शादी का झांसा देकर ठगी

31 मई, 2017 की दोपहर को जब सर्किल इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह एसपी अंशुमान भोमिया से मिलने पहुंचे तो उन के मन में उथलपुथल मची हुई थी. इस की वजह भी वाजिब थी, क्योंकि एसपी साहब आमतौर पर लंच ब्रेक के समय अपने मातहतों को तलब नहीं करते थे. जबकि उन्होंने श्रीचंद सिंह को तत्काल बुलाया था. बहरहाल, इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह सैल्यूट कर के एसपी साहब के सामने जा खड़े हुए.

‘‘तुम्हारे लिए एक खबर है, जो मध्य प्रदेश पुलिस से मिली है.’’ अंशुमान भोमिया ने इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह की ओर देखते हुए कहा, ‘‘उज्जैन और इंदौर में एक गिरोह सक्रिय है, जो शादी कराने के नाम पर लूटखसोट करता है. इस गिरेह ने कोटा में भी पांव पसार लिए हैं.’’

‘‘कोई लीड मिली है सर?’’ श्रीचंद सिंह ने पूछा तो श्री भोमिया ने कहा, ‘‘लीड नहीं, पूरी खबर है. रिद्धिसिद्धिनगर में रहने वाले कारोबारी बसंतीलाल जैन इस गिरोह के हाथों ठगे गए हैं. उन के साथ जबरदस्त धोखा हुआ है, जिस से पूरा परिवार सदमे में है. उन का पैसा भी गया और समाज में खासी बदनामी भी हुई. वे लोग कल तुम से मिलेंगे. इस मामले की जांच मैं तुम्हें सौंपता हूं. अपनी एक विश्वस्त टीम तैयार करो और लग जाओ काम पर.’’

‘‘ठीक है सर, मैं संभाल लूंगा.’’ कह कर श्रीचंद सिंह ने सैल्यूट किया और एसपी साहब के औफिस से बाहर आ गए.

अगले दिन यानी 1 जून को बसंतीलाल जैन अपने बेटों सुशील जैन और मनोज जैन के साथ थाना कुन्हाड़ी आ कर थानाप्रभारी इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह से मिले. इस से पहले कि बसंतीलाल अपना परिचय देते, पहचान लेने के अंदाज में उन्होंने उन्हें बैठने को कहा तो बसंतीलाल ने उन्हें कृतज्ञता की दृष्टि से देखा. बैठते ही उन्होंने श्रीचंद सिंह को अपने बेटों का परिचय दिया. उस के बाद मनोज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘सर, यह मेरा छोटा बेटा मनोज है. इसी की शादी में हम धोखे का शिकार हुए हैं.’’

श्रीचंद सिंह ने हमदर्दी जताते हुए कहा, ‘‘आप की पीड़ा मैं समझ रहा हूं. आप सिलसिलेवार सब कुछ बताइए कि आप के साथ कैसे और क्या हुआ? आप इत्मीनान रखिए, हम बदमाशों को पकड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.’’

बसंतीलाल के चेहरे पर राहत के भाव आए और मुरझाए चेहरे पर क्षीण सी मुसकान तैर गई. बसंतीलाल ने एक पल के लिए बड़े बेटे सुशील की तरफ देखा. उस के चेहरे पर सहमति के भाव नजर आए तो उन्होंने आश्वस्त हो कर अपनी नादानी और शादी के बहाने धोखाधड़ी करने वालों के कमीनेपन की कहानी सुनानी शुरू कर दी.

‘‘बड़े खुराफाती लोगों से वास्ता पड़ा आप का तो…’’ करीब एक घंटे तक बसंतीलाल जैन की आपबीती सुनने के बाद इंसपेक्टर श्रीचंद सिंह ने हैरानी जताते हुए कहा, ‘‘वारदात का पता आप को अप्रैल में चला और आप पुलिस के पास अब पहुंच रहे हैं 2 महीने बाद?’’

‘‘अब क्या कहूं सर? अपनी जिल्लत और अंधविश्वास की गाथा किसी को सुनाने का हौसला नहीं कर पा रहा था.’’ बसंतीलाल ने कहा, ‘‘बदमाशों का असली चेहरा तो अप्रैल में फेसबुक देखने से ही उजागर हुआ. उसी से उन की करतूतों का पता चला. शादी में 5 लाख रुपए नकद और 15 लाख के जेवर हड़पने के बाद अब 30 लाख और वसूलने की फिराक में हैं. हमें धमका रहे हैं कि रुपए नहीं मिले तो घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामले में फंसा देंगे. इस के बाद तो पुलिस का ही सहारा बचा.’’

‘‘ठीक है.’’ श्रीचंद सिंह ने गहरी सांस लेते हुए कहा, ‘‘आप सबइंसपेक्टर के पास जा कर एफआईआर दर्ज करवा दीजिए, उस के बाद देखते हैं.’’

कोटा के कुन्हाड़ी स्थित रिद्धिसिद्धि नगर की चंचल विहार कालोनी के रहने वाले पत्थर कारोबारी बसंतीलाल जैन के परिवार में उन की पत्नी के अलावा 2 बेटे सुशील और मनोज थे. दोनों ही बेटे पिता के पारिवारिक कारोबार  में हाथ बंटा रहे थे. बडे़ बेटे सुशील का विवाह हो चुका था. अब उन्हें छोटे बेटे मनोज की शादी की चिंता थी.

वैवाहिक रिश्तों को ले कर बसंतीलाल की भी एक ही सोच थी कि परिवार मानसम्मान वाला हो और लड़की संस्कारी. मनोज की उम्र 32 साल हो चुकी थी. अभी तक ठीकठाक रिश्ता न मिलने से बसंतीलाल काफी चिंतित थे. अच्छे रिश्ते के लिए उन्होंने अपने सभी परिचितों को कह भी रखा था. इसी साल जनवरी की शुरुआत में उन के जयपुर के एक परिचित अशोक जैन ने बसंतीलाल और उन के बेटों के बारे में उज्जैन निवासी पूनमचंद जैन को जानकारी देते हुए कहा कि काफी अच्छे लोग हैं. ऐसे परिवारों का साथ संयोग से ही मिलता है. उन्होंने उन्हें उन के बारे में बता दिया है, जल्दी ही वे लोग उन से संपर्क करेंगे.

पूनमचंद जैन और बसंतीलाल की मुलाकात इंदौर में रहने वाले संजय जैन के माध्यम से हुई थी. संजय जैन का पता अशोक जैन ने यह कहते हुए दिया था कि रिश्ते की बात वह संजय जैन के माध्यम चलाएं तो ज्यादा बेहतर रहेगा. संजय जैन पूनमचंद जैन को ले कर कोटा पहुंचे. बातचीत में अपने परिवार का ब्यौरा देते हुए पूनमचंद ने बताया कि 4 भाईबहनों में नेहा सब से बड़ी है. 2 भाई हैं पारस और महावीर तथा एक छोटी बहन है नीहारिका.’’

मनोज से नेहा के रिश्ते की बात चलाते हुए जहां पूनमचंद ने उस के रूपगुणों का भरपूर बखान किया, वहीं बसंतीलाल ने भी अपने बेटे मनोज को समझदार और सुशील स्वभाव का बताया.

पूनमचंद ने बातचीत में नेहा को देखने का भी प्रस्ताव रखा, पर बसंतीलाल फोटो देख कर ही आश्वस्त हो गए. पूनमचंद ने बातचीत में जिस तरह से जैन समाज के नियम, कर्म और समाज के विशिष्ट शख्सियतों की चर्चा की, उस से बसंतीलाल काफी प्रभावित हुए. दोनों परिवार एकमत थे, इसलिए शुभ काम में देरी का कोई मतलब नहीं था.

फलस्वरूप नेहा और मनोज की सगाई 15 जनवरी, 2017 को कर दी गई. सगाई समारोह का आयोजन कुन्हाड़ी स्थित होटल कान्हा पैलेस में किया गया. बसंतीलाल मूलरूप से खानपुर के चांदखेड़ी कस्बे के रहने वाले थे. इसलिए शादी पूरी धूमधाम के साथ बसंतीलाल के पैतृक गांव चांदखेड़ी से हुई.

शादी में कन्या पक्ष के काफी रिश्तेदर आए थे. शादी का पूरा खर्च बसंतीलाल के परिवार ने ही वहन किया, यहां तक कि उन के रहने और आवाजाही के लिए गाडि़यां भी वर पक्ष ने ही उपलब्ध कराई थीं. मनोज और नेहा के परिणय सूत्र में बंध जाने के बाद नेहा दुलहन बन कर चंचल विहार, कोटा स्थित अपनी ससुराल आ गई.

मनोज थोड़ा संकोची स्वभाव का था, जबकि नेहा दबंग किस्म की मौडर्न लड़की थी. अभी बसंतीलाल के घर वाले हंसीठिठोली के साथ मनोज को शादी की बधाइयां ही दे रहे थे कि सजीसंवरी दुलहन ने यह कह कर मनोज के होश उड़ा दिए कि उस ने व्रत ले रखा है, इसलिए जब तक वह पूरा नहीं हो जाता, तब तक वह न तो सुहाग कक्ष में आ सकता है और न उसे छू सकता है.

उस ने यह भी कहा कि यह व्रत एक विशिष्ट पूजा के साथ उज्जैन लौटने पर ही टूटेगा. शुरू में लोगों ने दुलहन के इस हठ को यह सोच कर हल्के में लिया कि वह समझानेबुझाने से मान जाएगी. लेकिन नेहा को न मानना था और न मानी. मनोज नहीं चाहता था कि शादी की शुरुआत में ही मतभेद बढ़ें और बात घर के बाहर जाए.

नतीजतन मनोज को उस की मनमानी के आगे झुकना पड़ा. बाद में नेहा उज्जैन गई तो एक महीने तक न तो उस ने अपनी कोई खैरखबर दी और न ही लौटने की मंशा जताई. मनोज की काफी मानमनुहार के आगे झुक कर वह कोटा आई भी तो केवल 2 दिनों के लिए. वह यह कह कर वापस चली गई कि उस के भाई की शादी है. इन 2 दिनों में भी नेहा ने मनोज को अपने पास नहीं फटकने दिया था.

मनोज तो नेहा की मनमानी से दुखी था ही, बसंतीलाल को भी उस का व्यवहार अटपटा लग रहा था. उन्होंने मनोज से पूछा भी कि यह कैसा समधियाना है कि बहू के भाई की शादी है और हमें खबर तक नहीं. उत्सुकतावश उन्होंने नेहा के पिता पूनमचंद से बात करने के लिए फोन किया तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला.

नेहा के व्यवहार से असमंजस में डूबा जैन परिवार अब क्या किया जाए, इसी उधेड़बुन में था कि तभी अचानक नेहा लौट आई तो सब ने राहत की सांस ली. लेकिन यह खुशी भी 2 दिनों से ज्यादा नहीं टिकी. उस ने यह कहते हुए सीकर जाने की रट लगा दी कि उसे वहां बहन की शादी में जाना है.

इस अजबगजब की स्थिति में उलझे बसंतीलाल के सब्र का पैमाना छलक गया. आखिर उन्होने नेहा से पूछा, ‘‘बहू, यह कैसी रिश्तेदारी है कि तुम्हारे भाई की शादी हुई, हमें बुलाना तो दूर औपचारिक खबर तक नहीं दी गई? अब तुम कह रही हो कि तुम्हारी बहन की शादी है? लेकिन तुम्हारे पिता की तरफ से हमें कोई खबर नहीं दी गई हैं. उन का फोन भी औफ आ रहा है.’’

इस सवाल का जवाब नेहा ने 2 टूक लहजे में दिया, ‘‘इतने बड़े व्यापारी हैं पापा, नहीं होगा उन के पास बात करने का समय. क्या शादी के वक्त ऐसा कोई वादा किया गया था कि पापा हर खबर आप को देंगे? मुझे सीकर जाना है तो बस जाना है.’’

बहू के इस जवाब से बुरी तरह आहत और अपमानित बसंतीलाल सिर थाम कर बैठ गए. बड़ा बेटा सुशील भी हतप्रभ रह गया. लेकिन मनोज बुरी तरह सुलग उठा. पर नेहा की गुस्से से भरी आंखों को देख वह भी विवश हो कर रह गया. नेहा सीकर जाने की जिद पूरी कर के ही मानी. उस के जाने के बाद हतप्रभ बेटे को बसंतीलाल ने यह कह कर दिलासा दी कि इस उम्र में लड़कियों का मातापिता से ज्यादा लगाव होता है. इसलिए इस बात को दिल से न लगाए, आहिस्ताआहिस्ता सब ठीक हो जाएगा.

जैसी उम्मीद थी कि धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा, लेकिन वैसा नहीं हुआ. अलबत्ता बसंतीलाल की उलझनें और बढ़ गईं. दरअसल, महीना भर बीतने के बाद भी जब नेहा नहीं लौटी और न ही उस ने कोई खबर दी तो आशंकित परिवार  ने उज्जैन जाना ठीक समझा. पर उज्जैन पहुंच कर उन्हें आघात तब लगा, जब पूनमचंद परिवार सहित अपने बताए पते पर नहीं मिला.

आशंकाओं में डूबतेउतराते बसंतीलाल ने जब फोन पर उन से संपर्क किया तो उन का कहना था कि वे फिलहाल अपने रिश्तेदारों के यहां आए हुए हैं. नेहा भी उन्हीं के साथ है. पूनमचंद ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि वह नेहा को ले कर जल्दी ही पहुंचेंगे.

हैरान परेशान बसंतीलाल के परिवार ने राहत की सांस ली. कुछ ही दिनों बाद नेहा कोटा पहुंच गई. लेकिन बसंतीलाल परिवार की खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रही सकी. एक पखवाड़े बाद ही नेहा ने यह कहते हुए उज्जैन जाने की रट लगा दी कि वह यहां के माहौल में ऊब गई है और कुछ दिनों के लिए चेंज चाहती है.

बसंतीलाल अच्छे कारोबारी थे तो दुनियादार भी थे. अंदेशों से घिरे बसंतीलाल ने नेहा की जिद पर यह सोच कर घुटने टेक दिए कि मनमानी पर उतारू लड़की ने कोई उलझन खड़ी कर दी तो बेमतलब की परेशानी खड़ी हो जाएगी. लेकिन पिछले 3 महीनों में नेहा की हरकतों ने उन के मन मे अंदेशों के हजार फन खड़े कर दिए थे. अपने बेटे सुशील और परिवार के शुभचिंतकों से अपनी शंका साझा करते हुए उन्होंने मशविरा मांगा कि अब उन्हें क्या करना चाहिए?

उन का शंकित होना स्वाभाविक था. सामने सवाल ही सवाल थे. टूट कर चाहने वाला शील स्वभाव पति, छोटी बहू होने के नाते परिवार का भरापूरा लाड़प्यार और मानसम्मान. इस के बावजूद नेहा ससुराल से बारबार क्यों भाग रही है? क्यों वह अपने पति को पास फटकने नहीं दे रही है? समधियाने में शादीब्याह हो रहे हैं, लेकिन उन्हें बुलाना तो दरकिनार, कोई खबर तक नहीं दी जा रही है.

रिश्ते की बात के समय स्नेह भाव उडे़लने वाले पूनमचंद जैन से सीधे मुंह बात तक करना मुश्किल हो रहा था. रिश्ते का जरिया बने अशोक जैन और संजय जैन भी बातचीत से कन्नी काट रहे थे. अशोक जैन का यह कहना उन्हें बुरी तरह आहत कर गया कि ‘भाई साहब, रिश्ता बताना मेरा काम था, ऊंचनीच और भलाबुरा आप को देखना चाहिए था. इस में मैं क्या कर सकता हूं?’

जिस समय बसंतीलाल का परिवार ऊहापोह में डूबा हुआ था, उसी समय एक विस्फोटक घटना ने उन की रहीसही उम्मीद छीन ली. बसंतीलाल जिस बहू के आने की उम्मीद गंवा चुके थे, वह एकाएक लौटी तो जरूर, लेकिन उस के चेहरे पर स्त्री सुलभ मुसकान के बजाय आक्रामक तेवर थे. अपने पिता पूनमचंद के साथ कोटा पहुंची नेहा ने जो कहा, उस ने पहले से ही हताश बंसतीलाल परिवार पर वज्रपात का काम किया.

नेहा ने गुस्से में कहा, ‘‘अब तुम सीधेसीधे 50 लाख रुपए देने की तैयारी कर लो, वरना घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना में फंसा कर तुम सभी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दूंगी.’’

यह सुन कर मनोज तो वहीं गश खा कर गिर पड़ा. नेहा और पूनमचंद जिस अफरातफरी के साथ आए थे, वैसे ही वापस लौट गए.

बदहवास और बेहाल करने वाली इन घटनाओं के बीच सदमे में डूबे जैन परिवार के लिए उम्मीदों का सूरज भी उगा. यह इत्तफाक ही था कि 25 मई को बसंतीलाल के बड़े बेटे सुशील की पत्नी शालिनी (परिवर्तित नाम) जब नेहा के कमरे की सफाई कर रही थी तो उसे बैड के नीचे एक मोबाइल फोन पड़ा मिला. वह मोबाइल फोन नेहा का था. उस ने मोबाइल अपने पति सुशील को दे दिया. उत्सुकतावश सुशील ने उस की काल डिटेल्स खंगाली तो उस में एक ऐसा नंबर पकड़ में आया, जिस पर रोजाना सब से ज्यादा फोन किए गए थे. सुशील ने जब यह बात अपने पिता बसंतीलाल और भाई मनोज को बताईं तो उन्होंने जिज्ञासावश मैमोरी कार्ड को खंगालना शुरू किया.

फिर तो हकीकत जान कर उन की आंखें फटी रह गईं. मैमोरी कार्ड से पता चला कि नेहा का असली नाम माया उर्फ सोना ठाकुर था और किसी संजय से उस के अनैतिक संबंध थे. यह बात पता चलने के बाद जैन परिवार ने उस के नाम की फेसबुक खोजनी शुरू कर दी.

उन की मेहनत रंग लाई और नेहा उर्फ सोना ठाकुर की फेसबुक मिल गई. फेसबुक पर उस के अलगअलग लोगों के साथ उत्तेजक भावभंगिमाओं और अश्लील मुद्राओं वाले फोटोग्राफ्स थे. इस से यह पुष्टि हो गई कि नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर कालगर्ल थी और उस का पूरा गिरोह देहव्यापार में डूबा था. संजय जैन इस गिरोह का सरगना था. इस जानकारी के बाद ही बसंतीलाल एसपी अंशुमान भोमिया से मिले थे.

जांच आगे बढ़ाने और किसी भी ठोस नतीजे पर पहुंचने के लिए नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर के कोटा और उस के आसपास के संबंधों की जानकारी जरूरी थी. यह सूचना बसंतीलाल के परिवार अथवा उन के परिचितों से ही मिल सकती थी. श्रीचंद सिंह की इस थ्यौरी की ठोस वजह थी कि जो गिरोह देहव्यापार से जुड़ा है और शादी कर के लोगों को फंसाने का काम भी करता है, उस का कहीं न कहीं स्थानीय संपर्क जरूर होगा.

श्रीचंद सिंह के जेहन में एक ऐसी ही घटना और भी थी, जो नजदीकी कस्बे रामगंजमंडी में घटी थी. इस घटना में लुटेरी दुलहन ने पति की हत्या कर के उस की लाश को जमीन में गाड़ दिया था. इस वारदात को अंजाम देने में भी मध्य प्रदेश के ही किसी गिरोह का हाथ था.

रामगंजमंडी की वारदात को जेहन में रखने की वजह यह थी कि बसंतीलाल जैन ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया था कि रिश्ते की बातचीत के दौरान पूनमचंद ने नेहा का जो आधार कार्ड दिखाया था, वह रामगंजमंडी से बनवाया गया था.

रामगंजमंडी में श्रीचंद सिंह और उन की टीम को इस से ज्यादा कोई जानकारी नहीं मिली कि नेहा का आधार कार्ड बनवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था. कार्ड बनवाने वाले कौन थे, काफी कोशिश के बाद भी उन का कुछ पता नहीं चला. पुलिस टीम ने सूत्र हाथ लगने की उम्मीद में करीबी शहर बारां में भी खोजखबर ली. वहां भी कुछ  समय पहले ऐसी ही वारदात हुई थी.

इस घटना में कोतवाली पुलिस ने एक मैरिज ब्यूरो संचालक तथा 2 युवतियों समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. लेकिन इस से भी श्रीचंद सिंह को नेहा के स्थानीय संपर्क सूत्रों की कोई जानकारी नहीं मिली. 5 दिनों तक आसपास के इलाकों की जांच में पुलिस को इस से ज्यादा कुछ नहीं मिला.

अपनी अब तक की जांच का ब्यौरा श्रीचंद सिंह ने एसपी अंशुमान भोमिया को दिया. उन्होंने अपनी जांच की सभी जानकारियां भी उन से साझा कीं. उन्होंने मामले की गहन जांच के लिए मध्य प्रदेश के उज्जैन और इंदौर जाने के निर्देश दिए.

अगले दिन 6 जून को श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ उज्जैन के लिए रवाना हो गए. इस बीच एसपी अंशुमान भोमिया ने इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी अमरेंद्र सिंह को भी अपनी रणनीति से अवगत कराया.

उधर श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ इंदौरउज्जैन के कस्बाई इलाकों में डेरा डाले हुए वहां की पुलिस की मदद से ऐसे गिरोहों की जानकारी जुटाने में लगे थे. 7 दिनों की अथक भागदौड़ के बाद आखिर नतीजा सामने आ गया. राजस्थान और मध्य प्रदेश का यह साझा औपरेशन कामयाब रहा.

8 जून को लुटेरी दुलहन नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर पुलिस की गिरफ्त में आ गई. इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी अमरेंद्र सिंह के अनुसार, कोटा पुलिस से मिली सूचना के बाद नेहा को गिरफ्तार कर लिया गया. कोटा पुलिस के सीआई श्रीचंद सिंह ने इंदौर क्राइम ब्रांच के एएसपी को नेहा के उज्जैन स्थित लीला का बागीचा में छिपे होने की इत्तला दी थी.

नेहा के गिरफ्त में आते ही श्रीचंद सिंह ने एसपी भोमिया को टीम की कामयाबी की जानकारी दी. एमपी पुलिस ने आवश्यक काररवाई के बाद नेहा को कोटा पुलिस के हवाले कर दिया. उसी दिन नेहा को गिरफ्तार कर के श्रीचंद सिंह अपनी टीम के साथ कोटा आ गए.

कुन्हाड़ी थाना पुलिस ने नेहा को शनिवार 9 जून को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर ले लिया. रिमांड के दौरान पुलिस पूछताछ में नेहा ने कई चौंकाने वाले रहस्य उजागर किए. उस ने स्वीकार किया कि 11 साल पहले उस की शादी इंदौर में गोमा की फैल निवासी मुकेश ठाकुर से हुई थी. उस की एक बेटी भी थी.

लेकिन पति से झगड़े के बाद वह अलग रहने लगी. संजय ने उसे दौलत कमाने के लिए फर्जी शादी का रास्ता बताया. वह उस के साथ इस धंधे से जुड़ गई. उस ने बताया कि संजय ने उसे जैन समाज की बेटी बता कर मनोज जैन के परिवार को उस का फोटो भेजा था.

फोटो पसंद करने और रिश्ता पक्का करने के लिए वह भी पूनमचंद जैन के साथ कोटा आया था. नेहा के नाम से आधार कार्ड भी उसी ने बनवाया था, ताकि राजस्थान का परिवार उस पर विश्वास कर सके.

फर्जी मातापिता रिश्तेदार और घराती भी संजय ने तैयार किए थे. उसी ने ही फर्जी शादी की पूरी प्लानिंग की थी, साथ ही उन लोगों ने एक माह तक मनोज और उस के घर वालों की रेकी की थी. नेहा उर्फ माया उर्फ सोना ठाकुर फिलहाल न्यायिक अभिरक्षा में है.

पुलिस की एक टीम अभी भी इंदौर में पड़ाव डाले हुए है, ताकि गिरोह के सरगना संजय और उन के साथियों को गिरफ्तार किया जा सके. पुलिस ने नेहा और उस के गिरोह के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 406 के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

बसंतीलाल जैन और उन के घर वालों का कहना है कि हमारे लाखों रुपए चले गए और मनोज का घर भी नहीं बस पाया. पूरा परिवार सदमे में है. लेकिन उन का एक ही मकसद है कि ऐसे लोग बेनकाब हों, ताकि समाज के दूसरे लोग सतर्क हो सकें.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

हुस्न के जाल में फंसा कर युवती ने ऐंठ लिए लाखों रूपए

Lovecrime मध्य प्रदेश की बहुचर्चित हनी ट्रैप का मामला अभी शांत भी नहीं पङा कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बड़े कारोबारी को अपने हुस्न के जाल में फांस कर लाखों रूपए की ठगी करने वाली एक युवती को पुलिस ने गिरफ्तार कर सनसनी फैला दी है.

पुलिस ने युवती के पास से लाखों रूपए कैश और एक महंगी लग्जरी कार बरामद की है.

ऐशोआराम की जिंदगी जीने की चाहत रखने वाली इस युवती ने रायपुर के एक बड़े हार्डवेयर कारोबारी से पहले तो फेसबुक पर दोस्ती की और बाद में शारीरिक संबंध बना कर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.

खतरनाक इरादे

पुलिस के अनुसार ललिता (बदला हुआ नाम) ने छत्तीसगढ़ के बड़े हार्डवेयर कारोबारी, जो शादीशुदा था को अपने जाल फंसाने के लिए फेसबुक पर दोस्ती की, मोबाइल नंबर दिए और व्हाट्सऐप पर चैटिंग शुरू कर दी। युवती ने खुद को मैडिकल स्टूडैंट बताया और गाढ़ी दोस्ती कर ली जबकि युवती डैंटल कालेज की ड्रौप आउट स्टूडैंट थी.

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मैडिकल की पढाई छोङ जल्दी ही अमीर बनने और ऐशोआराम की जिंदगी जीने के लिए उस ने अपने बेपनाह खूबसूरती और हुस्न का जाल बिछाना शुरू कर दिया.

फिल्म देख कर इरादा बदला

मैडिकल की पढाई के दौरान युवती ने जब फिल्म ‘हेट स्टोरी’ देखी तो तभी उस ने अपने इरादों को खतरनाक बना लिया था.

उस ने कारोबारी आदमी से दोस्ती कर शारीरिक संबंध बनाए और हिडेन कैमरे से एमएमएस बना कर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और और धीरेधीरे 1 करोङ 35 लाख से अधिक रूपए ऐंठ लिए.

कारोबारी पैसे देने के लिए जब भी मना करता आरोपी युवती पुलिस में जाने की धमकी देती. युवती के इस अपराध में उस के 3 और दोस्त भी साथ देते थे.

बरबाद हो गया कारोबारी

अचानक से इतने बङी रकम देने के बाद कारोबारी की हालत पतली हो गई और धंधा चौपट होने लगा. वह युवती के सामने कई बार गिङगिङाया, छोङ देने के लिए  हाथपैर जोङे पर इतना पैसा लेने के बावजूद भी युवती ने अपना इरादा बदला नहीं, उलटे 50 लाख रूपए की और मांग कर डाली.

तंग आ कर कारोबारी ने रायपुर के पंडारी थाने में पुलिस को सब सचसच बता दिया और खुद को बरबाद होने से बचाने की गुहार लगाई.

पुलिस ने बिछाया जाल

बदहाली में डूबे कारोबारी से युवती ने 50 लाख रूपए मांगे तो वह देने को तैयार हो गया। इस पेमेंट को देने के लिए उस ने युवती को रेलवे क्रासिंग पर बुलाया, जहां पहले से ही सादी वरदी में पुलिस वाले तैयार थे.

युवती के आते ही पुलिस ने रंगेहाथ पैसे लेते उसे धर दबोचा और न्यायालय में पेश किया, जहां न्यायालय ने उसे पुलिस रिमांड पर भेज दिया है.

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पुलिस अब युवती के इस अपराध में साथ देने वाले उन 3 कथित बौयफ्रैंड को भी ढूंढ़ रही है.

बुरी बला है अधिक लालच

सुनियोजित अपराध में कामयाब होने और लाखों रूपए ऐंठने के बाद युवती महंगी चीजों को खरीदने और महंगे होटलों में रहने का आदी हो गई थी.

वह पेशेवर अपराधी की तरह कारोबारी से पेश आने लगी थी. मगर एक बङी गलती उसे पुलिस के हत्थे चढ़ने से बचा न सकी. गलती थी हद से अधिक लालच और महिला शरीर का गलत इस्तेमाल.

वह जानती थी कि वह एक औरत है और भारतीय कानून और समाज पहले एक औरत की सुनते हैं. इसी का फायदा उठा कर उस ने उस कारोबारी से करोङ से अधिक रूपए वसूल लिए पर कहते हैं न कि ‘लालच बुरी बला है’ और इसी लालच की वजह से अब वह जेल की सलाखों के पीछे न जाने कब तक रहेगी.

आप भी सतर्क रहें

फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर ठगी के मामले बढते जा रहे हैं और इस में सब से अधिक हनी ट्रैप से सतर्क रहने की जरूरत है.

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इसलिए बेहतर तो यही है कि सोशल मीडिया पर न तो अधिक भरोसा करें और न ही किसी अनजान महिला/पुरूष से दोस्ती ही.

एक लाइक या एक क्लिक कब आप की जिंदगी को बदल कर आप को बदनाम और बदहाली की कगार पर ला खङा करेगा कुछ कहा नहीं जा सकता. एक छोटी सी गलती आप का भरापूरा परिवार और हंसतीखेलती जिंदगी को तबाह न कर पाए इस के लिए पहले से ही सावधान रहें, सतर्क रहें.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

महिला सिपाही का प्यार क्या कभी पूरा हो पाया

महिला सिपाही की खून से लथपथ लाश फर्श पर पड़ी थी. किसी ने बिस्तर से चादर उठा कर लाश के ऊपर डाल दी थी. पते की बात यह थी कि उस का पति कमरे या आसपास कहीं नजर नहीं आ रहा था.

बिस्तर पर महिला सिपाही की वरदी और एक बैग पड़ा हुआ था. नीचे फर्श पर एक मीटर के इर्दगिर्द में सिंदूर बिखरा पड़ा था. वरदी पर लगी नेमप्लेट से मृतका का नाम शोभा कुमारी पता चला. और तो और वरदी के पास ही 2 कट्टे (तमंचे) पड़े थे, जबकि नीचे फर्श पर एक कारतूस का खोखा पड़ा था.

पुलिस ने इसी से अनुमान लगाया कि हत्यारे ने इसी कट्टे से गोली मार कर इस की हत्या की होगी. पुलिस ने दोनों कट्टे और फायरशुदा खोखा अपने कब्जे में ले लिया.

20 अक्तूबर, 2023 की सुबह के 10 बज रहे थे. पटना में स्टेशन रोड पर स्थित होटल मीनाक्षी के कमरा नंबर-305 के मुसाफिर संजय कुमार अपना कमरा चेकआउट करने के लिए तैयार थे.

उन्होंने रिसैप्शन पर फोन कर के मैनेजर को बता दिया था कि एक बार आ कर वह कमरा चैक कर लें, वह रूम छोड़ रहे हैं. मैनेजर विकास ने कहा कि परेशान न हों, मैं अपने कर्मचारी को कमरे में भेज रहा हूं. वह चैक कर लेगा. फिलहाल थोड़ी देर के लिए कमरे से कहीं जाइएगा मत.

कुछ देर बाद कुछ सोच कर मैनेजर विकास कुमार किसी और को न भेज कर खुद ही कमरा चैकआउट करने तीसरी मंजिल पर स्थित कमरा नंबर-305 की ओर लिफ्ट में सवार हो कर पहुंचा, जहां लिफ्ट थी. वहां से कमरा नंबर-305 करीब 5 मीटर दूर पश्चिम की ओर था. वहां गैलरी से हो कर जाना होता था. उस गैलरी से हो कर मैनेजर जब आगे बढ़ा तो देखा कमरा नंबर-303 का दरवाजा अधखुला था.

भीतर कोई हलचल होती न देख कर मैनेजर विकास कुमार को कुछ शक हुआ तो वह कमरे में दाखिल हुआ. कमरे में महिला सिपाही की नग्नावस्था में खून से सनी लाश फर्श पर पड़ी हुई थी. उस की वरदी बिस्तर पर पड़ी थी.

होटल मीनाक्षी स्टेशन रोड स्थित कोतवाली थाने में पड़ता है. मैनेजर विकास ने फोन कर के घटना की सूचना कोतवाली थाने के इंसपेक्टर कौशलेंद्र सिंह को दे दी थी. घटना की सूचना मिलते ही वह आननफानन में कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल पहुंच कर इंसपेक्टर सिंह ने सब से पहले कमरे का मुआयना किया.

किस ने की सिपाही की हत्या

पता चला कि कमरा 19 अक्तूबर को किसी गजेंद्र कुमार यादव ने अपने और अपनी पत्नी शोभा कुमारी के नाम पर बुक कराया था, जो जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के दमुआ गांव का निवासी था.

इस के बाद इंसपेक्टर सिंह ने जिले के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह जानकारी दे दी थी. घटना की सूचना पा कर एसपी (सिटी) वैभव शर्मा, डीएसपी (कानून व्यवस्था) कृष्ण मुरारी प्रसाद मौके पर पहुंच गए थे. मौके से मृतका का पति गजेंद्र फरार था. इस से यही अनुमान लगाया जा रहा था कि घटना को अंजाम देने में उसी का हाथ होगा.

पुलिस ने काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेजवा दिया और अज्ञात हत्यारे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और गजेंद्र की तलाश के लिए एक पुलिस टीम गठित कर के जहानाबाद भेज दी. खोजबीन करती हुई पटना पुलिस 22 अक्तूबर, 2023 को काको थाने पहुंची. काको थानेदार अजीत कुमार के साथ आरोपी गजेंद्र के घर दमुआ में दबिश दी. गजेंद्र घर पर नहीं मिला.

बताते चलें कि गजेंद्र यादव के पिता रामाशीष यादव पहले गांव के चौकीदार थे. उन को कैंसर हो गया था. वे ज्यादातर बेडरेस्ट पर रहते थे.

रामाशीष ने बताया, ”साहब, वह मेरे लिए कैंसर की दवा लेने के लिए 17 अक्तूबर को दिल्ली चला गया था और दवा ले कर 1-2 दिन में आ जाएगा.’

पुलिस ने बताया कि वह अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद फरार है. पुलिस द्वारा बहू की हत्या की जानकारी मिलते ही घर में कोहराम मच गया. घर में रोनाधोना शुरू हो गया.

पुलिस ने पकड़ी गजेंद्र की दुखती नस

फिलहाल गजेंद्र के न मिलने पर पटना पुलिस जहानाबाद से पटना खाली हाथ वापस लौट आई, लेकिन काको थाने को उस पर कड़ी नजर रखने को कह दिया.

करीब सप्ताह भर बाद यानी 28 अक्तूबर, 2023 को पुलिस ने कैंसर से पीडि़त पिता को हिरासत में ले लिया. पिता को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर ले जाने की सूचना किसी तरह गजेंद्र तक पहुंच गई तो उस ने 30 अक्तूबर, 2023 को जहानाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.

आरोपी गजेंद्र के आत्मसमर्पण करने की सूचना मिलते ही पहली नवंबर, 2023 को पटना पुलिस टीम जहानाबाद के लिए रवाना हो गई और आरोपी गजेंद्र को अदालत के सामने पेश कर उसे ट्रांजिट रिमांड पर ले कर वहां से पटना के लिए वापस रवाना हो गई. 2 घंटे तक चली कड़ी पूछताछ में आरोपी गजेंद्र ने पुलिस के सामने घुटने टेक दिए और अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

 

पुलिस द्वारा पूछताछ में इस हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस से यही पता चलता है कि शोभा ने अपने हाथों खुद ही अपनी बदनसीबी की दर्दनाक पटकथा लिखी थी, जो इस तरह थी—

इस तरह हुआ गजेंद्र को शोभा से प्यार

30 वर्षीय गजेंद्र यादव मूलरूप से बिहार के जहानाबाद जिले के काको थानाक्षेत्र के गांव दमुआ का रहने वाला था. अपने 2 भाइयों में गजेंद्र बड़ा था. जितना पढऩे में गजेंद्र अव्वल था, उतना ही अपने अच्छे व्यवहार से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में महारथी था.

अपनी अलग पहचान बनाने के लिए उस ने घर से कुछ दूर कुर्था मोहल्ले में कोचिंग सेंटर खोल दिया. उस समय उस की उम्र 23-24 साल के आसपास रही होगी. उस का कोचिंग सेंटर चल निकला. बच्चों को वह मैथ और साइंस की कोचिंग देता था.

उस के कोचिंग सेंटर में मोहल्ले के अनेक लड़के लड़कियां कोचिंग के लिए आने लगे. शोभा भी गजेंद्र की कोचिंग सेंटर में आती थी. यह बात साल 2018 के आसपास की थी. उसी दौरान उसे शोभा से प्यार हो गया.

गजेंद्र जैसे प्रेमी को पा कर शोभा बहुत खुश थी और उस से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी. एक दिन समय देख कर गजेंद्र ने अपने पिता से अपने और शोभा के रिश्ते की जानकारी दे कर शादी करने की अपनी इच्छा जाहिर की तो उन्होंने इजाजत दे दी. लेकिन उस के सामने एक शर्त यह रखी कि शादी के बाद पत्नी को ले कर यहां पुश्तैनी मकान में नहीं रहोगे.

गजेंद्र ने अपने प्यार को पाने के लिए पिता की इस शर्त पर अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी और शोभा से कोर्ट मैरिज कर के शहर में किराए का कमरा ले कर उस के साथ रहने लगा.

गजेंद्र का किस ने और क्यों किया अपहरण

गजेंद्र के पिता रामाशीष यादव की ऐसा करने के पीछे एक बड़ी और खास वजह थी. दरअसल, जब गजेंद्र 13 साल का था तो उस का अपहरण हो गया था. अपहरण एक लड़की के पिता ने किया था अपनी बेटी से शादी करने के लिए. बिहार में आज भी यह प्रचलन जारी है कि लोग अच्छे परिवार के लड़के का अपहरण कर अपनी बेटी के साथ जबरन उस की शादी कर देते हैं.

गजेंद्र की भी जबरन शादी करा दी गई थी. शादी कराने के बाद लड़की के घर वालों ने उसे उस के घर तक पहुंचा दिया था. समाज के रीतिरिवाजों को मानने वाले रामाशीष ने भी इस शादी पर मोहर लगा दी थी और लड़की को बहू का दरजा दे दिया था, जबकि गजेंद्र के दिल को इस घटना से ठेस पहुंची थी. उसे पत्नी नहीं स्वीकार किया था. इस से उस के पिता काफी नाराज रहते थे.

इस बात को ले कर बापबेटे के बीच काफी रस्साकशी भी चलती रही. बाद के दिनों में गजेंद्र और उस की पत्नी के बीच तलाक हो गया था. तलाक के बाद दोनों अलगअलग हो गए थे.

शोभा अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. गजेंद्र उस की महत्त्वाकांक्षाओं को अच्छी तरह पहचानता था. इसी बीच गजेंद्र एक बेटी का पिता बना. बेटी के आने से घर में खुशहाली आ गई.

उन दिनों बिहार में पुलिस की बड़ी पैमाने पर वैकेंसी निकली थी. गजेंद्र ने पत्नी शोभा को अप्लाई करा दिया. उस की मेहनत से बिहार पुलिस में वह भरती हो गई. इस के लिए गजेंद्र ने अपने हिस्से की 5 बीघा जमीन भी बेच दी थी. अपना कारोबार और अपना जीवन सब कुछ दांव पर लगा दिया था.

उस का सोचना था कि उस की भी प्राइवेट जौब है. अगर दोनों में से किसी एक की भी सरकारी नौकरी हो जाए तो जीवन सरल हो जाएगा. यही सोच कर उस ने पत्नी को नौकरी के लिए प्रेरित किया था.

शोभा की टे्रनिंग पटना में हो रही थी.  बेटी दादा दादी के पास रहती थी. उसे जब ट्रेनिंग से थोड़ा वक्त मिलता तो 1-2 दिन के लिए बेटी से मिलने जहानाबाद स्थित घर आ जाया करती थी या फिर गजेंद्र ही पत्नी से मिलने पटना चला जाया करता था.

 

ट्रेनिंग के दौरान ही शोभा को वहीं पर एसएसबी की तैयारी कर रहे धीरज से प्यार हो गया. यह घटना से करीब एक साल पहले की बात है. शोभा अपने परिवार के प्रति अति लापरवाह होती जा रही थी. शोभा की ये बातें पता नहीं क्यों गजेंद्र को अजीब लग रही थीं. वह सोचता कि ऐसी कौन सी मां होगी जो अपने बच्चे से मिलने तक के लिए वक्त नहीं निकाल सकती.

बात पहली जुलाई, 2023 की है. गजेंद्र किसी काम से पटना आया था. उस ने यह बात पत्नी को नहीं बताई थी. दोपहर के वक्त गजेंद्र ने देखा एक बाइक पर किसी युवक के साथ उस की पत्नी कहीं जा रही थी. जिस युवक के साथ वह जा रही थी, उस का न तो गजेंद्र के साथ कोई रिश्ता था और न ही वह उस कोई रिश्तेदार ही था. यह देख उस का माथा ठनक गया.

शोभा के इस कदम से गजेंद्र डिप्रेशन में चला गया और बुझाबुझा सा रहने लगा. गजेंद्र इस कदर डिप्रेशन में चला गया था कि खुद को अकेला समझने लगा था. गजेंद्र डिप्रेशन से बिलकुल टूट चुका था. अब उस में पत्नी की बेवफाई का दर्द सहने की क्षमता रह नहीं गई थी, इसलिए वह जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंच जाना चाहता था.

इसी बीच गजेंद्र ने एक खतरनाक फैसला ले लिया था कि अगर शोभा मेरी नहीं हुई तो उसे किसी और की भी नहीं होने देगा. उसे मरना ही होगा.

अक्तूबर के महीने में दुर्गा पूजा थी. टे्रनिंग के दौरान शोभा की ड्यूटी कोतवाली क्षेत्र में लगी थी. यह बात गजेंद्र को पता चल चुकी थी. 17 अक्तूबर, 2023 को गजेंद्र पिता के कैंसर की दवा लेने के लिए जहानाबाद से दिल्ली के लिए निकला, लेकिन दिल्ली जाने के बजाय वह पटना आ गया. बेटी को उस ने छोटे भाई की जिम्मेदारी पर छोड़ दिया था.

होटल में दोनों के बीच क्या हुआ

19 अक्तूबर को वह पटना आ गया. पटना में उस ने स्टेशन रोड पर मीनाक्षी होटल में एक कमरा पतिपत्नी के नाम बुक कराया. उसे ठहरने के लिए कमरा नंबर-303 मिला. उस के पास एक पिट्ठू बैग था. उस में एक जोड़ी कपड़ा रखे थे. उन्हीं कपड़ों के बीच लोडेड 2 देसी तमंचे रख लिए थे.

रात में जब वह घूमफिर कर होटल लौटा तो 9 बजे के करीब उस ने पत्नी शोभा को फोन किया और उस का हालचाल लिया. उस ने उस से कहा कि वह स्टेशन रोड के होटल में ठहरा हुआ है. थोड़ी ही देर के लिए होटल में आ जाए. पति के कई बार आग्रह पर शोभा ने सुबह मिलने के लिए कह दिया.

अगली सुबह 8 बजे शोभा होटल पहुंची. उस समय गजेंद्र पूरी तरह तैयार हो चुका था और बैग से दोनों तमंचे निकाल कर कमर में खोंस लिए थे. शोभा कमरे में जैसे ही घुसी उसे बिना सिंदूर के देख उस का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया. इस बात को ले कर दोनों के बीच विवाद छिड़ गया.

गजेंद्र अपने साथ सिंदूर की डिबिया भी ले कर गया था. वह अपने हाथों से पत्नी की मांग में सिंदूर भरना चाहता था, लेकिन शोभा तैयार नहीं हुई और दोनों के बीच हाथापाई होने लगी. इसी दौरान गजेंद्र के हाथ से सिंदूर की डिबिया छूट कर नीचे फर्श पर जा गिरी और सिंदूर फर्श पर बिखर गया.

यह देख कर तो गजेंद्र एकदम पागल सा हो गया. उस ने आव देखा न ताव, कमर में खोंस रखा कट्टा निकाला और उस के सीने पर गोली मार दिया. गोली लगते ही शोभा नीचे फर्श पर जा गिरी और काल के गाल में समा गई.

इस के बाद उस ने दोनों असलहे बिस्तर पर रख दिए और पत्नी की वरदी उस के जिस्म से उतार कर बैड पर रख दी. फिर कमरे से 9 बज कर 32 मिनट पर बड़े आराम से अपना बैग ले कर दिल्ली के लिए रवाना हो गया.

गजेंद्र से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस गजेंद्र के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में पेश करने की तैयारी में थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

शारीरिक सुख की खातिर पत्नी ने लगा दी पति की जान की कीमत

बिहार के पानापुर, सारण जिले में एक चिकित्सक का शव 4 महीने पहले संदिग्ध परिस्थितियों में मिला तो इस छोटे से शहर में तब सनसनी फैल गई थी. मौत पर जितनी मुंह उतनी ही बातें होने लगी थीं. मगर 4 महीने बाद जब पुलिसिया तफ्तीश से परदा हटा तो जान कर लोग दंग रह गए. आरोप है कि उस की हत्या खुद उस की बीवी ने ही करवाई थी वह भी सुपारी दे कर.

बेवफा बीवी और साजिश

चिकित्सक के जानकार बताते हैं कि वह अपनी बीवी को बहुत प्यार करता था. बीवी खूबसूरत थी और गदराए हुस्न की मलिका भी. पर वह जितनी खूबसूरत थी उस से कहीं अधिक उस पर शारीरिक भूख हावी था. इस भूख को शांत करने के लिए उसे साथ मिला एक गैर मर्द का और महिला को वह प्रेमी इतना पसंद आने लगा कि उस के साथ ही जीने-मरने की खसम खाने लगी और अपने रास्ते पर अड़ंगा बन रहे अपने ही पति के साथ रच दी उस ने एक खौफनाक साजिश.

इश्क छिपता नहीं जमाने से

उधर चिकित्सक अपनी जिंदगी से संतुष्ट अपने काम में व्यस्त रहता तो इधर बीवी अपने जिस्म सुख के लिए प्रेमी के साथ अलग ही दुनिया में खोई रहती. लेकिन कहते हैं इश्क को लाख छिपा लो एक न एक दिन सब को पता चल ही जाता है, सो चिकित्सक पति ने भी बीवी की इस रासलीला को जान लिया. पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ पर लोकलाज की चिंता देख कर उस ने अपनी बीवी को समझाने की भरपूर कोशिश की. पर बीवी पर तो इश्क का भूत सवार था. एक दिन चिकित्सक से उस की जबरदस्त कहासुनी और मारपीट भी हो गई. तब उस ने अपनी बीवी को सुधर जाने की नसीहत भी दी.

बीवी प्रिया (बदला नाम) को यह नागवार गुजरा. वह दुनिया छोङने को तैयार थी पर अपने प्रेमी को नहीं. तब पति को रास्ते से हटाने के लिए उस ने अपने प्रेमी सचिन के साथ मिल कर भयानाक साजिश रची. आरोप है कि प्रेमी सचिन ने अपने 2 अन्य साथियों के साथ मिल कर चिकित्सक शिवकुमार सिंह की हत्या अपनी तथाकथित प्रेमिका के साथ मिल कर दी.

खतरनाक मंसूबे

आरोपी सचिन ने पुलिस को दिए बयान में जो बताया वह काफी खतरनाक है. सचिन ने बताया,”चिकित्सक की बीवी और वह एकदूसरे से प्रेम करते हैं. इस की भनक चिकित्सक को लग गई तो एक दिन उस ने हमारे साथ मारपीट भी की और मुझे भी मारा. हम प्रतिशोध की आग में धधक उठे थे.

“तब हम 1 महीने से उस की हत्या करने की प्लानिंग कर रहे थे. घटना के दिन वह खुद ही चिकित्सक को अपनी बाइक पर बैठा कर पानापुर बाजार स्थित क्लीनिक पर ले जा रहा था. प्लान के अनुसार उसे रसौली गांव में ठिकाने लगाना था.

टिक-टौक बना प्रेमी के मर्डर का सबब!

आज का आधुनिक सोशल मीडिया जहां एक तरफ वरदान है वहीं दूसरी तरफ कई बार यह अभिशाप भी बन जाता है .”टिक टॉक” वीडियो अपने इन्हीं सिक्के के दोनों पहलू के कारण लगातार विवादों में रहता है. इसी तारतम्य में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दो लड़कियों की हत्या हो गई, और वजह बना टिक टॉक पर बनाया गया एक वीडियो. देखिए पूरी रिपोर्ट-

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में में हुए दोहरे हत्याकांड में एक नाबालिग समेत 3 लोग पुलिस गिरफ्त में अंततः आ ही गए. एसएसपी आरिफ शेख ने मामले का खुलासा करते हुए हमारे संवाददाता को बताया कि घटना से तीन दिन पहले मृतका मंजू सिदार ने टिकटॉक पर एक वीडियो अपलोड किया था. इस वीडियो में वह दूसरे लड़के के साथ थी. यह वीडियो देख उसके प्रेमी सैफ ने हत्या की योजना बनाई और अपने साथी गुलाम मुस्तफा उर्फ काली और एक नाबालिग के साथ रायपुर आ गया.

आरोपियों ने बड़े ही शातिरना ढंग से मंजू को मारा, अचानक बीच-बचाव करने आई उसकी बहन मनीषा की भी हत्या कर डाली ताकि कोई सुराग पुलिस को ना मिले. मंजू छत्तीसगढ़ के ही रायगढ़ सिटी में रहती थी. यहीं से उसका सैफ के साथ प्रेम संबंध था. पुलिस को जांच के दौरान सैफ के घर से एक दस्तावेज मिला.  इस हत्याकांड में सनसनीखेज तथ्य यह भी है कि दस्तावेजों से कोर्ट में सैफ और मंजू के विवाह की पुष्टि होती है. घर वालों के दबाव के चलते मंजू ने सैफ से दूरी बना ली थी. पर सैफ हर बार मंजू को साथ रहने के लिए कहता रहता था.

ऐसे हुआ दोनों बहनों का मर्डर

बहन की परीक्षा होने की वजह से उसकी सहायता करने मंजू 10 दिन पहले ही रायपुर आई थी.सैफ ने काली को हत्या में साथ देने के लिए 7 लाख रुपए का ऑफर दिया था. काली भी साथ देने राजी हो गया. सैफ मंजू के कमरे मे गया तो किसी बात पर उससे झगड़ा शुरू हो गया.

सैफ ने गुस्से में मंजू का गला दबाया. मंजू की बहन उसे छुड़ाने आई, इस पर पास ही रखे तवे से सैफ ने उस पर भी हमला कर दिया. पुलिस अधिकारियों के अनुसार काली ने मनीषा को मारा और सैफ ने मंजू को. आरोपियों ने न सिर्फ इस हत्याकांड को अंजाम दिया बल्कि भागने का भी प्लान इनके पास तैयार था. नाबालिग साथी को सैफ ने इस काम में शामिल होने के लिए 15 हजार रुपए देने की बात कही थी.

नाबालिग संतोषी नगर के पास बाइक लेकर सैफ और काली का इंतजार कर रहा था. सड़क के रास्ते से आरोपी दुर्ग की तरफ निकल गए. यहां से बलौदाबाजार होते हुए नाबालिग जांजगीर पहुंचा. पुलिस बाइक के नंबर के आधार पर नाबालिग तक पहुंची. इस बीच सैफ और काली रीवा भाग गए, पुलिस ने इन्हें सतना मध्य प्रदेश में पकड़ कर ले आई है. पुलिस आगे की कार्यवाही में जुट गई है.

नहीं मिला प्यार तो उसे कुचल डाला

पुलिस पूछताछ में शोएब अहमद अंसारी उर्फ सैफ ने बताया कि वह बोईदादर रायगढ़ का निवासी है. डेढ़ साल पूर्व फेसबुक के जरिए उसकी मंजू से बातचीत शुरू हुई थी. किसी कार्यक्रम में मंजू रायगढ़ आई तो दोनों की गहरी मित्रता हो गई.यह दोस्ती प्यार में बदल कर शादी के अंजाम तक पहुंच गई दोनों ने 21 मई 2019 को रायगढ़ कोर्ट में शपथ पत्र देकर शादी भी कर ली.मगर यह रिश्ता मंजू के घरवालों को मंजूर नहीं था. और अंततः घरवालों के दबाव में मंजू सैफ से दूर रहने लगी और बातचीत भी नहीं करती थी.

एक महीने पहले सैफ ने मंजू और अपनी फोटो फेसबुक में अपलोड कर दी. इसे लेकर मंजू और उसके परिजनों ने 3 नवंबर को रायगढ़ जिले के चक्रधरनगर थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी. इसके बाद मंजू ने किसी अन्य लड़के साथ एक टिकटॉक वीडियो बनाकर अपलोड किया. जब सैफ को यह पता चला तो गुस्से में आ गया और उसने उसकी हत्या की योजना बना डाली. उसने रायगढ़ निवासी अपने दोस्त गुलाम मुस्तफा व जांजगीर-चांपा के नाबालिग लड़के को इस प्लान में शामिल किया. इसके लिए सैफ ने गुलाम मुस्तफा को 7 लाख व नाबालिग लड़के को 15000 रुपए देने का आश्वासन दिया था.

तीनों रायपुर पहुंचे. सैफ ने मंजू से आखिरी बार मिलने की गुजारिश की और घर पहुंच गया. नाबालिक लड़के को बाहर खड़ा किया और गुलाम मुस्तफा के साथ कमरे में गया. यहां मंजू और सैफ के बीच काफी झगड़ा बढ़ गया तो सैफ ने पास पड़े फ्राईपैन से मंजू के ऊपर हमला कर दिया. इससे पहले कि मनीषा कुछ बोलती गुलाम मुस्तफा ने उसके ऊपर भी फ्राईपैन से वार कर दिया.जब दोनों खून से लथपथ हो गईं तो गमछे से गला घोंटकर उनकी हत्या कर दी.

झोपड़ी में मिली लाश, हत्या कर बुझाई मन की प्यास

बात मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले के चितरंगी थानांतर्गत धवई गांव की है. थानाप्रभारी अपने औफिस में दैनिक कामों में लगे हुए थे. तभी उन्हें चितरंगी-कर्थुआ रोड पर स्थित एक झोपड़ी में किसी महिला की लाश मिलने की सूचना मिली.

सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ वह पर घटनास्थल के लिए रवाना हुए. उन के वहां पहुंचने से पहले ही काफी भीड़ वहां जुट चुकी थी. थानाप्रभारी ने भीड़ में मौजूद एक व्यक्ति से इस बारे में बात की.

उस व्यक्ति ने बताया कि हम गांव वालों को काफी दिनों से आसपास में अजीब सी दुर्गंध आ रही थी. हमें लगा कि कोई जानवर मरा होगा, उसी से बदबू आ रही होगी. किंतु ऐसा नहीं था. यह बदबू तो रसवंती नामक महिला की झोपड़ी से आ रही थी.

पुलिस द्वारा तुरंत मौके का बारीकी से निरीक्षण किया गया, वहां चारपाई के नीचे रसवंती की लाश पड़ी थी, जो पूरी तरह से सड़ चुकी थी. मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी डी.एन. राज ने इस की सूचना अपने एसडीपीओ राजीव पाठक को दी. सूचना मिलते ही वह तत्काल मौके पर पहुंचे. यह बात 11 नवंबर, 2021 की थी.

लाश को देखने के बाद यह तय कर पाना काफी मुश्किल था कि यह मामला स्वाभाविक मौत का है या हत्या का. पुलिस ने सुराग तलाशने के लिए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. जिस के बाद गांव वालों से पूछताछ शुरू की, लेकिन कोई खास जानकारी हाथ नहीं लगी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने पर पता चला कि रसवंती की मृत्यु गला घोटने से हुई थी. जिस के बाद एसडीपीओ राजीव पाठक के निर्देश पर चितरंगी थाने में अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ कर दी.

चूंकि महिला की सुरक्षा एवं उन से जुड़े मामले शासन के उच्च प्राथमिकता वाले विषयों में से हैं, जिस के कारण एसपी (सिंगरौली) वीरेंद्र कुमार सिंह स्वयं ही इस मामले की जांच को खुद आगे बढ़े.

एसडीपीओ राजीव पाठक ने सब से पहले गांव वालों से पूछताछ की, जिस में पता चला कि रसवंती शादीशुदा और एक बच्चे की मां थी, मगर लंबे समय से अपने पति व बच्चे को छोड़ कर धवई गांव में अपने भाई के साथ रहती थी.

जिस के बाद पारिवारिक झगड़ों के चलते वह गांव से बाहर चितरंगी और कर्थुआ रोड पर एक झोपड़ी बना कर अकेली ही रहने लगी थी.

चूंकि रसवंती अकेली रहती थी और काफी समय से गांव में ही रहती थी, इस कारण उस के बारे में जो भी जानकारी मिल सकती थी, वह गांव वालों से ही मिलती. लेकिन गांव वालों का सहयोग पुलिस को नहीं मिला.

तब थानाप्रभारी ने अपने मुखबिरों को सक्रिय किया और अपने मुखबिरों द्वारा जानकारी हासिल करने का प्रयास शुरू कर दिया था.

इस कोशिश में कई महत्त्वपूर्ण जानकारी पुलिस के हाथ लगी थीं. पता चला कि रसवंती कोई काम नहीं करती थी. वह केवल एक छोटी सी किराने की दुकान लगा कर अपना गुजारा करती थी, जोकि काफी नहीं था. पुलिस को पता चला कि वह इस दुकान की आड़ में अपना जिस्म बेच कर गुजारा चलाया करती थी.

इस की जानकारी मिलने पर थानाप्रभारी को यह मामला अवैध संबंधों का लगा. एसडीपीओ के निर्देश पर ऐसे लोगों की जानकारी जुटाने का काम शुरू किया गया जो अकसर रसंवती के संपर्क में रहते थे या उस से मिलने झोपड़ी में आया करते थे.

जांच के दौरान पुलिस को इस बात की जानकारी मिली कि रसवंती की झोपड़ी में बिजली नहीं थी. उसे अपने काम के लिए प्राकृतिक रोशनी पर ही निर्भर रहना पड़ता था. जिस वजह से वह अपने पास टौर्च या मोबाइल तो रखती ही होगी, लेकिन पुलिस को ये दोनों की सामान मौके से नहीं मिले.

इस से शक हुआ कि शायद मोबाइल और टौर्च दोनों ही हत्यारे अपने साथ ले गए होंगे. एसडीपीओ ने गांव वालों से पूछताछ करतेकरते इतना तो समझ लिया था कि हत्यारा इसी गांव का होगा.

इसलिए उन्होंने जांच के परिणामों को गांव वालों के बीच फैलाना शुरू कर दिया. इस का नतीजा भी जल्द ही सामने आ गया, जब 2 दिनों बाद गांव में एक जगह पर रसवंती की टौर्च पड़ी मिली, जो हत्या के बाद से ही गायब थी.

टौर्च जिस स्थान पर मिली, उस के आसपास रहने वालों की सूची तैयार करवाई गई तथा इस बात की जानकारी जुटाई कि इन में से कौन रसवंती से रात में मिलने आया करते थे. इस में से एक नाम सामने आया 22 साल के प्रिंस यादव का.

पुलिस को जानकारी मिली कि भले ही प्रिंस रसंवती से आधे से भी कम उम्र का था, लेकिन रसवंती के पास उस का आनाजाना भी काफी था. यहां तक कि शादी होने के बाद भी प्रिंस ने रसवंती के यहां आनाजाना नहीं छोड़ा था.

इस जानकारी के बाद पुलिस ने प्रिंस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस में पता चला कि प्रिंस और रसवंती के बीच अकसर फोन पर काफीकाफी देर तक बातचीत होती रहती थी.

इतना ही नहीं, लाश मिलने के 15 दिन पहले जिस रोज रसवंती का फोन बंद हुआ था. तब उस के फोन पर आखिरी बार बात प्रिंस ने ही की थी. इसलिए पुलिस ने प्रिंस यादव को हिरासत में ले कर पूछताछ की, जिस में पहले तो वह पुलिस को गुमराह करने का प्रयास करने लगा.

लेकिन वह ज्यादा देर टिक नहीं पाया और उस ने अपने दोस्त गांव के ही युवक अजीत यादव के साथ मिल कर रसवंती की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली.

इस के बाद पुलिस ने गांव से अजीत यादव को भी गिरफ्तार कर लिया, जिस के बाद हत्या के पीछे की कहानी इस प्रकार सामने आई—

पति को छोड़ कर मायके लौटी रसवंती कुछ साल तक तो भाई के घर में आराम से रही, लेकिन समय के साथ उसे अपनी जिंदगी में एक पुरुष की कमी खलने लगी थी.

पति को छोड़ कर अकेली रह रही रसवंती पर गांव के कुछ युवकों की भी नजर थी और यह बात रसवंती भी जानती थी. फिर उस ने उन्हीं युवकों में से एक को चुन लिया और अपने तन की प्यास बुझाने का रास्ता खोज निकाला.

युवक से दोस्ती हुई तो वहां जरूरत पड़ने पर उसे खर्च करने के लिए पैसे भी देने लगा. यहीं से रसवंती को अपनी देह की कीमत का पता चला. उसे लगा कि यदि वह 2-4 युवकों को अपने पास आने का मौका दे तो उस की शारीरिक जरूरत तो पूरी होगी ही, साथ ही कुछ आमदनी भी हो जाया करेगी.

यही सोच कर उस ने गांव के कई युवकों से संबंध बना लिए थे. रसवंती के हरकतों की यह जानकारी जब उस के भाई को हुई तो उस ने उसे टोका तो 10 साल पहले रसवंती ने भाई का घर छोड़ दिया और खुद एक झोपड़ी बना कर रहने लगी.

चूंकि यह झोपड़ी रसवंती की अपनी थी तो वह जिसे चाहे उसे वहां मिलने के लिए बुला लिया करती थी. इस के अलावा उस ने दिखावे के लिए वहां एक छोटी सी दुकान भी लगा ली थी. वक्त के साथ रसवंती की उम्र बढ़ने लगी, इसलिए गांव के युवकों ने उस में दिलचस्पी लेनी कम कर दी.

जो उस की उम्र के थे, वे घरपरिवार वाले थे सो जब रसवंती के पास आने वाले मर्दों की संख्या घटने लगी तो रसवंती ने नया दांव खेला. उस ने कम उम्र के लड़कों को सैक्स का चस्का लगाना शुरू किया.

प्रिंस यादव भी रसवंती की इस योजना का शिकार 16 साल की उम्र में ही बन गया था. चूंकि उस वक्त तक प्रिंस के मन में सैक्स के प्रति एक नया ही नशा था, सो वह रसवंती को ही सब से बड़ा सुख मान कर उस के पास आने लगा.

रसवंती इश्क तो किसी से करती नहीं थी. उस के लिए तो यह काम भी पैसा कमाने का एक जरिया था. इसलिए प्रिंस से भी वह अपनी पूरी कीमत वसूलती थी.

वह रसवंती के पास केवल सैक्स का सुख लेने आया था, लेकिन धीरेधीरे वह उस का दीवाना हो गया. वह लगभग रोज ही उस से मिलने आने लगा.

कहना नहीं होगा कि अब रसवंती प्रिंस के लिए प्यार बन गई थी. जबकि प्रिंस, रसवंती के लिए एक सौदा था, इसलिए वह आए दिन उस से पैसों की मांग करती रहती थी. प्रिंस भी उसे यदाकदा खर्च के लिए पैसे देता रहता था.

प्रिंस 21 साल का हो गया तो उस के घर वालों ने उस की शादी कर दी. लेकिन पत्नी के आने के बाद भी उस का रसवंती के पास जाना कम नहीं हुआ.

दरअसल, रसवंती के लिए सैक्स एक धंधा था, इसलिए वह जानती थी कि उस के पास दूसरों से कुछ अलग नहीं होगा तब तक उस के पास ग्राहक क्यों आएगा. इसलिए प्रिंस जैसे युवकों को वह हर उस तरीके से संतुष्ट करने को राजी रहती थी. जिस की मांग युवा वर्ग में अधिक है.

इस की वह कीमत भी खूब वसूलती थी. लेकिन वह भूल चुकी थी कि प्रिंस के मन में जो पागलपन 16 साल में था, वह इन 6 सालों मे नहीं रह गया. दूसरा प्रिंस की शादी भी हो चुकी थी, इसलिए रसवंती उस की जरूरत भी नहीं रह गई थी. रसंवती द्वारा पैसों की मांग उस के लिए अब भारी पड़ने लगी थी.

जबकि उम्र बढ़ने से दीवानों की संख्या कम हो जाने के कारण रसवंती प्रिंस से ज्यादा से ज्यादा पैसा वसूलना चाहती थी. इसलिए दोनों के बीच पैसों को ले कर विवाद होने लगा था.

इस से तंग आ कर प्रिंस ने रसवंती के पास जाना बंद कर दिया. रसवंती जवान होती तो दूसरा दीवाना खोज लेती. अब 48 साल की उम्र में उसे कोई प्रिंस के जैसा दीवाना तो मिलने से रहा, इसलिए वह प्रिंस पर मिलने के आने के लिए दबाव बनाने लगी.

उस का कहना था कि अगर प्रिंस उस से मिलने नहीं आएगा तो वह पूरे गांव में पिं्रस के साथ अपने संबंधों का ढिंढोरा पीट देगी. प्रिंस इस बात से परेशान हो गया तो उस ने अपने दोस्त अजीत यादव के साथ मिल कर रसवंती की आवाज हमेशा के लिए खामोश करने की ठान ली.

इस के लिए योजना बना कर दोनों दोस्त 27 अक्तूबर, 2021 की शाम रसवंती के पास पहुंचे, जहां उसे कुछ रुपए दे कर दोनों ने बारीबारी से पहले तो रसवंती के साथ संबंध बनाए. फिर साथ में लाई जानवर बांधने की रस्सी से उस का गला दबा कर हत्या कर दी और लाश को वहीं चारपाई के नीचे डाल कर घर आ गए.

चूंकि रसवंती गांव में बदनाम थी, इसलिए उस के गांव में न दिखने पर भी किसी ने न तो उस की चर्चा की और न ही खोजखबर ली.

रसवंती की हत्या का पता उस समय चला, जब उस की लाश सड़ जाने के कारण फैल रही बदबू से लोग परेशान हो गए और उन्होंने पुलिस को खबर दी.

पुलिस ने आरोपी प्रिंस यादव और अजीत यादव से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

लव और सैक्स में कोई मासूम हुआ मौत का शिकार

कहते हैं कि अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, एक न एक दिन कानून की गिरफ्त में आता जरूर है, हालांकि हत्या जैसा जघन्य अपराध जब भी कोई अपराधी करता है, तो निश्चित ही वह यही सोचता है कि उस ने जो अपराध किया है, उसे करते किसी ने देखा नहीं है, अत: वह साफ बच निकलेगा.

इस कहानी में आरोपी का अगला शिकार बनने वाली उस की दूसरी पत्नी के साहस ने उस की असलियत पुलिस के सामने ला दी. गजब के चतुर आरोपी ने इस सनसनीखेज हत्याकांड को कैसे अंजाम दिया, इस में कौनकौन शामिल रहा? उस का इरादा क्या था? इतने लंबे समय तक वह कैसे पुलिस को छकाता रहा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब सिलसिलेवार विस्तार से जानते हैं.

इस की शुरुआत मारपीट की शिकायत से हुई. 14 मार्च, 2022 की दोपहर अनामिका नाम की एक महिला बदहवास हालत में ग्वालियर शहर के झांसी रोड थाने पहुंची. वह काफी घबराई हुई थी. थाने के गेट पर राइफल ले कर खड़े संतरी से जब उस ने थानाप्रभारी के बारे में पूछा तो संतरी ने उन के कक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘साहब अंदर बैठे हैं, आप चली जाइए.’’

अनामिका तेज कदमों से सीधे थानाप्रभारी के कक्ष में दाखिल हुई. उस वक्त थानाप्रभारी अपने मातहतों के साथ किसी अहम मसले पर चर्चा कर रहे थे. अनजान महिला को अपने कक्ष में आया देख कर उन्होंने उस से पूछा, ‘‘कहिए क्या काम है?’’

घबराई हुई अनामिका ने कहा, ‘‘साहब, मुझे अपने पति राजेंद्र यादव के जुर्म के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण जानकारी मय दस्तावेज और फोटो के आप को देनी है और उस के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करवानी है.’’

थानाप्रभारी ने महिला को कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए कहा, ‘‘आप आराम से बैठ कर पूरी बात बताइए. आखिरकार आप के साथ क्या हुआ?’’

थानाप्रभारी के कहने पर अनामिका कुरसी पर बैठ गई, लेकिन पता नहीं क्यों, उस के मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी. उस की जुबान सूख गई थी. उस की हालत देख कर थानाप्रभारी ने उसे पानी पिलवाया तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मेरा नाम अनामिका है.’’

तसल्ली देते हुए थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘आप के साथ क्या और कैसे हुआ, विस्तार से बताइए. मैं आप को भरोसा दिलाता हूं कि पुलिस आप की हरसंभव मदद करेगी.’’

थानाप्रभारी के भरोसा देने पर अनामिका के अंदर थोड़ी हिम्मत आई. उस ने उन से कहा, मेरे पति राजेश मेहरा (36) द्वारा मेरे साथ मारपीट और गालीगलौज करने की शिकायत दर्ज कराने के साथ ही उस की असलियत से भी आप को अवगत कराना है.

अनामिका ने बताया कि उस के पिता ग्वालियर के बड़े ट्रांसपोर्टर हैं. उन्होंने बड़ी शानोशौकत से उस की शादी राजेश के साथ की थी.

इस के बाद अनामिका के साथ जो हुआ, उस की कहानी इस तरह सामने आई. समय अपनी गति से गुजरता रहा. शादी के कुछ दिनों बाद ही पति उसे परेशान करने लगा था. पति के व्यवहार में काफी बदलाव आ गया था, वह बातबात में उस से झगड़ा करने लगा था. यही नहीं, उस के साथ मारपीट भी करने लगा था.

अनामिका पति के बदले व्यवहार से काफी खफा रहती थी. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. अनामिका जब भी कभी उस के बदले व्यवहार की शिकायत करती तो वह कोई न कोई बहाना बना देता.

यही नहीं, इस के बाद जब देखो तब राजेश मेहरा अनामिका की पिटाई कर उसे घर से निकल जाने को भी कहता. यहां तक कि उस ने घर खर्च के लिए पैसे देने भी बंद कर दिए थे. जब राजेश के अत्याचारों की हद हो गई, तब अनामिका ने अपने पिता को सारी बातें बता दीं.

राजेश ने अनामिका के सामने इस तरह के हालात खड़े कर दिए कि अनामिका परेशान हो कर खुदबखुद अपने पति का घर छोड़ कर अपने मायके में आ कर रहने लगी. 6 महीने पहल॒े पति की सच्चाई सामने आने के बाद वह अपने पति से अलग हो गई.

दरअसल, 6 महीने पहले इत्तफाक से कुछ कागजात अनामिका के हाथ लगे, जिस से उसे पता चला कि उस के पति का असली नाम राजेश मेहरा नहीं बल्कि राजेंद्र कमरिया है, राजेश मेहरा तो उस का बोगस नाम है. वह धोखाधड़ी और हत्या जैसे अपराधों में शामिल होने की वजह से फरार चल रहा है.

इस के बाद ही अनामिका पति से अलग हो कर अपने पिता के पास चेतकपुरी में रहने लगी थी. पति राजेश मेहरा उर्फ राजेंद्र कमरिया ने उसे फोन कर उस के पास लौटने को कहा. अनामिका ने जब लौटने को मना कर दिया तो राजेंद्र अनामिका को फोन पर जान से मारने की धमकी देने लगा,

एक दिन तो हद ही हो गई. 12 मार्च, 2022 को अनामिका अपने पिता से थोड़ी देर में आने को कह कर घर से निकली ही थी कि रास्ते में राजेंद्र अपने साथियों निक्की, प्रमोद और राजा के साथ खड़ा मिल गया.

वह अनामिका को जबरन अपनी गाड़ी में डाल कर सुनसान स्थान पर ले गया और उस के साथ जम कर मारपीट की.

इस मारपीट में अनामिका की आंख पर भी चोट लगी. अनामिका ने बताया कि उस दिन पति राजेंद्र उसे जान से मारने की फिराक में था, लेकिन वह जैसेतैसे उस के चंगुल से छूट कर भाग आई.

इस के बाद अनामिका सीधी ग्वालियर के झांसी रोड थाने पहुंची और पुलिस को अपने पति की असलियत बताने के साथ ही कई अहम दस्तावेज भी सौंपे.

जैसेजैसे जांच आगे बढ़ रही थी, पुलिस को नित नईनई जानकारी मिल रही थी. पुलिस ने अपना रिकौर्ड खंगाला तो इसी थाने में राजेंद्र मारपीट के एक मामले में फरार निकला. राजेंद्र को दबोचने के लिए बिलौआ पुलिस से संपर्क किया गया तो पता चला कि 2014 में हुई 36 लाख रुपए की धोखाधड़ी और मारपीट के मामले में वह वहां से भी फरार चल रहा है.

राजेंद्र यादव को गिरफ्तार करने के लिए एक पुलिस टीम बनाई गई. टीम में क्राइम ब्रांच के टीआई दामोदर गुप्ता, थानाप्रभारी (बिलौआ) रमेश साख्य, क्राइम ब्रांच के एएसआई राजीव सोलंकी, हैडकांस्टेबल रामबाबू सिंह, कांस्टेबल आशीष शर्मा व सोनू परिहार तथा बिलौआ थाने में पदस्थ एएसआई जीत बहादुर, कांस्टेबल सुशांत पांडे, धरमवीर और महेश आदि को शामिल किया गया.

इस के बाद मुखबिर की सूचना पर 16 मार्च, 2022 को पुलिस ने उसे बिलौआ क्षेत्र स्थित उस के फार्महाउस से हिरासत में लिया.

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पुलिस ने थाने ला कर उस से पूछताछ की तो उस ने एक ऐसे सनसनीखेज अपराध का खुलासा कर दिया, जिस के बारे में सुनते ही पुलिस वालों के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई.

पकड़े गए युवक का असली नाम राजेंद्र यादव था. राजेंद्र ने पूछताछ में जो कुछ बताया, उसे सुन कर पुलिस असमंजस में पड़ गई. वजह यह थी कि वह एक संगीन अपराध था और वह आज जिन 4 हत्याओं के बारे में पुलिस को बता रहा था, उस से ग्वालियर पुलिस अभी तक पूरी तरह अनभिज्ञ थी.

पूछताछ में राजेश मेहरा उर्फ राजेंद्र मेहरा उर्फ राजेंद्र यादव उर्फ राजेंद्र कमरिया से पता चला कि वह सिर्फ 12वीं कक्षा तक ही पढ़ा है. ग्वालियर के बालाबाई के बाजार में उस का एक दोस्त मनोज गहलोत परिवार के साथ रहता था.

राजेंद्र यादव भी उस के पड़ोस में ही रहता था. दोनों में गहरी दोस्ती थी. राजेंद्र ने अपने से 10 साल बड़ी मनोज की पत्नी गीता को अपने प्रेम जाल में फांस लिया था. दोनों के बीच अवैध संबंध हो गए थे.

31 दिसंबर, 2011 को राजेंद्र ने अपनी प्रेमिका गीता के साथ मिल कर उस के पति मनोज गहलोत को बियर में नशे की गोली मिला कर पिला दी.

इस के बाद उस का गला दबा कर मौत के घाट उतार दिया और फिर मनोज की लाश झांसी के पास बेतवा नदी में फेंक दी थी. उधर मनोज के परिवार वालों ने कोतवाली थाने में मनोज की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

मनोज की हत्या के बाद राजेंद्र और गीता ने शादी कर ली थी. शादी के बाद गीता और राजेंद्र मऊरानीपुर रहने चले गए, यहां पर गीता का मकान था.

तकरीबन 2 साल बाद जब गीता से राजेंद्र का मन ऊब गया तो सन 2013 में राजेंद्र ने बड़े ही सुनियोजित ढंग से गीता का मकान हड़प लिया. उस के बाद राजेंद्र ने रहस्यों से भरी किसी फिल्म की तरह गीता, उस के बेटे निक्की और भतीजे सूरज को भी चाकू से गोद कर मार डाला.

उस के इस अपराध में राजेंद्र के भाई कालू और उस के जीजा के भाई राहुल ने भी उस की मदद की थी. इस वारदात के बाद राजेंद्र मऊरानीपुर से फरार हो गया.

तिहरे हत्याकांड से मऊरानीपुर क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. इस के बाद पुलिस किसी तरह इस हत्याकांड के आरोपियों का पता लगाने में सफल हो गई.

इतना ही नहीं, पुलिस ने हत्याकांड में शामिल रहे कालू और राहुल को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. लेकिन राजेंद्र यादव नाम और हुलिया बदल कर इधरउधर छिपता रहा. पुलिस ने उस के ऊपर ईनाम तक घोषित कर दिया.

खुद को कुंवारा बता कर राजेश उर्फ राजेंद्र ने अनामिका को सन 2014 में अपने प्रेम जाल में फांस लिया. अनामिका ने पुलिस को बताया कि राजेश से उस की दोस्ती सन 2014 में ट्रेन के सफर में हुई थी.

दोस्ती बढ़ने पर राजेश ने दिल्ली में अनामिका की नौकरी लगवाने में काफी मदद की थी, इस वजह से दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. बाद में दोनों ने आपसी सहमति से शादी कर ली थी.

शादी के वक्त राजेश उर्फ राजेंद्र ने अपने को कुंवारा बताया था. राजेंद्र ने अनामिका से एक नहीं, बल्कि कई झूठ बोले थे.

उन में सब से बड़ा तो यही था कि उस ने अपनी पत्नी से मकान मालिक कुलदीप मेहरा का परिचय अपने पिता के रूप में करवाया था. राजेंद्र ने अपना नाम भी अनामिका को राजेश मेहरा बताया था. बाद में अनामिका को पता चला कि कुलदीप मेहरा राजेश उर्फ राजेंद्र का पिता नहीं बल्कि मकान मालिक है.

बाद में पता चला कि राजेश ने कुलदीप मेहरा की तकरीबन 5 करोड़ रुपए की जमीन भी ठग ली थी. शादी के बाद राजेंद्र ने अपनी पत्नी को बहन के घर रखा था. राजेंद्र और अनामिका के एक बेटा भी है.

पिछले 10 सालों से राजेंद्र अपना नाम और भेष बदल कर रहता रहा. कभी पगड़ी लगा लेता तो कभी क्लीन शेव रहता. कभी दाढ़ी बढ़ा लेता था, कभी राजेंद्र यादव बन जाता तो कभी राजेश मेहरा. वह लग्जरी कारों का भी शौकीन है. साथ ही वह अय्याश प्रवृत्ति का तो है ही.

पहले वह लड़की से दोस्ती करता है, उस के बाद उन की प्रौपर्टी पर सुनियोजित ढंग से कब्जा कर खुर्दबुर्द कर देता. बात करने में हाजिरजवाब राजेंद्र यादव के अपराधों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए ग्वालियर के एसपी अमित सांघी, एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया ने संयुक्त रूप से पत्रकार सम्मेलन में पत्रकारों को जानकारी दी.

2011 में खास दोस्त मनोज गहलोत की हत्या, 2012 में ग्वालियर में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर के मकान में भाड़े पर रहा. उस की पत्नी को फांस कर 60 लाख की ठगी की. चैक बाउंस मामले में गिरफ्तारी वारंट 18 जून, 2013 में धारा 420, 467, 468, 471, 120 भादंवि का केस उस के खिलाफ दर्ज हुआ.

2013 में अपने भाई और जीजा के छोटे भाई के साथ मिल कर अपनी प्रेमिका गीता और उस के बेटे और भतीजे की निर्मम हत्या कर दी.

कड़वा सच तो यह है कि अनामिका का कई मर्तबा मन हुआ कि वह अपने पति के बारे में पुलिस को सब कुछ सचसच बता दे, लेकिन राजेंद्र के खिलाफ मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पाई.

जब अति हो गई तो वह पति के खिलाफ पक्के सबूतों के साथ थाने में जा कर खड़ी हो गई, वैसे भी पति के खिलाफ खड़ी होने में ही अनामिका की भलाई थी.

पति की कारगुजारियों से अनामिका को गहरा झटका लगा है. इस से उबरने में फिलहाल उसे वक्त लगेगा.

पूछताछ के बाद राजेंद्र को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

तंत्र मंत्र ने खेला सारा खेल, पूरे परिवार की हुई हत्या

फतेहपुर के थानाप्रभारी अमित शर्मा को किसी ने फोन कर के सूचना दी कि सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास सड़क किनारे एक एक्सयूवी 500 कार के अंदर किसी आदमी की लाश पड़ी है.

सुबहसुबह लाश मिलने की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंक गए. उसी समय वह एसएसआई अजय प्रताप गौड़, एसआई रघुनाथ सिंह, दीपचंद, बिजेंद्र, हैडकांस्टेबल संजय, सचिन और महिला सिपाहियों ऊषा व अल्पना के साथ घटनास्थल की तरफ चल दिए.

घटनास्थल वहां से 3-4 किलोमीटर दूर था, इसलिए वह 10 मिनट में ही वहां पहुंच गए. मौके पर काफी लोग जमा थे. वहां खड़ी एक्सयूवी500 कार नंबर यूके17सी 6808 की ड्राइविंग सीट पर एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. कार के पायदान पर भी खून पड़ा था. मृतक की उम्र करीब 40 साल थी. उस का गला कटा हुआ था. मृतक शायद आसपास के क्षेत्र का रहने वाला नहीं था, इसलिए कोई भी उसे पहचान नहीं सका.

चेहरेमोहरे से मृतक किसी संपन्न परिवार का लग रहा था. लोगों ने बताया कि उन्होंने यह कार आज सुबह तब देखी थी, जब वे अपने खेतों की ओर जा रहे थे. लोगों ने यह भी बताया कि यह कार सुबह लगभग 4-5 बजे से यहां खड़ी है. उस वक्त अंधेरा था. कार की ड्राइविंग सीट की ओर की खिड़की खुली हुई थी व कार का इंजन स्टार्ट था. पहले तो उधर से गुजरने वाले लोग कार को नजरअंदाज करते रहे, मगर जब 7 बजे सूरज की रोशनी बढ़ी तब ग्रामीणों ने कार के अंदर पड़े लहूलुहान शव को देखा था.

थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना सीओ रजनीश कुमार उपाध्याय, एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा तथा एसएसपी दिनेश कुमार पी. को दी. थानाप्रभारी अमित शर्मा ने जरूरी काररवाई करने के बाद कुछ ग्रामीणों की सहायता से शव को कार से बाहर निकाला और उस का निरीक्षण किया. कुछ ही देर में एसएसपी दिनेश कुमार पी., एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्र और सीओ रजनीश कुमार भी वहां फोरैंसिक टीम के साथ आ गए.

तीनों अधिकारियों ने भी लाश का मुआयना कर इस हत्याकांड के बारे में वहां खड़े लोगों से बात की. इस के बाद एसएसपी ने थानाप्रभारी शर्मा को आरटीओ से कार मालिक का पता लगाने व केस को खोलने के निर्देश दिए.

पुलिस ने जब मृतक की तलाशी ली तो जेब से कुछ कागजात, मोबाइल फोन तथा पर्स में रखी नकदी मिली. पर्स में मिली नकदी और मोबाइल फोन से इस बात की तो पुष्टि हो ही गई कि उस की हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई थी.

पुलिस ने प्रारंभिक जांच का काम निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए सहारनपुर के जिला अस्पताल भेज दी.

इस के बाद पुलिस ने कार मालिक की जानकारी करने के लिए परिवहन विभाग से संपर्क किया. परिवहन विभाग से पता चला कि उक्त नंबर की कार सुभाषचंद पुत्र ओमपाल, निवासी गांव महेश्वरी, थाना भगवानपुर, जिला हरिद्वार के नाम पर रजिस्टर्ड है.

कार मालिक के नाम की जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी ने थाना भगवानपुर के एसओ से संपर्क कर इस मामले की जानकारी दी.

भगवानपुर थाने की पुलिस ने जब गांव महेश्वरी में सुभाषचंद के घर पहुंच कर जब एक्सयूवी500 कार में शव मिलने की जानकारी दी तो सुभाष के भाई विश्वास ने बताया कि वह कल ही अपनी कार ले कर घर से निकले थे. इसलिए कार में शव मिलने की बात सुन कर विश्वास घबरा गया.

वह अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ जिला अस्पताल सहारनपुर पहुंच गया. विश्वास और उस के रिश्तेदारों को जब मोर्चरी में रखी लाश दिखाई तो विश्वास वहीं बिलख पड़ा. उस ने स्वीकार किया कि यह लाश उस के भाई सुभाषचंद की ही है. इस के बाद तो सुभाषचंद के घर में भी कोहराम मच गया.

पूछताछ करने पर विश्वास ने पुलिस को बताया कि सुभाषचंद काफी समय से लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदारी कर रहे थे. पिछले दिन वह सुबह 9 बजे किसी काम से देहरादून जाने के लिए अपनी कार ले कर घर से निकले थे. शाम 4 बजे तक वह परिजनों से मोबाइल पर बात करते रहे. इस के बाद उन का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया.

रात भर घर वाले बहुत परेशान रहे. सुभाषचंद के लापता होने पर घर वालों ने उन्हें आसपास रहने वाले रिश्तेदारों व उन के मित्रों के यहां तलाश किया.

विश्वास से पूछताछ के बाद पुलिस ने सुभाषचंद के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई और सुभाषचंद के बेटे दीपक चौधरी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. इस हत्याकांड की विवेचना स्वयं थानाप्रभारी ने ही संभाली.

थानाप्रभारी अमित शर्मा ने परिजनों से पूछा कि सुभाषचंद की किसी से कोई रंजिश तो नहीं थी. इस सवाल के जवाब में परिजनों का कहना था कि वह काफी मिलनसार थे तथा वह सहकारिता की राजनीति में सक्रिय थे. वह इकबालपुर गन्ना समिति में निदेशक भी रह चुके थे.

पुलिस को सुभाषचंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी, जिस में उन की मौत का कारण गला कटना व गला कटने से ज्यादा खून निकलना बताया गया. काल डिटेल्स मिलने पर पुलिस ने जब सुभाषचंद के मोबाइल पर आए नंबरों की जांच की तो पुलिस को एक मोबाइल नंबर पर संदेह हुआ. वह नंबर सहारनपुर के थाना सदर अंतर्गत मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद का था.

जब पुलिस ने अरशद के विषय में जानकारी जुटाई तो पुलिस को संदेह हो गया कि सुभाषचंद की हत्या में इस का हाथ हो सकता है. पुलिस के एक मुखबिर ने जानकारी दी कि 2 दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद्र की एक्सयूवी-500 कार अरशद के घर के बाहर देखी गई थी.

इस के अलावा मुखबिर ने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि अरशद तंत्रमंत्र का काम करता है. यह जानकारी मिलने पर एसएसपी ने थानाप्रभारी अमित शर्मा को अरशद से पूछताछ के निर्देश दिए.

अगले दिन 5 दिसंबर, 2019 को थानाप्रभारी ने अरशद के गणेश विहार स्थित मकान पर पहुंच कर दरवाजे पर दस्तक दी. तभी एक युवक ने दरवाजा खोला. वह युवक पुलिस देख कर सकपका गया और घबरा कर अंदर की ओर भागा.

उसे भागता देख कर पुलिस वालों ने उसे पकड़ लिया और उस से पूछा कि तू कौन है तथा अरशद कहां है. युवक ने घबराते हुए बताया कि मेरा नाम वकील उर्फ सोनू है तथा अरशद यहीं दूसरे कमरे में बैठा हुआ है.

जब पुलिस टीम के साथ वकील नाम का वह युवक अरशद के कमरे में पहुंचा तो वहां बैठे अरशद को माजरा समझते देर न लगी. अरशद पुलिस को देख कर थरथर कांपने लगा था. उन्होंने अरशद को हिरासत में ले लिया.

थानाप्रभारी शर्मा ने उसी समय अरशद से पूछा, ‘‘2 दिसंबर को सुभाषचंद की कार तुम्हारे घर के पास देखी गई थी, उसी रात तुम सुभाष के साथ गांव नानका के पास गए थे और वहां उसी की कार में तुम ने उस की हत्या कर दी.’’

थानाप्रभारी के इस सवाल का अरशद कोई उत्तर नहीं दे सका और चुप हो गया. थोड़ी देर चुप होने के बाद अरशद बोला, ‘‘सर, आप को जब इस बारे में पता चल ही गया है तो आप से कुछ छिपाने से कोई फायदा नहीं है. मैं आप को इस बारे में सब कुछ बताता हूं.’’

इस के बाद अरशद ने पुलिस को जो जानकारी दी, वह इस प्रकार थी

सुभाषचंद लोक निर्माण विभाग, रुड़की में ठेकेदार थे. वह अपने परिवार के साथ हरिद्वार के महेश्वरी गांव में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा दीपक और एक बेटी थी. करीब 2 साल पहले सुभाष के ही एक दोस्त अतीत कटारिया, निवासी गांव झबीरन, हरिद्वार ने उन की मुलाकात सहारनपुर के ही मोहल्ला गणेश विहार निवासी अरशद से कराई थी.

अरशद तंत्रमंत्र का काम करता था. अतीत कटारिया ने उन्हें बताया कि यह पहुंचे हुए तांत्रिक हैं. उस ने बताया कि यह तंत्रमंत्र द्वारा रकम को कई गुना बना सकते हैं. लालची स्वभाव के सुभाषचंद को इस बात पर विश्वास हो गया तो उन्होंने अरशद को साढ़े 3 लाख रुपए दिए थे और इस रकम को एक करोड़ रुपयों में बदलने को कहा था.

2 महीनों तक सुभाषचंद की रकम नहीं बढ़ी तो उन्होंने तांत्रिक अरशद से अपने पैसे मांगे. अरशद पैसे दैने में आनाकानी करने लगा तो ठेकेदार ने उस पर दबाव बनाया. इतना ही नहीं, उस ने उस तांत्रिक को पैसे देने के लिए धमका भी दिया. इस से तांत्रिक अरशद बहुत चिंतित रहने लगा.

इसलिए तांत्रिक अरशद ने अपने दोस्तों टीलू और वकील उर्फ सोनू के साथ मिल कर सुभाष ठेकेदार को ठिकाने लगाने की योजना बना ली. योजना के अनुसार, अरशद ने पहली दिसंबर, 2019 को सुभाषचंद को एक करोड़ रुपए ले जाने के लिए 2 बड़े थैले ले कर अपने घर बुलाया. 2 दिसंबर को सुभाषचंद खुश होते हुए अरशद के यहां पहुंचा. उसे उम्मीद थी कि आज अरशद उसे एक करोड़ रुपए दे देगा.

योजना के मुताबिक अरशद ने अपने घर पहुंचे सुभाष को अपनी बीवी फिरदौस से चाय बनवाई. अरशद की बेटियों आजमा व नगमा ने उस चाय में नशे की गोलियां मिला दीं. वह चाय सुभाषचंद को पीने को दी. चाय पीने के थोड़ी देर बाद सुभाष को बेहोशी सी छाने लगी तो उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया.

रात होने पर अरशद के दोस्त वकील तथा टीलू भी वहां पहुंच गए. फिर सभी ने सुभाष को उठा कर उन की कार में डाला. अरशद और वकील कार ले कर सहारनपुर-देहरादून हाइवे पर गांव नानका के पास पहुंचे थे. टीलू भी बाइक से उन के पीछेपीछे पहुंच गया. सड़क किनारे कार खड़ी कर के उन्होंने सुभाषचंद को ड्राइविंग सीट पर बैठा दिया.

फिर टीलू ने गाड़ी के अंदर जा कर सुभाषचंद के हाथ पकड़ लिए और वकील ने सिर पकड़ कर पीछे की तरफ कर दिया. तभी अरशद ने ड्राइवर साइड की खिड़की खोल कर सुभाष का गला रेत दिया और चाकू से 3-4 प्रहार गरदन पर किए. सुभाषचंद को ठिकाने लगाने के बाद वे बाइक से घर लौट आए.

अरशद से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने वकील से भी पूछताछ की तो उस ने भी अरशद के बयान की पुष्टि कर दी. अरशद व वकील की निशानदेही पर पुलिस ने सुभाषचंद की हत्या में प्रयुक्त चाकू, सुभाष के चाय में दी गई नशे की गोलियों का रैपर तथा अरशद के रक्तरंजित कपड़े अरशद के घर से ही बरामद कर लिए.

पुलिस ने इस केस में धारा 120बी व आर्म्स एक्ट की धारा 251/4 और बढ़ा दी. इस के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी. व एसपी (देहात) विद्यासागर मिश्रा ने उसी दिन पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता आयोजित कर ठेकेदार सुभाषचंद की हत्या का खुलासा किया और दोनों आरोपियों को मीडिया के सामने प्रस्तुत किया था.

दूसरे दिन ही पुलिस ने इस हत्याकांड में आरोपी अरशद की पत्नी फिरदौस के अलावा उस की बेटियों अजमा व नगमा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. छठा आरोपी टीलू, निवासी नवादा फरार हो चुका था. पुलिस उसे सरगरमी से तलाश रही थी.  कथा लिखे जाने तक थानाप्रभारी अमित शर्मा केस की विवेचना पूरी करने के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भेजने की तैयारी कर रहे थे.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ब्लैकमेलर बने आशिक ने रचा षडयंत्र

Blackmailer Lover : ‘‘तुझे क्या लगता है कि आत्महत्या कर लेने से तेरी समस्या दूर हो जाएगी?’’ ‘‘समस्या दूर हो या न हो, लेकिन मैं हमेशा के लिए इस दुनिया से दूर हो जाऊंगी. तू नहीं जानती नेहा मेरा खानापीना, सोना यहां तक कि पढ़ना भी दूभर हो गया है. हर वक्त डर लगा रहता है कि न जाने कब उस का फोन आ जाए और वह मुझे फिर अपने कमरे में बुला कर…’’ कहते हुए रंजना (बदला नाम) सुबक उठी तो उस की रूममेट नेहा का कलेजा मुंह को आने लगा. उसे लगा कि वह अभी ही खुद जा कर उस कमबख्त कलमुंहे मयंक साहू का टेंटुआ दबा कर उस की कहानी हमेशा के लिए खत्म कर दे, जिस ने उस की सहेली की जिंदगी नर्क से बदतर कर दी है.

अभीअभी नेहा ने जो देखा था, वह अकल्पनीय था. रंजना खुदकुशी करने पर आमादा हो आई थी, जिसे उस ने जैसेतैसे रोका था लेकिन साथ ही वह खुद भी घबरा गई थी. उसे इतना जरूर समझ आ गया था कि अगर थोड़ा वक्त रंजना से बातचीत कर गुजार दिया जाए तो उस के सिर से अपनी जिंदगी खत्म कर लेने का खयाल उतर जाएगा. लेकिन उस की इस सोच को कब तक रोका जा सकता है. आज नहीं तो कल रंजना परेशान हो कर फिर यह कदम उठाएगी. वह हर वक्त तो रूम पर रह नहीं सकती.

रंजना को समझाने के लिए वह बड़ेबूढ़ों की तरह बोली, ‘‘इस में तेरी तो कोई गलती नहीं है, फिर क्यों किसी दूसरे के गुनाह की सजा खुद को दे रही है. यह मत सोच कि इस से उस का कुछ बिगड़ेगा, उलटे तेरी इस बुजदिली से उसे शह और छूट ही मिलेगी. फिर वह बेखौफ हो कर न जाने कितनी लड़कियों की जिंदगी बरबाद करेगा, इसलिए हिम्मत कर के उसे सबक सिखा. यह बुजदिली तो कभी भी दिखाई जा सकती है. जरा अंकलआंटी के बारे में सोच, जिन्होंने बड़ी उम्मीदों और ख्वाहिशों से तुझे यहां पढ़ने भेजा है.’’

रंजना पर नेहा की बातों का वाजिब असर हुआ. उस ने खुद को संभालते हुए कहा, ‘‘फिर क्या रास्ता है, वह कहने भर से मानने वाला होता तो 3 महीने पहले ही मान गया होता. जिस दिन वह तसवीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा, उस दिन मेरी जिंदगी तो खुद ही खत्म हो जाएगी. जिन मम्मीपापा की तू बात कर रही है, उन पर क्या गुजरेगी? वे तो सिर उठा कर चलने लायक तो क्या, कहीं मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे.’’

‘‘एक रास्ता है’’ नेहा ने मुद्दे की बात पर आते हुए कहा, ‘‘बशर्ते तू थोड़ी सी हिम्मत और सब्र से काम ले तो यह परेशानी चुटकियों में हल हो जाएगी.’’ माहौल को हलका बनाने की गरज से नेहा ने सचमुच चुटकी बजा डाली.

‘‘क्या, मुझे तो कुछ नहीं सूझता?’’

‘‘कोड रेड पुलिस. वह तुझे इस चक्रव्यूह से ऐसे निकाल सकती है कि सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.’’

कोड रेड पुलिस के बारे में रंजना ने सुन रखा था कि पुलिस की एक यूनिट है जो खासतौर से लड़कियों की सुरक्षा के लिए बनाई गई है और एक काल पर आ जाती है. ऐसे कई समाचार उस ने पढ़े और सुने थे कि कोड रेड ने मनचलों को सबक सिखाया या फिर मुसीबत में पड़ी लड़की की तुरंत मदद की.

रंजना को नेहा की बातों से आशा की एक किरण दिखी, लेकिन संदेह का धुंधलका अभी भी बरकरार था कि पुलिस वालों पर कितना भरोसा किया जा सकता है और बात ढकीमुंदी रह पाएगी या नहीं. इस से भी ज्यादा अहम बात यह थी कि वे तसवीरें और वीडियो वायरल नहीं होंगे, इस की क्या गारंटी है.

इन सब सवालों का जवाब नेहा ने यह कह कर दिया कि एक बार भरोसा तो करना पड़ेगा, क्योंकि इस के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. मयंक दरअसल उस की बेबसी, लाचारगी और डर का फायदा उठा रहा है. एक बार पुलिस के लपेटे में आएगा तो सारी धमाचौकड़ी भूल जाएगा और शराफत से फोटो और वीडियो डिलीट कर देगा, जिन की धौंस दिखा कर वह न केवल रंजना की जवानी से मनमाना खिलवाड़ कर रहा था, बल्कि उस से पैसे भी ऐंठ रहा था.

कलंक बना मयंक

20 वर्षीय रंजना और नेहा के बीच यह बातचीत बीती अप्रैल के तीसरे सप्ताह में हो रही थी. दोनों जबलपुर के मदनमहल इलाके के एक हौस्टल में एक साथ रहती थीं और अच्छी फ्रैंड्स होने के अलावा आपस में कजिंस भी थीं.

रंजना यहां जबलपुर के नजदीक के एक छोटे से शहर से आई थी और प्रतिष्ठित परिवार से थी. आते वक्त खासतौर से मम्मी ने उसे तरहतरह से समझाया था कि लड़कों से दोस्ती करना हर्ज की बात नहीं है, लेकिन उन से तयशुदा दूरी बनाए रखना जरूरी है.

बात केवल दुनिया की ऊंचनीच समझाने की नहीं, बल्कि अपनी बड़ी हो गई नन्हीं परी को आंखों से दूर करते वक्त ढेरों दूसरी नसीहतें देने की भी थी कि अपना खयाल रखना. खूब खानापीना, मन लगा कर पढ़ाई करना और रोज सुबहशाम फोन जरूर करना, जिस से हम लोग बेफिक्र रहें.

यह अच्छी बात थी कि रंजना को बतौर रूममेट नेहा मिली थी, जो उन की रिश्तेदार भी थी. जबलपुर आ कर रंजना ने हौस्टल में अपना बोरियाबिस्तर जमाया और पढ़ाईलिखाई और कालेज में व्यस्त हो गई. मम्मीपापा से रोज बात हो जाने से वह होम सिकनेस का शिकार होने से बची रही. जबलपुर में उस की जैसी हजारों लड़कियां थीं, जो आसपास के इलाकों से पढ़ने आई थीं, उन्हें देख कर भी उसे हिम्मत मिलती थी.

मम्मी की दी सारी नसीहतें तो उसे याद रहीं लेकिन लड़कों वाली बात वह भूल गई. खाली वक्त में वह भी सोशल मीडिया पर वक्त गुजारने लगी तो देखते ही देखते फेसबुक पर उस के ढेरों फ्रैंड्स बन गए. वाट्सऐप और फेसबुक से भी उसे बोरियत होने लगी तो उस ने इंस्टाग्राम पर भी एकाउंट खोल लिया.

इंस्टाग्राम पर वह कभीकभार अपनी तसवीरें शेयर करती थी, लेकिन जब भी करती थी तब उसे मयंक साहू नाम के युवक से जरूर लाइक और कमेंट मिलता था. इस से रंजना की उत्सुकता उस के प्रति बढ़ी और जल्द ही दोनों में हायहैलो होने लगी. यही हालहैलो होतेहोते दोनों में दोस्ती भी हो गई. बातचीत में मयंक उसे शरीफ घर का महसूस हुआ तो शिष्टाचार और सम्मान का पूरा ध्यान रखता था. दूसरे लड़कों की तरह उस ने उसे प्रपोज नहीं किया था.

मयंक बुनने लगा जाल

20 साल की हो जाने के बाद भी रंजना ने कोई बौयफ्रैंड नहीं बनाया था, लेकिन जाने क्यों मयंक की दोस्ती की पेशकश वह कुबूल कर बैठी, जो हौस्टल के रूम से बाहर जा कर भी विस्तार लेने लगी. मेलमुलाकातों और बातचीत में रंजना को मयंक में किसीतरह का हलकापन नजर नहीं आया. नतीजतन उस के प्रति उस का विश्वास बढ़ता गया और यह धारणा भी खंडित होने लगी कि सभी लड़के छिछोरे टाइप के होते हैं.

मयंक भी जबलपुर के नजदीक गाडरवारा कस्बे से आया था. यह इलाका अरहर की पैदावार के लिए देश भर में मशहूर है. बातों ही बातों में मयंक ने उसे बताया था कि पढ़ाई के साथसाथ वह एक कंपनी में पार्टटाइम जौब भी करता है, जिस से अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठा सके.

अपने इस बौयफ्रैंड का यह स्वाभिमान भी रंजना को रिझा गया था. कैंट इलाके में किराए के कमरे में रहने वाला मयंक कैसे रंजना के इर्दगिर्द जाल बुन रहा था, इस की उसे भनक तक नहीं लगी.

दोस्ती की राह में फूंकफूंक कर कदम रखने वाली रंजना को यह बताने वाला कोई नहीं था कि कभीकभी यूं ही चलतेचलते भी कदम लड़खड़ा जाते हैं. इसी साल होली के दिनों में मयंक ने रंजना को अपने कमरे पर बुलाया तो वह मना नहीं कर पाई.

उस दिन को रंजना शायद ही कभी भूल पाए, जब वह आगेपीछे का बिना कुछ सोचे मयंक के रूम पर चली गई थी. मयंक ने उस का हार्दिक स्वागत किया और दोनों इधरउधर की बातों में मशगूल हो गए. थोड़ी देर बाद मयंक ने उसे कोल्डड्रिंक औफर किया तो रंजना ने सहजता से पी ली.

रंजना को यह पता नहीं चला कि कोल्डड्रिंक में कोई नशीली चीज मिली हुई है, लिहाजा धीरेधीरे वह होश खोती गई और थोड़ी देर बाद बेसुध हो कर बिस्तर पर लुढ़क गई. मयंक हिंदी फिल्मों के विलेन की तरह इसी क्षण का इंतजार कर रहा था. शातिर शिकारी की तरह उस ने रंजना के कपड़े एकएक कर उतारे और फिर उस के संगमरमरी जिस्म पर छा गया.

कुछ देर बाद जब रंजना को होश आया तो उसे महसूस हुआ कि कुछ गड़बड़ हुई है. पर क्या हुई है, यह उसे तब समझ में नहीं आया. मयंक ने ऐसा कुछ जाहिर नहीं किया, जिस से उसे लगे कि थोड़ी देर पहले ही उस का दोस्त उसे कली से फूल और लड़की से औरत बना चुका है. दर्द को दबाते हुए लड़खड़ाती रंजना वापस हौस्टल आ कर सो गई.

कुछ दिन ठीकठाक गुजरे, लेकिन जल्द ही मयंक ने अपनी असलियत उजागर कर दी. उस ने एक दिन जब ‘उस दिन’ का वीडियो और तसवीरें रंजना को दिखाईं तो उसे अपने पैरों के नीचे से जमीन खिसकती नजर आई. खुद की ऐसी वीडियो और फोटो देख कर शरीफ और इज्जतदार घर की कोई लड़की शर्म से जमीन में धंस जाने की दुआ मांगने लगती. ऐसा ही कुछ रंजना के साथ हुआ.

दोस्त नहीं, वह निकला ब्लैकमेलर

वह रोई, गिड़गिड़ाई, मयंक के पैरों में लिपट गई कि वह यह सब वीडियो और फोटो डिलीट कर दे. लेकिन मयंक पर उस के रोनेगिड़गिड़ाने का कोई असर नहीं हुआ. तुम आखिर चाहते क्या हो, थकहार कर उस ने सवाल किया तो जवाब में ऐसा लगा मानो सैकड़ों प्राण, अजीत, रंजीत, प्रेम चोपड़ा और शक्ति कपूर धूर्तता से मुसकरा कर कह रहे हों कि हर चीज की एक कीमत होती है जानेमन.

यह कीमत थी मयंक के साथ फिर वही सब अपनी मरजी से करना जो उस दिन हुआ था. इस के अलावा उसे पैसे भी देने थे. अब रंजना को समझ आया कि उस का दोस्त या आशिक जो भी था, ब्लैकमेलिंग पर उतारू हो आया है और उस की बात न मानने का खामियाजा क्याक्या हो सकता है, इस का अंदाजा भी वह लगा चुकी थी.

मरती क्या न करती की तर्ज पर रंजना ने उस की शर्तें मानते हुए उसे शरीर के साथसाथ 10 हजार रुपए भी दे दिए. लेकिन उस ने उस की तसवीरें और वीडियो डिलीट नहीं किए. उलटे अब वह रंजना को कभी भी अपने कमरे पर बुला कर मनमानी करने लगा था. साथ ही वह उस से पैसे भी झटकने लगा था.

रंजना चूंकि जरूरत से ज्यादा झूठ बोल कर मम्मीपापा से पैसे नहीं मांग सकती थी, इसलिए एक बार तो उस ने मम्मी की सोने की चेन चुरा कर ही मयंक को दे दी.

रंजना 3 महीने तक तो चुपचाप मयंक की हवस पूरी कर के उसे पैसे भी देती रही, लेकिन अब उसे लगने लगा था कि वह एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस गई है, जिस से निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. ऐसे में उस ने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला ले लिया.

नेहा अगर वक्त रहते न बचाती तो वह अपने फैसले पर अमल भी कर चुकी होती. लेकिन नेहा ने उसे न केवल बचा लिया, बल्कि मयंक को भी उस के किए का सबक सिखा डाला.

नेहा ने कोड रेड पुलिस टीम को इस ब्लैकमेलिंग के बारे में जब विस्तार से बताया तो टीम ने रंजना को कुछ इस तरह समझाया कि वह आश्वस्त हो गई कि उस की पहचान भी उजागर नहीं होगी और वे फोटो व वीडियो भी हमेशा के लिए डिलीट हो जाएंगे. साथ ही मयंक को उस के जुर्म की सजा भी मिलेगी.

कोड रेड की इंचार्ज एसआई माधुरी वासनिक ने रंजना को पूरी योजना बताई, जिस से मय सबूतों के उसे रंगेहाथों धरा जा सके. इतनी बातचीत के बाद रंजना का खोया आत्मविश्वास भी लौटने लगा था.

योजना के मुताबिक फुल ऐंड फाइनल सेटलमेंट के लिए 26 अप्रैल को रंजना ने मयंक को भंवरताल इलाके में बुलाया. सौदा 20 हजार रुपए में तय हुआ. उस वक्त सुबह के कोई 6 बजे थे, जब मयंक पैसे लेने आया.

फंदे पर लटकी मोहब्बत

कानपुर शहर से 30 किलोमीटर दूर बेला-बिधूना मार्ग पर एक गांव है-कंजती. कंजती गांव कानपुर देहात जनपद के चौबेपुर थाना अंतर्गत आता है. इसी गांव में रहने वाले सुनील की बेटी सोनी शिवली में स्थित ताराचंद्र इंटर कालेज में पढ़ती थी. इस कालेज में लड़केलड़कियां साथ पढ़ते थे. सोनी के साथ उसी की कक्षा में शिववीर भी पढ़ता था.

शिववीर धनपत का बेटा था. वह सोनी के घर के पास ही रहता था. शिववीर पढ़ने में होशियार था. जब वह 8वीं कक्षा में पढ़ता था, तभी उस की दोस्ती सोनी से हो गई थी. गंभीर प्रवृत्ति का शिववीर सोनी को इतना अच्छा लगता था कि उस का दिल चाहता था कि हर घड़ी वह उसी के साथ रहे. शायद उस का यही लगाव जल्दी ही प्यार में बदल गया. शिववीर को भी सोनी अच्छी लगती थी. वैसे तो क्लास में और भी लड़कियां थीं, लेकिन शिववीर को सोनी सब से अलग दिखती थी.

जैसे ही दोनों को लगा कि वे एकदूसरे से प्यार करने लगे हैं, अन्य प्रेमियों की तरह उन्होंने भी साथ जीनेमरने की कसमें खा लीं. उसी बीच एक दिन सोनी के पिता ने उसे बुला कर कहा, ‘‘पता चला है कि तू किसी जाटव के लड़के के साथ घूमतीफिरती है. तुझे पता नहीं कि हम यादव हैं. यादव और जाटव का कोई जोड़ नहीं, इसलिए तू उस से दूर ही रह.’’

पिता की बातें सुन कर सोनी सन्न रह गई. जाति की बात तो उस ने सोची ही नहीं थी. बस, शिववीर उसे अच्छा लगता था, इसलिए वह उसे प्यार करने लगी थी. अब उस की समझ में आया कि प्यार भी जाति पूछ कर किया जाता है. वह सोच में पड़ गई कि अब क्या होगा.

अगले रोज शिववीर कालेज में मिला तो उस ने उसे पिता की चेतावनी के बारे में बताया. शिववीर ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘प्यार करने वालों की राह आसान नहीं होती सोनी. हमें मजबूत बनना होगा. तभी हमें मंजिल मिलेगी.’’

सोनी को लगा कि शिववीर सब संभाल लेगा. लेकिन 8वीं पास करतेकरते सोनी और शिववीर के प्यार की चर्चा गांव वालों तक पहुंच गई थी. इस के बाद गांव वाले सुनील से कहने लगे कि वह अपनी बेटी पर नजर रखें, वरना वह नाक कटा कर रहेगी.

सुनील को लगा कि गांव वाले सच कह रहे हैं, इसलिए उस ने सोनी की पढ़ाई पर रोक लगा दी. जबकि शिववीर पढ़ता रहा. सुनील का सोचना था कि शिववीर से अलग हो कर सोनी उसे भूल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. दोनों लगातार मिलते रहे. जब इस बात की जानकारी सुनील को हुई तो उसे गहरा आघात लगा. उस ने बेटी को डांटा कि अगर उस ने उस जाटव के लड़के से मिलना नहीं छोड़ा, तो सख्त रुख अपनाना पड़ेगा.

 

गांव में सुनील की बेटी की आशिकी चर्चा का विषय बनती जा रही थी. लेकिन सुनील को ही नहीं, पूरे गांव को चिंता थी कि अगर यादव की बेटी जाटव के साथ भाग गई, तो उन की बिरादरी पर कलंक लग जाएगा. सुनील पर गांव वालों का दबाव बढ़ने लगा कि वह अपनी बेटी को संभाले.

सोनी को जब पता चला कि उसे शिववीर से दूर करने की साजिश रची जा रही है तो वह घबरा गई. लेकिन उस के इरादे कमजोर नहीं पड़े. उस ने तय कर लिया कि कुछ भी हो, वह किसी भी कीमत पर शिववीर को नहीं छोड़ेगी.

इस के बाद वह बागी होती गई. एक दिन उस ने अपनी मां संतोषी से खुल कर कह दिया, ‘‘आखिर क्या कमी है शिववीर में? दिखने में भी अच्छा है. पढ़ाई में भी ठीक है. सब से बड़ी बात तो यह है कि वह मुझे प्यार करता है.’’

बेटी की बात सुन कर संतोषी सन्न रह गई. उसे लगता था कि अभी बेटी छोटी है. डांटनेफटकारने से रास्ते घर आ जाएगी. लेकिन बेटी तो बहुत आगे निकल चुकी थी. तब मां ने सोनी को डांटा, ‘‘एक जाटव के लड़के के साथ तेरी शादी कभी नहीं हो सकती. समाज में रहने के लिए उस के नियमों को मानना पड़ता है.’’

लेकिन सोनी ने तय कर लिया था कि वह किसी की नहीं मानेगी. वह वही करेगी जो उस का दिल चाहता है. दूसरी ओर शिववीर के पिता धनपत को पता नहीं था कि वह यादव की बेटी से प्यार करता है. लेकिन जब इस बात की जानकारी उन्हें हुई तो उन्होंने उसे समझाया कि वह जो कुछ कर रहा है, वह ठीक नहीं है.

आज भी समाज में ऊंचनीच की दीवार कायम है. अगर किसी ने उस दीवार को तोड़ने की कोशिश की है तो उस के साथ बुरा ही हुआ है.

धनपत बेटे के लिए परेशान रहने लगा था, उसे डर था कि यादव जाति के लोग उसे कोई नुकसान न पहुंचा दें. उसे शिववीर के सिर पर खतरा मंडराता नजर आया तो वह उस पर नजर रखने लगा. ऐसे में सोनी ने जब शिववीर से पूछा कि उस ने भविष्य के बारे में क्या सोचा है तो उस ने कहा, ‘‘हम समाज की बेडि़यों से बंधे हैं. अगर यह समाज हमें साथ जीने नहीं देगा तो हमें साथ मरने से तो नहीं रोक सकता.’’

‘‘मरने की बात कहां से आ गई शिववीर? मैं अभी जीना चाहती हूं, वह भी तुम्हारे साथ.’’ सोनी बोली.

शिववीर ने उसे समझाया कि जीना तो वह भी चाहता है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. तब सोनी ने कहा, ‘‘चलो, हम घर छोड़ कर भाग चलते हैं.’’

तभी शिववीर ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसा करने से दोनों के घर बरबाद हो जाएंगे. हम अपनी खुशियों के लिए अपने घर वालों की खुशियां नहीं छीन सकते. सोनी, हमारे सामने जो हालात हैं, उन्हें देख कर यही लगता है कि अब हमारे सामने एक ही रास्ता है कि हम मर कर सभी को दिखा दें कि हमारा प्यार सच्चा था. हमें मिलने से कोई नहीं रोक सका.’’

इधर सोनी पर घर वालों की बंदिशें इतनी बढ़ चुकी थीं कि वह परेशान रहने लगी थी. एक दिन उस ने शिववीर को फोन कर के बताया, ‘‘शिव, मुझे तो लगता है कि हम कभी नहीं मिल पाएंगे. क्योंकि घर वाले मेरी शादी की बात कर रहे हैं.’’

शिववीर ने सोचा कि अब उसे कोई निर्णय ले ही लेना चाहिए. समाज की पाबंदियों की वजह से जीवन के प्रति उस की उदासीनता बढ़ रही थी. उस के पास न तो ऐसे कोई साधन थे और न ही हिम्मत कि वह अपनी प्रेमिका को कहीं दूर ले जा कर अपना आशियाना बसा ले.

ऐसे में उस के सामने एक ही रास्ता था कि वह प्रेमिका के साथ मौत को गले लगा ले. ताकि इस जहान में न सही, उस जहान में तो मिल सके. वहां उन्हें रोकने के लिए न तो समाज होगा और न ही ऊंचनीच की कोई दीवार.

एक शाम गांव के बाहर रवि के बगीचे में दोनों का आमनासामना हुआ. बातचीत के दौरान सोनी ने पूछा, ‘‘शिववीर, क्या सोचा है तुम ने? क्योंकि अब मैं बंदिशों से परेशान हो गई हूं. घर वाले मुझ से काफी नाराज हैं.’’

‘‘सोनी, हम ने साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं. अब तक हमारी समझ में यह आ गया है कि हम साथसाथ जी नहीं सकते. लेकिन हम साथसाथ इस जालिम दुनिया को अलविदा तो कर ही सकते हैं.’’

‘‘शिववीर, मैं ने तुम्हें जीवन भर साथ निभाने का वचन दिया है, इसलिए पीछे नहीं हटूंगी. लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं सुहागन हो कर मरूं. अगर हम ने इस जन्म में शादी नहीं की तो अगले जन्म में भी साथ नहीं रह सकेंगे.’’

शिववीर ने उस का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘तुम जैसा चाहती हो, वैसा ही होगा. मरने से पहले हम शादी कर लेंगे.’’

इधर परेशान सुनील ने अपनी बेटी सोनी की शादी बिल्हौर थाना क्षेत्र के धंसी निवादा रहने वाले मेवाराम यादव के बेटे अमर के साथ तय कर दी. 20 मार्च को तिलक और 30 मार्च, 2021 को शादी की तारीख भी तय हो गई. इस के बाद वह शादी की तैयारी में जुट गया.

सोनी को अपनी शादी की बाबत पता चला तो वह परेशान हो उठी. उस ने शादी तय होने और 30 मार्च को बारात आने की जानकारी शिववीर को दी तो वह भी परेशान हो उठा. उस ने सोनी को समझाया भी. लेकिन सोनी ने साफ कह दिया कि वह दुलहन तो बनेगी, लेकिन किसी और की नहीं, केवल अपने मन के मीत की.

सुनील बेटी की शादी धूमधाम से करना चाहता था. घर में खुशी का माहौल था. घर में नातेरिश्तेदारों का आना शुरू हो गया था. मंडप भी गड़ गया था और मंडप के नीचे मंगल गीत गाए जाने लगे थे. सोनी की काया को निखारने के लिए उस के शरीर पर उबटन लगाया जाने लगा था.

28 मार्च, 2021 को होली का त्यौहार था. रात 10 बजे होली जलाई गई. रात 12 बजे जब घर के लोग सो गए तो सोनी ने शिववीर को फोन किया और पूरी तैयारी के साथ उसे गांव के बाहर शीतला देवी के मंदिर पर मिलने को कहा.

उसी रात शिववीर घर से निकल कर शीतला देवी मंदिर पहुंच गया, जहां सोनी उस का इंतजार कर रही थी. रात में ही उन्होंने मां शीतला को साक्षी मान कर मंदिर में शादी कर ली. शिववीर ने सोनी की मांग भर कर उसे पत्नी बना लिया.

रात भर दोनों एकदूसरे की बांहों में समाए रहे. रात का अंधेरा और तारे उन की मोहब्बत के गवाह बने.

सुबह 4 बजे शिववीर ने कहा, ‘‘सोनी, अब हमें लंबे सफर पर चलना होगा.’’

इस के बाद सोनी और शिववीर कमल कटियार के खेत पहुंचे. खेत के किनारे नीम का पेड़ था. इस पेड़ पर दोनों चढ़ गए. सामान को उन्होंने 2 शाखाओं के बीच रखा, फिर रस्सी का फंदा गले में डाल कर दोनों झूल गए. कुछ देर में ही उन के प्राणपखेरू उड़ गए.

सुबह 7 बजे कंजती गांव का आशू कटियार दिशामैदान को गया तो उस ने नीम के पेड़ पर रस्सी के सहारे प्रेमी युगल को लटकते देखा. वह भाग कर गांव आया और गांव वालों को जानकारी दी. इस के बाद तो कंजती गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

सुनील की बेटी सोनी तथा धनपत का बेटा शिववीर भी अपनेअपने घर से नदारद थे. उन का माथा ठनका. सुनील अपनी पत्नी संतोषी के साथ घटनास्थल पहुंचा. वहां अपनी बेटी सोनी को फांसी के फंदे पर झूलता देख कर वह दहाड़ मार कर रो पड़ा. धनपत भी बेटे की मौत पर आंसू बहाने लगा.

इसी बीच गांव के प्रधान राजेश ने प्रेमी युगल द्वारा जीवनलीला समाप्त करने की सूचना थाना चौबेपुर पुलिस को दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

मृतका सोनी और मृतक शिववीर कंजती गांव के ही रहने वाले थे. सोनी करीब 21 वर्ष की थी, जबकि शिववीर 22 वर्ष का था. सोनी की मांग में सिंदूर था. देखने से ऐसा लग रहा था कि मरने के पहले दोनों ने शादी कर ली थी.

थानाप्रभारी कृष्णमोहन राय अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि यादव और जाटव बिरादरी के लोगों में कहासुनी होने लगी. तनाव बढ़ता देख श्री राय ने सूचना पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पा कर एसपी (देहात) केशव कुमार चौधरी तथा डीएसपी संदीप सिंह वहां आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा दोनों पक्षों के लोगों को समझा कर शांत किया. इस के बाद उन्होंने फंदे पर लटके दोनों शवों को नीचे उतरवाया. उन्होंने मृतकों के घर वालों से पूछताछ की.

मृतक शिववीर की जामातलाशी ली गई तो उस की जेब से मोबाइल फोन, पैन कार्ड, आधार कार्ड, डेबिट कार्ड तथा 597 रुपए मिले. इस के अलावा पेड़ की डाल पर चुनरी, गमछा, मोबाइल फोन, हाथ घड़ी, 2 जींस, पेड़ के नीचे लेडीज चप्पलें तथा पानी की बोतल मिली. पुलिस ने बरामद सामान को सुरक्षित किया तथा दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस माती भिजवा दिया.

थाना चौबेपुर पुलिस ने प्रेमी युगल आत्महत्या प्रकरण को जीडी में दर्ज तो किया, लेकिन दोनों की मृत्यु होने से उन्होंने इस प्रकरण की फाइल बंद कर दी. बेटी के गलत कदम से सुनील का सिर झुक गया था. यादव समाज का तिरस्कार उसे भारी पड़ रहा था.

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