सत्यकथा- प्यार की ये कैसी सजा

सुबह के करीब 7 बजे होंगे. थानाप्रभारी आशीष चौधरी नाइट ड्यूटी से अपने घर लौटे थे. वरदी उतार कर खूंटी से टांग ही रहे थे कि उन के मोबाइल फोन की घंटी बज उठी. काल करने वाला उन के ही सिलवानी थाने का कांस्टेबल था. काल रिसीव करते ही आशीष चौधरी ने जैसे ही हेलो कहा, दूसरी तरफ से आवाज आई.

‘‘सर, जमुनिया घाटी पर कोई एक्सीडेंट हुआ है, जिस में 2 युवतियां घायल हुई हैं.’’

पूरी बात सुने बिना ही थानाप्रभारी ने निर्देश दिया ‘‘उन्हें तत्काल हौस्पिटल में एडमिट कराओ.’’

कांस्टेबल ने जानकारी देते हुए बताया, ‘‘सर, घायल युवतियों को एक एंबुलेंस चालक ने सिविल अस्पताल सिलवानी में भरती करा दिया है.’’

‘‘ओके, ड्यूटी पर तैनात स्टाफ को हौस्पिटल भेजो. मैं भी पहुंच रहा हूं.’’

इतना कह कर वह अपनी वरदी को खूंटी से उतार वह फिर से तैयार होने लगे. घर में उन की पत्नी ने शिकायती लहजे में कहा, ‘‘पुलिस की नौकरी में रातदिन चैन कहां.’’ यह बात 28 जून, 2021 की है.

यह पहला अवसर नहीं था, जब थानाप्रभारी आशीष घर लौटने के बाद फिर से ड्यूटी पहुंच रहे थे. पिछले 8-10 साल की नौकरी का उन का अनुभव यही था कि पुलिस की नौकरी में सातों दिन और चौबीसों घंटे अपना फर्ज निभाना पड़ता है.

सिलवानी थाने के प्रभारी आशीष चौधरी एसआई रामसुजान पांडे को साथ ले कर सिविल हौस्पिटल पहुंचे तो वहां का नजारा देख कर दंग रह गए. हौस्पिटल में भरती दोनों युवतियों के कपड़े खून से सने हुए थे.

दोनों युवतियों के गले पर बने घावों को देख कर सहज ही यह अनुमान लगाया जा सकता था कि इन दोनों को जान से मारने की नीयत से उन पर धारदार हथियार से हमला किया गया था.

हौस्पिटल में मौजूद पुलिस स्टाफ ने मेडिको लीगल एक्सपर्ट को बुलाया तो उन्होंने बताया कि दोनों युवतियां एक्सीडेंट में घायल नहीं हुई हैं. भोपाल से सिलवानी की तरफ आ रहे एंबुलेंस चालक शाहरुख खान को दोनों युवतियां जमुनिया घाटी के ऊपर सड़क पर घायल अवस्था में मिली थीं. शाहरुख की नजर खून से लथपथ सड़क पर पड़ी इन युवतियों पर पड़ी तो गाड़ी रोकी.

एंबुलेंस चालक ने तत्काल पुलिस को सूचना दी और वहां से निकल रहे एक डंपर को रोक कर ड्राइवर सुरेंद्र सिंह की मदद से दोनों को तत्काल सिविल अस्पताल सिलवानी ले कर आ गया.

पहले तो शाहरुख भी यही समझ रहा था कि किसी गाड़ी ने इन्हें टक्कर मारी होगी, लेकिन घायल युवतियों ने उसे बताया कि उन दोनों को धक्का दे कर घाटी से नीचे धकेला गया है.

युवतियों का प्राथमिक उपचार सिलवानी में कराने के बाद जब उन की हालत सामान्य हुई तो उन के बयान लिए गए. आगे के इलाज के लिए रायसेन जिला अस्पताल रेफर करने के पहले उन दोनों से पूछताछ की तो उन्होंने अपने नाम जरीना और तबस्सुम बताए. पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह दिल दहलाने वाली थी.

मंडला जिले की निवास तहसील में रहने वाले जाकिर खान (परिवर्तित नाम) की 2 बेटियां जरीना और तबस्सुम हैं. जाकिर खान की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी, इसलिए वह हमेशा इस बात के लिए चिंतित रहता कि बेटियों की शादी किस तरह होगी. जरीना और तबस्सुम आजाद खयालात रखने वाली थीं.

पिता के कंधों का बोझ कम करने के लिए 22 साल की जरीना और 20 साल की तबस्सुम करीब ढाईतीन साल पहले नौकरी की तलाश में भोपाल आ गईं. उन्हें भोपाल के आदर्श प्रिंटिंग प्रेस में काम मिल गया तो जरीना और तबस्सुम अशोका गार्डन में किराए के मकान में रहने लगीं.

करीब 2 साल पहले की बात है. दोनों बहनें प्रिंटिंग प्रेस पर अपने काम में व्यस्त थीं, तभी एक युवक प्रेस पर आया. काउंटर पर बैठी जरीना से वह वोला, ‘‘मुझे मैडिकल स्टोर्स की बिल बुक प्रिंट करानी है.’’

अपने काम में व्यस्त जरीना ने कागज पेन देते हुए उस नवयुवक से बिल बुक का मैटर बनाने को कहा. थोड़ी देर बाद जरीना ने नजरें उठा कर जैसे ही उस युवक को देखा तो बस देखती ही रह गई.

गोरे रंग के स्मार्ट लड़के ने उसे सम्मोहित कर दिया था. जरीना ने और्डर बुक करते हुए उस का नाम व मोबाइल पूछा तो उस लड़के ने अपना नाम निखिल गौर बताया.

21 साल का निखिल भोपाल के सुभाष नगर इलाके में रहता था. निखिल ने बिल बुक प्रिंट होने की जानकारी लेने के लिए जरीना का मोबाइल नंबर भी ले लिया.

बिल बुक प्रिंट होने की जानकारी लेने की गरज से निखिल और जरीना की रोज मोबाइल फोन पर बातें होने लगीं. इस तरह जरीना की निखिल से दोस्ती हो गई. तबस्सुम अब बड़ी बहन जरीना को घंटों फोन पर ही बिजी देखती.

कभीकभी निखिल अपने दोस्त करण परिहार को ले कर आदर्श प्रिटिंग प्रेस पर जरीना से मिलने जाता था. 20 साल का करण गोविंदपुरा भोपाल का रहने वाला था. जब निखिल जरीना के साथ प्यारमोहब्बत की बातें करता तो तबस्सुम और करण भी एकदूसरे से नजरें मिलाने लगे.

इसी दौरान तबस्सुम की दोस्ती भी करण सिंह परिहार से हुई जो पाइप फैक्ट्री में काम करता था.

अब दोनों बहनें दोस्तों की तरह अपने प्यार की चर्चा आपस में करती रहती थीं. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई .जब भी उन्हें समय मिलता वे अपने बौयफ्रैंड निखिल गौर और करण सिंह परिहार के साथ घूमने निकल जातीं.

किसी पार्क में दोनों प्रेमी जोड़े बाहों में बाहें डाले घूमते और एकांत पाते ही एकदूसरे को चूमते हुए प्यार का इजहार करते. दोनों बहनों का प्यार अब परवान चढ़ चुका था. जरीना और तबस्सुम अपने बौयफ्रैंड के बिना एक दिन भी नहीं रह पाती थीं.

उन्हें जब भी मौका मिलता अशोका गार्डन के किराए वाले कमरे में निखिल और करण को बुला लेतीं. जरीना और तबस्सुम के अपने प्रेमियों के साथ शारीरिक संबंध भी बनने लगे.

जवानी की दहलीज पर कदम रखने वाले इन प्रेमियों में तजुर्बे की कमी थी. भले ही वे प्रेम की पींगें बढ़ा रहे थे, मगर उन का प्यार वासना के रंग में रंगा हुआ था. यही वजह थी कि एकदूजे के प्यार में पागल प्रेमी जोड़े इस कदर डूब जाते कि उन्हें शारीरिक संबंध बनाते समय रखने वाली सावधानियों का ध्यान ही नहीं रहता.

बिना सोचेविचारे बनाए गए असुरक्षित यौन संबंधों के चलते जरीना और तबस्सुम पेट से हो गईं. पेट से होते ही दोनों अपने प्रेमियों पर शादी करने का दबाव बनाने लगीं.

निखिल और करण इतनी जल्दी शादी के लिए तैयार नहीं थे. पहले तो दोनों ने एक निजी क्लीनिक में उन का गर्भपात करा दिया और जब शादी का जिक्र होता तो दोनों चुप्पी साध कर रह जाते.

एक रात जरीना से मिलने निखिल उस के कमरे पर आया था. जरीना से मिलते ही निखिल उसे अपनी बाहों में भरने को बेताब हो रहा था, परंतु जरीना ने उसे अपने से दूर करते हुए निखिल से कहा, ‘‘देखो निखिल, तुम मेरी जिंदगी के साथ खिलवाड़ मत करो. मेरे साथ शादी कर लो, वरना मैं किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’

हमेशा की तरह निखिल ने जरीना का मन बहलाते हुए कहा, ‘‘मेरी जान, मैं शादी करने के लिए खुद तैयार हूं, लेकिन घर वाले आसानी से मानने वाले नहीं हैं. मुझे डर है कि वे कोई बखेड़ा खड़ा न कर दें.’’

‘‘प्यार में डर कैसा निखिल, हम कहीं मंदिर में शादी कर लेते हैं.’’ जरीना बोली.

‘‘मैं करण से बात कर के कोई तरकीब सोचता हूं, मुझे थोड़ा वक्त और दो जरीना.’’ निखिल ने उस के माथे को चूमते हुए कहा.

उस दिन के बाद निखिल जब करण से मिला तो करण ने बताया कि तबस्सुम भी उस पर शादी करने दबाब डाल रही है.

दोनों ने प्यार के नाम पर मजे तो खूब लूट लिए, मगर शादी करने के नाम से उन के पसीने छूट रहे थे. निखिल और करण को यह उम्मीद कतई नहीं थी कि ये लड़कियां हाथ धो कर उन के पीछे ही पड़ जाएंगी.

निखिल के पिता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था. घर में उस की मां और एक भाई था. मां को उस से काफी उम्मीदें थीं. करण के पिता रात की पारी में सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करते थे.

निखिल और करण को पता था कि दूसरे धर्म की लड़कियों से उन के घर वाले कभी शादी करने की इजाजत नहीं देंगे. रातदिन निखिल और करण इसी चिंता में परेशान रहने लगे. उन का प्यार का भूत उतर चुका था.

जरीना और तबस्सुम के साथ जीनेमरने की कसमें खाने वाले निखिल और करण ने आखिरकार ऐसा निर्णय ले लिया, जिस की कल्पना जरीना और तबस्सुम ने कभी सपने में भी नहीं की होगी.

दोनों ने अपनी प्रेमिकाओं को हमेशा के लिए अपने रास्ते से हटाने की योजना बना ली. निखिल और करण ने जरीना और तबस्सुम को झांसा दिया कि हम लोग शादी करने को राजी हैं. करण ने चालबाजी के साथ कहा ‘‘भोपाल में शादी करने में घर वाले रोड़ा बन सकते हैं.’’

निखिल ने बात को आगे बढ़ाते हुए सुझाव दिया, ‘‘मेरे एक चाचा रायसेन जिले के सिलवानी में रहते हैं. हम ने उन के बेटे अंकित को सब कुछ बता दिया है. हम वहां पहुंच कर शादी कर लेंगे.’’

जरीना और तबस्सुम निखिल और करण के शादी के लिए रजामंद होने से खुशी के मारे चहक रही थीं. योजना के मुताबिक निखिल व करण ने दोनों युवतियों को सिलवानी चलने को कहा.

रविवार 27 जून, 2021 की शाम को 6 बजे निखिल व करण तथा जरीना और तबस्सुम को ले कर भोपाल से सिलवानी के लिए दीपक ट्रेवल्स की एक बस में सवार हो कर रवाना हो गए.

रात करीब 11 बजे सिलवानी पहुंचने से पहले ही योजनाबद्ध तरीके से युवकों ने बस को जमुनिया घाटी के पास रुकवाया. बस के रुकते ही चारों लोग बस से उतर गए. निखिल का चचेरा भाई अंकित पटेल बाइक ले कर वहां पहले से उन का इंतजार कर रहा था. अंकित पहले बाइक पर करण व तबस्सुम को बैठा कर घाटी की ओर ले गया. तबस्सुम दोनों के बीच में बैठी थी.

बमुश्किल 2-3 किलोमीटर का फासला तय हुआ था कि करण ने तबस्सुम के दुपट्टे से गले में फंदा डाल दिया. पहले तो तबस्सुम को लगा कि करण उस के साथ कोई चुहलबाजी कर रहा है, मगर जब उस का दम घुटने लग तो वह तड़पने लगी. फिर बाइक रोक कर दोनों ने तबस्सुम पर चाकू से हमला कर के उसे वहीं छोड़ दिया.

फिर अंकित अकेला बाइक ले कर निखिल और जरीना को लेने चला गया. जरीना के वहां पहुंचते ही निखिल ने उस के सिर पर पत्थर से हमला कर दिया. अचानक हुए इस हमले से जरीना बेहोश हो गई. दोनों बहनों को गंभीर रूप से घायल कर मरणासन्न हालत में निखिल, करण और अंकित ने घाटी के नीचे जंगल में फेंक दिया.

तीनों वहां से बाइक से नौनिया बरेली गांव पहुंच गए. वहां जा कर उन्होंने एक हैंडपंप पर अपने कपड़ों पर लगे खून के दागधब्बों को धो लिया. इस के बाद निखिल और करण को सुबह की बस में भोपाल की ओर रवाना कर अंकित वहां से अपने गांव मढि़या पगारा चला गया.

रात के चौथे पहर में जब जरीना और तबस्सुम को होश आया तो उन्होंने अपने आप को एक गहरी खाई में पाया. खून से लथपथ दोनों बहनें दर्द से कराह रही थीं. हिम्मत जुटा कर जैसेतैसे दोनों बहनें धीरेधीरे घाटी चढ़ कर सड़क पर आ गईं.

तब तक सुबह का उजाला दिखने लगा था. दोनों बहनें सड़क से गुजरने वाले वाहनों को हाथ हिला कर रोकने का इशारा करतीं, मगर कोई उन की मदद के लिए नहीं रुक रहा था.

तभी भोपाल से सिलवानी की तरफ जा रहे एक एंबुलेंस के चालक शाहरुख की नजर सड़क पर खून से लथपथ उन दोनों बहनों पर पड़ी. उस ने एंबुलेंस रोक कर देखा तो दोनों के कपड़े खून से सने थे और वे दर्द से कराह रही थीं.

शाहरुख ने सड़क से गुजर रहे एक डंपर को रोक कर उस के ड्राइवर से मदद मांगी. डंपर ड्राइवर सुरेंद्र सिंह की मदद से दोनों बहनों को वह सिलवानी अस्पताल ले आया. इस तरह जरीना और तबस्सुम की जान बच गई.

सिलवानी थानाप्रभारी आशीष चौधरी सूचना मिलते ही अपने स्टाफ के साथ अस्पताल पहुंच गए तथा युवतियों का प्राथमिक उपचार सिलवानी में कराने के बाद रायसेन जिला अस्पताल भिजवा दिया.

दोनों बहनों की हालत में सुधार होने पर उन के बयान के आधार पर पुलिस ने निखिल गौर निवासी सुभाष नगर भोपाल, करण सिंह परिहार निवासी गोविंदपुरा, भोपाल और अंकित पटेल निवासी मढि़या पगारा, सिलवानी के खिलाफ भादंवि की धारा 307, 201, 34 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

अपने जिन प्रेमियों निखिल और करण परिहार के लिए दोनों बहनों ने घरपरिवार तक छोड़ दिया, उन्होंने ही दोनों बहनों को मौत की कगार पर ला खड़ा किया. रात के अंधेरे में दोनों बहनों पर धारदार हथियारों से हमला किया और मृत समझ कर घाटी से नीचे फेंक कर फरार हो गए.

जरीना और तबस्सुम को मरा समझ कर गहरी घाटी में धकेल कर निखिल और करण निश्चिंत हो गए थे. अपने प्लान को सफल मान कर वे बस में सवार हो कर भोपाल अपने घर जा रहे थे. दोनों को अब इस बात का सुकून मिल गया था कि अब उन्हें जबरदस्ती उन लड़कियों से शादी नहीं करनी पड़ेगी.

सुबह करीब 9 बजे दोनों बस से उतर कर अपनेअपने घर चले गए.

रायसेन जिले की एसपी मोनिका शुक्ला ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए सिलवानी पुलिस टीम को जल्द ही दोनों आरोपी प्रेमियों को गिरफ्तार करने के निर्देश दिए.

सिलवानी पुलिस ने सब से पहले मढि़या पगारा गांव के अंकित को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो उस ने बताया कि अपने चचेरे भाई निखिल के कहने पर वह बाइक ले कर जमुनिया घाटी पहुंचा था.

निखिल और करण की तलाश में सिलवानी पुलिस थाने की एक टीम भोपाल रवाना हो गई. भोपाल के अशोका गार्डन थाना पुलिस की मदद से निखिल और करण के बताए गए पते पर पहुंची तो दोनों घर पर ही मिल गए. पुलिस को घर आया देख कर उन के हाथपैर कांपने लगे.

दोनों को हिरासत में ले लिया. अशोका गार्डन पुलिस थाने ला कर उन से पूछताछ की तो निखिल और करण ने पूरी सच्चाई पुलिस को बता दी.

निखिल और करण की निशानदेही पर वारदात के समय प्रयुक्त चाकू और मुंह बांधने का एक कपड़ा पुलिस ने घटनास्थल से बरामद कर लिया.

युवतियों के बयान के आधार पर पुलिस ने भोपाल अशोका गार्डन पुलिस की मदद से आरोपी तीनों युवकों निखिल गौर, करण सिंह परिहार और अंकित पटेल को हिरासत में ले कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हे बेगमगंज जेल भेज दिया गया.

नौकरी की तलाश में भोपाल आईं 2 सगी बहनें जवानी की इस उम्र में प्यार तो कर बैठीं, मगर उन्हें यह मालूम नहीं था कि दुनिया में प्यार के नाम पर धोखा देने वालों की कमी नहीं है.

प्यार का नाटक कर वासना की आग बुझाने वाले निखिल और करण को जरीना और तबस्सुम ने अपने प्रेमियों को भरपूर प्यार दिया, मगर दोनों प्रेमियों ने उन्हें प्यार की जो सजा दी उसे वे ताउम्र नहीं भूल सकतीं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में पीडि़त युवतियों के भविष्य को देखते हुए उन के नाम परिवर्तित कर दिए हैं.

सत्यकथा: मददगार बने यमदूत

रात 9 बजे संध्या की अपने पति रंजीत खरे से मोबाइल पर बात हुई. संध्या ने पति से पूछा, ‘‘पार्टी से कितने बजे तक घर आ जाओगे?’’

‘‘अभी पार्टी शुरू होने वाली है, थोड़ा टाइम लगेगा. जैसे ही मैं यहां से निकलूंगा, फोन कर के बता दूंगा,’’ रंजीत ने बताया.

आगरा के सिकंदरा हाईवे स्थित सनी टोयोटा कार शोरूम में बौडी शौप मैनेजर रंजीत खरे 18 अक्तूबर, 2021 की रात को दोस्तों के साथ पार्टी मनाने सिंकदरा में एक दोस्त के यहां गए थे. उन्होंने घर वालों से फोन पर रात में घर आने की बात कही थी.

आगरा के मोती कटरा निवासी 45 वर्षीय रंजीत खरे के कार शोरूम के एक कर्मचारी दुर्गेश को दूसरी कंपनी में नौकरी मिल गई थी. उस ने ही कारगिल पैट्रोल पंप के पास स्थित एक रेस्टोरेंट में विदाई पार्टी रखी थी. रंजीत उसी में शामिल होने के लिए गए थे.

देर रात तक जब रंजीत मोती कटरा स्थित अपने घर नहीं पहुंचे तो पत्नी व अन्य भाइयों को चिंता हुई. इस पर छोटे भाई अमित ने रात पौने 12 बजे रंजीत को फोन लगाया. बातचीत में रंजीत ने बताया कि 20 मिनट में घर पहुंच जाएगा.

घर वाले रंजीत का इंतजार करते रहे. जब साढ़े 12 बजे तक रंजीत घर नहीं आए तो चिंता बढ़ गई. अमित ने फिर फोन लगाया, लेकिन फोन स्विच्ड औफ मिला. मोबाइल बंद होने पर घर वाले परेशान हो गए.

उस ने रंजीत के मित्र दुर्गेश को जब फोन मिलाया तो उस ने बताया, ‘‘रंजीत खाना खा कर लगभग 2 घंटे पहले ही अपनी कार से चले गए थे.’’

लेकिन वह घर नहीं पहुंचे थे. आखिर रंजीत बिना बताए कहां चले गए? घर वाले सारी रात बेचैनी से रंजीत का इंतजार करते रहे. बारबार वह रंजीत को फोन मिला रहे थे, लेकिन उन का फोन बंद मिल रहा था.

इस से घर वालों की चिंता बढ़ रही थी. अगली सुबह रंजीत को तलाशने के लिए घर वाले निकल पड़े. शोरूम के साथ ही सभी दोस्तों, यहां तक कि रिश्तेदार व अन्य परिचितों के यहां उन्हें तलाशा. लेकिन रंजीत कहीं नहीं मिले.

परिवार के लोग 19 अक्तूबर, 2021 मंगलवार को रंजीत के लापता होने की सूचना थाने में दर्ज कराने की तैयारी कर रहे थे. इसी दौरान दोपहर 12 बजे उन्हें मुरैना (मध्यप्रदेश) के सराय छौला थाने से सूचना दी गई कि रंजीत खरे का शव चंबल नदी के पास हाईवे किनारे पड़ा मिला है.

मृतक रंजीत आगरा में ही सनी टोयोटा कार के शोरूम में पदस्थ थे. 4 भाइयों में वे सब से बड़े थे. आगरा में ही पैतृक मकान में अपने तीनों छोटे भाइयों विक्रांत खरे, सुरजीत खरे व सब से छोटे भाई अमित खरे के साथ रहते थे. भाइयों ने इस संबंध में पुलिस से जानकारी ली.

पुलिस के अनुसार शव की पहचान शर्ट पर लगे टोयोटा के बैज (लोगो) से हुई थी. मृतक रंजीत की कार, मोबाइल, सोने की अंगूठी, पर्स, एटीएम कार्ड आदि लाश के पास नहीं मिले थे. सूचना मिलते ही मृतक रंजीत खरे के तीनों भाई अमित, विक्रांत और सुरजीत मुरैना पहुंच गए.

मृतक के गले, चेहरे व सिर पर धारदार हथियारों के निशान दिखाई दे रहे थे. घटनाक्रम से लग रहा था कि हत्यारों ने रंजीत का घर आते समय रास्ते से किसी तरह कार सहित अपहरण कर लिया. उन की कार के साथ सभी सामान भी लूट लिया और उन की हत्या कर शव को मुरैना फेंक कर फरार हो गए.

मृतक के भाइयों के अनुसार रंजीत की हत्या सिकदंरा में ही की गई थी. हत्या के बाद हत्यारे उन के शव को मुरैना फेंक आए थे. क्योंकि रात को जब रंजीत से उन की बात हुई थी, तब उन्होंने कहा था कि वह 20 मिनट में घर पहुंच जाएंगे. इस के बाद उन का फोन बंद हो गया था.

चंबल नदी के पास मिला था शव

थानाप्रभारी सराय छौला जितेंद्र नागाइच के अनुसार अल्लाबेली चौकी के पास मंदिर से 15-20 कदम दूर चंबल नदी के पास हाईवे पर रंजीत का शव मिला था. शव की शिनाख्त मृतक की शर्ट पर टोयोटा के लोगो से हुई. लोगो देख कर पुलिस ने कार कंपनी से संपर्क किया, तब पता चला कि मृतक आगरा निवासी रंजीत खरे हैं. थानाप्रभारी के अनुसार इस संबंध में जांच की जा रही है.

मुरैना पुलिस ने मृतक के शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया था, लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया. परिजनों ने जब आगरा में थाना सिकंदरा में मुकदमा दर्ज कराना चाहा, तो घटनास्थल मुरैना का होने के कारण वहां की पुलिस भी मुकदमा लिखने को तैयार नहीं हुई.

इसी बीच 20 अक्तूबर बुधवार की दोपहर को रकाबगंज पुलिस चौकी क्षेत्र में आगरा फोर्ट स्टेशन के बाहर लावारिस हालत में एक कार पुलिस को खड़ी मिली. कार टैक्सी स्टैंड की पार्किंग के पास खड़ी थी. उस पर नंबर प्लेट नहीं थी. कार कौन और कब ले कर आया, पता नहीं चला.

कार का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त भी था. तलाशी में नंबर प्लेट कार के अंदर ही मिल गई. नंबर प्लेट से कार मालिक की जानकारी हुई. तब देर रात परिजनों को चौकी इंचार्ज संतोष गौतम ने कार के बारे में जानकारी दी.

मुकदमा लिखाने को भटकते रहे घर वाले

मुकदमा लिखाने के लिए परिजन फुटबाल बन गए. रंजीत के परिजनों का रोरो कर हाल बेहाल हो रहा था.

जब मुरैना पुलिस और थाना सिकंदरा पुलिस भी मुकदमा लिखने को तैयार नहीं हुई तो मृतक के भाई विक्रांत खरे 22 अक्तूबर शुक्रवार को एडीजी (जोन) राजीव कृष्ण से मिले और कहा कि यदि मुकदमा नहीं लिखा जाएगा तो हत्यारे कैसे पकड़े जाएंगे.

जब राजीव कृष्ण के संज्ञान में यह मामला आया, तब उन्होंने थाना सिकंदरा पुलिस को हत्या का मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए. शाम को अज्ञात के खिलाफ हत्या और साक्ष्य मिटाने की धारा में मुकदमा थाना सिकंदरा में दर्ज कर लिया गया.

मुकदमा दर्ज होने के बाद सिकंदरा पुलिस ने तेजी से जांच शुरू कर दी. इस संबंध में घर वालों से पूछताछ की गई. उन्होंने बताया कि सिकदंरा क्षेत्र में रंजीत का मित्र दुर्गेश रहता है. उस ने पार्टी दी थी शाम को साढ़े 5 बजे रंजीत उसी पार्टी में शामिल होने शोरूम से सीधे चले गए थे.

पत्नी संध्या ने पुलिस को बताया, ‘‘पति सोमवार की सुबह 9 बजे शोरूम गए थे. रात में करीब 9 बजे फोन पर बात हुई. इस के बाद भाई अमित से रात लगभग पौने 12 बजे बात हुई. उन्होंने अमित से 20 मिनट में घर आने की बात कही. लेकिन नहीं आए. इस के बाद मोबाइल भी बंद हो गया.’’

जांच में पुलिस को पता चला कि रंजीत शाम साढ़े 5 बजे शोरूम से पार्टी के लिए निकले थे. वह रात पौने 12 बजे तक जीवित थे. इस के बाद ही उन का अपहरण कर हत्या कर दी गई. लाश को कार से ले जा कर मुरैना में फेंका गया. इस के बाद हत्यारों ने कार आगरा ला कर लावारिस छोड़ दी.

जांच में कार के अंदर खून के निशान भी मिले थे. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही थी कि क्या रंजीत की हत्या कार में करने के बाद उन की लाश को किसी अन्य वाहन से मुरैना ले जाया गया था अथवा उन्हीं की कार से शव को ले जा कर वहां फेंका गया था?

पुलिस ने दुर्गेश से भी इस संबंध में पूछताछ की. दुर्गेश ने पुलिस को बताया, ‘‘रंजीत लगभग साढ़े 9 बजे रात में पार्टी से चले गए थे.’’

पार्टी रेस्टोरेंट की जगह दुर्गेश के फ्लैट पर ही आयोजित की गई थी. पुलिस द्वारा अब तक की गई छानबीन में रंजीत द्वारा 4 दोस्तों के साथ पार्टी करने की जानकारी सामने आई थी. पुलिस उन चारों की काल डिटेल्स और लोकेशन की जांच में जुट गई. पुलिस ने क्षेत्र के सीसीटीवी कैमरे भी चैक किए.

काफी हाथपैर मारने के बाद भी पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल रहा था. पुलिस कयास लगा रही थी कि रंजीत के हत्यारे आगरा के ही निवासी हैं. वे हत्या व लूट की घटना को अंजाम देने के बाद शव को ठिकाने लगा कर वापस आगरा आ गए होंगे. कार से उन्हें अपने पकड़े जाने का खतरा होगा, इसलिए उसे लावारिस हालत में छोड़ गए.

जांच में सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में सामने आया कि घटना वाली रात 1 बज कर 13 मिनट पर रंजीत की कार ने सैंया टोल पार किया था.

इस से इतना तो साफ हो गया कि रंजीत की कार में ही हत्या की गई थी. क्योंकि कार में खून के निशान मिले थे. पहले उसी कार से शव को मुरैना ले जा कर ठिकाने लगाया गया. उस के बाद वापस लौट कर कार को लावारिस छोड़ दिया गया. मतलब साफ था कि हत्यारे आगरा के ही हैं.

पुलिस मृतक के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स खंगालने में जुट गई, जिस से यह पता चल सके कि हत्या वाले दिन रंजीत की किनकिन लोगों से बात हुई थी. वहीं दोस्तों के बारे में भी जानकारी जुटाने में पुलिस लग गई.

एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने सिकंदरा थाने के इंसपेक्टर विनोद कुमार के नेतृत्व में गठित टीम को कुछ दिशानिर्देश दे कर इस मामले में लगाया. पहले दिन यह नहीं पता था कि हत्या क्यों हुई है, किस ने की है? कार मिल गई है. इस कारण यह लगने लगा है कि मामला कार लूट के लिए हत्या का नहीं है. पुलिस को सर्विलांस से भी कुछ सुराग मिले.

एसएमएस से खुला राज

रंजीत खरे के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच के दौरान पुलिस के हाथ एक महत्त्वपूर्ण सुराग लगा. हुआ यह कि जांच के दौरान रंजीत खरे के मोबाइल पर एक एसएमएस आया था कि जिस नंबर पर उन्होंने मिस काल दी थी, वह नंबर चालू हो गया था.

हुआ यह था कि जिस नंबर को रंजीत ने मिलाया था, उस समय वह स्विच्ड औफ था. जब वह मोबाइल चालू किया गया तो रंजीत के मोबाइल पर उस नंबर से एसएमएस आ गया.

जांच में पुलिस ने इस नंबर की काल डिटेल्स निकाली. जिस रास्ते से रंजीत की कार को ले जाया गया था, उसी रास्ते पर उस की लोकेशन मिली.

इस केस से जुड़े रहस्य की तब परतें खुलनी शुरू हो गईं. यह मोबाइल नंबर आगरा में हौस्पिटल रोड पर स्थित शिवपुरी कालोनी निवासी अर्जुन शर्मा का था. पुलिस ने उस की फोटो से उसे पहचान लिया.

अर्जुन का नाम सामने आते ही पुलिस के कान खड़े हो गए. थाना में उस का पुराना आपराधिक रिकौर्ड था. पुलिस उस के घर पहुंची, वह फरार था. उस का मोबाइल भी बंद था. अर्जुन शर्मा 2 बार पहले भी हत्या के आरोप में जेल जा चुका है. हत्या की दोनों वारदातों के समय वह नाबालिग था. लेकिन वह इस समय 20 साल का हो चुका था.

पुलिस सरगर्मी से उस की तलाश में जुट गई. घटना के 5 दिन बाद यानी 23 अक्तूबर को जैसे ही अर्जुन अपने घर पहुंचा, मुखबिर ने पुलिस को जानकारी दे दी. पुलिस ने उसे व उस के साथी रोशन विहार, सिकंदरा निवासी अमन शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया.

थाने ला कर उन से पूछताछ की गई तो दोनों ने रंजीत खरे की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने एक .315 बोर का तमंचा व कारतूस के साथ ही रंजीत की हत्या के बाद उन का लूटा हुआ कुछ सामान भी बरामद कर लिया.

अभियुक्तों की गिरफ्तारी पर एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए रंजीत खरे हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. हत्याकांड के पीछे रंजीत खरे की कार, नकदी, आभूषण आदि लूटना था.

मददगारों को पार्टी देना पड़ा भारी

पकड़े गए आरोपियों में अर्जुन शर्मा शातिर बदमाश था. अर्जुन ने 2017 में हत्या की थी इस के बाद वर्ष 2019 में भी हत्याकांड को अंजाम दिया. वह जेल से जमानत पर आया था. अब उस ने तीसरी हत्या को अंजाम दिया है. अर्जुन और अमन दोस्त हैं. दोनों ने एक साथ इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की थी.

हत्याभियुक्त अमन का किरावली में बाइक का शोरूम है. अभियुक्तों से पूछताछ के बाद इस सनसनीखेज हत्याकांड व लूट की कहानी जो सामने आई, वह इस तरह थी—

रंजीत की कार घटना से एक दिन पहले ककरैठा के पास नाले में फंस गई थी. कार के अगले 2 पहिए नाले में फंस जाने से कार बाहर नहीं निकल पा रही थी. रंजीत ने कार को नाले से निकलवाने में रास्ते से बाइक पर जा रहे 2 युवकों से मदद मांगी थी.

युवकों ने नाले से रंजीत की कार को बाहर निकलवाने में मदद कर दी. मदद करने के कारण दोस्ती जैसा माहौल हो गया.

उस समय रंजीत नशे में थे. उन्होंने अपना नाम रंजीत खरे बताया और जानकारी दी कि वह कार शोरूम का मैनेजर है. रंजीत जिंदादिल इंसान थे. उन्होंने दोनों युवकों को इसी बातचीत के दौरान शराब की पार्टी का औफर दिया. इस पर उन में से एक युवक का रंजीत ने मोबाइल नंबर ले लिया.

कार निकलवाने में मदद के दौरान अर्जुन और अमन को लगा कि इस के पास बहुत पैसे होंगे. जो मामूली मदद पर शराब की पार्टी देने को तैयार हो गया. रहनसहन देख कर दोनों की नीयत में खोट आ गई.

दूसरे दिन यानी 18 अक्तूबर, 2021 को पार्टी की बात तय हुई. रंजीत ने सोचा कि वह दोस्त दुर्गेश की पार्टी में जाने की कह कर आया है, इसी बहाने दोनों नए दोस्तों को भी पार्टी दे दी जाए.

शराब में मिला दी थीं नींद की गोलियां

रंजीत अपने दोस्त दुर्गेश की पार्टी में शामिल होने के बाद रात साढ़े 9 बजे घर जाने की बात कह कर वहां से निकल गए. इस के बाद तय स्थान पर दोनों मददगार अनजान दोस्त अर्जुन और अमन मिल गए.

रंजीत ने दोनों को अपनी कार में बैठा लिया. दोनों युवक कार को हाईवे पर ले गए. कार को रास्ते में रुकवा कर कार में ही पार्टी शुरू हो गई.

दोनों दोस्तों ने शराब में नींद की गोलियां मिला कर रंजीत को शराब पिला दी. कुछ ही देर में रंजीत पर बेहोशी छाने लगी. दोनों ने इसी दौरान रंजीत को दबोच लिया और उन के सिर, गरदन व चेहरे पर कार के व्हील पाना से प्रहार कर हत्या कर दी.

रंजीत के पर्स में रखे 4 हजार रुपए, अंगूठी, चैकबुक, एटीएम, मोबाइल आदि लूट लिए. शव को कार की डिक्की में डाल कर ठिकाने लगाने के लिए मुरैना की ओर जा रहे थे. सैंया टोल क्रास कर गए. हड़बड़ी में यह ध्यान नहीं रहा कि कार में लगे फास्टटैग से कार की एंट्री हो गई थी.

दोनों घबरा गए कि अब पकड़े जाएंगे. इसलिए लाश को ठिकाने लगाने के बाद पुलिस की नजरों से बचने के लिए कार की नंबर प्लेट निकाल कर कार में डाल दी और फास्टटैग को हटा दिया ताकि पहचान न हो सके.

टोल पर गाड़ी का गलत नंबर बता कर नकद भुगतान कर परची कटाई. कार को लूटने पर पकड़े जाने का खतरा था, इसलिए कार फोर्ट स्टेशन पर खड़ी कर दी. कार की चाबी भावना एस्टेट के पास फेंक दी.

पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों अर्जुन शर्मा व अमन शर्मा को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल दिया गया.

अनजान व्यक्तियों से मदद लेना रंजीत के लिए जानलेवा साबित हुआ. मददगारों ने दोस्त बन कर रंजीत के ठाठ देख कर बड़ा आदमी समझा और लालच में हत्या व लूट की घटना को अंजाम दे कर एक हंसतेखेलते परिवार को उजाड़ दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Manohar Kahaniya: पति पर पहरा

सौजन्य- मनोहर कहानियां

कोई भी महिला इस बात को हरगिज बरदाश्त नहीं कर सकती कि उस के पति के किसी और महिला से संबंध हों. दिल्ली की रीना गुलिया को जब पता चला कि उस के पति नवीन गुलिया का किसी लड़की से चक्कर चल रहा है, तब वह उस पर वीडियो कालिंग कर के नजर रखने लगी.

रीना गुलिया को पिछले 5 महीने से लगने लगा था कि उस के ग्लैमर और खूबसूरती में कमी आ गई है.

वह एक बच्चे की मां थी और पति नवीन गुलिया केबल कारोबारी. पति पहले की तरह अब उस की तारीफ नहीं करता था और न ही उस को कहीं घुमानेफिराने ले कर जाने की बातें ही करता था.

कनाट प्लेस में कैंडल डिनर और टूरिस्ट प्लेस के लिए डेटिंग तो बीते जमाने की बातें हो चुकी थीं. हर बात पर उसे झिड़की सुनने को मिलती थी. वह उस के प्यार में आई नीरसता और व्यवहार के रूखेपन से चिंतित होने लगी थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि उस में इस तरह का बदलाव क्यों और कैसे आ गया है.

नवीन के स्वभाव में आए अचानक फर्क से रीना का चिंतित होना स्वाभाविक था. पहले तो उस ने सोचा कि शायद ऐसा लंबे समय से लौकडाउन के बाद कारोबार में बिजी होने की वजह से होगा, किंतु एक दिन नवीन को चार्मिंग फेस के साथ फोन पर बातें करते सुना. फोन पर लंबी बातचीत करने पर रीना को बेहद आश्चर्य हुआ.

रीना ने अपने सिक्स्थ सेंस से इतना तो अंदाजा लगा ही लिया था कि नवीन की जरूर किसी लड़की से बातें हो रही होंगी. उस के बारे में सीधेसीधे पूछने के बजाय उस ने उस पर निगरानी शुरू कर दी.

रीना का शक सही निकला. जल्द ही उसे पता चल गया कि नवीन किसी भारती नाम की लड़की से बातें करता है. फिर क्या था, रीना का पति को अंकुश में रखने का सिलसिला शुरू हो गया.

एक दिन जब पति घर से बाहर गया हुआ था तो रीना ने शाम के समय उसे वीडियो काल कर के पूछा, ‘‘नवीन तुम कहां हो?’’

‘‘गजब का सवाल करती हो. वीडियो काल किया है तो अंदाजा लगा लो. वैसे दिखाता हूं… देखो मालवीय नगर मेट्रो स्टेशन का मेनगेट दिखा?’’ कहते हुए नवीन ने मोबाइल कैमरे को मेट्रो स्टेशन की तरफ घुमा दिया.

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‘‘अरे…अरे, तुम तो नाराज हो गए. दरअसल, मुझे कालकाजी मंदिर जाना था, इसलिए मैं पूछ रही थी,’’ रीना बोली.

‘‘इस बारे में सुबह ही बताना था. मैं बस पर्किंग से गाड़ी ले कर मार्केट होता हुआ पहुंच रहा हूं. वैसे भी इस समय वहां जाएंगे तो काफी जाम में फंस जाएंगे,’’ नवीन बोला.

‘‘चलो कोई बात नहीं, अगले शुक्रवार को चलते हैं.’’ रीना बोली और फोन कट

कर दिया.

नवीन बड़बड़ाने लगा, ‘‘…पता नहीं इसे आजकल क्या हो गया है. बातबात पर वीडियो काल करती रहती है. मेरी भी कोई प्राइवेसी है या नहीं?’’

नवीन थोड़े समय में ही घर आ गया था. साथ में 3 बर्गर भी लाया था. उस का 7 वर्षीय बेटा बोल पड़ा, ‘‘पिज्जा नहीं लाए? उस के साथ कोका कोला भी मिलता है.’’

नवीन का चल रहा था भारती से चक्कर

नवीन कुछ बोलने को ही था कि उस का फोन आ गया. उस ने झट से काल रिसीव किए बगैर काट दिया. क्योंकि फोन भारती का ही था. अपने हिस्से का एक बर्गर लिया और वह छत पर चला गया.

छत पर पहुंच कर नवीन ने भारती को फोन मिलाया, ‘‘हां, हैलो, बताओ मेरी जान. कैसे फोन किया? तुम्हें मैं ने कहा है कि मुझे काल मत किया करो, मैसेज भेज दो. मैं खुद ही काल कर लूंगा.’’

‘‘अरे नवीन, मैं ने तुम्हें एक खुशखबरी देने के लिए फोन किया था. मैं संडे को देहरादून जा रही हूं. साथ चलोगे क्या?’’ भारती बोली.

‘‘संडे को यानी परसों. देखता हूं… तुम्हारे लिए तो समय निकालना ही पड़ेगा. रीना से कोई नया झूठ भी बोलना पड़ेगा,’’ नवीन

ने कहा.

‘‘झूठ नहीं, बहाना बनाना पड़ेगा.’’ कहती हुई भारती हंस पड़ी. नवीन भी हंस पड़ा और बर्गर की एक बाइट ले कर चबाने लगा.

‘‘तुम कुछ खा रह हो न! वह भी अकेलेअकेले?’’ भारती मुंह चलाने की आवाज सुन कर बोली.

‘‘…एक मिनट होल्ड करना, रीना की काल आ रही है.’’ कहते हुए नवीन ने भारती का फोन होल्ड पर कर दिया.

‘‘एक मिनट चैन से नहीं रहते देती है…’’ बड़बड़ाते हुए नवीन ने पत्नी की काल रिसीव की, ‘‘हां, बोलो… क्या चाय बन गई है. मैं अभी आ रहा हूं नीचे.’’ और फिर नवीन ने भारती के काल को दोबारा औन कर उस से सौरी बोला. इसी के साथ देहरादून चलने का वादा भी किया.

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‘‘किस का फोन था, जो तुम उस के लिए छत पर चले गए?’’ रीना सेंटर टेबल पर चाय रखती हुई बोली.

‘‘औफिस के किसी आदमी का फोन था, मुझे संडे को देहरादून जाना पड़ेगा.’’ नवीन ने झूठ बोला.

‘‘देहरादूनऽऽ, रास्ते में तो हरिद्वार, ऋषिकेश आएगा न? मैं भी चलूं क्या?’’ रीना चहकते हुए बोली.

‘‘नहींनहीं, मुझे अकेले जाना होगा, फैमिली के साथ नहीं.’’ नवीन ने उसे डपटते हुए कहा.

इतना कहना था कि रीना बिफरती हुई कहने लगी, ‘‘मुझे कहीं नहीं ले जाते हो, खुद घूमते रहते हो. मैं यहां घर में पड़ीपड़ी सड़ती रहती हूं. खुद तो मौजमस्ती करते हो. मैं सब जानती हूं कि तुम मुझे क्यों नहीं ले जाना चाहते…’’

पत्नी के सवालों से चिढ़ जाता था नवीन

नवीन और रीना के बीच की यह नोंकझोंक आए दिन की हो गई थी. नवीन बातबात पर रीना से उलझ जाता था, उस के कई उलझाने वाले शिकायती सवालों के संतुष्ट करने लायक जवाब नहीं दे पाता था.

वह जब भी अपना बचाव करने लगता, तब तूतूमैंमैं की नौबत आ जाती थी. ढाई-3 महीने से तो रीना कुछ ज्यादा ही आक्रामक हो गई थी. बातबात पर सवाल करने लगी थी. उसे हमेशा लगता था कि नवीन उस से बहुत सारी बातें छिपा रहा है. हालांकि वह अब कंफर्म हो चुकी थी कि नवीन के किसी भारती नाम की लड़की के साथ संबंध हैं.

वह नवीन को उस का नाम ले कर ताने भी मारने लगी थी. नवीन उस की बातों से जितना परेशान रहता था, उस से कहीं अधिक उस के बाहर रहने पर वीडियो कालिंग से तंग आ गया था. इस तरह दोनों की ही जिंदगी भारी तनाव में गुजर रही थी.

बात 18 नवंबर, 2021 की है. मालवीय नगर निवासी नवीन गुलिया शाम के करीब 5 बजे अपनी रक्तरंजित पत्नी रीना गुलिया को ले कर शेख सराय स्थित पीएसआरआई अस्पताल पहुंचा था. डाक्टर को मरीज की हालत देखते ही अपराध का मामला लगा और उन्होंने तत्काल मालवीय नगर थाने में इस की सूचना दे दी थी.

सूचना के बाद अस्पताल पहुंची पुलिस टीम को पता चला कि नवीन की 33 वर्षीय पत्नी रीना गुलिया बेहद जख्मी है. उस की किसी ने चाकुओं से गोद कर सुनियोजित ढंग से हत्या करने की कोशिश की है.

उपचार के सिलसिले में डाक्टर को शरीर पर चाकू के अनेक निशान मिले थे. उन्हें गिनना शुरू किया तब वह भी दंग रह गए. शरीर पर कुल 17 वार थे. ऐसा लग रहा था, जैसे किसी ने ताबड़तोड़ चाकू से गोद डाला है. डाक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.

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पूछताछ में नवीन ने घटना के दिन के बारे में बताया कि वह दोपहर करीब ढाई बजे

अपने बेटे के साथ डिफेंस कालोनी में एक डाक्टर के पास गया था. उस वक्त रीना घर पर अकेली थी.

डाक्टर से मिलने के बाद उस ने अपने बेटे के लिए खरीदारी की. फिर वह बेटे को शिव मंदिर बांध रोड के पास नाई की दुकान पर छोड़ कर कालकाजी स्थित अपने औफिस चला गया था.

वहां पर उस ने नाई को ही फोन कर के कह दिया कि वह औफिस में व्यस्त है इसलिए बेटे के बाल काटने के बाद उसे घर भिजवा दे.

वह नाई नवीन का परिचित था, इसलिए उस ने अपने एक कर्मचारी के साथ बेटे को घर भिजवा दिया. घर पहुंचने पर रीना घर में खून से लथपथ पड़ी मिली. कर्मचारी ने यह बात नाई को बता दी.

तब नाई ने शाम करीब पौने 5 बजे नवीन के मोबाइल पर फोन कर बताया कि उन की पत्नी खून से लथपथ पड़ी है और उसे चाकू लगे हैं. यह सुन कर नवीन तुरंत अपने घर पहुंचा और रीना को पीएसआरआई अस्पताल ले गया.

नवीन के बयान पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 302, 449, 201,120बी और 34 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.

जांच में पता चला कि रीना को 16-17 बार चाकू मारा गया है. मामले को सुलझाने के लिए एसीपी अरुण चौहान की देखरेख और एसएचओ कुमारकांत मिश्रा के नेतृत्व में हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए विशेष तरीके से जांचपड़ताल और पूछताछ की जाने लगी.

नवीन से की गई प्रारंभिक पूछताछ से पुलिस संतुष्ट नहीं हुई थी, इसलिए पुलिस ने नवीन से दोबारा पूछताछ की.

इस वारदात की सूचना डीसीपी बेनितो मोरिया जयकर को भी दे दी गई. तब डीसीपी ने इस वारदात की जांच के लिए थानाप्रभारी कुमारकांत मिश्रा के नेतृत्व में पुलिस टीम बनाई गई थी. टीम में इंसपेक्टर पंकज कुमार, एसआई संदीप कुमार आदि को शामिल किया गया.

घर पर मिले खून के निशान

घटनास्थल पर पहुंची पुलिस टीम के साथ नवीन भी था. वह पत्नी की मौत पर विलाप करने लगा था. वहीं उस का बेटा भी ‘मम्मीमम्मी’ रट लगा कर रोए जा रहा था. पुलिस ने उन्हें ढांढस बंधाते हुए उस दिन की पूरी गतिविधियों की जानकारी ली. इस से पहले ड्राइंगरूम समेत पूरे मकान का मुआयना किया.

घर में फर्श पर खून के बड़ेबड़े धब्बे दिखाई दिए. उन्हें देख कर कोई भी सहज अंदाजा लगा सकता था कि हत्या की पूरी वारदात ड्राइंगरूम में ही हुई होगी.

हत्यारे ने उसे वहां से दूसरे कमरे में या कहीं और भागने तक का मौका ही नहीं दिया होगा. बाकी कमरों में सब कुछ व्यवस्थित था. लूटपाट जैसी कोई बात कहीं से भी नजर नहीं आ रही थी, सिवाय कुछ सामान बिखरने के.

पुलिस टीम ने जांच के दौरान सीसीटीवी फुटेज की जांच के अलावा पड़ोसियों से भी पूछताछ की. जांच के दौरान सीसीटीवी की एक फुटेज मिली, जिस में 2 संदिग्ध व्यक्ति रीना के घर में जाते हुए दिखाई पड़े. कुछ देर बाद घर से 3 लोग बाहर आते दिखाई पड़े.

इस के अलावा, सीसीटीवी फुटेज की जांच करने पर स्कूटी सवार तीनों संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान पंपोश एनक्लेव, कालकाजी निवासी के तौर पर हुई.

जांच के दौरान पुलिस को रीना के पति नवीन पर भी शक और गहरा हो गया. फिर नवीन के मोबाइल नंबर की जांच की गई. उस से पता चला कि वह एक नंबर पर लगातार बातचीत कर रहा है. वह नंबर गोविंदपुरी में रहने वाली एक महिला का निकला.

नवीन के मोबाइल फोन को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. उस के नंबर की काल डिटेल्स निकाली गई. वाट्सऐप, इंस्टाग्राम और फेसबुक को खंगाला गया. उस से पता चला कि वह भारती नाम की महिला से काफी लंबी बातें करता था.

भारती के बारे में पूछने पर नवीन ने स्वीकार कर लिया कि 2 साल पहले इंस्टाग्राम पर उस की भारती से दोस्ती हुई थी. वह गोविंदपुरी की रहने वाली है.

दोनों एकदूसरे से प्रेम करते थे. वे दोनों किसी तरह समय निकाल कर हर रोज एक बार मिल भी लिया करते थे. उन का आपसी प्रेम धीरेधीरे परवान चढ़ चुका था. 2-3 बार दोनों साथसाथ शहर से बाहर भी जा चुके थे.

इस की गवाही इंस्टाग्राम और वाट्सऐप पर उन की पोस्ट की गई तसवीरें दे रही थीं. कुछ को तो उन्होंने यादगार के तौर पर रखा हुआ था, जबकि कुछ को डिलीट करने की कोशिश की गई थी.

पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि रीना की हत्या की जड़ निश्चित तौर पर भारती और नवीन का प्रेम संबंध हो सकता है.

सख्ती से की गई पूछताछ में टूट गया नवीन

उस के बाद पुलिस नवीन से और भी सख्ती से पूछताछ करने लगी. साथ ही पुलिस ने तर्क दिया कि प्रेम संबंध की खातिर उस की पत्नी अब इस दुनिया में नहीं है, तो क्या अब प्रेमिका को भी खोना चाहता है? उस पर बच्चे के पालनपोषण की भी जिम्मेदारी है. अगर उस ने सब कुछ सचसच बता दिया तो उस के गुनाह को कम किया जा सकता है.

यह बात नवीन को पसंद आ गई और वह पुलिस को सब कुछ बताने के लिए राजी हो गया. नवीन ने बताया कि उस के भारती से प्रेम संबंध के बारे पता चलने पर रीना बेहद परेशान रहने लगी थी.

उस ने खुल कर विरोध नहीं जताया, लेकिन उस के लोकेशन के बारे जानने की कोशिश करने लगी. इसलिए वह हमेशा वीडियो काल से ही बात करती थी.

इस बात से उसे परेशानी होती थी. उसे लगने लगा था कि उस की अपनी प्राइवेसी छिन गई है. इसी कारण उस की कई बार रीना से बहस और लड़ाईझगड़े भी होने लगे थे. वह रीना की लोकेशन जानने की आदत से तंग आ गया था. एक दिन ऊब कर उस ने पत्नी की हत्या की योजना बना ली.

नवीन ने मालवीय नगर के ही रहने वाले राहुल नाम के बदमाश को 5 लाख रुपए में पत्नी की हत्या की सुपारी दे दी. राहुल ने अपने 2 दोस्तों चंदू और सोनू को योजना में शामिल कर लिया.

घटना के दिन हत्यारों को घर का पता दे कर नवीन खुद अपने औफिस चला गया. इसे उस ने बड़े ही सुनियोजित तरीके से किया. पहले उन्हें अपने घर की फोटो वाट्सऐप पर भेज दी थी. साथ ही घर की लोकेशन भी भेजी थी. इसी के जरिए सुपारी किलर उस के फ्लैट पर पहुंचा था.

घटना के दिन 18 नवंबर, 2021 को जब रीना बाथरूम में थी, तब नवीन अपने बेटे को होम्योपैथी डाक्टर के यहां दिखाने के बहाने से उसे ले कर डिफेंस कालोनी जाने के लिए घर से निकला था. उस से पहले उस ने फ्लैट का दरवाजा बाहर से लौक कर दिया था.

तीनों बदमाशों ने चाकू से गोद दिया रीना को

इस की जानकारी नवीन ने राहुल नाम के बदमाश को वाट्सऐप से दे दी थी. डिफेंस कालोनी जाने के रास्ते में ही राहुल उसे मिल गया था, जिसे नवीन ने चाबी दे दी.

राहुल चाबी ले कर उस के घर पहुंचा और दरवाजे का ताला खोल कर बैडरूम में छिप गया था. अपने बैडरूम में रीना को इन बातों का जरा भी आभास नहीं हुआ.

राहुल ने बाहर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था. थोड़ी देर में स्कूटी से राहुल के साथी चंदू और सोनू आ गए. जब वे फ्लैट में दाखिल हुए तब तक रीना ड्रांइरूम में आ गई थी. वह तीनों को वहां पा कर हक्कीबक्की रह गई. सिर्फ इतना ही पूछ पाई, ‘‘तुम लोग नए स्टाफ हो?’’

बदमाशों ने उस से आगे रीना को कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया और ताबड़तोड़ चाकुओं से उसे बुरी तरह से जख्मी कर दिया. कुछ हमले उस की गरदन पर हुए. उस की सांसें थमने के बाद तीनों स्कूटी पर बैठ कर वहां से फरार हो गए.

इसी दौरान नवीन बेटे को सैलून पर छोड़ कर अपने औफिस चला गया. वहां से नाई ने अपने एक स्टाफ हरि को सैलून से नवीन के बेटे को घर पहुंचाने को भेज दिया.

हरि घर पहुंचा, तब उस ने पाया कि घर का दरवाजा खुला था और ड्राइंगरूम में फर्श पर रीना की लाश पड़ी थी. बाद में जब नवीन घर पहुंचा तो वह पत्नी को इलाज के लिए अस्पताल ले गया.

इस हत्याकांड का खुलासा हो चुका था. नवीन की निशानदेही पर 3 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी भी हो गई. नवीन को भी हिरासत में ले लिया गया. हत्या में इस्तेमाल चाकू व वारदात में इस्तेमाल स्कूटी बरामद कर ली. राहुल के पास से सुपारी के दिए गए 50 हजार रुपए भी बरामद कर लिए.

गिरफ्तार आरोपियों मालवीय नगर निवासी नवीन कुमार गुलिया, सोनू और राहुल को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

Manohar Kahaniya: गलतफहमी में प्यार बना शोला

सौजन्य- मनोहर कहानियां

विज्ञान और तकनीक के जमाने में बांझ औरत की कोख से बच्चे का पैदा होना कोई अजूबा नहीं रहा. लेकिन 70 साल की औरत द्वारा बच्चे को जन्म देना विज्ञान जगत के लिए भी किसी अचंभे से कम नहीं होगा. ऐसी अचरज भरी एक घटना गुजरात की है, जहां झुर्रियों से भरी चेहरे वाली औरत ने मां बन कर दुनिया की सब से अधिक उम्र में बच्चा जन्म देने वाली औरत का दरजा भी हासिल कर लिया.

जीवुबेन ने पड़ोस में रहने वाली मीराबेन को कराहते हुए आवाज लगाई. उन की आवाज सुनते ही

मीराबेन भागती हुई उन के पास आ कर बोली, ‘‘हां दादी, कोई बात है… कुछ चाहिए क्या?’’

‘‘अरे हां, बहुत दर्द हो रहा बेटा, दर्द वाली दवाई दे दो, वहां ताखे पर रखी होगी,’’ बिछावन पर लेटी जीवुबेन  बोली.

‘‘लेकिन दादी, आप को दर्द की ज्यादा दवा लेने से डाक्टर ने मना किया है. थोड़ा बरदाश्त कर लिया करो… देखो तो तुम्हारा बेटा भी मेरी बात सुन रहा है… कैसा मुसकरा रहा है…’’ मीरा समझाती हुई बोली.

‘‘अभी तक मैं तुम्हारी ही तो बात मानती आई हूं और आगे भी मान… ना… ओह! आह!!’’ जीवुबेन बोलतेबोलते कराह उठी.

‘‘ये दर्द उस दर्द के सामने कुछ भी नहीं है दादी, जो तुम 40 से अधिक सालों से बरदाश्त किए हुए थीं,’’ मीरा बोली.

‘‘तुम तो मेरी भी अम्मादादी बन रही हो. वैसे कह सही रही हो… बेऔलाद होने का दर्द कहीं अधिक बड़ा और तकलीफ देने वाला था. मगर क्या करूं, बरदाश्त नहीं हो रहा है…’’ कहती हुई जीवु करवट बदलने की कोशिश करने लगीं.

मीरा ने उन्हें सहारा दे कर उन का मुंह बगल में लेटे बच्चे की ओर कर दिया.

‘‘लो, अब बेटे को देखती रहो. सारा दर्द छूमंतर हो जाएगा.’’ कहती हुई मीरा भी सिरहाने बैठ बगल में लेटे नवजात शिशु को पुचकारने लगी.

2 दिन पहले ही जीवुबेन का सीजेरियन औपरेशन हुआ था. घर में 45 साल बाद किलकारी गूंजी थी. उन का औपरेशन परिवार के सभी सदस्यों से ले कर डाक्टर तक के लिए खास था, कारण उन की उम्र 70 साल की थी.

इस औपरेशन की सफलता से सभी खुश थे. जच्चाबच्चा दोनों सुरक्षित और स्वस्थ थे. केवल औपरेशन के जख्म हरे होने के कारण जीवुबेन को थोड़ी तकलीफ थी. सब के लिए किसी अचंभे से कम नहीं था उन का औपेरशन.

डाक्टर ने बताया था कि अधिक उम्र में औपरेशन होने से उन का जख्म भरने में समय लग सकता है. डाक्टर ने दूसरी एंटीबायोटिक दवाओं के साथसाथ दर्द की दवा भी दी थी, लेकिन दर्द की दवा ज्यादा खाने से मना करते हुए हिदायत भी दी थी. कहा था कि असनीय या तेज दर्द हो तभी वह दवा खाएं, वरना उस का असर सीधे किडनी पर पड़ेगा.

थोड़ी देर बैठने के बाद मीरा वहां से जाने को उठी, तभी जीवु के पति मालधारी आ गए. मीरा सिर पर दुपट्टा संभालती हुई बोली, ‘‘नमस्ते दादाजी.’’

‘‘कैसी है रे तू?’’ मालधारी मीरा से बोले.

‘‘अच्छी हूं, दादाजी. आप अब तो खुश हैं न?’’ मीरा बोली.

‘‘तू खुश रहने की बात बोल रही है, मैं तो इतना खुश हूं कि तुझे बता नहीं सकता… और बेटा तूने जो औलाद की मुराद पूरी करवाई है वह कभी नहीं भूलने वाला उपकार है.’’ बोलतेबोलते मालधारी भावुक हो गए.

‘‘उपकार किस बात का दादाजी, सब ऊपर वाले की मरजी से हुआ है.’’ मीरा बोली.

‘‘कुछ भी कह लो, लेकिन मेरे घर आई औलाद की खुशी बेटा तेरी ही बदौलत मिली है. जो मैं 75 साल की उम्र में बाप बन गया हूं… और देखो जीवु मुझ से कुछ ही साल तो छोटी है…‘‘ मालधारी ने कहा.

‘‘बस दादाजी, बस. मेरी तारीफ और मत करो…’’ मीरा बोली.

‘‘अरे, मैं तेरी तारीफ नहीं कर रहा हूं बल्कि मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि तू ठहरी निपट अनपढ़ औरत, फिर भी इतनी गहरी बात की जानकारी तुझे मिली कैसे? मैं तो वही सोचसोच कर अचरज में हूं.’’ मालधारी काफी दिनों तक मन में दबी जिज्ञासा को और नहीं रोक पाए.

‘‘अच्छा तो यह बात है. चलो, मैं आज बता ही देती हूं दादादी… मैं जब 2 साल पहले सूरत में काम करने गई थी, तब मुझे एक नर्सिंगहोम में काम मिला था. वहां केवल बच्चा जन्म देने वाली औरतों को ही रखा जाता था. मुझे उन की देखभाल करने की नौकरी मिली थी. वहां और भी कई नर्सें और दाई काम करती थीं. भरती औरतों को समय पर दवाइयां खिलानी होती थी, खानेपीने की देखभाल करनी थी और उन्हें घुमानेफिराने के लिए ले जाना होता था…’’

‘‘तुम भी तो वहां गए थे.’’ बीच में जीवु बोली.

‘‘लगता है, अब दर्द कम हो गया है,’’ मीरा मुसकराती हुई बोली.

‘‘हां, तुम्हारी कहानी सुन कर दर्द चला गया,’’ जीवु गहरी सांस लेती हुई बोली.

‘‘…लेकिन तुम्हें टेस्टट्यूब के बारे में किस ने बताया?’’ मालधारी ने पूछा.

‘‘अरे तुम क्या समझोगे, मैं बताती हूं न सब कि कितने तरह की जांच हुई मेरी. वैसे तुम को भी तो डाक्टर ने बताया ही होगा. तुम्हारी भी तो डाक्टर ने जांच की थी,’’ जीवु बोली.

‘‘मेरी जांच का तो कुछ पता ही नहीं चला. डाक्टर ने सिर्फ बोला कि देखता हूं… अभी कुछ कह नहीं सकता.’’ मालधारी बोले.

‘‘मैं जब मीरा के पास 2 साल पहले गई थी, तब मीरा मुझे एक दिन जहां काम करती थी अपने साथ ले गई थी. वहीं भरती औरतों से मालूम हुआ कि उस के पेट में पलने वाला बच्चा उन का है, जो खुद मांबाप नहीं बन सकते थे. उसे पालने के बदले में पैसे मिले हैं.’’ जीवु बोली.

‘‘उस से क्या हुआ?’’ मालधारी ने पूछा.

‘‘हुआ यह कि जब एक दफा उन को देखने डाक्टर आए तब उन से मीरा ने पूछ लिया कि डाक्टर साहब मेरी दादी ‘मां’ नहीं बन सकती? डाक्टर साहब मुझे देख कर मुसकराए.’’ जीवु बोली.

‘‘..और दादाजी?’’ डाक्टर साहब के मुसकराने का अर्थ मैं समझ गई थी. अगले रोज ही उन के चैंबर में दादी को ले कर चली गई थी. दादी से उन्होंने बहुत देर तक बात की. अब रहने भी दो न दादाजी, वह सब पुरानी बातें हो गईं.’’ मीरा बोली.

‘‘अरे नहीं मीरा, कैसे रहने दूं उन बातों को, जिस से मेरी इस उम्र में औलाद की मुराद पूरी हुई. इस उम्र में कोई बाप बनता है भला! …और इस उम्र में कोई आज तक किसी औरत ने बच्चे को जन्म दिया है क्या? मैं तो अब उस बारे में सब को बताना चाहता हूं… क्या कहते हैं उसे आईवीएफ. उस इलाज के बारे में उन्हें समझाना चाहता हूं, जो बच्चा जन्म के लिए औरत को ही दोषी ठहराते हैं.’’

दरअसल, गुजरात के कच्छ इलाके में रापर तालुका स्थित एक छोटे से गांव मोरा की रहने वाली जीवुबेन रबारी ने सितंबर, 2021 में शादी के 45 साल बाद आईवीएफ तकनीक की बदौलत एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया था.

उस के पति मालधारी को पिता बनने का सौभाग्य तब मिला, जब वह 75 साल के हो गए. इस कारण दोनों मीडिया में चर्चा का विषय बन गए.

बच्चे के जन्म के बाद परिवार और रिश्तेदारों में खुशी की लहर दौड़ गई. बच्चा सीजेरियन से हुआ था. उन को यह उपलब्धि आईवीएफ तकनीक के विशेषज्ञ डा. नरेश भानुशाली की देखरेख से मिली, जो सभी के लिए अचंभे से भरी हुई थी. जिस ने भी सुना, सभी जीवुबेन और मालधारी से मिलने को बेचैन हो गए.

जीवुबेन ने जब इस बारे में डा. नरेश भानुशाली से संपर्क किया था, तब उन्होंने अधिक उम्र में मां बनने की मुश्किलों को ले कर सचेत किया था. डा. भानुशाली ने एक तरह से दंपति को शुरू में तो साफतौर पर पर कहा था कि उम्र अधिक होने के कारण बच्चे को जन्म देना मुश्किल होगा, लेकिन वृद्ध दंपति ने डाक्टर पर विश्वास जताते हुए अपनी मजबूत इच्छाशक्ति का हवाला दिया था. यही वजह रही कि प्रजनन का असंभव और कठिन काम संभव बन गया. यह घटना चिकित्सा जगत के लिए भी किसी चमत्कार से

कम नहीं थी. ऐसा कर जीवुबेन और मालधारी ने दुनिया भर में एक मिसाल पेश कर दी.

इसे ले कर ही मीडिया ने जीवुबेन द्वारा दुनिया में सब से अधिक उम्र में मां बनने का दावा किया.

जीवुबेन विवाह के कई सालों तक गर्भवती नहीं हो पाई थीं. उन के द्वारा की गई तमाम कोशिशें बेकार गई थीं. कई डाक्टरी इलाज भी चले थे और पतिपत्नी देवीदेवताओं के पूजापाठ से ले कर धार्मिक स्थलों की कठिन से कठिन यात्राएं तक कर चुके थे. फिर भी असफलता ही हाथ लगी थी.

नतीजा यह था कि उन्हें संतान नहीं होने का दंश सताता रहता था. उन्हें जरा सी भी उम्मीद की किरण दिखती थी, वे उस ओर दौड़ पड़ते थे. उस के उपायों और प्रयासों को आजमाने में कोई भी लापरवाही नहीं बरतते थे. एक बार उन्होंने बच्चा गोद लेने की भी सोची थी, जो उन्हें सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर अच्छा नहीं लगा.

इसी तरह से समय गुजरता गया. एक दिन उन की एक रिश्तेदार मीराबेन के माध्यम से आईवीएफ तकनीक के जरिए से नई उम्मीद जागी थी. इस बारे में उन्हें पहली बार जानकारी मिली थी.

जीवुबेन और मालधारी ने टेस्टट्यूब बच्चा और किराए की कोख के बारे में सुन तो रखा था, लेकिन उस बारे में बहुत अधिक नहीं जानते थे. मीरा की बदौलत वे डा. नरेश भानुशाली के संपर्क में आए. वह आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण करवाने और बच्चा प्रसव के स्त्रीरोग विशेषज्ञ थे.

जीवु ने जब डा. भानुशाली को अपनी इच्छा जताई, तब वह भी सोच में पड़ गए. पहली बार में ही उन्होंने कहा कि उन की उम्र काफी अधिक हो गई है. ऐसा कहते हुए उन्होंने एक तरह से सीधेसीधे मना ही कर दिया था. समझाया था कि ज्यादा से ज्यादा 50-55 साल की माहिलाएं मेनोपाज के कारण आईवीएफ अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक की मदद से गर्भधारण कर सकती हैं, लेकिन उन की उम्र 70 साल के करीब हो चुकी है. इस उम्र में इस की संभावना नहीं के बराबर रहती है.

डाक्टर द्वारा इनकार करने के बावजूद दंपति ने एक बार जांच करने का जोर दिया. दंपति के कहने पर डाक्टर ने चुनौतीपूर्ण काम के लिए तैयारी शुरू की. मालधारी जांच में स्वस्थ पाए गए. उन के स्पर्म की भी जांच हुई.

महत्त्वपूर्ण जांच जीवुबेन की होनी थी, कारण बच्चा उन्हें जन्म देना था, या फिर उन्हें किसी किराए की कोख का इंतजाम करना था. दंपति चाहते थे कि बच्चे का जन्म भी जीवुबेन की कोख से ही हो, ताकि उन के पीछे बच्चे को किसी तरह की सामाजिक या पारिवारिक उपेक्षा का दंश नहीं झेलना पड़े.

डाक्टर ने जीवुबेन की डाक्टरी जांच शुरू की. उन्होंने पाया कि शरीर के भीतरी अंग सही तरह से काम कर रहे हैं. उन में कोई कमी नहीं है सिर्फ उम्र के अनुसार उन की कोख काफी सिकुड़ चुकी है.

पहले उसे दुरुस्त करने के लिए दवाई खिलाई गईं. उसी के साथ मासिक चक्र को नियमित करने के लिए भी दवाइयां दी गईं. कुछ समय में ही उन का सिकुड़ा हुआ गर्भाशय चौड़ा हो गया. उस के बाद उन के अंडों को निषेचित कर प्रजनन की जगह बना दी गई, फिर उस में उन के पति के अलग से निकाल कर रखे गए स्पर्म को डाला गया.

इस तरह से पूरी हुई गर्भधारण की प्रक्रिया के नतीजे अच्छे आने पर डाक्टर आश्वस्त हो गए.

गर्भावस्था के 8 महीने बाद डाक्टरों से जीवुबेन का सी-सेक्शन किया, जिस से उन को पहली संतान की प्राप्ति हुई.

इस सफलता पर डा. भानुशाली ने हर्ष जताते हुए बताया कि इस में जितना योगदान उन का है, उतना ही जीवुबेन का भी है, उन की हिम्मत और नीयत काम कर गई और एकदो नहीं, पूरे 45 साल के इंतजार के बाद 70 साल की उम्र में उन की सूनी गोद भर गई.

बाझ औरत भी बन सकती है आईवीएफ तकनीक से मां

संतानहीनों के लिए वरदान साबित हुआ आईवीएफ तकनीक का चिकित्सा जगत में पूरा वैज्ञानिक नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहा जाता है. इस तकनीक की मदद से पुरुष के शुक्राणु यानी स्पर्म और महिला के अंडाणु को लैब में मिला कर उसे ऐसी महिला के गर्भाशय में डाला जाता है, जो मां बनना चाहती है.

इस प्रक्रिया को अपनाने के लिए गहन चिकित्सीय सलाह की जरूरत होती है तथा इस का फायदा 5 तरह की शिकायत वालों मिल सकता है. जैसे— किसी महिला की फैलोपियन ट्यूब में ब्लौकेज हो जाना. पुरुष बांझपन यानी स्पर्म की संख्या में कमी का आना. किसी जेनेटिक बीमारी से ग्रसित होना. इनफर्टिलिटी का सही कारण का पता नहीं चलना या फिर महिला को हारमोंस विकार की समस्या से पीसीओएस की समस्या की शिकायत रहना.

इस तकनीक की सफलता भी 5 चरणों में पूरी होती है. जैसे पहले चरण में औरत के कोख को दुरुस्त किया जाता है. यह काम दवाइयों के अलावा माइनर औपरेशन से कर लिया जाता है.

दूसरे चरण में अंडे की पर्याप्त मात्रा को गर्भाशय में डाला जाता है. उस के बाद तीसरे चरण की प्रक्रिया में अंडे के साथ स्पर्म को लैब में अलग से मिला कर फर्टिलाइज करवाया जाता है. उस के बाद बच्चे की चाह रखने वाली महिला के गर्भ में डाल दिया जाता है.

कई बार इसे किसी दूसरी महिला के गर्भ में डाल कर गर्भधारण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाती है. कुछ समय बाद अंतिम चरण के अनुसार महिला के गर्भावस्था की जांच की होती है.

आखिरी मंगलवार: भाग -2

 वेणी शंकर पटेल ‘ब्रज’

धर्मराज ने सपना की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘5 मंगलवार नियमित रूप से दरबार में हाजिरी लगाओ. मन की हर मुराद पूरी होगी.’’ धर्मराज ने उन्हें प्रसाद दिया और इस के बाद दूसरे भक्तों की परेशानियां सुनने लगे. अपनी सूनी गोद भरने की आस में सपना और सुभाष अब हर मंगलवार को दरबार में हाजिरी लगाने लगे. चौथे मंगलवार को धर्मराज स्वामी ने उन्हें बताया, ‘‘संतान की प्राप्ति के लिए आखिरी मंगलवार को विशेष पूजा करनी पड़ेगी. इस से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी.’’

दरबार में रहने वाली आरती नाम की सेवादार ने सपना को बताया कि 5वें मंगलवार को रात के एकांत में स्वामीजी तांत्रिक साधना करेंगे, उस दौरान तुम्हें पूरी तरह निर्वस्त्र रहना होगा. तांत्रिक की इस साधना को कोई भी दूसरा इनसान देख नहीं सकेगा. आरती की बताई बातों से सुभाष को  तो पूरी तरह से यकीन हो गया था कि यह धर्मराज धर्म की आड़ में औरतों की मजबूरियों का फायदा उठा कर जरूर उन की आबरू से खेल रहा है. सपना को भी समझ आ रहा था कि अगले मंगलवार को यह ढोंगी बाबा उस की इज्जत से खेलने का सपना देख रहा है, मगर वह औलाद की चाह में इस तरह पागल हो गई थी कि धर्मराज के आगे कुछ भी करने को तैयार थी. वह किसी भी तरह एक बच्चा पैदा कर के समाज के मुंह पर तमाचा मारना चाहती थी.

आखिरी मंगलवार को सपना और सुभाष धर्मराज के दरबार में पहुंच गए. धर्मराज महाराज के हाथों में नारियल देते हुए सपना ने जैसे ही उन के पैर छुए, धर्मराज ने सपना को ललचाई नजरों से देख कर कहा, ‘‘संतान की प्राप्ति के लिए रात में कुछ घंटे एकांत में तंत्र साधना करनी पड़ेगी. शर्त यह है कि इस तांत्रिक अनुष्ठान को कोई देख नहीं सकता.’’

सुभाष और सपना धर्मराज की बात मानने को राजी हो गए. रात के तकरीबन 11 बज चुके थे. मंदिर में बाबा धर्मराज का एक आलीशान कमरा था, जिस में सभी आधुनिक सुखसुविधाएं मौजूद थीं. धर्मराज के सेवादारों ने सुभाष और सपना के लिए कमरे में ही भोजनपानी का इंतजाम कर दिया था और रात के 12 बजते ही धर्मराज की सेवादार आरती सपना को तांत्रिक साधना के लिए धर्मराज के कमरे में ले आई. कमरे के अंदर पहुंची सपना ने देखा कि एक लग्जरी सोफे पर धर्मराज बैठा हुआ मोबाइल फोन पर किसी से बात कर रहा था.

सपना के अंदर पहुंचते ही बाबा ने उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया. कुछ ही देर में आरती ने गिलास में पानी भर कर धर्मराज को दिया, जिसे उस ने कुछ मंत्र बुदबुदा कर सपना को दे दिया और आरती को बाहर जाने का इशारा किया. फिर वह पूजापाठ की तैयारी का नाटक करने लगा. कुछ ही देर में सपना ने महसूस किया कि उसे नशा छाने लगा है. इस के बाद धर्मराज के अंदर का शैतान जाग गया. उस ने सपना को सोफे से उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और धीरेधीरे उस के हाथ सपना के जिस्म पर रेंगने लगे.

सपना पर नशे का असर इस कदर हावी था कि वह विरोध नहीं कर पा रही थी. सपना के खिले हुए बदन को देख कर धर्मराज के अंदर की हवस ज्वाला की तरह भड़क उठी. धीरेधीरे उस ने सपना को निर्वस्त्र कर दिया था. धर्मराज के शरीर में उठा हवस का तूफान जब तक शांत नहीं हुआ, तब तक वह सपना के जिस्म के साथ खेलता रहा. सपना की आंखों से जब नशे की खुमारी दूर हुई, तो उस ने अपनेआप को अधनंगी हालत में पाया. बदहवास सी बिस्तर पर पड़े अपने कपड़ों को बदन पर लपेटते हुए वह अपनेआप को ठगा सा महसूस कर रही थी. उस के करीब लेटा हुआ धर्मराज अपनी कुटिल मुसकान के साथ उस से कह रहा था, ‘‘अब तुम्हारी गोद सूनी नहीं रहेगी.’’

उस ने सपना को अपना मोबाइल फोन दिखाते हुए कहा, ‘‘हमारे बीच जोकुछ भी हुआ है, वह मोबाइल के कैमरे में कैद है. अगर तुम्हें संतान सुख हासिल करना है, तो किसी को कुछ नहीं बताओगी…’’ उस ने सपना को आगे भी उस की खिदमत में दरबार आते रहने की हिदायत भी दी. अपना सबकुछ लुटा चुकी सपना रात के तकरीबन 2 बजे धर्मराज के कमरे से बाहर निकल कर सीधे सुभाष के पास पहुंची. मन में औलाद की चाह लिए अपने दर्द को छिपाते हुए सुभाष के पूछने पर उस ने केवल यही बताया कि धर्मराज स्वामी द्वारा की गई तांत्रिक साधना सफल रही है.

एकएक दिन गिन रही सपना को अगले महीने जब समय पर माहवारी  नहीं हुई, तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसे अपनी इज्जत लुटने के दुख से ज्यादा अपने मां बनने की खुशी थी. अगले हफ्ते जब सपना के प्रैग्नैंसी टैस्ट की रिपोर्ट पौजिटिव आई, तो सुभाष और उस की मां भी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. आसपड़ोस में धर्मराज स्वामी के प्रसाद का गुणगान चल रहा था. इधर सपना का पूरा ध्यान अपने होने वाले बच्चे की सेहत पर था, मगर धर्मराज स्वामी के दरबार से उसे फोन आने लगे थे.

धर्मराज उसे अब उस के साथ बनाए संबंधों का वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर फिर से संबंध बनाने के लिए दरबार बुला रहा था. सपना की कोख में धर्मराज का बच्चा पल रह था, इसलिए उस ने सोचा कि धर्मराज को अभी नाराज न किया जाए, मगर वह दोबारा अपना जिस्म भी उसे नहीं सौंपना चाहती थी. धर्मराज सपना को हर हाल में वापस बुला कर उस के साथ रंगरलियां मनाना चाहता था.

एक दिन धर्मराज ने सपना के मोबाइल पर वही वीडियो भेज कर धमकी दे दी कि अगर वह उस के दरबार में नहीं आई, तो इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे. दिमाग से तेज सपना ने इस वीडियो से घबराने के बजाय इसे अपनी ढाल बना लिया. उस ने फोन कर के धर्मराज को उलटा ही धमका दिया, ‘‘मैं इस वीडियो को वायरल कर के समाज को बता दूंगी कि धर्म की आड़ में तू पाखंड की दुकान चला रहा है.’’

धर्मराज को सपना से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. सपना को दरबार बुलाने की ख्वाहिश रखने वाला धर्मराज अब सपना के फोन से घबराने लगा था. उसे यह डर सताने लगा था कि कहीं सपना उस वीडियो के जरीए उस का भांडा न फोड़ दे, इसलिए धर्मराज उस पर वीडियो को डिलीट करने का दबाव बनाने लगा. धर्मराज के चेले आएदिन उसे धमकाने लगे, तो इस बात को ले कर सपना परेशान रहने लगी, मगर वह आसानी से हार मानने वाली नहीं थी.

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Manohar Kahaniya: डॉ प्रिया पर हुआ लालच का हमला

सौजन्य- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश के शहर बिजनौर की साकेत कालोनी में अपने मातापिता के साथ रह रही डा. प्रिया शर्मा 29 अक्तूबर की सुबह जल्दीजल्दी घरेलू काम निपटा रही थी. इसी बीच उस की मां ने आवाज दी, ‘‘बेटी प्रिया, मैं ने पूजा कर ली है, तुम भी नहाधो लो. बाथरूम खाली है.’’

‘‘जी मम्मी, बस 2 रोटियां और सेंकनी है. पापा के लिए चाय का पानी चढ़ा दिया है. आ कर देख लेना.’’ प्रिया बोली.

‘‘और हां, देखो आज लाल रंग वाली साड़ी पहन कर ही कालेज जाना. शुक्रवार है, माता रानी का दिन. मैं ने लाल वाली साड़ी निकाल कर तुम्हारे बैड पर रख दी है.’’ प्रिया की मां बोलीं.

‘‘क्या मम्मी, तुम भी अंधविश्वास में पड़ी रहती हो. जमाना कहां से कहां चला गया और तुम लालपीली करती रहती हो.’’

‘‘अरे, तुम नहीं समझती हो बेटी. यह अंधविश्वास नहीं है, मेरा विश्वास है. आज के दिन लाल रंग के कपड़े पहनने से माता रानी की कृपा बनी रहती है और पूरा दिन शुभ रहता है.’’

‘‘कुछ नहीं होता उस से,’’ प्रिया बोली.

‘‘होता है… बहुत कुछ होता है. मातारानी की कृपा बनी रहती है. वैसे भी तुम्हारे लिए यह जरूरी है. मैं तुम्हारे रिश्तों के लिए ही कह रही हूं, ऐसा करने से तुम्हारे पति के साथ बिगड़े संबंध सुधर जाएंगे.’’ प्रिया की मां ने समझाने की कोशिश की.

‘‘तुम भी न मम्मी, बात को कहां से कहां ले कर चली जाती हो. हर बात को उस के साथ जोड़ देती हो, जो नाकारानिठल्ला है.’’ प्रिया चिढ़ती हुई बोली.

‘‘अरे बेटी, ऐसा नहीं कहते. वह तुम्हारा पति है. आज नहीं तो कल कमाने लगेगा. तब सब ठीक हो जाएगा बेटी.’’

‘‘अच्छा सुनो मां, मैं आज कालेज से जल्दी लौट आऊंगी. तुम और पापा को तैयार रहना है. दीवाली की खरीदारी आज ही कर लेंगे.’’ प्रिया बोली.

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‘‘हां बेटी, धनतेरस की खरीदारी का शुभ मुहुर्त दिन में ही शुरू हो रहा है.’’ मां ने कहा.

‘‘फिर वही दकियानूसी बात. मुहूर्तवुहूर्त क्या होता है?’’ प्रिया हंसती हुई बोली.

मांबेटी के बीच इस तरह की समझनेसमझाने की बातें दिन में एकदो बार अकसर हो ही जाती थीं. प्रिया को कभी मां की नसीहतें मिलतीं तो कभी प्रिया मां की देखभाल करती हुई समय से भोजन करने और दवाई लेने के लिए समझाती.

करीब 35 वर्षीया डा. प्रिया शर्मा न केवल अपने घर में मातापिता की चहेती बनी हुई थी, बल्कि मोहल्ले में भी उस की एक खास पहचान थी. वह उत्तर प्रदेश के बिजनौर शहर में आर.बी.डी. डिग्री कालेज की प्रवक्ता जो थी. उस ने अंगरेजी विषय में पीएच.डी. की थी.

प्रवक्ता की नौकरी यूजीसी की बेहद मुश्किल परीक्षा पास करने के बाद मिली थी. 3 साल पहले ही उस की कमल शर्मा नाम के व्यक्ति से शादी हुई थी, लेकिन महीनों से वह अपने पिता गणेश दत्त शर्मा और माता रुकमणी शर्मा के साथ रह रही थी. इस की एक अलग कहानी है.

घर से निकलते ही मारी गोली

डा. प्रिया शर्मा कालेज जाने के लिए तैयार हो चुकी थी. उस ने लंच रख लिया था. खुद भी नाश्ता कर लिया था. इस से पहले डायनिंग टेबल पर पैरेंट्स के लिए सभी जरूरी चीजें रख दी थीं. उन के लिए अलगअलग प्लेटें, पानी का जग और 2 गिलास रख दिए थे. खाने का सामान भी वहीं रख दिया था. मां के लिए फल भी काट दिए थे.

सब कुछ समय से हो गया था. मांपिता को आवाज लगाती हुई दरवाजे के पास सैंडल पहन वह घर के मुख्य दरवाजे से बाहर निकल गई थी. कुछ समय के लिए घर में एकदम सन्नाटा हो गया था. प्रिया के पिता अपने कमरे से बाहर निकले थे. वह मुख्य गेट बंद करने के लिए अभी चार कदम ही चले थे कि धांय..धांय..की आवाज सुन कर चौंक पड़े.

‘‘अरे, यह तो गोली चलने की आवाज है.’’ आवाज काफी तेज थी.

ऐसा लग रहा था, मानो बहुत पास ही किसी ने गोली चलाई हो. अभी वह कुछ सोच पाते कि इतने में 2 आवाजें एक साथ सुनाई पड़ीं. एक तेज आवाज, ‘‘क्या हुआ बाहर?’’

उन की पत्नी रुकमणी की थी और दूसरी आवाज प्रिया की, ‘‘मम्मी, आह! मर गई मैं…’’ इसी के साथ किसी के गिरने की धम्म की आवाज आई. गणेशदत्त शर्मा भागेभागे दरवाजे के पास पहुंचे. सामने का दृश्य देख कर सन्न रह गए. बेटी प्रिया दरवाजे के एक ओर बन रहे मकान की तरफ औंधे मुंह बेजान गिरी हुई थी.

उस का बैग, मोबाइल फोन और लंच बौक्स का दूसरा थैला वहीं गिरा पड़ा था. उन्होंने तुरंत उसे चेहरे की ओर सीधा किया. देखा, उस के शरीर से खून तेजी से निकल रहा था. किसी ने उसे ही गोली मारी थी.

तब तक उस की मां रुकमणी भी वहां आ चुकी थी. वह प्रिया को खून से लथपथ देखते ही दहाड़ मार कर रोने लगीं. तभी थोड़ी दूर पर बाइक पर सवार 2 लोग तेजी से भागते दिखे. गोली की आवाज सुन कर आसपास के घरों से कई लोग बाहर निकल आए.

देखते ही देखते पूरे मोहल्ले में कोहराम मच गया. प्रिया के बूढ़े मातापिता के घर मातम पसर गया. आज सुबह ही दोनों ने धनतेरस और आने वाली दीवाली की तैयारियों के बारे में बात की थी.

रुकमणी ने उसे कालेज से जल्द लौट आने को कहा था. शर्मा परिवार का दुर्भाग्य देखिए कि बूढ़े मांबाप के घर से धनतेरस के दिन ही घर की लक्ष्मी चली गई.

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हालांकि इस लक्ष्मी को उन्होंने 3 साल पहले ही अपने घर से डोली में बिठा कर विदा किया था, लेकिन अब उसे 4 कंधों पर अर्थी में विदा करने की असहनीय पीड़ा का माहौल बन गया था. वही इस घर की इकलौता सहारा और समस्या समाधान में अकेली मददगार भी थी.

सुबहसुबह अफरातफरी के बने इस माहौल में पड़ोसियों की जुटी भीड़ में से किसी ने पुलिस को सूचना दे दी, तो किसी ने घायल प्रिया को तुरंत अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस बुलवा ली. तब तक इतना तो स्पष्ट हो चुका था कि प्रिया को किसी ने काफी नजदीक से गोली मारी है.

पास के निर्माणाधीन मकान की छत से 2 मजदूरों ने बाइक सवार हमलावरों को भागते हुए भी देखा था. उन्हीं मजदूरों के मुताबिक प्रिया को गोली मारने वाले बाइक पर फर्राटा भरते तेजी से निकल भागे थे.

अस्पताल में कर दिया मृत घोषित

कुछ मिनटों में ही घटनास्थल पर बिजनौर थाने की पुलिस टीम पहुंच गई थी. उसी वक्त स्थानीय अस्पताल से एक एंबुलेंस भी आ चुकी थी. उस के साथ आए डाक्टर ने प्राथमिक जांच में प्रिया को मृत घोषित कर दिया था.

फिर भी वे खानापूर्ति और दस्तावेजी काररवाई के लिए प्रिया के शव को अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे थे. इसी क्रम में पुलिस हत्याकांड की शिनाख्त में जुट गई थी. पुलिस हत्यारे तक पहुंचने का सुराग तलाशने लगी थी.

जांच अधिकारी ने इधरउधर नजरें दौड़ाईं. आसपास लगे आधा दरजन से अधिक सीसीटीवी कैमरों पर निगाह गई. वे सीधे बिजनौर पुलिस मुख्यालय के कंट्रोल रूम से जुड़े हुए थे. थानाप्रभारी ने तुरंत उन कैमरों की फुटेज इकट्ठा करवाने के निर्देश साथ में मौजूद पुलिसकर्मियों को दिए.

घटनास्थल पर ही 2 मोबाइल फोन मिल गए, जिस में एक तो प्रिया का था, जबकि दूसरा किसी और का. पुलिस ने मृतका प्रिया के पिता गणेशदत्त शर्मा और मां रुकमणी शर्मा से पूछताछ की. उन्होंने उस रोज की घटना से कुछ समय पहले की ही बातें बताईं.

डा. प्रिया का पति आया शक के दायरे में

उन की उस वक्त की स्थिति को देख कर पुलिस ने विशेष पूछताछ करना सही नहीं समझा. फिर भी बातोंबातों में इतना पता चल गया कि उन्होंने एक दिन पहले ही प्रिया के पति कमल शर्मा और ससुराल वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा की शिकायत दर्ज करवाई थी.

डा. प्रिया शर्मा हत्याकांड बिजनौर शहर वासियों के बीच चर्चा का विषय बन गया. लोगों ने असुरक्षित माहौल के लिए सीधेसीधे पुलिस की नाकामी पर सवाल उठाए. लोगों की प्रतिक्रियाओं से बिजनौर पुलिस पर हत्यारों को पकड़ने का भारी दबाव बन गया.

त्यौहार के वक्त शहर में ऐसी सनसनीखेज वारदात से जनता में भय के साथसाथ नाराजगी भी थी. लोगों ने पुलिस प्रशासन द्वारा शहर भर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की खस्ताहाली पर भी सवाल उठाए. कारण उन में नब्बे फीसदी कैमरे काम ही नहीं करते थे.

ऐसी ही स्थिति उस कालोनी के सभी 11 कैमरों की भी थी. नतीजतन प्रिया हत्याकांड के घटनास्थल से वारदात के वक्त का एक भी दृश्य कैमरे में रिकौर्ड नहीं हो पाया था. साथ ही पूछताछ के दौरान कोई चश्मदीद गवाह नहीं मिला था.

अब पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने का एक सुराग घटनास्थल से मिला मोबाइल फोन ही थी. मीडिया में इन बातों को ले कर लगातार पुलिस प्रशासन की छीछालेदर हो रही थी. इस दबाव के चलते पुलिस ने अपनी दबिश और चैकिंग तेज कर दी थी.

हालांकि त्यौहार की वजह से पूरे शहर में हर नाकेगली पर पुलिस की चैकिंग पहले से ही चल रही थी. शहर की कोतवाली पुलिस विदुरकुटी चांदपुर रोड पर चैकिंग कर रही थी. वहीं पर पुलिस ने एक बाइक पर सवार 2 लोगों को रुकने का इशारा किया, मगर वे भागने की कोशिश करने लगे. उन में से एक सवार ने पुलिस के ऊपर फायरिंग भी कर दी. पुलिस ने अपनी बाइक उस के पीछे दौड़ा दी और जवाबी फायरिंग की.

पुलिस से हुई मुठभेड़ में एक बाइक सवार गिरफ्तार हो गया, जबकि दूसरा भागने में सफल रहा. पकड़े गए युवक के साथ एक सिपाही मोनू भी जख्मी हो गया था, जिसे जिला अस्पताल में भरती करवा दिया गया.

प्राथमिक उपचार के बाद पूछताछ की गई. उस ने अपना नाम राजू बताते हुए मुरादाबाद के थानांतर्गत मझौला का निवासी बताया. उस का फरार साथी गोलू मुरादाबाद में कांशीराम कालोनी का रहने वाला था.

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राजू से गहन पूछताछ में डा. प्रिया शर्मा हत्या का राज भी खुल गया. राजू ने पुलिस को बताया कि उसे कमल शर्मा ने प्रिया को मारने के लिए साढ़े 5 लाख रुपए की सुपारी दी थी. वह और उस का साथी गोलू शार्पशूटर हैं. उन्होंने ही प्रिया की गोली मार कर हत्या की है.

इसी के साथ पकड़े गए बदमाश राजू ने पुलिस को बताया कि वे 3 लोग चांदपुर जा रहे थे. किसी काम की वजह से अचानक उन के साथ आया छोटू बिजनौर रुक गया था. मुठभेड़ के समय बाइक गोलू चला रहा था, जबकि उस ने पुलिस को डराने के लिए फायरिंग कर दी थी.

हत्याकांड की तसवीर हो गई साफ

संयोग से बाइक फिसल गई थी और नीचे गिर गया था. गोलू ने बाइक संभाली, लेकिन वह उस पर सवार नहीं हो पाया था, कारण तब तक पुलिस की गोली उस के पैर में लगने से जख्मी हो गया था.

चांदपुर जाने के बारे में पूछने पर राजू ने बताया कि उन्हें प्रिया की हत्या के बाद उस के जीजा ब्रजेश कौशिक को मारने की भी सुपारी मिली थी. उसी के लिए दोनों चांदपुर कमल शर्मा के पास जा रहे थे.

अब प्रिया हत्याकांड की तहकीकात कर रही बिजनौर पुलिस के सामने तसवीर साफ हो गई थी. उन्होंने बगैर समय गंवाए डा. प्रिया के पति कमल दत्त शर्मा को उस के खिलाफ पहले से दर्ज की गई रिपोर्ट के आधार पर हिरासत में ले लिया.

राजू के बयान के मुताबिक डा. प्रिया शर्मा के पति कमलदत्त शर्मा ने ही हत्या की साजिश रची थी.

कमल शर्मा से पूछताछ के पहले पुलिस ने प्रिया के पिता और मां से उन की शादी और आपसी संबंधों के बारे में जानकारी हासिल कर ली. जब उन से पूछा गया कि उन्होंने किस कारण कमल शर्मा, उस की मां और बहन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी, तब वे बिफर गए.

वे नाराजगी दिखाते हुए कमल शर्मा और उस के परिवार को कोसने लगे. उन्होंने कहा कि 3 साल पहले कमल शर्मा के घर वालों ने झूठ बोल कर प्रिया से शादी करवाई थी. प्रिया ने उन्हीं दिनों प्रोफेसर की नौकरी जौइन की थी. वे उस की कमल से शादी करवाने के लिए लट्टू हो गए थे.

प्रिया की शादी की उम्र निकल रही थी. इस कारण उन पर प्रिया की जल्द शादी करने का मानसिक दबाव बना हुआ था. इस का असर यह हुआ कि उन लोगों ने शादी में बिचौलिया बने कमल के मामा और मामी की गलत जानकारी पर विशेष ध्यान नहीं दिया.

मामामामी ने कमल की खूब तारीफ करते हुए बताया था कि कमल एक बड़ी मल्टीनैशनल कंपनी में मैनेजर है. उस के बाद प्रिया के परिवार वाले उन की बातों में आ गए थे.

शर्मा दंपति ने कमाऊ बेटी होने बावजूद अच्छाखासा दहेज भी दिया और प्रिया की कमल के साथ बड़े ही धूमधाम से शादी की.

शादी के बाद जब प्रिया को पता चला कि उस का पति निठल्ला है, तब उस ने ऐसा महसूस किया मानो उस के पैरों तले जमीन खिसक गई हो. उस के मातापिता मायूस हो गए. लेकिन वे अब पछताने के अलावा कुछ कर भी नहीं सकते थे.

निठल्ला निकला डा. प्रिया का पति कमल

सच तो यह था कि कमल ने प्रिया से शादी उस की सैलरी और दहेज के लालच में की थी. उसे प्रिया से कोई लगाव नहीं था. प्रिया को इस शादी से बहुत बड़ा झटका लगा था. वह बुरी तरह टूट गई थी. फिर भी वह किसी तरह 3 साल तक पति, सास और ननद से रिश्ता निभाती रही.

प्रिया के लिए कमल किसी मुसीबत से कम नहीं था. वह लगातार दहेज में और अधिक पैसे की मांग करता रहता था. प्रिया के मातापिता जबतब थोड़ाथोड़ा पैसा दे दिया करते थे, ताकि दामाद शांत रहे और बेटी का घर अच्छी तरह से बस जाए. जबकि कमल का लालच बढ़ता ही जा रहा था.

हद तो तब हो गई जब उस ने प्रिया से अपने पिता का मकान बेच कर पैसा देने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. इस कारण प्रिया और कमल के बीच अनबन होने लगी. बातबात पर घर में तकरार की स्थिति बन गई. इस कारण प्रिया और कमल के बीच मतभेद हो गए. बातबात पर घर में तकरार होने लगी.

प्रिया को न केवल उस का पति, बल्कि सास और ननद की तीखी बातें सुननी पड़ती थीं. कमल के लिए प्रिया केवल सोने का अंडा देने वाली मुरगी जैसी थी. उस के वेतन के पैसे पर वह मौजमस्ती करने लगा था.

प्रिया के पिता गणेशदत्त शर्मा ने बताया कि जनवरी 2021 में कमल के घर वालों ने मांग पूरी नहीं होने पर प्रिया को घर से ही निकाल दिया. उस के बाद से प्रिया अपने मायके आ कर रहने लगी थी. मायके में रहते हुए प्रिया अपने कालेज पढ़ाने जाती थी और सीधा घर लौटती थी.

कहने को तो वह ससुराल से निकाल दी गई थी, लेकिन कमल से उस का पीछा नहीं छूटा था. इस बारे में प्रिया ने कई बार अपनी मां को सारी बातें बताई थीं कि वह किस तरह उसे कालेज आतेजाते रास्ते में ही रोक लिया करता था. बीच रास्ते में ही उस से पैसे की मांग कर बैठता था. एकदो बार तो उस ने तूतड़ाक की बातें कर दी थीं और हाथापाई तक करने लगा था.

प्रिया ने बताया था कि वह काफी सहमीसहमी सी रहने लगी थी. जब कभी वह कमल को दूर से आता देखती तो वह अपना रास्ता बदल लिया करती थी. उसे हमेशा डर सताता रहता था कि पता नहीं कब कमल कोई खतरनाक कदम उठा ले. उस के तेवर हमेशा रूखे और लड़ने वाले ही होते थे.

घटना से 3-4 माह पहले से कमल के तेवर और भी खतरनाक हो गए थे. इसे ले कर उन्होंने पुलिस में शिकायत भी की थी, मगर पुलिस से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. उन की शिकायत पर कोई नहीं ध्यान नहीं दिया गया. अगर पुलिस कुछ करती तब आज प्रिया जीवित रहती.

ससुराल से निकाल दिया गया डा. प्रिया को

गणेश दत्त ने बताया कि प्रिया ने कमल के साथ रहते हुए अपना घर संभालने और अपनी शादी को बचाने की हरसंभव कोशिश की थी. उन्होंने 3 सालों के दरम्यान किसी तरह 15 लाख रुपए का इंतजाम कर कमल को दिए भी थे.

यही नहीं, प्रिया अपनी पूरी तनख्वाह पति के खाते में ट्रांसफर कर देती थी. फिर भी उस का उत्पीड़न कम नहीं हुआ था. उस की सास और ननद इस उत्पीड़न में बराबर से शामिल रहती थीं.

आखिर एक दिन लड़ाईझगड़े के बाद कमल ने जब उस को घर से बाहर धकेल दिया, तब तो वह अपने बूढ़े मातापिता के पास चली आई थी. प्रिया के मायके रहने पर भी कमल उसे चैन से रहने नहीं देता था.

उस ने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों में गलत बात फैला दी थी कि प्रिया का किसी और से चक्कर चल रहा है, इसलिए वह उसे छोड़ कर अपने मायके में रह रही है.

उस के रवैए से नाराज प्रिया कुछ महीने पहले से वेतन उसे नहीं भेज रही थी. इसलिए वह चाहता था कि प्रिया वापस लौट आए. ताकि वह उसे वेतन के पैसे के लिए दबाव बना सके. लेकिन प्रिया अब उस नरक में लौटने को तैयार नहीं थी.

पत्नी की हत्या के लिए कमल ने दी सुपारी

कमल ने पुलिस पूछताछ में बताया कि इसी बात से नाराज हो कर उस ने हत्या की साजिश रच डाली थी. साजिश के अनुसार उस ने साढ़े 5 लाख रुपए में प्रिया की सुपारी दे डाली थी. इस के लिए विक्रांत नाम के व्यक्ति से संपर्क किया था. उस ने एक अन्य व्यक्ति अंकुर उर्फ छोटू के माध्यम से शार्पशूटर राजू, कपिल और गोलू से संपर्क किया और कुछ पैसा एडवांस दे कर प्रिया को खत्म करने के लिए कहा.

कमल ने घटना के करीब डेढ़ महीना पहले छोटू को साथ ले जा कर प्रिया की पहचान करवा दी थी. फिर उस के घर और उन तमाम रास्तों की पहचान करा दी, जिस से हो कर वह अकसर आतीजाती थी.

कमल की मां और बहन ने भी शूटरों को साथ ले जा कर प्रिया के घर और आसपास के इलाकों की पहचान करवा दी थी. उन्होंने प्रिया को दूर से दिखा दिया था.

उस के बाद तीनों शूटरों ने कई बार खुद प्रिया के कालेज से आनेजाने और घर के आसपास शौपिंग वगैरह जाने के समय का आंकलन किया था.

कमल ने बताया कि उस को मारने के लिए वे मुरादाबाद से करीब 6 बार बिजनौर आए, मगर हर बार प्रिया रास्ता बदल कर बचती रही. मगर 29 अक्तूबर, 2021 के दिन दोनों शूटरों को सातवीं बार मौका मिल गया और उन्होंने प्रिया पर गोलियां बरसा कर उसे मौत की नींद सुला दी.

कमल ने इसी के साथ एक और खुलासा किया कि वह प्रिया की हत्या से पहले चांदपुर निवासी उस के जीजा ब्रजेश कौशिक की भी हत्या करवाना चाहता था. क्योंकि उसे शक था कि प्रिया के प्रेम संबंध उस के जीजा से हैं.

उन्होंने ही कमल और उस के पूरे परिवार एवं मामामामी समेत 8 लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मुकदमा लिखवाने में गणेश दत्त शर्मा की मदद की थी. इस की पुष्टि पुलिस ने की. इस के लिए उन्होंने अपने साथियों के साथ कई बार कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी.

अंतत: उस ने प्लान बदल दिया था और पहले प्रिया को ठिकाने लगा दिया. कमल ने शूटरों को सुपारी के पैसों के अलावा 12 लाख और देने का वादा किया था. ब्रजेश कौशिक तक पहुंचने से पहले ही शूटर पकड़े गए.

कमल शर्मा के पिता का 18 साल पहले निधन हो चुका था. वह अपनी मां वर्षा दत्त शर्मा और बहन डौली के साथ रहता था. पुलिस ने कमल शर्मा के बाद उस की मां और बहन को भी दहेज हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

Manohar Kahaniya: छिन गया मासूम का ‘आंचल’

सौजन्य- मनोहर कहानियां

उद्योगपति पवन ग्रोवर ने अपनी बेटी आंचल की शादी बड़े कारोबारी सूर्यांश खरबंदा से की थी. शादी में उन्होंने करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए थे. शादी के करीब ढाई साल बाद ऐसा क्या हुआ कि आंचल की लाश पंखे से झूलती हुई मिली?

19नवंबर, 2021 की देर रात करीब साढ़े 11 के आसपास कानपुर के अशोक नगर में मसाला कारोबारी

सूर्यांश खरबंदा के घर के बाहर होने वाले शोरशराबे ने सोसाइटी में रहने वाले अन्य लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. सूर्यांश खरबंदा देशविदेश में विख्यात मसाला कंपनी एमडीएच के डिस्ट्रीब्यूटर हैं. उन के घर के बाहर उस रात इतना ज्यादा शोरशराबा हो रहा था कि सोसाइटी वालों ने अपने घर से बाहर निकल कर सूर्यांश के घर के बाहर जमावड़ा लगा दिया था.

‘‘गेट खोलो, हम आंचल के मायके के लोग हैं. जल्दी गेट खोलो, वरना पुलिस को बुलाएंगे. बाहर निकलो.’’ ऐसा शोर अशोक नगर की उस पौश सोसाइटी में शायद पहली बार मचा था.

आंचल खरबंदा सूर्यांश की पत्नी थी और उस के मातापिता और भाई मकान के बाहर से घर में घुसने के लिए चीखचीख कर गुहार लगा रहे थे.

एक तरफ आंचल के मायके वालों का मकान में जल्दी घुसने का शोर, दूसरी तरफ मकान के भीतर से कुत्तों के भौैंकने का शोर. इस शोर की वजह से कौन क्या कहना चाह रहा था, किसी को कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था.

कुछ देर के संघर्ष के बाद भी जब सूर्यांश के मकान का गेट नहीं खुला तो आंचल की मां रीना ने फोन कर पुलिस को इस बारे में सूचना दे दी.

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इलाके का थाना नजीराबाद अशोक नगर से मात्र 10 मिनट की ही दूरी पर था. जब तक पुलिस आती, तब तक आंचल के मायके वालों ने इंतजार किया, लेकिन घर के भीतर से कुत्तों के भौंकने का शोर लगातार जारी रहा.

इस बीच मोहल्ले में इकट्ठा बाकी लोगों की भीड़ ने आंचल के मायके वालों से मकान में घुसने की वजह पूछी. इस से पहले कि वह कुछ बताते, पुलिस की गाड़ी मोहल्ले में जमी भीड़ को हटाते और सायरन बजाते हुए मकान के सामने आ पहुंची.

पुलिस के गाड़ी से उतरते ही आंचल की मां और पिता दोनों दौड़ कर उन के पास मदद की गुहार लगाते हुए पहुंच गए. आंचल के पिता पवन ग्रोवर रोते हुए थानाप्रभारी से बोले, ‘‘साहब, जल्दी दरवाजा खुलवाइए, इन्होंने अब तक मेरी बेटी को जान से मार दिया होगा. तब से मेरी बेटी फोन नहीं उठा रही है. कुछ समझ नहीं आ रहा है. न तो कोई फोन उठा रहा है और न ही कोई मकान का दरवाजा खोलने को राजी है. ऊपर से कुत्ते खुले छोड़ दिए हैं ताकि हम अंदर न घुस सकें.’’

नजीराबाद थानाप्रभारी ने पिता पवन ग्रोवर की बात सुनी और अपनी टीम को गेट खुलवाने का इशारा किया. पुलिस को दरवाजा खटखटाते हुए देख मकान में उस समय मौजूद सिक्युरिटी गार्ड ने तुरंत दरवाजा खोल दिया.

घुसने नहीं दिया घर में मौजूद पिटबुल कुत्तों ने दरवाजा खुलते ही गेट पर 7 बड़ेबड़े पिटबुल नस्ल के कुत्ते, जोकि कुत्तों में सब से खूंखार नस्ल के होते हैं, भौंकने लगे. उन्हें भौंकता देख पुलिस ने सिक्युरिटी गार्ड को डपटते हुए उन्हें अंदर करने के लिए कहा.

कुत्तों की गरदन पर लगे पट्टे को पकड़ कर दोनों गार्डों ने एकएक कर के उन्हें काबू में किया और उन सभी को मकान के अंदर एक कमरे में ले जा कर बंद कर दिया.

कुत्तों को बंद करने के बाद पुलिस और आंचल के परिवार वाले देर न करते हुए मकान में चारों ओर फैल गए और आंचल को ढूंढने लगे. मकान में उस समय सूर्यांश के परिवार का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था.

पहली मंजिल पर डरीसहमी घर में काम करने वाली 2 नौकरानियां राधिका और किरन किचन में एक किनारे दुबके बैठी हुई थीं. राधिका की गोद में आंचल और सूर्यांश का 2 साल का बेटा अयांश भी था. इतने में आंचल की मां रीना किचन में आई और अयांश को राधिका की गोद से छीनते हुए अपने साथ मकान में दूसरे कमरों में आंचल को ढूंढने के लिए निकल गई.

पुलिस की पूछताछ में दोनों और डर गईं और उन्होंने पुलिस अधिकारियों को आंचल को आखिरी बार उस के कमरे में देखने की बात कही. पूरे मकान में ‘आंचल…आंचल’ का शोर गूंज रहा था.

आंचल के कमरे का गेट खुला था तो पुलिस टीम कमरे में घुस कर आंचल को ढूंढने लगी. लेकिन वह अपने कमरे में मौजूद नहीं थी. इतने में पुलिस की नजर कमरे में अटैच बाथरूम में गई, जिस का दरवाजा बंद था. यह बाथरूम दरअसल अंदर से बंद था. कई बार आवाज लगाने पर और दरवाजा खटखटाने पर जब कोई जवाब नहीं मिला तो बाथरूम से सटे काले रंग के कांच की खिड़की को तोड़ा गया.

कांच टूटते ही अंदर जो कुछ पुलिस और आंचल के घर वालों ने देखा, उसे देख सब के होश उड़ गए थे. बाथरूम में पंखे से चुन्नी के सहारे फांसी पर आंचल की लाश लटक रही थी.

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आंचल को लटकता देख मायके वाले जोरजोर से चीखनेचिल्लाने और रोने लगा, ‘‘मेरी बेटी को मार ही डाला इन्होंने. मेरी बेटी इतने समय से इन के जुल्म सह रही थी. इस की ससुराल वाले खूनी हैं. हम ने इन को दहेज में और पैसे नहीं दिए तो इन्होंने मेरी बेटी का मर्डर कर दिया.’’

थानाप्रभारी ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मायके वालों को सांत्वना दी और अपनी टीम से आंचल की लाश को पंखे से उतारने, संबंधित अधिकारियों और संबंधित विभाग को सूचना देने का इशारा किया.

पलक झपकते ही यह खबर इलाके में आग की तरह फैल गई. सब यह जान कर हैरान थे कि जिस सूर्यांश का नाम पूरे इलाके में नामचीन था, जिन की संपत्ति में किसी तरह की कोई कमी नहीं थी, जो इलाके में सब से संपन्न परिवारों में से एक था, उन के घर की बहू (आंचल) को दहेज के लिए प्रताडि़त किया जा रहा था.

ससुराल वालों के खिलाफ लिखाई रिपोर्ट

पुलिस को पहली नजर में यह मामला आत्महत्या का लगा, लेकिन आंचल की लाश को पंखे से उतारने के बाद पिता पवन ने पुलिस को आंचल की आत्महत्या का नहीं, बल्कि उस के ससुरालवालों द्वारा उस की हत्या कर उस की लाश पंखे से लटकाने की बात कही.

पवन और रीना ने घटना को हत्या बता कर आंचल के परिवार वाले जिस में, पति सूर्यांश खरबंदा, सास निशा खरबंदा, फूफा भरत ग्रोवर, बुआ मीनाक्षी ग्रोवर और अनु खुल्लर, बहनोई पुनीत कोटवानी, ननद निकिता कोटवानी और तान्या ग्रोवर पर हत्या और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया.

थानाप्रभारी ने भी यह महसूस किया कि इतनी बड़ी घटना हो गई लेकिन आंचल के पति और सास का कहीं कोई अतापता ही नहीं था. उन से संपर्क करने के लिए उन्हें फोन किया गया, लेकिन फोन कनेक्ट नहीं हो सका.

आंचल की मौत की खबर उस के मायके के अन्य लोगों व रिश्तेदारों को रातोंरात हो गई और वे लोग शोक व्यक्त करने और मुश्किल हालात में परिवार का सहारा बनने के लिए पहुंचने लगे.

रात बहुत ज्यादा हो गई थी तो पुलिस ने आंचल की डैडबौडी पास के अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. लेकिन पोस्टमार्टम अगले दिन 20 नवंबर को सुबह होना था, इसलिए परिवार के कुछ सदस्य सूर्यांश के घर मौजूद थे तो कुछ अस्पताल के बाहर.

अस्पताल के बाहर पुलिस की पूरी फौज ने अस्पताल को घेरा हुआ था. एडिशनल डीसीपी (क्राइम) मनीष चंद्र सोनकर, एसीपी (नागराबाद) संतोष कुमार सिंह, एसीपी (गोविंद नगर) विकास कुमार पांडेय, एसीपी (बाबरपुरवा) आलोक सिंह समेत पुलिस के कई उच्च अधिकारी भी शामिल थे.

20 नवंबर की दोपहर 2 बजे आंचल का पोस्टमार्टम हुआ तो पुलिस ने अस्पताल के बाहर खड़े आंचल के मायके वालों को शव सौंपना चाहा तो उन्होंने आंचल का शव स्वीकार करने से साफ इंकार कर दिया. घर वालों ने जल्द से जल्द आंचल की हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की. घर वालों ने आंचल के शव के साथ ही सड़क जाम करते हुए आंचल को न्याय दिलाने की मांग करते हुए नारेबाजी की.

मायके वालों ने कर दी सड़क जाम

करीब 3 घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समझाया और आरोपियों को जल्द पकड़ने और सजा दिलाने का आश्वासन दिया तो वह शांत हुए. फिर पुलिस ने उन्हें घर भेज दिया गया.

आंचल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस प्रशासन के हाथों में थी, जिस के अनुसार आंचल के शरीर पर किसी तरह के जख्म का निशान मौजूद नहीं था और मरने का कारण फांसी को ही बताया गया.

एक तरफ तो आंचल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मरने की वजह फांसी थी, लेकिन दूसरी ओर आंचल के पति और सास दोनों का नदारद होना पुलिस के दिमाग में घटना का कुछ और ही रूप बयान कर रहे थे.

पुलिस टीम ने वक्त बरबाद न करते हुए सब से पहले आंचल के पति सूर्यांश को तलाश करने की कोशिश की. लेकिन सूर्यांश का फोन बंद होने की वजह से उस का पता लगा पाना पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बन कर उभर रहा था.

सूर्यांश के फोन की लास्ट लोकेशन और उस से पहले की लोकेशन का जायजा लेने के बाद पुलिस की टीम ने पूरे प्रदेश में अपने मुखबिरों को सूर्यांश का पता लगाने को लगा दिया.

करीब 7 घंटों की लगातार मेहनत के बाद पुलिस टीम को बड़ी कामयाबी हाथ लगी. राजधानी लखनऊ से सूर्यांश और उस की मां निशा खरबंदा को उन के एक रिश्तेदार के घर से खोज निकाला और उन्हें गिरफ्तार कर आगे की काररवाई और पूछताछ के लिए उन्हें कानपुर नजीराबाद थाने लाया गया.

आंचल के पति सूर्यांश और सास निशा से शुरुआती पूछताछ के बाद मामला सुलझने के बजाए और उलझता चला गया. सूर्यांश और निशा ने उल्टा आंचल को ही दोषी करार करते हुए कहा कि आंचल ने ही उस के परिवार का जीना हराम कर रखा था.

सूर्यांश और निशा ने पुलिस के सामने ऐसे वीडियो दिखाए, जिस में आंचल अपने पति और सास को गालियां बकते हुए दिखाई दे रही थी.

वीडियो देख पुलिस के सामने सवाल और दुविधा दोनों ही उठ खड़े हुए थे. ऐसे में सवाल यह था कि आखिर आंचल के परिवार और सूर्यांश के बीच सच कौन बोल रहा था, ऐसे क्या कारण थे जिस की वजह से आंचल को आत्महत्या करने को मजबूर होना पड़ा.

आंचल सूर्यांश की शादी

कानपुर के रानीगंज, काकादेव में रहने वाले प्लास्टिक जेर्किन फैक्ट्री के मालिक पवन ग्रोवर की बेटी आंचल की अशोक नगर निवासी सूर्यांश खरबंदा, जोकि नामचीन मसाला कंपनी एमडीएच के डिस्ट्रीब्यूटर हैं, से फरवरी 2019 में शादी हुई. आंचल शादी से पहले एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया करती थी. पिता की लाडली बेटी और पूरे परिवार की आंख का तारा होने की वजह से आंचल और सूर्यांश की शादी में परिवार वालों ने किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होने दी थी. उन्होंने आंचल की शादी में करीब एक करोड़ रुपए खर्च किए थे.

बेटी को सुखी वैवाहिक जीवन देने के लिए पिता ने पैसों की बिलकुल भी परवाह नहीं की थी. बेटी आंचल की शादी क्योंकि किसी आम लड़के के साथ नहीं, बल्कि नामचीन कारोबारी से हुई थी इसलिए पवन ने शादी के बाद अपनी बेटी की चिंता छोड़ ही दी थी.

उन्हें लगा कि उन की बेटी सुरक्षित और सुखी जीवन जी रही है, लेकिन इस की हकीकत तो शादी के एक साल होने के बाद आंचल को पता चली.

आंचल और सूर्यांश की शादी को करीब साल भर हो गया था. इस बीच उन के रिश्तों में कभी भी कोई वादविवाद या टकराव जैसी स्थिति पैदा नहीं हुई थी. दोनों के बीच बेपनाह प्यार था और दोनों ही एकदूसरे को लगभग हर महीने महंगे गिफ्ट्स दिया करते थे.

लेकिन साल भर बाद जब आंचल ने सूर्यांश को अपने मां और उस के पिता होने की खुशखबरी सुनाई तो इस खबर से सूर्यांश खुश नहीं हुआ.

पिछले कुछ समय से सूर्यांश ने आंचल को कानपुर में ही एक ‘पब’ खोलने की बात कही थी. जिसे ले कर सूर्यांश काफी गंभीर था. उस ने आंचल के सामने यह भी कहा था कि उसे पब खोलने के लिए करीब 70 लाख रुपयों की जरूरत है, जोकि उस के पास नहीं है.

इस से पहले कि आंचल कुछ समझ पाती, सूर्यांश ने आंचल से 70 लाख रुपयों की मांग कर डाली. आंचल ने सूर्यांश को शुरुआती दिनों में समझाया कि उस के पिता के पास उसे देने के लिए अभी इस समय कुछ भी पैसे नहीं हैं. लेकिन समय बीतने के साथ सूर्यांश आंचल से पैसों को ले कर उस पर दबाव बनाने लगा.

दोनों के बीच पैसों की बात वादविवाद, फिर छोटेमोटे झगड़े, फिर हाथापाई वाले झगड़े और बड़े झगड़े होने लगे. यह बात अब परिवार में किसी से छिपी हुई नहीं थी. लेकिन आंचल ने यह बात अपने परिवार को तब तक नहीं बताई थी, जब तक उन के बीच कोई बड़ा विवाद या झगड़ा नहीं हो गया.

दरअसल, आंचल अपने पिता और परिवार के हालात जानती थी. वह जानती थी कि उस के पिता ने उस की शादी कितनी मुश्किल से उधार ले कर करवाई थी. वह उन तक सूर्यांश के साथ होने वाले झगड़े नहीं पहुंचने देना चाहती थी.

इसलिए आंचल हर तरीके से खुद सारे दुख झेलती, खुद पर होने वाली सारी प्रताड़नाएं झेलती लेकिन अपने परिवार को इन सभी बातों से अछूता रखा हुआ था.

पैसों को ले कर सूर्यांश के साथ होने वाले झगड़े में अब उस के ससुराल वाले भी शरीक होने लगे थे. आंचल की सास निशा भी पैसों को ले कर उसे ताना मारने लगी थी.

धीरेधीरे उस की ननद निकिता और तान्या भी उस के साथ झगड़ने लगे. यही नहीं, निकिता के पति पुनीत कोटवानी की आंचल पर शुरुआत से गंदी नजर थी.

आंचल की खूबसूरती को देख पुनीत कोटवानी खुद को रोक नहीं पाता था, इसलिए पैसों की बात सुन उस ने घर पर अन्य लोगों को भी आंचल के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया था.

इस पूरे घटनाक्रम में सूर्यांश की बुआ और फूफा भी पीछे नहीं थे. एक समय बाद सूर्यांश और उस के परिवार वालों ने आंचल को इतना ज्यादा परेशान करना शुरू कर दिया था कि हार मान कर आंचल को अपने मायके में अपनी मां और पिता को उस पर होने वाली प्रताड़नाओं के बारे में बताने को मजबूर होना पड़ा.

आत्महत्या के लिए उकसाता था सूर्यांश

पुलिस ने मृतका के मातापिता के बयान दर्ज किए. परिजनों ने स्पष्ट कहा कि ससुराल वालों ने आंचल को दहेज के लिए प्रताडि़त किया. आए दिन खुदकुशी करने के तरीके बता कर उस को उकसाया. आखिर में मार कर लटका दिया. बयानों के साथ मातापिता ने आंचल के मोबाइल समेत तमाम तथ्य भी पुलिस को उपलब्ध कराए.

आंचल की मां रीना ने बताया कि सूर्यांश और उस का परिवार आए दिन आंचल को प्रताडि़त करते थे. दहेज की मांग करते थे. विवाद हुआ तो समझौता कराया गया, जिस से बेटी का परिवार बिखरने से बचा रहे. मगर आरोपी नहीं माने. आखिर में मार ही डाला.

आंचल के पिता पवन और भाई अक्षय ने पुलिस को बताया कि कई बार सूर्यांश फ्लाईओवर पर गाड़ी रोक चुका था. इस दौरान वह आंचल से कहता था कि यहां से कूद जाओ. इसी तरह से घर पर वह पंखे से लटक कर खुदकुशी करने को कहता था. यह भी कहता था कि जब भी लटकना तो बाथरूम वाले पंखे से लटकना, क्योंकि वह सस्ता है.

खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए आरोपी पति सूर्यांश और सास निशा खरबंदा द्वारा मृतका आंचल से विवाद का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल करने पर आंचल के पिता पवन ग्रोवर ने सवाल उठाए. उन्होंने सवाल किया कि अगर आंचल के ससुराल वाले उस से प्रताडि़त थे तो उन की बेटी क्यों मरी?

इस संबंध में उन्होंने पुलिस कमिश्नर के सामने भी अपना पक्ष रखा. दरअसल, आरोपियों ने थाने में अपनी बेगुनाही के सबूत के रूप में एक वीडियो दिखाया था. इस वीडियो में आंचल अपने पति और सास के साथ अभद्रता करते दिख रही थी.

इस पर सवाल उठाते हुए आंचल के पिता पवन ग्रोवर ने बताया कि वीडियो में उन की बेटी बारबार बोल रही है कि और मार… और मार… इस से साफ है कि वीडियो बनाने से पहले उस के साथ जम कर मारपीट की गई थी.

वीडियो में आंचल अपनी सास के चरित्र पर सवाल उठाते हुए किसी शख्स से उस के संबंध होने की भी बात कर रही थी. इस के बाद मां और बेटा एक शब्द नहीं बोल रहे.

उन्होंने कहा इस से साफ है कि जानबूझ कर ऐसी परिस्थितियां बनाई गईं कि आंचल आक्रोशित हो और मांबेटे इस वीडियो का गलत तरीके से इस्तेमाल कर सकें. उन्होंने वीडियो बनाने के लिए उन की बेटी को उकसाने का आरोप लगाया.

‘‘आरोपी मांबेटा अगर बेटी से प्रताडि़त थे तो कभी थाने में शिकायत क्यों नहीं की? वीडियो में सच्चाई थी तो इस को बेटी के जीते जी कभी वायरल क्यों नहीं किया? अगर बेटी उन के साथ मारपीट और प्रताडि़त करती थी तो वो कैसे मरी? अगर बेटी 2 सालों से मांबेटे के साथ अभद्र व्यवहार

कर रही थी तो पुलिस कंट्रोल रूम पर कितनी बार मदद मांगी?’’ आंचल के पिता पवन ने पुलिस के सामने इसी तरह के सवाल उठाए.

आंचल की मौत को हत्या कहें, आत्महत्या कहें या फिर आत्महत्या के लिए उकसाना कहें, इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए पुलिस की टीम जांच में कथा संकलन तक जुटी हुई थी.

Satyakatha: दोस्त की दगाबाजी

सौजन्य- सत्यकथा

दगाबाजी में दोस्त समेत 3 निर्दोषों की भी मौत हो गई

राजस्थान के शहर हनुमानगढ़ में राष्ट्रीय समाचार पत्र के ब्यूरो प्रमुख और स्थानीय संवाददाता एक सप्ताह पहले नहर में इनोवा कार गिरने की घटना को साधारण दुर्घटना मानने को तैयार नहीं थे. उस हादसे में 4 लोगों की नहर में डूब कर मौत हो गई थी, 3 एक ही परिवार के सदस्यों में पतिपत्नी और उन की बेटी के अलावा एक लिफ्ट ले कर कर सफर कर रही अपरिचित महिला थी.

ब्यूरो प्रमुख ने स्थानीय संवाददाता से इस बारे में अपना तर्क देते हुए कहा, ‘‘माना कि इंदिरा गांधी मेन कैनाल में अकसर गाडि़यों के गिरने की दर्दनाक घटनाएं होती रहती हैं. परंतु यह भी उतनी ही कड़वा सच है कि वैसी घटनाओं को ले कर पुलिस भी ज्यादा छानबीन नहीं करती. महज एक हादसा बता कर आगे की जांच बंद कर देती है. 8 फरवरी की रात को हुई इस घटना को एक हादसा कह कर नजरंदाज करना ठीक नहीं होगा.’’

‘‘आप बिलकुल ठीक कह रहे हैं सर. एक तो इनोवा. भारीभरकम कार. ऊपर से उस में बैठे 4 लोग. तो फिर अचानक कैसे खिसक जाएगी?’’ स्थानीय संवाददाता बोला.

‘‘और हां, कार तो सड़क के किनारे उबड़खाबड़ पटरी पर खड़ी की गई थी.’’ ब्यूरो प्रमुख बोले.

‘‘ऐसा करते हैं कि हम लोग घटनास्थल पर वैसी ही एक कार ले कर चलते हैं और उसे पटरी पर लगा कर देखते हैं कि वह अपने आप कैसे खिसक सकती है? कितनी दूरी तक जा सकती है..?’’ संवाददाता ने सुझाव दिया.

‘‘एक इनोवा किराए पर लो और कल ही वहां चलने का प्रोग्राम बनाओ. हमें पुलिस प्रशासन को सचेत करना होगा, वरना आगे भी दुर्घटनाएं होती रहेंगी और वे फाइलों में बंद होती रहेंगी.’’

ब्यूरो प्रमुख के इस निर्णय का संवाददाता ने एक आदेश की तरह पालन किया और फिर दोनों अगले ही रोज इनोवा कार ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

उन्होंने सुरक्षा के लिए कार को पीछे से एक रस्से के सहारे बांध रखा था. रस्से को ढीला कर इनोवा को अपने आप खिसकने के लिए छोड़ दिया, लेकिन यह क्या कार टस से मस नहीं हुई. यहां तक कि उसे हलका सा धक्का भी दिया गया और कई एंगल से हिलाडुला कर देखा गया. कार वहीं रुकी रही.

2 पत्रकारों द्वारा किए गए इस प्रयोग की खबर अगले दिन समाचार पत्र में प्रमुखता से मुख्य पृष्ठ पर छपी. उस में एक हफ्ते पहले हुई इनोवा कार हादसे को एक सुनियोजित घटना बताया गया.

यह भी कहा गया कि किसी साजिश के तहत कार को कैनाल में ढकेला गया होगा. आशंका जताई गई कि कार में सवार से किसी के साथ दुश्मनी हो. कारण कार ड्राइव करने वाला व्यक्ति भी हादसे के बारे में साफ जानकारी नहीं दे पाया था.

खबर पढ़ कर लोग चौंक गए. वे तरहतरह की चर्चा करने लगे. किसी ने उस जगह को पूरी तरह से सुरक्षित बनाने का तर्क दिया, तो किसी ने पुलिस पर निकम्मेपन का दोष मढ़ दिया.

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दूसरी ओर पुलिस प्रशासन पर भी इस खबर का असर हुआ. वैसे पुलिस के आला अधिकारी पहले से ही इस घटना को शंका की निगाह से देख रहे थे.

घटना के 8 दिन बाद मृतक रेणु के भाई रमेश प्रसाद विजय नगर में हनुमानगढ़ पुलिस थाना गया. वह सिडाना निवासी जगदीश प्रसाद का बेटा था, उस ने इनोवा कार ड्राइवर रमेश स्वामी के खिलाफ लापरवाही से कार चलाने की शिकायत दर्ज की.

शिकायत में रमेश प्रसाद ने लिखा कि कार चालक की लापरवाही की वजह से ही उस की बहन रेणु, बहनोई विनोद और भांजी इशिका समेत एक अन्य महिला सुनीता भाटी की मौत हुई.

उस ने चालक पर जानबूझ कर हत्या करने का मुकदमा दर्ज करने की गुहार लगाई. चालक को मृतक व्यक्ति का दोस्त और एक ही औफिस में साथसाथ काम करने वाला बताया.

इस आरोप के आधार पर भादंसं की धारा 304 के तहत एक मामला दर्ज कर लिया गया. मामले को एसपी प्रीति जैन ने गंभीरता से लेते हुए जांच की जिम्मेदारी रणवीर सिंह मीणा को सौंप दी.

साथ ही हनुमानगढ़ के डीएसपी प्रशांत कौशिक और साइबर सेल के हैडकांस्टेबल वाहेगुरु सिंह, रिछपाल सिंह को सहयोगी के तौर पर उन के साथ लगा दिया.

उस के बाद पुलिस मुस्तैदी से जांच करने लगी. साइबर सेल टीम ने कार चालक रमेश स्वामी के मोबाइल नंबर की डिटेल्स निकलवाई.

पिछले 10 दिनों के भीतर मोबाइल पर हुई उस की तमाम बातचीत की स्टडी की. उसी सिलसिले में रमेश की कुछ संदिग्ध काल की भी जानकारी मिली. साइबर सेल टीम चौंक गई कि इनोवा कार विनोद की ही थी. तब रमेश ने उस बारे में रामलाल नायक नाम के व्यक्ति से क्यों बातें की थी? रामलाल के मोबइल नंबर की लोकेशन लखुपाली की थी.

पुलिस ने रामलाल को उस के मोबाइल लोकेशन के आधार पर थाने बुला लिया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह पिछले कई सालों से रमेश स्वामी  के खेत बंटाई पर जोता करता था.

रमेश स्वामी पहले ही हिरासत में लिया जा चुका था. उस ने भी रामलाल की बातों की पुष्टि कर दी. उस के बाद आगे की जांच के लिए रामलाल को भी हिरासत में ले लिया गया.

पुलिस ने जब रामलाल पर उस की रमेश के साथ फोन पर हुई बातचीत को विस्तार से जानने के लिए सख्ती की, तब उस ने बताया कि उस ने एक सहयोग मांगा था. उस के लिए वह तैयार भी हो गया था. रमेश के कहने पर घटना के दिन रामलाल शाम ढलते ही इंदिरा गांधी मेन कैनाल पर पहुंच गया था.

रमेश स्वामी ने जब गाड़ी पटरी पर खड़ी की तब रामलाल वहीं पास में अंधेरे में खड़ा था. रमेश कार में बैठे लोगों को क्या कह कर उतरा था रामलाल को नहीं मालूम, लेकिन रमेश ने रामलाल के पास आ कर कार को पीछे धक्का देने के लिए कहा.

उस ने धक्का देने के बारे में कुछ भी जानने की जरूरत नहीं समझी. उस के कहे अनुसार उस ने जोर से धक्का लगा दिया. बताया कि कार के थोड़ा हिलने के बाद रमेश स्वामी ने उसे वहां से चले जाने को कहा और खुद कार की दूसरी ओर चला गया.

उस के बाद रमेश स्वामी और रामलाल कहां गए इस का खुलासा नहीं हो पाया था

इस मामले में पुलिस के सामने यह सवाल खड़ा था कि आखिर कार को रमेश और रामलाल ने जानबूझकर क्यों पीछे से धकेला? कार के हिलने के बाद रमेश वहां से थोड़े समय के लिए क्यों चला गया? उस ने रामलाल को धक्का देने के तुरंत बाद क्यों चले जाने को कहा? रामलाल ने कार के धक्का देने के बारे में उस से कुछ भी क्यों नहीं पूछा? इन सवालों के कुछ जवाब से पुलिस के सामने एक और सच्चाई सामने आई. उस सच में एक दोस्त की दगाबाजी भी उजागर हो गई.

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जांच की दूसरी कड़ी के तौर पर शिकायतकर्ता रमेश प्रसाद से कुछ अन्य जानकारियां जुटाई जाने लगी. उस के बहनोई की मौत परिवार समेत हो गई थी. प्रसाद ने बताया कि उस के बहनोई विनोद कुमार पिछले कुछ महीने से काफी मानसिक तनाव में थे.

4 बीघा खेती की जमीन खरीदने की बात करते रहते थे, जिस के लिए उन्होंने अपने एक बहुत ही खास दोस्त रमेश को 15 लाख रुपए एडवांस भी दिए थे. यह बात बीते साल 2020 के अगस्त माह में कोरोना का असर कम होने के समय की थी. बताते हैं कि उस की रजिस्ट्री नहीं हो पाने से वह बहुत परेशान चल रहे थे.

प्रसाद की इस जानकारी के आधार पर पुलिस ने विनोद कुमार के दोस्त रमेश स्वामी को भी संदिग्ध मानते हुए अपनी गिरफ्त में ले लिया था.

पुलिस के सामने अब कुछ तसवीर साफ होती नजर आने लगी थी. रमेश से जमीन की खरीदबिक्री संबंधी सवाल पूछे गए, जिस में जमीन से ले कर उस के लिए पैसे के लेनदेन की भी बातें थीं.

पहले तो रमेश दोस्त की आकस्मिक मौत का मातम मनाते हुए खुद को निर्दोष बताता रहा. काफी समय तक एक दोस्त खोने का रोना रोता रहा. लेकिन जब पुलिस ने खेती की जमीन के लिए एडवांस और रजिस्ट्री नहीं होने की बात सख्ती से पूछी तो वह टूट गया.

उस ने बताया कि वह  जमीन विनोद के नाम रजिस्ट्री नहीं कर सकता था, क्योंकि जमीन उस के पिता के नाम थी.

उस ने यह भी बताया कि जमीन का सौदा 25 लाख रुपये में हुआ था. उसे एडवांस में 15 लाख मिले थे. एडवांस की एक कच्ची रसीद बनाई गई थी. बाकी पैसे रजिस्ट्री के समय मिलने थे.

रमेश से पूछताछ के सिलसिले में जमीन के भारत माला प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग में चिन्हित होने की भी बात सामने आई. बताते हैं कि इस कारण जमीन की कीमत एक झटके में कई गुना बढ़ गई थी.

इस आधार पर पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि रमेश के मन में अधिक मुनाफे का लालच आ गया होगा और रजिस्ट्री नहीं होने की बहानेबाजी पर उतर आया होगा.

रमेश और विनोद एक शिक्षण संस्थान एसकेएम में नौकरी करते थे. वहां विनोद कुमार अकाउंटेंट थे, जबकि रमेश स्वामी क्लर्क के पद पर तैनात था. विनोद एकदम शांत स्वभाव के थे तो वहीं स्वामी का स्वभाव उन के उलट था, लेकिन उन की दोस्ती की सभी मिसाल देते थे.

विनोद कुमार के साले प्रसाद ने पुलिस को उन की परेशानी में कही हुई एक और बात बताई. बहनोईं ने एक बार कहा था कि उस के दोस्त ने उस के पीठ में खंजर घोंपा है, वह पैसा वापस नहीं कर रहा है. केवल बहाने बनाता है.

एडवांस की रकम वापसी नहीं किए जाने को ले कर भी पुलिस ने रमेश से पूछताछ की. इस पर रमेश ने बताया कि उस ने दिसंबर 2020 के अंत में पैसा लौटाने का वादा किया था, लेकिन उस की नीयत में खोट आ गई थी. पैसा लौटाने के बजाय उस ने विनोद के मुंह को हमेशा के लिए बंद करने की खतरनाक योजना बना ली थी.

ऐसा निर्णय लेने के बारे में उस ने बताया कि बारबार पैसा मांगने से वह तंग आ गया था. उसे ले कर औफिस के सभी लोग तरहतरह की बातें किया करते थे. पीठ पीछे उस की बुराई करते थे, जबकि विनोद को ईमानदार बताते थे.

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रमेश के अनुसार पैसे वापसी को ले कर उस की आखिरी खुशनुमा मुलाकात औफिस में ही हुई थी. रमेश ने माफी मांगते हुए मात्र 3 दिनों में ही पैसा लौटाने का आश्वासन दिया था.

उस दिन दोनों ने कई महीने बाद औफिस में एक साथ बैठ कर नाश्ता किया और चाय पी. उन के बीच महीनों से चले आ रहे गिलेशिकवे दूर हो गए थे.

विनोद खुश हो गए थे कि उन का पैसा मिलने वाला है. मिलने वाले पैसे को ले कर उन्होंने मन ही मन कुछ योजनाएं भी बना ली थीं.

इस से अलग रमेश के मन में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. उस ने रकम लौटाने का वादा तो कर लिया था, लेकिन सच तो यह था कि रकम उस के पास थी ही नहीं.

पलक झपकते ही 2 दिन गुजर गए. रमेश के हाथ खाली ही थे. उस ने नया बहाना बनाया. चौथे दिन विनोद के घर पहुंच गया, विनोद ने प्यार से उसे बिठाया और पत्नी को उस के लिए चायनाश्ता लाने के लिए कहा.

लेकिन रमेश मना करता हुआ मायूसी से बोला, ‘‘दोस्त, मैं अपने वायदे पर खरा नहीं उतर पाया हूं. मैं ने अपने सभी बकाएदारों के यहां तकादा कर लिया. सब ने हाथ खड़े कर दिए हैं. उन में 3 तो अनाज के व्यापारी हैं. उन्होंने मार्च के बाद ही रकम लौटाने की बात कही है. भैया, चलो मुझे पुलिस के हवाले कर दो, जो चाहे सजा दिलवा दो’’

‘‘ऐसी बात क्यों करते हो, मुझे तुम पर भरोसा है. मैं थानापुलिस के झमेले में नहीं पड़ना चाहता.’’ विनोद बोला.

‘‘नहींनहीं भाई, मैं तुम्हारा और ज्यादा नुकसान नहीं होने दूंगा. अब मैं सारी रकम का ब्याज भी दूंगा. ब्याज के साथ मूल रकम अप्रैल 2021 तक मिल जाएगी.’’ रमेश ने एक और आश्वासन दिया.

रमेश की बातें सुन कर विनोद को मन मारना पड़ा. उन के पास न तो कोई मजबूत कागजात थे. और न वह किसी कानूनी विवाद में पड़ना चाहते थे. उन्होंने कहा कि उन्हें मूल रकम ही मिल जाए वही काफी है. वह यह भी जानते थे कि अगर रमेश पर ज्यादा दबाव बनाया तो वह मूल रकम से भी मुकर सकता है.

विनोद का मन एक बड़ी रकम के फंस जाने से दुखी था, जबकि रमेश स्वामी के दिमाग में कुछ और ही खुराफात चल रही थी. वह खुश था कि विनोद उस के जाल में फंस गया है.

हालांकि इस के अलावा एक और सच्चाई थी, जिसे रमेश ने पुलिस के सामने कबूल कर ली थी. उस ने तय कर लिया था विनोद को इस दुनिया से ही चलता कर देगा. इस के लिए वह उधेड़बुन करता रहा कि कैसे विनोद की मौत को स्वाभाविक मौत में बदला जाए.

उसे अचानक एशिया की सब से लंबी नहर इंदिरा गांधी मेन कैनाल के बारे में मालूम था, जिस में कई वाहनों की जल समाधि हो चुकी थी.

उस हादसे की पुलिस विशेष जांच नहीं करती थी और वैसे हादसों की फाइल पर ‘मर्ग’ दर्ज कर मामले को हमेशा के लिए दफन कर दिया जाता था. इसी तरह की रमेश ने योजना बनाई.

नए साल 2021 की शुरुआत हो चुकी थी. विनोद अपनी बड़ी बेटी रिया को सीकर ले जाना चाहता था. वहां उसे एक कोचिंग संस्थान में दाखिला करवाना था. हालांकि उस के पास खुद की इनोवा कार थी, लेकिन उस से वह दूर की यात्रा के लिए खुद ड्राइव नहीं करता था. उसे रमेश के बारे में पता था कि वह कार अच्छी तरह ड्राइव कर लेता है. उस के साथ वह पहले भी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर चुका था.

इस बारे में विनोद ने रमेश से बात की. वह झट तैयार हो गया. उसे मानो मुंहमांगी मुराद मिल गई थी. तय प्रोग्राम के अनुसार विनोद अपनी पत्नी रेणुका, बड़ी बेटी रिया, छोटी बेटी इशिका के साथ 8 फरवरी को इनोवा से सीकर के लिए निकल पड़े.

कार रमेश स्वामी ने ड्राइव की. वे साढ़े 3 घंटे में सीकर पहुंच गए. वहां रिया का दाखिला हो गया. अब उन के लौटने की बारी थी.

इसी बीच विनोद कुमार के एक जानकार संदीप भाटी ने फोन कर बताया कि उस की पत्नी सुनीता भाटी इन दिनों सीकर में है, सो उसे भी वह अपनी गाड़ी में साथ लेते आएं. उन्होंने सुनीता के मिलने की जगह भी बता दिया.

शाम होने से करीब एक घंटा पहले विनोद सीकर से वापस लौट पड़े. इस बार कार में बेटी रिया की जगह सुनीता थी. थोड़ी देर गाड़ी ड्राइव करने के बाद रमेश स्वामी ने चायनाश्ता करने की इच्छा जताई. सभी एक ढाबे के पास रुके. उस दौरान रमेश उन से दूर जा कर फोन पर किसी से बातें करता रहा.

रात के 10 बज चुके थे. विनोद की कार लखुवाली गांव से गुजरते हुए नहर के पुल पर पहुंच गई. नहर करीब 35 फीट गहरी है. पुल से करीब एक किलोमीटर आगे मेन रगुलेटर बना हुआ है. उस से अन्य नहरों में पानी बहा दिया जाता है.

रमेश ने कार को मेन सड़क से हटा कर कैनाल की पटरी पर खड़ा कर दिया. वह नीचे उतर गया. बाकी लोग नींद में कार में ही बैठे रहे.

विनोद ने सोचा कि वह शायद पेशाब वगैरह के लिए उतरा होगा. वह भी नींद में था. थकावट भी महसूस कर रहा था. कुछ मिनट में ही कार खिसकने लगी. देखते ही देखते कार नहर में जा गिरी. खिसकती कार से सुनीता ने अपने पति संदीप को फोन किया था. अनहोनी की आशंका के साथ जब वे कैनाल के पास पहुंचे, तब तक वहां तो अनहोनी हो चुकी थी.

लोगों की भीड़ जुट चुकी थी. उन्हीं में से किसी ने दुर्घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी. रात होने और काफी अंधेरा होने के कारण पुलिस कुछ नहीं कर सकी थी. घना कोहरा भी छा गया था.

अगले रोज 9 फरवरी, 2021 को पुलिस ने गोताखोरों और क्रेन की मदद से इनोवा कार बाहर निकाली. उस में चारों सवार भी थे. उन की मौत हो चुकी थी. पुलिस ने उसे सीधेसीधे हादसा करार देते हुए फाइल तैयार की और मीडिया को इस की जानकारी दे दी.

कुछ दिनों बाद कोरोना संक्रमण के फैलने के कारण इलाके में कोरोना कर्फ्यू लग गया. भारी संख्या में पुलिस बल व्यस्त हो गए. नतीजतन इस मामले की जांचपड़ताल थम गई.

लौकडाउन में ढील दिए जाने के बाद इस मामले की सुनवाई जून महीने से दोबारा शुरू की गई. तमाम तरह की पूछताछ के बाद रामलाल और रमेश स्वामी को 12 जुलाई, 2021 को अदालत में पेश किया गया. बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

अपराध: पसंद नहीं आया पति के साथ मोना का सोना

शारदा ने अपने पति को काफी सम?ाया था कि दूसरी औरत के चक्कर में अपना परिवार और बिजनैस चौपट न करे. हर बार बिल्डर राजू अपनी बीवी से माफी मांगता और प्रेमिका से नाता तोड़ लेने के वादे करता. पर असल में वह अपनी प्रेमिका से दूरी बना ही नहीं रहा था.

पिछले दिनों जब शारदा को पता चला कि उस के पति ने अपनी प्रेमिका को जमीन का प्लौट गिफ्ट में दिया है, तो उस के सब्र का बांध टूट गया. उसे अपना घरपरिवार बिखरता नजर आने लगा और आखिरकार उस ने मोना को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली.

दरअसल, बिल्डर राजू का मोना राय उर्फ अनीता देवी नाम की एक मौडल से इश्क चल रहा था. राजू उस के इश्क में इस कदर डूबा हुआ था कि उसे अपने बसेबसाए घरपरिवार की भी चिंता नहीं रही.

मोना का सारा खर्च वही उठाता था, यहां तक कि जिस किराए के मकान में मोना रहती थी, उस का किराया तक राजू ही देता था.

मोना और राजू के प्रेम के किस्से की भनक मोना के पति को भी थी, पर माली तौर पर कमजोर होने की वजह से वह चुप्पी साधे रहता था.

‘मिस ग्लोबल बिहार कौंटैस्ट’ में ‘बेस्ट आई’ यानी ‘सब से सुंदर आंखें’ का अवार्ड जीतने वाली मौडल मोना राय को अपराधियों ने कमर में गोली मार कर घायल कर दिया.

पटना के राजीवनगर महल्ला के रामनगरी सैक्टर-3 में उस के घर के मेन गेट के पास ही गोली मारी गई. वह अपनी बेटी आरोही के साथ पास के ही एक मंदिर से लौटी थी.

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जैसे ही मेन गेट खोल कर वह अपनी स्कूटी अंदर करने लगी, तभी पीछे से अपराधियों ने उस पर गोलियां बरसा दीं. उस के बाद अपराधी मोटरसाइकिल से फरार हो गए.

गोली लगने के बाद मोना चीखती और तड़पती हुई जमीन पर गिर पड़ी, अपनी मां को खून से लथपथ देख उस की बेटी जोरजोर से चिल्लाने लगी, तो मोना के पति सुमन कुमार और परिवार के बाकी लोग घर से बाहर निकले.

लोगों ने पुलिस को सूचना दी. उस के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया. पुलिस ने मोना के घर, मोबाइल फोन और लैपटौप की छानबीन की. उस के घर में रखे फ्रिज से शराब की बोतल मिली है.

12 अक्तूबर की रात को उस पर गोलियां दागी गईं. 5 दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद 17 अक्तूबर को उस की मौत हो गई.

मोना की मौत के बाद कई राज उस के साथ ही दफन हो गए. गोली मोना के कमर में लगी थी और लिवर में जा कर फंस गई थी, जिस से उस का लिवर डैमेज हो गया था.

पुलिस की जांच में भी बिल्डर राजू और मोना की नजदीकियों का खुलासा हुआ. उन दोनों के इश्क के चर्चे उन के परिवार वालों तक पहुंच चुके थे. पुलिस ने राजू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

पहले राजू और मोना फुलवारीशरीफ इलाके में रहते थे और पड़ोसी थे. वहीं दोनों की नजरें मिलीं और उन के बीच प्रेम की खिचड़ी पकने लगी.

इस बात की जानकारी जब राजू की बीवी को हुई, तो उस ने खूब हंगामा मचाया. हंगामे के बाद मोना ने घर बदल लिया और रामनगरी महल्ले में रहने लगी. मोना ने घर भले ही बदल लिया, लेकिन राजू और मोना का इश्क परवान चढ़ता रहा.

पुलिस की जांच में पता चला कि बिल्डर राजू की बीवी शारदा देवी ने ही मोना की हत्या की साजिश रची थी. पुलिस जब उसे पकड़ने गई, तो पता चला कि वह अपने नाबालिग बेटे को ले कर फरार हो गई है. उसे पकड़ने के लिए 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापामारी की गई, लेकिन वह पुलिस के हाथ नहीं आ सकी.

इस मामले में आरा जिले के उदवंतनगर के भगवतीपुर गांव से एक अपराधी भीम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

भीम ने पुलिस को जानकारी दी कि शारदा ने ही सुदेश, विश्वकर्मा, शंकर और राहुल नाम के शूटरों को मोना की हत्या की सुपारी दी थी. विश्वकर्मा ने ही मोना पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थीं.

भीम ने पुलिस को यह भी बताया कि बिल्डर का नाबालिग बेटा भी मोना की हत्या की साजिश में शामिल है. उसी ने मोना का फोटो शूटर्स को दिखाया था. उस के बाद वही शूटरों को ले कर मोना के घर के पास गया था और घर के बाहर खड़ी मोना की ओर इशारा करते हुए बताया कि उसी औरत को मारना है.

फुलवारीशरीफ में रहने वाले बिल्डर राजू से मोना का गहरा रिश्ता था. तकरीबन 3 महीने पहले राजू ने मोना के नाम से जमीन का एक प्लौट खरीदा था, जिस की कीमत तकरीबन 25 लाख रुपए है.

राजू और मोना की नजदीकियों से राजू की बीवी शारदा खफा रहती थी. इस मसले को ले कर दोनों के बीच अकसर तकरार होती रहती थी. जब राजू ने मोना को प्लौट गिफ्ट में दिया, तो शारदा के सब्र का बांध टूट गया और उस ने मोना को ठिकाने लगाने की ठान ली.

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इस के लिए उस ने अपने भतीजे राहुल से कौंट्रैक्ट किलर से बात करने को कहा. राहुल ने शारदा की कोई मदद नहीं की. उस के बाद शारदा ने अपने दूर के रिश्तेदार सुदेश से मोना की हत्या कराने की बात की. 5 लाख रुपए में मोना को मारने की बात तय हुई थी. विश्वकर्मा, शंकर और भीम को सुदेश ने 97,000 रुपए बतौर एडवांस दिए.

अनीता उर्फ मोना बिहार के रोहतास जिले के विक्रम ब्लौक की रहने वाली थी. साल 2006 में उस की शादी सुमन के साथ हुई थी. सुमन एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स एक्जीक्यूटिव का काम करता है.

सुमन ने पुलिस को बताया कि अनीता उर्फ मोना पिछले 2-3 सालों से टिकटौक वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डालती थी. उस के फौलोअर की तादाद एक लाख पार कर चुकी थी. उस के बाद वह मौडलिंग करने लगी और अपना नाम बदल कर मोना रख लिया था. वह कई प्रोग्राम में हिस्सा लेती थी और काफी लोगों से उस का मिलनाजुलना होने लगा था. मोना के 2 बच्चे हैं. बेटे का नाम नैतिक और बेटी का नाम आरोही है.

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