तो साकेत मुझे बाहों में भर कर बोले, ‘देखो, कल रात कालका मेल से शिमला जाने के टिकट ले आया हूं. अब वहां सिर्फ तुम होगी और मैं, ढेरों बातें करेंगे.’ और भी कई प्यारभरी बातें कर मेरे निखरे रूप का काव्यात्मक वर्णन कर के उन्होंने बात को उड़ा दिया.

मैं ने भी उन उन्मादित क्षणों में यह सोच कर विचारों से मुक्ति पा ली कि ज्यादा से ज्यादा यह होगा कि प्यार किसी और से किया होगा पर विवाह तो मुझ से हो गया है. और मैं थकान से बोझिल साकेत की बांहों में कब सो गई, मुझे पता ही न चला.

दूसरे दिन शिमला जाने की तैयारियां चलती रहीं. तैयारियां करते हुए कई बार वही सवाल मन में उठा लेकिन हर बार कोई न कोई बात ऐसी हो जाती कि मैं साकेत से पूछतेपूछते रह जाती. रात को कालका मेल से रिजर्व कूपे में हम दोनों ही थे. प्यारभरी बातें करतेकरते कब कालका पहुंच गए, हमें पता ही न चला. सुबह 7 बजे टौय ट्रेन से शिमला पहुंचने के लिए उस गाड़ी में जा बैठे.

घुमावदार पटरियों, पहाड़ों और सुरंगों के बीच से होती हुई हमारी गाड़ी बढ़ी जा रही थी और मैं साकेत के हाथ पर हाथ धरे आने वाले कल की सुंदर योजनाएं बना रही थी. मैं बीचबीच में देखती कि साकेत कुछ खोए हुए से हैं तो उन्हें खाइयों और पहाड़ों पर उगे कैक्टस दिखाती और सुरंग आने पर चीख कर उन के गले लग जाती.

खैर, किसी तरह शिमला भी आ गया. पहाड़ों की हरियाली और कोहरे ने मन मोह लिया था. स्टेशन से निकल कर हम मरीना होटल में ठहरे.

कुछ देर आराम कर के चाय आदि पी कर हम माल रोड की सैर को निकल पड़े.

साकेत सैर करतेकरते इतनी बातें करते कि ऊंची चढ़ाई हमें महसूस ही न होती. माल रोड की चमकदमक देख कर और खाना खा कर हम अपने होटल लौट आए. लौटते हुए काफी रात हो गई थी व पहाड़ों की ऊंचाईनिचाई पर बसे होटलों व घरों की बत्तियां अंधेरे में तारों की झिलमिलाहट का भ्रम पैदा कर रही थीं. दूसरे दिन से घूमनेफिरने का यही क्रम रहने लगा. इधरउधर की बातें करतेकरते हाथों में हाथ दिए हम कभी रिज, कभी माल रोड, कभी लोअर बाजार और कभी लक्कड़ बाजार घूम आते.

दर्शनीय स्थलों की सैर के लिए तो साकेत हमेशा टैक्सी ले लेते. संकरी होती नीचे की खाई देख कर हम सिहर जाते. हर मोड़ काटने से पहले हमें डर लगता पर फिर प्रकृति की इन अजीब छटाओं को देखने में मग्न हो जाते.

इस प्रकार हम ने वाइल्डफ्लावर हौल, मशोबरा, फागू, चैल, कुफरी, नालडेरा, नारकंडा और जाखू की पहाड़ी सभी देख डाले.

हर जगह ढेरों फोटो खिंचवाते. साकेत को फोटोग्राफी का बहुत शौक था. हम ने वहां की स्थानीय पोशाकें पहन कर ढेरों फोटो खिंचवाईं. मशोबरा के संकरे होते जंगल की पगडंडियों पर चलतेचलते साकेत कोई ऐसी बात कह देते कि मैं खिलखिला कर हंस पड़ती पर आसपास के लोगों के देखने पर हम अचानक अपने में लौट कर चुप हो जाते.

नारकंडा से हिमालय की चोटियां और ग्लेशियर देखदेख कर प्रकृति के इस सौंदर्य से और उन्मादित हो जाते.

इस प्रकार हर जगह घूम कर और माल रोड से खापी कर हम अपने होटल लौटने तक इतने थक जाते कि दूसरे दिन सूरज उगने पर ही उठते.

इस तरह घूमतेघूमते कब 10 दिन गुजर गए, हमें पता ही न चला. जब हम लौट कर वापस दिल्ली पहुंचे तो शिमला की मस्ती में डूबे हुए थे.

साकेत अब अपनी वर्कशौप जाने लगे थे. मैं भी रोज दिन का काम कराने के लिए रसोई में जाने लगी.

एक दिन चुपचाप मैं अपने कमरे में खिड़की पर बैठी थी कि साकेत आए. मैं अभी कमरे में उन के आने का इंतजार ही कर रही थी कि मेरी सासूजी की आवाज आई, ‘साकेत, कल काम पर मत जाना, तुम्हारी तारीख है.’ और साकेत का जवाब भी फुसफुसाता सा आया, ‘हांहां, मुझे पता है पर धीरे बोलो.’

उन लोगों की बातचीत से मुझे कुछ शक सा हुआ. एक बार आगे भी मन में यह बात आई थी लेकिन साकेत ने टाल दिया था. मुझे खुद पर आश्चर्य हुआ, पहले दिन जिस बात को साकेत ने प्यार से टाल दिया था उसे मैं शिमला के मस्त वातावरण में पूछना ही भूल गई थी. खैर, आज जरूर पूछ कर रहूंगी. और जब साकेत कमरे में आए तो मैं ने पूछा, ‘कल किस बात की तारीख है?’

साकेत सहसा भड़क से उठे, फिर घूरते हुए बोले, ‘हर बात में टांग अड़ाने को तुम्हें किस ने कह दिया है? होगी कोई तारीख, व्यापार में ढेरों बातें होती हैं. तुम्हें इन से कोई मतलब नहीं होना चाहिए. और हां, कान खोल कर सुन लो, आसपड़ोस में भी ज्यादा आनेजाने की जरूरत नहीं. यहां की सब औरतें जाहिल हैं. किसी का बसा घर देख नहीं सकतीं. तुम इन के मुंह मत लगना.’ यह कह कर साकेत बाहर चले गए.

मैं जहां खड़ी थी वहीं खड़ी रह गई. एक तो पहली बार डांट पड़ी थी, ऊपर से किसी से मिलनेजुलने की मनाही कर दी गई. मुझे लगा कि दाल में अवश्य ही कुछ काला है. और वह खास बात जानने के लिए मैं एड़ीचोटी का जोर लगाने के लिए तैयार हो गई.

दूसरे दिन सास कहीं कीर्तन में गई थीं और साकेत भी घर पर नहीं थे. काम वाली महरी आई. मैं उस से कुछ पूछने की सोच ही रही थी कि वह बोली, ‘मेमसाहब, आप से पहले वाली मेमसाहब की साहबजी से क्या खटरपटर हो गई थी कि जो वे चली गईं, कुछ पता है आप को?’

यह सुन कर मेरे पैरों तले जमीन खिसकने लगी. कुछ रुक कर वह धीमी आवाज में मुझे समझाती हुई सी बोली, ‘साहब की एक शादी पहले हो चुकी है. अब उस से कुछ मुकदमेबाजी चल रही है तलाक के लिए.’ सुन कर मेरा सिर चकरा गया.

सगाई और शादी के समय साकेत का खोयाखोया रहना, सगाई के लिए मांबाप तक को न लाना और शादी में सिर्फ 5 आदमियों को बरात में लाना, अब मेरी समझ में आ गया था. पापा खुद सगाई के बाद आ कर घरबार देख गए थे. जा कर बोले थे, ‘भई, अपनी सुनीता का समय बलवान है. अकेला लड़का है, कोई बहनभाई नहीं है और पैसा बहुत है. राज करेगी यह.’

उन को भी तब इस बात का क्या गुमान था कि श्रीमान एक शादी पहले ही रचाए हुए हैं.

जीजाजी भी तब यह कह कर शांत हो गए थे, ‘लड़का मेरा जानादेखा है पर पिछले 5 वर्षों से मेरी इस से मुलाकात नहीं हुई, इसलिए मैं इस से ज्यादा क्या बता सकता हूं.’

इन्हीं विचारों में मैं न जाने कब तक खोई रही और गुस्से में भुनभुनाती रही कि वक्त का पता ही न चला. अपने संजोए महल मुझे धराशायी होते लगे. साकेत से मुझे नफरत सी होने लगी.

कंवल और केवर की प्रेम कहानी- भाग 3

कैद में पड़ी कंवल को रहरह कर केवर की याद सताए जा रही थी. चिंता में डूबी जमीन पर पड़ी कंवल के सामने एकदम से टुन्ना मानो कहीं से प्रकट हो गई. कंवल ने उसे देख कर हैरानी से पूछा, ‘‘तुम यहां कैसे आई?’’ टुन्ना ने हड़बड़ी में कंवल से कहा, ‘‘मैं और सां झी यहां दासदासी बन कर आए हैं.

कल ही मैं ने यहां दासी की नौकरी ली है. केवर सिंह को भी बंदी बनाया गया है. मैं तु झ तक सारे संदेश पहुंचाती रहूंगी, तू बस सब्र रखना. हम तुम दोनों को जल्द ही छुड़ा कर ले जाएंगे.’’ केवर के बंदी बनाए जाने की खबर सुन कंवल को खूब चोट पहुंची.

उसे अब यह महसूस होने लगा कि शायद दोनों की कहानी यहीं इसी कैद में सिमट कर खत्म हो जाएगी कि तभी कुछ सोचविचार कर टुन्ना ने इधरउधर नजरें दौड़ा कर माहौल का मुआयना करते हुए कंवल के कान में एक योजना सुनाते हुए कहा, ‘‘देख कंवल, मैं और सां झी एक बहुत बड़ी योजना के साथ यहां आए हैं, तो सुन…’’ टुन्ना ने सारी योजना कंवल को कह सुनाई. उस रात ही टुन्ना खाना ले कर केवर सिंह की कोठरी में पहुंची. खाने की थाली के नीचे टुन्ना ने एक कटार को ठीक से पकड़ रखा था.

जैसे ही टुन्ना ने थाली को केवर सिंह की ओर सरकाया, साथ में कटार भी सरका दी.  केवर सिंह टुन्ना को वहां देख कर अवाक से रह गया. टुन्ना ने आंखें बड़ी करते हुए केवर को चुप रहने का इशारा किया और बाहर खड़े सिपाही फालूदा खां को एक गिलास भांग पकड़ाते  हुए बोली, ‘‘यह तुम्हारे लिए है  फालूदा खां.’’ ‘‘मेरे लिए… पर क्यों?’’ ‘‘नहीं चाहिए, तो लाओ वापस ले जाती हूं.’’

‘‘अरे, नहींनहीं अब पी ही लेता हूं,’’ फालूदा खां ने एक सांस में सारी भांग गटकते हुए टुन्ना को धन्यवाद दिया, पर इतना कहते ही वह सिपाही खूनी उलटी करता हुआ वहीं ठंडा पड़ गया.

कोठरी में बैठा हुआ केवर सबकुछ देख रहा था. सिपाही के दम तोड़ते ही वह इस सब का मतलब सम झ चुका था. उन्होंने वह कटार उठाई और किसी तरह से उस कोठरी से निकल गया.

अ गले दिन केवर के कोठरी से भाग जाने की खबर पूरे दरबार में फैल गई. बादशाह ने अब केवर को जिंदा या मुरदा लाने का आदेश दे डाला.  आदेश मिलते ही औसाफ खां नामक दरबारी ने केवर को मारने का जिम्मा उठा लिया. उधर केवर मेवाड़ के एक सरहदी गांव के मुखिया गंगो भील से मदद की संधि करने पहुंचा.  गंगो भील ने उसे भरोसा दिया कि अगर लड़ाई हुई तो उसे 60 गांवों के भीलों का पूरा समर्थन रहेगा.  औसाफ खां केवर की तलाश कर के थक चुका था.

उस ने बड़े भारी मन से महमूद को जा कर अपनी नाकामी की खबर सुनाई.  महमूद ने पूरे गुजरात में केवर की धर पकड़ शुरू करवा दी. बाहर से आने वाली हर पालकी, हर घुड़सवार, व्यापारी, हर किसी की तलाशी ले कर ही उसे सरहद के भीतर आने दिया जाता.  योजना के मुताबिक दूसरी पारी खेलने की बारी कंवल की थी. कंवल ने महमूद से कहा, ‘‘बादशाह, मैं अब केवर का इंतजार करकर के थक चुकी हूं. मैं नामसम झ थी जो आप के शादी के प्रस्ताव को ठुकरा कर केवर के पीछे पागल थी, पर अब इस बेवकूफ कंवल को सम झ आ चुका है कि उस ने कितनी बड़ी भूल की है.

आप मु झे माफ कर दीजिए और एक बार मु झे अपनी गलती सुधारने का मौका दीजिए.’’ ‘‘तुम ने सही सम झा. अब तक उस केवर की लाश कहीं पड़ी सड़ रही होगी. बस एक सपना अधूरा रह गया हमारा कि हम उस के सामने तुम से निकाह करना चाहते थे,’’ बादशाह महमूद खुद को काफी नरमदिल और महान दिखाने की कोशिश में लगा था, पर अंदर ही अंदर वह भी कंवल जैसी खूबसूरत लड़की  को जल्द से जल्द अपनी बेगम बनाना चाहता था.  कंवल धीरे से बोली, ‘‘लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं.’’ ‘‘कैसी शर्तें?’’ कंवल ने शर्तें बतानी शुरू कीं, ‘‘पहली, हमारी शादी एकादशी वाले दिन ही होगी.

दूसरी, विवाह हिंदू रीतिरिवाज से ही होगा. तीसरी, शादी के दिन जब आप बुलंद गुंबज में पधारें तो खूब आतिशबाजियां हों और आखिरी शर्त यह कि हमारी शादी देखने का हक सब को होना चाहिए. मेरी मां भी पालकी में बैठ कर बुलंद गुंबज में आएं.’’

‘‘हमें तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर हैं,’’ महमूद उस दिन काफी खुश था. कंवल को मालूम था कि सां झी और केवर मेवाड़ में उस का अगला संदेशा आने का इंतजार कर रहे होंगे.

अब टुन्ना को महल से निकालने की बारी थी, सो उसी के हाथ यह आखिरी संदेशा भिजवाना रह गया था.  कंवल ने टुन्ना से कहा, ‘‘केवर से कहना कि एकादशी को मारवाड़ के व्यापारी मूंदड़ा की बरात अजमेर से अहमदाबाद आएगी. रास्ते में आप उसी बरात में वेश बदल कर शरीक हो जाना, ताकि बरात के साथसाथ आप भी दरबार में प्रवेश कर सकें.

‘‘यही एक रास्ता है अहमदाबाद में घुसने का, क्योंकि अब भी यहां आप की छानबीन खूब जोरशोर से चल रही है. आगे की योजना अहमदाबाद पहुंचने  के बाद.’’ जाने से पहले टुन्ना ने कंवल को एक बार गले लगा कर कहा, ‘‘अब कुछ ही दिनों की बात है कंवल…’’

एकादशी का दिन भी नजदीक था, उधर टुन्ना के मुंह से यह संदेशा सुन कर केवर और सां झी ने अपने दूसरे दोस्तों के साथ अहमदाबाद में घुसने की तैयारियां शुरू कीं. महमूद भी कंवल से अपनी शादी की तैयारियों में दिल से जुटा हुआ था. वह आखिरी घड़ी आज आ चुकी थी और हथियारों से लैस केवर और उस के साथी तयशुदा समय और योजना के मुताबिक बरात में जा मिले.

उधर महमूद के लिए हाथी सजाया जा चुका था. बरात के आगेपीछे शहनाई वादक थे, नगाड़े बज रहे थे, ढोल की थाप सब के जी में खड़े हो कर नाचने की उमंग भर रही थी. बीच मे हाथी पर सवार महमूद के आगे सिपाहियों के घोड़े और हाथी थे.

उधर कंवल की मां जवाहर पातुर के घर पर अपनी योजना के मुताबिक केवर तैयार बैठा था. पालकी वाले जवाहर पातुर को बुलंद गुंबज में ले जाने को आ चुके थे.  टुन्ना ने पालकी वालों का ध्यान भटकाए रखा और उधर केवर साड़ी पहने पालकी के भीतर जा बैठा.

बुलंद गुंबज पहुंचते ही कंवल पालकी देख खुशी से  झूम उठी. सैनिकों ने पालकी को जमीन पर रखा कि टुन्ना ने उन्हें बाहर भेज दिया. केवर बाहर निकला. साड़ी में होने के चलते उस पर किसी को कोई शक नहीं हुआ.  सैनिक बाहर जा चुके थे. अब अंदर सिर्फ केवर और कंवल ही थे. इतने दिनों बाद एकदूसरे को आमनेसामने देख दोनों के सब्र का बांध टूट गया.

कंवल से रहा न गया और वह दौड़ती हुई केवर से जा मिली. दोनों ने खूब आंसू बहाए. तभी टुन्ना के कानों में पटाकों की आवाज सुनाई पड़ी.  कंवल ने कहा, ‘‘महमूद शाह आ गया है.’’ केवर जा कर पीछे वाली एक मीनार के पीछे छिप गया. कंवल सहजता के भाव लिए अपनी जगह पर पहुंच गई.

अब थोड़ी ही देर में गुंबज के भीतर सिर्फ 4 जने ही थे टुन्ना, कंवल, केवर और बादशाह महमूद.  महमूद अपनी बेगम से मिलने को उतावला उस के कमरे में जाने ही वाला था कि उधर से केवर ने महमूद की गरदन को अपनी बगल में भींचते हुए उस का दम निकलना चाहा.

महमूद का चेहरा अब पीला पड़ने लगा था. उस की आंखें बाहर को निकल आईं कि तभी महमूद अपनी तलवार तक अपना हाथ पहुंचाने में कामयाब हो गया, पर उस की तलवार का वार केवर के सिर के ऊपर से गुजर गया.  क ेवर दांवपेंच में कुशल था, सो निहत्था ही चंद मिनटों की गहमागहमी के बाद महमूद पर काबू पा गया.  महमूद की चीखें सुनने वाला कोई न था.

बाहर आतिशबाजी और कारतूसों के धमाके उस की चीखें दबा रहे थे. अपनी ही तलवार के वार से महमूद के प्राण पखेरू उड़ गए.  टुन्ना ने किसी के अंदर आने से पहले ही कंवल और केवर को पालकी में बैठा दिया और पालकी वालों को बुला कर कहा, ‘‘लो जवाहर पातुर को उन के घर छोड़ दो. आज बादशाह  रानी कंवल के साथ यहीं रुकेंगे तो  उन्हें परेशान न कीजिएगा,’’ कह कर टुन्ना भी फटाफट जवाहर पातुर के घर पहुंच गई. जवाहर पातुर के घर पहुंच कर कंवल और केवर ने उन के चरणों में गिर कर आशीर्वाद मांगा. बाहर सां झी  3 घोड़े लिए तैयार खड़ा था.  सां झी ने टुन्ना और केवर ने कंवल को अपने साथ अपने घोड़े पर बैठाया और पीछेपीछे जवाहर पातुर भी अपनी नई आजाद जिंदगी इज्जत से जीने की चाह लिए घोड़े पर चली जा रही थी.

कंवल और केवर की प्रेम कहानी- भाग 2

केवर सिंह के नाम के जयकारे लगाने वाली एक तरफ की प्रजा जैसे शांत सी हो गई हो, वहीं दूसरी तरफ वाली प्रजा की रगों में जैसे अपने साथी हुक्काम को जीतता देख खून बिजली की रफ्तार से दौड़ने लगा.  अब चारों ओर ‘हुक्काम’ का शोर था, पर आखिर में एक विचित्र से दांव के साथ हुक्काम को रेतीली जमीन पर पटकनी देते हुए केवर सिंह ने खेल का सारा नतीजा ही बदल दिया.

केवर के हुक्काम को पटकने की देरी ही थी कि प्रजा अखाड़े में कूद कर केवर सिंह को कंधों पर चढ़ाए मस्ती से ?ामने लगी. नगाड़े बजने लगे और लोग मस्ती से ?ामने लगे.  केवर सिंह की नजर कंवल पर पड़ी ही थी कि वह एक मुसकान के साथ शरमा कर रह गई.  ‘‘अरे कंवल, तुम यहां. आज भी…’’ केवर और कंवल अभी कल ही मिले थे. आज भी उसे यहां देख कर केवर ने कंवल से पूछा. ‘‘हां, मैं ने सुना कि आप रोजरोज ही अपना बलप्रदर्शन कर रहे हैं, तो आज भी देखने चले आई,’’ कंवल ने अल्हड़पने में जवाब दिया. ‘‘अरे नहीं, ऐसा कुछ नहीं,’’ केवर ने ?ोंपते हुए कहा और कंवल को अपने गले लगा लिया.

सारा दिन सैरसपाटे और बाग में घूमने के बाद शाम हो चली थी. कंवल की सहेली टुन्ना ने अब कंवल से वापस चलने को कहा.  कंवल केवर सिंह को छोड़ कर यों जाना तो नहीं चाहती थी, पर उसे भी रात होने से पहले घर पहुंचना था.  क ेवर सिंह ने कंवल और टुन्ना से कहा कि उन्हें अब जल्द ही निकलना चाहिए. सां?ा ने केवर सिंह से कहा, ‘‘केवर, अब अंधेरा होने ही वाला है, इसलिए मु?ो लगता है कि हमें इन के साथ एक सिपाही भी भेजना चाहिए.’’

टुन्ना और कंवल ने इस के लिए इनकार किया, पर केवर ने हामी भरी और दोनों सहेलियों के लिए एक हथियारबंद सिपाही को बुलाया गया और कहा कि तुम्हें इन दोनों लड़कियों के साथ जाना है. इन को महफूज पहुंचाना तुम्हारी जिम्मेदारी है.

वह सिपाही अपने प्यासे घोड़े को तुरंत पानी पिलाने ले गया और जाने  की तैयारी करने लगा. उतने में ही केवर सिंह ने कंवल को अपने बाहुपाश में भरते हुए आखिरी बार उस के माथे को चूमते हुए उसे घोड़े पर बैठाया और  उधर सां?ा और टुन्नी का भी फिलहाल अपने प्यार को विराम देने का समय  आ चुका था. सब चलने को तैयार थे.

आगे दोनों लड़कियां और पीछे हथियारबंद सिपाही. जवाहर पातुर आज कंवल को बादशाह के संग शादी करने के लिए मनाने की सोच कर घर के लिए निकली थी, पर घर पर कंवल को न देखने के बाद उस के कानों में महमूद की वह बात गूंजने लगी, ‘तुम दिनभर यहां रहती हो. तुम्हारी बेटी सुबह से शाम तक कहां जाती है, क्या करती है, इस की तुम्हें क्या खबर…’  पातुर को अब लगने लगा था कि शायद महमूद की बात ठीक थी.  अब कंवल की शादी कर देना ही  ठीक रहेगा.

कंवल और टुन्ना के घोड़े कंवल के दरवाजे पर आ कर रुके. टुन्ना का घर अभी और आगे था, सो वह वहां से चलती बनी.  जवाहर पातुर घर से बाहर निकली तो तैश में थी, पर साथ में सिपाही को देख कर बेटी को उस के सामने डांटना ठीक न सम?ा.  सिपाही जाने की तैयारी करने लगा, तो जवाहर पातुर ने सामने से कहा, ‘‘रात काफी हो चुकी है.

अभी मीलों का सफर तय करना खतरे से खाली नहीं और  तुम्हें भूख भी लगी होगी, तो आज  रात यहीं रुको. कल सवेरे जल्दी  निकल जाना.’’ कंवल ने भी कहा, तो वह सिपाही रुकने को तैयार हो गया. रात को भोजन करने के बाद आरामकक्ष में उस के सोने का इंतजाम कर दिया गया.

रात को मौका देख कर जवाहर पातुर ने बेटी कंवल से आज हुई सारी घटना सुना दी.   मां की बात सुन कर कंवल ने कहा, ‘‘क्या… मैं उस महमूद से शादी कर लूं… उस अधेड़ से. मां, तुम ने देखा नहीं कि वह किस गलत नजर से वह मेरी तरफ देख रहा था.

मैं तो उस के हावभाव से  ही पहचान गई थी कि यह इनसान ठीक नहीं है.  ‘‘और क्या 2 लाख रुपए मैं वह आप से मेरा सौदा करना चाहता है. अरे, उस से कहना कि केवर सिंह के सामने उस का सारा साम्राज्य कम है.’’ ‘‘बेटी, तू सम झ नहीं रही है… तू जवाहर पातुर की बेटी है. तू इतने बड़े सपने न देख. खेलकूद अलग चीज है और जिंदगी अलग.’’ ‘‘उस महमूद से कहना कि जिस ने शेर केवर सिंह को गले लगाया हो वह गीदड़ महमूद को अपना पति नहीं बना सकती,’’

कंवल बोली. कंवल की बेपरवाही पर जवाहर पातुर ने एक जोर का तमाचा उस के गाल पर जड़ दिया. कंवल अपनी मां की कठोरता पर फूटफूट कर रोने लगी.  करुणा के आगे क्रोध कहां ठहर पाता है. अपने प्रेम के लिए तड़पती बेटी का दुख मां से न देखा गया.

उसे याद आया कि कैसे उसे भी उस जालिम महमूद ने अपने प्रेमजाल में फांस कर बड़ेबड़े सपने दिखाए थे, उसे अपने दरबार में जगह दी थी, पर इस सब की कीमत  उस महमूद ने उसे वेश्या बना कर वसूल की थी.  जवाहर पातुर को सम झ आ चुका था कि यही गलती वह इस बार फिर करने जा रही है. उस ने अपनी बेटी कंवल को हिम्मत देते हुए कहा, ‘‘बेटी, तू उसी घराने में शादी करेगी जहां तेरी इच्छा है. तु झे मेरी ओर से पूरी छूट है. तु झे अपनी जिंदगी को अपने मनमुताबिक जीने का पूरा हक है.’’

अगले दिन अपने विवाह प्रस्ताव के ठुकरा दिए जाने की खबर सुन कर बादशाह महमूद शाह की आंखों में मानो खून उतर आया. उस ने कंवल और केवर को कैद करने का हुक्म देते हुए कहा, ‘‘तुम लोगों में से जो भी केवर को बंदी बना कर मेरे पास लाएगा,

उसे केवर की जागीर का नया मालिक बना दिया जाएगा.’’ क ंवल को तो कैद कर लिया गया पर केवर को कैदी बनाने की हिम्मत हर किसी में न थी. पर बादशाह महमूद को खुश करने के लिए और केवर की जागीर के लालच में जलाल नामक दरबारी ने केवर को कैद करने का वचन दे डाला. जलाल को मालूम था कि हिंदुओं में होली का त्योहार बहुत धूमधाम से बनाया जाता है.

होली के दिन जलाल केवर की जागीर में होली का  झूठा निमंत्रण ले कर केवर के महल पहुंच गया.  केवर सिंह ने भी बादशाह महमूद का निमंत्रण स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘बादशाह से कहना कि हमारी इस बार की होली हम उन्हीं के साथ मनाएंगे.’’ होली में अब कुछ ही दिन बाकी थे.

उधर कंवल को महल में रख बादशाह ने बहुत बड़ी गलती की थी. बादशाह चाहता था कि वह केवर के सामने ही कंवल से शादी करेगा.  होली का दिन आ चुका था. बादशाह के यहां केवर सिंह को लाया गया, पर महल में घुसते ही उस के गले और हाथों में लोहे की भारीभारी बेडि़यां डाल दी गईं. केवर की सम झ में नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. बादशाह ने केवर सिंह को कैद में डाल दिया. उधर उस की जागीर पूरी तरह से बादशाह के कब्जे में ली जा चुकी थी.

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