2 सगे भाइयों की साझा प्रेमिका की नफरत का सैलाब : भाग 2

‘‘सर, मयंक की बहन सोनिका के साथ मेरी शादी सन 2017 में हुई थी. सोनिका मानसिक रोगी थी, इसलिए उस से नहीं पटी. वह केवल 5 दिन ससुराल रही फिर मायके चली गई. भाई सुरेंद्र व मयंक के उकसाने पर सोनिका ने दहेज उत्पीड़न का मामला मेरे खिलाफ दर्ज करा दिया था. मामले को रफादफा करने के लिए मयंक व सुरेंद्र 50 लाख रुपए मांग रहे थे. न देने पर जानमाल के नुकसान की धमकी दी थी. इसलिए शक है कि मयंक, सुरेंद्र ने एक अन्य साथी के साथ मिल कर हमारे मांबाप की हत्या कर दी है. आप रिपोर्ट दर्ज कर उचित काररवाई करें.’’ अनूप ने कहा.

पुलिस अधिकारियों के आदेश पर बर्रा थानाप्रभारी दीनानाथ मिश्रा ने अनूप की तहरीर पर उस के साले मयंक व सुरेंद्र के खिलाफ हत्या की रिपोेर्ट दर्ज कर ली और उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया.थाने ला कर उन से कड़ाई से पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने हत्या का जुर्म कुबूल नहीं किया. उन्होंने बहन के विवाद की बात तो स्वीकार की, लेकिन हत्या को नकार दिया.

इधर फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और सबूत जुटाए. टीम ने नीचे बने बाथरूम में बेंजीडाइन टेस्ट किया, जिस में खून निकलने की पुष्टि हुई. जो खून बरामद हुआ, उस का टीम ने ओबीटीआई टेस्ट किया जिस से मानव रक्त की पुष्टि हुई. इस से यह स्पष्ट हो गया कि बाथरूम में खून से सनी वस्तु को धोया गया था. कोमल आई शक के दायरे में

कोमल के हाथ में कट का निशान तथा खून लगा था. टीम ने कोमल के हाथपैर और कपड़ों पर बेंजीडाइन व ओबीटीआई टेस्ट किया, जिस में मानव रक्त की पुष्टि हुई.
अनूप के घर के बाईं ओर अभिषेक कुमार का घर था. उन के घर के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगा था. टीम ने इस कैमरे की फुटेज की जांच की तो चौंकाने वाली जानकारी मिली.

फुटेज में एक युवक मुंह पर सफेद कपड़ा लपेटे रात पौने एक बजे अनूप के घर में दाखिल हुआ और फिर वही व्यक्ति रात सवा 2 बजे घर से बाहर निकलते दिखा. आते समय वह खाली हाथ था, लेकिन जाते समय उस के हाथ में एक लाल रंग का थैला था. फोरैंसिक टीम को शक हुआ कि यह युवक कातिलों का साथी हो सकता है, अत: टीम ने फुटेज सुरक्षित कर ली.

फोरैंसिक टीम ने घर के एकएक सामान की जांच की. अलमारी में रखे कोमल के कपड़ों की जांच की तो उस के अधोवस्त्रों में सीमेन की पुष्टि हुई. टीम को शक हुआ कि कोमल ने मृतक दंपति की हत्या से पहले या बाद में कातिल से शारीरिक संबंध बनाए थे या फिर कातिल ने जबरदस्ती कोमल से संबंध बनाए होंगे.

टीम ने अधोवस्त्र (पैंटी) को मैडिकल जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. टीम ने घटनास्थल से लगभग 18 नमूने एकत्र किए. डौग स्क्वायड टीम ने खोजी कुतिया को घटनास्थल पर छोड़ा. वह लाशों को सूंघ कर भौंकती हुई घर में चक्कर लगाती रही. एक बार वह प्रथम तल पर भी गई लेकिन चंद मिनट बाद ही वापस आ गई.

दूसरे राउंड में वह भौंकती हुई घर के बाहर निकली और 200 मीटर दूर तक गई. वह वहां चक्कर लगाती रही, फिर वापस आ गई. डौग स्क्वायड टीम न तो आलाकत्ल बरामद कर सकी और न ही कोई अन्य सबूत जुटा पाई. अब तक पुलिस अधिकारियों ने कोमल, अनूप और मृतक मुन्नालाल के मोबाइल फोन को अपने कब्जे में ले लिया था. डीसीपी (क्राइम) सलमान ताज पाटिल ने मृतक के मोबाइल फोन को खंगाला तो वह चौंक पड़े.

कोमल के मोबाइल में मिले तथ्य मोबाइल फोन में एक सुसाइड नोट लिखा गया था, ‘2 दिन से हम बहुत उलझन में थे. किसी ने ढंग से खायापिया भी नहीं. बहू ने दहेज उत्पीड़न का केस किया था, उस से और उलझन में रहते थे. इसी मामले में हमारी बेटे से बहस हो गई. अनूप ने हम दोनों को गाली दी और हम को मारा तो हम ने जहर खा लिया.’

मोबाइल फोन पर ड्राफ्ट किए गए इस सुसाइड नोट को पढ़ कर सलमान ताज पाटिल ने अनुमान लगाया कि कातिल बेहद चालाक है. उस ने पहले दंपति को जहर दे कर मारने की कोशिश की और बेटे अनूप को फंसाने की साजिश रची. कामयाब न होने पर दंपति की धारदार हथियार से हत्या कर दी. डीसीपी ने कोमल का मोबाइल फोन चैक किया तो उस के मोबाइल में स्क्रीन शौट लिया गया सुसाइड नोट मौजूद था. लेकिन कोमल ने ट्रूकालर डाटा, काल लौग, वाट्सऐप चैट और वाट्सऐप काल का डाटा डिलीट कर दिया था.

मौसी के प्रेमी से पंगा

2 सगे भाइयों की साझा प्रेमिका की नफरत का सैलाब : भाग 3

डाटा डिलीट करने से पुलिस को शक हुआ कि कहीं दंपति की हत्या की साजिश रचने वाली कोमल तो नहीं है. अनूप का मोबाइल फोन खंगालने पर कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला.
गहन जांचपड़ताल के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक मुन्नालाल व उन की पत्नी राजदेवी के शवों का पंचनामा कराया फिर पोस्टमार्टम हेतु पुलिस सुरक्षा में लाला लाजपत राय चिकित्सालय भिजवा दिया.
शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारियोें और फोरैंसिक टीम के सदस्यों ने सिर से सिर जोड़ कर इस
जघन्य कांड के संबंध में विचारविमर्श किया और अब तक की गई जांचपड़ताल की
समीक्षा की.

विचारविमर्श के बाद यह बात सामने आई कि मृतक दंपति के बेटा बेटी में ही कोई एक है, जिस ने कातिलों के साथ मिल कर हत्या की साजिश रची है. पुलिस जांच में मृतक दंपति का बेटा अनूप तो शक के घेरे में नहीं आया, लेकिन दंपति की पालनहार बेटी कोमल शक के दायरे में आ चुकी थी. अत: पुलिस ने कोमल को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.
कोमल को थाना बर्रा लाया गया. डीसीपी सलमान ताज ने कोमल को महिला पुलिस की सुरक्षा में सामने बिठाया फिर उस से सवालजवाब शुरू किए.
उन्होंने पूछा, ‘‘3 नकाबपोश कातिल घर में कैसे घुसे? घर का दरवाजा खुला था?’’
‘‘सर, मुझे पता नहीं. घर का मुख्य दरवाजा मम्मीजी बंद करती थीं.’’ कोमल ने बताया.
‘‘जब तुम ने नकाबपोशों को घर से भागते देखा था तो शोर क्यों नहीं मचाया था?’’ डीसीपी ने पूछा.
‘‘सर, मैं उन्हें देख कर डर गई थी. शोर मचाती तो वे शायद मुझ पर पलटवार कर सकते थे.’’
‘‘कोमल, तुम यह बताओ कि कातिलों ने तुम्हारे मांबाप की हत्या की, लेकिन तुम्हें क्यों छोड़ दिया. जबकि तुम वहां मौजूद थी?’’
‘‘पता नहीं सर.’’
‘‘तुम ने मातापिता व भाई को बीती रात जूस दिया था. भाई को जूस पीने के बाद उल्टी व चक्कर आने लगे थे. कहीं तुम ने उस जूस में जहर तो नहीं मिलाया था?’’
‘‘नहीं सर, मैं भला ऐसा क्यों करूंगी? हम अकसर जूस बना कर सभी को देते थे. बीती रात भी दिया था. मैं जहर क्यों मिलाऊंगी?’’
‘‘सीसीटीवी फुटेज में एक युवक रात पौने एक बजे तुम्हारे घर दाखिल हुआ फिर सवा 2 बजे हाथ में थैला लिए हुए बाहर आया. क्या उस के लिए तुम्हीं ने दरवाजा खोला था?’’ डीसीपी ने पूछा.

इस प्रश्न से कोमल का चेहरा फक पड़ गया. फिर खुद को संभालते हुए बोली, ‘‘सर, मैं उस के बारे में कुछ भी नहीं जानती. मैं ने किसी के लिए दरवाजा नहीं खोला.’’
डीसीपी सलमान ताज ने उस से अगला सवाल किया, ‘‘तुम ने अपने मोबाइल फोन का डाटा क्यों डिलीट कर दिया? क्या उस में हत्या का रहस्य छिपा था?’’
इस प्रश्न का कोमल ने जवाब नहीं दिया. उस ने चुप्पी साध ली.
तभी उन्होंने अगला सवाल किया, ‘‘तुम्हारे अंडरगारमेंट्स में सीमेन मिला है. क्या तुम ने किसी से फिजिकल रिलेशन बनाए थे?’’
इस प्रश्न का भी कोमल ने जवाब नहीं दिया और चेहरा नीचे झुका लिया.

कोमल ने स्वीकारा दोनों हत्याओं का जुर्म

हर प्रश्न का गोलमोल जवाब दे कर कोमल पुलिस को गुमराह करने की कोशिश करती रही. लेकिन डीसीपी को यकीन हो गया था कि दंपति हत्या का रहस्य कोमल के पेट में ही छिपा है. अब उस पर सख्ती बरती गई. इस का नतीजा यह हुआ कि कुछ ही देर बाद कोमल टूट गई और उस ने पालनहार मातापिता की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.
कोमल ने बताया कि उस ने अपने पहले प्रेमी राहुल उत्तम की मदद से हत्या की साजिश रची, फिर राहुल के भाई यानी दूसरे प्रेमी रोहित की मदद से मुन्नालाल व राजदेवी की हत्या कर दी. उस ने भाई अनूप को भी मारने का प्लान बनाया था, लेकिन किस्मत ने उसे बचा लिया.
कोमल ने बताया कि राहुल और रोहित सगे भाई हैं. दोनों फतेहपुर जिले के गांव शाहजहांपुर के रहने वाले हैं. राहुल सेना में है. वह कोलाबा (मुंबई) के मिलिट्री अस्पताल बेस में सहायक एंबुलेंस चालक है. जबकि उस का छोटा भाई रोहित कर्रही (कानपुर) में रहता है और ईरिक्शा चलाता है. वह दोनों सगे भाइयों की प्रेमिका है. दोनों भाई उस की मौसी के रिश्तेदार हैं.
यह सुनने के बाद वहीं पर मौजूद पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा ने उस से पूछा, ‘‘तुम ने अपने पालनहार मातापिता का बेरहमी से कत्ल क्यों किया?’’
‘‘सर, मेरे मातापिता मुझे प्रताडि़त करते थे. हर बात पर टोकते थे. भाई के आगे मेरी कोई वैल्यू नहीं थी. भाई अनूप को मांबाप ने सिर पर चढ़ा रखा था. सब उसी की बात मानते थे. ऐसा लगता था कि पूरी जायदाद भी उसी के नाम कर दी जाएगी.
‘‘मां राजदेवी भी मुझे प्रताडि़त करती थी. वह मुझे फोन पर बात नहीं करने देती थी. घर के बाहर जाने पर टोकाटाकी करती थी. मुझे जब पता चला कि मैं उन की कोखजाई नहीं, गोद ली गई बेटी हूं, तब से नफरत और बढ़ गई थी. मुझे ऐसा लगता था कि मातापिता व भाई रास्ते से हट जाएंगे तो करोड़ों रुपए की संपत्ति मुझे मिल जाएगी. और मेरी जिंदगी संवर जाएगी. वह किसी एक प्रेमी से विवाह कर आराम से जिंदगी गुजारेगी.
‘‘प्यार और धन के हवस में अंधी हो कर मैं ने रिश्तों का कत्ल कर दिया. लेकिन यह पता नहीं था कि गहरी साजिश रचने के बावजूद पुलिस इतनी जल्दी पकड़ लेगी. मुझे मांबाप की हत्या करने का कोई अफसोस नहीं है.’’
कोमल के बयान के बाद पुलिस अधिकारियों ने रोहित और राहुल को गिरफ्तार करने के लिए 2 टीमें लगाईं. एसआई प्रमोद व जमाल को राहुल की गिरफ्तारी के लिए फ्लाइट से मुंबई भेजा गया. जबकि इंसपेक्टर दीनानाथ मिश्रा की टीम रोहित को पकड़ने के लिए सक्रिय हुई.

मुंबई आर्मी बेस से प्रेमी राहुल को
किया गिरफ्तार

पुलिस टीम ने रोहित के गांव शाहजहांपुर में छापा मारा, लेकिन वह घर पर नहीं मिला. टीम ने उस के पिता विद्यासागर से उस के अन्य ठिकानों का पता किया फिर ताबड़तोड़ छापे मारे.
इसी बीच टीम को पता चला कि रोहित कानपुर (देहात) के भोगनीपुर तिराहे पर मौजूद है. और वह सूरत भागने की फिराक में है. पुलिस टीम ने 6 जुलाई, 2022 की सुबह दबिश दे कर रोहित को भोगनीपुर तिराहे से गिरफ्तार कर लिया.
थाना बर्रा में जब उस ने कोमल को पुलिस हिरासत में देखा तो वह सब समझ गया. उस ने बिना हीलाहवाली के डबल मर्डर का जुर्म कुबूल कर लिया. यही नहीं, उस ने हत्या में प्रयुक्त तेज धार वाला चाकू, खून से सने कपड़े, जूता व झोला आदि सामान कर्रही के पास नाले से बरामद करा दिया.
इस सामान को पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. रोहित ने यह भी खुलासा किया कि दंपति की हत्या के पहले उस ने कोमल के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए थे.
इधर मुंबई गई पुलिस टीम ने कोलाबा (मुंबई) स्थित आर्मी मैडिकल बेस के अधिकारियों को राहुल का अरेस्ट वारंट सौंपा और राहुल को हैंडओवर करने की बात कही. गिरफ्तारी के जरूरी कागजात लेने के बाद अधिकारियों ने राहुल को कानपुर की पुलिस की सुपुर्दगी में दे दिया. इस के बाद राहुल को मुंबई कोर्ट में पेश कर कानपुर पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर ले आई.
थाना बर्रा में पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ शुरू की तो वह सेना की धौंस जमाने लगा और लगाए गए आरोपों को नकारता रहा. अंत में पुलिस अधिकारियों ने उसे झांसे में लिया और उसे बताया कि उसे सरकारी गवाह बना देंगे. सजा कम होगी और नौकरी भी मिलने की संभावना है.

इस के बाद राहुल टूट गया और साजिश रचने का आरोप स्वीकार कर लिया. उस ने स्वीकार किया कि घटना वाली रात कोमल मोबाइल फोन के जरिए उस के संपर्क में थी. उस ने ही घटना के पूर्व नशीली गोलियां भाई रोहित को एक केमिस्ट मित्र के मार्फत मुहैया कराई थीं. उस ने ही भाई रोहित से कहा था कि कोमल जो चाहती है, वह करो.
हत्या का खुलासा होने के बाद पुलिस ने पहले गिरफ्तार किए गए अनूप के साले मयंक व सुरेंद्र को थाने से घर भेज दिया. क्योंकि दंपति की हत्या में उन का कोई हाथ नहीं था.
चूंकि पुलिस ने डबल मर्डर का खुलासा कर दिया था और कातिलों को गिरफ्तार कर आलाकत्ल भी बरामद कर लिया था, अत: बर्रा थानाप्रभारी दीनानाथ मिश्र ने मृतक के बेटे अनूप को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/120 बी के तहत कोमल व रोहित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

प्यार और संपत्ति के लालच ने
बनाया अपराधी

राहुल हत्या में शामिल नहीं था. पुलिस ने उसे षडयंत्र रचने व उस में शामिल होने का दोषी पाया. पुलिस ने भादंवि की धारा 120बी के तहत राहुल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और उसे भी विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ में प्यार और धन की हवस में रिश्तों के कत्ल की सनसनीखेज कहानी प्रकाश में आई.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के नरवल थानांतर्गत एक गांव है- प्रेमपुर. इसी गांव में रामचंद्र उत्तम सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कृष्णा के अलावा 4 बेटे भैयालाल, मुन्नालाल, राजेलाल तथा छोटेलाल थे. रामचंद्र किसान थे. उन के पास 15 बीघा उपजाऊ भूमि थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. रामचंद्र ने अपने जीवन काल में ही चारों भाइयों के बीच घर व जमीन का बंटवारा कर दिया था. चारों भाइयों के बीच करीब 4-4 बीघा जमीन हिस्से में आई थी.
मुन्नालाल का मन खेतीकिसानी में नहीं लगता था सो वह सालों पहले छोटे भाई छोटेलाल को साथ ले कर कानपुर आ गए थे. यहां उन्होंने बर्रा-2 की सब्जी मंडी में बिजली की दुकान खोली. दोनों भाइयों की मेहनत और लगन से दुकान अच्छी चलने लगी और आमदनी भी होने लगी. इसी बीच मुन्नालाल की नौकरी फील्डगन फैक्ट्री में लग गई. नौकरी लगने के बाद मुन्नालाल ने बिजली की दुकान भाई छोटेलाल के हवाले कर दी.
समय बीतते मुन्नालाल उत्तम ने बर्रा भाग 2 में यादव मार्केट के पास ईडब्लूएस स्कीम के तहत केडीए की एक कालोनी में फ्लैट ले लिया. फिर उस में परिवार सहित रहने लगे. मुन्नालाल के परिवार में पत्नी राजदेवी के अलावा एक बेटा अनूप था, जिस की उम्र मात्र 2 साल थी.
सन 1998 में मुन्नालाल के भाई छोटेलाल की पत्नी कमला ने 2 जुड़वां बेटियों को जन्म दिया. कमला ने इन का नाम बरखा और कोमल रखा.
छोटेलाल की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. वह 2 बच्चियों का पालनपोषण कैसे करेगा, यही सोच कर मुन्नालाल और उन की पत्नी राजदेवी ने एक बच्ची को गोद लेने की इच्छा जताई. क्योंकि उन का एक ही बेटा था और वह बेटी चाहते थे. छोटेलाल और कमला बच्ची को गोद देने को राजी हो गए.

एक साल की कोमल को लिया था गोद

कोमल की उम्र एक साल थी, तभी मुन्नालाल व राजदेवी ने उसे गोद ले लिया था. उस समय मुन्नालाल के बेटे अनूप की उम्र 4 साल थी. अनूप को बहन के रूप में कोमल मिली तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा.

चूंकि मुन्नालाल की बेटी की आकांक्षा पूरी हुई थी, सो उस ने कोमल का नाम आकांक्षा रख दिया. इस के बाद बिना भेदभाव के बड़े लाड़प्यार से कोमल उर्फ आकांक्षा का पालनपोषण किया तथा उसे पढ़ायालिखाया.
मुन्नालाल जितना खयाल अपने बेटे अनूप का रखते थे, उतना ही आकांक्षा का भी रखते थे. इस लाड़प्यार के कारण गलीमोहल्ला तो दूर खास रिश्तेदार भी न जान सके कि कोमल उर्फ आकांक्षा उन की सगी बेटी नहीं है.
कोमल उर्फ आकांक्षा बचपन से ही सुंदर थी. जवान हुई तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया. कोमल जितनी सुंदर थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने बीए करने के बाद 2 वर्षीय बीटीसी के लिए एस.जे. महाविद्यालय, रमईपुर में प्रवेश ले लिया था. वह बीटीसी कर टीचर बनना चाहती थी.

कोमल उर्फ आकांक्षा की मौसी बिंदकी (फतेहपुर) में रहती थी. एक रोज कोमल अपने मम्मीपापा के साथ मौसी के घर विवाह समारोह मे गई. सजीधजी कोमल विवाह समारोह में खास लग रही थी.
इसी विवाह समारोह में कोमल की मुलाकात राहुल उत्तम से हुई. पहली ही नजर में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. शादी समारोह में उन की बात तो ज्यादा न हो सकी. लेकिन वे एकदूसरे के दिल में जरूर समा गए.
राहुल उत्तम के पिता विद्यासागर उत्तम फतेहपुर जनपद के शाहजहांपुर गांव में रहते थे. उन के 2 बेटे राहुल व रोेहित थे. राहुल सेना में था और कोलाबा (मुंबई) में मिलिट्री बेस अस्पताल में सहायक एंबुलेंस चालक था. वह पणजी गोवा बेस से संबद्ध था. दूसरा बेटा रोहित अपराधी प्रवृत्ति का था. वह कर्रही कानपुर में रहता था और ईरिक्शा चलाता था. दोनों भाई कोमल की मौसी के रिश्तेदार थे.

राहुल से हुई मुलाकात बदली प्यार में

कोमल और राहुल की मुलाकात को अभी सप्ताह भी न बीता था कि एक रोज कोमल के इंस्टाग्राम एकाउंट में राहुल की तरफ से फ्रैंड रिक्वेस्ट आई, जिस के बाद एक सप्ताह तक दोनो की इंस्टाग्राम चैट पर ही बात होती रही. इस के बाद दोनों फेसबुक पर भी फ्रैंड बन गए और मैसेंजर से बात होने लगी.
कुछ दिन बाद दोनों की मोबाइल फोन पर बात होने लगी. फोन पर प्यारमोहब्बत की बातें करते.
कुछ माह बाद जब राहुल कानपुर आया तो उस ने कोमल उर्फ आकांक्षा से मुलाकात की. उन का प्यार पहले ही परवान चढ़ चुका था, अत: शारीरिक मिलन में देर नहीं लगी.
राहुल कोमल को अपने एक रिश्तेदार के घर ले जाता था जो बर्रा में रहता था. वहीं राहुल कोमल से शारीरिक संबंध बनाता था. राहुल जब तक रहता था, कोमल उस से मिलती रहती थी.
कोमल को शरीर सुख का चस्का लग गया था. इस सुख को पाने के लिए कोमल ने राहुल के भाई रोहित से दोस्ती कर ली और उस ने रोहित से भी शारीरिक रिश्ता कायम कर लिया. लेकिन कोमल ने इस रिश्ते की भनक राहुल को नहीं लगने दी. रोहित कोमल को अपने ईरिक्शा पर बैठा कर कानपुर शहर की सैर कराने लगा.
इसी बीच कोमल उर्फ आकांक्षा के भाई अनूप की शादी बिंदकी निवासी देवीसहाय की बेटी सोनिका से हो गई. उस का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था. 5 दिन ससुराल में रही, उस के बाद वह मायके चली गई. उस ने अनूप के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज करा दिया.
अनूप के साले मयंक व सुरेंद्र ने मामले को सुलटाने के लिए उस से 50 लाख रुपयों की मांग की. न देने पर जानमाल के नुकसान की धमकी दी. इस धमकी से मुन्नालाल तिलमिला उठे और वह परेशान रहने लगे.
वर्ष 2021 की जनवरी माह में कोमल को पता चला कि वह मुन्नालाल की सगी नहीं बल्कि गोद ली बेटी है. उस के पिता तो छोटेलाल हैं. यह पता चलने के बाद कोमल का व्यवहार मुन्नालाल व राजदेवी के प्रति बदलने लगा.
उसे लगने लगा कि उस के पिता उस की शादी साधारण परिवार में कर देंगे और करोड़ों की संपत्ति अपने बेटे के नाम कर देंगे.

मां राजदेवी को हो गया था कोमल पर शक

राजदेवी फोन पर बात करने पर उसे टोकती थी और घर से निकलने पर भी टोका करती थी. इसलिए वह राजदेवी से भी नफरत करने लगी थी.
अब तक मुन्नालाल फील्ड गन फैक्ट्री से सुपरवाइजर के पद से रिटायर हो चुके थे. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. हाईवे किनारे गांव में 4 बीघा जमीन थी, जो करोड़ों की थी. इस के अलावा गुजैनी व नौबस्ता में प्लौट व मकान था, जिन की कीमत कई करोड़ रुपए थी. इस अकूत संपत्ति की जानकारी कोमल उर्फ आकांक्षा को थी. इस पर उस की गिद्धदृष्टि लगी थी.
कोमल की नफरत तब और बढ़ गई, जब मुन्नालाल उस के लिए वर खोजने लगे. कोमल को लगा कि जल्द ही उसे घर से रुखसत कर दिया जाएगा और सारी संपत्ति उस के हाथ से निकल जाएगी.
राजदेवी को भी जानकारी हो गई थी कि कोमल बाहर गुलछर्रे उड़ाने लगी है और किसी दिन उस की इज्जत पर दाग लगा क र फुर्र हो जाएगी. वह भी चाहती थी कि कोमल की शादी जल्द हो जाए.
कोमल ने मांबाप की अकूत संपत्ति की जानकारी अपने दोनों प्रेमियों राहुल और रोहित को दी. संपत्ति के लालच में राहुल और रोहित फंस गए. कोमल ने राहुल से कहा कि वह उस के मातापिता व भाई को ठिकाने लगा दे. उस के बाद वह उस से शादी कर लेगी और बाप की प्रौपर्टी भी उसे मिल जाएगी. फिर दोनों आराम से जिंदगी गुजारेंगे.

5 अप्रैल, 2022 को राहुल छुट्टी पर घर आया. उस के बाद कोमल ने खुल कर राहुल से बात की और पूरे परिवार को नेस्तनाबूद करने की योजना बनाई. इस योजना में उस का भाई रोहित भी शामिल रहा.
राहुल 12 दिन कानपुर शहर रहा. इस बीच लगभग हर रोज दोनों शारीरिक सुख उठाते रहे. 17 मई को राहुल वापस मुंबई चला गया.
राहुल के जाने के बाद कोमल हर रोज मोबाइल फोन पर उस से बात करती थी और अपना दुखड़ा सुना कर उसे हत्या के लिए उकसाती थी. राहुल को भी संपत्ति का लालच आ गया था, अत: उस ने 2 जुलाई, 2022 को अपने भाई रोहित से कहा मार डालो पूरे परिवार को.
योजना के तहत उस ने नशीली गोलियों का इंतजाम अपने एक केमिस्ट दोस्त के सहयोग से किया, फिर रोहित को रामादेवी ओवर ब्रिज पर भेजा. रोहित ने नींद की गोलियों के 10 पत्ते ला कर कोमल को दे दिए. कोमल ने उन गोलियों को पीस कर चूर्ण बना लिया.
4 जुलाई, 2022 की रात 8 बजे कोमल ने मम्मीपापा व भाई को खाना खिलाया, फिर 9 बजे रात को जूसर से अनार व चुकंदर का मिक्स जूस निकाला. इस के बाद निकाले गए जूस में उस ने नशीली गोलियों का चूर्ण मिला दिया. इस जूस को 3 गिलासों में डाल कर कोमल ने मुन्नालाल, राजदेवी व अनूप को दे दिया.
मुन्नालाल और राजदेवी ने तो किसी तरह जूस पी लिया लेकिन अनूप ने 2-3 घूंट ही जूस पिया. उसे जूस कड़वा लगा तो उस ने बाकी जूस नहीं पिया और कोमल से शिकायत की कि जूस कड़वा है. जूस पीने के बाद अनूप का जी मिचलाने लगा और चक्कर सा आने लगा तो वह अपने कमरे में जा कर लेट गया और अंदर से कुंडी लगा ली.
इधर जूस पीने के बाद मुन्नालाल व उन की पत्नी बेसुध हो गए. कोमल ने बेहोशी की फोटो राहुल को भेजी और बताया कि दोनों बेहोश हो गए है. उन की मौत का इंतजार है.

इस के बाद कोमल ने मुन्नालाल के मोबाइल फोन पर सुसाइड नोट टाइप किया फिर अपने फोन पर इस नोट का स्क्रीन शौट लिया. दरअसल, कोमल का प्लान था कि मम्मीपापा ने भाई अनूप के कारण आत्महत्या कर ली, फिर आत्मग्लानि से अनूप ने भी मौत को गले लगा लिया.
लेकिन जब रात 12 बजे तक मुन्नालाल की मौत नहीं हुई और उसे अपना प्लान फेल होता नजर आया तो उस ने तीनों को कत्ल करने की योजना बनाई. इस के लिए उस ने रोहित को मैसेज भेजा और तुरंत घर आने को कहा.
प्लान-ए फेल होने की सूचना उस ने मोबाइल फोन से राहुल को भी दे दी. इस के बाद कोमल ने प्लान-बी बनाया. इस प्लान के तहत अनूप ने पहले मांबाप का कत्ल किया, फिर स्वयं फांसी लगा कर जीवनलीला समाप्त कर ली.

हत्या से पहले बनाए थे शारीरिक संबंध

रात लगभग पौने एक बजे रोहित मुंह पर कपड़ा लपेट कर कोमल के घर पहुंचा. कोमल ने दरवाजा पहले ही खोल रखा था, अत: रोहित आसानी से घर में घुस गया. रोहित घर के अंदर आया तो कोमल ने उसे गले लगा लिया. रोहित भी उस से लिपट गया.
इस के बाद दोनों बिस्तर पर पहुंच गए और दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए. शारीरिक सुख प्राप्त करने के बाद कोमल उस कमरे में आई, जहां मुन्नालाल बेसुध पडे़ थे. उस ने घृणा भरी नजर मुन्नालाल पर डाली फिर रसोई से गोश्त काटने वाला चाकू ले आई.
कोमल ने चाकू रोहित को पकड़ाया और बोली, ‘‘मार डालो मेरे बाप को.’’
रोहित ने चाकू पकड़ा तो वह घबरा गया और उस के हाथ कांपने लगे. तब कोमल ने रोहित के हाथ से चाकू छीन लिया और बाप की गरदन पर वार कर दिया. एक ही वार से मुन्नालाल की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून का फव्वारा फूट पड़ा. मुन्नालाल कुछ देर छटपटाया, फिर दम तोड़ दिया.
बाप को मौत के घाट उतारने के बाद कोमल उस कमरे में पहुंची, जहां राजदेवी बेसुध पड़ी थी. दोनों ने मिल कर राजदेवी को उठाया और उस कमरे में लाए, जहां मुन्नालाल मरा पड़ा था. यहां रोहित ने चाकू से राजदेवी पर वार किया तो वह छटपटाने लगीं.
इसी छटपटाहट में कोमल ने उस के हाथों को दबोचा तो चाकू से वार करते समय कोमल की अंगुली में कट लग गया. कुछ क्षण छटपटाने के बाद राजदेवी ने भी दम तोड़ दिया. डबल मर्डर करने के बाद भी कोमल और रोहित विचलित नहीं हुए.
बाथरूम में जा कर कोमल और रोहित ने खून से सने हाथपैर व चाकू धोया, फिर कपड़े बदले. कोमल ने अनूप की शर्ट रोहित को पहनने को दी. इस के बाद रोहित ने खून से सने कपड़े तथा चाकू लाल रंग के थैले में डाला फिर मुंह पर सफेद रंग का कपड़ा लपेट कर हाथ में थैला ले कर रात सवा 2 बजे कोमल के घर से निकल गया.

रोहित के घर आने तथा घर से बाहर जाने की तसवीरें बगल के घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गईं. इस की जानकारी रोहित को नहीं हुई. घर से निकलने के बाद रोहित ने खून से सने कपड़े, चाकू, जूता व थैला कर्रही स्थित नाले के पास फेंक दिए. उस के बाद वह फरार हो गया.
इधर कोमल रात 3 बजे के आसपास पहली मंजिल पर अनूप के कमरे के बाहर पहुंची और जोरजोर से दरवाजा पीटने लगी. अनूप ने दरवाजा खोला तो सामने कोमल खड़ी थी. वह रोते हुए बोली, ‘‘भैया, जल्दी से नीचे चलो, मम्मीपापा मर गए हैं.’’
अनूप घबरा गया. वह नीचे आया तो देखा कि मांबाप की किसी ने गला काट कर हत्या कर दी है. उस ने घर के बाहर शोर मचाया तो पासपड़ोस के लोग आ गए. इस के बाद अनूप ने डायल 112 पर फोन कर के पुलिस को सूचना दी तो पुलिस की वैन आ गई.
डायल 112 पुलिस ने कंट्रोलरूम को सूचना दी तो पुलिस महकमे में सनसनी फैल गई. आननफानन में थाना बर्रा पुलिस व पुलिस अधिकारी घटनास्थल पहुंचे और जांच शुरू की. जांच में प्यार और धन की हवस में रिश्तों के कत्ल का सनसनीखेज खुलासा हुआ.
थाना बर्रा पुलिस ने आरोपी कोमल, रोहित तथा राहुल से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.द्य

पारसमणि के लिए हुए बावरे : भाग 2

बाबूलाल की इस तरह की गोलमोल बातें सुन कर गांव वाले अलगअलग अर्थ निकाल रहे थे. कुछ लोग मान रहे थे कि बाबूलाल ने स्वीकार कर लिया है कि उस के पास पारस मणि है और कुछ लोगों को साफसाफ महसूस हुआ कि ऐसा कुछ भी नहीं है, मगर गांव में बाबूलाल की अब तो बल्लेबल्ले अपने उफान पर थी.बाबूलाल यादव बड़े ठाटबाट से रहा करता था. वह एक तांत्रिक था. पूजा और तंत्रमंत्र से वह अच्छे पैसे कमा लेता था.

आज भी गांवदेहात में मजदूरी कोई बहुत ज्यादा नहीं है. लोग शहर की ओर पलायन कर जाते हैं या फिर गांव के धनी किसानों के यहां काम कर के जीवनयापन करते हैं. मगर बाबूलाल तांत्रिक होने के कारण बड़े मजे से अपनी जिंदगी गुजार रहा था.अच्छा पहनता, अच्छा खातापीता. लोग उसे बिना जमीनजायदाद के भी बड़ा आदमी मानते थे. उस की साख दिनोंदिन आसपास के गांव में भी फैलती चली जा रही थी.

छत्तीसगढ़ का जांजगीर-चांपा जिला धनधान्य से परिपूर्ण होने के कारण धान का सच्चे अर्थों में कटोरा कहा जा सकता है.जिले के जांजगीर थानांतर्गत गांव मुनुंद है, जहां लगभग ढाई हजार लोगों की बस्ती है और ज्यादातर लोग खेतीकिसानी कर के अपना जीवन बसर करते हैं. यहीं बाबूलाल यादव तंत्रमंत्र और झाड़फूंक करते हुए धीरेधीरे आसपास के गांवों में प्रसिद्ध हो गया था.

आसपास के गांवों ही नहीं, बल्कि उस के पास आसपास के जिलों कोरबा, बिलासपुर से भी लोग आने लगे थे. वह किसी बीमारी भूतप्रेत आदि बाधाओं को दूर करने का दावा करता था. उस का प्रभाव बढ़ता ही चला जा रहा था.उस के पास कोई पारस मणि है, यह चर्चा भी आसपास के गांवों से होती हुई दूर तक प्रसारित हो चुकी थी.जिला चांपा जांजगीर के बाराद्वार निवासी टेकचंद जायसवाल, जो एक किसान परिवार से है, ने भी एक दिन जब यह सुना कि तांत्रिक बाबूलाल के पास पारस मणि है तो उस के मन में उत्सुकता पैदा हुई कि क्यों न इसी तरीके से पारस मणि को हथिया लिया जाए.

वह साहसी व्यक्ति के रूप में गांव में जाना जाता था. शरीर में ताकत थी और वह गांव में अच्छे रुतबे वाला था. टेकचंद ने जब यह बात सुनी तो उस ने अपने दोस्तों से पता लगाया कि आखिर माजरा क्या है.एक दिन उस ने गांव बिरगहनी के रहने वाले अपने एक दोस्त राजेश हरबंस से मोबाइल पर इस संबंध में बात की. फिर दोनों ने प्लान बनाया कि बाबूलाल यादव के गांव चलें और उस से मिल कर समझा जाए कि आखिर सचमुच उस के पास पारस मणि है या कोई अफवाह है. अगर उस के पास पारस मणि है तो उसे हथियाने की योजना बनाई जाए.

टेकचंद जायसवाल और राजेश हरबंस दोनों हमउम्र थे. टेकचंद अपनी बाइक से बाराद्वार से बिरगहनी आ पहुंचा. उस के बाद दोनों बाइक से बाबूलाल यादव से मिलने मुनुंद गांव की ओर बढ़ चले.
रास्ते में दोनों बातें कर रहे थे. टेकचंद ने बाइक चलाते हुए राजेश से पूछा, ‘‘राजेश भाई, क्या महसूस कर रहे हो तुम? क्या सच में पारस मणि होती है?’’‘‘हां, यह सच है कि पारस मणि होती है. मैं ने गूगल पर सर्च किया और पाया कि ऐसी पारस मणि का जिक्र हमारे ग्रंथों में भी है. मगर यह भी सच है कि उसे पाना आसान नहीं है, यह तो बड़े भाग्य से मिलती है. लाखोंकरोड़ों लोगों में से किसी एक के पास होती है.’’ राजेश ने कहा.

बाइक चलाते हुए टेकचंद ने कहा, ‘‘भाई, मेरी बात को तुम ने माना स्वीकार किया है. मुझे भी लगता है कि पारस मणि होती तो है. अब हमें यह पता करना है कि क्या बाबूलाल यादव तांत्रिक के पास पारस मणि है भी? और अगर है तो उसे कैसे प्राप्त किया जाए?’’ टेकचंद बोला.‘‘देखो भाई, कोई भी आदमी जिस के पास पारस मणि होगी, वह यह नहीं बताएगा कि मेरे पास है. अगर तुम्हारे पास होगी तो क्या भला किसी को बताओगे?’’ राजेश ने तर्क दिया.

‘‘हां, तुम्हारी बात भी बिलकुलसही है. अब कैसे पता करें भला?’’ टेकचंद बोला
‘‘इस का सीधा सा रास्ता यह है कि हम लोग गांव वालों से पता करेंगे. गांव वाले सच बताएंगे. गांव में कोई भी सच्चाई छिप नहीं सकती. और हो सकेगा तो बाबूलाल यादव से भी मिल कर के देखेंगे कि आखिर सच क्या है, वह कैसा आदमी है. बातचीत से भी बहुत कुछ समझ में आ जाएगा.’’
उस दिन टेकचंद और राजेश हरबंस बाबूलाल यादव के गांव मुनुंद पहुंचे और कुछ लोगों से बातचीत की. लोगों ने उन्हें दबी जुबान में बताया कि बाबूलाल के पास सचमुच पारस मणि है, मगर वह स्वीकार नहीं करता.

इस के बाद दोनों बाबूलाल से भी मिले. उस के हावभाव और बातचीत से दोनों ही बड़े प्रभावित हुए और जब घर लौटे तो दोनों इस बात को पूरी तरीके से मान चुके थे कि बाबूलाल के पास कुछ तो ऐसा है जिस से वह मालामाल हुआ है.टेकचंद और राजेश हरबंस ने धीरेधीरे महमदपुर निवासी रामनाथ श्रीवास, बलौदा की शांतिबाई यादव, कोरबा निवासी यासीन खान और अन्य कई लोगों से बातचीत कर के एक योजना पर अमल करने की कोशिश शुरू कर दी.

उन सभी ने यह प्लान बनाया कि अलगअलग तरीके से हम बाबूलाल यादव से उस के घर पर जा कर मिलेंगे. चूंकि वह तांत्रिक है, इसलिए अपना इलाज कराने का बहाना भी बना सकते हैं. बातचीत करते हुए हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि उस ने वह पारस मणि कहां छिपा रखी है या फिर ऐसी स्थिति पैदा हो जाए कि पारस मणि हमें दिखा दे तो हम लोग उसे हथिया लें.राजेश हरबंस और शांति यादव दोनों ही गांव बिरगहनी थाना बलौदा एक ही गांव के रहने वाले और आपस में परिचित थे. दोनों ने योजना बनाई कि शांतिबाई की बीमारी का हवाला देते हुए बाबूलाल यादव से मिला जाए.
राजेश हरबंस ऐसी परिस्थिति बनाएगा कि पारस मणि ले कर के खुद बाबूलाल खड़ा हो जाएगा.

शांतिबाई यादव की उम्र 21 वर्ष थी. वह दिखने में खूबसूरत और कमसिन थी. राजेश हरबंस उसे अपना परिचित बताते हुए एक दिन बाबूलाल यादव के घर पहुंच गया और इलाज की फरियाद की. शांतिबाई ने बाबूलाल से हंस कर बातें की और बताया कि उस के शरीर में हमेशा दर्द बना रहता है. कई डाक्टरों को दिखाया मगर वह ठीक नहीं हो पा रही है, इसलिए सोचा कि आप के पास झाडंफूंक करवाऊं.
बाबूलाल यादव ने शांतिबाई का इलाज शुरू किया. उसे तंत्रमंत्र कर के भभूत दी और कहा कि कोई बाधा है जिसे वह एक महीने में ठीक कर देगा. इस के लिए उसे हर सप्ताह आना पड़ेगा.

 

अधेड़ प्रेम की रुसवाई : भाग 1

प्यार की कोई उम्र नहीं होती, यह किसी भी उम्र में किसी से हो सकता है. जैसे 2 शादीशुदा बेटियों की मां मिथिलेश को गांव के ही 4 जवान बेटों के पिता किरणपाल से हो गया था. जमाने की रुसवाई को नजरंदाज कर यह प्यार 10 सालों तक चला. इस के बाद इस का जो खूनी अंजाम हुआ, वह… ‘अंजलि मैं तुम्हें भूल जाऊं ये हो नहीं सकता और तुम मुझे भूल जाओ ये मैं होने नहीं दूंगा…’फिल्म ‘धड़कन’ में सुनील शेट्टी ने यह डायलौग क्या मारा, नौजवानों को अपनी प्रेमिकाओं को अपनी मोहब्बत की ताकत दिखाने का जबरदस्त मसाला मिल गया.

बहुत से आशिकों ने सिचुएशन के मुताबिक इस डायलौग में थोड़ाबहुत फेरबदल कर के इजहारे मोहब्बत किया होगा. हर प्रेमी किसी न किसी मौके पर अपनी महबूबा के सामने यह डायलौग जरूर मारता है. इस डायलौग को सुन कर प्रेमिकाओं को भी लगता है कि उन का प्रेमी उन के लिए कितना पजेसिव है. 2 दशक से यह डायलौग प्रेमी दिलों की तड़प जाहिर करता आ रहा है.लेकिन जब सुनील शेट्टी के डायलौग की तर्ज पर किरणपाल ने तमंचा लहराते हुए अपनी प्रेमिका मिथिलेश से कहा, ‘‘तू मेरी हो न सकी और मैं तुझे किसी और की होने न दूंगा…’’ तो मारे डर के मिथिलेश अपनी जान बचाने के लिए भागी.

मगर उस दिन किरणपाल के सिर पर इंतकाम का ऐसा भूत सवार था कि उस ने अपनी प्रेमिका पर गोली दाग दी. धांय… धांय… एक नहीं 2-2 गोलियां. वह तय कर के आया था कि बस अब यह प्रेम कहानी यहीं खत्म कर देनी है.पहली गोली लगते ही मिथिलेश जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. किरणपाल उस के पास आया. खून से लथपथ जमीन पर पड़ी छटपटाती प्रेमिका को देख कर उस की आंखें भीग गईं.
वह पलभर उसे टकटकी लगाए निहारता रहा और फिर रोतेरोते उस के शरीर पर झुक गया. वह उस के तड़पते जिस्म को अपनी छाती से भींच कर रोने लगा और तमंचे का स्ट्रिगर फिर दबा दिया.

इस बार गोली मिथिलेश की छाती पर लगी और कुछ ही देर में उस की छटपटाहट भी शांत हो गई. आंखें मुंद गईं और गरदन एक ओर को लुढ़क गई. किरणपाल प्रेमिका के मृत शरीर से लिपट गया. उसे अपनी बांहों में लपेट कर फूटफूट कर रोने लगा.अचानक उस ने तमंचे की नाल अपनी कनपटी से लगाई और स्ट्रिगर फिर दबा दिया. धांय के साथ गोली निकली और किरणपाल के लगी. यानी मिथिलेश को मार कर किरणपाल ने अपनी भी इहलीला समाप्त कर ली.

दोनों के शव एकदूसरे से लिपटे हुए जब लोगों ने देखे तो फिर जितने मुंह उतनी बातें, क्योंकि मामला ही कुछ ऐसा था. जिन बातों को बदनामी के डर से अब तक दबाछिपा कर रखा गया था, मौत के इस मंजर ने उन्हें उघाड़ कर रख दिया.प्रेम में असफल प्रेमी के इंतकाम की यह भयानक कहानी है मेरठ के परीक्षितगढ़ के गांव दुर्वेशपुर की. आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि ये युवावस्था में कदम रखने वाले किन्हीं 18-20 साल के प्रेमी युगल की कहानी नहीं, बल्कि 2 शादीशुदा और जवान बच्चों के अधेड़ मातापिता के प्रेम और उस के अंत की कहानी थी.

मेरठ के परीक्षितगढ़ के गांव दुर्वेशपुर में 15 जुलाई की सुबह हुई इस वारदात से इलाके में हड़कंप मच गया.उस रात किरणपाल रात भर जागता रहा. बारबार सिरहाने तकिए के नीचे रखे तमंचे को निकाल कर बिस्तर पर उठ बैठता. लोडेड तमंचे को होंठों से लगाता फिर उसे अंगुलियों के बीच घुमाता दरवाजे से कभी बाहर कभी अंदर होता फिर बिस्तर पर आ बैठता.

उस की बेचैनी चरम पर थी. वह किसी निष्कर्ष पर पहुंच चुका था और उस निष्कर्ष से अब उसे कोई विमुख नहीं कर सकता था. 10 साल की मोहब्बत आज अपने अंजाम पर पहुंचने वाली थी.पौ फटते ही किरणपाल अपनी पैंट में तमंचा खोंस कर निकल पड़ा. उस के अंदर आग सी लगी हुई थी. आज फैसला हो जाना था. वह अब दोहरी जिंदगी से तंग आ चुका था. अपने प्यार को वह पूरी तरह पा लेना चाहता था, मगर वह उसे हासिल नहीं हो रहा था. और अब तो वह उस से मिलना ही नहीं चाहती थी. बातबात पर उसे ताने देने लगी थी. पीछा छोड़ने को कहने लगी थी.

उस के घर से कोई 400 मीटर की दूरी पर था उस की प्रेमिका मिथिलेश का घर. उसे पता था कि हर रोज वह भोर में घर के पीछे गोबर बटोरने आती है. किरणपाल घात लगा कर वहीं बैठ गया और उस के आने का इंतजार करने लगा.

साढ़े 6 बजे के करीब उस की प्रेमिका मिथिलेश हाथों में कूड़ा उठाए घर से निकली और उसी ओर चल पड़ी. घर के पीछे खाली जगह थी, जहां गायभैंसें गोबर कर जाती थीं. मिथिलेश ने हाथ का कूड़ा अभी फेंका ही था कि किरणपाल आड़ से निकल कर सामने आ खड़ा हुआ. उस की लंबी गुच्छेदार मूंछों के पीछे उस का उग्र चेहरा देख कर मिथिलेश डर गई.

मिथिलेश का पति धीर सिंह उस वक्त घर पर ही था, ऐसे में किरणपाल कोई बखेड़ा न खड़ा करे, यह सोच कर वह घर की ओर भागने को हुई. मगर किरणपाल ने उसे मौका ही नहीं दिया और तमंचा निकाल कर उस पर गोली चला दी.गोली लगने के बाद मिथिलेश जान बचाने के लिए चंद कदम भागी, मगर फिर लड़खड़ा कर गिर पड़ी. उस का शरीर गोली लगने से छटपटा रहा था. किरणपाल उस के सामने आ खड़ा हुआ. उस ने डूबीडूबी आंखों से किरणपाल की ओर देखा, जैसे पूछ रही हो, ‘ये तुम ने क्या किया?’

किरणपाल भी उसे यूं तड़पता देख रो पड़ा. मगर अब उस के सामने कोई रास्ता नहीं बचा था. वह रोतेरोते घुटनों के बल बैठ गया और तड़पती प्रेमिका को बाहों में ले कर बोला, ‘‘तू मेरी हो न सकी, मैं तुझे किसी दूसरे की होने न दूंगा मिथिलेश…’’कुछ पल वह उसे सीने से लगा कर रोता रहा, फिर उस ने उस पर दोबारा फायर झोंक दिया. दूसरी गोली लगते ही मिथिलेश जोर से तड़पी और थोड़ी देर में शांत हो गई.

मौसी के प्रेमी से पंगा : भाग 3

रणवीर को थाने पर बुला कर अलगअलग तरीके से पूछताछ हुई. उसी तरह की पूछताछ रामसुमेर और आशीष से भी हुई. इसी बीच पुलिस को गांव की एक महिला से मालूम हुआ कि पारुल की मौत की वजह घर के कलह के कारण हुई है. उस ने पारुल की मौसी के बारे में बताया, जो इन दिनों परिवार के साथ नहीं रह रही थी. एक अन्य ग्रामीण महिला ने दबी जुबान में बताया कि रामसुमेर और पारुल की मौसी के बीच प्रेम संबंध थे, जो पारुल को पसंद नहीं थे.

इस एंगल से पुलिस ने एक बार फिर रणवीर और उन की पत्नी रूमा से पूछताछ की. रणवीर ने यह माना कि उस के घर पर चचेरे भाई का आनाजाना उस की बेटी को अच्छा नहीं लगता था. जबकि रामसुमेर उन की गैरमौजूदगी में घर आता था.पारुल से उस की जरा भी नहीं बनती थी. वह रामसुमेर का विरोध करती थी. रूमा ने पुलिस को बताया कि किस तरह से उस ने भी रामसुमेर को अपनी बहन से संबंध खत्म करने को ले कर डांट पिलाई थी.

उस के बाद पुलिस की नजर में रामसुमेर ही शक के दायरे में आ गया था. वह पहले भी पूछताछ से कतराता रहता था और थाने आने से इनकार कर दिया था.खैर, 8 जून, 2022 की रात के करीब 11 बजे रामसुमेर को उस के घर से गिरफ्तार कर घंटों थाने में बैठाए रखा. मानसिक दबाव बनाया और सरकारी गवाह बनाने का आश्वासन दिया. एक ही सवाल को कई पुलिसकर्मियों ने पूछा. आखिरकार वह टूट गया और उस ने हत्याकांड के बारे में जो बताया, वह काफी चौंकाने वाला था—

रणवीर यादव को लोग पप्पू यादव के नाम से भी जानते हैं. उस के पास खेती की जमीन थी, लेकिन शटरिंग का काम करता था. उस के 3 बच्चों में पारुल सब से बड़ी थी, 2 बेटे सर्वेश और राजेश हैं.
पारुल इंटरमीडिएट में पढ़ती थी. वह खूबसूरत खुशमिजाज लड़की थी. मोहनलालगंज में रोजाना पढ़ने जाती थी. उस की गांव में किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. उस के पिता रणवीर की एक चचेरी साली मोरकली भी परिवार के साथ ही रहती थी. हालांकि वह मूलरूप से एटा जिले के रंगतेरी गांव की थी.
वह रणवीर के परिवार के साथ पिछले 3 सालों से रह रही थी. उस ने अपने कामकाज से परिवार के सभी सदस्यों का दिल जीत लिया था. जबकि अपनी जवानी और रूपरंग की बदौलत उस पर रामसुमेर लट्टू हो गया था. रिश्ते में साली होने चलते उस से मजाक किया करता था, जिस का कोई भी बुरा नहीं मानता था.

रामसुमेर गांव के लोगों की नजर में गलत चरित्र का युवक था. ग्रामीणों के साथ अकसर उस का झगड़ा होता रहता था. वह मोरकली को दिलोजान से चाहता था, लेकिन रणवीर यादव और रूमा देवी के चलते उस की दाल नहीं गलती थी.पारुल भी उस का जबतब विरोध किया करती थी. एक बार जब पारुल ने उन को रंगेहाथों प्रेमालाप में देख लिया था, तब उन्होंने पारुल को धमकी दी थी. जबकि रामसुमेर ने बताया कि मोरकली ने कहा था कि उस के प्यार की दुश्मन पारुल ही है.

रामसुमेर के मन में मोरकली की यह बात चुभ गई थी. उस के बाद से ही वह पारुल को अपने प्यार की राह से हटाने की ताक में रहने लगा था. संयोग से उसे 3 जून की रात को मौका मिल गया था. पारुल जैसे ही फोन पर बात करते हुए घर से बाहर निकली, रामसुमेर ने उसे दबोच लिया.
दरअसल, फोन मोरकली का था, जो रामसुमेर ने ही करवाया था. रामसुमेर उसे घर से कुछ दूर ले गया और उस के सिर पर डंडे से प्रहार किया. सिर पर चोट लगने से वह बेहोश हो गई और खेत में गिर गई थी. गिरने के बाद उस ने डंडे से उस की खूब पिटाई की. फिर बाद में उस के सिर पर गुस्से में ईंट से वार किया, जिस से उस की मौत हो गई. हत्या करने के बाद वह घर वापस लौट आया.

उस वक्त घर वाले पारुल की तलाश में लगे हुए थे. उन के साथ रामसुमेर भी तलाश करने लगा.
हत्या का जुर्म स्वीकार लेने के बाद 9 जून का उस की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल किया गया डंडा और ईंट भी बरामद कर ली. बाद में रामसुमेर को मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

मौसी के प्रेमी से पंगा : भाग 1

कहानी मोहनलालगंज के कोराना गांव की है. एक सामान्य जीवन गुजारते हुए यादव परिवार में
शटरिंग का काम करने वाला घर का मुखिया रणवीर यादव जहां अपने कामकाज के सिलसिले में गांव और शहर एक करता रहता था, वहीं उस की पत्नी रूमा देवी घरेलू कामकाज में लगी रहती थी.
खाना पकाने, बरतन मांजने, कपड़े धोने, अनाज के रखरखाव से ले कर साफसफाई एवं मवेशियों का भी खयाल रखने की जिम्मेदारी उसी के कंधों पर थी. उस में उन की छोटी बहन मोरकली और बेटी पारुल यादव भी मदद करती थी. वैसे पारुल पढ़ाई भी कर रही थी.

इन के अलावा पट्टीदारों में रामसुमेर यादव और उस का छोटा भाई आशीष यादव का भी अपने चचेरे बड़े भाई रणवीर यादव के घर आनाजाना लगा रहता था. परिवार में मेलजोल बना हुआ था. वक्तवेबक्त सभी एकदूसरे के सुखदुख में सहयोगी बने रहते थे.रामसुमेर खेतीकिसानी के कामों में लगा रहने वाला एक विवाहित युवक था. किंतु था मनचला. गांव की लड़कियों और दूसरी औरतों को वासना की नजरों से देखता था. मौका मिलते ही उन से मजाक करता और छेड़छाड़ तक कर दिया करता था.

एक रोज कालेज से लौटती पारुल को उस के चाचा रामसुमेर ने रास्ते में रोक लिया. उसे डांटते हुए बोला, ‘‘देख पारुल, तुझे आखिरी बार समझा रहा हूं, मेरे और मोरकली के बीच में तुम मत आओ. तुम बहुत छोटी हो इसलिए चेता रहा हूं.’’पारुल कुछ कहे बगैर चुपचाप अपने चाचा की बात सुन कर घर आ गई. लेकिन गुस्सा मन में दबा था. बरामदे में कुरसी के साथ लगी टेबल पर किताबों का बैग पटका और सीधे रसोई में घुस गई. पानी पीने के लिए स्टील का गिलास उठाया, लेकिन वह हाथ से छूट कर जमीन पर जा गिरा. गिलास वहीं पर 2-3 बार उछलने के बाद झनझनाहट की तेज आवाज के साथ घूमने लगा.
बगल के कमरे से उस की मां रूमा की आवाज आई, ‘‘पारुल, अरे ठीक से. बरतन पर अपना गुस्सा क्यों निकाल रही है.’’

असल में रूमा ने उसेघर में पैर पटकती हुई आते देखा था और घर में बरतन गिरने की वजह वह जानती थी. ऐसा तभी होता था, जब पारुल गुस्से में होती थी.‘‘क्या बात है, इधर आ कर बता तो!’’ वह बोली.
‘‘अरे कुछ नहीं मम्मी! मोरकली कहां है?’’ पारुल ने मम्मी को जवाब देते हुए पूछा.
‘‘क्यों? होगी कहीं? क्या किया मोरकली ने? ..और सुन वह तुम से बड़ी है मौसी कह कर नहीं बुला सकती हो.’’ मम्मी ने समझाया.‘‘कैसी मौसी मम्मी? उस के चलते ही हमें आज चाचा ने चार बातें सुना दी,’’ पारुल तुनकती हुई बोली.

‘‘कौन रामसुमेर! वह थोड़ी देर पहले ही तो यहां आया था. मैं ने उसे डांट कर भगाया. वह मोरकली की शिकायत कर रहा था.’’ रूमा बोली.तब तक पारुल ने मम्मी के पास आ कर रास्ते में चाचा द्वारा कही गई बात बता दी.इस पर रूमा बोली, ‘‘अच्छा तो उस करमजली के चलते बात यहां तक आ पहुंची है. आने दो उसे, अभी उस की खैर लेती हूं. बाबूजी ने उसे मेरे गले मढ़ दिया है. कब तक यहां रहेगी पता नहीं.’’मोरकली रूमा की चचेरी बहन थी, जिस के मांबाप नहीं थे. उस की देखभाल के लिए रूमा के पिता उस के पास छोड़ गए थे.मोरकली थी कि अपनी ही मस्ती में रहती थी. घरेलू काम में रूमा की बहुत मदद करती थी. इस कारण घर के सभी सदस्य उस के मेहनती होने को ले कर खुश रहते थे, लेकिन कुछ दिनों से उस के रंगढंग में बदलाव आ गया था. वह खेतों में घूमने लगी थी. पास के दूसरे लोगों से गप्पें लड़ाने लगी थी. हंसीमजाक भी करने लगी थी.

पारुल ने पकड़ी मोरकली का करतूत एक बार मोरकली को पारुल ने रामसुमेर से हंसहंस कर बातें करते देख लिया था. पारुल को देखते ही दोनों अचानक चुप हो गए थे. रामसुमेर चुपचाप वहां से चला गया था. मोरकली ने पारुल का हाथ पकड़ते हुए कहा था, ‘‘पारुल, मम्मी को मत बोलना कि मैं तुम्हारे चाचा के साथ मिली थी. उसी ने मुझे जबरदस्ती रोक लिया था. मैं तो खेत से घर आ रही थी.’’ मोरकली सफाई देती हुई बोली.

उस रोज पारुल अपनी मौसी के कहने का मतलब बहुत अधिक नहीं समझ पाई कि वह उसे देख कर सफाई क्यों देने लगी थी. किंतु वह इतना समझ गई थी मोरकली अपनी करतूत छिपाना चाहती है.
2 दिन बाद दोपहर को उस ने अपने घर में जो देखा, वह उसे जरा भी अच्छा नहीं लगा. हुआ यह था कि पारुल अपने कालेज से घर आई थी. हमेशा की तरह उस ने अपना बैग बरामदे में टेबल पर रख दिया था और रसोई में पानी पीने के लिए जाने लगी, लेकिन उस के कमरे से फुसफुसाने की आवाजें सुनाई दीं. उस ओर देखा. कमरे का दरवाजा बंद था.

उस की जिज्ञासा जागी और दरवाजे के पास आ गई. तब आवाजें और साफ सुनाई देने लगी थीं. मोरकली कह रही थी, ‘‘…अब जाओ, कोई आ जाएगा.’’पारुल ने दरवाजे से कान सटा दिए थे. कुछ सेकेंड बाद फिर आवाज आई, ‘‘अरे मुंह मत बंद करो, दम घुट जाएगा. चलो, हटो अब.’’
पारुल तब तक इतना समझ गई थी कि कमरे में मोरकली के साथ कोई और भी है, और जो भीतर हो रहा है वह गलत है. उस ने दरवाजा पीटने के लिए हाथ उठाया ही था कि एक झटके में दरवाजे का एक पल्ला खुल गया.

पारसमणि के लिए हुए बावरे : भाग 3

राजेश हरबंस और शांतिबाई यही चाहते थे कि वे बारबार बाबूलाल के पास आएं और संबंध बना कर के पारस मणि के बारे में सच्चाई को जान जाएं और उसे हथिया लें.
राजेश हरबंस हंसहंस के बाबूलाल से बातें करता बड़ा सम्मान देते हुए कुछ भी कहता. एक दिन मौका पा कर राजेश ने कहा, ‘‘बाबूलाल जी, एक बात पूछूं अगर आप बुरा ना मानें और हमें अपना छोटा भाई मानें तो.’’

सहज भाव से बाबूलाल ने कहा, ‘‘नहींनहीं भाई, भला मैं बुरा क्यों मानूंगा. पूछो क्या जानना चाहते हो?’’
‘‘मैं ने सुना है कि आप के पास पारस मणि है. क्या यह सच है? अगर यह सच है तो आप तो दुनिया के सब से अमीर आदमी बन सकते हो. रोज सोना बना कर के दुनिया भर की सुविधाओं का उपभोग कर सकते हो. मगर ऐसा क्यों नहीं कर रहे हो. इस में अगर हमारी कोई मदद चाहिए तो बताइए, मेरी पहचान छत्तीसगढ़ के मंत्री तक है.’’

बाबूलाल ने मुसकरा कर कहा, ‘‘हर बात हर आदमी को नहीं बताई जाती, मैं जैसा भी हूं खुश हूं. मुझे और ज्यादा क्या चाहिए, मैं तो सेवक आदमी हूं. लोगों की सेवा में मुझे आनंद आता है और जो कुछ भी मेरे पास है वह पर्याप्त है.’’राजेश हरबंस ने अपनी आंखों को घुमाते हुए कहा, ‘‘बाबूलालजी, मैं यह जानना चाहता हूं कि आप के पास पारस मणि है कि नहीं?’’

राजेश की बातों को बाबूलाल ने सहजता से लिया और कहा, ‘‘छोड़ो, तुम अपने इलाज पानी पर ध्यान दो.’’बाबूलाल की बातों को एक गहरे अर्थ में समझ कर के राजेश हरबंस मौन रह गया. अब उसे पूरा विश्वास हो गया था कि बाबूलाल यादव के पास पारस मणि है और वह सहजता से न दिखाएगा और न देगा. इस के लिए कोई दूसरा रास्ता ही अख्तियार करना होगा.उस ने टेकचंद जायसवाल से बात की और बताया कि बाबूलाल तो बड़ा चालाक आदमी है वह कुछ नहीं बता रहा है. इस के लिए कोई योजना बनाओ, ताकि वह सब कुछ सचसच बोल दे और हमें पारस मणि दे दे.

एक दिन टेकचंद जायसवाल के गांव लोहारकोटा स्थित घर में अद्वितीय पारस मणि को प्राप्त करने के लालच में राजेश हरबंस, शांतिबाई यादव, रामनाथ श्रीवास, यासीन खान, प्रकाश जायसवाल, रवि जायसवाल सहित 10 लोग इकट्ठे हुए.वहां हुई बैठक में टेकचंद ने कहा, ‘‘तांत्रिक बाबूलाल जैसे मूर्ख के हाथ में पारस मणि है, जिसे हम आसानी से हथिया सकते हैं. आज हमें तय करना है कि पारस मणि प्राप्त करने के लिए चाहे जो भी करना पड़े, हम योजनाबद्ध तरीके से करेंगे.’’

यह सुन कर शांतिबाई यादव बोली, ‘‘बाबूलाल बहुत ही घाघ आदमी है. मैं ने उसे अपने तमाम लटकेझटके दिखाए, मगर उस ने थोड़ी सी भी बात नहीं बताई.’’राजेश हरबंस बोल पड़ा, ‘‘इसलिए मैं कहता हूं कि हमें बहुत ही समझदारी से काम लेना होगा. उस से पारस मणि प्राप्त करना आसान नहीं है. वह बहुत ही चतुर है. ठाठ की जिंदगी जीता है मगर घर तो ऐसा है मानो झोपड़ी, जिसे देख कर
कोई नहीं कहेगा कि इस के पास पारस मणि होगी.’’यासीन खान ने भी कहा, ‘‘मुझे तो लगता है उस के पास सौ प्रतिशत पारस मणि है. और आप जो भी कहेंगे मैं करने के लिए तैयार हूं. चाहे जो भी करना हो.’’

उस दिन सभी ने एकजुट हो कर के तय किया कि योजना बना कर के बाबूलाल यादव को घर से बाहर निकाला जाए और जिला जांजगीर के कटरा जंगल में ले जा कर उस से पूछताछ की जाए. वहां वह घबरा जाएगा और हमें पारस मणि सौंप देगा.

योजना के तहत 8 जुलाई, 2022 को राजेश हरबंस और शांतिबाई यादव बाबूलाल यादव के पास पहुंचे. राजेश ने उस से निवेदन किया, ‘‘मेरे घर पर कुछ बाधा है, उसे आप को दूर करना है. आप अभी चलेंगे तो अच्छा होगा.’’

चूंकि राजेश शांतिबाई को ले कर बाबूलाल के पास कई बार जा चुका था, इसलिए तांत्रिक बाबूलाल ने उस की बात पर विश्वास कर लिया और राजेश की बाइक पर बैठ कर उसी वक्त चल दिया.
बाबूलाल यादव को ले कर के दोनों बाइक से बलौदा के जंगल की ओर निकल गए. योजना के अनुसार, एक जगह टेकचंद जायसवाल, यासीन खान, रामनाथ श्रीवास आदि वहीं जंगल में इकट्ठा मिल गए.
वहां जा कर बाबूलाल को सभी ने एक सुनसान घर में ले गए. सभी ने उसे घेर लिया और पारस मणि के बारे में पूछने लगे. मगर बाबूलाल ने शांत भाव से कहा, ‘‘मेरे पास कोई पारस मणि नहीं है. आप लोगों को जरूर गलतफहमी है.’’

‘‘तुम झूठ बोल रहे हो, तुम्हारे पास कुछ तो है. सारे गांव वाले बोल रहे हैं कि तुम्हारे पास पारस मणि है, जिस से तुम लोहे को सोना बना सकते हो. उसे चुपचाप हमें सौंप दो नहीं तो…’’ गुस्से से उफनते हुए टेकचंद जायसवाल ने उस के बाल पकड़ कर गालों पर कई थप्पड़ जड़ दिए.बाबूलाल यादव की आंखों में आंसू आ गए. वह घबरा गया. उस की एक नहीं सुनी गई और हाथपांव बांध कर उस से सभी पूछताछ करने लगे. 10 लोगों के गिरोह में फंसा बाबूलाल बेबस, लाचार हो गया था.

सभी उसे बारीबारी से मारपीट रहे थे और पूछ रहे थे कि बताओ पारस मणि तुम ने कहां पर रखी हुई है.
जब बाबूलाल कुछ न बता पाया तो टेकचंद जायसवाल ने सभी से कहा कि चलो सब इस के घर चलते हैं और इस के घर में खोजबीन करते हैं. जहां भी पारसमणि होगी, उसे हम ले आएंगे.
कुछ लोगों को बाबूलाल की सुरक्षा में छोड़ कर बाकी सभी बाबूलाल यादव के गांव मुनुंद रात को 11 बजे पहुंचे. घर खुलवा कर के पत्नी रामवती को उन्होंने डराधमका कर एक जगह बैठा दिया और सारे घर में इधरउधर पारस मणि खोजने लगे. मगर उन्हें जब संदूक और अन्य जगहों पर पारस मणि नहीं मिली तो संभावित जगहों पर उन्होंने कुदाली से खोद कर देखा.

जब कहीं भी पारस मणि नहीं मिली तो सभी दुखी हो गए और सिर पकड़ कर बैठ गए. सोचने लगे कि आखिर पारस मणि बाबूलाल ने कहा छिपाई हुई है.कुछ समझ में नहीं आया तो घर में बाबूलाल की पत्नी की ज्वैलरी और 23 हजार रुपए नकद कब्जे में ले कर रामवती को धमकी दे कर वहां से चले आए.
वे सभी जंगल में पहुंचे तो बाबूलाल को रस्सियों से बंधा हुआ पाया.

बाबूलाल से टेकचंद आदि ने फिर पूछताछ शुरू की. बाबूलाल चूंकि पारस मणि की झूठी अफवाह फैला चुका था, इसलिए अब लाख सफाई देने पर भी उस की बात कोई मानने को तैयार नहीं हुआ.
उस के साथ प्रताड़ना शुरू हो गई. बारबार उस से पूछा जाता कि बताओ कहां पर पारस मणि छिपा रखी है. जब वह नहीं बता पाया तो उसे सभी ने पीटपीट कर मार डाला. फिर उस की लाश लेवई गांव के पास कटरा जंगल में गड्ढा खोद कर दफना दी गई.

सुबह 9 जुलाई, 2022 दिन शनिवार को जब रामवती यादव ने गांव वालों को बताया कि कुछ लोग उस के घर पारस मणि ढूंढने आए थे. मणि नहीं मिली तो वे घर में लूटपाट कर के ले गए. जाते समय वे उसे धमकी भी दे गए थे. उस ने यह भी बताया कि पति बाबूलाल भी कल से लापता है.

यह सुन कर गांव वाले चिंतित हो गए और कयास लगाया जाने लगा कि जरूर कोई बड़ी घटना घटी है. इसलिए मामले की जानकारी पुलिस को देने में ही समझदारी होगी. तब रामवती यादव कुछ गांव वालों को ले कर जांजगीर थाने पहुंची और थानाप्रभारी उमेश साहू से मिल कर पूरी घटना की जानकारी दी. उमेश साहू ने मामले की जांच के लिए तत्काल स्टाफ को गांव मुनुंद घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया.

पुलिस टीम ने गांव में जांच करने के बाद थानाप्रभारी को बता दिया कि रामवती यादव सही बोल रही थी. थानाप्रभारी उमेश साहू को जब जांच में मामले की गंभीरता समझ में आई तो उन्होंने एसपी विजय अग्रवाल को पूरी घटना की जानकारी दे कर मामले की गंभीरता के बारे में बताया.

एसपी विजय अग्रवाल ने अन्य थानों के तेजतर्रार पुलिसकर्मियों को ले कर तत्काल जांच के लिए 4 टीमें गठित कीं. पुलिस टीम में थानप्रभारी उमेश साहू, इंसपेक्टर विवेक पांडेय, एसआई कामिल हक, अवनीश श्रीवास, सुरेश धुर्व, एएसआई संतोष तिवारी, हैडकांस्टेबल राजकुमार चंद्रा, मनोज तिग्गा, यशवंत राठौर, मुकेश यादव, मोहन साहू, जगदीश अजय, कांस्टेबल मनीष राजपूत, दिलीप, सिंह, प्रतीक सिंह के अलावा साइबर सेल टीम को शामिल किया गया. पुलिस टीमों ने मामले की जांच बड़ी तेजी से शुरू कर दी.जांच में पुलिस को यह पता चल गया था कि तांत्रिक बाबूलाल को राजेश हरबंस और शांतिबाई तांत्रिक क्रिया के लिए अपने साथ ले गए थे.

पुलिस ने जब दोनों को बुला कर पूछताछ की तो धीरेधीरे टेकचंद जायसवाल, रवि जायसवाल, प्रकाश जायसवाल, यासीन खान आदि के नाम भी सामने आ गए. पुलिस ने सभी को हिरासत में ले कर पूछताछ शुरू कर दी.

पुलिस पूछताछ में सब से पहले शांतिबाई यादव ने सब कुछ सचसच बता दिया. इस के बाद सभी को हिरासत में ले कर सभी से अलगअलग गहन पूछताछ की तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि उन्होंने पारसमणि पाने के चक्कर में तांत्रिक बाबूलाल यादव की पीटपीट कर हत्या की. फिर उस के शव को जंगल में ही गड्ढा खोद कर दबा दिया था. उस के कपड़े आदि जला दिए थे.

पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर जंगल में दफनाया गया बाबूलाल का शव बरामद कर लिया. इस के अलावा आरोपियों की निशानदेही पर रामवती के घर से लूटी हुई ज्वैलरी, 9 हजार रुपए नकदी, बाबूलाल को मारपीट करने के दौरान उपयोग हुए डंडे, शव को दफनाने में प्रयुक्त फावड़ा, कुदाली, सब्बल, घटना में प्रयुक्त 3 मोटरसाइकिलें, बाबूलाल का थैला, मोबाइल फोन व अन्य सामान जो आरोपियों ने लेवई के जंगल में जला दिए थे, उन के अधजले अवशेष भी लेवई जंगल से बरामद कर लिए.

पुलिस ने केस में हत्या तथा डकैती की धाराएं भी जोड़ दीं. आरोपियों को भादंवि की धाराओं 457, 458, 360, 395, 342, 302, 201, 120बी, 34 के तहत गिरफ्तार कर लिया.गिरफ्तार किए गए आरोपीगण टेकचंद जायसवाल, रामनाथ श्रीवास, राजेश हरबंस, मनबोधन यादव, छवि प्रकाश जायसवाल, यासीन खान, खिलेश्वर राम पटेल, तेजराम पटेल, अंजू कुमार पटेल एवं शांतिबाई यादव को पुलिस ने 15 जुलाई, 2022 को जांजगीर की कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. द्य

अधेड़ प्रेम की रुसवाई : भाग 2

किरणपाल उस की लाश से लिपट कर रोता रहा और फिर तमंचे की नाल अपनी कनपटी से सटा कर उस ने खुद को गोली मार ली और अपनी प्रेमिका को बाहों में भरेभरे मौत को गले लगा लिया. चंद मिनटों में ही दोनों की इहलीला समाप्त हो गई.

गांव के लोग तो पहली गोली की आवाज पर ही आसपास इकट्ठा हो गए थे, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं थी कि हाथ में तमंचा लहराते किरणपाल के नजदीक भी चला जाए.उस खौफनाक दृश्य को मिथिलेश के पति धीर सिंह ने भी अपनी आंखों से देखा. इस घटना के बाद वह शर्म और बदनामी से जैसे जमीन में गड़ा जा रहा था. किसी से आंख मिला कर बात करने की उस की हिम्मत नहीं थी.

आखिर जिस संबंध के बारे में बारबार पूछने पर भी उस की पत्नी साफ इंकार कर जाती थी, वह इस तरह पूरे गांव के सामने उजागर होगा, ऐसा तो उस ने ख्वाब में भी नहीं सोचा था. आखिर यह कोई उम्र थी ऐसी हरकतें करने की? जिस उम्र में गांवदेहात की औरतें नानीदादी बन जाती हैं, उस उम्र में उस की पत्नी प्रेम रचा कर बैठी थी? उफ!समाज में किसकिस तरह के नाजायज रिश्ते पनपते और जारी रहते हैं, यह घटना उस का उदाहरण है. मिथिलेश की उम्र 44 साल हो रही थी. वह न सिर्फ शादीशुदा थी, उस का पति उस के साथ रहता था बल्कि वह 2 शादीशुदा बेटियों की मां भी थी.

उधर उस का प्रेमी किरणपाल भी 4 बच्चों का बाप था. उस की भी उम्र 45-46 साल थी. घर में उस की पत्नी थी, जो कभी अपने पति से वह प्यार और विश्वास नहीं पा सकी, जिस की वह हकदार थी. पता नहीं 2 बेटियों की मां मिथिलेश में किरणपाल ने क्या देखा कि वह ऐसा लट्टू हुआ.बीते 10 सालों से दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था. कोई पति कितना भी छिपाना चाहे मगर पत्नी की नजरें भांप ही लेती हैं. मिथिलेश के कारण कई बार किरणपाल का अपनी पत्नी से झगड़ा हो चुका था.

लेकिन अधेड़ावस्था के इस प्रेम का अंजाम इतना भयावह होगा, इस की किसी को उम्मीद नहीं थी. दोनों को एकदूसरे से लिपटे हुए जिस हालत में लोगों ने मृत अवस्था में देखा, उस के बाद तो दोनों के घर वालों को लोग लानतें दे रहे थे.गांवोंदेहातों में अकसर पुरुष कमाई के लिए शहर चले जाते हैं. बीवीबच्चे गांव में ही रह जाते हैं. ऐसे में कई बार घर के अन्य पुरुषों से या बाहर के आदमियों से औरतों के नाजायज संबंध बन जाते हैं.

देहातों में अभी भी शौच आदि के लिए अनेक महिलाएं मुंहअंधेरे ही लोटा ले कर खेतों पर जाती हैं. यह वक्त प्रेमी जोड़ों के मिलन के लिए सब से उपयुक्त होता है. बहाना शौच का होता है और अंधेरे का फायदा भी मिलता है.देवरभाभी और जीजासाली संबंधों की कहानियां गांव की फिजा में ही ज्यादा सुनाई देती हैं. कुछ ऐसे ही संबंध 10 साल पहले मिथिलेश और किरणपाल के बीच भी बन गए, जब मिथिलेश का पति धीर सिंह काम के सिलसिले में बाहर गया था.

दुर्वेशपुर गांव के निवासी धीर सिंह की पत्नी मिथिलेश अपना घर संभालने के साथसाथ मजदूरी भी करती थी. धीर सिंह भी मेहनतमजदूरी के लिए कभी गांव में मनरेगा के तहत काम करता था तो कभी शहर चला जाता था. उस के 2 बेटियां थीं, जिन की शादियों की जिम्मेदारी पूरी करनी थी.लिहाजा पतिपत्नी दोनों मेहनत करते थे. मगर जब धीर सिंह शहर चला जाता था, तब मिथिलेश बहुत अकेलापन महसूस करती थी. 10 साल पहले इसी अकेलेपन में उस की दोस्ती किरणपाल से हो गई. किरणपाल दबंग टाइप का आदमी था. छोटीमोटी ठेकेदारी करता था. उस ने मिथिलेश को कई बार मजदूरी के काम पर लगाया और अच्छा मेहनताना दिया था.

किरणपाल को गोरी चमड़ी वाली मिथिलेश अच्छी लगने लगी. वह अकसर उस से बातें करने का मौका तलाशने लगा. मिथिलेश भी कभीकभी कनखियों से किरणपाल को देखती और मुसकरा देती. उस की इस अदा पर किरणपाल निहाल हो जाता था.धीरेधीरे दोनों के बीच दूरियां कम होने लगीं. बातचीत बढ़ने लगी. दोनों एक ही बिरादरी के थे. लिहाजा दोनों के बीच अकसर घरपरिवार और खानदान को ले कर लंबीलंबी बातें होती थीं.

मिथिलेश के घर से कोई 400 मीटर की दूरी पर किरणपाल का घर था. उस के घर में उस की पत्नी और 4 बेटे थे. मगर किरणपाल अब मिथिलेश का दीवाना हो गया था. वह उस से बेइंतहा प्यार करने लगा था.
वह उस की शारीरिक नजदीकियों की चाहत करने लगा था. पहले तो मिथिलेश ने किरणपाल की इस चाहत का दबादबा विरोध किया, लेकिन एक दिन धीर सिंह की गैरमौजूदगी में मिथिलेश के कदम बहक गए.

वह किरणपाल के मोहपाश में बंध गई. जब रहीसही दूरियां भी मिट गईं तो वह भी रातबिरात उस से मिलने आने लगी. दोनों छिपछिप कर खेतों में मिलते और रात भर एकदूसरे की बाहों में समाए रहते.
मिथिलेश को एक बार भी यह खयाल नहीं आया कि वह 2 जवान बेटियों की मां है. किरणपाल की दबंगई में उस को मर्द वाली बात लगती थी. फिर वह पैसे वाला भी था. वक्तजरूरत पर मिथिलेश की मदद भी करता था. यह सब बातें मिथिलेश को उस के बहुत करीब खींच ले गईं.

किरणपाल का साथ मिथिलेश को बहुत अच्छा लगता था. वहीं किरणपाल को भी इस बात का होश नहीं रहा कि घर में उस की पत्नी और 4 बेटे हैं. वह तो चाहता था कि मिथिलेश अपने पति को छोड़ कर हमेशा के लिए उस की हो जाए. इस के लिए वह अपना घर भी छोड़ने को तैयार था. मगर मिथिलेश इस बात के लिए राजी नहीं होती थी. खैर, यह प्रेम कहानी 10 साल चलती रही.

जीजा के प्यार का रस

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