जानें पत्नी को सेक्स के लिए कैसे मनाएं

सुबह से शाम तक मन होता है कि एकदूसरे को जितना महसूस कर सकते हैं करते रहें, हर पल साथ रहें, सेक्स एन्जौए करें. लेकिन, शादी को जब कुछ महीने या कहें साल गुजर जाते हैं तो सेक्स के प्रति पत्नी की उदासीनता बढ़ती जाती है. घर के काम, बच्चों की जिम्मेदारी और रोमांस के लगभग खत्म होने के साथ ही उस की सेक्स की इच्छा भी खत्म होने लगती है. ऐसे में पति के लिए बहुत जरूरी है कि वह अपनी पत्नी को सेक्स के लिए इस तरह मनाए कि वह सेक्स के लिए केवल हां न कहे बल्कि पूरी तरह उस का आनंद भी ले.

रोमांस को रखें बरकरार

अकसर पति काम से थक हारकर घर आता है तो खाना खा कर सीधा बिस्तर पर पसर जाता है. वह उम्मीद करने लगता है कि पत्नी बिस्तर पर आए और वे दोनों सेक्स करना शुरू कर दें. लेकिन, ऐसे में या तो पत्नी सेक्स के लिए स्पष्टरूप से मना कर देगी या फिर फिर हां कहेगी भी तो बेमन से. इस तरह पति खुद भी सेक्स का लुत्फ़ नहीं उठा पाते. पति होने के नाते आप का काम सीधा सेक्स करना ही नहीं है बल्कि उस से पहले थोड़ा रोमांस करना भी है. पत्नी कोई काम कर रही हो तो उसे जा कर थोड़ा छेड़ आएं, कभी उस की बाहें पकड़ें तो कभी उस के कान में फुसफुसाएं कि वह कितनी खूबसूरत लग रही है. उस के लिए उस की पसंद की चीज़े लाएं तो कभी उस के खाने की तारीफ कर दें. ऐसे रोमांस बरकरार रहेगा और सेक्स के लिए पत्नी का मन भी करेगा.

पत्नी को नजरअंदाज न करें

आप यदि हर बात पर पत्नी को उलाहनाएं देते रहते हैं, उस की बुराई करते हैं, उस की बातों, चिंताओं और परेशानियों पर गौर नहीं करते तो भला कैसे वह अपना दिमाग खाली कर पाएगी और सेक्स में मन लगा पाएगी? आप की पत्नी वैसे आप के लिए हर काम करती है लेकिन  सेक्स ऐसी क्रिया है जिसे यदि वह न करना चाहे तो उस का शरीर भी ‘न’ की मुद्रा में आ जाता है. इसलिए जरूरी है कि आप अपनी पत्नी को केवल अपनी जरुरत न समझें बल्कि उस पर ध्यान दें और उसे खुश रखने की कोशिश करें.

प्यार का इजहार करना न भूलें

किसी महान व्यक्ति का कहना है कि सेक्स के समय किया गया प्यार का इजहार असल में प्यार नहीं होता, वह उस मोमेंट की नजाकत में निकले कुछ शब्दभर होते हैं जो किसी के भी मुंह से निकल सकते हैं. इसलिए कभी भी अपने प्यार का इजहार सेक्स के समय के लिए बचाकर न रखें बल्कि अपनी पत्नी को जब मौका मिले बताएं कि आप उस से कितना प्यार करते हैं. इस से उसे आप के प्रति प्यार भी उभरेगा और सेक्स के लिए उस में उत्सुकता भी जागेगी.

खुद की ग्रूमिंग पर ध्यान दें

वह आप की पत्नी है तो इस का मतलब यह नहीं की आप यह सोचें कि जैसे हैं वैसे ही वह आप को पसंद करे. माना आप दोनों पतिपत्नी हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि आप अपनी तरफ से कोई एफर्ट डाले ही न. अच्छे कपड़े पहनें, अपने इंटिमेट एरिया को क्लीन रखें, दांत, नाक, सब साफ़ रखें. खुद को साफसुथरा और आकर्षित बनाएंगे तो आप की पत्नी भी आप की तरफ आकर्षित होगी.

सेक्स में पत्नी की इच्छाओं का ध्यान रखें

आप की पत्नी को सेक्स से ओर्गास्म या प्लेजर नहीं मिलता तो वह सेक्स के प्रति हमेशा उदासीन ही रहेगी. इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि सेक्स करते समय आप वह पोजेज व मूव्स भी करें जो आप की पत्नी को पसंद हों. उसे वहांवहां छुएं जहां उसे सब से ज्यादा प्लेअजर मिलता हो, शरीर में सनसनी होती हो. सेक्स के समय इतने वाइल्ड भी न हों कि पत्नी को दर्द या तकलीफ हो. औरतों को सेक्स जितना ही मजा फोरप्ले में आता है या कहें उस से ज्यादा ही, तो फोरप्ले को इगनोर न करें. यह सब कर के यकीनन आप की पत्नी का सेक्स करने का मन होगा और वह आप को मना नहीं करेगी.

कहीं आप भी डेमिसेक्सुअल तो नहीं, पढ़ें खबर

आप ने अब तक सेक्सुअलिटी को ले कर कई शब्द सुने होंगे जैसे बाईसेक्सुअल, पैनसेक्सुअल, पौलिसेक्सुअल, असेक्सुअल, सेपोसेक्सुअल और भी कई तरह के शब्द. पर अब एक और नया शब्द सेक्सुअलिटी को ले कर एक नए रूप में आ रहा है और वह है डैमीसेक्सुअल. ये वे लोग हैं जो असेक्सुअलिटी के कगार पर हो सकते हैं पर पूरी तरह से अलैंगिक नहीं हैं. यदि आप किसी से सैक्सुअली आकर्षित होने से पहले अच्छे दोस्त होना पसंद करते हैं तो आप निश्चित रूप से डेमीसेक्सुअल हैं.

सेक्सुअलिटी की पहचान

यह जानने के कई तरीके हैं कि आप डेमीसेक्सुअल हैं या नहीं. सब से मुख्य तरीका यह है कि जब तक आप किसी से भावनात्मक रूप से नहीं जुड़ते, आप सेक्सुअल फीलिंग्स महसूस नहीं करते. आप के लिए भावनाएं महत्त्वपूर्ण हैं. आप सारी उम्र एक ही व्यक्ति से संबंध बना कर रह सकते हैं. आप प्रयोग से डरते हैं.

आप सेक्सुअल इंसान नहीं हैं, इस में कोई बुराई नहीं है. सेक्स के पीछे भागने से ज्यादा आप को जीवंत, वास्तविक बातचीत करना ज्यादा अच्छा लगता है. यदि आप किसी से रिलेशनशिप में हैं और उस से इमोशनली जुड़ हुए हैं तभी आप अपने पार्टनर के प्रति सैक्सुअली आकर्षित होते हैं. यदि आप सिंगल हैं, तो आप निश्चित रूप से सेक्स से ज्यादा पार्क में एक अच्छी सैर या अपनी पसंद की कोई चीज खाना पसंद करेंगे.

जिसे आप पसंद करती हैं, उस से मिलने के बाद आप उस के व्यक्तित्व से प्रभावित होंगी, उस के लुक्स से नहीं, इसलिए किसी भी चीज से पहले आप की उस से दोस्ती होगी. आप किसी से मिलने पर सेक्सुअल होने या फ्लर्टिंग में विश्वास नहीं रखते. यदि एक व्यक्ति ने आप को अपने व्यक्तित्व से प्रभावित किया है तो आप पहले दोस्ती में अपना हाथ बढ़ाएंगे. घंटों, हफ्तों, महीनों में ही डेटिंग शुरू करने की आप सोच भी नहीं सकते, फ्लर्टिंग आप के दिमाग में आती ही नहीं है.

आकर्षण के प्रकार

आकर्षण 2 तरह का होता है-प्राइमरी और सैकेंडरी. प्राइमरी आकर्षण में आप किसी के लुक्स से आकर्षित होते हैं और सैकेंडरी आकर्षण में आप किसी के व्यक्तित्व से प्रभावित होते हैं. यदि आप डेमीसेक्सुअल हैं तो आप निश्चित रूप से सैकेंडरी पर्सनैलिटी टाइप में फिट बैठते हैं. अब इस का मतलब यह नहीं है कि आप को कोई आकर्षित नहीं करता. बहुत लोग आप को आकर्षक लगे होंगे पर आप लुक्स पर ही संबंध नहीं बना सकते. आप तभी आगे बढ़ते हैं जब किसी का व्यक्तित्व आप को प्रभावित करता है.

जब आप के दिल में किसी के लिए फीलिंग्स पैदा होने लगती हैं, विशेषरूप से सेक्सुअल फीलिंग, तो आप दुविधा में पड़ जाते हैं, क्योंकि आप उतने सेक्सुअल पर्सन नहीं हैं. आप नहीं जानते कि इन फीलिंग्स पर क्या प्रतिक्रिया दें या उस व्यक्ति से कैसे शारीरिक कनैक्शन बनाएं. एक बार आप घबराहट और दुविधा की स्थिति से बाहर निकल गए, तो आप अपने पार्टनर से ही सेक्स करना चाहेंगे और किसी से भी नहीं. किसी से सैक्सुअली खुलने के लिए उसे बताएं कि आप उसे कितना प्यार करते हैं, क्योंकि आप बहुत भावुक हैं और फिर सेक्स आप दोनों के लिए बहुत कंफर्टेबल हो जाएगा.

लोगों का आप के प्रति नजरिया

क्योंकि आप सेक्स को ले कर ज्यादा नहीं सोचते, लोग सोच सकते हैं कि आप विवाह होने का इंतजार कर रहे हैं. वे आप को घमंडी और पुराने विचारों का समझ सकते हैं पर इस से आप विचलित न हों. जैसे हैं वैसे ही रहें. आप किसी स्विच को औनऔफ करने की तरह किसी से भी सेक्स नहीं कर सकते. लोगों को अपने मनोभावों पर स्पष्टीकरण देने की चिंता में पड़ें ही नहीं. आप को अपने आसपास हाइली सेक्सुअल लोगों से कोई समस्या भी नहीं होती है. बस आप स्वयं इस स्थिति से खुद को दूर रखते हैं, क्योंकि आप वैसे नहीं हैं. आप सही इंसान का इंतजार कर रहे हैं और अपना जीवन उस के साथ ही सेक्स कर के बिताना चाहते हैं. इस में कुछ भी गलत नहीं है.

डेमीसेक्सुअल होने का मतलब यह नहीं है कि आप को सेक्स पसंद नहीं है. आप को सेक्स पसंद है, सब को सेक्स पसंद होता है पर आप उसी के साथ सेक्स करना चाहते हैं जिस से आप का भावनात्मक जुड़ाव हो. जब सही इंसान आप को मिलता है, आप सैक्सुअली उस से जुड़ जाते हैं. बातचीत और बौंडिंग दोनों आप के लिए ज्यादा महत्त्व रखते हैं.

आप डेमीसेक्सुअल हैं तो आप को यह नहीं सोचना है कि यह कुछ गलत है. आप भावुक हैं, मन के मिले बिना तन से न जुड़ पाएं, तो इस में बुरा क्या है और मन मिलने पर तो आप खुल कर जीते ही हैं. यह बहुत अच्छा है. तो अपनी पसंद का व्यक्ति मिलने पर जीवन का आनंद उठाएं, प्रसन्न रहें.

कुंआरा बाप बन कर मैं बहुत खुश था

आज मैं खुश था. हाथ में 4,800 रूपए थे जिसे मैं अपनी पहली कमाई मान रहा था. मन ही मन खुश था पर अपनी इस खुशी को किसी से शेयर न करना मेरी मजबूरी थी, क्योंकि मैं एक स्पर्म डोनर था. अगर दोस्तों से कहता तो वे मेरा मजाक उड़ाते यह तय था.

खैर, उस पैसे से मैं ने अपने लिए कपडे खरीदे और वापस कमरे पर लौट आया. अगले महीने इंजीनियरिंग का ऐंट्रैस भी था जिस के लिए मैं पूरी लगन से मेहनत कर रहा था.

अब अगले 72 घंटे तक मुझे इंतजार करना था क्योंकि लैब के स्टाफ ने बताया था कि एक बार के बाद अगले 72 घंटे बाद ही आना है

पहले थोडी परेशानी हुई मगर…

इस काम में मुझे मजा भी आने लगा था क्योंकि  हस्तमैथुन करना मैं छोड चुका था और मुझे लगने लगा था कि यह शरीर के एक महत्वपूर्ण चीज की बरबादी है.

अब 72 घंटे के इंतजार के बाद मुझे लैब जाना था और इस में मुझे कोई परेशानी भी नहीं होती थी क्योंकि स्पर्म बैंक मेरे होस्टल से ज्यादा दूर नहीं था.

सप्ताह में मैं 2 दिन जाता था और महीने में 8 बार तो हो ही आता था. इस लिहाज से मुझे 4-5 हजार की आमदनी महीने में हो जाती थी जिसे मैं यों ही बरबाद कर देता था.

किसी के सपने पूरे करने में अलग ही खुशी मिलती गई

वैसे, जब एक दोस्त ने मुझे यह सब करने की सलाह दी तो मुझे बडा अजीब सा लगा. मगर दिल को यह सुकून था कि मेरे स्पर्म से एक मां की सूनी गोद भर जाएगी. और फिर यह कोई गलत काम भी तो नहीं था.

लैब में पहली बार गया तो वहां के स्टाफ ने एक जारनुमा चीज दे कर वाशरूम की तरफ इशारा कर दिया. वह पुरूषों का वाशरूम था जहां 2-3 केबिन बने थे. वाशरूम साफसुथरा था और हैंडवाश की सुविधा थी. एक तरफ साफ तौलिया टंगा था.

मुझे पहली बार देर हो रही थी. स्पर्म को वहीं एक दराजनुमा अलमारी में रख कर और उस पर अपना कोड लिख कर मैं बाहर आया, रजिस्टर में नाम लिखवा कर मैं दोस्त के साथ निकल गया. दोस्त ने मजाकमजाक में कह भी दिया,”तुम तो बहुत देर लगाते हो…”

मैं झेंप सा गया था. पहली बार आया तो इस के लिए मुझे एक स्लिप भरनी पङी. कुछ टेस्ट के लिए ब्लड का सैंपल लिया गया. मेरी शारीरिक जांच हुई और ब्लड शुगर, एचआईवी आदि को देखा गया कि कहीं मुझे कोई बीमारी तो नहीं है.

यह कोई गलत काम नहीं था

काउंटर से एक बार के 600 रूपए मिले थे तो मुझे थोडा अजीब सा लगा था, क्योंकि आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘विक्की डोनर’ मैं ने देखी थी जिस में वह स्पर्म डोनेट कर अमीर बन गया था पर मैं कोई आयुष्मान खुराना तो था नहीं. जो पैसे मिले वे अतिरिक्त पौकेट खर्च में मेरे काम आ रहे थे और मैं थोडी मस्ती भी कर पा रहा था.

इतने दिनों में मैं यही अच्छी तरह जान गया था कि यह कोई गलत काम नहीं है बल्कि किसी दंपति के पुरूष साथी में प्रजनन की समस्याओं के कारण अथवा किसी महिला का कोई पुरूष साथी नहीं होने के कारण उन्हें डोनेट किए गए स्पर्म की आवश्यकता हो सकती है.

एक सकारात्मक कार्य है

स्पर्म डोनेट यानी वीर्य दान एक सकारात्मक कार्य है जो कई ऐसी जोङियों को संतानसुख देता है जिस के घर में सालों से बच्चों की किलकारियां न गूंजी हों. इसलिए मैं एक ऐसा काम कर रहा था जिस से दूसरे लोगों की परिवार बनाने की उम्मीदें पूरी हो सकें.

आज मैं एक इंजीनियर हूं. मेरे अपने परिवार और एक प्यारी सी बेटी के साथ मैं बहुत खुश हूं.

कभीकभी सोचता हूं कि जो युवा हस्तमैथुन कर अपना वीर्य बरबाद कर देते हैं उन्हें स्पर्म डोनर्स क्यों नहीं बन जाना चाहिए?

जब पत्नी को पता चला

एक दिन मैं ने अपनी बीवी से अपनी पिछली जिंदगी के बारे में बताया तो वह भी बिना मुसकराए नहीं रह सकी. कभीकभी वह मुझे इस बात के लिए छेङती है तो हम दोनों ही खूब खुल कर हंसते हैं और एकदूसरे के गले लग जाते हैं.

कई रोगों कों आमंत्रण देती है उत्तेजक गोली

कई साइड इफेक्ट के बाद भी खुश की कशमकश के लिए इन गोलियों का उपयोग तेजी से हो रहा है . यहाँ बात हो रही है यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली छोटी-सी उत्तेजक गोली (वियाग्रा) की. वर्त्तमान समय से बारह साल पहले 27 मार्च 2001 को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने इन गोलियों को बाजार में बिक्री की इजाजत दी थी.

तब किसी ने नही सोचा था कि ये दवाए आगे चलाकर नुकशानदायक होगी. उस समय इन गोलियों को क्रांतिकारी माना गया था, लेकिन धीरे-धीरे स्थिति साफ होती गई. क्रांतिकारी माने जाने वाला दवा लोगो के लिए नुकशान दायक सिद्ध होने लगा, समय रहते ही इसके नुकसान को गंभीरता से लिया जाने लगा और अब पुरे विश्व भर में छोटी-सी उत्तेजक गोली पर खुल कर चर्चा हो रही है. तों आईये नजदीक से जानते है,छोटी-सी उत्तेजक गोली के बारे में….

* गोलियों के माध्यम से खुश करने की कशमकश :- समय के साथ समाज में बहुत बदलाव आया है, आज के समय में सिर्फ उम्र दराज लोग ही पुंसत्ववर्धक दवाएँ नहीं ले रहे हैं, बल्कि युवा भी बिस्तर पर अपने हमसाथी की माँग पूरी करने के लिए उत्तेजक दवाओ का सहारा लेने लगे हैं. एक अनुमान के अनुसार हर रोज उत्तेजक दवाओ का इस्तेमाल करने वालो की संख्या दुगुने गति से बढ़ रहा, यानि दिन -प्रतिदिन इन दवाओ की मांग बढ़ रही है. कई जानकारों का कहना है कि कई लोग औनलाइन उत्तेजक दवायों (वियाग्रा) कों खरीदकर अवैध दवाओं के धंधे को बढ़ावा दे रहे हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार आज की महिलाएं अश्लीलता से भरपूर विदेशी धारावाहिकों (सेक्स और सिटी जैसे धारावाहिकों से) में महिलाओं की भूमिका से प्रेरणा ले रही हैं और अपने यौन इ‘छाओं का खुलकर इजहार कर रही हैं तथा बिस्तर पर अपने पुरुष साथियों से ’यादा क्षमता और सोच की माँग करने लगी हैं. परिणामस्वरूप 18 से 40 साल के बीच के लोग धीरे-धीरे दुर्बलता महसूस करने लगे हैं. इन आधुनिक महिलाओं के कारण मर्द अपने आप में नपुंसकता महसूस कर सकते हैं, फलस्वरूप उत्तेजक दवा का सहारा लेकर अपने साथी कों खुश करने कि कोशिश करना शुरू कर देते है. शुरुयात में यह सब एक कोशिश होता है, लेकिन धीरे-धीरे ये दवाए पुरुषो की आदत बन जाती है. इस तरह शुरू होता है, रोजाना उत्तेजक गोलियों के माध्यम से साथी कों खुश करने की कशमकश.

* साइड इफेक्ट्स :- उत्तेजक दवायो का उपयोग लोग यौन शक्ति बढ़ाने के लिए होती है, लेकिन लगातार उपयोग करने की दशा में लोग अपना यौन शक्ति तों खोते ही है, साथ-साथ कई बीमारियों कों आमंत्रित करते है. कुछ नए शोधों से तो यहां तक पता चला है कि कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाओ के प्रभाव से कानों की सुनने की क्षमता भी खत्म हो जाती है. शोध से यह भी साबित हुआ है कि उत्तेजक गोली (वियाग्रा) से वीर्य पर भी असर पड़ता है और निषेचन की क्षमता घटती है, यानि बच्चा पैदा करने की पुरुषों की क्षमता घटाती है. जानकारों का मानना है कि इसके साइड इफेक्ट्स काफी हद तक बढ़ गई है,

सिर में दर्द और चेहरे पर लाल दाने उभर जाना सबसे आम है. इसके अलावा कई लोगों में नाक में खून जमना, छींक आना, अपच, पीठ में दर्द, दिल की धडक़न बढऩा और रोशनी से डर लगना जैसे लक्षण भी नजर आते हैं. यही नही यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का जो सबसे खतरनाक दुष्प्रभाव है, कि वह धमनियों में फैलाव ला देती है. जिसके फलस्वरूप निम्न रक्तचाप, लिंग में दर्द, दिल का दौरा, आंखों की रोशनी कमना और कई बार तो अंधेपन जैसी समस्या सामने आ जाती है.

* क्या कहते है विशेषज्ञ :- शारीरिक संबंध (सेक्स) शरीर का मिलन भर नही है, बल्कि दो लोगो का अन्दुरुनी प्रेम सम्बन्ध है, विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तेजक दवाo से काफी हद तक दुरिया बनाई रखनी चाहिए. कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि छणिक सुख के लिए दूरगामी बीमारियों का न्यौता ना दे, जहाँ तक हो सके इन दवाओ के सेवन से बचे.

डाक्टरों का कहना है कि उत्तेजक दवा आपको आपके साथी से दुरिया बनाने में अहम रोल अदा करता है. इस बात कों बहुत लोग मानाने कों तैयार नही है, लेकिन यह सच है कि इन दवाओ का सेवन शुरुयात में आपके जीवन में मीठा रस घोलता है, फिर नीम से कड़ा कड़वाहाट आपके संबंध में आ जाता है. शारीरिक संबंध (सेक्स) के संबंधित मामलो पर 20 साल से काम करने वाले डाँ विनीत बताते है कि इन दवाओ का उपयोग नपुंसक लोगो के लिए कारगर है, जबकि सामान्य लोगो के लिए बेहद खतरनाक जहाँ तक हो सके इन दवाo के सेवन से बचना चाहिए. क्यों कि पिछले दो सालो में नवयुवको का छुकाव इन दवाओ के तरफ तेजी बढा है, जो बेहद खतरनाक है.

* क्या कहता है कानून :- उत्तेजक दवाओ के बिक्री के संबंध में कई कड़े कानून ना होने के कारण हमारे देश में इन दवाओ के नाम पर लूट जोरो से हो रही है. कुछ अंग्रेजी उत्तेजक दवा भी समान्य दवा विक्री कानून के अंदर आते है. एक अनुमान के अनुसार नीम-हाकिम के द्वारा दिए जाने वाले उत्तेजक दवाओ कों लोग कभी कारगर मन कर बड़े पैमाने पर उसका उपयोग कर रहे है. ऐसे कई नीम- हकीम है, जो चोरी छुपे उत्तेजक दवाओ के नाम पर कुछ भी बेच रहे है. इस तरह के मामले प्रकाश में नही आ पाते है, क्यों कि पीडि़त लोग शर्म के मारे समाज में इनके विरोध कुछ बोल नही पाता है. जिससे कई मामलों का सच सामने आता ही नही है और नित्य इन गोलियों के माध्यम से कानून के आँखों में धुल झोका जा रहा है.

मेरी बेटी टीचिंग का कोर्स करना चाहती है, मेरे पति उस पर भी डाक्टर बनने का दबाव डाल रहे हैं.

सवाल-

मेरी बेटी 12वीं के बाद टीचिंग का कोर्स करना चाहती है. लेकिन मेरे पति खुद डाक्टर होने के कारण उस पर भी डाक्टर बनने का दबाव डाल रहे हैं. वह तनाव में है और किसी से भी बात नहीं कर रही. मैं अपनी बेटी को ऐसी स्थिति में नहीं देख सकती?

जवाब-

आजकल मातापिता बच्चों पर जरूरत से ज्यादा कैरियर बनाने का दबाव बना रहे हैं. इस कारण वे तनावग्रस्त हो कर आत्महत्या जैसे कठोर कदम उठाने में भी देर नहीं लगाते. बच्चों को वही करने दें जिस में उन की रुचि हो, न कि पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे प्रोफैशन को उन पर थोपें. वैसे शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत प्रतियोगिता है और अच्छी नौकरी मिलनी मुश्किल है. अभी बेटी छोटी है और डाक्टरी की पढ़ाई से भयभीत है, उसे समझाना जरूरी है.

सेक्स फैंटेसी को लेकर लोगों की बदलती सोच, पढ़ें खबर

सेक्स को ले कर महिलाओं पर रूढिवादी सोच हमेशा हावी रही है. लेकिन अब समय के साथ यह टूटने लगी है. अब पुरुषों की ही तरह महिलाएं भी सेक्स को पूरी तरह ऐंजौय करना चाहती हैं. इसे ले कर उन के मन में कई तरह के सपने भी होते हैं. अब ये बातें भी पुरानी हो गई हैं कि कौमार्य पति की धरोहर है. अब शादी के पहले ही नहीं शादी के बाद भी सेक्स की वर्जनाएं टूटने लगी हैं. शादी के बाद पतिपत्नी खुद भी ऐसे अवसरों की तलाश में रहते हैं जहां वे खुल कर अपनी हसरतें पूरी कर सकें.

परेशानियों से बचाव

सेक्स के बाद आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए भी महिलाएं तैयार रहती हैं. प्लास्टिक सर्जन डाक्टर रिचा सिंह बताती हैं, ‘‘शादी से कुछ समय पहले लड़कियां हमारे पास आती हैं, तो उन का एक ही सवाल होता है कि उन्होंने शादी के पहले सेक्स किया है.

इस बात का पता उन के होने वाले पति को न चले, इस के लिए वे क्या करें? लड़कियों को जब इस बारे में सही राय दी जाती है तो भी वे मौका लगते ही सेक्स को ऐंजौय करने से नहीं चूकतीं. शादी के कई साल बाद महिलाएं हमारे पास इस इच्छा से आती हैं कि वे शारीरिक रूप से कुंआरी सी हो जाएं.’’

विदेशों में तो सेक्स को ले कर तमाम तरह के सर्वे होते रहते हैं पर अपने देश में ऐसे सर्वे कम ही होते हैं. कई बार ऐसे सैंपल सर्वों में महिलाएं अपने मन की पूरी बात सामने रखती हैं. इस से पता चलता है कि सेक्स को ले कर उन में नई सोच जन्म ले रही है. डाक्टर रिचा कहती हैं कि शादी से पहले आई एक लड़की की समस्या को एक बार सुलझाया गया तो कुछ दिनों बाद वह दोबारा आ गई और बोली कि मैडम एक बार फिर गलती हो गई.

सेक्स रोगों की डाक्टर प्रभा राय बताती हैं कि हमारे पास ऐसी कई महिलाएं आती हैं, जो जानना चाहती हैं कि इमरजैंसी पिल्स को कितनी बार खाया जा सकता है. कई महिलाएं तो बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की गोलियों का प्रयोग करती हैं. कुछ महिलाएं तो गर्भ ठहर जाने के बाद खुद ही मैडिकल स्टोर से गर्भपात की दवा ले कर खा लेती हैं. मैडिकल स्टोर वालों से बात करने पर पता चलता है कि बिना डाक्टर की सलाह के इस तरह की दवा का प्रयोग करने वाले पतिपत्नी नहीं होते हैं.

बदल रही सोच

सेक्स अब ऐंजौय का तरीका बन गया है. शादीशुदा जोड़े भी खुद को अलगअलग तरह की सेक्स क्रियाओं के साथ जोड़ना चाहते हैं. इंटरनैट के जरीए सेक्स की फैंटेसीज अब चुपचाप बैडरूम तक पहुंच गई है, जहां केवल दूसरे मर्दों के साथ ही नहीं पतिपत्नी भी आपस में तमाम तरह की सेक्स फैंटेसीज करने का प्रयास करते हैं.

इंटरनैट के जरीए सेक्स की हसरतें चुपचाप पूरी होती रहती हैं. सोशल मीडिया ग्रुप फेसबुक और व्हाट्सऐप इस में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं. फेसबुक पर महिलाएं और पुरुष दोनों ही अपने निक नेम से फेसबुक अकाउंट खोलते हैं और मनचाही चैटिंग करते हैं. इस में कई बार महिलाएं अपना नाम पुरुषों का रखती हैं ताकि उन की पहचान न हो सके. वे चैटिंग करते समय इस बात का खास खयाल रखती हैं कि उन की सचाई किसी को पता न चल सके. यह बातचीत चैटिंग तक ही सीमित रहती है. बोर होने पर फ्रैंड को अनफ्रैंड कर नए फ्रैंड को जोड़ने का विकल्प हमेशा खुला रहता है.

इस तरह की सेक्स चैटिंग बिना किसी दबाव के होती है. ऐसी ही एक सेक्स चैटिंग से जुड़ी महिला ने बातचीत में बताया कि वह दिन में खाली रहती है. पहले बोर होती रहती थी. जब से फेसबुक के जरीए सेक्स की बातचीत शुरू की है तब से वह बहुत अच्छा महसूस करने लगी है. वह इस बातचीत के बाद खुद को सेक्स के लिए बहुत सहज अनुभव करती है. पत्रिकाओं में आने वाली सेक्स समस्याओं में इस तरह के बहुत सारे सवाल आते हैं, जिन्हें देख कर लगता है कि सेक्स की फैंटेसी अब फैंटेसी भी नहीं रह गई है. इसे लोग अपने जीवन का अंग बनाने लगे हैं.

तरहतरह के लोग

फेसबुक को देखने, पसंद करने और चैटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग हैं. ज्यादातर लोग गलत जानकारी देते हैं. व्यक्तिगत जानकारी देना पसंद नहीं करते. छिबरामऊ की नेहा पाल की उम्र 20 साल है. वह पढ़ती है. वह लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है. 32 साल की गीता दिल्ली में रहती है. वह नौकरी करती है.

उस की किसी लड़के के साथ रिलेशनशिप है. वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है. उस की सब से अच्छी दोस्त रीथा रमेश है, जो केरल की रहने वाली है. वह दुबई में अपने पति के साथ रहती है. अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है.

ऐसे ही तमाम नामों की लंबी लिस्ट है. इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुल कर लैस्बियन मानती हैं और लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं. कुछ गृहिणियां भी इस में शामिल हैं, जो अपने खाली समय में चैटिंग कर के मन को बहलाती हैं. कुछ लड़केलड़कियां और मर्द व औरतें भी आपस में सैक्सी बातें और चैटिंग करते हैं.

कई लड़केलड़कियां तो अपने मनपसंद फोटो भी एकदूसरे को भेजते हैं. फेसबुक एकजैसी रुचियां रखने वाले लोगों को आपस में दोस्त बनाने का काम भी करता है. एक दोस्त दूसरे दोस्त को अपनी फ्रैंडशिप रिक्वैस्ट भेजता है. इस के बाद दूसरी ओर से फ्रैंडशिप कन्फर्म होते ही चैटिंग का यह खेल शुरू हो जाता है. हर कोई अपनीअपनी पसंद के अनुसार चैटिंग करता है.

कुछ लड़कियां तो ऐसी चैटिंग करने के लिए पैसे तक वसूलने लगी हैं. वाराणसी के रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं, ‘‘मुझ से चैटिंग करते समय एक लड़की ने अपना फोन नंबर दिया और कहा इस में क्व500 का रिचार्ज करा दो. मैं ने नहीं किया तो उस ने सैक्सी चैटिंग करना बंद कर दिया.’’

इसी तरह से लखनऊ के रहने वाले रामनाथ बताते हैं, ‘‘मेरी फ्रैंडलिस्ट में 4-5 लड़कियों का एक ग्रुप है, जो मुझे अपने सैक्सी फोटो भेजती हैं. मेरे फोटो देखना भी वे पसंद करती हैं. कभीकभी मैं उन का नैटपैक रिचार्ज करा देता हूं. इन से बात कर मैं बहुत राहत महसूस करता हूं. मुझे यह अच्छा लगता है, इसलिए मैं कुछ रुपए खर्च करने को भी तैयार रहता हूं.’’ फेसबुक के अलावा अब व्हाट्सऐप पर भी इस तरह की चैटिंग होने लगी है.

जागरूकता लाते फिल्मों के कंडोम सीन

इस फिल्म का हीरो एक दफ्तर में क्लर्क था जिस की शादी तय हो जाती है तो वह सेक्स की जानकारियों के लिए कामसूत्र जैसी किताबें पढ़ने लगता है.

फिल्म ‘अनुभव’ का वह सीन बड़े दिलचस्प तरीके से दिखाया गया है जिस में हीरो निरोध खरीदने दुकान पर जाता है, तो बेहद घबराया हुआ रहता है और रास्तेभर इस बात की प्रैक्टिस करता हुआ जाता है कि दुकानदार से निरोध मांगना कैसे है.

इस फिल्म की हीरोइन पद्मिनी कोल्हापुरे सयानी हो जाने के बाद भी बच्चों की तरह शरारत करती खेलती रहती है. वह शादी और सैक्स का मतलब ही नहीं समझती है.

फिल्म का एक और सीन दर्शकों को खूब हंसा गया जिस में पद्मिनी कोल्हापुरे अपने छोटे भाई के साथ मिल कर शेखर सुमन के सूटकेस से निरोध निकाल कर उन्हें गुब्बारों की तरह फुला कर आंगन में टांग देती है.

ऐसे आती है जागरूकता

इस एक फिल्म के कुछ सीन देख कर नौजवानों में कंडोम को ले कर न केवल जागरूकता आई थी, बल्कि वे छोटे परिवार की अहमियत भी समझने लगे थे. उस दौर में सरकार ने छोटे परिवार, परिवार नियोजन और निरोध का जम कर प्रचार किया था लेकिन उसे उम्मीद के मुताबिक कामयाबी नहीं मिली थी.

कंडोम बनाने वाली प्राइवेट कंपनियां जब मैदान में आईं तो उन्होंने सब से पहले प्रचार करने का तरीका बदला और तरह-तरह के लुभावने कंडोल बनाना शुरू किए, तो देखते ही देखते कंडोम के बाजार और कारोबार ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि अब लोगों को यह बताने की जरूरत नहीं रह गई है कि कंडोम से आप न केवल परिवार छोटा रख सकते हैं, बल्कि कई सैक्स रोगों से भी खुद को बचा कर रख सकते हैं.

लेकिन अभी भी गांवदेहात में रूढि़यों और लापरवाही के चलते कंडोम के प्रचार प्रसार की जरूरत है.

जरूरत तो इस बात की भी है कि कंडोम छोटी से छोटी जगह पर आसानी से मिले और  सरकार व कंपनियां मिल कर इसे एक चैलेंज और मुहिम की शक्ल में लें.

कंडोम बनाने वाली कंपनियों ने लोगों को लुभाने के लिए तरहतरह के इश्तिहार बनाए और जब फिल्मी सितारों को भी अपना ब्रांड एंबैसेडर बनाना शुरू किया तो लोगों की झिझक भी कम होना शुरू हुई.

‘बिग बी’ को दिया कंडोम

हिंदी फिल्मों के ‘बिग बी’ अमिताभ बच्चन ने कभी कंडोम का इश्तिहार नहीं किया, लेकिन एक हिट फिल्म ऐसी भी थी जिस में उन्हें कंडोम थमाया गया था. यह फिल्म थी ‘सत्ते पे सत्ता’, जिस में अमिताभ नर्स बनी हेमामालिनी से इश्क कर बैठते हैं और उन से कोर्टमैरिज कर लेते हैं.

जब वे शादी के बाद रजिस्टर पर दस्तखत कर कुरसी से उठते हैं तो रजिस्ट्रार उन्हें बधाई देते हुए उन की हथेली पर कंडोम का पैकेट रख देता है.

इस छोटे से सीन में दर्शकों के लिए कई मैसेज छिपे थे, मसलन यह कि कंडोम का इस्तेमाल पहली रात यानी सुहागरात से ही कर देना चाहिए जिस से मियांबीवी दोनों सैक्स का लुत्फ बिना किसी डर और रुकावट के उठा सकें और पहले बच्चे के लिए जल्दबाजी न करें.

बिना कंडोम सैक्स नहीं

अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘पा’ एक अलग तरह की फिल्म थी जिस में उन का बेटा एक खतरनाक बीमारी प्रोगेरिया का शिकार रहता है और आम बच्चों की तरह नहीं रह पाता है और न ही जी पाता है. 13 साल के छोटे बच्चे का रोल अमिताभ बच्चन ने ही निभाया था.

इस फिल्म में विद्या बालन हीरोइन थी. प्रेमीप्रेमिका कभी भी बिना कंडोम के हमबिस्तरी नहीं करते थे, पर एक बार चूक हो गई. यह पहली फिल्म थी जिस में कंडोम न इस्तेमाल करने की वजह

से प्रेमीप्रेमिका अलग हुए क्योंकि प्रेमी विवाह को तब भी तैयार न हुआ, जब प्रेमिका पेट से हो गई.

देश की आबादी जिस रफ्तार से बढ़ रही है, कुछ अनुमान तो यह है कि शायद इस मामले में 2022-23 में चीन से भी फतेह मिल जाएगी, जबकि जरूरत इस बात की है कि हम आबादी के नहीं बल्कि टैक्नोलौजी और कारोबार के मामले में चीन को पछाड़ें. शायद इसीलिए प्रधानमंत्री भी देशवासियों को कम से कम बच्चे पैदा करने का मशवरा देने लगे हैं.

और भी हैं मिसालें

फिल्म ‘अनुभव’ के बाद ‘पीके’ ऐसी फिल्म थी जिस में कंडोम सीन को लंबा दिखाया गया था. इस फिल्म में आमिर खान हीरो थे और दूसरे गोला यानी ग्रह से आए थे जो आम लोगों की दुनिया के तौरतरीकों से वाकिफ नहीं था. फिल्म में धार्मिक अंधविश्वासों को ले कर जम कर हमला किया गया था.

एक सीन में दिखाया गया था कि आमिर खान एक न्यूज चैनल के दफ्तर में बैठे हुए कुछ सोच रहे हैं तभी उन्हें कंडोम का पैकेट गिरा हुआ दिखता है, तो वे हर किसी से पूछते फिरते हैं कि यह आप का है क्या?

इस कौमेडी पर दर्शकों को भले ही खूब हंसी आई हो, लेकिन उन्होंने पहली दफा किसी हिट फिल्म में कंडोम का इतना खुला प्रचार देखा था.

इसी तरह गोविंद मेनन के डायरैक्शन में बनी हिंदी फिल्म ‘ख्वाहिश’ में हीरोइन मल्लिका शेरावत को कंडोम खरीदते हुए दिखाया गया था. इस सीन की अपनी अलग अहमियत थी कि अब लड़कियां भी बिना किसी लिहाज के कंडोम खरीदने लगी हैं.

विशाल मिश्रा के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘मरुधर ऐक्सप्रैस’ में भी एक अच्छा कंडोम सीन है, लेकिन यह सब काफी नहीं है. अभी कंडोम को ले कर और अच्छी फिल्मों की जरूरत है जिस से ज्यादा से ज्यादा जागरूकता आए.

अगर सैनेटरी नैपकिन को ले कर जागरूकता फैलाती फिल्म ‘पैडमैन’ बन सकती है, तो कंडोम पर क्यों नहीं?

आखिर क्यों इस लड़के ने किया खुद का सौदा

तब पत्थरों के बीच बैठे प्रेमी जोड़ों को देखता तो सोचता कितना प्रेम है इन में. आज सोच रहा हूं क्या वाकई प्रेम है इस दुनिया में? यूपी के एक छोटे से कसबे से मुंबई आया तो सोचा था अच्छी नौकरी मिल जाए तो फिर शादी करूंगा और घर बसा लूंगा.
यहां आया तो एक परिचित ने एक चाल की खोली में मेरे लिए रहने की व्यवस्था कर दी. मैं अखबार में विज्ञापन देखता और फिर इंटरव्यू देने जाता. काफी दिन हो गए थे नौकरी ढूंढ़तेढूंढ़ते. पैसे खत्म हो गए थे और उधार से काम चला रहा था.

एक दिन मेरी मुलाकात टोनी नाम के एक शख्स से हुई. उस ने मुझे बताया, ‘‘छोड़ो, बेकार है चप्पलें घिसना. शाम को चलो एक बंदे से मिलवाता हूं.’’
मैं ने पूछा, ‘‘किसी कंपनी के मालिक हैं? या फिर कोई औफिसर?’’
वह तेज हंसा फिर बोला, ‘‘शाम को पता चल जाएगा.’’

मैं मजबूर था

शाम को हम चल दिए तय समय पर. वह एक दबड़ेनुमा जगह थी. उस में एक छोटे से कमरे में औफिस जैसा बना था.
उस में बैठा शख्स मुझ से कहने लगा, ‘‘खूब पैसा है पर तुम्हें टापचिक यानी फैशन में रहना पड़ेगा. कस्टमर जो कहे उसे करना होगा. किसी भी हालत में उसे नाराज नहीं करना है. जो पैसा मिलेगा 60% तुम्हारा 40% हमारा. स्मार्ट हो तुम, बस खुद को टापचिक रखो.’’
मेरे पास पैसे नहीं थे. मैं कर भी क्या सकता था? दूसरी तरफ मुझे लगा कि इस में मेरा क्या जाएगा. मैं तैयार हो गया.
अब कल से मुझे एक ऐस्कौर्ट पुरुष बनना था, जिसे जिगोलो भी कहते हैं.

बेचैनी में काटी रात

पूरी रात मैं ने बेचैनी में काटी. दूसरे दिन शाम 6 बजे मुझे तैयार हो कर एक कैफे के बाहर खड़ा होना था. बांए पर हरी पट्टी बांधनी थी, जिस से मेरी पहचान करने में कस्टमर को परेशानी न हो. मुझे सिर्फ कार का एक नंबर दिया गया था. कोड था ‘हैप्पी डे’.

शाम के 6:12 बजे एक कार आ कर रुकी. मैं ने कार का नंबर प्लेट देखा. यह वही नंबर था जो मुझे दिया गया था. मैं कार की ओर बढ़ा तो ड्राइवर की सीट पर एक 35-36 साल की महिला थी. उस ने खिडक़ी के शीशे को नीचे कर मुझे देखा तो मैं ने उसे ‘हैप्पी डे मैम’ बोला. वह मुसकराई फिर पिछली सीट पर बैठने को इशारा किया. थोड़ी ही देर बाद हम एक शानदार होटल के बाहर खड़े थे.

उस ने साथ नहाने को औफर किया

होटल के कमरे में जाते ही उस महिला ने बीयर पी और मुझे भी पीने को कहा. मैं ने कहा मैं नहीं पीता, यह बुरी लत है तो वह हंसी फिर बोली, ‘‘नए लगते हो. कहां के रहने वाले हो?’’
मैं ने कहा, ‘‘सौरी मैम, जगह और पता नहीं बता सकता आप को.’’
उस ने “ओके” कहा और मुझे साथ नहाने को औफर किया. वह नहाते समय मुझ से लिपट गई और अपनी नाभी को मुझे चूमने के लिए कहा. बाद में हम कमरे में आ गए. बातों ही बातों में उस ने मुझे बताया कि उस के पति को सैक्स में ज्यादा फंकी करना पसंद नहीं. नितंबों तक को चूमना किसे कहते हैं यह नहीं जाना आज तक.
थोड़ी देर बाद वह मेरे ऊपर थी और सैक्स के समय वह तेजतेज सिसकारियां ले रही थी. हद तो तब हो गई जब उस ने मोबाइल में एक पोर्न क्लिक दिखा कर मुझ से ऐसा ही करने को कहा.
खैर, लगभग 3 घंटे हम साथ रहे. फिर बाद में मैं अपनी खोली पर आ गया था. पैसे एडवांस में ही मुझे मिल गए थे. 1 दिन में 5 हजार रूपए मेरे जेब में थे.

1-2 दिन तक मुझे कोई फोन नहीं आया. तीसरे दिन मुझे दोपहर 3 बजे एक जगह जाने को बोला गया. वह एक फ्लैट था. डोरबेल बजाने पर एक 26-27 साल की युवती ने दरवाजा खोला. मैं ने कोडवर्ड बताया तो वह दरवाजे से हट गई. मैं अंदर आ गया. उस ने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और उसे स्विच्ड औफ कर दिया. फिर मुझे ड्राइंगरूम में ले गई और पूछा, ‘‘कोई कैमरा या रिकौर्डर वगैरह हो तो बता दो, वरना अच्छा नहीं होगा.’’
मेरे मना करने पर उस ने मुझे कौफी बना कर पिलाई फिर पूरी तरह नंगा होने को बोली.

हैरान था मैं 

मैं उस के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र था. उस ने मेरी अंग की तारीफ की और पूछ बैठी, ‘‘क्या सभी पुरुषों का ‘ऐसा’ ही होता है?’’ मैं हैरान था.
उस ने मुझे बताया कि अगले 3 महीने बाद उस की शादी होने वाली है और वह शादी से पहले पुरुष शरीर को करीब से देखना चाहती थी.
मैं अवाक था. वह सुंदर थी और तब तक मेरी भी इच्छा सैक्स करने को हो रही थी. मैं ने पूछा, ‘‘मैम, क्या कंडोम लगाऊं?’’ उस ने मना कर दिया और बोली, ‘‘नहींनहीं, बस कुछ देर इसी तरह खड़े रहो. मेरी शादी होने वाली है.’’
खैर, कुछ देर बाद मैं वहां से निकल कर अपने खोली पर आ गया. मूड औफ था पर आज फिर बतौर फीस पैसे मिले थे इसलिए बाजार घूमने निकल पङा.

एक बार तो मैं बुरी तरह घिर गया था

मुझे एकसाथ 2 युवतियों को खुश करना था. वे दोनों ही काफी तेजतर्रार लग रही थीं. उन्होंने एकएक कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे निर्वस्त्र ही डांस को बोलने लगीं. मेरे लिए यह सब आश्चर्यजनक था. पर उन्हें न तो नाराज कर सकता था और न ही मैं भाग सकता था. उस दिन मैं थक कर चूर हो गया था. 4-5 घंटे बाद खोली पर आया तो आते ही बिना खाएपीए सो गया.

एक दिन तो अजीब वाकेआ हुआ मेरे साथ

उस दिन मुझे जहां जाना था, उस के लिए मैं ने नए कपड़े खरीदे थे. हेयरस्टाइल सही कराए थे और अच्छे से तैयार हो कर निकला था.
होटल के जिस कमरे में मैं पहुंचा था वहां लगभग 42 साल की एक महिला थी. वह मुझे बताते हुए रो पड़ी. उस ने बताया कि वह अकेलेपन का शिकार है और पति उसे प्यार नहीं करता. उस ने बताया कि उस के पति ने घुटनों के ऊपर कभी किस नहीं किया. फोरप्ले के लिए तरस जाती है वह.
मेरे साथ सैक्स के दौरान वह इतनी उत्तेजित हो गई थी कि उस ने जोश में मेरे दाएं कान पर कस कर दांत गड़ा दिए थे. मैं तो बिलबिला गया था.

लगभग 3 साल तक मैं पुरुष ऐस्कौर्ट का काम करता रहा. इस दौरान मैं ने बहुत पैसे कमाए. यह तो अच्छा रहा कि इस दौरान मैं कंप्यूटर कोर्स पूरा कर खुद एक कोचिंग सैंटर खोल कर बच्चों को पढ़ाने लगा.

मन में कई सवाल अधूरे रह गए

बीते दिनों को मैं याद करना नहीं चाहता. बस इतना ही कहना चाहूंगा कि पतियों को अपनी पत्नी को भरपूर प्यार करना चाहिए. उन्हें मानसिक सुख के साथ दैहिक सुख का भी खयाल रखना चाहिए. इतने दिनों में मैं ने जाना कि महिलाएं अकेलेपन और प्रेम के अभाव में ही गलत रास्ता चुनती हैं. यह अलग बात है कि कुछ महिलाएं इसे अपनी आजादी से जोड़ कर देखती हैं.

सही है, पुरुषों की तरह महिलाओं को भी अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने की आजादी मिलनी चाहिए. मगर मन में कई सवाल हैं जिन्हें अब जानने की कोई इच्छा नहीं है. पिछली गलतियों को भूल कर मुझे अब अपना और अपने परिवार का भविष्य संवारना है. अब से मैं बराबर समुद्र किनारे बैठने आऊंगा. मुझे यह देख कर अच्छा लगता है कि छोटीछोटी मछलियां लहरों के बहाव में किनारे जमीन पर आ जाती हैं. पर संघर्ष करतेकरते वे फिर से पानी में जा कर जिंदा बच जाती हैं.
काश, मैं भी कुछ साल पहले इन मछलियों से प्रेरणा ले पाता.

(नाम व पहचान गुप्त रखने के लिए पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं)

पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 21 साल है और पिछले 2 साल से मैं अपने अंग में खुजली महसूस करता हूं. खुजली इतनी ज्यादा होती है कि मैं वहां खूब खुजला लेता हूं. इस से मेरे अंग पर लाल निशान हो जाते हैं और बड़ी जलन मचती है. मैं ने कई जगह इलाज कराया, पर कोई फायदा नहीं हुआ. मैं क्या करूं?

जवाब

इस तरह की समस्या सैक्स इंफैक्शन या फंगल इंफैक्शन या दाद की वजह से हो सकती है. इस के अलावा मर्दाना अंग में हर्पीज, मस्से (वार्ट), सोराइसिस या कौंटैक्ट डर्मेटाइटिस जैसी साधारण समस्या के चलते भी ऐसा हो सकता है. यह डायबिटीज का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है.

आप को चमड़ी बीमारी के माहिर डाक्टर से मिलना चाहिए, जो आप को इस के सही इलाज के बारे में सलाह दे सकता है.

 जब सताए दाद, खाज-खुजली तो अपनाएं ये टिप्स –

स्किन मानव शरीर का एक ऐसा हिस्सा है जिस में आएदिन कोई न कोई परेशानी हो ही जाती है. स्किन की बीमारियों की बात की जाए तो सबसे पहले खयाल दादखाजखुजली का आता है, जो गरमी के मौसम में ज्यादा परेशान करती है. हम अकसर इसे मामूली परेशानी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह मामूली सी परेशानी कब भयानक रूप ले लेती है, इस का पता ही नहीं चलता. यह एक ऐसी बीमारी है, जो देश में 1 से 3% व्यक्तियों को इस प्रकार प्र्रभावित करती है कि वे कुछ ही समय में बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं.

क्या है लक्षण

– यदि आप को हर दिन खुजली की प्रौब्लम रहती है तो यह खाज का लक्षण है.

– स्किन पर लाल चकत्ते उभर रहे हों जिन्हें आप का बारबार खुजलाने का मन करे तो वह दाद का लक्षण है.

– स्किन पर खिंचाव के साथ खुजली महसूस हो तो यह खाज का ही लक्षण है.

– स्किन पर दाने होना.

क्या है कारण

– दवाओं का ज्यादा सेवन करने से शरीर में साइड इफैक्ट हो सकता है, जिस से खुजली की परेशानी हो सकती है.

– मच्छरों और कीटों के काटने से खुजली की प्रौब्लम होती है.

– साफसफाई न रखने से स्किन में इन्फैक्शन हो सकता है, जो दादखाजखुजली का रूप ले सकता है.

– दाद, सोरायसिस, ऐक्जिमा जैसे चर्मरोग होने से भी खुजली होती है.

– गीले कपड़े पहनने से खुजली होती है.

– यदि किसी व्यक्ति को किसी चीज से ऐलर्जी है तो उस से खुजली हो सकती है.

– रूखी स्किन.

– चिलचिलाती धूप.

– इफैक्टेड व्यक्ति के संपर्क में आना.

 इन्फैक्शन से बचना जरूरी

जब दादखाज शरीर के अलग-अलग हिस्सों में एकसाथ हो जाए तो उसे ठीक कर पाना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. यह प्रौब्लम देखने में तो बहुत ही साधारण लगती है, लेकिन असल में किसी भी व्यक्ति को अत्यधिक परेशान करने के लिए काफी है. ऐसे वक्त व्यक्ति को खुजलाने के अलावा कुछ नजर नहीं आता है. खुजलाने से उस क्षण तो राहत मिल जाती है लेकिन यही राहत बाद में परेशानी को गंभीर करने का कारण बन जाती है, जिस से दाद या खाज की जगह इन्फैक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है. खुजली करने की जगह यदि इस का समय पर इलाज करा लिया जाए तो इसे बढ़ने से रोका जा सकता है.

दाद और खाज के बीच अंतर

आमतौर पर लोग दाद और खाज को एक ही बीमारी समझ बैठते हैं, लेकिन दोनों में काफी अंतर है. दाद एक चर्मरोग है, जिस में स्किन पर लाल चकत्ते उभर आते हैं, जिन का सही समय पर इलाज न करने पर वे शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैलने लगते हैं. दाद में अत्यधिक खुजली महसूस होती है, जिस के कारण व्यक्ति मजबूर हो कर जब दाद को खुजलाता है, तो उसे आनंद महसूस होता है, लेकिन यही आनंद कुछ ही वक्त में दाद को और फैलने में मदद करता है. वहीं अगर बात खाज की करें, तो खाजएक तरह का इन्फैक्शन है, जो अकसर उंगलियों के बीच, घुटनों के पीछे, कलाइयों और कूल्हों और प्राइवेट पार्ट के किनारों पर देखने को मिलता है. आमतौर पर यह अंगों के गीले रहने पर जन्म लेता है जैसेकि गीले मोजे पहनना, लगातार पसीना आना, बारबार पानी में जाना, गीले कपड़े पहनना, जरूरत से ज्यादा कसे कपड़े पहनना आदि.

क्या है इलाज

आजकल बाजार में हर बीमारी की दवा उपलब्ध है. यदि आप दादखाज से परेशान हैं, तो डाक्टर की सलाह से दवा का सेवन कर सकते हैं या जैल के उपयोग से इस प्रौब्लम से छुटकारा पा सकते हैं. दाद खाज की प्रौब्लम का शुरुआत में ही इलाज कराने से यह आसानी से ठीक हो जाती है, लेकिन इलाज में देरी करने से इसे ठीक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है. इस तरह की परेशानी होने पर चर्मरोग विशेषज्ञ से परमर्श लें.

पोर्न और सेक्स का खुला बाजार

सनी लियोनी को जिस तरह से भारतीय फिल्मों में करियर बनाने में कामयाबी मिली है, उस के बाद से कई पोर्न स्टार लड़कियां भारतीय इंडस्ट्री में आ कर करियर बनाना चाहती हैं.

रशियन पोर्न स्टार मिया मालकोवा हिंदी फिल्मों के जानेमाने फिल्मकार व डायरैक्टर रामगोपाल वर्मा की वैब सीरीज ‘गौड, सेक्स ऐंड ट्रुथ’ में काम कर चुकी हैं.

सोशल मीडिया पर इस के फोटो वायरल होने के बाद लोगों की बढ़ी दिलचस्पी से साफ है कि मिया मालकोवा को भी सनी लियोनी जैसी लोकप्रियता हासिल हो सकती है.

इस की सब से बड़ी वजह यह है कि भारतीय समाज अब पोर्न स्टार को ले कर अपनी पुरानी दकियानूसी सोच से बाहर निकल रहा है. सनी लियोनी को कलाकार के रूप में पैसा और शोहरत दोनों मिल रहे हैं.

सनी लियोनी को जब टैलीविजन के एक शो ‘बिग बौस’ में लाया गया था तो शो बनाने वालों पर आरोप लगा था कि वे अपने कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ाने के लिए सनी लियोनी का सहारा ले रहे हैं. उस समय पहली बार हिंदुस्तानी दर्शकों को पता चला था कि सनी लियोनी पोर्न फिल्मों की बहुत बड़ी कलाकार हैं.

पोर्न फिल्मों और उस के कलाकारों को हिंदुस्तानी दर्शक पसंद करेंगे, इस बात को ले कर एक शक सा सभी के मन में था. फिल्मी दुनिया के जानकार मान रहे थे कि पोर्न फिल्मों का विरोधी देश सनी लियोनी को कभी पसंद नहीं करेगा. खुद सनी लियोनी को भी यही लगता था.

कनाडा में पैदा हुई सनी लियोनी भारतीय मूल की पंजाबी लड़की हैं.

5 फुट, 4 इंच लंबी सनी लियोनी गोरे रंग की 50 किलो वजन की हैं. पोर्न फिल्मों में आने से पहले वे जरमन बेकरी में काम करती थीं. इस के बाद उन्होंने कुछ समय के लिए एक टैक्स फर्म में काम किया था. फिर उन की मुलाकात एक फोटोग्राफर से हुई जो पोर्न फोटो खींचता था.

उस फोटोग्राफर के कहने पर सनी लियोनी ने पोर्न फोटो शूट कराए, फिर यहीं से उन की पोर्न फिल्मों का सफर शुरू हो गया.

साल 2011 में सनी लियोनी ने डेनियल वेबर से शादी की. भारतीय फिल्म उद्योग में आने के बाद उन्हें भारी कामयाबी मिली.

पोर्न का देशी बाजार

सनी लियोनी के बाद भारतीय दर्शकों में पोर्न फिल्मों का क्रेज तेजी से बढ़ा है. विदेशों में पोर्न फिल्मों का उद्योग हिंदी फिल्मों जैसा ही है. इन फिल्मों के भी कलाकार होते हैं, जो दूसरे कलाकारों  जैसे होते हैं. उन का अपना घरपरिवार होता है.

अमेरिका के लौस एंजिल्स में पोर्न फिल्मों की शूटिंग के लिए पूरी तरह से कानूनी इजाजत दी जाती है. वहां साल में जितनी फिल्मों की शूटिंग के लिए इजाजत ली जाती है उन में से 5 फीसदी पोर्न फिल्में होती हैं.

भारत में भले ही पोर्न फिल्में बनाने के लिए कानूनी इजाजत न हो, पर चोरीछिपे पिछले 20 सालों से ऐसी फिल्मेंबनती रही हैं.

टैक्नोलौजी में बदलाव के साथसाथ पोर्न फिल्मों के कारोबार में भी बदलाव आया है. आज इंटरनैट, सीडी और मोबाइल फोन के जरीए पोर्न फिल्मों का मजा देश के हर तबके के लोग ले रहे हैं.

एक सर्वे के मुताबिक, इंटरनैट का इस्तेमाल करने वाले 80 फीसदी लोग कभी न कभी पोर्न फिल्में जरूर देखते हैं. 60 फीसदी लोग इस के पक्के दर्शक हैं. 20 फीसदीलोग इंटरनैट से पोर्न फिल्मों की खरीदारी करते हैं.

ज्यादातर लोग इंटरनैट पर ऐसी फिल्में देखते हैं, जिन के लिए उन को अलग से पैसा देने की जरूरत नहीं पड़ती है.

ज्यादातर हिंदुस्तानी दर्शक विदेशी पोर्न फिल्मों को पसंद करते हैं. कुछ ऐसे लोग भी हैं जो देशी पोर्न फिल्में देखने के आदी हैं. यही वजह है कि इंटरनैट पर देशी पोर्न फिल्मों की अलग साइटें तैयार होने लगी हैं.

विदेशों में बनती देशी पोर्न

अभी तक ज्यादातर देशी पोर्न फिल्में चोरीछिपे बनती थीं, जिन की फोटोग्राफी अच्छी नहीं होती थी. अब हिंदुस्तानी लड़केलड़कियों को ले कर विदेशों में फिल्में बनने लगी हैं. इन को सीडी और इंटरनैट के जरीए बेचा जा रहा है.

मुंबई में चोरीछिपे पोर्न फिल्में बनाने वाले भारतीय फिल्मकारों के लिए अब विदेशों में यह काम करना आसान हो गया है.

एक ऐसे ही फिल्मकार का कहना है, ‘‘अब पोर्न फिल्मों में काम करनेसे देशी लड़कियों को कोई परहेज नहीं है. कुछ शादीशुदा लड़कियां भी इस के लिए तैयार होती हैं.

‘‘देश के तमाम हिस्सों से मुंबई में काम की तलाश में आने वाली कुछ लड़कियां ऐसी फिल्मों में काम कर के पैसे कमाना चाहती हैं. सनी लियोनी के बाद इन को लगता है कि देश के लोग इन्हें भी इज्जत की नजर से देख सकते हैं. ये लड़कियां विदेशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग को तवज्जुह देती हैं.’’

देशी पोर्न फिल्मों में कालगर्ल भी काम करने को तैयार हो जाती हैं. इन में से ज्यादातर को अपना चेहरा दिखाने से कोई गुरेज भी नहीं होता है. ये विदेशी पोर्न फिल्में देख कर देशी पोर्न फिल्में तैयार कर लेती हैं.

देशी पोर्न फिल्मों का एक बड़ा क्षेत्र बैंकौक बन गया है. वहां पर देशी लड़कियों को ले कर पोर्न फिल्में तैयार हो रही हैं. इन लड़कियों को केवल शूटिंग करने के लिए ही बैंकौक भेजा जाता है. ऐसी पोर्न फिल्मों की बड़ी मांग अपने देश के अलावा पाकिस्तान, अरब देशों और नेपाल में होती है.

अरब देशों में पोर्न फिल्मों की शूटिंग भले ही न होती हो, पर वहां पर भी पोर्न फिल्मों की मांग सब से ज्यादा है. वे लोग पोर्न फिल्में खरीदने के लिए पैसा भी खर्च करते हैं.

कौमार्य भंग होती पोर्न फिल्मों की ज्यादा मांग अरब देशों में होती है. इस के साथ ही वहां सेक्स के दूसरे क्रूर तरीके दिखाने वाली फिल्में भी देखी जाती हैं.

ऐसे में अरब देश की औरतों के किरदार निभाने के लिए भी भारतीय लड़कियों का सहारा लिया जाता है. इन को मेकअप और कपड़ों से अरब देश की औरतों का लुक भी देने की कोशिश की जाती है.

भारतीय लड़कियां टूरिस्ट वीजा ले कर विदेशों में जाती हैं. वहां पोर्न फिल्मों की शूटिंग कर के वापस चली आती हैं.

इंटरनैट पर पोर्न फिल्मों के सहारे तमाम तरह के दूसरे सेक्स के सामान बेचने का सहारा भी लिया जाता है. इन के लिए पोर्न फिल्मों की साइटें सब से बड़ा सहारा बन गई हैं. इन सैक्सी इतिश्हारों में मर्द के अंग को लंबा और मोटा करने के लिए दवा, सैक्सी बातचीत करने वाली लड़कियों का प्रचार, पोर्न फिल्मों के कुछ सीन दिखा कर पूरी फिल्में और सैक्सी खिलौने बेचने का काम खूब होता है.

हर उम्र को लुभाती हैं

नैट बैंकिंग के शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में भुगतान करना आसान हो गया है. इन फिल्मों का सब से बड़ा दीवाना आज का नौजवान तबका है.

इस के अलावा 40 साल के बाद की उम्र के लोग भी पोर्न फिल्मों का पूरा मजा लेते हैं. अब लड़के ही नहीं लड़कियां भी इन को खूब देखती हैं.

वैसे तो भारत में सेक्स को ले कर ज्यादा भरोसे लायक सर्वे नहीं होते हैं, फिर भी जो होते हैं उन में से एक सर्वे से पता चलता है कि 30 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्में देखने का शौक रखती हैं. 38 फीसदी शादीशुदा लड़के और 20 फीसदी लड़कियां पोर्न फिल्मों को देखते हैं.

गांव और शहर के आधार पर जब इस का सर्वे किया गया तो पता चला कि शहरों के 35 फीसदी और गांव के 26 फीसदी लड़के पोर्न फिल्में देखते हैं.

लड़के जहां शादी से पहले अपने साथियों के साथ पोर्न फिल्में देखने की शुरुआत करते हैं, वहीं लड़कियां शादी के बाद पतियों की पहल पर पोर्न फिल्में देखती हैं.

शादीशुदा लड़कियों ने सर्वे में बताया कि उन के  पतिउन्हें पोर्न फिल्में सेक्स में बढ़ावा देने के लिए दिखाते हैं.

सर्वे से यह भी पता चलता है कि गांव के 17 फीसदी और शहरों में रहने वाले 10 फीसदी लड़के शादी से पहले सेक्स का अनुभव ले चुके थे.

गांव में रहने वाली 4 फीसदी लड़कियां और शहरों में रहने वाली 2 फीसदी लड़कियां शादी से पहले ही सेक्स का अनुभव कर चुकी होती हैं.

गांव हो या शहर, पोर्न फिल्मों का चलन बढ़ाने में मोबाइल फोन का सब से अहम रोल रहा है. मोबाइल फोन पर ऐसी फिल्में लोड करने का अलग कारोबार चल पड़ा है. 1,500 से 2,000 रुपए की कीमत में ऐसे मोबाइल फोन बाजार में आ गए हैं जिन में 2 जीबी से ले कर 10 जीबी तक के मैमोरी कार्ड लगते हैं. ये कार्ड 200 रुपए की कीमत में मिल जाते हैं. इस कार्ड में ऐसी पोर्न फिल्में आसानी से लोड कराई जा सकती हैं.

जिन लोगों के पास कंप्यूटर या लैपटौप जैसे महंगे साधन नहीं हैं उन के लिए मोबाइल फोन सब से अच्छा साधन बन गया है. पहले कुछ लोग साइबर शौप पर जाते थे, पर वहां परेशानी होती थी. अब जिन लोगों के मोबाइल फोन में इंटरनैट चलाने की सुविधा है वे सीधे पोर्न फिल्में देख सकते हैं.

जागरूक करतीं पोर्न फिल्में    

पोर्नोग्राफी और सेक्स ऐजूकेशन की किताबों के बीच एक बहुत ही महीन सी दीवार होती है. इस तरह की जानकारी काफी हद तक पतिपत्नी के बीच जिस्मानी संबंधों को ले कर फैली हुई भ्रांतियों को दूर करती है. इस को गलत तब कहा जा सकता है जब इस को गलत लोग देखें या फिर जबरदस्ती किसी लड़की या लड़के को दिखाएं.

पहले बड़ा परिवार होता था. इन में भाभी, बड़ी ननद, बूआ और बड़ी बहन जैसे तमाम रिश्ते होते थे जो लड़की को शादी के बाद जिस्मानी संबंधों के बारे में बताती थीं.

अब इस तरह के रिश्ते कम हो गए हैं. लड़कियां अपने करियर और दूसरे मसलों में इतना उलझी हुई होती हैं कि वे अपने परिवार के लोगों से इतना नहीं घुलमिल पाती हैं कि उन से जिस्मानी संबंधों पर बात कर सके. इस के चलते शादी के बाद जिस्मानी संबंधों को ले कर वे अनजान ही बनी रहती हैं.

जिन दोस्तों या सहेलियों के जरीए उन को पता चलता है, वह भी सही जानकारी नहीं दे पाते हैं. कभीकभी इन जानकारियों की कमी में लड़कियों को कुंआरी मां बनने तक की नौबत आ जाती है.

आमतौर पर अपने देश में इस तरह की सेक्स ऐजूकेशन को गलत माना जाता है. इस की कमी में लड़कियां सेक्स से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो जाती हैं.

अपने देश में भले ही सेक्स सिखाने वाली किताबों को पोर्नोग्राफी माना जाता हो लेकिन दूसरे देशों में इस को इलाज के रूप में लिया जाता है.

एक डाक्टर बताते हैं, ‘‘जब मेरे पास कोई लड़का इस बात की शिकायत ले कर आता है कि वह नामर्दी का शिकार है, उस के अंग में तनाव नहीं आता है तो यह देखना पड़ता है कि यह तनाव हमेशा नहीं आता या फिर कभीकभी आता भी है.

‘‘जब लड़का कहता है कि सेक्स की किताबें पढ़ कर या फिर ब्लू फिल्में देख कर तनाव आता है, तब यह पता चलता है कि उस लड़के की नामर्दी केवल मन का वहम है. अगर इस हालत में भी तनाव नहीं आता है तो उस का इलाज थोड़ा मुश्किल हो जाता है.’’

विदेशों में पोर्नोग्राफी को ले कर कई तरह की रिसर्च होती रहती हैं. इसी तरह की एक रिसर्च बताती है कि ब्लू फिल्में देखने से आदमी के शुक्राणुओं की गति तेज हो जाती हैं.पोर्नोग्राफी को विदेशों में  एक कला की तरह देखा जाता है. कुछ कलाकार तो दूसरी फिल्मों में भी काम कर के अपना नाम कमाते हैं.

सेक्स संबंधों की काउंसलिंग करने वाले कुछ डाक्टरों का कहना है कि अपने देश में भी पोर्न फिल्मों को दिखा कर नामर्दी का इलाज करना कानूनी रूप से सही माना जाना चाहिए. कानून को इस बात की इजाजत देने के बारे में सोचना चाहिए. जब नामर्दी दूर करने के लिए दवाएं बनाई जाती हैं तो उन का असर देखने के लिए भी ब्लू फिल्मों का इस्तेमाल किया जाता है.

पोर्नोग्राफी का इस्तेमाल जब पतिपत्नी आपसी समझदारी के साथ करते हैं तो उन के रिश्ते रोचक हो जाते हैं. सेक्स संबंध शादीशुदा जोड़ों की बड़ी जरूरत होते हैं. कभीकभी जब ये संबंध टूटते हैं तो इन का असर शादीशुदा जिंदगी पर भी पड़ता है.

हमारे समाज में औरतों को सेक्स के बारे में अपनी बात कहने से रोका जाता है. इस के उलट आदमी सेक्स को ले कर हर तरह का प्रयोग करना चाहता है.

जब पतिपत्नी के बीच इस तरह की परेशानी आती है तो पति दूसरी औरत की तरफ भागने लगता है. अगर दूसरी औरत वाले मामले को देखें तो उस की सब से बड़ी वजह सेक्स ही है.

हमारे समाज में औरतों को कभी बराबरी का दर्जा नहीं दिया गया. कभी उस को देवी बना दिया गया तो कभी कोठे पर बिठा दिया गया. उस को अपनी जिंदगी जीने के बारे में सिखाया ही नहीं गया.

आज भी सेक्स को ले कर पत्नी में एक झिझक रहती है. उस को लगता है कि अगर सेक्स को ले कर उस ने पहल की तो उसे ही बदचलन मान लिया जाएगा. इसलिए वह चुप ही रहती है.

इस तरह के जोड़ों में तनाव और लड़ाईझगड़ा ज्यादा होता है. जिन लोगों की सेक्स जिंदगी ठीक होती है, वे हंसीखुशी व तालमेल के साथ रहते हैं.

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