रमा के पिता ने विजय को घर बुला कर कहा, ‘‘तुम घर के लड़के हो. रमा के लिए लड़के वाले देखने आए थे. उन्होंने रमा को पसंद कर लिया है. मैं चाहता हूं तुम मेरे साथ चलो. हम भी उन का घरपरिवार देख आएं.’’
विजय चाह कर भी मना न कर सका. लड़के वालों ने अच्छा स्वागतसत्कार किया. रमा के पिता ने विवाह की स्वीकृति दे दी.
विजय ने बातोंबातों में लड़के का मोबाइल नंबर ले लिया. साथ ही, घर का पता दिमाग में नोट कर लिया. विजय भलीभांति जानता था कि वह जो कर रहा है और करने वाला है, वह गलत है. लेकिन उस ने स्वयं को समझाया कि रास्ता गलत है, पर मकसद तो अपने प्यार को पाना है. विजय ने रमा के चरित्रहनन की झूठी कहानी बना कर लड़के के पते पर भेजी. साथ ही, रमा को पढ़ाने वाले प्रोफैसर, उस की सहेलियों को भी रमा के विषय में लिख भेजा.
एकदो पत्र तो उस ने महल्ले के लड़कों के नाम, एक अधेड़ प्रोफैसर के नाम इस तरह भेजे मानो रमा अपने प्रेम का इजहार कर रही हो. बात तेजी से फैली. कुछ लोगों ने रमा को पत्र का जवाब लिखा. कुछ लोगों ने उस के पिता को पत्र दिखाया. न जाने कितने प्रकार के अश्लील पत्र रमा की तरफ से विजय ने भेजे.
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कालेज, महल्ले में तमाशा खड़ा हो गया. रमा को समझ ही नहीं आया कि यह सब क्या हो रहा है. जितनी सफाई रमा और उस का परिवार देता, मामला उतना ही उछलता. लड़कियों को ले कर भारतीय समाज संवेदनहीन है. सब मजे लेले कर एकदूसरे को किस्से सुना रहे थे.
हालांकि समझने वाले समझ गए थे कि किसी ने शरारत की है लेकिन समझने के बाद भी लोग अश्लील पत्रों का आनंद ले कर एकदूसरे को सुना रहे थे. प्रोफैसर ने तो अपने कक्ष में बुला कर रमा को अपने सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘मैं भी तुम से प्यार करता हूं.’’ जब रमा ने थप्पड़ जमाया तब प्रोफैसर को समझ आया कि वे धोखा खा गए.
लड़के के मोबाइल पर अज्ञात नंबर से रमा का प्रेमी बन कर विजय ने यह कहते हुए जान से मारने की धमकी दी कि रमा और मैं एकदूसरे से प्यार करते हैं पर घर वाले उस की जबरदस्ती शादी कर रहे हैं. यदि तुम ने शादी की तो मार दिए जाओगे.
लड़के वालों के परिवार ने रिश्ता तोड़ दिया. अच्छीभली लड़की का पूरे महल्ले में तमाशा बन गया. बेगुनाह होते हुए भी रमा और उस का परिवार किसी से नजर नहीं मिला पा रहे थे.
विजय को अनोखा आनंद आ रहा था. उस के मातापिता का उजाड़ चेहरा देख कर उसे लग रहा था कि मंजिल अब करीब है.
रमा के पिता तो शहर छोड़ने का मन मना चुके थे. पुलिस में रिपोर्ट करने पर पुलिस अधिकारी ने उलटा उन्हें ही समझा दिया, ‘‘लड़की का मामला है, आप लोगों की खामोशी ही सब से बढि़या उत्तर है. जितनी आप सफाई देंगे, जांच करवाएंगे, आप की ही मुसीबत बढ़ेगी.’’
विजय को फोन कर के रमा के पिता ने अपने घर बुलाया. रमा की मां का रोरो कर बुरा हाल था. रमा के पिता ने उदास स्वर में विजय से कहा, ‘‘पता नहीं मेरी बेटी से किस की क्या दुश्मनी है कि उसे चरित्रहीन घोषित कर दिया. उस की शादी टूट गई. हम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. बेटा, तुम तो जानते हो रमा को अच्छी तरह से.’’
विजय ने अपनी खुशी को छिपाते हुए गंभीर स्वर में कहा, ‘‘जी अकंलजी, मैं तो बचपन से देख रहा हूं. रमा पाकपवित्र लड़की है. मैं तो आंख बंद कर के विश्वास करता हूं रमा पर.’’
‘‘बेटा, तुम रमा से शादी कर लो,’’ रमा के पिता ने हाथ जोड़ते हुए विजय से कहा, ‘‘मैं तुम्हारा जीवनभर ऋणी रहूंगा. अन्यथा हम तो शहर छोड़ कर जाने की सोच रहे हैं.’’ रमा दरवाजे के पास छिप कर सुन रही थी और देख रही थी अपने दबंग पिता को नतमस्तक होते हुए.