परिधि की हत्या से कोटा में मचे जबरदस्त कोहराम के बाद अब आरोपी गौरव जैन की गिरफ्तारी का मामला पुलिस की नाक का सवाल बन गया था. कोटा के विधायक और शहरी विकास मंत्री शांति धारीवाल की चेतावनी के बाद पुलिस और मुस्तैद हो गई थी.बुधवार 16 फरवरी, 2022 को आईजी रविदत्त और एसपी केसरसिंह शेखावत द्वारा बुलाई गई महत्त्वपूर्ण बैठक में ऐसे मामलों में तहकीकात की परंपरागत रणनीति में बदलाव करते हुए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. कोटा पुलिस ने 200 पुलिसकर्मियों को शामिल करते हुए 29 टीमें बनाईं.
कोटा पुलिस ने दूसरी बार किसी हत्यारे को पकड़ने के लिए यह रणनीति दोहराई थी. इस से पहले वर्ष 2013 में रुद्राक्ष हत्याकांड में पुलिस को कमोबेश इतना ही दलबल इस्तेमाल किया था.टीम का नेतृत्व एडिशनल एसपी स्तर के 6 अधिकारियों को सौंपा गया. इस के अलावा कोटा रेंज के 6 सीओ स्तर के अधिकारियों 20 थानाप्रभारियों को भी शामिल कर लिया गया.पुलिस ने एडिशनल एसपी भगवत सिंह हिंगड़, संजय जैन और उमा शर्मा समेत पुराने और अनुभवी अफसरों को भी टीम में शामिल किया. अपराधी के भागने के रास्ते, सीसीटीवी कैमरे खंगालने तथा मंदिरों और रिश्तेदारों के घरों की खोजबीन करने में माहिर पुलिस अफसरों को भी शामिल किया गया. पुलिस ने खासकर जैन मंदिरों और जैन धर्मशालाओं को खंइस बीच छात्रा की हत्या के मामले में मैडिकल बोगालने के लिए अलग से फोर्स लगाई.
र्ड द्वारा किए गए पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया कि गला घोटने की वजह से छात्रा की मौत हुई. मैडिकल टर्म में इसे दम घुटना यानी ‘एस्फिक्सिया’ कहा जाता है. छात्रा के जिस्म पर 6 चोंटें पाई गईं. इस का मतलब छात्रा ने आरोपी से बचाव के लिए काफी संघर्ष किया था.पुलिस के खोजी दस्तों को पहली कामयाबी मंगलवार 15 फरवरी को मिली. गौरव की स्कूटी केशवराय पाटन रोड पर
टोल प्लाजा से आगे एक खंडहरनुमा मकान में मिली. आरोपी पर किया ईनाम घोषित
पुलिस को इस का संकेत सीसीटीवी कैमरों से मिला था. इस से समझा गया कि गौरव स्कूटी ले कर नयापुरा, रंगपुर होता हुआ नार्दर्न बाईपास से केशवरायपाटन मार्ग पर पहुंचा और वीरान खंडहर में स्कूटी छोड़ कर भाग गया.
पुलिस ने उस के आत्महत्या किए जाने के अंदेशे में चंबल की नहरों को भी खंगाला, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. इस बीच बुधवार 23 फरवरी को नयापुरा स्थित विवेकानंद चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरों में एक संदिग्ध सा फोटो कैद हुआ. कपड़ों और चालढाल से बेशक वो युवती लगती थी. लेकिन कई बातें उस के मर्दाना होने की चुगली कर रही थीं.पुलिस को मानना पड़ा कि हो न हो, वह युवती के वेश में गौरव हो सकता है. इसी वजह से वह पुलिस को लगातार गच्चा दे रहा है. अब पुलिस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए इस ऐंगल पर खोजबीन शुरू कर दी.
उधर छात्रा की हत्या पर शहर भर में विरोध प्रदर्शन के कारण दबाव में आई पुलिस का आरोपी की सूचना देने वाले को 10 हजार का ईनाम देने की घोषणा करनी पड़ी. जबकि एक कोचिंग संस्थान ने आरोपी को पकड़ने के लिए एक लाख के ईनाम की घोषणा कर दी.शहर में बढ़ते आक्रोश के कारण शहरी मंत्री शांति धारीवाल तुरतफुरत कोटा पहुंचे और एसपी को नए सिरे से टीम गठित करने के आदेश दिए. दबाव से आजिज आए धारीवाल को यहां तक कहना पड़ा कि क्या हमें जयपुर से एडीजी स्तर के अधिकारियों को यह काम सौंपना पड़ेगा.
शहरी मंत्री शांति धारीवाल ने पीडि़त परिवार को सांत्वना देते हुए दिलासा दी और छलक आए आंसुओं पर काबू पाते हुए भरोसा दिलाया कि परिधि के हत्यारे को पकड़ने के लिए नए सिरे से पुलिस की एक और टीम गठित होगी. एडीजे स्तर के पुलिस अफसरों को भी जयपुर से कोटा भेजा जाएगा.परिधि के परिजनों के पास पहुंचने से पहले धारीवाल ने पुलिस अधिकारियों की भी बैठक ली और उन से अब तक की प्रगति की जानकारी ली.आखिरकार पुलिस की कोशिश रंग लाई. छात्रा की हत्या के आरोपी गौरव को पुलिस ने घटना के नौवें दिन सोमवार 21 फरवरी को गुरुग्राम में गिरफ्तार कर लिया. गौरव के रिश्तेदारों की निगाहबीनी से ही पुलिस को सफलता मिली.
सोमवार की रात गौरव गुरुग्राम स्थित अपनी बहन के घर पहुंचा, इस से पहले कि वह घर में दाखिल होता पुलिस ने उसे बाहर से ही दबोच लिया. गौरव इस बात से बेखबर था कि उस की बहन गुरुग्राम में नहीं, बल्कि टोंक में स्थित अपनी ससुराल गई हुई थी.गौरव की गिरफ्तारी सीओ अमर सिंह और साइबर सेल के इंचार्ज प्रताप सिंह के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा की गई. एसपी केसर सिंह शेखावत ने शहरी विकास मंत्री धारीवाल को इस बात की जानकारी दी, तब उन्होंने चैन की सांस ली.इस गिरफ्तारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही इस खबर की पुष्टि हुई, धारीवाल ने
परिधि के परिजनों को सूचना देने के लिए फोन लगाया.
लेकिन जब उन का फोन नहीं लगा तो धारीवाल ने अपने विश्वस्त बाल कल्याण समिति के सदस्य अरुण भार्गव को फोन कर सूचना दी और अजय जैन के घर जा कर भार्गव ने इस बात पर अमल करते हुए परिधि के घर वालों को सूचना देते हुए शहरी विकास मंत्री धारीवाल से उन की बात करवाई.
रिमांड अवधि में पुलिस ने गौरव से परिधि की हत्या के संबंध में पूछताछ की. पूछताछ के बाद परिधि की हत्या की जो कहानी सामने आई, हैरान कर देने वाली निकली—
लगभग 26 वर्षीय गौरव सर्राफा व्यापारी जितेंद्र जैन का इकलौता बेटा था. इसलिए वह चाहते थे कि पढ़लिख कर जवान हो चुका बेटा उन के कामकाज में हाथ बंटाना शुरू कर दे. लेकिन गौरव की पुश्तैनी व्यवसाय में रुचि न देख कर जितेंद्र जैन ने उस पर ज्यादा दबाव देना उचित नहीं समझा.
गौरव की रुचि पढ़नेपढ़ाने में थी, इसलिए उस ने घर पर ही ट्यूशन सेंटर खोल लिया. कोटा वैसे भी कोचिंग संस्थानों के लिए प्रसिद्ध रहा है, ऐसे में कई घरेलू ट्यूशन सेंटर भी कमाखा रहे थे.
फिलहाल उस का रुझान लड़कियों की तरफ था, इस की वजह जो गौरव का मानना था कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां पढ़ाई में दिलचस्पी लेती हैं.अभी उस के पास 4 लड़कियां ट्यूशन के लिए आती थीं. परिधि भी उन में से एक थी. परिधि और गौरव के घर वालों के बीच काफी घनिष्ठता थी.15 वर्षीय परिधि आईआईटी की तैयारी कर रही थी. परिधि सुंदर और स्मार्ट थी, पढ़ाई के प्रति उस की तन्मयता और लगन ने भी गौरव को काफी प्रभावित किया था. गौरव दिनोंदिन परिधि के प्रति गहरा आकर्षण अनुभव करने लगा था. ट्यूशन का समय हालांकि 2 घंटे का था. लेकिन गौरव अकसर उसे ट्यूशन के बाद भी कुछ देर के लिए रोकने लगा था.
लड़कियों को इस में अटपटा नहीं लगता था. स्वाभाविक रूप से उन की सोच थी कि पारिवारिक घनिष्ठता की वजह से गौरव परिधि को ज्यादा समय देना चाहता होगा. परिधि किशोरावस्था के उस दौर में थी, जब लड़कियां सब कुछ समझ कर भी सीधे तौर पर ‘ना’ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पातीं.इशारों से बहुत कुछ कहने के बाद भी जब गौरव को परिधि की तरफ से कोई तवज्जो नहीं मिली तो उस ने एक दिन खुल कर कह दिया, ‘‘परिधि, क्या तुम मेरा मन नहीं पढ़ पा रही हो. मेरे दिल की धड़कनों में अब तुम ही रचबस गई हो. क्या तुम भी ऐसा महसूस नहीं कर रही हो?’’
गौरव की बारबार की रट से आजिज आ चुकी अब तक संकोचवश चुप्पी साधे हुए परिधि का धैर्य भी एक दिन जवाब दे गया. उस ने पारिवारिक रिश्तों और उस के शैक्षिक स्तर का मान रखते हुए रूखे लफ्जों में कह दिया, ‘‘सर, इस तरह का प्रस्ताव आप को शोभा नहीं देता. मेरी उम्र अभी ऐसी फालतू बातों के सोचने की नहीं है. मुझे अपने करिअर पर ध्यान देना है.’’ परिधि ने पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘‘आप ने आइंदा फिर कोई बात की तो मैं ट्यूशन पर आना छोड़ दूंगी.’’
इस के साथ ही परिधि उठने को हुई तो गौरव ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘परिधि, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता. मेरे प्यार को इस तरह मत ठुकराओ. मेरे अंदर डर बैठ गया है, अगर तुम मुझे नहीं मिली तो मेरा क्या होगा?’’इस बार परिधि बुरी तरह भड़क उठी. गौरव से अपना हाथ छुड़ाते हुए उस ने कहा, ‘‘निर्लज्जता की भी हद होती है. आप को अपने मानसम्मान का भी ध्यान नहीं है.’’ आंखें तरेरते हुए परिधि अब गौरव पर बुरी तरह बरस पड़ी, ‘‘सोचो, अगर मैं ने घर वालों को तुम्हारी करतूत बता दी तो क्या होगा तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का.’’इस के साथ ही बुरी तरह झल्लाते हुए परिधि फुरती से सीढि़यां उतर गई.
परिधि की फटकार से बुरी तरह आहत और अपमानित गौरव की आंखें क्रोध से दहक उठीं, उस के मुंह से शब्दों का लावा उबल पड़ा, ‘परिधि, अगर तुम मेरी नहीं हो सकी तो किसी की भी नहीं हो सकोगी, यह मेरा वादा रहा.’परिधि जा चुकी थी, उस ने यह सब नहीं सुना. उस की बड़बड़ाहट जारी थी, ‘परिधि तूने अब तक मेरा प्यार देखा है, अब मेरा खौफ भी देखना. ऐसा सबक सिखाऊंगा कि किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहोगी.’अगले 2-3 दिन परिधि ट्यूशन से कन्नी काट गई. मां ने पूछा तो यह कह कर टाल गई कि मम्मी लगातार पढ़ने से सिरदर्द होने लगता है. कुछ दिन ट्यूशन नहीं जाऊंगी तो ठीक हो जाएगा. घर वालों को उस ने सच्चाई नहीं बताई.
अब जबकि इस लालसा में रंजिश का जहर घुल गया था. तो परिधि के आए बिना कैसे बात बनेगी. 3 दिन बाद उस ने परिधि को फोन करते हुए उस से माफी मांगी, ‘‘सौरी परिधि, मैं बहक गया था. अब आइंदा ऐसा नहीं होगा. तुम ट्यूशन पर आना मत छोड़ो.’’ परिधि को भी इत्मीनान हो गया कि गौरव ने अपनी भूल सुधार ली है. उस ने फिर से ट्यूशन जाना शुरू कर दिया.
गौरव ने बुन लिया पूरा तानाबाना
अब जबकि परिधि ने ट्यूशन पर आना शुरू कर दिया था तो गौरव ने भी परिधि से अपनी बात मनवाने का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया. अब वह मुनासिब वक्त का इंतजार करने लगा. उस ने तय कर लिया था कि पहले वह परिधि को प्रपोज करेगा, लेकिन अगर उस ने बात नहीं मानी तो उस की हत्या कर के भाग जाएगा.
गौरव ने तय कर रखा था कि वह लड़की का वेश बना कर निकलेगा तो पुलिस लाख सिर पटकने के बाद भी उसे नहीं पकड़ पाएगी. उस की योजना सिक्किम जा कर नई जिंदगी शुरू करने की थी, जहां से उसे पकड़ना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था.
लड़की जैसा दिखने के लिए उस ने ‘यूट्यूब’ में कई वीडियो देखे और पूरी तरह नकल करने का अभ्यास कर लिया. इस के लिए उस ने गुमानपुरा बाजार से स्कार्फ, ग्लव्ज, चश्मा आदि सामान खरीद लिया.
परिधि के इनकार की स्थिति में उसे बांधने के लिए कुछ रस्सियां भी उस ने इकट्ठी कर के रख लीं. गौरव का इंतजार फरवरी की 13 तारीख को खत्म हुआ. उस दिन रविवार था, उस के घर वालों को शादी में जाना था. ऐसे में घर में कोई नहीं रहेगा.
दिमाग में बैठ गया था परिधि
को पाने का फितूर
रविवार छुट्टी के बावजूद उस ने एक्स्ट्रा क्लास के बहाने परिधि को बुलाना तय कर लिया था. एक दिन पहले छावनी चौराहे पर स्थित प्राइवेट ट्रैवल एजेंसी पर मीनाक्षी के नाम से उस ने हरिद्वार के लिए टिकट बुक करवा ली थी.
रविवार 13 फरवरी को ट्यूशन के लिए पहुंची परिधि जैसे ही गौरव के सामने किताबें खोल कर बैठी, उस ने योजना के मुताबिक मिन्नतें करते हुए प्रपोज किया, ‘‘परिधि, मैं तुम से सिर्फ एक शब्द सुनना चाहता हूं, हां या ना.’’
एक पल रुकते हुए उस ने कहा, ‘‘अगर तुम मेरी नहीं हो सकी तो ध्यान रखना, किसी की नहीं हो सकती.’’
इस से पहले कि गौरव कुछ और कहता, परिधि गुस्से से बुरी तरह उबल पड़ी, ‘‘तुम इंसान तो हो ही नहीं, भेडि़ए हो, जो मौका देख कर भले ही दुम दबा लेता है, लेकिन अपनी हवस के लिए पैने दांत गड़ाने में देर नहीं करता. बहुत हो चुकी ट्यूशन और बहुत हो चुकी पढ़ाई. आइंदा अपनी मनहूस सूरत दिखाने की कोशिश मत करना.’’ कहते हुए परिधि पांवों से स्टडी डेस्क ठेलती हुई बाहर की तरफ बढ़ी.
लेकिन इस से पहले कि परिधि दरवाजा लांघ पाती, गौरव ने फुरती से आगे बढ़ कर उसे दबोच लिया, ‘‘तुम मुझे ठुकरा कर कैसे जाओगी.’’
इस के साथ ही गौरव उसे फर्श पर गिरा कर उस के साथ जबरदस्ती की कोशिश करने लगा.
परिधि ने बचाव के लिए पूरी ताकत से हाथपैर मारे, लेकिन गौरव ने उस के बाल पकड़ कर घसीट दिया. परिधि खूब चीखीचिल्लाई, लेकिन वहां उस की सुनने वाला था कौन? गौरव एक बार फिर चीखा और बालों से घसीटते हुए प्रलाप करने लगा, ‘‘तुम मेरी नहीं हो सकती तो किसी की नहीं हो सकती.’’
पगलाए सांड की तरह गौरव परिधि को खामोश करने के लिए उस का गला दबाता चला गया. यहां तक कि उस की जीभ बाहर निकल आई. चीखपुकार खत्म हो चुकी थी. परिधि अब मृत देह में बदल गई थी.
उखड़ती सांसों पर काबू पाते हुए गौरव ने परिधि की मौत को खुदकुशी का रूप देने के लिए हाथपैर और गला रस्सियों से कस दिया और उसे खिड़की से लटका दिया.
उसे अब शहर से बाहर भागना था. पहले उस ने औरतों वाला सामान काबू किया, लेकिन तभी ठिठक गया. पैसों का जुगाड़ तो उस ने किया ही नहीं था.
कमरे का ताला बंद करने के बाद वह मां के कमरे की दराज टटोलते हुए 9 हजार रुपए ले लिए. उस कमरे को भी ताला लगाया और नीचे दौड़ा. अब तक साढ़े 12 बज चुके थे. उस ने परिधि की मां को फोन किया कि आ कर उसे ले जाए.
आननफानन में उस ने स्कूटी निकाली और बाहर निकल गया. उस ने अपना मोबाइल किशोर सागर तालाब में फेंक दिया. स्कूटी से वह केशोरायपाटन रोड वीरान खंडहर तक पहुंचा. स्कूटी वहां छोड़ने और स्त्री रूप धरने के बाद एक स्कूटर सवार से लिफ्ट ले कर नयापुरा पहुंच गया. यहीं बस में रिजर्वेशन पहले से ही था.
बस में बैठ कर वह हरिद्वार पहुंच गया. बहन के घर तो वह पैसे खत्म हो जाने के कारण पहुंचा था, लेकिन पुलिस के हत्थे चढ़ गया. सूत्रों का कहना है कि पुलिस की इस सफलता के पीछे उस के मुखबिर तंत्र की सक्रियता ज्यादा कारगर रही. उस ने हरिद्वार पहुंच कर स्त्री वेश को तिलांजलि दे दी और बाल कटवा कर चालढाल भी बदल ली थी. बेशक वह अपनी पहचान छिपा रहा था, लेकिन मुखबिर पुलिस को पलपल की सूचना दे रहे थे.
मुखबिर की सूचना पर ही पुलिस उसे गुरुग्राम में उस की बहन के घर से गिरफ्तार कर सकी. पुलिस अधिकारी इस बात को ले कर काफी हैरान थे कि गौरव का पिछला कोई आपराधिक रिकौर्ड भी नहीं रहा, फिर भी कैसे वह पुलिस को बारबार गच्चा देने में कामयाब रहा. पुलिस ने इस मामले में एक हजार पेज की चार्जशीट पेश की. कथा लिखे जाने तक वह न्यायिक अभिरक्षा में था