गे संबंधों का लव ट्रायएंगल- भाग 1

मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज में रहने वाले पुराने कपड़ा व्यापारी देवेंद्र कोठारी का 45
वर्षीय एकलौता बेटा नीरज उर्फ मोनू रात को साढ़े 9 बजे अपनी स्कूटी से घर से यह कह कर निकला था कि ‘कुछ देर में घूम कर आता हूं.’मगर रात के 12 बज गए और नीरज घर नहीं लौटा. इंतजार करतेकरते नीरज की पत्नी शिवांजलि ने जब नीरज को फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था.
शिवांजलि समझ नहीं पा रही थी कि पति का फोन बंद क्यों है. पति के बारे में सोचसोच कर बुरा हाल था. परेशान हो कर शिवांजलि ने अपने 15 वर्षीय बेटे को यह बात बताने के लिए अपने ससुर के कमरे में भेजा.

पोते से नीरज के अभी तक घर न पहुंचने की बात सुनते ही 70 साल के देवेंद्र कोठारी बेचैन हो गए. उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी कि इतनी रात गए नीरज आखिर कहां गया होगा.निशांत भी पिता के दोस्तों को फोन लगा कर उन की जानकारी जुटाने की कोशिश करने लगा. काफी मशक्कत के बाद जब नीरज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो आधी रात को ही दादा और पोते नीरज को खोजने निकल पड़े. यह बात 16 फरवरी, 2022 की है.

पूरी रात शहर में कई जगहों पर खोजबीन के बाद भी नीरज के बारे में कोई खबर नहीं मिली तो देवेंद्र कोठारी दूसरे दिन 17 फरवरी की सुबह औबेदुल्लागंज थाने पहुंच गए.उन्होंने टीआई संदीप चौरसिया को पूरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए नीरज की गुमशुदगी दर्ज करा दी. कुछ ही घंटों में नीरज के गायब होने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी.नीरज के पिता शहर के पुराने कपड़ा व्यापारी थे. उन की अपनी खेती की जमीन होने के साथ ही नीरज प्रौपर्टी डीलर के तौर पर काम कर रहा था. नीरज के इस तरह गायब होने से लोग तरहतरह के कयास लगा रहे थे.

शहर में एक चर्चा यह भी थी कि नीरज जमीन में छिपी दौलत को खोजने के चक्कर में कहीं गया होगा. लोगों का यह अनुमान इसलिए भी था कि नीरज तंत्रमंत्र और ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ कर बिना मेहनत किए दौलत कमाना चाहता था.कुछ साल पहले सड़क किनारे बैठने वाले किसी ज्योतिषी ने नीरज को बताया था कि उसे जमीन में गड़ा अकूत धन मिलेगा. तभी से नीरज इसी चक्कर में पड़ा रहता था. वह अकसर यही सोचता था कि कभी तो ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच निकलेगी.

नीरज के इस तरह गायब होने की यह चर्चा बेवजह नहीं थी. 16 फरवरी को अमावस्या की रात थी और नीरज को घर से जूट के बोरे स्कूटी में रखते हुए उस के बेटे ने देखा था. इस वजह से लोगों का अनुमान था कि तंत्रमंत्र के जरिए जमीन में गड़े धन को बोरे में भर कर लाया जाएगा.नीरज की गुमशुदगी को टीआई संदीप चौरसिया ने गंभीरता से लेते हुए घटना की जानकारी रायसेन जिले के एसपी विकास कुमार सेहवाल, एडीशनल एसपी अमृत मीणा, एसडीपीओ मलकीत सिंह को दे दी और खुद नीरज की खोजबीन में जुट गए.

पुलिस अधिकारियों को यह भी शक था कि नीरज का कहीं अपहरण तो नहीं हो गया. क्योंकि नीरज के पिता औबेदुल्लागंज के करोड़पति कारोबारी हैं. पुलिस ने नीरज की गुमशुदगी की सूचना समीप के भोपाल, होशंगाबाद और विदिशा जिले के पुलिस थानों को भी दे दी. शहर में इस घटना को ले कर चर्चाओं का बाजार गर्म था और पुलिस अलगअलग एंगिल से मामले की जांच कर रही थी. औबेदुल्लागंज के एसडीपीओ मलकीतसिंह ने 4 पुलिस थानों की एक टीम जांच के लिए गठित की.

टीम को इलाके की तलाशी के दौरान 18 फरवरी को होशंगाबाद रोड पर बने शगुन वाटिका मैरिज गार्डन के पीछे रेल पटरियों के किनारे झाडि़यों में एक लाश मिल गई. लाश को आवारा कुत्तों ने नोच दिया था, जिस की वजह से पुलिस को शिनाख्त करने में मुश्किल हो रही थी.पुलिस टीम ने जब नीरज के घर वालों को घटनास्थल पर बुलाया तो कपड़ों के आधार पर घर वालों ने शव की पहचान कर बताया कि शव नीरज का ही है. नीरज की पत्नी और बेटे का रोरो कर बुरा हाल था. नीरज के पिता भी दुखी मन से बहू और पोते को ढांढस बंधा रहे थे. घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो चुकी थी.

नीरज का शव अर्द्धनग्न अवस्था में मिला था, उस की पेंट और अंडरवियर कमर के नीचे घुटनों तक सरके हुए थे. शव की हालत देख कर पुलिस का शक अवैध संबंधों की वजह से हत्या की ओर जा रहा था.
नीरज का शव बरामद होने की सूचना मिलते ही रायसेन के एसपी के निर्देश पर एडीशनल एसपी अमृत मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. लाश का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. औबेदुल्लागंज थाने के टीआई संदीप चौरसिया को जांच के दौरान कुछ लोगों ने बताया कि नीरज छोटी उम्र के लड़कों से दोस्ती रखने का शौकीन था और उन के साथ गे रिलेशनशिप रखता था. कुछ ही घंटों में पुलिस को कई लड़कों के नाम मिल गए, जिन से नीरज के गे संबंध थे.

शक के आधार पर कुछ लड़कों से पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि पिछले कुछ महीनों से नीरज की दोस्ती 23 साल के मनोज कटारे और 17 साल के राजू (परिवर्तित नाम) से चल रही थी.
राजू को अकसर ही नीरज की स्कूटी पर बैठे देखा जाता था. मनोज और राजू रेलवे स्टेशन के पास एक नमकीन की दुकान पर काम करते थे. पुलिस ने जब मनोज और राजू की तलाश शुरू की तो पता चला कि 16 फरवरी के बाद वे दुकान ही नहीं पहुंचे.

पुलिस ने साइबर सेल की मदद से मनोज और राजू की मोबाइल लोकेशन की जांच की तो राजधानी भोपाल के नादिरा बसस्टैंड की मिल रही थी. पुलिस को अब पूरा यकीन हो गया था कि दोनों नीरज की हत्या कर भागने की फिराक में हैं.पुलिस की एक टीम तुरंत भोपाल के नादिरा भेजी गई, जहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सख्ती से की गई पूछताछ में दोनों ने नीरज की हत्या करने की बात कुबूल कर ली. उस के बाद जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह ट्रायंगल गे रिलेशनशिप पर रचीबसी निकली

भाई ही बने जोरू और जमीन के प्यासे- भाग 2

इस मामले की हकीकत जानने के लिए पुलिस ने अखिलेश के छोटे भाई अनिल से पूछताछ की. तब अनिल ने बताया कि उस के भाई की दिमागी हालत सही नहीं थी. वह बहुत पहले से ही भाभी पर शक करता था.

कुछ समय पहले वह अखिलेश के साथ ही रहता था. देवरभाभी पर शक के कारण ही उस ने उसे अलग कर दिया था. जिस के बाद उस का उन से कोई लेनादेना नहीं था. उस के बाद पतिपत्नी के बीच ऐसी कौन सी बात हुई, जिस के कारण अखिलेश ने उसे मौत के घाट उतार दिया.अनिल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने अंजलि की हत्या की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस की सब से ज्यादा बात अनिल से ही होना पाई गई.

जिस से साफ जाहिर था कि अंजलि का अपने देवर के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध नहीं था. लेकिन अनिल के खिलाफ कोई ऐसा केस नहीं बनता था, जिस के आधार पर उस पर काररवाई की जा सके.इस मामले को ले कर अनिल ने भाई को भाभी की हत्या का आरोपी मानते हुए उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. हालांकि अखिलेश का इलाज चल रहा था. फिर भी पुलिस ने उस के छोटे भाई की लिखित तहरीर पर अखिलेश के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था.

पुलिस पूछताछ और परिवार वालों से मिली जानकारी से इस मामले की जो सच्चाई उभर कर सामने आई, वह जर, जोरू और जमीन वाली कहावत से काफी मिलती हुई थी.अखिलेश ने जिस तरह से अपने बड़े भाई अजय और पत्नी अंजलि की हत्या करने के बाद खुद को गोली मारी थी, उस से क्षेत्र में यह काफी सनसनीखेज मामला बन गया था.एक पुरानी कहावत है, ‘जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो किसी और की.’ अर्थात धन, स्त्री और जमीन एक बलवान व्यक्ति ही रख सकता है. धन के मामले में यह कहावत सच हो न हो, लेकिन स्त्री और जमीन के मामले में तो यह अखिलेश पर सटीक बैठती है.

उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के थाना सुबेहा अंतर्गत एक गांव है शुकुलपुर. राजनारायण शुक्ला इसी गांव के मूल निवासी हैं. राजनारायण शुक्ला की गांव में 5 बीघा जमीन थी, जिस पर वह खुद ही खेतीबाड़ी करते आ रहे थे. इस के अलावा राजनारायण शुक्ला लखनऊ शहर में लोगों के घरों में पूजापाठ करने का काम भी करते थे.राजनारायण की पत्नी का काफी समय पहले किसी बीमारी के चलते निधन हो गया था. उन के 4 बेटे थे. इन में सब से बड़ा बेटा राघव शरण गांव में अलग मकान बना कर रहने लगा था. जबकि दूसरा अजय शुक्ला व सब से छोटा अनिल लखनऊ में ही प्राइवेट नौकरी करते थे.
तीसरे नंबर का बेटा अखिलेश काफी समय से दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था. अखिलेश की शादी अब से लगभग 3 साल पहले अमेठी जिले के शुकुल बाजार थाना क्षेत्र के ग्राम बूबूपुर मजरा पाली निवासी अंजलि से हुई थी.

उस समय तक अनिल अखिलेश के साथ ही रहता था. शादी के बाद अंजलि ससुराल में ही रही. उस की सास पहले ही खत्म हो चुकी थी. घर पर 3 प्राणी थे. अखिलेश, उस के पापा राजनारायण शुक्ला और छोटा भाई अनिल.

घर में खाना बनाने की दिक्कत थी. इसी कारण शादी के बाद से ही अंजलि अपनी ससुराल की हो कर रह गई थी. अखिलेश शादी से पहले से ही दिल्ली में रह कर काम करता था. उस के पिता राजनारायण शुक्ला पुजारी का काम करते थे, जिस के चलते आए दिन उन्हें बाहर ही रहना पड़ता था.
हालांकि अनिल भी लखनऊ में नौकरी करता था. लेकिन घर पर भाभी के अकेला रहने के कारण वह अकसर गांव आताजाता रहता था. अंजलि देखनेभालने में जितनी सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा स्मार्ट अनिल भी था. फिर दोनों के बीच देवरभाभी का प्यार भरा रिश्ता.

कभीकभी अनिल अपनी भाभी के चेहरे पर उदासी देखता तो परेशान हो कर कहता, ‘‘लगता है भाभी को भैया की याद सता रही है.’’‘‘याद क्यों नहीं सताएगी देवरजी, अब तुम्हारे भैया तो मुझे घर में कैद कर के दिल्ली में मौजमस्ती कर रहे हैं. घर पर मन लगाने के लिए एक देवर ही तो है, जो कभी भाभी के दुखदर्द को महसूस ही नहीं करता.’’ अंजलि उलाहना देते हुए बोली.‘‘भाभी, ऐसी दिल तोड़ने वाली बात क्यों करती हो. मैं लखनऊ से तुम्हारी सेवा के लिए ही तो आता हूं. अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो बिना किसी झिझक के बता देना.’’ अनिल ने उसे आश्वस्त किया.

अंजलि ने कई बार अनिल से बात करने की कोशिश की थी. लेकिन शर्म के मारे वह पहल नहीं कर पा रही थी. अनिल की तरफ से इशारा मिलते ही उस के दिल की ट्रेन रेंगनी शुरू हो गई थी. फिर वह ऐसे अवसर की तलाश में जुट गई, जब वह अनिल से खुल कर बात कर सके.एक दिन ऐसा ही मौका आया. राजनारायण शुक्ला को किसी काम से लखनऊ में रुकना पड़ा. उस दिन अनिल घर पर ही आया हुआ था. अंजलि ने खाना बनाया और देवरभाभी ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. उस दिन जैसे की अंजलि अपना कामकाज निपटा कर कमरे में पहुंची, उस के पैरों में दर्द होने लगा.

भाभी के पैर में दर्द होने पर अनिल परेशान हो उठा. अनिल ने डाक्टर से दवाई लाने की बात कही तो भाभी ने डाक्टर के पास जाने से साफ मना कर दिया. अंजलि बोली, ‘‘आप परेशान मत हो. मैं पैरों की तेल से मालिश कर लूंगी.’’फिर वह तेल की शीशी उठा कर लाई और अनिल के सामने ही पैरों की मालिश करने लगी. भाभी को मालिश करते देख अनिल से रहा नहीं गया.अनिल बोला, ‘‘भाभी, आप लेट जाओ. आप के नाजुक हाथों से मालिश करने से कुछ नहीं होने वाला. मैं आप के पैरों की मालिश कर देता हूं.’’

अंजलि भी यही चाहती थी. अनिल के कहते ही उस ने झट से शीशी उस के हाथ में थमाते हुए बोली, ‘‘देवरजी, अपने हाथ से मालिश करने में वह मजा कहां जो दूसरों के हाथों में आता है.’’पलभर में ही उस के तेल लगे हाथ अंजलि की पिंडलियों पर फिसलने लगे थे. जैसेजैसे अनिल के हाथ भाभी के पैरों की ऊंचाइयों पर बढ़ते गए, अंजलि का पेटीकोट भी ऊपर को सरकते गया. अनिल की जिंदगी में एक औरत के शरीरे को छूने का पहला अहसास था. एक औरत के गर्म शरीर की गरमी पा कर अनिल मदहोश हो गया.

भाभी की गोरीगोरी पिंडलियां देख कर वह अपना आपा खो बैठा. देखते ही देखते उस के हाथ पैरों के ऊपरी हिस्से पर भी पहुंच गए. अंजलि कब से इन्हीं पलों के इंतजार में थी.पलभर में ही एक तूफान आया और गुजर गया. जब अनिल अपने होशोहवास में आया तो वह निर्वस्त्र था. उस का सारा शरीर पसीनापसीना था. अंजलि सामने पड़ी ठंडी आहें भर रही थी.अनिल के संपर्क में आने के बाद अंजलि को पहली बार किसी की मर्दानगी का अहसास हुआ था. उस दिन देवरभाभी के रिश्तों की मर्यादाओं की सीमा टूटी तो यह सिलसिला बन गया.

अखिलेश दिल्ली से कभीकभार आता और एकदो दिन रुकने के बाद फिर से वापस चला जाता. लेकिन उस दौरान भी अंजलि अखिलेश की चोरीछिपे फोन पर अनिल से बात करती रहती थी.धीरेधीरे अंजलि की शादी को 2 साल बीत गए, लेकिन वह मां नहीं बन सकी. उस के बाद उस का झुकाव अनिल की तरफ हो गया था. वह हर समय अनिल से ही फोन पर बात करती रहती थी.अखिलेश अंजलि के फोन बिजी रहने से परेशान हो चुका था. जब कभी भी वह उसे फोन मिलाता तो उस का नंबर बिजी ही आता था. अखिलेश समझ नहीं पा रहा था कि वह हर वक्त किस से बात करती है.

इसी सच्चाई को जानने के लिए उस ने एक दिन उस का मोबाइल चैक किया तो पता चला कि वह घंटोंघंटों उस के छोटे भाई अनिल से ही बात करती थी. अखिलेश समझ गया कि उस की बीवी और भाई के बीच जरूर कुछ चक्कर चला रहा है.देवरभाभी पर शक होने के बाद वह सच्चाई जानने के लिए एक ऐसे अवसर की तलाश में जुट गया, जब वह दोनों को रंगेहाथों पकड़ सके. जब कभी भी अनिल लखनऊ से घर आता तो वह दोनों पर गहरी नजर रखता था.

एक दिन अनिल लखनऊ से घर आया तो अखिलेश कहीं काम का बहाना बना कर घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने दारू पी और फिर अपने दोस्तों में बैठ गया. उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. उस दौरान कई बार अंजलि ने उस के मोबाइल पर काल की, लेकिन हर बार उस का मोबाइल बंद ही आया.

देर रात वह घर पहुंचा तो घर के मेनगेट का दरवाजा खुला था. अखिलेश सीधा अपने कमरे में पहुंचा. अंजलि अपने कमरे से गायब थी. उस के बाद वह अपने भाई के कमरे के पास पहुंचा. उस ने कान लगा कर सुना तो अंदर से दोनों के बातचीत की आवाज आ रही थी.अखिलेश भले ही नशे में था, लेकिन वह इतना तो समझ ही गया था कि उस की बीवी उस के भाई के साथ मौजमस्ती कर रही है. यह सब देख कर उस का गुस्सा बढ़ गया. उस ने दरवाजा खटखटाया तो उस के भाई ने दरवाजा खोला.

दरवाजा खुलते ही उस ने अंजलि के बारे में पूछा तो अनिल ने कहा कि भाभी अपने कमरे में होंगी. भाभी के बारे में उसे कुछ पता नहीं. भाई का लिहाज करते हुए उस समय अखिलेश अपने कमरे में चला गया. लेकिन उस की निगाहें भाई के कमरे पर ही टिकी हुई थीं.अनिल और अंजलि को विश्वास था कि अखिलेश अब तक नशे की हालत में सो चुका होगा. तभी मौका पाते ही अंजलि अनिल के कमरे से निकल कर छत पर चली गई. छत पर कुछ देर टहलने के बाद वह अपने कमरे में आ गई.
अंजलि के आते ही अखिलेश ने उस से पूछा, ‘‘इतनी रात गए कहां गई थी?’’

तब अंजलि ने बताया, ‘‘मैं ने कई बार तुम्हारा मोबाइल मिलाया. लेकिन वह स्विच्ड औफ आ रहा था. मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसी कारण मैं छत पर घूमने चली गई थी.’’अखिलेश अंजलि से बहुत प्यार करता था. लेकिन उस दिन उस का प्यार नफरत में बदल चुका था. अखिलेश नशे में था. उस ने तभी अंजलि को मारनापीटना शुरू कर दिया.

अनिल बचाव में आया तो उसे भी भलाबुरा कहा. अखिलेश ने उसी समय अनिल को चेतावनी दी, ‘‘आज से तेरेमेरे बीच भाई का रिश्ता खत्म. आज के बाद तू मेरे घर में मत आना.’’अगले दिन सुबह होते ही अखिलेश ने अनिल को अपने घर से अलग कर दिया था. उस के बाद अनिल भी अलग रहने लगा था. कुछ समय पहले ही अखिलेश ने अपने घर के सामने 3 बिस्वा जमीन खरीदी थी. भाइयों के बीच मनमुटाव होने के कारण उस के तीनों भाई भी उस जमीन पर अपना हक जमाते हुए उस में से अपने हिस्से की मांग करने लगे थे. जिसे ले कर कई बार चारों भाइयों में विवाद भी हुआ था.

पालनहार बना हैवान

बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडलीय मुख्यालय स्थित बड़ी दुर्गा स्थान में मिश्र टोला का रहने वाला शिक्षक है रविंद्र झा. 50 वर्षीय रविंद्र झा रोसड़ा के संस्कृत विद्यालय में अध्यापक है. उस की बुरी नजर अपनी ही 20 साल की बेटी मोनिका पर थी.

4 वर्ष पहले की बात है एक दिन मोनिका घर में अकेली थी. बस, बेशर्म शिक्षक पिता रविंद्र झा ने अपनी बेटी मोनिका के साथ अश्लील हरकत करनी शुरू कर दी.मोनिका ने विरोध किया फिर भी रविंद्र झा ने उस के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बना लिए. मोनिका ने यह बात अपनी मां से बताई. लेकिन लोकलाज का हवाला दे कर मां ने उसे चुप रहने की हिदायत दी.

उस समय मोनिका इंटरमीडिएट की छात्रा थी. वह अब स्नातक तीसरे वर्ष की छात्रा है. उस के बाद रविंद्र झा का मनोबल बढ़ता ही चला गया और वह जबतब घर में अकेली रहती बेटी मोनिका के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने लगा.पिता की हरकत से परेशान हो कर मोनिका ने सबूत इकट्ठा करने के खयाल से ही यह घिनौनी करतूत 20 अप्रैल, 2022 को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर ली.
पिता के घिनौने कृत्य की वीडियो बनाने के बाद मोनिका ने अपनी मामी से यह बात शेयर की. मामामामी उस के घर पहुंचे और मोनिका को साथ ले कर अपने घर चले गए. जहां मोनिका ने सारी बात मामामामी व अन्य रिश्तेदारों को खुल कर बताई.

वहां उस का ममेरा भाई माधव मिश्रा कोने में खड़े हो कर सारी बात सुन रहा था. माधव ने मोनिका को मदद का भरोसा दिलाया तो वह मान गई और मोनिका ने वीडियो माधव के हवाले कर दी.
माधव ने वह वीडियो प्रशासनिक मदद के खयाल से अपने एक परिचित हसनपुर निवासी एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार संजय भारती को दे दी. ‘रोसड़ा जंक्शन’ नामक उस न्यूज पोर्टल से जुड़े पत्रकार संजय भारती ने पहले मोनिका से मोबाइल पर संपर्क कर उसे ब्लैकमेल किया और जब उसे पैसा नहीं मिला तो उस ने वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी.

मोनिका को जब वीडियो वायरल होने की खबर मिली तो वह बहुत परेशान हो गई. उस ने रोसड़ा थाने जा कर मदद की गुहार लगाई. लेकिन पुलिस वाले पीडि़ता के पिता से मिल गए और उन्होंने केस दर्ज नहीं किया.पुलिस उच्चाधिकरियों के संज्ञान में मामला आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर मोनिका के घर पर छापेमारी की. फिर मोनिका के पिता रविंद्र झा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इतना ही नहीं, पुलिस ने पीडि़ता के ममेरे भाई माधव मिश्रा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

समस्तीपुर के एसपी हृदयकांत के आदेश पर अब यह मामला समस्तीपुर महिला थानाप्रभारी पुष्पलता कुमारी को ट्रांसफर कर दिया गया है.दुष्कर्मी पिता रविंद्र झा व ममेरे भाई माधव मिश्रा के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 354(बी), 341, 504, 506 आईपीपी व पोक्सो एक्ट एवं 67(ए) आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. तो वहीं न्यूज पोर्टल के पत्रकार संजय भारती के खिलाफ भी 5 मई, 2022 को भादंवि की धारा 384, 506, 509 व 67(ए) आईटी एक्ट 2000 के तहत रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है. लेकिन वह गिरफ्तार नहीं हो सका है.

थानाप्रभारी पुष्पलता कुमारी ने पीडि़ता मोनिका का 6 मई, 2022 को समस्तीपुर के सदर अस्पताल में मैडिकल कराया. डा. नवनीता, डा. गिरीश कुमार व डा. उत्सव की टीम ने पीडि़ता का मैडिकल परीक्षण किया. उस का अल्ट्रासाउंड व एक्सरे तक कराया गया. मैडिकल जांच में उस के साथ शारीरिक शोषण की पुष्टि हुई.

मैडिकल जांच और कोर्ट में बयान दर्ज कराने के बाद मोनिका को उस के मामामामी के साथ भेज दिया गया है. क्योंकि माधुरी ने मां के साथ घर जाने से इनकार कर दिया था.
फिलहाल मोनिका अभी डर से उबर नहीं पाई है. वह सहमी हुई रहती है.

मामी का उफनता शबाब

20मई, 2022 की शाम कोेई 8 बजे बृजमोहन हर रोज की तरह गांव के बाहर लगे वाटर कूलर से पानी लेने गया था. काफी देर बाद भी वह पानी ले कर नहीं लौटा तो उस के घर वालों ने सोचा कि वह कहीं शराब पीने में लग गया होगा. लेकिन देर रात तक वह घर नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. उन्होंने उसे गांव में हर जगह खोजा,लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला.

बृजमोहन के अचानक गायब हो जाने से गांव वाले भी उस की खोज में लग गए थे. गांव वालों के सहयोग से बृजमोहन का देर रात पता तो चल गया. लेकिन वह गांव से सटे हुए एक खाली प्लौट में लहूलुहान बेहोशी की हालत में मिला. ऐसी हालत में उसे देख कर उस के परिवार में शोक की लहर दौड़ गई.
उसे तुरंत ही काशीपुर के एल.डी. भट्ट सरकारी अस्पताल ले गए. जहां पर डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया था.

डाक्टरों की सूचना पर काशीपुर कोतवाल मनोज रतूड़ी तुरंत ही पुलिस टीम के साथ एल.डी. भट्ट अस्पताल पहुंचे. पुलिस ने उस के घर वालों से सारी बात मालूम की. पुलिस ने मृतक के घर वालों से पूछताछ की. बृजमोहन शादीशुदा 2 बच्चों का बाप था. वह मेहनतमजदूरी कर किसी तरह से अपने बच्चों का पालनपोषण कर रहा था. गांव में उस की किसी के साथ कोई दुश्मनी भी नहीं थी. पुलिस ने पूछताछ करने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने की तैयारी शुरू कर दी.

पोस्टमार्टम होने वाली बात सामने आते ही उस के घर वाले विरोध करने लगे. उन का कहना था कि पुलिस पोस्टमार्टम के नाम पर लाश की दुर्गति करती है. इसी कारण वह किसी भी कीमत पर उस की लाश का पोस्टमार्टम नहीं होने देंगे.इस बात को ले कर मृतक की बीवी प्रीति कौर ने रोतेधोते काफी बखेड़ा कर कर दिया. पुलिस के बारबार समझाने पर भी वह मानने को तैयार न थी. उस समय किसी तरह पुलिस ने घर वालों को समझाबुझा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

इस के बाद पुलिस केस की जांच में जुट गई. थानाप्रभारी ने बृजमोहन के घर वालों से उस के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि बृजमोहन ने प्रीति कौर के साथ लव मैरिज की थी. जिस के बाद से ही प्रीति कौर के घर वाले उस से नाराज चल रहे थे.इस जानकारी के मिलते ही पुलिस को लगा कि कहीं उस के मायके वालों ने ही तो उस के पति की हत्या नहीं कर दी. इस बात के सामने आते ही पुलिस ने प्रीति कौर के मायके वालों से भी पूछताछ की.

लेकिन पुलिस पूछताछ में मायके वालों ने साफ शब्दों में कहा कि प्रीति के अपनी मरजी से शादी करने की वजह से उन्होंने उस से पूरी तरह से नाता तोड़ लिया था. जिस के बाद वह कभी भी उन के घर नहीं आई थी. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से उन का कोई लेनादेना नहीं रहा होगा.पुलिस ने प्रीति कौर के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा सौरभ नाम के व्यक्ति से बात करने की बात सामने आई.सौरभ बृजमोहन का भांजा था. वह अभी कुंवारा था.

बृजमोहन के घर सब से ज्यादा भी वही आताजाता था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस सौरभ के घर उस से मिलने गई तो वह पुलिस को आता देख चकमा दे कर घर से फरार हो गया. लेकिन जल्दबाजी में वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गया था.पुलिस ने उस का मोबाइल अपने कब्जे में लिया और चैक किया तो पता चला वह दिन में कईकई बार अपनी मामी प्रीति कौर से काफी देर तक बात करता था. उस के वाट्सऐप को खोल कर देखा तो पाया कि वह अपनी मामी से दिन में कई बार चैटिंग करता था.
यही नहीं उस ने अपनी मामी को कई अश्लील पोस्ट भी भेज रखी थीं. जिस से साफ जाहिर हो गया था कि उस का मामी प्रीति के साथ चक्कर चल रहा था. शक होने पर पुलिस ने सब से पहले गांव में लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले.

जांचपड़ताल के दौरान एक कैमरे में मृतक बृजमोहन अकेला ही हाथ में खाली बोतलें ले जाते नजर आया. उस के कुछ देर बाद ही मृतक का भांजा सौरभ भी उस के पीछेपीछे जाता दिखा. जिस से साफ जाहिर था कि बृजमोहन की हत्या से पहले सौरभ ही उस के संपर्क में था.मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी मृतक के शरीर पर काफी चोट के निशान दर्शाए गए थे. उस के सिर के पीछे काफी गहरे चोट के निशान पाए गए थे. जिस के कारण ही उस की मौत हुई थी. जबकि मृतक की बीवी प्रीति कौर उस की हत्या को सामान्य मौत मान रही थी.

मृतक के बड़े भाई बुद्ध सिंह ने अपने भांजे सौरभ के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट लिखा दी.
सौरभ के नाम एफआईआर दर्ज होते ही पुलिस उस की खोजबीन में लग गई. पुलिस के अथक प्रयासों से सौरभ जल्दी पुलिस के हत्थे चढ़ गया.सौरभ को गिरफ्तार कर पुलिस ने उस से कड़ी पूछताछ की तो अपना गुनाह स्वीकार करते हुए उस ने हत्या का सारा राज खोल दिया. सौरभ ने बताया कि उस ने अपने मामा की हत्या मामी प्रीति कौर के कहने पर ही की थी. उस का मामी के साथ कई सालों से प्रेम प्रसंग चल रहा था.

बृजमोहन की हत्या की सच्चाई सामने आते ही पुलिस ने उस की बीवी प्रीति
कौर को भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.पुलिस पूछताछ में प्रीति ने जल्दी अपना गुनाह स्वीकार करते हुए अपनी जिंदगी का राज खोल दिया था.पुलिस पूछताछ के दौरान बृजमोहन की हत्या का जो राज खुला, उस के पीछे एक दिलचस्प कहानी भी सामने आई.

उत्तराखंड के शहर काशीपुर से लगभग 15 किलोमीटर दूर रामनगर मार्ग पर गऊशाला से पहले पड़ता है एक गांव गोपीपुरा. इसी गांव में शिवचरन सिंह का परिवार रहता था. शिवचरन सिंह हेमपुर बस डिपो में ही एक चपरासी थे.शिवचरन सिंह के 3 बच्चे थे, जिन में एक बेटी और 2 बेटे. सब से बड़ी बेटी बाला, उस के बाद बुद्ध सिंह, बृजमोहन सिंह इन सब में छोटा था. शिवचरन सिंह ने बच्चों को पालापोसा और जवान होने पर 2 बच्चों की शादी भी कर दी थी.

शिवचरन सिंह ने नौकरी से रिटायर होने के बाद ही दोनों बेटों के अलगअलग घर भी बनवा दिए थे. बुद्ध सिंह की शादी होते ही वह भी अपनी पत्नी को साथ ले कर अलग रहने लगा था.बृजमोहन कुंवारा था. वह अभी भी मातापिता के साथ ही रहता था. बृजमोहन एक फैक्ट्री में काम करता था. उसी दौरान उस की मुलाकात प्रीति से हो गई.प्रीति कौर मुरादनगर, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी. गऊशाला स्थित छावनी के पास ही उस के नाना सुरजीत सिंह रहते थे. प्रीति कौर समयसमय पर गऊशाला अपने नाना के घर आती रहती थी. उसी आनेजाने के दौरान वह बृजमोहन के संपर्क में आई.

प्रीति कौर बहुत ही खूबसूरत थी. एक अनौपचारिक मुलाकात के दौरान ही वह बृजमोहन के दिल में उतर गई. बृजमोहन देखने भालने में सीधासादा था.फिर भी प्रीति की खूबसूरती पर इतना फिदा हो गया. दोनों के बीच लुकाछिपी का खेल शुरू हुआ फिर प्रेम डगर पर निकल गए.हालांकि दोनों ही अलगअलग धर्म से ताल्लुक रखते थे, फिर भी दोनों के बीच प्रेम संबंध स्थापित होते ही दोनों ने एक साथ जीनेमरने की कसम भी खा ली थी. प्रीति कौर अपने नानानानी के पास ही रहने लगी.

उस के नाना सारा दिन खेतीबाड़ी में लगे रहते थे. उस की नानी ही घर पर रहती थीं. बृजमोहन के साथ आंखें लड़ाते ही वह किसी न किसी बहाने से उस से मिलने लगी थी. उसी दौरान दोनों के बीच शारीरिक सबंध स्थापित हो गए. अवैध संबंध स्थापित होते ही वह बृजमोहन के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

कुछ समय तक तो दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चोरीछिपे से चलते रहे. लेकिन जल्दी ही एक दिन ऐसा भी आया कि दोनों का प्यार जग जाहिर हो गया. जब प्रीति कौर की हरकतों की जानकारी उस के नाना सुरजीत सिंह को हुई तो उन्होंने उसे उस के मम्मीपापा के पास भेज दिया.मांबाप के घर जाने के बाद प्रीति कौर बृजमोहन के प्यार में तड़पने लगी. उस के पिता दिलप्रीत सिंह काम से बाहर निकल जाते थे. घर पर उस की मां बग्गा कौर ही रहती थीं. पापा के घर से निकलते ही उस की मां उस की पूरी निगरानी करती थीं.
प्रीति कौर बृजमोहन के प्यार में इस कदर पागल हो चुकी थी कि वह दिनरात उसी की यादों में खोई रहती थी. जब प्रीति कौर से बृजमोहन की जुदाई बरदाश्त नहीं हुई तो उस ने एक दिन अपनी मम्मी को दिन में ही लस्सी में नींद की गोली डाल कर दे दी.

जिस के बाद उस की मम्मी को जल्दी ही नींद आ गई.मम्मी को गहरी नींद में सोते देख वह घर से काशीपुर के लिए निकल पड़ी. काशीपुर आते ही वह सीधे बृजमोहन के पास आ गई. प्रीति कौर के घर छोड़ने वाली बात सुनते ही बृजमोहन के घर वालों ने उसे काफी समझाया कि वह घर चली जाए, लेकिन उस ने अपने घर वापस जाने से साफ मना कर दिया था.अब से लगभग 8 साल पहले दोनों ने पे्रम विवाह कर लिया. प्रेम विवाह करने के बाद वह बृजमोहन के साथ ही रहने लगी. प्रीति कौर के द्वारा दी गई नशे की दवा के कारण उस की मम्मी को पता नहीं क्या रिएक्शन हुआ कि वह बीमार रहने लगी थीं.

जिस के कुछ दिनों के बाद उन की मौत हो गई. अपनी मम्मी की मौत हो जाने के बाद भी प्रीति अपने घर वापस नहीं गई.प्रीति अपने पति बृजमोहन के साथ काफी खुश थी. प्रीति कौर शुरू से ही हंसमुख थी. उस की चंचलता उस के चेहरे से ही झलकती थी. बृजमोहन भी पढ़ीलिखी प्रीति कौर को पा कर बेहद ही खुश था.

शादी के 4 साल बाद प्रीति कौर एक बच्ची की मां बनी. घर के आगंन में बच्ची की चीखपुकार के साथ हंसीठिठोली ने बृजमोहन और प्रीति कौर की जिंदगी में नया ही उत्साह भर दिया था.
घर में बच्ची के जन्म से बृजमोहन की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. जिस के लिए उस ने पहले से ज्यादा कमाने पर ध्यान देना शुरू कर दिया. अब से लगभग डेढ़ साल पहले प्रीति कौर दूसरे बच्चे बेटे की मां बनी. घर में बेटे के जन्म से उस के परिवार में खुशियां ही खुशियां हो गई थीं.

घर में बेटे के जन्म के बाद से ही बृजमोहन बीमार रहने लगा था. उस के पैरों की अचानक ही कोई नस दब गई, जिस के कारण उसे चलनेफिरने में भी दिक्कत होने लगी थी. पैरों की दिक्कत के कारण वह काम पर भी नहीं जा पाता था. जिस के कारण उस का परिवार आर्थिक तंगी से गुजरने लगा था.

2 बच्चों के जन्म के बाद प्रीति कौर का शरीर पहले से भी ज्यादा खिल उठा था. लेकिन घर में आर्थिक तंगी के कारण वह परेशान रहने लगी थी. बृजमोहन बीमारी के चलते हर रोज काम पर नहीं जा पाता था. कभीकभार वह कोई काम करता तो वह थकहार कर रात को जल्दी ही सो जाता था. जिस के कारण प्रीति का उस के प्रति लगाव कम हो गया था.बृजमोहन का भांजा था सौरभ, जो वहां से डेढ़ किलोमीटर दूर गऊशाला, छावनी में रहता था. वह पहले से ही अपने मामामामी के पास आताजाता रहता था. उसी आनेजाने के दौरान सौरभ को एक दिन अहसास हुआ कि उस की मामी मामा को पहला जैसा प्यार नहीं देती. बातबात पर उसे झिड़क देती थी.

एक दिन मौका पाते ही सौरभ ने अपनी मामी से सवाल किया, ‘‘मामी, आजकल तुम मामा से बहुत खफा चल रही हो. मामा के साथ तुम्हारा झगड़ा हो गया क्या?’’‘‘जब भरी जवानी में आदमी घर में बूढ़ा बन कर बैठ जाए और शाम होते ही दारू के नशे में डूब जाए तो बीवी उसे क्या प्यार करेगी. सारा दिन घर में ही पड़ेपड़े मुफ्त की रोटी खाते हैं. न तो कमानेधमाने की चिंता है और न ही बीवी की.’’ प्रीति कौर ने जबाव दिया.‘‘नहीं मामी, ऐसी बात तो नहीं. मामा तो तुम्हें बहुत ही प्यार करते हैं. रही बात कामधंधा करने की तो जैसे ही उन की परेशानी दूर हो जाएगी वह फिर से काम करने लगेंगे.’’ सौरभ ने कहा.

‘‘औरत को रोटी के अलावा कुछ और भी तो चाहिए. रात में पैर दर्द का बहाना कर के हर रोज जल्दी सो जाते हैं. फिर मैं बच्चों को ले कर रात में तारे गिनती रहती हूं.’’ प्रीति ने बड़े ही दुखी मन से कहा.
मामी की बात सुनते ही सौरभ के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगे थे. सौरभ जवानी के दौर से गुजर रहा था. उसे अपनी मामी की बात समझते देर नहीं लगी.‘‘अरे मामी, तुम इतनी हसीन हो, यह मायूसी तुम्हारे चेहरे पर अच्छी नहीं लगती. खुश रहा करो, सब कुछ ठीक हो जाएगा.’’ सौरभ ने खुशमिजाज लहजे में मामी के दुखते जख्म पर मरहम लगाने का काम किया.

उस वक्त प्रीति कौर घर के आंगन में नल पर कपड़े धो रही थी. प्रीति कौर का गदराया बदन था. तन से वह हर तरह से मालामाल थी. कपड़े धोने के कारण उस वक्त उस ने अपनी चुन्नी भी उतार कर पास में ही रख दी थी. प्रीति कौर का चेहरामोहरा तो मनमोहक था ही साथ ही उस का रंग भी गोराचिट्टा था.
प्रीति के वक्ष बड़े होने के कारण बारबार बाहर निकलने को आतुर थे. भले ही सौरभ और प्रीति के बीच मामीभांजे का रिश्ता था, लेकिन उस दिन सौरभ बारबार अपनी मामी के उभारों को ही निहार रहा था.
उस दिन ही सौरभ समझ गया था कि उस की मामी की क्या परेशानी है. इस से पहले वह अपनी मामी के पास कभीकभार ही आता जाता था. लेकिन उस दिन के बाद उस का आनाजाना बढ़ गया था.

सौरभ अभी पढ़ाई कर रहा था. स्कूल से आने के बाद वह जल्दी से अपना काम निपटाता और शाम होते ही वह अपने मामा के घर गोपीपुरा चला जाता था. जिस वक्त वह शाम को मामा के घर पहुंचता तो उस के मामा बृजमोहन उसे शराब पीते मिलते थे. बृजमोहन कभीकभी सौरभ से ही गांव में लगे पंचायती वाटर कूलर से ही ठंडा पानी मंगाता था.

शराब पीने के कुछ समय बाद ही बृजमोहन नशे में झूमने लगता और फिर कुछ खापी कर जल्दी ही सो जाता था. उस के बाद सौरभ मामी के साथ बतियाने लगता था. कुछ दिनों में सौरभ ने अपनी मामी के दिल में अपने लिए खास जगह बना ली थी. प्रीति कौर भी सौरभ को चाहने लगी थी. इस से पहले सौरभ शराब को हाथ तक नहीं लगाता था. लेकिन मामी की चाहत में उस ने अपने मामा के साथ शराब भी पीनी शुरू कर दी थी.

फिर वह अकसर ही अपने मामा के साथ बैठ कर शराब पीने लगा था. सौरभ को शराब का शौक लगने पर बृजमोहन हमेशा ही उसे बुला लेता था. यही सौरभ भी चाहता था. 29 मार्च, 2021 को होली का दिन था. जिस वक्त सौरभ अपने मामा के घर पहुंचा, उस की मामी घर पर अकेली ही थी. अपनी मामी को घर पर अकेले देख सौरभ का दिल बागबाग हो गया. फिर भी उस ने मामी से पूछा, ‘‘मामी, मामा कहां गए?’’
‘‘गए होंगे अपने दोस्तों के साथ घूमने. अब यह बताओ कि तुम्हें केवल मामा से ही काम है. क्या मामी के काम भी आओगे?’’

‘‘क्या बात कही आप ने मामी. पहले तो मामी ही है मामा तो बाद में हैं. मेरे लायक कोई सेवा हो तो बताओ.’’ चापलूसी करता हुआ सौरभ बोला. ‘‘अरे बुद्धू, तुम्हें इतना भी नहीं पता कि आज होली मिलन का त्यौहार है. तुम मुझ से इतनी दूर खड़े हो. होली नहीं मिलोगे मामी से?’’‘‘क्यों नहीं मामी, आप ने यह क्या बात कही.’’ इतना कहते ही प्रीति ने सामने खड़े सौरभ की कोली भर ली. मामी की आगोश में जाते ही सौरभ के नसों में खून का संचार बढ़ गया.

उस ने जिंदगी में पहली बार किसी औरत के तन से तन मिलाया था. मामी के बड़ेबड़े वक्षों का संपर्क पा कर उस की जवानी बेकाबू हो उठी. सौरभ पल भर के लिए दुनियादारी भूल गया.सौरभ अपनी मामी को रंग लगाने के लिए रंग भी साथ ही लाया था. सौरभ अभी अपनी मामी की कोली भर के ही खड़ा हुआ था. तभी बाहर किसी के आने की आहट हुई. बाहर आहट सुन कर दोनों अलगअलग हो गए . तब तक बृजमोहन घर के अंदर आ पहुंचा था.

अचानक घर में मामा को आया देख क र सौरभ सकपका गया. उस की समझ में नहीं आया कि वह क्या करे. उस ने फुरती दिखाई और अपनी जेब से वह रंग निकाल कर सामने खड़ी मामी के चेहरे पर लगा दिया.बृजमोहन उस वक्त भी नशे में था. उस के घर में उस के पीछे कौन सा खेल चल रहा था, वह समझ नहीं पाया. बृजमोहन प्रीति पर बहुत ही विश्वास करता था. चेहरे पर रंग लगवाने के बाद प्रीति ने अपने बेटे को गोद में उठाया और बाहर घर के आंगन में आ कर बैठ गई.

बृजमोहन नशे में इतना धुत था कि उस ने घर में मामीभांजे को अकेला पा कर भी किसी तरह का शक नहीं किया. उस के बाद प्रीति कौर अपने घर के कामों में लग गई. बृजमोहन सौरभ को देख कर घर के अंदर रखी बोतल निकाल लाया था. फिर मामाभांजे एक साथ बैठे तो पीनेपिलाने का सिलसिला शुरू हुआ.

बृजमोहन पहले से ही नशे में धुत था. सौरभ के साथ उस ने 1-2 पेग और पिए तो होशोहवास खो बैठा. देखते ही देखते वह चारपाई पर पसर गया. प्रीति बृजमोहन को अच्छी तरह से जानती थी.
बृजमोहन एक बार खापी कर सो जाता था तो सुबह ही उठ पाता था. उस वक्त तक प्रीति के दोनों ही बच्चे सो चुके थे. घर में अपने जवान भांजे को देखते ही प्रीति कौर के तनबदन में आग लग गई.
सौरभ काफी दिनों से ऐसे ही मौके की तलाश में था. मामा को बेहोशी की हालत में सोया देख उस का पौरुष जाग उठा. मामी को सामने देखते ही वह भूखे भेडि़ए की तरह टूट पड़ा. जवानी के आगोश में पल भर में मामी भांजे के रिश्ते तारतार हो गए.

सौरभ जिंदगी में पहली बार किसी औरत के संपर्क में आया था. प्रीति भी सौरभ जैसे हट्टेकट्टे भांजे से शारीरिक संबंध बना कर काफी खुश हुई थी. एक बार रिश्तों की मर्यादा खत्म हुई तो दोनों के बीच लुकाछिपी का खेल शुरू हो गया.मामी के प्यार में सौरभ हर रोज ही मामा के साथ बैठ कर शराब पीनेपिलाने लगा था. फिर मौका पाते ही शराब के साथ शबाब का मजा लेने लगा था.
सौरभ पढ़ाई के साथसाथ मजदूरी भी करता था. वह जो भी कमाता उस पैसे को प्रीति मामी पर खर्च कर डालता था.

सौरभ ने ही मेहनतमजदूरी कर पैसे इकट्ठा कर एक स्मार्टफोन खरीद कर प्रीति को दे दिया था. ताकि वह उस से किसी भी समय बात कर सके. कई बार तो सौरभ अपने मामा की गैरमौजूदगी
में सारीसारी रात उसी के घर पर पड़ा रहता था. प्रीति कौर अपने बच्चों को जल्दी खाना खिलापिला कर सुला देती और फिर सौरभ के साथ मौजमस्ती में डूब जाती थी. प्रीति कौर और सौरभ के बारबार मिलने से उस के परिवार वालों को भी उन के बीच पक रही खिचड़ी हजम नहीं हो पा रही थी.

मई 2021 में एक दिन सौरभ का मोबाइल घर पर ही रह गया. जिस के तुरंत बाद ही उस की मम्मी बाला देवी ने उस के मोबाइल की काल रिकौर्डिंग निकाल कर सुनी तो दोनों के बीच सबंधों का खुलासा हो गया.
प्रीति कौर और सौरभ के बीच प्रेम प्रसंग का मामला जल्दी ही घर वालों के सामने आ गया. जब यह सच्चाई बृजमोहन के सामने आई तो उस ने सौरभ के साथ शराब पी कर हाथापाई भी की.

इसी बात को ले कर कई बार बृजमोहन ने अपनी बीवी के साथ भी लड़ाई की थी. लेकिन प्रीति उस की मजबूरी का फायदा उठा कर उस के ऊपर ही राशनपानी ले कर चढ़ जाती थी.बृजमोहन ने सौरभ के साथ लड़ाईझगड़ा कर उस के घर आने पर तो पाबंदी लगा दी थी. लेकिन प्रीति कौर और सौरभ अभी भी मोबाइल के माध्यम से संपर्क बनाए हुए थे. लेकिन दोनों एकदूसरे से न मिलने के कारण परेशान भी थे.
इसी दौरान एक दिन प्रीति ने सौरभ के सामने बोझिल मन से कहा कि इस तरह से कब तक चलेगा. मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रहना चाहती.

बृजमोहन जब भी घर आता है तो उस का मुंह फूला होता है. वह तुम्हारे चक्कर में ठीक से बात भी नहीं करता. जिस के कारण हम दोनों के बीच हमेशा ही टेंशन बनी रहती है. मैं हमेशा ही खुश
रहना चाहती हूं. यह खुशी मुझे तुम ही दे सकते हो.अगर तुम मुझे इतना ही प्यार करते हो तो कुछ ऐसा करो कि जिंदगी की सारी टेंशन हमेशाहमेशा के लिए खत्म हो जाए. बृजमोहन तुम से बुरी तरह से खार खाए बैठा है. वह कभी भी तुम्हारी हत्या कर सकता है. इस से पहले कि वह तुम्हारे साथ कुछ अनहोनी कर पाए, तुम ही उस का इलाज कर डालो.

मामा को मामी के रास्ते से हटाने की हरी झंडी मिलते ही सौरभ का दिल शेर बन बैठा. सौरभ ने सोचा अगर वह किसी तरह से मामा को मौत की नींद सुला दे तो मामी पर उस का ही कब्जा हो जाएगा.
मन में यह विचार आते ही वह अपने मामा को मौत की नींद सुलाने के लिए हर रोज नईनई योजनाएं बनाने लगा. सौरभ ने कई बार बृजमोहन को मौत की नींद सुलाने की योजना बनाई, लेकिन वह किसी भी योजना में सफल नहीं हो पा रहा था.

इस घटना से 10 दिन पहले ही सौरभ और प्रीति ने मिल कर बृजमोहन को रास्ते से हटाने की योजना बनाई. योजना बनते ही एक दिन सौरभ ने अपने मामा को फोन कर अपनी गलती मानते हुए क्षमा
याचना की. जिस के बाद उस ने भविष्य में कभी भी ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई.
बृजमोहन बहुत ही सीधा था. वह सौरभ की चाल को समझ नहीं पाया. वह उस की मीठीमीठी बातों में आ गया. फिर उस ने सौरभ को अपने घर आने के लिए भी कह दिया. इस पर सौरभ ने कहा, ‘‘मामा, मैं ने आप के साथ जो किया है, उस से मुझे खुद से नफरत हो गई है. इसी कारण मैं आप के घर नहीं आऊंगा. अगर आप ने मुझे माफ कर दिया हो तो आज की पार्टी मेरी तरफ से है. आप मुझे गांव के बाहर आ कर मिलो.’’

सौरभ की बात सुनते ही बृजमोहन ने हामी भर ली. उस से गांव के बाहर मिलने के लिए तैयार भी हो गया.
उसी योजना के तहत ही 20 मई, 2022 शुक्रवार की देर शाम सौरभ ने अपने मामा को शराब पीने के लिए बुलाया. बृजमोहन हर शाम गांव में लगे वाटर कूलर से पानी लाता था. उस ने सोचा उसे आने में देर हो जाएगी. इसी कारण वह पहले पानी ले कर घर रख देगा, उस के बाद सौरभ के साथ चला जाएगा.
यही सोच कर वह घर से खाली बोतलें ले कर पानी लाने गया था. सौरभ को पता था कि उस के मामा इसी वक्त पानी लाने जाते हैं. वह पहले ही रास्ते में खड़ा हो गया था.

बृजमोहन के आते ही सौरभ उसे बुला कर गांव के बाहर चला गया. वाटर कूलर से लगभग 500 मीटर दूसरी दिशा में ले जा कर सौरभ ने अपने मामा को शराब पिलाई. जब बृजमोहन शराब के नशे में धुत हो गया तो मौका पाते ही पास में पड़े पत्थर से उस के सिर पर जोरदार प्रहार कर डाले. उस के बाद अपना लोअर निकाल कर उस से उस का गला घोट दिया.

गला दबने के कुछ क्षण में ही बृजमोहन की मौत हो गई. बृजमोहन की हत्या करने के बाद घटना में प्रयुक्त कपड़े नहर के किनारे कूड़े में छिपा दिए. उस के बाद वह अपने घर चला गया. इस केस का खुलासा होते ही पुलिस ने हत्यारोपी की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल आलाकत्ल पत्थर, खून से सने कपड़े व शराब की खाली बोतल के साथ ही डिस्पोजल गिलास भी बरामद कर लिए थे.

बृजमोहन मर्डर केस के खुलते ही पुलिस ने आरोपी उस की बीवी प्रीति कौर उस के भांजे सौरभ को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. इस मामले का जल्दी खुलासा करने के कारण एसएसपी डा. मंजूनाथ टी.सी. ने केस का खुलासा करने वाली टीम में शामिल काशीपुर कोतवाल मनोज रतूड़ी, एसएसआई प्रदीप मिश्रा, धीरेंद्र परिहार, नवीन बुधानी, रूबी मौर्या, एसओजी प्रभारी रविंद्र सिंह बिष्ट इत्यादि को 5000 रुपए का पुरस्कार दे कर सम्मानित किया.

उन के साथ ही एसएसपी ने मनोहर कहानियां के लिए अच्छी फोटोग्राफी के लिए लेखक के सहयोगी फोटोग्राफर प्रदीप बंटी को भी 1000 रुपए दे कर सम्मानित किया गया.

आंतक के सर्जन अल जवाहिरी का खात्मा

करीब 3 दशक पहले आतंक का पर्याय बन चुका दुनिया का दुर्दांत आतंकवादी ओसामा बिन लादेन का दोस्त अल जवाहिरी का मारा जाना चौंकाने वाली घटना हो सकती हैलेकिन सवाल खत्म नहीं हुआ है कि क्या उस की मौत से आतंक के सम्राज्य का भी खात्मा हो गयापढि़ए इस रिपोर्ट में कि खूंखार जिहादी जवाहिरी इतनी आसानी से कैसे मारा गया?

 

हर रोज की तरह 31 जुलाई2022 को सूर्योदय के करीब घंटा भर बाद अल कायदा मुखिया अयमन अल

जवाहिरी टहलता हुआ बालकनी पर आया. वह अमेरिका समेत पूरी दुनिया में आतंक फैलाने वाला और आतंक के शिखर पर बैठा खूंखार इस्लामिक जिहादी था. तब समय 6 बज कर 18 मिनट के करीब था.

वह काबुल में शेरपुर स्थित सेफ हाउस मकान की सब से ऊपर वाली बालकनी में 2-4 कदम ही चल पाया था कि तभी 2 मिसाइलें सनसनाती हुईं उस की तरफ आईं. उस ने दुर्घटना की आशंका से बचने की कोशिश कीलेकिन वे मिसाइलें वहीं आ कर गिरीं. हल्का सा धमाका हुआ और अगले ही पल जवाहिरी बालकनी में धड़ाम से गिर गया.

आवाज सुन कर परिवार के लोग दौड़ेदौड़े बालकनी में आए. उन्होंने 71 वर्षीय जवाहिरी को फर्श पर बेसुध गिरा हुआ देखा. वे उसे उठाने लगेलेकिन उन्होंने पाया कि जवाहिरी का शरीर बेजान हो चुका है और सांसें बंद हो चुकी हैं. दरअसलउस की मौत हो गई थी. वह मिसाइल हमले में मारा गया था.

इस हमले से कोई तेज विस्फोट का धमाका भी नहीं हुआ थाऔर न ही जवाहिरी के अलाव कोई और हताहत हुआ था. यहां तक कि मकान को भी किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था.

मिसाइल अमेरिकी ड्रोन विमान के जरिए दागी गई थी. इस की तैयारी अमेरिका ने एक सप्ताह पहले ही कर ली थीखुफिया एजेंसी द्वारा जवाहिरी की हर गतिविधि की जानकारी जुटा ली गई थी.

उस जानकारी के मुताबिक काबुल के एक मुख्य इलाके में स्थित इस 3 मंजिला मकान में रह रहे मिस्र के इस नामी जिहादी का बालकनी में सुबहसुबह टहलना पसंदीदा शौक था. वह सुबह की नमाज के बाद अमूमन उस बालकनी पर टहलने आया करता था.

 

31 जुलाई2022 रविवार को उस का यह काम अधूरा और आखिरी साबित हुआ. जिस बालकनी में 2 मिसाइलें आ कर गिरी थींउसी बालकनी से सटे कमरे में मौजूद जवाहिरी की पत्नी और बेटी को खरोंच तक नहीं आई. हमले से जो भी थोड़ीबहुत टूटफूट हुईवह केवल बालकनी में ही थी.

यह हमला इतना सटीक था कि लोगों को चौंका दिया. इस से पहले अमेरिकी सैनिकों द्वारा ऐसे कई हमले किए गएलेकिन उन का निशाना चूक गया या गलती हो गईजिस से आम लोग मारे गए. और फिर इसे ले कर हंगामा हुआ.

किंतु जवाहिरी पर हुए हमले के मामले में जिस तरह की मिसाइलों का इस्तेमाल हुआ और जिस तरह से जवाहिरी की आदतों पर करीबी नजर रखी गई और उस का अध्ययन किया गयाउसी की वजह से ही ऐसा सटीक हमला हो सका.

 

जवाहिरी की मौत की पुष्टि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक घोषणा करते हुए की. उन्होंने कहा कि इंसाफ हो गया. हम ने जवाहिरी को ढूंढ कर मार दिया है. अमेरिका और यहां के लोगों के लिए जो खतरा बनेगाहम उसे नहीं छोड़ेंगे. इसी तरह से अमेरिका ने हमले में जिस तरह की मिसाइल का इस्तेमाल कियावह भी काफी अहम है.

असल में जवाहिरी अमेरिका की नजर में बिन लादेन की तरह ही दुश्मन था. अमेरिका मानता था कि जवाहिरी के हाथ भी अमेरिकी नागरिकों के खून से रंगे हुए थेजिसे वहां की खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा चलाए गए आतंकवाद विरोधी औपरेशन के तहत अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में मार डाला. वह अपने परिवार के साथ छिपा हुआ था.

वैसे उसे मार गिराने में काफी लंबा समय लग गया. इस बारे में बाइडेन का कहना था कि उसे मारने में लगा लंबा समय मायने नहीं रखता हैबल्कि उन के लिए यह महत्त्वपूर्ण था कि वह कहां छिपा हुआ था. इस से पहले भी अमेरिका ने बिन लादेन को उस के छिपने के ठिकाने पर जा कर मार गिराया था.

अल जवाहिरी का आतंकवादी बनना कोई अचनाक नहीं हुआ था. उस का इस्लामिक आतंकवाद के साथ दशकों पुराना गहरा संबंध था. हालांकि उस का संबंध मिस्र के कट्टरपंथी संगठन मुसलिम ब्रदरहुड से 14 साल की उम्र में ही हो गया था. इस के बाद वह भले ही डाक्टर बन गया होलेकिन अरबी के साथ फ्रेंच भाषा का जानकार यह शख्स ताउम्र जेहाद की आड़ में दहशत फैलाता रहा.

अल जवाहिरी 1951 में मिस्र के एक रईस परिवार में पैदा हुआ था. उस ने उच्चशिक्षा भी हासिल की थी. वह सर्जन बना. लेकिन जब उस की शादी में हाईप्रोफाइल मेहमान बुलाए गए थेतभी उस ने ऐलान कर सभी को चौंका दिया था कि ये शादी शरिया के हिसाब से होगी.

महिलाओं और पुरुषों को अलगअलग रहना होगा. अपनी शादी तक में उस ने महिलाओं और पुरुषों को एक साथ नहीं दिखने का आदेश दे दिया था.

 

27 साल की उम्र में शादी करने के बाद जवाहिरी मिस्र की सेक्युलर सत्ता का सख्त आलोचक बन बैठा था. उस ने 1970 के दशक में ही इजिप्शियन इस्लामिक जिहाद नाम का संगठन बना कर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देना शुरू कर दिया. उस ने मिस्र में इस्लामिक हुकूमत के लिए खूब लड़ाई लड़ी थी.

पहली बार उस का नाम 1981 में तब चर्चा में आया थाजब वह मिस्र के राष्ट्रपति अनवर अल सादत की हत्या के आरोप में एक अदालत में खड़ा था. सफेद चोगा पहने जवाहिरी तब चिल्लाचिल्ला कर कह रहा था, ‘‘हम ने कुरबानी दी है और हम तब तक कुरबानियां देने को तैयार हैं जब तक कि इसलाम की जीत नहीं

हो जाती.’’

अदालत ने जवाहिरी को हत्या के आरोपों से बरी कर दिया थालेकिन अवैध हथियार रखने के मामले में उसे 3 साल की कैद सुनाई गई थी. हालांकि वह एक प्रशिक्षित सर्जन था. लोग उसे डाक्टर जवाहिरी के रूप में भी जानते थे.

 

सजा काटने के बाद वह पाकिस्तान चला गया और वहां बतौर डाक्टर उन अफगान लड़ाकों का इलाज करने लगाजो सोवियत रूस के खिलाफ लड़ रहे थे. उसी दौरान उस की दोस्ती बिन लादेन के साथ हो गई. उन दिनों ओसामा बिन लादेन एक धनी जिहादी हुआ करता थाजो अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ लड़ाई का हिस्सा बना हुआ था.

जवाहिरी ने मिस्र में इस्लामिक जिहाद की कमान 1993 में संभाल ली थी. उस के बाद वह नब्बे के दशक का आतंकी संगठनों की दुनिया का एक बहुत बड़ा नाम बन गया था. वह मिस्र की लोकतांत्रिक सरकार को गिरा कर इस्लामिक राज स्थापित करने के अभियान में लगा हुआ था. उस अभियान में 1200 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे.

जून1995 में मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक पर अदीस अबाबा में जानलेवा हमला हुआ था. उस हमले के बाद मिस्र की सरकार ने इस्लामिक जिहाद पर सख्ती बढ़ा दी थी. और उसे खत्म करने का काम शुरू कर दिया था.

जवाहिरी ने इस का बदला लेने के लिए इस्लामाबाद स्थित मिस्र के दूतावास पर हमले का आदेश दिया. बारूद से भरी 2 कारों ने दूतावास के दरवाजे पर टक्कर मार दी और जबरदस्त धमाका हुआजिस में 16 लोग मारे गए.

इस मामले में जवाहिरी पर मिस्र में मुकदमा चला और उस की गैरमौजूदगी में 1999 में उसे मौत की सजा सुना दी गई. लेकिन तब तक वह अल कायदा की स्थापना में बिन लादेन की मदद कर एक अलग मुकाम पर पहुंच चुका था.

 

2003 में अल जजीरा ने एक वीडियो जारी कियाजिस में लादेन और जवाहिरी को एक पथरीले पहाड़ी रास्ते पर सैर करते देखा गया. उस वीडियो ने अल जवाहिरी को दुनिया भर में स्थापित कर दिया.

उस के बाद सालों तक यह माना जाता रहा कि अल जवाहिरी पाकिस्तान और अफगानिस्तान में छिपा हुआ है. किंतु 2011 में बिन लादेन के मारे जाने के बाद उस ने अल कायदा की कमान संभाली. तब से कई बार उस ने वीडियो जारी कर इस्लामिक जिहाद को बढ़ाने और फैलाने का

संदेश दिया.

अपने दोस्त बिन लादेन को दी गई श्रद्धांजलि में उस ने वादा किया था कि वह पश्चिमी देशों के खिलाफ और बड़े आतंकी हमले करेगा. उस ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी थी, ‘जब तक तुम मुसलमानों की जमीन को छोड़ नहीं देतेतुम सुरक्षित होने का सपना भी नहीं

देख पाओगे.

साल 2014 में इस्लामिक स्टेट के उभार ने अल जवाहिरी का कद छोटा कर दिया. इराक और सीरिया में पनपा आईएस अल कायदा से कहीं ज्यादा खूंखार और खतरनाक बन कर उभरा. पश्चिमी देशों समेत दुनिया के तमाम आतंकवाद विरोधियों का ध्यान उस पर टिक गया.

इस का नतीजा यह हुआ कि जवाहिरी धीरेधीरे गुमनाम और बेअसर होने लगा. उस ने कई बार इस्लामिक जिहादियों को आकर्षित करने के लिए वीडियो संदेश जारी किए. अमेरिका की नीतियों पर टिप्पणियां भी कीं. लेकिन उस के संदेशों में पहले जैसा करिश्मा नहीं थाजो ओसामा बिन लादेन के संदेशों में होता था.

इस तरह से धीरेधीरे लोग जवाहिरी को भूलने लगेकिंतु पहली अगस्त को जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऐलान किया कि अल जवाहिरी मारा गयातब महीनों बाद अल जवाहिरी का नाम सुर्खियों में आ गया. वैसे उस की चर्चा आखिरी बार ही हुई.

जवाहिरी अल कायदा का प्रमुख जरूर थालेकिन कुछ सालों से वह उतना प्रभावशाली नहीं रहाजितनी उस की ताजपोशी के वक्त उम्मीद जताई गई थी. उस की चर्चा सिर्फ बेतुके बयानों को ले कर ही होती थीजो उस ने भारत के अंदरूनी मामले में भी तब दिएजब हिजाब विवाद हुआ था. उस ने अपने बयानों से कश्मीरियों को भी उकसाने का काम किया था और भारत के लिए भी खतरा बना हुआ था.

इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सक्रिय होने के बाद अल कायदा के वर्चस्व में कमी आ गई थी और जवाहिरी का रुतबा भी कम हो गया था.

 

ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल कायदा वैसे ही कमजोर हो गया था और जवाहिरी के करीबी सहयोगी रहे कई बड़े आतंकी एकएक कर के अमेरिकी हमलों में लगातार मारे जा चुके थे. इस से मिस्र से आए जवाहिरी के नेतृत्व और रणनीतिक क्षमताओं पर भी सवाल उठने शुरू हो गए थे.

जबकि लादेन के जिंदा रहने तक जवाहिरी का रुतबा कहीं ऊंचा था. उस के समर्थकों का मानना था कि जवाहिरी एक सख्त और लड़ाका इंसान थातब अल कायदा ने दुनिया के कई मुल्कों में छोटेछोटे संगठन तैयार किए थे.

उन संगठनों के जरिए एशियामध्य पूर्व और अफ्रीका में सिर्फ आतंकी हमले करवाने के साथसाथ बड़े राजनीतिक बदलावों को भी जन्म दिया. उन्हीं में एक थी अरब क्रांतिजिस ने उन सभी छोटे संगठनों को कमजोर कर दिया.

अल कायदा 11 सितंबर2001 को न्यूयार्क में किए गए हमले के बाद चर्चा में आया थाजिस की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रची गई साजिश से उस के कद और नेटवर्क के विस्तार का पता चला था. लेकिन 2001 में हुए उस हमले के बाद अल कायदा फिर से स्थानीय स्तर पर सिमटने लगा था. जल्द ही उस का दायरा और प्रभाव अफगानिस्तान तक सीमित हो गया था.

फिर भी उसे जवाहिरी को ढूंढ निकालना आसान नहीं था. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक उस पर किए गए हमले से पहले सीआईए के अधिकारियों ने उस घर का विस्तृत मौडल तैयार किया था. उस मौडल को व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति को भी दिखाया गया था.

अधिकारी इस बात से वाकिफ थे कि अल जवाहिरी को बालकनी में घूमना और बैठना पसंद है. उस मौडल को तैयार करने में महीनों का वक्त लग गया था.

इस नक्शे को तैयार करने तक पहुंचने में अमेरिकी जासूसों को सालों लगे थे. इस दौरान देश के 4 राष्ट्रपति बदल गए. तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर पिछले साल कब्जे के बाद उस के एक धड़े हक्कानी नेटवर्क की मदद से अल जवाहिरी के परिवार को काबुल में यह घर मिला था.

अमेरिकी जासूसों को जब उस के ठिकाने का पता चलातब हमले के वक्त उस के सही जगह पर होने के बारे में पता लगाया गया. सधी हुई और विस्तृत योजना बनाने के बाद ही बाइडेन ने इसे कार्यान्वित करने की मंजूरी दी.

योजना में यह बात कही गई थी कि हमले में सिर्फ बालकनी को नुकसान पहुंचेगा और अल जवाहिरी के अलावा घर में रह रहा कोई भी व्यक्ति प्रभावित नहीं होगा.

अप्रैल और मई में तैयारियां करने के बाद पहली जुलाई को जो बाइडेन को हमले की पूरी योजना के बारे में बताया गया. बाइडेन ने घर का मौडल देखा और सीआईए प्रमुख समेत अपने सभी सलाहकारों से रायमशविरा करने के बाद ही 25 जुलाई को इस हमले की काररवाई की मंजूरी दी थी.

अभी और बचे हैं खूंखार आतंकवादी: जवाहिरी की मौत का मतलब यह नहीं कि आतंक का खात्मा हो गया. कारणअभी और भी खूंखार आतंकी बचे हुए हैं. उन्हीं में एक है सैफ अल अदेलजो खुद को अल कायदा का उत्तराधिकारी बताता है.

अल कायदा के संस्थापक सदस्यों में सैफ अल अदेल का नाम उत्तराधिकारियों के नामों के शीर्ष में हैक्योंकि संगठन में इस की तूती बोलती है. इसे भी ओसामा बिन लादेन और अल जवाहिरी का करीबी माना जाता है.

जिस तरह से लादेन की मौत के बाद अल जवाहिरी ने अल कायदा की गद्दी संभाली थी. उसी तरह जवाहिरी की मौत के बाद आतंकी संगठन अल कायदा के अगले चीफ को ले कर भी चर्चा होने लगी है.

वैसे तो इस आतंकी संगठन में खूंखार आतंकियों की कमी नहीं हैलेकिन सैफ अल अदेल का नाम संगठन के उत्तराधिकारियों की लिस्ट में सब से ऊपर है. वैसे अल अदेल के बारे में बहुत कम लोगों को मालूम है कि वह आतंक की दुनिया का पुराना नाम है.

साल 1980 के दशक के अंत में वह आतंकवादी समूह मकतब अलखिदामत में शामिल हो गया था. यहां तक कि  9/11 आतंकी हमले में इस का भी हाथ था. वह खुद को स्वार्ड औफ जस्टिस’ (न्याय की तलवार) कहता है.

वह मिस्र की सेना का पूर्व अधिकारी रह चुका है. बताते हैं कि वह इतना खूंखार है कि एफबीआई ने उसे मोस्ट वांटेट की सूची में शामिल किया है और उस के सिर पर 10 मिलियन डालर का ईनाम भी है. यही कारण है कि जवाहिरी के मरने के बाद इसे ही अलकायदा का अगला उत्तराधिकारी माना जा रहा है.

अल अदेल 30 वर्ष की उम्र से ही कुख्यात रहा है. तब उस ने सोमालिया के मोगादिशु में 1993 के कुख्यात ब्लैक हौक डाउन’ औपरेशन को अंजाम दिया था. इस औपरेशन में 19 अमेरिकी सैनिक मारे गए थे.

इस के बाद सैनिकों के शवों को सड़क पर घसीटा गया था. 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद से अल अदेल अल कायदा के भीतर एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिकार बन गया था.

 

अल कायदा में नेतृत्व के लिए सब से आगे मिस्र का पूर्व कमांडर और ओसामा का वफादार सैफ अल अदेल का जन्म नील डेल्टा में हुआ था. करीब 22 सालों से इस आतंकी संगठन से जुड़ कर ईरान और अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा में अपना ठिकाना बदलता रहा है.

वैसे वह शिया बहुल ईरान में कई सालों तक रहा हैजबकि अलकायदा एक सुन्नी संगठन है. 2001 में कांधार में एक छापे के दौरान अमेरिकी सेना द्वारा बरामद की गई एक लिस्ट में वह 8वें नंबर पर था. इस लिस्ट में 170 लोगों का नाम था. ओसामा इस लिस्ट में सब से ऊपर था.

बताते हैं कि सैफ का शरीर चोटों के निशानों से भरा पड़ा है. उस की दाहिनी आंख के नीचे चोट की वजह से एक घाव है. उस के दाहिने हाथ पर एक चोट का निशान है और एक हाथ टूटा हुआ है. सोमालिया में अमेरिका के खिलाफ लड़ाई और गुरिल्ला युद्ध का भी वह अनुभव रखता है.

उस के सिर पर भी 5 मिलियन डालर का ईनाम थाजिसे बाद मे 10 मिलियन डालर कर दिया गया. इस की वजह नैरोबी में बमबारी और अगस्त 1998 के दार एस सलाम बम विस्फोटों में उस की कथित भूमिका थी.

इस विस्फोट में 224 लोग मारे गए थे. वह अफगानिस्तान में फारुक ट्रेनिंग कैंप का अमीर था. रम्जी यूसफजो 1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए एक हमले में शामिल थाको उस का स्टूडेंट माना जाता है.

अब्देल रहमान अल मगरीबी

अलकायदा का एक और वरिष्ठ आतंकी अब्देल रहमान अल मगरीबी अल जवाहिरी का दामाद है. वह मोरक्को का रहने वाला है और कोर काउंसिल का सदस्य है. उस ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. जर्मनी में सौफ्टवेयर प्रोग्रामिंग सीखने के बाद अल कायदा के मीडिया औपरेशन और इस के आधिकारिक मीडिया विंग अल साहब के नेतृत्व का काम संभाले हुए है.

अमेरिका ने उस के सिर पर 7 मिलियन डालर का ईनाम रखा है. रहमान के बारे में एफबीआई का कहना है कि 11 सितंबर2001 की घटनाओं के बादअल मगरीबी ईरान भाग गया था और शायद ईरान और पाकिस्तान के बीच आताजाता रहता है. अमेरिकी सरकार की नजर में वह अलकायदा का एक वरिष्ठ नेता  है.

अबू इखलास अल मसरी

अलकायदा के एक शीर्ष सैन्य कमांडरमसरी को अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान के कुनार प्रांत से अप्रैल2011 में एक छापे के दौरान पकड़ लिया था. अलकायदा के अधिकांश शीर्ष नेताओं की तरह मसरी भी मिस्र से है.

हालांकिअफगानिस्तान के लिए पहला अमीर मसरी को पिछले साल अफगान तालिबान ने जेल से मुक्त कर दिया गया. अमेरिका का दावा है कि वह कश्मीर के आतंकी समूहों से जुड़ा रहा है.

अमीन मोहम्मद अलहक साम

यह एक डाक्टर और अफगान नागरिक है. अमीन मोहम्मद उल हक साम खान ओसामा बिन लादेन का सिक्योरिटी कोऔर्डिनेटर रह चुका है. यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी है.

अमीन को पाकिस्तान में पकड़ लिया गया थालेकिन सबूतों के अभाव में उसे बाद में रिहा कर दिया गया. उस की रिहाई पर पश्चिमी देश नाराज हुए थे.

पिछले साल तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद वह देश के नंगरहार प्रांत में लौट आयाजहां उस का जन्म हुआ था. यहां पहुंचने पर भीड़ ने उस का जोरदार स्वागत किया था.

वह 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका द्वारा तय किए गए 39 आतंकवादियों में से एक था. ओसामा बिन लादेन और अलकायदा के लिए विभिन्न गतिविधियों फंडिंग करनेयोजना बनाने और तैयारी करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने उस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

अंधविश्वास: धर्म के डर की देन है नरबलि

आज भी देश में तंत्रमंत्रदकियानूसी मान्यताएं और नासमझी इतनी ज्यादा हावी है कि लोग अपने फायदे के लिए दूसरे का नुकसान करने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं. ऐसा ही कुछ हाल ही में हुआजब एक मंदिर की चौखट पर एक सिरफिरे ने किसी नौजवान की कुल्हाड़ी से वार कर के हत्या कर दी.

दरअसलमध्य प्रदेश के रीवां जिले के बैकुंठपुर थाने के बेढ़ौआ गांव में बने एक देवी मंदिर के नजदीक 6 जुलाई2022 को एक नौजवान की लाश बरामद हुई थीजिस की गला काट कर हत्या की गई थी.

पुलिस कार्यवाही में उस नौजवान की पहचान 18 साल के दिव्यांश कोल के रूप में हुईजो क्योंटी इलाके का रहने वाला था. साथ हीयह भी जानकारी मिली कि दिव्यांश कोल को उसी दिन रामलाल प्रजापति के साथ देखा गया थाजो क्योंटी का ही रहने वाला था.

पुलिस ने शक के आधार पर रामलाल प्रजापति को हिरासत में ले कर थाने में पूछताछ कीतो एक ऐसा खौफनाक सच सामने आया कि सुन कर ही रोंगटे खड़े हो जाएं.

रामलाल प्रजापति ने पुलिस को बताया कि उस की 3 बेटियां थीं और उस ने एक बेटे के लिए देवी से मन्नत मांगी थी. बाद में उस की मन्नत पूरी हो गई और उसे एक बेटा हुआ.

अब मन्नत पूरी करने की बारी थीजिस के मुताबिक उसे एक नौजवान की बलि देवी को देनी थीजिस के लिए वह किसी लड़के की तलाश कर रहा था.

वारदात के दिन रामलाल प्रजापति को बकरियां चराता हुआ दिव्यांश कोल मिल गया था. वह उसे अपने साथ बेढ़ौआ गांव में बने देवी मंदिर में ले गयाजो काफी सुनसान जगह पर था. वहां पर उस ने दिव्यांश कोल की कुल्हाड़ी से गला काट कर हत्या कर दी और मौके से फरार हो गया.

बाद में यह भी पता चला कि आरोपी रामलाल प्रजापति तंत्रमंत्र का काम करता था और गांव के लोगों के बीच झाड़फूंक करता था. वह गले तक धार्मिक प्रपंचों में डूबा हुआ था.

32 साल का रामलाल प्रजापति अकेला ऐसा इनसान नहीं हैजिस पर अपने फायदे के लिए नरबलि की सनक सवार हुई हो. उत्तर प्रदेश के सीतापुर में भी एक नौजवान की बलि देने की कोशिश की गई थी.

गांव डिघरा के नंदराम के मुताबिक22 जून2022 को गांव का ही राहुल जरूरी काम बता कर उसे बुला ले गया था और सुबह 10 बजे से देर रात तक उसे घर में बिठाए रखा. 3 लोग घर में गड्ढा खोद रहे थे. राहुल की मां नंदराम पर चावल छिड़कती रही.

नंदराम का आरोप है कि वे लोग गड्ढे में दबा कर उस की बलि देना चाहते थेपर वह किसी तरह बच कर घर आया और आपबीती परिवार वालों को बताई.

नंदराम के भाई अनिल का आरोप है कि राहुल के घर तांत्रिक आए थेजो मंत्रों का उच्चारण करते हुए बलि दिए जाने की बात कह रहे थे. घर के करीब 12 फुट गहरा गड्ढा खोदा गया था.

इसी तरह साल 2015 की बात है. महाराष्ट्र के नासिक जिले में तंत्र साधना के लिए 2 औरतों की बलि देने का मामला सामने आया था. तब घोटी पुलिस ने तांत्रिक औरत वछीबाई खडगे समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. वछीबाई ने पुलिस को बताया था कि उस ने अपने गुरु के कहने पर ये बलि दी थीं.

घोटी पुलिस के मुताबिकइगतपुरी के पास एक आदिवासी गांव की औरत वछीबाई खडगे तंत्र साधना करना चाहती थी. उस के गुरु ने उसे बताया था कि

इस के लिए उसे 7 औरतों की बलि

देनी होगी. इस के बाद वछीबाई ने औरतों की तलाश शुरू कर दी थी.

इसी बीच तांत्रिक वछीबाई की एक शिष्या बुगीबाई ने उसे बताया कि उस की सास उसे काफी तंग करती हैजिस पर वछीबाई ने कहा कि उस की सास पर भूत का साया है. इस के बाद झाड़फूंक के नाम पर वछीबाई ने सास की दर्दनाक हत्या कर दी और उस की लाश को दफना दिया.

इस के बाद वछीबाई ने गांव के ही

2 भाइयों गोविंद और काशीनाथ को भी बरगला कर उन की मां को मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद उस ने उन की बहन को भी लपेटे में लेने की कोशिश कीलेकिन बहन को इस की भनक लग गई और वह किसी तरह उन के चंगुल से निकल कर पुलिस थाने पहुंच गई.

साल 2016 में मुंबई के मालाड इलाके में एक रात वंजारी पाडा के लोग उस वक्त हैरान हो गएजब उन्हें इलाके के ही एक झोंपड़े के अंदर जमीन में गड्ढा खोदने की भनक लगी.

हैरान पड़ोसी हकीकत जानने के लिए जब उस झोंपड़े में घुसेतो वहां मौजूद 4 में से 3 लोग भाग गएलेकिन एक शख्स पकड़ में आ गया.

पकड़े गए शख्स ने बताया कि वे जमीन में गड़ा सोना पाने के लिए नरबलि देने की तैयारी में थे. पकड़े गए शख्स के बेटे धर्मेंद्र गौड़ ने आरोप लगाया है कि नरबलि दे कर जमीन में गड़ा सोना पाने की साजिश एक मौलाना की थीजो लोगों के घर में घुसते ही बाकी आरोपियों के साथ भाग गया.

भारत में नरबलि एक जघन्य अपराध है और इस पर कानूनी तौर पर पूरी तरह से रोक हैफिर भी लोग अपने फायदे के लिए किसी दूसरे की जान लेने में भी नहीं झिझकते हैं.

इस तरह की नरबलि की जड़ में अंधविश्वास होता हैजिस में तंत्रमंत्र

का तड़का उसे और ज्यादा भयावह बना देता है.

रामलाल प्रजापति की 3 बेटियां थींपर उस पर बेटा पाने की सनक सवार थी और इस के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता थाजो उस ने साबित भी कर दिया. उस ने जरा भी नहीं सोचा कि दिव्यांश कोल किसी के घर का चिराग है और जब बेटा पैदा ही हो चुका हैतो क्यों किसी मासूम की बलि दी जाए.

पर चूंकि रामलाल प्रजापति देवी से वादा कर चुका थातो फिर यह नाफरमानी कैसे कर सकता था. धर्म का डर उस पर इतना ज्यादा हावी हो गया कि उस ने यह कांड कर दिया.   

सत्यकथा: समलैंगिक डॉ राखी का खौफनाक कदम

वाराणसी में कपसेठी थाना क्षेत्र के ग्रामीण इलाके मटुका (तक्खू की बावली) में तन्हा जिंदगी गुजार रही
डा. राखी वर्मा की वह रात भी करवटें बदलती गुजरी. दिमाग में तरहतरह के विचार आ रहे थे. वह अपने करिअर को ले कर चिंतित थी. उस ने होम्योपैथी में डाक्टरी की पढ़ाई पूर कर ली थी, लेकिन डाक्टरी में मन नहीं लग रहा था. वह कोई ऐसा सामाजिक काम करना चाहती थी, जिस से उस का समाज में रुतबा बने और मन को संतुष्टि भी मिले.
लेकिन उस रात बेचैनी किसी और बात को ले कर थी. मन में बारबार खास सहेली कंचन का खयाल आ रहा था. वह समझ नहीं पा रही थी कि जिसे वह दिलोजान से चाहती है, आखिर वह उस की शादी में रोड़ा क्यों अटका रही है?
कंचन पटेल पास में रहने वाली ब्यूटीशियन थी. अपना ब्यूटीपार्लर चलाती थी. उस की अपनी छोटी सी दुनिया थी, जिस में पति के अलावा 2 छोटेछोटे बच्चे थे. उन के अलावा कोई और था तो वह थी सहेली राखी वर्मा.
दरअसल, 30 के करीब हो चुकी डा. राखी वर्मा को अपने मन के लायक एक जीवनसाथी का इंतजार था. ऐसा हमसफर, जो उस के मन को समझे, उसे तहेदिल से प्यार करे. उस की भावनाओं और विचारों का सम्मान करे. उस के हर इशारे को समझते हुए उस की सभी बातों को मानने के लिए तत्पर रहे. इन सब से बड़ी महत्त्वाकांक्षा थी कि उसे ऐसा पति चाहिए था, जो उस की सैक्स की जरूरतों को भी पूरा कर सके.
यही सब सोचसोच कर उस की रातें अकसर करवटें लेते बीतती थीं. देह की आग में वह सुलगती रहती थी. उसे वह अपनी सहेली कंचन से मिल कर शांत करने की कोशिश तो करती थी, लेकिन उस से पुरुष के देह सुख जैसा आनंद नहीं मिल पाता था, बल्कि उस की आग और भड़क जाती थी.
20 अप्रैल, 2022 की रात राखी कुछ ज्यादा ही बेचैन थी. उस के दिमाग में एक साथ कई बातें चल रही थीं. अपनी सहेली कंचन की कुछ बातों को ले कर वह गुस्से में भी थी.

हालांकि कुछ दिन पहले उस की कंचन के साथ जो बहस हुई थी, उस में गलती उसी की ही थी. इस के लिए उस ने माफी भी मांग ली थी. फिर भी राखी को बारबार यह महसूस हो रहा था कि कंचन उस का भविष्य चौपट करना चाहती है.
यही सब सोचतेसोचते उस ने मोबाइल लिया और एक वीडियो देखने लगी. मोबाइल देखते हुए कब उस की आंख लग गई, उसे पता ही नहीं चला.
अगले रोज 21 अप्रैल, 2022 को राखी की नींद काफी देर से खुली थी. घर में अकेली रहती थी. अपनी मरजी की मालकिन थी. उस के 2 भाई सूरत में रह कर प्राइवेट नौकरी करते थे.
‘अरे बाप रे! साढ़े 8 बज गए!! मोबाइल का अलार्म क्यों नहीं बजा.’ भुनभुनाती हुई रेखा अपने कपड़े दुरुस्त करने लगी, ‘अरे, मेरे कपड़े किस ने खोले? ब्रा कहां चली गई? यहां कौन आया था रात को? कोई तो नहीं, दरवाजे की कुंडी तो भीतर से लगी है.’ खुद से बड़बड़ाती हुई बैड के किनारे झांक कर देखा और
नीचे जमीन पर पड़ी ब्रा को उठा कर
पहनने लगी.
उस की नजर सामने के शीशे पर पड़ गई और अपने बदन को देख कर शरमा कर खुद से ही बोली, ‘इतनी सुंदर तो देह है मेरी… कंचन कैसे कहती है कि वह सैक्सी नहीं दिखती है. आज मैं बताती हूं उसे कि सैक्सी क्या होती है?’
इसी के साथ उस ने कंचन को फोन मिला दिया. कई बार घंटी बजने के बाद भी उस ने फोन नहीं उठाया.
‘‘लगता है पति को काम पर भेजने की तैयारी कर रही होगी,’’ बोलती हुई राखी ने फोन काट दिया और उसे चार्ज करने को लगा दिया.
थोड़ी देर में ही नहाधो कर राखी कमरे में आ गई. चार्जिंग में लगे मोबाइल को देखा. कंचन की 3 मिस काल आ चुकी थीं. उस ने तुरंत कंचन को काल कर दिया.
कंचन ने भी काल रिसीव कर लिया, ‘‘हैलो! हां राखी, बोलो. तुम को तो पता ही है सुबहसुबह बहुत काम होता है. सब के लिए नाश्तापानी बनाना होता है. पति को काम पर ले जाने के लिए अलग से कुछ पकाना होता है. खैर, बोलो किसलिए फोन किया है?’’
‘‘अरे, कोई खास बात नहीं, मन नहीं लग रहा था. बड़ी मुश्किल से रात गुजरी है. काम निपटा कर आ जा न, कुछ देर साथ बैठेंगे, गप्पें लड़ाएंगे. तुम्हें एक जरूरी बात भी बतानी है.’’

दिन के साढ़े 10 बजे के करीब कंचन राखी के पास आ गई थी. उस के आते ही राखी उस के गले लग गई. बोलने लगी. ‘‘चलो, मेरे कमरे में. घर में कोई नहीं है. हफ्तों हो गए तुम्हारे साथ एकांत में समय बिताए. तुम से बहुत बातें करनी हैं. कल तुम ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया था, वह भी तो जानना है कि आखिर तुम चाहती क्या हो?’’
‘‘लगता है, तुम आज भी मुझ से नाराज हो,’’ कंचन को न जाने क्यों
लगा कि राखी ने उसे किसी बहाने से बुलाया है.
‘‘नहीं कंचन, तुम्हारी जैसी मेरी कोई सहेली न पहले थी और न हो पाएगी. मैं भला तुम से क्यों नाराज रहने लगी. बस, एक ही बात मन में खटकती रहती है…’’
राखी की बात पूरी करने से पहले ही कंचन बोल पड़ी, ‘‘कौन सी बात?’’
‘‘वही जो तुम ने मेरे होने वाले ससुराल वालों से कही है,’’ राखी शिकायती लहजे में बोली.
‘‘तुम ने मेरी बात का गलत मतलब लगा लिया है. मैं ने तो उन्हें सिर्फ इतना कहा कि मेरी सहेली की नाक पर गुस्सा बैठा रहता है, लेकिन तुरंत वह कहां गायब हो जाता है उसे भी नहीं मालूम पड़ता. वह बहुत ही अच्छे दिल की लड़की है,’’ कंचन ने सफाई दी.
‘‘तुम्हारी इसी बात के कारण ही अब वे हम से रिश्ता नहीं करना चाहते,’’ राखी बोली.
‘‘अब देखो राखी, इस में मेरा क्या कसूर है, जो उन्होंने मेरी बात का गलत मतलब निकाल लिया. चलो, आज ही उस लड़के से मिल कर बात करती हूं. तुम भी साथ रहना.’’
‘‘और तुम ने लड़के को जो वीडियो दिखाया था, उस का क्या?’’
‘‘वीडियो? कैसा वीडियो?’’ कंचन चौंकती हुई बोली.
‘‘आयहाय! इतनी भोली मत बनो,’’ राखी बोली.
‘‘देखो, तुम मुझे गलत समझ रही हो. मैं किसी वीडियो के बारे में नहीं जानती,’’ कंचन बोली.
‘‘यह देखो, वह वीडियो तुम ने जिसे भेजा, उसी ने मुझे भेज कर शादी भी तोड़ दी,’’ राखी बोली और अपने मोबाइल में एक वीडियो प्ले कर कंचन की आंखों के सामने कर दिया.

वह वीडियो राखी और कंचन का था. वीडियो में दोनों हमबिस्तर थे. उत्तेजक सीन में उन के समलैंगिक होने के प्रमाण थे. एकदूसरे को चूमने और यौनाचार के सीन वाले करीब 5 मिनट के वीडियो में राखी की भावभंगिमा काफी आक्रामक और कामुकता वाली थी. उसे देख कर कंचन चौंकती हुई बोली, ‘‘यह वीडियो किस ने बनाया?’’
‘‘जिस ने भी बनाया गलत किया. खैर, अब छोड़. जो होना था हो गया, उसे तू ही सुधार सकती है. चल आज ही लड़के से मिल कर सब कुछ बता देते हैं,’’ राखी ने गिरगिट की तरह रंग बदलते हुए कंचन को बैड पर गिरा दिया. खुद उस पर लेट गई और बेतहाशा चूमने लगी. उस के साथ छेड़छाड़ करने लगी.
‘‘अरे… अरेअरे… क्या करती हो? दिन का समय है. कोई आ जाएगा,’’ बोलती हुई कंचन राखी की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी.
‘‘कुछ नहीं, बस थोड़ी देर. वीडियो देखने के बाद मन नहीं मान रहा. मत रोक मुझे,’’ बेचैन हो चुकी राखी ने कंचन के कपड़े खोलने शुरू कर दिए थे.
इसी सिलसिले में उस ने कंचन के दुपट्टे को उस की आंखों पर पट्टी की तरह लपेट दिया था. तब तक कामुकता की चिंगारी कंचन की देह में भी सुलग चुकी थी. उस का प्रतिरोध ढीला पड़ गया था. उसे भी काफी दिनों बाद समलैंगिक सहेली का सैक्सी स्पर्श मिला था. यानी वह राखी के लिए समर्पण के मूड में आ चुकी थी.
अगले पल उस पर लेटी राखी उठ कर जैसे ही कंचन से अलग होने लगी, उस ने टोका, ‘‘अब आग जला कर कहां जा रही हो?’’
‘‘बस अभी आई, तुम आंखें बंद किए रहना,’’ इसी के साथ राखी कमरे से बाहर चली गई.
2 मिनट में ही पीछे हाथ किए हुए वह वापस लौट आई. आंखें मूंदे कंचन बोली, ‘‘आ गई?’’
‘‘हां, मेरी जान. और यह लो तुम्हारे लिए कुछ ले कर आई हूं.’’

उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के मटुका तक्खू की बावली गांव निवासी संजय पटेल कंचन के पति हैं. वह मिर्जापुर
में भूमि परीक्षण अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं.
उस रोज 21 अप्रैल, 2022 को उन्हें औफिस जाने में देर हो चुकी थी. वह स्कूटर से अभी रास्ते में ही थे कि उन के मोबाइल की घंटी बजने लगी. उन्होंने तुरंत स्कूटर रोक कर मोबाइल देखा.
कंचन की काल थी. उन्होंने तुरंत काल रिसीव की.
‘‘हैलो भैया, मैं राखी बोल रही हूं. आप जल्दी से मेरे घर आ जाइए. कंचन भाभी की तबीयत अचानक बिगड़ गई
है. वैसे मैं ने उसे दवा दे दी है, लेकिन इमरजेंसी है.’’
कंचन के फोन से राखी का काल आने पर संजय को कोई आश्चर्य नहीं हुआ. क्योंकि वही कंचन को औफिस के लिए निकलते समय स्कूटर से राखी के घर तक छोड़ गए थे. आश्चर्य तो उन्हें इस बात का था कि भलीचंगी कंचन को अचानक क्या हो गया.

इस पर ज्यादा दिमाग लगाने के बजाय वह 20 मिनट के भीतर ही राखी के घर जा पहुंचे. बाहर का दरवाजा आम दिनों की तरह भिड़ा हुआ था. कंचन के पति संजय दनदनाते हुए राखी और कंचन को आवाज लगाते हुए घर में चले गए.
कमरे में दाखिल होते ही वहां का दृश्य देख कर वह सन्न रह गए. उन्हें ऐसा लगा मानो पैरों के तले की जमीन खिसक गई हो. वह गिरतेगिरते बचे.
कमरे में डा. राखी बैड पर एक किनारे बैठी अपना खून सना हाथ साफ कर रही थी, जबकि बैड पर कंचन खून से लथपथ पड़ी हुई थी. राखी के पैर के पास ही एक फावड़ा पड़ा था, जिस पर खून लगा था. काफी खून जमीन पर भी गिरा हुआ था.
‘‘राखी, क्या हुआ कंचन को? ये खून कैसा है? किस ने किया ये सब? किस ने मारा कंचन को?’’ संजय चीखे.
‘‘मैं ने मारा,’’ धीमी आवाज में राखी बोली.
‘‘क्यों मारा इसे? इस ने क्या बिगाड़ा था तुम्हारा?’’ संजय गुस्से में बोले.
‘‘मेरी शादी रुकवा दी थी, इसीलिए मैं ने इसे फावड़े से काट डाला.’’
अब तक बैड पर पैर लटकाए बैठी राखी भी तेवर में आ चुकी थी.
‘‘ऐंऽऽ फावड़े से काट दिया? तुम्हारी इतनी हिम्मत, लड़की हो या कसाई?’’
यह कहते हुए संजय ने कंचन की नाक के सामने अपना हाथ ले जा कर देखा. उस की सांसें बंद थीं. तभी संजय ने जेब से मोबाइल निकाला और तुरंत पुलिस को फोन मिलाया. काल रिसीव होते ही संजय ने कहा, ‘‘हैलो पुलिस कंट्रोल रूम! जल्दी यहां आ जाइए, यहां तक्खू की बावली में एक औरत का खून हो गया है. खून करने वाली भी औरत है. वह भी यहीं है.’’ इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
इस के थोड़ी देर बाद ही कपसेठी थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंच गई. कई पुलिस वालों को अचानक गांव में आया देख लोग भी चौंक गए. मौके पर पहुंची पुलिस ने सब से पहले हत्यारोपी सहेली डा. राखी वर्मा को हिरासत में ले लिया.
हत्या में प्रयुक्त फावड़ा पास ही पड़ा था. मृतका कंचन का शव बैड पर खून से सने अस्तव्यस्त कपड़ों में था. उस की आंखों पर दुपट्टे से पट्टी बंधी थी.

थानाप्रभारी ने इस की सूचना एडिशनल एसपी (ग्रामीण) नीरज पांडे, सीओ (बड़ागांव) जगदीश कालीरमन को भी दे दी. थोड़ी देर में वे भी मौके पर पहुंचे गए और घटना के संबंध में जानकारी ली. फोरैंसिक टीम ने सबूत जुटाने शुरू किए. प्रारंभिक काररवाई करने के बाद कंचन की लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.
दिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम देने वाली राखी वर्मा बगैर किसी विरोध के चुपचाप पुलिस के साथ थाने चली गई. वहीं उस से पूछताछ हुई और उस के बयान नोट किए गए. राखी ने बताया कि मरने वाली कंचन पटेल (30) उस की सहेली थी.
कंचन ने अपने मकान के ही एक कमरे में ब्यूटीपार्लर खोल रखा था. उस का घर कुछ दूरी पर ही था. कंचन से उस की जानपहचान पिछले पंचायत चुनाव के दौरान तब हुई थी, जब वह ग्रामप्रधान का चुनाव लड़ी थी.
अपने बारे में राखी ने बताया कि उस के पिता बजरंगी वर्मा हैं. उस ने इलाहाबाद से बीएचएमएस की पढ़ाई की है. वह डा. राखी वर्मा है, लेकिन लोग उसे नेता के रूप में ही जानते हैं.
हालांकि प्रधान का चुनाव वह हार गई थी. चुनाव के दौरान ही कंचन और राखी के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं. उन के बीच दोस्ती इस तरह की
बनी कि दोनों एक साथ काफी समय बिताने लगीं.
कोई भी दिन ऐसा नहीं गुजरता था, जब वे न मिलती थीं. राखी के कंचन के परिवार से पारिवारिक संबंध बन गए थे. वह कंचन के पति को भैया कहती थी. इस तरह राखी कंचन की मुंहबोली ननद बन गई थी.
कंचन के देवर राजीव कुमार की तहरीर पर पुलिस ने राखी की मां सीमा देवी, पिता बजरंगी वर्मा, सावित्री, अमित समेत 5 जनों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया था.
राखी के परिजनों से हत्या का कारण पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उस की कहीं शादी तय हो गई थी, लेकिन कंचन ने उस के ससुराल वालों से यह कह दिया था कि राखी की मानसिक स्थिति अच्छी नहीं है. उस से शादी न करें.
इस की जानकारी राखी को भी हो गई थी, जिस से वह नाराज हो गई थी और घटना को अंजाम दे दिया. इस के साथ ही कुछ लोगों ने दबी जुबान में बताया कि कंचन और राखी के बीच अंतरंग संबंध थे. यानी वे लेस्बियन थीं.

कंचन के परिवार वाले उस पर दबाव डाल रहे थे कि वह राखी से दूरी बना ले, जिस कारण से कंचन ने राखी से दूरी बनानी शुरू कर दी थी. राखी एक विक्षिप्त मानसिकता की लड़की थी. वह हर बात को नकारात्मक तरीके से सोचती थी और बातबात पर उग्र हो जाती थी.
कई बार उस के स्वभाव को ले कर कंचन राखी को डांट भी लगा चुकी थी. पुलिस ने कंचन और राखी के बीच समलैंगिक संबंध के बारे में संजय पटेल से पूछा तो उन्होंने भी इसे दबी जुबान से स्वीकार कर लिया.
इसी के साथ उस ने यह भी बताया कि उस की पत्नी को समलैंगिक बनाने में राखी का ही हाथ है. वह पहले ऐसी नहीं थी. उस की वजह से कंचन से उस के अंतरंग संबंधों पर भी फर्क पड़ गया था.
उस से छुटकारा दिलाने के लिए उस ने दोनों के अंतरंग सीन का चोरीछिपे वीडियो बनाया था और वह वीडियो राखी को भेज कर चेतावनी दी थी कि वह कंचन के साथ संबंध खत्म कर ले वरना उस के होने वाले ससुराल वालों को इस बारे में बता देगा.
हालांकि इस के पीछे उस की मंशा बुरी नहीं थी. वह चाहता था कि राखी सामान्य जीवन गुजारे और नए बनने वाले वैवाहिक जीवन को अच्छी तरह से गुजारे.
लेकिन राखी ने इस का गलत अर्थ लगा लिया. उस ने सोचा कि कंचन ने उस की शादी बिगाड़ने का प्रयास किया. इसी बात से नाराज हो कर उस ने कंचन को मौत के घाट उतार दिया था. हत्या करने के तरीके के बारे में राखी ने पुलिस को जो बताया, वह भी कुछ कम हैरान करने वाला नहीं है.

पुलिस के सामने अपना जुर्म कुबूल करते हुए उस ने बताया कि इस की योजना वह महीने भर से बना रही थी. इस का खुलासा क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा राखी के मोबाइल की जांच करने पर हुआ.
मोबाइल खंगालने पर पुलिस ने पाया गया कि एक माह से राखी यूट्यूब पर फावड़े से हत्या करने का वीडियो खोज रही थी. तफ्तीश में यह बात सामने आई कि घटना के दिन कंचन जब उस के घर पहुंची तो उस ने वीडियो से सीखे तरीके का इस्तेमाल बड़ी सफाई से कर लिया.
बैड पर लेटी कंचन की आंखों पर पट्टी बंधी थी. उसे इस का जरा भी अहसास नहीं था कि राखी उस के साथ क्या विश्वासघात करने वाली है. राखी ने फावड़े से कंचन का गला काट डाला था.
उस ने यह भी स्वीकार कर लिया कि कंचन और उस के बीच समलैंगिक संबंध थे और उसी दौरान एक आपत्तिजनक वीडियो कंचन के घर वालों के हाथ लग गया. वीडियो के आधार पर कंचन के परिजन उसे ब्लैकमेल कर रहे थे.
उसी वीडियो के चलते उस की शादी भी टूट गई थी. वह मानसिक तौर पर प्रताडि़त हो रही थी. इसी वजह से उस ने एक महीने पहले ही कंचन की हत्या की योजना बना ली थी.
डा. राखी वर्मा से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस को प्रारंभिक जांच में इस हत्याकांड में अन्य नामजद लोगों की संलिप्तता नहीं दिखी.
आगे की तफ्तीश में नामजद लोगों के खिलाफ सबूत मिलने पर पुलिस उन के खिलाफ भी कानूनी काररवाई अमल में लाएगी.

सत्यकथा: जुर्म बन गया नादान प्यार

नाबालिग कविता पर इश्क का जुनून सवार था. परिवार से दूर, मजे की जिंदगी और सैक्सी दिखने की चाहत उसे ले डूबी. किशोरावस्था में ही वह 2 प्रेमियों के बीच में फंस गई थी. उस की नादानी का प्यार ऐसा जुर्म बना कि…कविता 3 बहनों में सब से छोटी मात्र 16 साल की थी. स्वभाव से चंचल और अपनी मनमरजी वाली बातूनी लड़की. चेहरे पर मासूमियत और तीखे नयननक्श उस की सुंदरता को दर्शाते थे. जबकि अच्छा कद और उन्नत उभारों के साथ भरीपूरी देह के कारण वह 19-20 की दिखती थी.

2 बड़ी बहनों में वह सब से बड़ी बहन सरिता के साथ देहरादून में ही रहती, जबकि मंझली बहन कुसुम पौड़ी में रह कर प्राइवेट नौकरी कर रही थी. कविता दोनों बहनों की लाडली थी. उसे सरिता ने अपने पास 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के लिए रखा हुआ था. वह चाहती थी कि उस का एडमिशन देहरादून के मैडिकल कालेज में हो जाए. वह मंसूरी में जौब करती थी और देहरादून से रोज आनाजाना करती थी.
कविता फोन के जरिए दोनों बहनों के संपर्क में रहती थी. तीनों बहनों की रोज एक बार फोन से बात हो जाती थी. उन के मांबाप और परिवार के दूसरे सदस्य पौड़ी में ही रहते थे.

भोलीभाली मासूम दिखने वाली कविता ने ऐसा कारनामा कर दिया था, जिस के चलते वह 27 मार्च को देहरादून के रायपुर थाने में लाई गई थी. उसे एसपी (सिटी) सरिता डोवाल के निर्देश पर थानाप्रभारी आशीष रावत और महिला इंसपेक्टर भावना कर्णवाल ने हिरासत में लिया था.

कविता और उस के दोस्त आकाश पर हत्या जैसे संगीन आरोप लगे हुए थे, जबकि बहनों पर सच्चाई छिपाने की शिकायत थी. पुलिस में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार वह पिछले 10 दिनों से लापता थी और अपनी बहन कुसुम के साथ मिल कर पुलिस की आंखों में धूल झोंक रही थी.मुखबिर की सूचना के आधार पर वह राजपुर क्षेत्र में अपनी बहन के घर में छिपी हुई थी. वहीं उस का दोस्त आकाश भी था. कविता के अलावा दोनों बहनों और आकाश को थाने लाया गया था.

डोवाल ने एसएसआई आशीष रावत को उन से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे. पूछताछ की शुरुआत कविता से हुई थी.अपनी बात पर अड़ी कविता पुलिस को इधरउधर की बातों में उलझाने की कोशिश कर रही थी. पुलिस को पूछताछ में मदद नहीं करने पर लेडी इंसपेक्टर भावना कर्णवाल ने एक तमाचा जड़ते हुए पूछा, ‘‘तुम ने अपने प्रेमी को क्यों मारा?’’‘‘मैं ने नहीं मारा उसे…’’ कविता तपाक से बोल पड़ी.
‘‘मैं पूछ रही हूं क्यों मारा? …और तुम आधे घंटे से एक ही रट लगाए हुए हो, मैं ने नहीं मारा… मैं ने नहीं मारा…’’ भावना कर्णवाल तेज आवाज में बोलीं.कविता बुत बनी रही. उस के कुछ नहीं बोलने पर थानाप्रभारी आशीष रावत बोलने लगे, ‘‘लगता है फिर झापड़ खाने का इरादा है. इस बार डंडे भी लगेंगे. देखो मैडम, तुम्हारे लिए ही खास डंडा ले कर आई है. रबड़ की है टूटेगी नहीं. जोरदार चोट लगेगी.’’

रबड़ का डंडा सुनते ही कविता बोल पड़ी, ‘‘बताती हूं…बताती हूं…लेकिन पहले इस से भी तो पूछो…’’ यह कहती हुई कविता ने एक कोने में जमीन पर बैठे आकाश की ओर हाथ उठा कर इशारा किया.‘‘उस से भी पूछताछ होगी, लेकिन तुम्हारे सामने नहीं,’’ रावत ने कहा.‘‘तो मुझ से सब के सामने क्यों पूछताछ हो रही है?’’ कविता ने तर्क दिया.‘‘अच्छा तो यह बात है. चलो जाओ, उस चैंबर में वहां कोई नहीं है. तुम से वही झापड़ लगाने वाली पुलिस अधिकारी तुम्हारे मुंह से सब कुछ उगलवाएंगी. सचसच बताना. तुम्हारा यही बयान नोट कर मजिस्ट्रैट को सौंपा जाएगा.’’ रावत ने यह कहते हुए कविता को भावना कर्णवाल के हवाले कर दिया और आकाश को पूछताछ के लिए अपने सामने बैठा लिया, ‘‘चल तू बता, कविता का पहला प्रेमी तू है या वह, जो मारा गया?’’

‘‘जी, वही था,’’ आकाश बोला.रावत आकाश से पूछताछ करने लगे और दूसरी तरफ उसी वक्त कविता अपने अपराध की दास्तान सुनाने लगी. उस के एकएक शब्द को इंसपेक्टर ने रिकौर्ड करने के लिए मोबाइल औन कर दिया था. साथ ही डायरी में भी लिखती जा रही थीं. उस के अनुसार कविता, आकाश और लापता युवक की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

देहरादून में कविता कहने को तो 12वीं की पढ़ाई करने और मैडिकल की तैयारी के लिए आई थी, लेकिन वह प्रेम का पाठ पढ़ने लगी थी. उसे परिवार और मांबाप से अलग खुला आसमान मिल गया था. खानेपहनने से ले कर घूमनेफिरने की भी वह शौकीन थी. जहां जी में आता था, घूमने निकल जाती थी.
मौल, बाजार, पार्क, फूड कार्नर से ले कर सिनेमा घर तक हो आती थी. इसी दरम्यान उस की मुलाकात एक रोज हमउम्र नरेंद्र उर्फ बंटी से हो गई थी.

नरेंद्र की मिठाई और चाट गोलगप्पे की दुकान थी. उस की दुकान पर चाट खाने के लिए छात्रछात्राओं की भीड़ लगी रहती थी. उस में लड़कियां ही अधिक होती थीं.नरेंद्र वैसे तो मिठाई के काउंटर पर ही बैठता था, लेकिन शाम के वक्त गोलगप्पे के काउंटर पर खुद आ जाता था. लड़कियां उस के गोलगप्पे खिलाने के तरीके और बीचबीच में कमेंट करने के काफी मजे लेती थीं.वह बड़े प्यार से गोलगप्पे का नाम सिनेमा के हीरो और हीरोइनों के नाम पर ग्राहकों के दोने में डालते हुए जब कभी कहता, ‘यह आ गया पुष्पा गोलगप्पा… न फूटेगा, न टूटेगा और न झुकेगा. फायर है फायर, फ्लावर मत समझना.’
संयोग से जब कभी वही गोलगप्पा फूट जाता था, तब सभी ग्राहक लड़कियां खिलखिला कर हंस पड़ती थीं. कविता भी अकसर वहां आती थी.

किसी का गोलगप्पा फूट जाने पर नरेंद्र उस के बदले मुफ्त में दूसरा गोलगप्पा दे देता था. उस की दुकान पर भीड़ जुटने का एक कारण यह भी था. कविता उस की इसी आदत की कायल हो गई थी.
अधिक गोलगप्पे खाने के लिए जानबूझ कर नाखून से फोड़ देती थी और मुफ्त का गोलगप्पा मांगने लगती थी. कई बार इसे ले कर उस की नरेंद्र से बहस भी हो जाती थी.एक दिन तो कविता ने हद ही कर दी. उस ने 3-3 गोलगप्पे फोड़ डाले. इस पर नरेंद्र भड़क उठा. गुस्से में बोला, ‘‘एक टोकन पर सिर्फ एक के फूटने पर ही एक्स्ट्रा मिलेगा…’’

उस दिन बात बहुत बढ़ गई थी और उन के बीच तूतूमैंमैं होने लगी. उसे एक बुजुर्ग महिला ग्राहक ने संभाला. कविता को समझाया, ‘‘बेटा उस का बिजनैस है. हमेशा मुफ्त ही देगा, तब उस का तो धंधा ही चौपट हो जाएगा. तुम भी संभल कर खाया करो न.’’कविता ने भुनभुनाते हुए एक्सट्रा गोलगप्पे के पैसे दिए और पैर पटकती जातेजाते बोल गई, ‘‘तुम्हारी दुकान पर अब नहीं आऊंगी कभी.’’
नरेंद्र उसे मटकती हुई जाते देखता रहा. उस रोज बात आईगई हो गई. एक ग्राहक के मना करने से नरेंद्र के बिजनैस पर कोई असर नहीं पड़ा. दरअसल गलती कविता की थी.

3 दिन बाद शाम को कविता दुकान पर 3-4 लड़कियों के पीछे अपनी बारी के इंतजार में खड़ी थी. हाथ में 30 रुपए का टोकन था. अचानक उस पर नरेंद्र की नजर पड़ी. संयोग से उस ने भी उसी वक्त नरेंद्र को देखा. दोनों की नजरें टकरा गईं.नरेंद्र ग्राहकों को गोलगप्पे देने में व्यस्त हो गया, जबकि कविता झेंप गई. जबकि पहले तो ‘पहले मुझे… पहले मुझे…’ का शोर मचाती रहती थी.
खैर, जल्द ही उस की बारी भी आ गई. उस ने चुपचाप अपना टोकन आगे बढा दिया. टोकन देख कर नरेंद्र ने मजाकिया लहजे में कहा, ‘‘क्या बात है, 30 रुपए का टोकन. लगता है आज 3 दिनों की कसर एक बार में निकाल लोगी.’’

‘‘मुझे गोलगप्पे नहीं खाने हैं. पापड़ी चाट बना दो, दही पूरा डालना.’’ कविता धीमे से बोली.
‘‘कोई बात नहीं आज भी गुस्से में हो, उस दिन का गुस्सा गोलगप्पे पर क्यों उतार रही हो. बेचारा तो ऐसे ही फूटताटूटता रहता है. आज आलिया भट्ट गंगूबाई गोलगप्पा खिलाऊंगा. चाट के साथ 3 फ्री में.’’ नरेंद्र ने एक और चुटकी ली. इस पर कविता की हंसी फूट पड़ी.‘‘हंसी तो… आगे नहीं बोलूंगा, फिर नाराज हो जाओगी. यह लो पहले चाट खाओ, मिर्च कितनी डालूं. तीखी बनाऊं या नारमल…’’ नरेंद्र बोला.
‘‘भैया, तुम ने तो मुझे गंगूबाई गोलगप्पा नहीं खिलाया?’’ एक ग्राहक बोल पड़ी.

‘‘आप ने पापड़ी चाट भी तो नहीं लिया, आलिया पापड़ी जैसी चिपटी है न, इसलिए उस के साथ फ्री है,’’ यह सुन कर दूसरे ग्राहक हंस पड़े. कविता भी खिलखिला कर हंस दी.
उस रोज नरेंद्र ने न केवल बड़े प्यार से कविता को चाट खिलाई, बल्कि वादे के मुताबिक फ्री में 3 गोलगप्पे भी खिला दिए.उस के जाने से पहले कान के पास मुंह ले जा कर धीमी आवाज में बोला, ‘‘मैं दिल का बुरा नहीं हूं, दुकान पर आती रहा करो. तुम बहुत अच्छी लड़की हो.’’कविता पूरे रास्ते नरेंद्र की बातों का मतलब निकालती घर आ गई. रसोई में खाना पकाते समय भी उस की वही बातें दिमाग में चलती रहीं. यहां तक कि उस रोज पढ़ाई में भी मन नहीं लग रहा था. वह सोच में पड़ गई कि नरेंद्र ने क्यों कहा कि दिल का बुरा नहीं हूं. दुकान पर आती रहना. तुम अच्छी लड़की हो.

दरअसल, कविता के दिल को नरेंद्र की बातें छू गई थीं. रात बेचैनी में कटी. अगले रोज दोपहर ढलने के बाद ही नरेंद्र की दुकान पर जा पहुंची. नरेंद्र उस समय चाट और गोलगप्पे की दुकान लगाने की तैयारी में लगा हुआ था. दुकान पर इक्कादुक्का ग्राहक ही थे. वे मिठाई खरीद रहे थे. नरेंद्र की नजर कविता पर पड़ी, चौंकते हुए उस ने पूछा, ‘‘इतना पहले! अभी तो दुकान लगने में समय है. मसाला पानी तैयार किया जा रहा है.’’‘‘कुछ नहीं इधर से गुजर रही थी, सोचा तुम से मिलती जाऊं,’’ कविता बोली.
‘‘मुझ से मिलती जाऊं? मुझ से?’’ नरेंद्र आश्चर्य से बोला.

‘‘हां, क्यों नहीं! और शाम को तो बहुत बिजी रहते हो. दरअसल, मैं कई दिनों से तुम्हारे गोलगप्पे के पानी के मसाले के बारे में पूछना चाह रही थी. और….’’ कविता के बात पूरी करने से पहले ही नरेंद्र चुटकी लेता हुआ बोल पड़ा, ‘‘… और क्या? मेरी दुकान के बगल में दुकान खोलने का इरादा तो नहीं है?’’
यह सुन कर कविता हंस पड़ी.‘‘तुम्हारी यही हंसी तो मुझे अच्छी लगती है. उस रोज न जाने मुझे क्या हो गया था, जो तुम्हें काफी भलाबुरा कह दिया था,’’ नरेंद्र बोला.
‘‘उस रोज गलती मेरी ही थी, मैं उस के लिए भी सौरी बोलती हूं.’’

दुकान के भीतर से ‘बंटी…बंटी…’’ की आवाज आते ही नरेंद्र बोल पड़ा, ‘‘हांजी, अभी आया…’’
‘‘अच्छा तो तुम्हारा नाम बंटी है? तुम्हें कौन पुकार रही है?’’ कविता आश्चर्य से बोली.
‘‘मेरी मम्मी है. भीतर किचन में गोलगप्पे तल रही हैं. मैं और मम्मी ही दुकान चलाते हैं.’’
‘‘और पिताजी?’’ कविता पूछी.‘‘वहां हैं दीवार पर फोटो में माला से आधे ढंक गए हैं.’’ मिठाई के काउंटर के पीछे दीवार पर लगी तसवीर की ओर इशारा कर बोला.नरेंद्र उर्फ बंटी के पिता का नाम अमर सिंह था. उन का कुछ साल पहले बीमारी से निधन हो गया था. वह नालापानी रोड थाना डालनवाला के निवासी थे.

उस के बाद नरेंद्र और कविता ने कब एकदूसरे के दिल में जगह बना ली, उन्हें पता ही नहीं चल पाया. वे समय निकाल कर डेटिंग पर भी जाने लगे. वैसे कविता नियमित उस की दुकान पर आने लगी.
यहां तक कि उस के कामकाज में भी हाथ बंटाने लगी. दोनों के दिल में प्यार फूलनेफलने लगा. वे एक रोज भी मिले बगैर नहीं रह पाते थे.

नरेंद्र कविता के शौक पूरे करने पर भी विशेष ध्यान देने लगा. दोनों साथसाथ घूमने जाने लगे. नरेंद्र उसे गिफ्ट भी देने लगा, उस का गिफ्ट पा कर कविता निढाल हो जाती थी, लेकिन महत्त्वाकांक्षी कविता की नरेंद्र से उम्मीदें बढ़ने लगी थीं.दूसरी तरफ नरेंद्र उस के यौनाकर्षण में बंध गया था. उस के पहनावे की तारीफ करता रहता था. मौका पा कर शरीर को छू लेता था. गाल, गरदन और पीठ सहला लेता था.
जब कभी पीठ सहलाते हुए नरेंद्र के हाथ कमर के नीचे तक चले जाते थे, तब कविता प्यार से उस का हाथ हटा देती थी. यहां तक कि नरेंद्र उसे अकेला पा कर चूमने की भी कोशिश कर चुका था.

इसी साल वैलेंटाइन डे के मौके पर नरेंद्र ने टहनी समेत गुलाब हाथ में देने के बजाय सीधा उस के स्तनों के बीच डाल दिया था और किस करने के लिए उस के चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ लिया. इस तरह की अचानक घटना के लिए कविता जरा भी तैयार नहीं थी. वह नाराज हो गई, ‘‘ये क्या बदतमीजी है?’’
‘‘अरे आज वैलेंटाइन डे है, प्रेमियों का दिन.’’ नरेंद्र बोला.

‘‘वैलेंटाइन का मतलब तुम कुछ भी करोगे? मुझे यह सब हरकत पसंद नहीं. मैं देख रही हूं कि पिछले कई दिनों से तुम्हारी नजर बदल गई है.’’ कविता नाराजगी दिखाते हुई बोली.
‘‘अरे, मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूं, तुम्हें चाहता हूं, तुम आज बहुत सैक्सी दिख रही थी, मन मचल गया तो मैं क्या करूं?’’ नरेंद्र बोला.‘‘तो… जो तुम्हारे जी में आएगा, वह करोगे? मुझे बुरी नजरों से घूरोगे, मेरे कपड़े के भीतर हाथ डालोगे, कमर पकड़ोगे? कल को तो तुम मेरे जींस में भी हाथ डाल दोगे और मैं बरदाश्त कर लूंगी, इस गलतफहमी में मत रहना…’’ कविता बोलती चली जा रही थी, ‘‘माना कि मुझे सैक्सी दिखने का शौक है, लेकिन इस का मतलब यह नहीं है कि तुम मेरे शरीर को छेड़ो, रेप करने की कोशिश करो…’’

‘‘तुम तो बात का बतंगड़ बना रही हो, रेप तक की बात कहां से आ गई. किस करना रेप है क्या?’’ नरेंद्र सहमता हुआ बोला.‘‘और नहीं तो क्या है? हम अभी प्रेमी हैं और कुछ नहीं. समझे मिस्टर नरेंद्र,’’ कविता डपटते हुए बोली.‘‘कल को पतिपत्नी बन जाएंगे,’’ नरेंद्र बोला.‘‘कल किस ने देखा है. मेरी इज्जत तो आज चली जाएगी,’’ कविता की आवाज और तेज हो गई थी.उस ने वहीं गुलाब के फूल को पैरों तले कुचल डाला. उस के गिफ्ट का पैकेट फेंक दिया और तेजी से सड़क पार कर गई. घर आ कर ही उस ने सांस ली.एक गिलास पानी पी कर मोबाइल फोन पर फेसबुक स्क्राल करने लगी. अपना अकाउंट खोल कर लिखने लगी, ‘‘आज मूड औफ हो गया, कोई बताएगा क्या करूं?’’

इस पोस्ट के आधे घंटे के भीतर कविता के फोन पर काल आया. फोन करने वाले का नाम आकाश था. कविता ने तुरंत काल रिसीव करते हुए कहा, ‘‘हां आकाश, तुम कहां हो, तुम से अभी मिलना चाहती हूं.’’
‘‘क्यों, क्या हुआ? तुम बहुत परेशान दिख रही हो. तुम ने फेसबुक पर निराशा वाला पोस्ट क्यों डाला है, वह भी आज वैलेंटाइन डे के दिन. सब कुछ ठीक तो है न?’’ आकाश चिंता जताते हुए बोला.
‘‘मिलोगे तब बताऊंगी,’’ कविता उदासी से बोली.

आकाश ने ही मिलने की जगह बताई. शाम के समय पहले दोनों एक फूड कौर्नर पर मिले. उस के बाद बसस्टैंड के कोने में चले गए. वे जानते थे कि पार्क में प्रेमी युगलों की भीड़ होगी. बैठने की जगह नहीं मिलेगी.कविता ने आकाश को नरेंद्र के बारे में पूरी बात विस्तार से बताई. उस की हरकतों से अपनी परेशानी बताई. साथ ही उस ने बताया कि उस से पीछा छुड़ाना चाहती है, कोई उपाय बताए.
आकाश चुपचाप उस की बात सुनता रहा. उस समय तो उस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन कविता को भरोसा दिया कि वह उस की भलाई के लिए कोई न कोई रास्ता अवश्य निकाल लेगा. आकाश की बातों ने कविता के दुखे दिल पर मरहम का काम किया, लेकिन नरेंद्र से छुटकारा पाने का वह भी कोई रास्ता निकालने के बारे में सोचने लगी.

22 साल का आकाश देहरादून में ही चावला चौक करनपुर थाना डालनवाला का निवासी था. उस के पिता सुरेंद्र पिछले 6 महीने से लापता थे. उस की महाराणा प्रताप चौक पर अंबे टायर सर्विस नाम की दुकान है. उस के घर में मां के अलावा 4 भाई व 2 बहनों का भरापूरा परिवार है.
आकाश की कविता से जानपहचान फेसबुक के जरिए हुई थी. जल्द ही उन के बीच फोन पर बात होने लगी और वे मिलनेजुलने भी लगे.

कविता को आकाश नरेंद्र की तुलना में ज्यादा सभ्य और समझदार लगता था. धीरेधीरे वह आकाश से प्रेम करने लगी. इस की जानकारी उस ने अपनी बहन कुसुम को भी दी थी.
कुसुम भी आकाश से मिल चुकी थी. उसे भी आकाश अच्छा लड़का लगा था. कविता को उस से मिलनेजुलने का विरोध नहीं किया. संयोग से वह सजातीय भी था. कुसुम चाहती थी कि कविता अपना करिअर तय होने के बाद ही उस से शादी करे, लेकिन नरेंद्र से छुटकारा पाने के लिए कविता जल्द शादी करना चाहती थी.

जब नरेंद्र को आकाश के बारे में जानकारी हुई, तब वह कविता को बदनाम करने की कोशिश में लग गया. वह कविता को मोहल्ले में बदनाम करने की ताक में रहता था. इसी आड़ में उस के साथ सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करने लगा था. नरेंद्र नहीं चाहता था कि कविता की शादी आकाश से हो.
आकाश को जब नरेंद्र की हरकत के बारे में पता चला, तब उस से मिल कर उसे काफी समझाया. उस के रास्ते से हट जाने के लिए कहा. फिर भी नरेंद्र अपनी हरकतों से बाज नहीं आया. उलटे उस ने फेसबुक पोस्ट के जरिए उसे ही बदनाम करने की धमकी दे डाली.

नरेंद्र की दी गई धमकी कविता और आकाश के दिल में चुभ गई. दोनों ने मिल कर एक योजना बनाई. उस के मुताबिक कविता ने 16 मार्च, 2022 को नरेंद्र से बात करने के लिए अपने घर बुलाया.
उस ने बहाना बनाया कि बड़ी बहन की शादी की बात करना चाहती है. कविता ने नरेंद्र के आने से पहले ही आकाश को अपने कमरे में छिपा लिया था.

नरेंद्र शाम को करीब साढ़े 7 बजे आ गया था. उस ने शराब पी रखी थी. कमरे में आते ही बैड पर लेट गया. तभी कविता भी उस की बगल में आ कर बैठ गई. नरेंद्र से बातें करने लगी. वह नरेंद्र का हाथ पकड़ कर उठाने लगी. अधलेटा नरेंद्र बैड पर ही बैठ गया.

मौका देख कर आकाश पीछे से दबेपांव आया और नरेंद्र के गले में बेल्ट कस दी. नरेंद्र झटके के साथ बैड पर गिर गया. उस ने अपने हाथों से बेल्ट निकालने की कोशिश की. तब तक कविता ने उस के हाथ पकड़ लिए थे.जल्द ही नरेंद्र बेजान हो गया था. उस की नाक से खून निकल आया. बेहोश नरेंद्र के मुंह पर आकाश ने जोर का घूंसा मारा. जब नरेंद्र की सांसें चलनी बंद हो गईं, तब दोनों ने मिल कर उस की लाश बोरे में भर दी.

लाश को जंगल में ठिकाने लगाने की उन की योजना थी, लेकिन उसे वहां तक ले जाने की समस्या आ गई थी. कारण आकाश के पास बुलेट मोटरसाइकिल थी. अगर उस पर रात में लाश ले जाता तो बुलेट की आवाज से पहचान हो सकती थी. इसलिए रात भर लाश कमरे में ही रखी रही. अगले रोज 17 मार्च, 2022 की सुबहसुबह आकाश अपनी बहन के घर जा कर उन की स्कूटी ले आया.स्कूटी पर नरेंद्र की लाश के बोरे को सामान की तरह लाद लिया और आमवाला ननूरखेड़ा होता हुआ तपोवन रोड पर लगभग 300 मीटर जंगल में अंदर चला गया. साथ में कविता भी थी. वहीं आकाश ने पहले से ही एक गड्ढा खोद रखा था. उन्होंने नरेंद्र की लाश गड्ढे में दबा दी. उस के बाद वे दोनों देहरादून से फरार हो गए.

उधर कविता कमरे पर नहीं दिखी तो बड़ी बहन कुसुम ने देहरादून आ कर कविता की गुमशुदगी की सूचना लिखवा दी. थाने में उस ने लिखवाया कि कविता 17 मार्च से लापता है और उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ है.कविता की गुमशुदगी की सूचना के आधार पर देहरादून पुलिस ने कविता की तलाश शुरू कर दी. कविता की बहनों को यह नहीं मालूम था कि नरेंद्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी 17 मार्च को ही लिखवाई जा चुकी थी. पुलिस दोनों लापता को मिला कर जांच में जुट गई थी. दोनों की तसवीरें थाने में जमा की जा चुकी थीं.

पुलिस ने दोनों लापता कविता और नरेंद्र को सोशल मीडिया पर खंगालना शुरू किया. उन के फोन नंबरों से एक ही प्रोफाइल में दोनों के एक साथ की तसवीरें मिल गईं. इस से दोनों के बीच जानपहचान होने का पता चल गया. पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि मामला प्रेम संबंध में फरार प्रेमी युगल का है.
पुलिस को यह मामला बहुत अधिक संदिग्ध नहीं लगा, क्योंकि अकसर ऐसे प्रेमी कुछ रोज में खुद ही वापस आ जाते हैं. फिर भी उन के साथ कुछ भी अप्रत्याशित घटना हो सकती है, इसे ध्यान में रख कर उन के घरों के आसपास के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकाले गए और मुखबिर भी लगा दिए गए. साथ ही कविता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स भी निकाली गई.

कविता की गुमशुदगी भादंवि की धारा 365 में तरमीम कर दी गई थी. इस की जांच पुलिस चौकी मयूर विहार के इंचार्ज अर्जुन सिंह गुसाईं कर रहे थे. उन्होंने अब तक की जांच प्रगति से सीओ अनिल जोशी समेत एसपी (सिटी) सरिता डोवाल को भी अवगत करा दिया था. जांच के सिलसिले में 4 दिनों के बाद थानेदार अर्जुन सिंह गुसाईं द्वारा कविता के घर के आसपास लगे 37 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक किए गए थे.

जब एसएसआई आशीष रावत द्वारा कविता के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक की गई, तब एक चौंकाने वाली जानकारी मिली कि मोबाइल भले ही स्विच्ड औफ था, मगर उस के मोबाइल से रोज मैसेज उस की बहन के मोबाइल पर भेजे जा रहे थे.

मुखबिर ने भी कविता के बारे में एक महत्त्वपूर्ण सूचना दी कि पिछले कुछ दिनों तक कविता एक युवक आकाश के साथ कई बार देखी जा चुकी थी. पुलिस के सामने अब मामला गंभीर लगा. क्योंकि अब तक पुलिस लापता नरेंद्र के साथ लापता कविता को जोड़ कर देख रही थी, उस में एक ट्विस्ट भी था. आकाश भी 17 मार्च से शहर में नहीं देखा गया था. उस के परिवार वाले भी उस के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दे पाए थे. इस तरह नरेंद्र, आकाश और कविता तीनों ही देहरादून से लापता चल रहे थे.
यह सूचना पा कर सरिता डोवाल का माथा ठनका. उन्हें लगा कि इस मामले में दाल में काला जरूर है. जांच से मिले सभी तरह की जानकारियों की कडि़यां नए सिरे से जोड़ी जाने लगीं.

इसी बीच 5वें दिन मुखबिर से कविता के आकाश के घर पर होने की सूचना मिली. और फिर उन्हें बगैर देरी किए हिरासत में ले लिया गया.
पूछताछ में कविता और आकाश ने बताया कि नरेंद्र की लाश को ठिकाने लगा कर कुछ सामान और रुपए ले कर दोनों बस से हरिद्वार चले गए थे. वहां एक दिन रह कर दोनों ट्रेन से दिल्ली चले गए. दिल्ली में 2 दिन ठहरने के बाद वे ट्रेन से असम निकल भागे. वहां 3 दिन रहने के बाद वे वापस देहरादून लौट आए. उन्हें लगा कि अब मामला निपट गया होगा, लेकिन यह उन की भूल थी.
कविता और आकाश ने नरेंद्र की लाश बरामद करवाने में पुलिस की मदद की और झाडि़यों में फेंकी बेल्ट के बारे में बता दिया. आकाश और कविता द्वारा नरेंद्र की लाश, उस की हत्या में इस्तेमाल की गई बेल्ट, आकाश का सैमसंग मोबाइल फोन तथा लाश को ले जाने वाला बोरा भी बरामद कर लिया गया.
पुलिस ने लाश का पंचनामा भर कर वह पोस्टमार्टम के लिए कोरोनेशन अस्पताल देहरादून भेज दी. नरेंद्र की गुमशुदगी थाना डालनवाला में दर्ज थी. वहां उस की हत्या की सूचना भेज दी गई.

थाना डालनवाला के एसएसआई महादेव उनियाल ने इस मामले में आईपीसी की धाराएं 302, 201 व 34 और बढ़ा दीं तथा उन्होंने आरोपियों आकाश व कविता को न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नरेंद्र उर्फ बंटी की मौत का कारण गला घोटना बताया गया. कथा लिखे जाने तक आकाश जेल में और कविता बाल सुधार गृह में थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कविता परिवर्तित नाम है.

सत्यकथा: अमिता और उसके प्रेमी का गुनाह

वह 10 मई 2022 की आधी रात थी. उस समय रात के 2 बज रहे थे. उस समय सोनी नेगी गहरी नींद में सो रही थी. अचानक उसे लगा कि कोई जोरजोर से उस के बैडरूम का दरवाजा खटखटा रहा है. तभी वह बैड पर उठ कर बैठ गई थी तथा उस ने पास में ही सो रहे अपने पति जितेंद्र को भी जगा दिया था.
इस के बाद सोनी बाहर दरवाजे से आ रही आवाज को सुनने लगी. सोनी ने आवाज को पहचान लिया था. वह आवाज उस की जेठानी अमिता की थी. पहले तो सोनी ने सोचा कि अमिता बेवक्त उस के बैडरूम का दरवाजा क्यों खटखटा रही है? मगर उस ने फिर भी किसी अनहोनी की आशंका के चलते दरवाजा खोल दिया था.

जैसे ही सोनी ने दरवाजा खोला तो अचानक अमिता उस के कमरे में बदहवास सी घुस आई और जल्दी में उस ने बताया, ‘‘सोनी तुम्हारे जेठजी रात को अच्छेभले खाना खा कर और शराब पी कर सोए थे, मगर अब न जाने उन्हें क्या हो गया है कि उन का शरीर सुन्न हो गया है. लगता है कि उन्हें हार्टअटैक आ गया है.’’अमिता के मुंह से यह बात सुन कर सोनी व उस का पति जितेंद्र अमिता के बैडरूम में पहुंचे, जहां पर अमिता का पति दीपक बेसुध सा लेटा था. सोनी ने देखा कि दीपक के शरीर में कोई हलचल नहीं थी तथा उस के चेहरे व शरीर के कुछ हिस्सों पर मामूली चोटों के निशान भी थे. चोट के निशान देख कर सोनी को कुछ शक भी हुआ था.

दीपक के शरीर पर लगी चोटों के बारे में जब जितेंद्र व सोनी ने अपनी भाभी अमिता से पूछा तो अमिता उन्हें कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाई थी, बल्कि वह जल्दी से जल्दी बेसुध पड़े दीपक को पास के अस्पताल में ले जाने की जिद करने लगी.दीपक की हालत देख कर जितेंद्र व सोनी को शक हो रहा था, मगर वे जल्दी ही दीपक को ले कर अस्पताल जाने की तैयारी करने लगे.

यह घटना देहरादून के थाना रायवाला अंतर्गत खांडगांव की है. खांडगांव से ऋषिकेश का एम्स अस्पताल मात्र 18 किलोमीटर दूर है. तभी आननफानन में जितेंद्र, अमिता व सोनी, दीपक को उपचार हेतु एम्स ले कर पहुंचे थे. एम्स के चिकित्सकों ने 34 वर्षीय दीपक को देख कर मृत घोषित कर दिया.
दीपक के शरीर पर लगी कुछ चोटों व गले में लगे कुछ निशानों को देख कर डाक्टरों को संदेह हो गया था तथा उन्होंने इस की सूचना रायवाला थाने को दे दी थी. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी पर थे, अत: थानेदार धनंजय सिंह को एम्स में भेजा गया.

एम्स पहुंच कर जब थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का निरीक्षण किया और दीपक की मौत के बारे में उस के घर वालों से जानकारी ली तो धनंजय को भी शक हो गया. इस के बाद थानेदार धनंजय ने दीपक के शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दिया था.

इसी प्रकार 4 दिन बीत गए थे. 15 मई, 2022 को रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी छुट्टी से लौट आए थे. जब उन्हें खांडगाव निवासी दीपक की संदिग्ध मौत के बारे में जानकारी हुई तो उन्होंने इस घटना का हर पहलू से अवलोकन किया. उन्हें यह मामला कुछ अटपटा सा लगा था.अटपटा इसलिए लगा था कि पत्नी हार्ट अटैक के कारण पति की मौत होना बता रही थी, जबकि पति के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान भी थे. इस के अलावा दीपक की मौत से पहले उस की नाक से खून निकल रहा था. पुजारी को यह मामला हत्या का लग रहा था. पुजारी यह जानना चाहते थे कि यदि दीपक की हत्या हुई है तो किस ने और क्यों की?

अभी पुजारी इसी कशमकश में ही उलझे थे कि उन्होंने सोचा कि दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तो बाद में ही आएगी, इस से पहले क्यों न इस मामले की सच्चाई का पता लगाया जाए. इस के लिए सब से पहले पुजारी ने देहरादून की एसओजी (ग्रामीण) के कांस्टेबल नवनीत राणा से संपर्क किया था तथा उसे जल्दी ही अमिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स उपलब्ध कराने को कहा.इस के अलावा थानाप्रभारी ने दूसरा काम यह किया था कि उन्होंने रायवाला थाने के थानेदार नीरज त्यागी व सिपाहियों दिनेश महर व प्रदीप गिरी को सादे कपड़ों में खांडगांव भेजा और उन्होंने उन्हें गांव में घूम कर गांव वालों से दीपक व अमिता की आम शोहरत की जानकारी करने को कहा था.

थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी की यह योजना काफी सफल रही. 2 दिन के बाद पुजारी को अमिता के मोबाइल की काल डिटेल्स प्राप्त हो गई थी. काल डिटेल्स की जानकारी के अनुसार अमिता अकसर सतेंद्र नेगी नामक व्यक्ति से काफी काफी देर तक बातें करती रहती थी.इस के अलावा उन्हें अमिता और सतेंद्र की मोबाइल बातचीत की रिकौर्डिंग भी मिल गई. उन्होंने जब रिकौर्डिंग को सुना तो अमिता खुद ही संदेह के दायरे में आ गई.

उधर खांडगांव से लौट कर थानेदार नीरज त्यागी ने जो जानकारी थानाप्रभारी पुजारी को दी थी, उसे जान कर पुजारी को संदेह ही नहीं, बल्कि पूरा विश्वास हो गया कि दीपक नेगी की हत्या में उस की पत्नी अमिता का हाथ जरूर है. नीरज त्यागी ने उन्हें बताया कि खांडगांव में रहने वाले दीपक नेगी व अमिता के 2 बच्चे हैं. दीपक द्वारा गांव में छोटामोटा ठेका ले कर घर का खर्च चलाया जाता है. दिसंबर 2021 से दीपक के मकान का का काम चल रहा है. यह निर्माण कार्य पूर्व सैनिक ठेकेदार सतेंद्र नेगी निवासी मोहल्ला श्यामपुर ऋषिकेश की देखरेख में चलाया जा रहा है.

दीपक नेगी शराबी प्रवृत्ति का था. दीपक ने अपने मकान का ठेका सतेंद्र नेगी को 31 लाख रुपए में दिया था. निर्माण का कार्य अभी तक चल रहा है. गत कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र नेगी व अमिता की अतरंगता काफी बढ़ गई थी. ठेकेदार सतेंद्र नेगी वक्तबेवक्त दीपक के घर में अकसर आताजाता रहता है.

सतेंद्र द्वारा दीपक की गैरमौजूदगी में अकसर उस के घर जाने से तथा दीपक की पत्नी अमिता से अकेले में बातचीत करने के कारण, दीपक के छोटे भाई जितेंद्र व उस की पत्नी सोनी सहित मोहल्ले वालों को भी अमिता के चरित्र पर संदेह था. अमिता का पति दीपक भी अमिता को ठेकेदार सतेंद्र से अकसर दूरी बनाने के लिए कहता रहता था.थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी ने थानेदार नीरज त्यागी के इस कथन को गंभीरता से लिया. ये सब जानकारियां होने के बाद पुजारी ने दीपक की मौत के मामले में एसएसपी जन्मेजय खंडूरी से इस बाबत विचारविमर्श किया था तथा इस प्रकरण में उन का निर्देशन मांगा था.

श्री खंडूरी ने दीपक की मौत के प्रकरण में उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद सतेंद्र व अमिता से पूछताछ करने के निर्देश दिए थे. वह 23 मई, 2022 का दिन था. उस वक्त रायवाला के थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी अपने औफिस में ही बैठे थे, तभी उन्हें दीपक नेगी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. जब पुजारी ने दीपक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट को पढ़ा तो वे चौंक पड़े. इस में दीपक की मौत का कारण गला दबा कर दम घुटना बताया गया था.

इस के बाद पुजारी ने इस प्रकरण में पूछताछ के लिए अमिता व ठेकेदार सतेंद्र को बुलाया. थाने में अमिता व सतेंद्र से दीपक की मौत के मामले में पुजारी द्वारा गहन पूछताछ की गई थी. मगर जब पुजारी ने दोनों को अलगअलग ले जा कर पूछताछ की तो दीपक की मौत पर पड़ा परदा
हट गया.घटना की जानकारी देते हुए अमिता ने पुलिस को बताया कि बीते कई महीनों से ठेकेदार सतेंद्र के साथ मेरे अवैध संबंध थे, जिस की कुछकुछ जानकारी मेरे पति दीपक को हो गई थी. 10 मई, 2022 की घटना वाली रात को 12 बजे दीपक ने हम दोनों को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था. इस कारण हम दोनों अपनी पोल खुलने के डर से घबरा गए थे.

तभी हम दोनों ने एकराय हो कर चुनरी से दीपक का गला घोट कर उसे मार डाला था. इस के बाद हम दोनों ने दीपक को बैड पर लिटा दिया था. फिर सतेंद्र ठेकेदार वहां से चला गया था.
थोड़ी देर बाद मैं ने साक्ष्य छिपाने के लिए अपने देवर जितेंद्र व देवरानी सोनी को अपने कमरे में बुलाया था और उन्हें दीपक को हार्ट अटैक होने की बात बताई थी.इस के बाद पुजारी ने अमिता के ये बयान दर्ज कर लिए थे. पूछताछ के दौरान ठेकेदार सतेंद्र ने भी प्रेमिका अमिता के बयान में सहमति जताते हुए दीपक की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

दीपक की मौत का परदाफाश होने के बाद पुजारी ने इस हत्या का मुकदमा दीपक के छोटे भाई जितेंद्र नेगी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302, 201 व 34 के तहत दर्ज कर लिया था. इस के बाद पुजारी ने दीपक की हत्या के खुलासे की जानकारी एसएसपी जन्मेजय खंडूरी को दी. सतेंद्र व अमिता को पुलिस ने कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.आरोपी सतेंद्र पहले सेना में नौकरी करता था तथा वर्ष 2013 में सेना से वह रिटायर हुआ था. सतेंद्र का अपनी पहली पत्नी से तलाक हो गया था. इस के बाद उस ने वर्ष 2015 में दूसरी शादी कर ली थी. रिटायरमेंट के बाद सतेंद्र भवन निर्माण के ठेके लेता था. उस के 2 बच्चे हैं.

अमिता का परिवार मूलरूप से उत्तराखंड के जिला टिहरी गड़वाल का रहने वाला है तथा 8 साल पहले दीपक से उस की शादी हुई थी. 2 बच्चों की मां अमिता भी सतेंद्र के साथ वासना के दलदल में ऐसी डूबी थी कि उस ने अपना परिवार खुद ही उजाड़ लिया था.कथा लिखे जाने तक सतेंद्र व अमिता देहरादून जेल में बंद थे. दीपक की हत्या की जांच थानाप्रभारी भुवनचंद पुजारी कर रहे थे. पुजारी विवेचना पूरी करने के बाद इस प्रकरण में सतेंद्र व अमिता के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में भेजने की तैयारी कर रहे थे.

बढ़ाने के चक्कर में कहीं कम न हो जाए सैक्स पावर

उत्तर प्रदेश के 28 साला राहुल को शादी के बाद हुआ. अपनी नईनवेली पत्नी के साथ जोरदार और पलंगतोड़ हमबिस्तरी करने की ख्वाहिश में उस ने वियाग्रा नाम की दवा की जरूरत से ज्यादा खुराक यानी ओवर डोज ले ली. वियाग्रा या कोई भी दवा आमतौर पर ज्यादा नुकसानदेह नहीं होती, थोड़ेबहुत साइड इफैक्ट हो सकते हैं, लेकिन वे समय रहते ठीक भी हो जाते हैं. अगर न हों तो तुरंत डाक्टर से मशवरा लेने की हर कोई कह देता है. यही बात वियाग्रा पर लागू होती है. रोहित ने गलती यह की कि एकसाथ 6-8 गोलियां वियाग्रा की खा लीं और कुछ दिन उन के असर को यह सोचते हुए छिपाता रहा कि इस बार भी सब अपनेआप ठीक हो जाएगा. सैक्स पावर और हमबिस्तरी की मीआद बढ़ाने के लिए 25 मिलीग्राम की एक गोली और ज्यादा ढीलापन रहता हो, तो 50 मिलीग्राम की एक गोली काफी होती है.

वैसे, प्राइवेट पार्ट में इरैक्शन यानी तनाव के लिए वियाग्रा की गोली का सेवन पिछले 20 सालों में तेजी से बढ़ा है. इस ने तो हद कर दी 5 जून, 2022 को राहुल को प्रयागराज के सब से बड़े सरकारी अस्पताल मोतीलाल नेहरू मैडिकल कालेज में भरती कराया गया, तो वहां मौजूद डाक्टर भी हैरान रह गए, क्योंकि उन की जिंदगी में आया यह पहला मामला था, जिस में प्राइवेट पार्ट में तनाव कम या खत्म नहीं हो रहा था वरना अब तक तो ऐसे ही नौजवान ज्यादा आते थे, जिन के अंग में या तो तनाव नहीं आता था या वे पूरी तरह तैयार नहीं होते थे या फिर वे जल्दी डिस्चार्ज हो जाते थे. लेकिन हो गया इलाज यूरोलौजी डिपार्टमैंट के मुखिया डाक्टर दिलीप चौरसिया ने केस अपने हाथ में लिया और इलाज शुरू किया. यह मामला प्राइवेट पार्ट की नसों में खामी आ जाने का था,

जो कभीकभार लाखों में से किसी एक को होता है. उन की टीम ने मुंबई के एक नामी डाक्टर रुपिन शाह के फार्मूले को अपनाया और पेनाइथल प्रोस्थैसिस के एक महीने के अंतर से 2 आपरेशन कर रोहित को ठीक कर दिया. रोहित तो डाक्टरों की कोशिशों के चलते ठीक हो गया, लेकिन देश में लाखोंकरोड़ों नौजवान ऐसे हैं, जो नीमहकीमों के चक्कर में पड़ कर अपनी जिंदगी तबाह कर लेते हैं और मारे शर्म और डर के किसी को बताते भी नहीं कि सैक्स पावर बढ़ाने के लालच में उन की सैक्स पावर या तो कम हो गई है या बिलकुल ही खत्म हो गई है. रोहित भी शायद यही करता, अगर उसे अंग उठे रहने की परेशानी पेश न आ रही होती. अब वह ठीक हो गया है, तो उम्मीद है कि उस की पत्नी भी इस बात को बुरा सपना मान कर वापस आ जाएगी.

जानलेवा टोटके रोहित का मामला तो जैसेतैसे सुलट और सुलझ गया, लेकिन भोपाल के 24 साला प्रतीक का मर्ज अभी तक ज्यों का त्यों है, जिस ने तकरीबन 2 साल पहले अपनी गर्लफ्रैंड पर रौब गांठने और सैक्स के पहले एमपी नगर के एक फुटपाथी नीमहकीम से सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवाएं 500 रुपए में ली थीं. नीमहकीम की हिदायत के मुताबिक प्रतीक ने पुडिया में बंधी खुराक गरम दूध से हलक में उड़ेल ली और तयशुदा जगह पर माशूका का इंतजार करने लगा. इस बाबत ह्वाट्सएप पर बात हो चुकी थी कि वह शाम के 5 बजे तक पहुंच जाएगी, फिर दोनों खूब मस्ती करेंगे. पर थोड़ी देर बाद माशूका का मैसेज आया कि घर पर मेहमान आ गए हैं,

इसलिए अब वह शाम के 7 बजे तक पहुंच पाएगी. प्रतीक मन और तन मसोस कर रह गया, क्योंकि उस नीमहकीम की दवा असर दिखाने लगी थी, लेकिन पेट के नीचे नहीं, बल्कि ऊपर जहां गैस बन रही थी और जोरदार गुड़गुड़ हो रही थी. देखते ही देखते प्रतीक को दस्त होने का सिगनल मिला, तो वह सार्वजनिक शौचालय की तरफ भागा. थोड़ी देर बाद फारिग हो कर आया, तो पेट में तेज दर्द उठा, इतना तेज कि बरदाश्त नहीं हो रहा था. लिहाजा, उस ने अपने एक दोस्त को फोन किया और कहा कि भाई, जल्दी एमपी नगर आ कर मुझे डाक्टर के यहां ले चल.

अब तक उस पर से माशूका और सैक्स का नशा उतर चुका था. डाक्टर ने प्रतीक की जांच की और पूछा कि क्याक्या खायापीया था, तो वह हकीमजी की पुडि़या वाली बात छिपा गया. डाक्टर की दवा लेने से उस दिन तो आराम रहा, लेकिन दूसरे दिन फिर दस्त लगने लगे. अब उस का माथा ठनका कि हकीमजी तो उसे चूना लगा गए हैं. इस बार दूसरे डाक्टर को दिखाया, तो प्रतीक को यह सच बताने में ही अपनी भलाई लगी कि उस ने सैक्स पावर बढ़ाने की दवा ली थी. डाक्टर ने पहले तो तबीयत से प्रतीक को डांटा कि पढ़ेलिखे समझदार हो कर भी इन लुटेरों के चक्कर में पड़ते हो.

खैर, अब जाओ और इतनी जांचें करवा कर लाओ. अब तक इलाज में उस के 3,000 रुपए फुंक चुके थे, लेकिन परेशानी जबरदस्त थी, इसलिए वह इलाज करवाता रहा. इस के 2 साल बाद भी कभीकभी एकदम से दस्त लगने लगते हैं, तो उसे शौचालय की तरफ भागना ही पड़ता है. अब प्रतीक ने नीमहकीमों से तोबा कर ली है कि ये लोग जानतेसमझते कुछ नहीं हैं, बस पैसा कमाने की गरज से नौजवानों को खानदानी इलाज का झांसा दे कर अपना पेट भर रहे हैं, इसलिए इन से बचना चाहिए. पूरे देश में ऐसे तथाकथित नीमहकीमों का जाल बिछा है, जो नामर्द को मर्द बनाने का ठेका लिए बैठे हैं. शर्तिया औलाद पैदा करवाने के अलावा ये लोग वीर्य को इतना गाढ़ा करने के नुसखे बताते हैं कि गाढ़े और काढ़े में फर्क खत्म हो जाता है.

सैक्स ड्राइव बढ़ाने की जड़ीबूटियां भी इन के झोलों में रहती हैं. औरत को पूरी तरह से संतुष्ट करने की रामबाण औषधि भी इन के पास मिल जाती है. सैक्स पावर बढ़ाने की गारंटी देने वाले इन नीमहकीमों के नुकसानदेह इलाज के बारे में कई बार पोल खुल चुकी है. ‘सरस सलिल’ में भी न जाने कितनी बार ऐसे लेख छपे हैं, जो पाठकों को इन ठगों से बचने के लिए आगाह करते रहे हैं और सैक्स के बारे में उपयोगी जानकारियां देते रहे हैं कि इन बातों को समझें और करें, जो शादीशुदा जिंदगी में रंग घोल देती हैं. यह बहुत बड़ी गलतफहमी है कि मैं अपनी पत्नी या माशूका को बिस्तर में संतुष्ट नहीं कर पाऊंगा या ज्यादा देर तक टिक नहीं पाऊंगा. इस गलतफहमी से बचें,

क्योंकि पत्नी या माशूका आप से प्यार और इज्जत चाहती है और जब ये दोनों उसे मिलेंगे, तो वह सैक्स में भरपूर साथ और मजा देगी. बहुत सी आहें और चीखें संतुष्टि का पैमाना नहीं हैं. पैमाना है सैक्स करने का तरीका और ताकत, जो कुदरत जवान होते ही सभी को देती है. इस के बाद भी अगर कोई परेशानी या कमजोरी लगे, तो तुरंत बिना शरमाए डाक्टर से मिलें. वह आप की समस्या, जो आमतौर पर वहम होती है, को मिनटों में दूर कर देगा.

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