सबूत मिलने पर मनीषा ने कुबूला जुर्म
अधिकारियों के निर्देश पर सेना के हवलदार प्रवीण के कातिलों को रंगेहाथ पकड़ने की योजना उन्होंने बनाई थी. योजना के मुताबिक, टारगेट पर उन्होंने मृतक की पत्नी मनीषा को ले रखा था. शक के दायरे में मनीषा तो पहले से ही आ चुकी थी लेकिन पुलिस के पास उस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, इसलिए उस की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी.
मनीषा के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने उस के मोबाइल फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही एक आधार बचा था मनीषा की नाक में नकेल कसने
के लिए.
18 फरवरी, 2022 को पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी. दीपक ने मनीषा को उस के नंबर पर फोन कर के अपने प्यार का इजहार किया और मनीषा ने भी प्रेमी को विश किया था. बस, यही चूक पुलिस की कामयाबी की सीढ़ी बनी.
इसी आधार पर पुलिस ने 18 फरवरी को मनीषा और उस के प्रेमी दीपक को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई. थाने में दोनों से अलग तरीके से कड़ाई से पूछताछ की गई, जहां पुलिस के सामने दोनों ही टूट गए और अपना गुनाह कुबूल कर लिया.
घटना से परदा उठाती हुई मनीषा ने बताया, ‘‘साहब, उसे मैं नहीं मारती तो वह हम दोनों को मार डालता. पति को हमारे प्यार के बारे में पता चल चुका था. उस ने साफ कह दिया था कि अब उसे हमारी जरूरी नहीं है. तुम ने समाज, बिरादरी में हमारी इज्जत उछाल दी है, इसलिए मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं. पति की धमकी से मैं बुरी तरह डर गई थी साहब, इसलिए योजना बना कर मैं ने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया.’’बहरहाल, हवलदार प्रवीण कुमार हत्याकांड की कहानी पुलिस पूछताछ में कुछ इस तरह से सामने आई—
35 वर्षीय प्रवीण कुमार हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बाढड़ा थानाक्षेत्र के गांव डूडीवाला किशनपुरा का मूल निवासी था. वह मेरठ में भारतीय सेना में हवलदार था. उस का अपना भरापूरा परिवार था. अपने परिवार से वह बेहद खुश था. परिवार में 12 साल की एक बेटी और 10 साल का एक बेटा था.
वैसे मनीषा और प्रवीण की शादी करीब 15 साल पहले हुई थी. मनीषा बेहद खूबसूरत थी. गोरीचिट्टी, इकहरे बदन की करीब साढ़े 5 फीट लंबी. लंबे काले बाल, झील सी
गहरी आंखें.
ऐसी सुंदर पत्नी पा कर प्रवीण बेहद खुश था. यही नहीं, मनीषा को भी पति पर नाज था कि वह देश की सरहद की रक्षा करने वाले जवान की पत्नी है.
चचेरे देवर दीपक से हो गया प्यार
बहरहाल, समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा. इस दौरान मनीषा 2 बच्चों की मां बन गई. प्रवीण का पारिवारिक जीवन बेहद सुखमय बीत रहा था. कब सफल जीवन के 15 साल यूं ही बीत गए, न तो प्रवीण को पता चला और न ही मनीषा को.इसी बीच दोनों के दांपत्य जीवन में दीपक नाम का नाग कुंडली मार कर बैठ गया, जो प्रवीण का जीवन लील गया.दीपक प्रवीण का चचेरा भाई था, जो पड़ोस में रहता था. ग्रैजुएशन कर चुका दीपक अभी कुंवारा था. कोई अच्छी नौकरी पा लेने के बाद उस ने शादी का मन बनाया था. सरकारी नौकरी पाने के लिए वह कंपीटिशन की तैयारी में जुटा हुआ था.दीपक की प्रवीण के साथ खूब निभती थी. चूंकि दीपक उस का चचेरा भाई था, इस रिश्ते से दीपक का प्रवीण के घर में आनाजाना था. जब चाहता, वह बेधड़क घर में चला जाता था. पूरा घर घूम कर चला आता था.
जब भी वह घर में दाखिल होता था, भतीजी और भतीजे को अपने शब्दों से गुदगुदाया करता था. बच्चों के पास बैठी मनीषा भी देवर की बातें सुनसुन कर लुत्फ उठाती थी.
भाभी का खिलखिला कर हंसना दीपक के कोरे मन पर गहरा असर डालता था. पता नहीं क्यों वह अपनी भाभी को हंसते देखता तो वह मुग्ध हो जाता था और उस के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ पड़ती थी.
मनीषा को भी देवर दीपक का उसे आशिकी की नजरों से देखना पता नहीं क्यों अच्छा लगने लगा था.
एक दिन मनीषा दीपक से सवाल कर बैठी थी, ‘‘क्या बात है देवरजी, आजकल देख रही हूं मैं कि आप मेरी जवानी को बड़ी आशिकी नजरों से देखते हैं.’’
‘‘नहीं तो भाभीजी, ऐसी कोई बात नहीं है, जैसा आप समझती हैं.’’ सकपकाते हुए दीपक ने उत्तर दिया.
‘‘क्यों झूठ बोलते हो देवरजी, पुरुषों के हावभाव से औरत पहचान जाती है कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है. मैं सब जानती हूं कि आप के मन में क्या चल रहा है.’’ शरारत भरे शब्दों से दीपक के मन को मनीषा ने टटोलने की कोशिश की.
‘‘मैं ने कहा न भाभी, आप जैसा सोच रही हैं, ऐसी कोई बात नहीं है. फिर आप मेरी अच्छी दोस्त भी हैं तो भला आप से क्या छिपाना? अगर कोई बात मेरे मन में चल रही होगी तो मैं सब से पहले आप से ही शेयर करूंगा.’’ दीपक बोला.‘‘पक्का न,बात जरूर शेयर करेंगे मेरे से.’’ मनीषा ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘हां..हां..हां…मैं जरूर शेयर करूंगा आप से.’’दीपक मनीषा से था 10 साल छोटा
दीपक बात कहने को कह तो गया था लेकिन हकीकत में अपने से 10 साल बड़ी भाभी मनीषा से वह दिल लगा बैठा था. दीपक ने अपने मन के सौफ्ट कोने में मनीषा के लिए प्यार का घर बना लिया था. वह अपनी भाभी से प्यार करने लगा था. मनीषा ने दीपक के मन की बात अपनी आंखों से पढ़ ली थी.
वह जान चुकी थी कि दीपक उस से प्यार करने लगा है तो मनीषा भी खुद को ना नहीं कर सकी. वह भी दीपक के प्यार में पतंग बनी डोर के समान लिपट गई.
15 साल पहले फेरे लेते समय उस ने अग्नि के समक्ष जो कसमें खाई थीं, 3 महीने के प्यार के सामने भूल गई. पति को दिया वचन याद नहीं रहा. उसे याद रहा तो बस अपने से 10 साल छोटे प्रेमी का प्यार. मनीषा यह भी भूल गई कि वह 2 बच्चों की मां है. कहीं इस प्यार वाले रिश्ते की सच्चाई समाज में जाहिर हुई तो उन का क्या होगा.
कहते हैं, प्यार अंधा होता है. मनीषा भी दीपक के प्यार में अंधी हो चुकी थी. उस के सिर पर दीपक के प्यार का भूत इस कदर सवार था कि उसे दीपक के सिवाय कुछ नहीं दिख रहा था. दीपक का भी हाल कुछ ऐसा ही था.
मोहब्बत की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी. पति नौकरी पर घर से दूर था. उन्हें मिलने से भी कोई रोक नहीं सकता था. दीपक का घर में आनाजाना तो बराबर था ही. वे देवरभाभी के रिश्तों की आड़ में घिनौना खेल खेल रहे थे.
बात इसी साल जनवरी की है. दोपहर का वक्त था. मनीषा घर में अकेली थी. उस के दोनों बच्चे स्कूल गए हुए थे. ठंड से कांपती मनीषा बैड पर बैठी रजाई में दुबकी हुई थी. तभी दीपक वहां आ पहुंचा. दीपक को देख कर उस का चेहरा खिल उठा. यही हाल दीपक का भी था.
मनीषा ने दीपक को इशारा कर के अपने पास रजाई में बैठने के लिए बुलाया तो दीपक का दिल धड़कने लगा. फिर उसे निहारते हुए उस के करीब रजाई में बैठ गया.अनुभवी मनीषा ने दीपक को पढ़ा दिया कामकला का पाठ
मनीषा के गरम जिस्म से जब दीपक का बदन स्पर्श हुआ तो उसे असीम आनंद की अनुभूति हुई. उधर मनीषा का रोमरोम खिल उठा था. फिर दीपक आहिस्ताआहिस्ता मनीषा की ओर बढ़ता चला गया और मनीषा उस के प्यार में डूबती हुई बिछती चली गई. पलभर में एक तूफान उठा और रिश्तों की मर्यादा को कलंकित कर गया.
दीपक और मनीषा को जब होश आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पहली बार औरत के जिस्म का स्वाद चख कर दीपक का रोमरोम खिल उठा था. उस दिन के बाद से दोनों को जब भी मौका मिलता था, जिस्मानी रिश्ता बना लेते थे.लेकिन दोनों का यह खेल ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका. किसी स्रोत से यह जानकारी मेरठ में नौकरी कर रहे हवलदार प्रवीण को हो गई थी. पत्नी की अनैतिकता और चरित्रहीनता की कहानी सुन कर प्रवीण को बहुत गुस्सा आया.
पत्नी को सबक सिखाने के लिए नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी ले कर प्रवीण जनवरी 2022 के आखिरी सप्ताह में अपने घर आया. घर आया तो जरूर लेकिन वह पत्नी को उस के प्रेमी के साथ रंगेहाथ पकड़ना चाहता था, इसलिए प्रवीण ने पत्नी को कुछ नहीं बताया कि उस के अनैतिक रिश्तों की जानकारी उसे मिल चुकी है, नहीं तो वह सतर्क हो जाती.
प्रवीण ने पत्नी को पकड़ लिया रंगेहाथ
आखिरकार 3 फरवरी, 2022 की रात उस समय प्रवीण ने पत्नी को उस के प्रेमी के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया था, जब वह किचन में आटा गूंथ रही थी और उस का प्रेमी दीपक उस से लिपटा हुआ था.
यह देख कर प्रवीण के तनबदन में आग सी लग गई. प्रवीण ने दोनों को जम कर लताड़ा. माहौल गरम देख कर दीपक दबेपांव वहां से अपने घर लौट गया तो प्रवीण ने पत्नी को डांटा, फटकार लगाई और जम कर मारा भी. प्रवीण ने उसे अपने साथ रखने से इंकार कर दिया. पति के इस फैसले से मनीषा बुरी तरह डर गई.
चूंकि मनीषा जानती थी कि उस ने जो किया था, वह गलत था. अगर पति ने उसे छोड़ दिया तो वह कहां जाएगी. समाज में किसे मुंह दिखाएगी. उसी वक्त उस के दिमाग में एक खतरनाक योजना ने जन्म लिया. उस ने तय कर लिया कि इस राज को राज रखना है तो पति को मारना होगा, वरना वह मुझे मार डालेगा.
फिर क्या था, उस ने नारी रूप का जाल फैलाया और आंखों में घडि़याली आंसू भर पति को मनाने में सफल हो गई. उस ने अपने किए की पति से माफी मांगी और उसे भरोसा दिलाने में कामयाब हो गई कि अब दीपक से उस का कोई वास्ता नहीं होगा. पत्नी के माफी मांगने पर प्रवीण का दिल पसीज गया और उस ने सच्चे दिल से उसे माफ कर दिया.
मनीषा यही चाहती भी थी. मामला जब पूरी तरह शांत हो गया तो उस ने पति से कहा, ‘‘आप हाथमुंह धो लीजिए, मैं आप के लिए खाना परोस कर लाती हूं.’’
प्रवीण क्या जानता था कि यह निवाला उस के जीवन का आखिरी निवाला होगा. उस ने जिसे अपने शरीर का आधा अंग समझ कर माफ कर दिया था, वही उस के जीवन को लील लेगी.खैर, पति को मना कर कमरे में भेज दिया. दोनों बच्चे खाना खा कर पहले ही दूसरे कमरे में सो चुके थे. मनीषा कमरे में गई और चुपके से अलमारी से नींद की गोली का पूरा पत्ता निकाल कर रसोई में पहुंची. फिर सभी गोलियों का चूर्ण बना कर आधीआधी कर के दाल और सब्जी की कटोरी में डाल कर अच्छी तरह मिला दिया ताकि दवा पूरी तरह मिक्स हो जाए और अपना असर तुरंत दिखाए.
प्रवीण ने खाना खाया और अपने कमरे में सोने चला गया. बिस्तर पर लेटते ही वह गहरी नींद के आगोश में चला गया. पति के गहरी नींद में आने के बाद मनीषा ने उसे हिलाडुला कर देखा कि कहीं वह अपने मकसद में अधूरी तो नहीं रह गई है. लेकिन वह अपनी चाल में सफल हो चुकी थी.
पति के नींद में जाने के बाद मनीषा ने दीपक को फोन कर के बुलाया. जब दीपक मनीषा के घर पहुंचा तो उस ने सारी योजना उसे बता दी. योजना के मुताबिक, दीपक ने सो रहे प्रवीण के पैर दबोचे तो मनीषा ने अपने हाथों से पति का गला घोट दिया.
पलभर के लिए फौजी प्रवीण के मुर्दे जिस्म ने हरकत की, फिर वह शांत हो गया. मनीषा को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उस का पति मर चुका है. फिर उस ने तौलिया पति के मुंह पर रख कर उसे तब तक दबाए रखा जब उसे यकीन हो गया कि प्रवीण सचमुच मर चुका है.उस के बाद दोनों ने सबूत मिटाने के लिए तौलिया और नींद वाली दवा की रैपर उसी रात जला दिए ताकि कोई भी सबूत पुलिस के हाथ न लगे और उन्हें जेल जाना पड़े.
लेकिन दोनों की छोटी सी गलती ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. इश्क की बिसात पर बिछाई खतरनाक साजिश की पुलिस ने बखिया उधेड़ दी.मनीषा की गलतियों से उस के दोनों बच्चों के सिर से मातापिता का साया उठ गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस ने दोनों आरोपियों मनीषा और दीपक के खिलाफ हत्या और साक्ष्य मिटाने की धारा में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और उन के खिलाफ अप्रैल 2022 में आरोपपत्र भी अदालत में दाखिल कर दिया.