Crime- बैंकिंग धोखाधड़ी: कैसे बचें!

दरअसल, हमें यह सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए कि ऐसा हमेशा से होता रहा है मानवीय संवेदना जहां मनुष्य की फितरत है वही धोखा देना भी एक ऐसी फितरत है जो हमेशा से रही है. अब सिर्फ एक सवाल है कि हम इससे कैसे बच सकते हैं क्योंकि इसके अलावा हमारे पास कोई रास्ता नहीं है.

हम स्वयं जागरूक होंगे अपना बचाव करेंगे तो अपने कमाए हुए गाड़े धन की रक्षा कर सकते हैं. अगर हम स्वयं आंखें मूंद लेंगे तो धोखाधड़ी का शिकार होने की संभावना बनी रहेगी.

इस आलेख में हम यह प्रयास कर रहे हैं कि आपको कुछ ऐसी टिप्स दें ताकि आप बैंकिंग धोखा घड़ी से बच सके. इसी संदर्भ में आपको यह जानना भी जरूरी है कि हाल मैं बैंकिंग धोखा घड़ी की घटनाएं बढ़ती चली जा रही हैं. जैसे जैसे नियम कायदे कठोर हो रहे हैं प्रचार-प्रसार हो रहा है उसी स्पीड मैं धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ते चले जा रहे हैं.

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चालू वित्त वर्ष (2021-22) की पहली छमाही में विभिन्न बैंकिंग कामकाज में धोखाधड़ी के मामले बढ़कर 4,071 हो गए, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह संख्या 3,499 थी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की बैंकिंग प्रवृत्ति एवं प्रगति के बारे में  जारी रिपोर्ट में बताया गया कि बैंकिंग कामकाज से संबंधित धोखाधड़ी के मामले आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गए हैं.

सरकार और अमिताभ बच्चन

इस रिपोर्ट में आपको यह उल्लेख करना भी जरूरी है कि बैंकिंग धोखा घड़ी को ले करके जहां सरकार भारतीय रिजर्व बैंक अलर्ट है और यह प्रयास लगातार जारी है कि लोगों में जागरूकता फैले.

यही कारण है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन को भी बैंकिंग धोखाधड़ी से बचाव के लिए हायर  किया हुआ है.

देश और दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले -“कौन बनेगा करोड़पति” कार्यक्रम जिसके होस्ट स्वयं अमिताभ  हैं कार्यक्रम में लगातार  बीच-बीच में  बैंकिंग धोखाधड़ी से बचाव के लिए लोगों को अपने अंदाज में जानकारियां देते जाते हैं.

मगर इस सब के बावजूद बैंक में रखे हुए धन में सोशल मीडिया के माध्यम से सेंध लगाए जाने का अपराध बदस्तूर जारी है. इसका यही बचाव है कि हम जागरूक हो और अपने बैंकों के दस्तावेजों आदि की जानकारी शेयर नहीं करें और गोपनीय रखें.

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आंकड़े है चौकानेवाले

हालांकि अप्रैल-सितंबर, 2021 के दौरान हुई धोखाधड़ी में शामिल रकम 36,342 करोड़ रुपए रही, जो एक साल पहले की समान अवधि में 64,261 करोड़ रुपए थी   चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंकों ने 35,060

करोड़ रुपए मूल्य के अग्रिम भुगतान से संबंधित धोखाधड़ी के 1,802 मामले दर्ज किए गए. चिंता का सबब यह है कि इसके अलावा 1,532 मामले कार्ड भुगतान एवं इंटरनेट भुगतान से संबंधित थे, जिनकी कुल राशि 60 करोड़ रुपए थी.

पहली छमाही में जमाओं से संबंधित धोखाधड़ी के 208 मामले सामने आए, जिसमें 362 करोड़ रुपए की राशि का हेरफेर किया गया. बैंकिग धोखाधड़ी के

मामले में एक खास बात यह है कि इसमें आधे से भी अधिक हिस्सा निजी क्षेत्र के बैंकों का है लेकिन मूल्य के संदर्भ में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा इस धोखाधड़ी में अधिक रह है.

वहीं  वर्ष 2020-21 में 1,38, 42 करोड़ रुपए मूल्य के कुल 7,363 धोखाधड़ी मामले दर्ज किए गए थे.यह संख्या व 2019-20 में 8,703थी, जिनमें 1,85, 46: करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी. इस तरह 2020-21 में बैंकिंग धोखाधड़ी के मामले एक साल पहले की तुलना में कम हो गए. रिपो कहती है कि वर्ष 2020-21 में सामने आ कई मामले असल में पहले के थे, लेकिन इस समय उन्हें दर्ज किया गया. इस अवधि में निज बैंकों का अंशदान धोखाधड़ी की मात्रा ए मूल्य दोनों में अधिक रहा. यह रिपोर्ट आंकड़े हमें सूचित करते हैं कि अगर हम स्वयं जागरूक नहीं होंगे तो अभी भी बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं.

Satyakatha: विदेशियों से साइबर ठगी- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

यश दिल्ली की झिलमिल कालोनी में रहता था. इस साल मार्च में दोबारा हुए लौकडाउन से वह काफी टूट चुका था. नौकरी मिलने की दूरदूर तक उम्मीद नजर नहीं आ रही थी. बेरोजगारी से बुरी तरह परेशान चल रहा था. वैसे उस के पास शेफ का डिप्लोमा था, लेकिन रेस्टोरेंट का काम बंद होने के चलते उसे कहीं काम नहीं मिल पा रहा था.

क्या करे, क्या नहीं करे, इसी उधेड़बुन में वह खोया हुआ अंधेरा होने पर भी पास के पार्क में चिंतित बैठा था. तभी जेब में रखे फोन की घंटी बजी. यश कुछ सेकेंड के लिए रुका. सोचा, किसी कर्ज देने वाले का फोन होगा.

कुछ देर घंटी बजने के बाद उस ने राहत की सांस ली और जेब से फोन निकाल कर देखा. फोन पर आई काल को ले कर उस की जो आशंका थी, उस से उसे राहत मिली. कारण काल किसी कर्ज देने वाले की नहीं, बल्कि उस के एक करीबी दोस्त रवि की थी. रवि को हाल में ही जयपुर में नौकरी मिली थी. यश ने उसे तुरंत कालबैक किया.

‘‘हैलो रवि! कैसे हो भाई?’’

‘‘मैं तो मजे में हूं, तू बता, कहीं नौकरी मिली या नहीं?’’ उधर से आवाज आई.

‘‘क्या बताऊं अपने बारे में? पहले जैसी ही हालत है. रेस्टोरेंट खुले तब न कहीं काम मिले.’’ यश निराशाभरी आवाज में बोला.

‘‘तू मेरे साथ काम करेगा?’’ रवि ने पूछा.

‘‘यह भी पूछने की बात है?’’ यश ने तपाक से कहा.

‘‘लेकिन नौकरी काल सेंटर की है.’’ रवि ने बताया.

‘‘काल सेंटर की! मैं तो उस बारे में कुछ जानता ही नहीं. तो फिर कैसे?’’ यश ने सवाल किया.

‘‘तू हां तो बोल, मैं जानता हूं कि तू कर लेगा. तुझे फर्राटेदार अंगरेजी बोलनी आती ही है. इसलिए ठीकठाक पैसा मिल जाएगा,’’ रवि ने समझाया.

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‘‘मुझे जयपुर आना होगा?’’ यश ने पूछा.

‘‘मैं तुझे एक एड्रेस वाट्सएप करता हूं. वहां जो भी हो उस से जा कर मिल लेना. मेरा रेफरेंस देना. समझ, तेरा काम हो जाएगा… और हां, अपना रेज्यूमे के साथ एक पासपोर्ट साइज फोटो और एड्रेस प्रूफ के लिए कुछ भी रख लेना,’’ रवि ने बताया.

कुछ सेकेंड बाद ही यश के मोबाइल पर दक्षिणपुरी दिल्ली का एक एड्रेस आया. उस में मोबाइल नंबर भी था. यश ने तुरंत उस नंबर पर फोन किया. जैसा रवि ने कहा था, उसे अच्छा रिस्पांस मिला और अगले रोज मिलने का समय तय हो गया.

सिर्फ 2 दिनों के भीतर ही उसे नौकरी के लिए पुष्कर बुला लिया गया. यश और उस के परिवार को काफी आश्चर्य हुआ कि उसे नौकरी मिल गई.

यश ने राहत की सांस ली कि चलो रेस्टोरेंट न सही कहीं तो नौकरी मिली. उस ने सोचा कि कुछ दिन इस नौकरी के बाद अपने सीखे हुए काम की नौकरी कर लेगा. एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद उसे पुष्कर भेज दिया गया.

पुष्कर राजस्थान का धार्मिक तीर्थस्थल होने के साथसाथ पर्यटन स्थल भी है. वहां विदेशी पर्यटकों का आनाजाना लगा रहता है. इस कारण एक से बढ़ कर एक रिसौर्ट और होटल बने हुए हैं.

यश को एक और आश्चर्य हुआ, क्योंकि उसे पुष्कर के एक रिसौर्ट ‘द नेचर रिट्रीट’ में ठहराया गया था. अनलौक नियमों से मिली कुछ ढील के चलते उस के कुछ कमरे कामकाज के लिहाज से खोले गए थे. वहीं एक दूसरे रिसौर्ट ‘रौक्स और वुड’ में उस का दोस्त रवि ठहरा हुआ था.

यश के कमरे में एक मंहगा लैपटौप, हैडफोन और एक स्मार्टफोन रखा था. रिफ्रैशमेंट के लिए चायकौफी के साथसाथ स्नैक्स और बिस्किट के भी इंतजाम थे. यह सब देख कर यश बहुत खुश हुआ. उस ने नौकरी को ले कर जैसा सोचा था, उसे उस से भी बेहतर लगा था.

ट्रेनिंग के दौरान ही उसे बता दिया गया था कि उस का काम वर्क फ्रौम होम के तहत किया जाना है. डेटा आदि की सुरक्षा के दृष्टिकोण से कंपनी के कर्मचारियों को होटल के कमरे में तमाम तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध करवा दी गई हैं. फिर भी उसे कोई डाउट हो तो कंपनी के एचआर से उस का क्लैरिफिकेशन कर सकता है. यह जुलाई 2021 के दूसरे सप्ताह की बात है.

यश ने कुछ दिनों में ही काल सेंटर के कामकाज को समझ लिया था. काल के लिए उसे जो भी नंबर मिलते, उस के क्लाइंट को पूरी तरह संतुष्ट करने के बाद ही दम लेता था.

फिक्स मंथली सैलरी के अलावा क्लाइंट से बात करने के एवज में कमीशन भी मिलता था, जिस से बीते 2 महीने में उसे अच्छीखासी राशि मिल गई थी. वह उस के उम्मीद से कहीं अधिक थी. इस कारण उसे काल सेंटर का जौब रास आने लगा था.

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उस रोज 7 अक्तूबर की सुबहसुबह अचानक यश के कमरे का किसी ने दरवाजा खटखटाया. गहरी नींद में सो रहा यश हड़बड़ा कर उठा. एक घंटा पहले ही वह रात की शिफ्ट की ड्यूटी पूरी कर सोया था. उस ने अनिद्रा की हालत में दरवाजा खोला.

दरवाजे पर पुलिस को देख कर कुछ पूछता, इस से पहले ही 2-3 पुलिसकर्मी कमरे में घुस आए. उन्होंने झटपट बेड पर रखे लैपटौप और मोबाइल फोन को उठा कर उन्हें समेटना शुरू कर दिया. एक कांस्टेबल यश की बांह पकड़ कर बोला, ‘‘शर्टपैंट पहन लो और मेरे साथ थाने चलो.’’

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Satyakatha: 100 लाशों के साथ सेक्स करने वाला इलेक्ट्रीशियन

सौजन्य- सत्यकथा

इंग्लैड के ईस्ट ससेक्स राज्य में ब्रिटिश पुलिस को 34 सालों से 2 युवतियों के हत्यारे की तलाश थी. इस के लिए पुलिस ने जबरदस्त जाल बिछा रखा था. फिर भी हत्यारे पकड़ से बाहर थे. इस कारण पुलिस ने जासूसों की टीम भी लगाई.

मामला 25 वर्षीया वेंडी नेल और 20 साल की कैरोलिन पियर्स की हत्याओं का था. उन के साथ दुष्कर्म भी हुआ था. दोनों टुगब्रिज वेल्स में रहती थीं और अलगअलग वारदातों में 1987 में दोनों की हत्या कर दी गई थी. उस हत्याकांड को ‘बेडसिट मर्डर्स’ के रूप में जाना गया था.

नेल गिल्डफोर्ड रोड स्थित अपने अपार्टमेंट में 23 जून, 1987 को मृत पाई गई थी. पुलिस को इस की सूचना उस के मंगेतर ने दी थी. उस के शरीर पर कई जख्म थे. जबकि पियर्स की लाश उसी साल 5 महीने बाद 24 नवंबर को उन के घर से 40 मील दूर बांध के पानी में तैरती हुई बरामद हुई थी.

उन की मौत के सिलसिले में हुई जांच में हत्या और दुष्कर्म के जो सुराग मिले थे, उस के अनुसार मृतकों के शरीर, अंगवस्त्र, तौलिए, बैडशीट आदि से मिले एक जैसे डीएनए को सबूत का आधार बनाया गया था.

उस डीएनए वाले व्यक्ति का पता लगाने के लिए 15 दिसंबर, 1987 को अदालती आदेश के बाद ब्रिटिश पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी थी.

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फोरैंसिक वैज्ञानिकों द्वारा 1999 में डीएनए जांच के आधुनिक तरीके अपनाए गए थे और इस के लिए एक नैशनल लेवल पर डेटाबेस तैयार किया गया था.

दोनों लड़कियों के सैकड़ों करीबियों से पूछताछ के साथसाथ उन के डीएनए की भी जांच की गई थी. रिश्तेदारों, दोस्तों और फिर उन के करीबियों से जांच के सिलसिले में डेविड फुलर के घर वालों के डीएनए की भी जांच हुई, जिसे हत्या के आरोप में पहले भी गिरफ्तार किया जा चुका था.

इस तरह पुलिस को अंतत: 2019 में सफलता मिल गई, लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से उस की गिरफ्तारी 3 दिसंबर, 2020 को हो पाई.

67 वर्षीय डेविड फुलर को ईस्ट ससेक्स के हीथफील्ड स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर लिया गया. उस का डीएनएन मृतकों से प्राप्त नमूने से मेल खाता था. इसी के साथ जब उस के घर की गहन तलाशी ली गई, तब यौन अपराध का जो राज खुला, वह जितना चौंकाने वाला था, उतना ही घिनौना भी था.

फुलर के अनगिनत कुकर्मों का खुलासा उस के घर और घर के कार्यालय की तलाशी के बाद हुआ. पुलिस को कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, सीडी, डीवीडी और फ्लौपी डिस्क में 14 मिलियन से अधिक अश्लील तसवीरें भरी मिलीं. उन में बच्चों की लाश के साथ अश्लील वीडियो भी थे. सभी अलगअलग फोल्डर में रखे गए थे और उन पर नाम का लेबल भी लगाया गया था. साथ ही एक डायरी में यौन अपराधों का काला चिट्ठा दर्ज था.

उसी आधार पर पुलिस ने पाया कि फुलर अपनी वासना की आग बुझाने के लिए 2 मुर्दाघरों में महिलाओं की लाशों के साथ दुष्कर्म किया करता था. यह कुकर्म वह करीब 100 लाशों के साथ कर चुका था, जिन में 9 साल की बच्ची से ले कर 100 साल की वृद्धा तक की लाशें शामिल थीं. यह सब उस ने तब किया था, जब वह हीथफील्ड अस्पताल में इलैक्ट्रीशियन की नौकरी करता था.

ये सारी बातें फुलर ने मेडस्टोन क्राउन अदालत में दोनों लड़कियों की हत्या को ले कर हुई सुनवाई के दौरान स्वीकार की. उस ने यह भी बताया कि दोनों की बेरहमी से हत्या करने के बाद उस की लाश के साथ दुष्कर्म किया था. तभी नेल के तौलिए, अंडरगारमेंट, और लार में फुलर का डीएनए पाया गया था.

फुलर के जुर्म से इंग्लैंड की अदालत भी दंग थी. कोर्ट ने माना कि ब्रिटेन या कहें कि दुनिया के इतिहास में इतना खौफनाक और दर्दनाक वाकया शायद कभी नहीं गुजरा, लिहाजा कोर्ट ने इस मामले को बेहद संजीदगी से लेते हुए उसे अपराधी ठहरा दिया.

न्यायाधीश चीमा ग्रव ने फुलर को उन की हत्याओं के अलावा 51 अलगअलग मामलों के अपराधों का भी दोषी करार दिया, जिस में 44 मामले लाशों से छेड़छाड़ के थे. साथ ही मुर्दाघरों में 78 लाशों की भी पहचान कर ली गई. उसे 2 लड़कियों नेल और पियर्स की हत्या के लिए भी दोषी ठहराया गया.

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कैरोलीन पियर्स का फुलर ने 24 नवंबर, 1987 को उस के घर के बाहर ग्रोसवेन पार्क से अपहरण कर लिया था. वहीं उस की हत्या कर लाश के साथ दुष्कर्म किया था.

पड़ोसियों ने उस के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुनी थी. एक हफ्ते बाद उस की लाश उन के घर से 40 मील दूर मिली थी, जिस की सूचना पुलिस को एक खेतिहर मजदूर ने दी थी.

पुलिस ने अदालत में बताया कि फुलर दोनों लड़कियों को पहले से जानता था. वह उसी फोटो डेवलपमेंट चेन का ग्राहक था, जहां नेल काम करती थी. इस के अलावा फुलर की पियर्स से जानपहचान बस्टर ब्राउन रेस्टोरेंट में हुई थी, जहां वह मैनेजर थी.

इन वारदातों के 24 साल बाद फुलर की सितंबर 2011 में गिरफ्तारी हुई थी. तब वह सबूत नहीं मिलने के कारण छूट गया था.

उस ने अदालत में बताया कि वह 1989 से 12 साल तक हीथफील्ड अस्पताल के 2 मुर्दाघरों में बिजली संबंधी समस्याओं की देखभाल के लिए अकसर आताजाता था.

वह वहां के रखरखाव का सुपरवाइजर था. मुर्दाघर के फ्रीजर के देखभाल की जिम्मेदारी उसी पर थी. इस के लिए उसे वहां प्रवेश के लिए निजी एक्सेस स्वाइप कार्ड मिला हुआ था. मुर्दाघर में कुल 5 कर्मचारी काम करते थे, जिन की ड्यूटी सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक की होती थी. फुलर की ड्यूटी दिन के 11 बजे से शाम के 7 बजे तक की थी. इस कारण दूसरे कर्मचारियों के चले जाने के बाद भी वह मुर्दाघर में रुका रहता था. अपनी शिफ्ट के अखिरी 3 घंटों में ही उस ने यह घिनौने काम किए थे.

वैसे अस्पताल के कुली किसी भी समय नए शवों के साथ मुर्दाघर में आ सकते थे. यह फुलर के लिए पोस्टमार्टम कक्ष में प्रवेश करने का अच्छा मौका होता था. फुलर पोस्टमार्टम कक्ष में चला जाता था. ऐसा करते हुए किसी का ध्यान उस पर नहीं जाता था.

मुर्दाघर के अन्य हिस्सों की तुलना में शवों की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पोस्टमार्टम कक्ष में कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं लगाए गए थे. हालांकि  मुर्दाघर की ओर जाने वाले गलियारों सहित अन्य क्षेत्रों पर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगे थे.

इस नतीजे तक पहुंचने में इंग्लैंड पुलिस को 2.5 मिलियन यूरो यानी 21.42 करोड़ रुपए खर्च करने पड़े थे. फुलर के अपराध मुर्दाघर की लाशों के साथ यौनाचार तक ही सीमित नहीं थे, बल्कि इसे यादगार बनाए रखने के लिए  उस ने एक डायरी भी बना रखी थी.

वह लाशों के साथ यौन संबंध बनाने के बाद बाकायदा उस घटना को अपने अनुभवों के साथ डायरी में नोट करता था. यही नहीं, उस ने सैक्स की फ्यूचर प्लानिंग तक कर रखी थी.

Satyakatha: पति बदलने वाली मनप्रीत कौर को मिली ऐसी सजा- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

18सितंबर, 2021 को सुबहसुबह ही काशीपुर हरिद्वार नैशनल हाईवे पर एक औरत की लाश दिखते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई. लाश की बुरी हालत हो चुकी थी. रात में न जाने कितने वाहन उस के ऊपर से गुजर चुके थे. करीब 40 फीट तक सड़क पर महिला के घिसटने व टायरों के निशान मौजूद थे.

घटनास्थल को देखते ही लग रहा था कि महिला सड़क किनारे चल रही होगी. उसी वक्त किसी तेज गति से आ रहे वाहन ने महिला को टक्कर मार दी होगी. उस के बाद वह महिला वाहन की चपेट में आ कर काफी दूर तक घिसटती चली गई थी. बाद में काफी खून का रिसाव हो जाने के कारण महिला की मौके पर ही मौत हो गई थी.

जैसेजैसे यह खबर क्षेत्र में फैलती गई, घटनास्थल पर लोगों का हुजूम उमड़ता गया. आनेजाने वाले वाहन चालक भी उस महिला के शव को देखने के लिए अपनी गाडि़यां रोकरोक कर चला रहे थे. लोगों में जानने की उत्सुकता थी कि पता नहीं यह औरत कौन है और उस के साथ क्या हुआ.

तभी वहां पर मौजूद लोगों में से किसी ने थाना अफजलगढ़ में फोन कर इस घटना की जानकारी दी. हाईवे पर एक महिला की लाश पड़ी होने की सूचना पाते ही अफजलगढ़ थानाप्रभारी एम.के. सिंह व सीओ सुनीता दहिया पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे.

मौके पर जा कर पुलिस ने देखा कि महिला का चेहरा बुरी तरह से कुचला हुआ था. मामला पेचीदा होने के कारण पुलिस ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया था. पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए घटनास्थल से सारे साक्ष्य जुटाए.

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महिला के पहनावे को देख कर लग रहा था कि वह किसी अच्छे परिवार से रही होगी. उस ने नीले रंग की जींस और उस पर लाल टौप पहन रखा था. महिला के शव के दोनों ओर दूर तक खून से सने टायरों की रगड़ के निशान भी मिले थे.

पुलिस ने अपनी तहकीकात करते हुए उस महिला की शिनाख्त कराने की कोशिश की. किंतु वहां पर मौजूद लोगों ने उसे पहचानने से इंकार कर दिया था. मृत महिला के पास न तो किसी तरह की कोई आईडी ही पाई गई थी, न ही कोई मोबाइल फोन और न कोई पर्स ही पाया गया था. महिला के बाएं हाथ पर अंगरेजी में प्रवदीप नाम गुदा हुआ था.

जब किसी भी तरह से उस महिला की शिनाख्त नहीं हो पाई तो पुलिस ने आसपास के जिलों के थानों में इस की सूचना प्रेषित करा दी थी.

साथ ही सोशल मीडिया पर भी महिला का शव मिलने से संबधित पोस्ट वायरल की गई. लेकिन कहीं से भी उस महिला के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली.

इस पर पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए उस की लाश का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमार्टम के लिए सील कराने की काररवाई भी शुरू कर दी थी. तभी सोशल मीडिया पर महिला के कपड़े व हाथ पर प्रवदीप लिखे होने की जानकारी मिलते ही उस के मायके वाले मौके पर पहुंचे.

महिला के मायके वालों के पहुंचते ही उस की पहचान 30 वर्षीय मनप्रीत कौर पत्नी सुखवीर सिंह, निवासी भीकमपुर बन्नाखेड़ा, बाजपुर जिला ऊधमसिंह नगर, उत्तराखंड के रूप में हुई.

महिला के मायके वालों ने उस के बारे में बताया कि मृतका करीब 6 साल से अपने पति सुखवीर से अलग काशीपुर में रह रही थी. कल शाम वह अपने घर से निकली थी. लेकिन उस के बाद वह वापस नहीं लौटी.

मनप्रीत कौर की लाश मिलने की सूचना पाते ही उस का पति सुखवीर सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गया था. पुलिस पूछताछ में सुखवीर सिंह ने बताया कि मनप्रीत काफी समय पहले से ही उस से अलग काशीपुर में रह रही थी.

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वहीं पर रहते हुए उस की दोस्ती मानियावाला गांव निवासी नफीस से हो गई थी. दोस्ती होने के बाद से ही वह उसी के साथ रह रही थी. सुखवीर ने पुलिस को बताया कि उस की हत्या भी जरूर नफीस ने ही की होगी.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने नफीस को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर पर दबिश दी, लेकिन वह अपने घर से फरार मिला.

इस से पुलिस यह तो समझ ही चुकी थी कि मनप्रीत कौर के मर्डर में उस का ही हाथ रहा होगा. इसी कारण वह पुलिस के डर की वजह से घर से फरार हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए अपना जाल फैलाया.

पुलिस ने उस के मोबाइल फोन को सर्विलांस पर लगाते हुए उस की काल डिटेल्स भी निकलवा ली थी. जिस के कारण फरार नफीस की सच्चाई सामने आने लगी थी.

काल डिटेल्स से पता चला कि उस रात उस ने मनप्रीत से कई बार बात की थी. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने फरार नफीस को गिरफ्तार करने के लिए जगहजगह अपने मुखबिर भी तैनात कर दिए थे.

एक मुखबिर की सूचना पर 19 सितंबर, 2021 की शाम को ही आरोपी नफीस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पुलिस पूछताछ करने के दौरान नफीस ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया.

उस ने बताया कि उस का मृतका के साथ कई साल से प्रेम प्रसंग चल रहा था. वह स्वयं पहले ही शादीशुदा है. उस के बावजूद मृतका उस पर शादी के लिए दबाव बना रही थी. जिस से तंग आ कर उसे मजबूरन उस की हत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

हत्या के इस केस पर पड़ा परदा उठते ही पुलिस ने आरोपी नफीस की निशानदेही पर मर्डर में प्रयुक्त हुए लोहे की रौड और मृतका को कुचलने में प्रयोग किए गए ट्रक को भी अपने कब्जे में ले लिया था. साथ ही पुलिस ने आरोपी के पास से मृतका का मोबाइल फोन व उस का आधार कार्ड भी बरामद कर लिया.

मृतका देखनेभालने में बहुत ही सुंदर थी. आरोपी पिछले 4 साल से उस महिला के साथ ही रह रहा था. आरोपी मृतका मनप्रीत को अपनी बीवी से ज्यादा प्यार करता था. फिर ऐसा क्या हुआ कि उसे अपनी पे्रमिका को इतनी दर्दनाक मौत देने पर मजबूर होना पड़ा.

यह कहानी उन शादीशुदा औरतों के लिए एक सबक है, जो शादीशुदा होने के बावजूद भी पराए मर्दों के प्रेम में फंस जाती हैं. उस के साथ ही वह अपनी बसीबसाई जिंदगी को तबाह कर लेती हैं.

मृतका मनप्रीत कौर शादीशुदा और एक बच्ची की मां थी. गांव हरियावाला, उत्तराखंड निवासी केसर सिंह ने अब से लगभग 8 साल पहले अपनी बेटी मनप्रीत कौर की शादी उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के गांव भीकमपुर निवासी सुखबीर सिंह के साथ की थी.

हालांकि हरनाम सिंह काफी समय से गांव भीकमपुर में रहते थे. लेकिन उन की अपनी जुतासे की बिलकुल भी जमीन नहीं थी.

परिवार बड़ा था. वह स्वयं एक ट्रक ड्राइवर थे, जिस के सहारे ही उन्होंने अपने 9 सदस्यों के परिवार को जैसेतैसे चला रखा था. ट्रक ड्राइवर रहते हुए ही उन्होंने अपनी 5 बेटियों और 2 बेटों की शादी भी कर दी थी.

अगले भाग में पढ़ें- पत्नी की बात सुनते ही सुखवीर परेशान हो उठा

Satyakatha: प्रेमी ने खोदी मोहब्बत की कब्र- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर शहर का उपनगरीय इलाका रांझी पूरे देश में व्हीकल फैक्ट्री के लिए जाना जाता है, जहां पर भारतीय सेना के उपयोग में आने वाले व्हीकल का निर्माण किया जाता है. रांझी के झंडा चौक के पास ही नंदकिशोर वंशकार का परिवार रहता है. नंदकिशोर की रांझी के बाजार में एक छोटी सी दुकान है, जिस में वह टूव्हीलर वाहनों के सीट कवर बनाने का काम करता है.

नंदकिशोर के परिवार में उस की पत्नी सुधा, 2 बेटे और 2 बेटियां खुशबू और आरजू थीं. 23 साल की बड़ी बेटी खुशबू मौडर्न खयालों की थी, जिसे सजनेसंवरने के साथ घूमनेफिरने का भी शौक था.

मई 2021 की 31 तारीख की बात थी. दोपहर के करीब डेढ़ बजे का समय था. खुशबू अपनी मां सुधा से बोली, ‘‘मम्मी लौकडाउन की वजह से कई दिनों से मैं घर से बाहर नहीं निकल पाई, इसलिए आज ब्यूटीपार्लर जा रही हूं.’’

सुधा बेटी की फितरत जानती थी इसी वजह से उस ने यह कहते हुए खुशबू को ब्यूटीपार्लर जाने की अनुमति दे द

ी कि जा तो रही है, लेकिन जल्दी घर आ जाना.

इस के बाद खुशबू इठलाती हुई ब्यूटीपार्लर जाने की बोल कर घर से निकल गई और सुधा खाना बनाने में व्यस्त हो गई.

रात के 8 बजे तक जब खुशबू घर नहीं लौटी तो सुधा परेशान हो गई. सुधा ने जब खुशबू के मोबाइल पर काल किया तो उस का फोन स्विच्ड औफ बता रहा था. उस ने अपनी छोटी बेटी आरजू को आसपास के घरों में खुशबू को खोजने के लिए भेज दिया.

इसी दौरान सुधा ने अपने पति नंदकिशोर को फोन कर कहा, ‘‘आप जल्दी घर आ जाइए, खुशबू दोपहर को ब्यूटीपार्लर गई थी, लेकिन अभी तक घर नहीं लौटी है.’’

यह सुन कर नंदकिशोर भी घबरा गया. वह पत्नी को तसल्ली देते हुए बोला, ‘‘चिंता मत करो, मैं जल्द ही घर पहुंच रहा हूं.’’

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इधर आरजू आसपास के घरों में चक्कर लगा कर वापस आ गई थी, लेकिन खुशबू कहीं नहीं थी. करीब 9 बजे जैसे ही नंदकिशोर अपनी दुकान से घर पहुंचा तो सुधा बहुत घबराई हुई हालत में थी. वह बारबार नंदकिशोर से कह रही थी, ‘‘आप जल्दी से खुशबू का पता कीजिए. आजकल समय बहुत खराब है.’’

नंदकिशोर भी रोज ही लड़कियों के अपहरण और उन के साथ होने वाली जोरजबरदस्ती की घटनाएं सुनता रहता था, इसलिए वह भी किसी अज्ञात आशंका के चलते भयभीत हो गया. उस के मन में बुरेबुरे खयाल आने लगे.

नंदकिशोर ने अपने पड़ोसी को साथ ले कर रांझी इलाके के 4-5 ब्यूटीपार्लरों में जा कर खुशबू के बारे में पूछताछ की, लेकिन पता चला कि खुशबू किसी पार्लर में नहीं पहुंची थी. सुधा सब रिश्तेदारों को फोन लगा कर बेटी के बारे में पूछ चुकी थी. खुशबू के छोटे भाईबहन भी अपने घर के आसपास अपनी बहन की तलाश कर चुके थे, लेकिन कहीं से भी उस की कोई खबर नहीं मिल रही थी.

तब तक रात के 12 से ज्यादा का वक्त हो चुका था. थकहार कर नंदकिशोर अपने घर आ गया. घर में तो जैसे मातम छाया हुआ था. चिंता और भय के माहौल में जैसेतैसे पूरे परिवार ने रात काटी और सुबह होते ही नंदकिशोर अपनी पत्नी सुधा के साथ रांझी पुलिस स्टेशन पहुंच गया.

थाने में टीआई आर.के. मालवीय को पूरी जानकारी बताते हुए नंदकिशोर ने बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई. सुधा रोरो कर टीआई मालवीय से बेटी को खोजने की गुहार लगा रही थी. टीआई आर.के. मालवीय ने खुशबू की फोटो, मोबाइल नंबर ले कर सूचना दर्ज करते हुए उन्हें भरोसा दिया, ‘‘आप चिंता न करें, पुलिस जल्द से जल्द आप की बेटी को खोज निकालेगी.’’

अगले भाग में पढ़ें-  आकाश और खुशबू दसवीं कक्षा तक जबलपुर के स्कूल में साथसाथ ही पढ़े थे

Satyakatha: कल्पना की अधूरी उड़ान

 सौजन्य- सत्यकथा

 ऐसा क्या हुआ कि कल्पना की शादी की उड़ान अधूरी ही बन कर रह गई…

उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के थाना एलाऊ क्षेत्र में एक गांव है नगला लालमन. उसी गांव के 2 भाई यशपाल और शेषपाल सुबह 10 बजे किसी काम से जा रहे थे. गांव से लगभग एक किलोमीटर दूर स्थित जल्लापुर निवासी दिनेश यादव के खेत के पास से गुजर रहे थे. तभी उन की नजर खेत में झाड़ी की ओर गई तो वहां का दृश्य देख कर दोनों भाइयों के पैर थम गए.

झाड़ी के पीछे 21-22 साल की युवती की लाश पड़ी थी. पास जा कर देखा तो पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वह लाश गांव के ही फेरू सिंह की 22 वर्षीय बेटी कल्पना की थी. उस के चारों ओर खून फैला हुआ था. किसी ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी थी.

उसी समय दोनों भाइयों ने कल्पना के भाई अवधपाल सिंह को इस बात की जानकारी फोन से दे दी. यह बात अवधपाल ने अपने घर बताने के साथ ही पड़ोसियों को भी बताई.  खबर सुनते ही परिवार में कोहराम मच गया. घरवालों के साथ ही लालमन गांव के लोग खेत की ओर दौड़े.

गांव की युवती को दिनदहाड़े खेतों पर गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया गया था. इस से गांव में सनसनी फैल गई. कुछ ही देर में वहां भीड़ जुट गई.

यह 17 मार्च, 2021 की सुबह की बात है. भाई अवधपाल व ग्रामीणों ने पास जा कर देखा तो कल्पना की कनपटी पर गोली मारी गई थी. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी थी.

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सूचना मिलते ही थाना एलाऊ के थानाप्रभारी सुरेशचंद्र शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. युवती की हत्या की खबर आसपास के गांवों में भी फैल चुकी थी, जिस से वहां देखने वालों की भीड़ जमा हो गई.

लाश देख कर लोग आक्रोशित थे और हंगामा कर रहे थे. थानाप्रभारी ने बिना देर किए अपने उच्चधिकारियों को भी घटना से अवगत करा दिया.

सूचना मिलने पर एसपी अविनाश पांडेय, एएसपी मधुबन सिंह, सीओ (सिटी) अभय नारायण राव के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. एसपी के आदेश पर फोरैंसिक टीम, डौग स्क्वायड की टीम भी वहां पहुंच गई.

उच्चाधिकारियों ने युवती के शव का निरीक्षण किया. शव की दशा इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि गोली मारने से पहले उस के साथ मारपीट भी की गई थी.

क्योंकि उस के दाएं हाथ पर चोट के निशान थे, जिन्हें देख कर ऐसा लग रहा था जैसे वह टूटा हुआ है. गोली बाएं कान के नीचे सटा कर मारी गई थी. इस से लग रहा था कि हत्यारे जानपहचान वाले ही होंगे. चेहरे के चारों ओर खून फैला हुआ था.

पुलिस ने मृतका के घरवालों से बात की. उन्होंने बताया कि कल्पना आज तड़के साढ़े 5 बजे अपने घर से दिशामैदान के लिए निकली थी. लेकिन जब वह 2 घंटे तक वापस नहीं आई तो घर वाले उस की तलाश में जुट गए.

जब उस की तलाश की जा रही थी, तभी उन्हें उस की हत्या की खबर मिली. घर वालों ने बताया कि कल्पना अपने पास मोबाइल रखती थी, लेकिन वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गई थी.

पुलिस अधिकारियों ने जब उन से पूछा कि उन की किसी से दुश्मनी या रंजिश तो नहीं है तो कल्पना के भाई अवधपाल सिंह ने बताया कि गांव में उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं है. फिर सवाल यह था कि हत्या किस ने और क्यों की है?

फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से जरूरी सबूत जुटाए. मृतका के कपड़ों से कुछ भी नहीं मिला. हां, उस का दुपट्टा वहीं खेत की मेड़ पर तह बना कर हुआ रखा मिला.

पुलिस का खोजी कुत्ता भी घटनास्थल से कुछ दूरी तक खेतों में गया. इस पर पुलिस ने खेतों की तलाशी की. लेकिन ऐसा कोई सुराग नहीं मिल सका, जिस से हत्यारे का सुराग मिलता. पानी का डिब्बा गायब था.

कई घंटे तक जांच करने के बाद जब पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव को उठाना चाहा तो ग्रामीणों ने विरोध किया. उन्होंने कहा कि गुत्थी सुलझने के बाद ही कल्पना का शव उठने दिया जाएगा.

एसपी अविनाश पांडेय ने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया कि मृतका के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर हत्यारों का पता लगाया जाएगा. उन्होंने आक्रोशित लोगों को आश्वासन दिया कि पुलिस शीघ्र ही हत्यारों को गिरफ्तार कर लेगी. उन के आश्वासन के बाद ग्रामीण शांत हो गए. तब पुलिस ने काररवाई कर शव को मोर्चरी भेज दिया.

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मृतका के भाई अवधपाल ने इस संबंध में गांव के ही 2 सगे भाइयों दिनेश और विक्रम के खिलाफ कल्पना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. आरोपित दिनेश शिक्षक है और कुरावली क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत है. वहीं उस का भाई विक्रम गांव में रोजगार सेवक है.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस जांच में जुट गई. पुलिस ने दोनों की गिरफ्तारी के लिए उन के घर पर दबिश दी, लेकिन वे घर पर नहीं मिले.

मृतका के घर वालों से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन परिवार के लोग कल्पना की हत्या का कारण नहीं बता सके. जबकि भाई अवधपाल ने गांव के ही 2 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अवधपाल ने बताया कि दोनों आरोपित घटना के समय से फरार हैं, इसलिए उन पर शक है.

घर वालों की ओर से बताए गए घटनाक्रम पर पुलिस पूरे तौर पर विश्वास नहीं कर रही थी. युवती की हत्या के मामले में पुलिस की नजर में परिवार के लोग भी शक के दायरे में थे. पुलिस किसी भी तथ्य को नजरंदाज नहीं कर रही थी.

जांच शुरू हुई तो नामजद आरोपियों के खिलाफ कोई भी साक्ष्य नहीं मिला. इस के चलते अन्य पहलुओं पर पुलिस ने जांच शुरू की. घटना का राजफाश करने के लिए सीओ (सिटी) अभय नारायण राय के नेतृत्व में स्वाट और सर्विलांस सहित 4 टीमों को लगाया गया.

शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस में गोली से मौत होने के साथ ही मृतका की बांह पर चोट के निशान थे लेकिन बांह की हड्डी नहीं टूटी थी. इस बात से यह स्पष्ट हो गया कि युवती का हत्यारे के साथ संघर्ष हुआ था. इसी के चलते उस की बांह में चोट लगी थी.

पुलिस ने ग्रामीणों से भी इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस की जानकारी में आया कि मृतका के गांव के ही एक युवक से प्रेम संबंध थे. पुलिस ने इस बीच कल्पना का मोबाइल फोन कब्जे में ले लिया. काल डिटेल्स की जांच की गई. मोबाइल में एक नंबर ऐसा था, जिस पर सब से ज्यादा बातें होती थीं.

पुलिस ने जब इस संबंध में जानकारी की तो पता चला कि यह नंबर गांव के ही अजब सिंह का है. अजब सिंह की तलाश हुई तो वह गायब था. इस से पुलिस के शक की सुई उस की तरफ घूम गई.

जांच के दौरान पता चला कि अजब सिंह अपनी ससुराल फर्रुखाबाद में है. सर्विलांस के जरिए पुलिस को उस के बारे में अहम सुराग मिलने शुरू हो गए.

दूसरे दिन गुरुवार की रात इंसपेक्टर एलाऊ सुरेशचंद्र शर्मा पूछताछ के लिए उसे ससुराल से थाने ले आए.  पुलिस ने जब उस से पूछताछ शुरू की उस ने युवती के घर वालों पर ही हत्या करने का आरोप लगाते हुए बताया कि जब उस के बुलावे पर कल्पना खेत पर आ गई तो हम लोग झाड़ी की आड़ में बातचीत करने लगे. इसी बीच कल्पना के घर वाले आ गए.

हम लोगों को बातचीत करते देख उन लोगों ने कल्पना के साथ मारपीट शुरू कर दी. जब मैं ने उन्हें रोका तो मेरे साथ भी मारपीट की. कल्पना को गोली मारने के बाद उस के परिवार वाले उसे भी गाड़ी में डाल कर ले गए थे.

एक स्थान पर उसे मुंह बंद करने की हिदायत दे कर वे लोग गाड़ी से उतार कर चले गए थे. राहगीरों ने उसे अस्पताल में भरती कराया. इस के बाद वह अपनी ससुराल चला गया.

इतनी बड़ी घटना के बाद भी पुलिस को घटना की सूचना क्यों नहीं दी? पुलिस के सवालों में वह उलझ गया. पुलिस की सख्ती करने पर फिर उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया.

अजब सिंह ने बताया कि उसी ने नाराज हो कर अपनी प्रेमिका कल्पना की गोली मार कर हत्या की थी. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त बाइक और तमंचा तथा अजब सिंह का मोबाइल भी बरामद कर लिया.

19 मार्च को प्रैस कौन्फ्रैंस में एसपी अविनाश पांडेय ने इस हत्याकांड का खुलासा कर दिया. शादीशुदा और 2 बच्चों के पिता आरोपी अजब सिंह और मृतका के बीच प्रेम संबंध थे.

कल्पना की शादी तय होने की जानकारी मिलने के बाद अजब सिंह बौखला गया था. उस ने कल्पना के सामने हमेशा साथ रहने की फरमाइश रख दी. जब इस बात पर वह राजी नहीं हुई तो उस ने उस की गोली मार कर हत्या कर दी.

इस घटना को औनर किलिंग का मामला बनाने के लिए उस ने ड्रामा रचा, लेकिन पुलिस ने सर्विलांस के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. इस संबंध में जो खौफनाक कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

कल्पना का पिता फेरू सिंह दिल्ली में काम करता है. अवधपाल की गांव में खुद की जमीन कम होने के कारण वह उगाही पर गांव के लोगों की जमीन ले कर खेती करता था. गांव के ही अजब सिंह की छोटी उम्र में ही शादी हो गई थी. वह 2 बच्चों का पिता है.  खेतीकिसानी के कारण उस के कल्पना के घर वालों के साथ अच्छे संबंध थे. उस का कल्पना के घर भी आनाजाना था.

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एक दिन अजब सिंह की नजर उस पर पड़ी. कल्पना सुंदर थी. वह उस की सुंदरता देख ठगा सा रह गया. उस ने उसी क्षण उस से दोस्ती करने का निर्णय ले लिया.

अजब सिंह टकटकी लगाए उसे निहारता रहा. कल्पना को भी इस बात का अहसास हो गया कि अजब सिंह उसे देख रहा है. अजब सिंह कसी हुई कदकाठी का युवक था. जवानी की दलहीज पर पहुंची कल्पना का दिल भी उस पर रीझ गया. उसे देख कल्पना का दिल तेजी से धड़कने लगा था.

अब जब भी अजब सिंह कल्पना के घर आता, वह पीने के लिए पानी मांगता. जब कल्पना उसे पानी का गिलास देती वह उस का धीरे से हाथ दबा देता. कल्पना उस के मन की बात जान कर मुसकरा देती. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती हुई फिर प्यार हो गया.

दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए थे, जिस से फोन पर भी उन की बातें होने लगीं. इस के बाद उन का प्यार और गहराता गया. उन के प्रेम संबंधों की किसी को भनक तक नहीं लगी.

अजब सिंह के शादीशुदा होने से कल्पना के परिजनों को उस पर शक नहीं हुआ. इसी आड़ में वह लगातार कल्पना से मिलताजुलता रहा और उस पर काफी पैसा खर्च करने लगा.

कल्पना अब जवान हो गई थी. घर वालों को उस की शादी की चिंता होने लगी. घर वालों ने भागदौड़ कर कल्पना की शादी तय कर दी थी. इस की जानकारी अजब सिंह को हो गई थी.

17 मार्च की सुबह साढ़े 5 बजे अजब सिंह ने मैसेज कर कल्पना को मिलने खेत पर बुलाया. वह भी अपने खेतों की सिंचाई के बहाने बाइक से वहां पहुंच गया था.

कुछ ही देर में कल्पना भी आ गई. अजब सिंह ने उस से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि जब भी फोन करता हूं तुम्हारा फोन बिजी मिलता है. तुम शायद अपने मंगेतर से ज्यादा बातें करती हो. कल्पना, तुम अपने मंगेतर से बात करना बंद कर दो.’’

अजब सिंह और कल्पना के बीच पिछले 4 साल से दोस्ती थी. दोनों के बीच गहरे प्रेम संबंध थे. अजब सिंह अपनी 2 बीघा जमीन भी प्यार की भेंट चढ़ा चुका था. वह कल्पना पर बहुत पैसा खर्च करता था. उस ने 4 सालों में कई मोबाइल फोन भी ला कर उसे दिए थे.

सब कुछ ठीक चल रहा था. कल्पना के घर वालों ने कल्पना की शादी तय कर दी थी. यह बात प्रेमी अजब सिंह को नागवार गुजरी. उस ने कल्पना से कहा, ‘‘कल्पना, मैं तुम्हें पहले की तरह प्यार करता रहूंगा. तुम्हारी शादी जरूर हो रही है लेकिन तुम शादी के बाद भी मुझ से संबंध खत्म मत करना.’’

‘‘देखो, मेरे और तुम्हारे बीच अब तक जो कुछ था, वह अब सब खत्म हो गया है. अब तुम मुझे फोन और मुझ से मिलने की कोशिश भी मत करना. क्योंकि मेरी शादी होने वाली है. और हां, मैं अपने मंगेतर से बात करनी बंद नहीं करूंगी.’’ कल्पना ने जवाब दिया.

अपनी प्रेमिका की इस बेरुखी से अजब सिंह बौखला गया. उसे डर था कि शादी के बाद उस की मोहब्बत उस से छिन जाएगी. इसी बात को ले कर दोनों के बीच बहस होने लगी. गुस्से में उस ने कल्पना की बांह मोड़ दी, जिस से वह दर्द से कराह उठी और खेत में गिर गई.

इसी बीच अजब सिंह ने तमंचा निकाल कर उस की कनपटी पर रख कर गोली चला दी. कुछ देर तड़पने के बाद कल्पना ने दम तोड़ दिया. इस के बाद अजब सिंह बाइक से वहां से चला गया.

आरोपी अजब सिंह गजब का ड्रामेबाज निकला. उस ने कल्पना के घर वालों को औनर किलिंग में फंसाने के लिए पूरा घटनाक्रम तैयार किया था. उस ने हत्या करने के बाद कुछ दूरी पर अपना मोबाइल तो कुछ दूर जा कर तमंचा फेंक दिया. इस के बाद सीने पर अपने नाखूनों से खरोंच करने के

बाद सिर पत्थर पर मार कर खुद को घायल किया.

फिर उस ने कानपुर नगर के बिल्हौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के रास्ते में जा रहे राहगीरों की मदद से अपने ऊपर गांव के कुछ युवकों द्वारा मारुति वैन में डाल कर पीटने और यहां फेंकने की बात कह कर स्वास्थ्य केंद्र में भरती हो गया. वहां से खुद को कन्नौज के एक अस्पताल में रेफर कराया, जहां से अपनी ससुराल फर्रुखाबाद आ गया.

अपने ऊपर हमले की झूठी अफवाह फैलाई. पुलिस को उस की यह कहानी समझ नहीं आई थी. कल्पना के घर वालों को फंसाने में वह कामयाब होता,

इस से पहले ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने अजब सिंह को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. इस प्रकार 2 निर्दोष भाई जेल जाने से बच गए. कल्पना ने एक बालबच्चेदार व्यक्ति से मोहब्बत कर जो भूल की थी, उस का खामियाजा उसे अपनी जान दे कर चुकाना पड़ा.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

“वायरस अटैक” जैसे एप से सावधान!

ऐसा ही एक वायरस अटैक ऐप कुछ दिनों से स्मार्ट मोबाइल पर बार-बार आकर के आपके सामने प्रस्तुत हो जाता, लोगों को ऐसा महसूस होता कि हमारे बेशकीमती मोबाइल में कोई वायरस अटैक होने वाला है जिसे गूगल ने पकड़ कर हमें यह वायरस अटैक ऐप भेजा है ताकि हम अपने मोबाइल को सेफ कर ले.

ऐसा बारंबार होता है हमारे संवाददाता ने कुछ लोगों से बातचीत करने के पश्चात यह रिपोर्ट तैयार की है जो यह बताती है कि स्मार्ट मोबाइल में कुछ ऐसे ऐप अचानक ही ट्रेंड करने लगते हैं जो सीधे-सीधे आप को भारी क्षति पहुंचा सकते हैं.

सवाल लाख टके का यह भी है कि गूगल जैसी शक्तिशाली आखिर ऐसे ऐप को पहचानऔर उन्हें खत्म करने में इतना समय क्यों लगा देती हैं, जब तक वह लाखों लोगों को नुकसान पहुंचा चुके होते हैं.

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ऐसा ही एक ऐप लाल कलर में हो सकता है आपके मोबाइल पर भी पिछले कुछ दिनों से बार-बार आता होगा आप जब भी मोबाइल पर आए नहीं की वायरल अटैक का भय दिखा करके आपको यह संकेत देता रहा होगा कि आप तुरंत ही इस ऐप को अपलोड करके अपने मोबाइल को बचा लें.

एक शख्स एचडी महंत के मुताबिक जब बार-बार मेरे स्मार्टफोन पर एक ऐप आने लगा तो मुझे यह महसूस हुआ कि हो सकता है मेरे मोबाइल में कहीं वायरस  प्रवेश कर चुका है और मुझे यह संकेत आ रहा है सो मैंने उस ऐप को जैसे टच किया तो खुलने लगा लेकिन मैंने जैसे ही उसे बंद करने का प्रयास किया तो वह ना तो बंद हो रहा था और नहीं डिलीट.

अंततः मैंने अपने फोन को ही बंद किया तब जाकर के उस ऐप से मेरी रक्षा सुरक्षा हो पाई.

दरअसल, अगरचे आप एंड्रॉइड स्मार्टफोन यूजर हैं तो आपको हर हमेशा सावधान रहने की दरकार है.हाल में “गूगल प्ले स्टोर” पर एक ऐसा ऐप मिला है, जो खतरनाक मैलवेयर से ग्रसित था. खास बात यह है कि इस ऐप को Google Play Store पर 5 लाख से ज्यादा डाउनलोड्स मिल चुके थे रिपोर्ट के मुताबिक, ऐप में जोकर मैलवेयर  पाया गया है. आखिरकार गूगल ने चेतावनी जारी की कि सभी यूजर्स यह ऐप तुरंत डिलीट कर दें नहीं तो आपका बड़ा नुकसान हो सकता है. तब तक जाने कितनी देर हो चुकी थी और कितने ही लोग इस खतरनाक एक के शिकार हो चुके होंगे.

यह जानना भी आवश्यक है!

इसी तरह  लाखों की  संख्या में यूजर्स के लिए खतरा पैदा करने वाले एक ऐप का नाम कलर मैसेज  है.

दरअसल, यह ऐप SMS टेक्सिंग को इमोजी के जरिए ज्यादा मजेदार बनाने का दावा करता था. गूगल प्ले स्टोर पर यह ऐप पहली नजर में  बिल्कुल सेफ लगता है. लेकिन मोबाइल सिक्योरिटी सॉल्यूशंस फर्म Pradeo की टीम ने जांच में पाया कि “कलर मैसेज”  में जोकर मैलवेयर से संक्रमित है और  स्मार्टफोन यूजर्स के लिए खतरनाक है.

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सिक्यॉरिटी फर्म ने इस जोकर मैलवेयर को फ्लीसवियर (Fleecewear) की कैटेगरी में डाल दिया है. इस ऐप का मुख्य शातिर काम यूजर्स की परमिशन के बिना ही उन्हें प्रीमियम सर्विस के लिए सब्सक्राइब करना है.  यह मैलवेयर डिटेक्शन लगभग एक साल पुराना है लाखों लोगों के लिए घातक साबित हुआ है अब 16 दिसंबर के बाद इसे गूगल प्ले स्टोर में प्रतिबंधित कर दिया गया है.

मगर सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपको यह समझना होगा अपनी छठी इंद्री हमेशा जागृत रखनी होगी की कौन सा ऐप आपके लिए काम का है और कौन सा आपके लिए घातक.

Satyakatha: ब्लैकमेलर प्रेमिका- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

अपनी छत पर टहलते हुए बबलू शर्मा की नजर ज्यों ही पड़ोसी की छत पर पड़ी, वह चौंक गए. चौंकने लायक बात ही थी. वहां शशि गौतम चारपाई पर औंधे मुंह पड़ी थी. उस की चारपाई के ठीक नीचे फर्श पर काफी खून फैला हुआ था. यह वाकया 10 जुलाई, 2021 का है.

उन्होंने शशि गौतम का नाम ले कर पुकारा, किंतु कोई जवाब नहीं मिला. फिर किसी अनहोनी की आशंका से दूसरे पड़ोसियों को पुकारने लगे.

कुछ समय में ही आसपास की छतों पर कई लोग आ गए. सभी शशि को इस हालत में देख कर हैरान थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि शशि आखिर इस हालत में क्यों है? वे लोग तमाशबीन बने आंखें फाड़े सिर्फ देखे जा रहे थे. किसी के मुंह से एक आवाज नहीं निकल रही थी.

आखिर में बबलू शर्मा ने ही पहल करते हए बिठूर थाने की पुलिस को इस की सूचना दी. सूचना पा कर थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह मकसूदाबाद जाने की तैयारी में जुट गए. कानपुर नगर की सीमा से सटा यह इलाका कहने को तो गांव है, लेकिन काफी विकसित मोहल्ला बन चुका है. इसी मोहल्ले में शशि गौतम का मकान है.

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मकान में 2 गेट थे. एक गेट पर अंदर से ताला लगा था, जबकि दूसरे गेट पर बाहर  ताला जड़ा था. थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने दूसरे गेट का ताला तुड़वाया और पुलिस टीम के साथ मकान की छत पर पहुंचे.

घटनास्थल पर पहुंचने से पहले थानाप्रभारी ने यह खबर पुलिस अधिकारियों को भी दे दी थी. पुलिस के आने तक शशि गौतम के मकान के बाहर काफी भीड़ जुट गई थी. आसपास की छतों पर भी बहुत लोग खड़े आपस में दबी आवाज के साथ बातें कर रहे थे.

छत का दृश्य भयावह था. वहां पड़ी चारपाई पर 30 वर्षीय शशि गौतम की लाश औंधे मुंह पड़ी थी. उस के सीने में गोली मारी गई थी, जो आरपार हो गई थी. पास ही .315 बोर का खोखा पड़ा था. चारपाई के नीचे फर्श पर खून ही खून था, जो आसपास फैल चुका था.

थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने पुलिस टीम के सभी सदस्यों के साथ मिल कर घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. तमाम तरह की जानकारियां जुटा लीं. उन में खून के नमूने, बंदूक की गोली का खोखा, फिंगरप्रिंट, लाश की विभिन्न एंगल से तसवीरें और कुछ लोगों के बयान आदि शामिल थे.

घटनास्थल की छानबीन के दरम्यान ही शशि गौतम के पिता रामदास गौतम, मां शिवदेवी और भाई अनिल भी अपने गांव से वहां पहुंच चुके थे. बेटी का शव देख कर शिवदेवी बदहवास हो गई थी, जबकि भाई अनिल और पिता भी शव देख कर फफक पड़े थे.

एएसपी अभिषेक कुमार अग्रवाल को शशि के पिता रामदास ने पूछताछ में बताया कि उन की बेटी का काफी समय से पति संतोष के साथ मतभेद चल रहा था. इस कारण वह अपनी ससुराल छोड़ कर मायके आ गई थी.

2 साल पहले ही शशि ने मकसूदाबाद में अपना घर भी बनवा लिया था. उस में वह अकेली रहती थी, जबकि उस के 2 बच्चे ननिहाल में और एक बच्चा पति के साथ रहता है.

‘‘तुम्हे किसी पर शक है?’’ एएसपी ने उन से पूछा.

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‘‘इस बारे मैं क्या कह सकता हूं. मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है,’’ रामदास गौतम ने कहा.

इस मामले की पहली सूचना देने वाले मृतका के पड़ोसी बबलू शर्मा से एसपी संजीव त्यागी ने पूछताछ की.

उस ने मामले की जानकारी से एक दिन पहले शाम 7 बजे की कुछ बातें बताईं. कहा कि उस समय शशि मकान की छत पर थी और उस के मोबाइल से ही मास्टर महेशचंद्र शर्मा से बात भी की थी. फोन पर महेशचंद्र को अपने घर बुला रही थी, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया था.

रात 10 बजे शशि ने महेशचंद्र से एक बार फिर बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उन की बात नहीं हो पाई और वह छत पर जा कर सो गई थी. वह भी अपनी छत पर जा कर सो गया था. सुबह उठा तो तो शशि चारपाई पर औंधे मुंह पड़ी दिखी.

‘‘महेशचंद्र शर्मा कौन है, तुम जानते हो उसे?’’ त्यागी ने बबलू से पूछा.

‘‘सर, महेशचंद्र शशि गौतम के मायके सिंहपुर गांव का ही रहने वाला है. उस के साथ शशि काफी घुलीमिली थी. महेश का शशि के पास आनाजाना लगा रहता था. वह जबतब शशि को पैसे की भी मदद करता रहता था.’’

एसपी त्यागी के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. उन्होंने इसी आधार पर अवैध संबंध को ध्यान में रखते हुए शशि की हत्या की जांच शुरू करवा दी.

उन्होंने हत्या का खुलासा करने के लिए एएसपी अभिषेक कुमार अग्रवाल की निगरानी में एक टीम गठित कर दी. सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए लगा दिया. थानाप्रभारी ने शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया.

पुलिस टीम ने शीघ्र ही जांच की शुरुआत करते हुए मृतका के पिता रामदास व भाई अनिल के बयान लिए. पड़ोसी बबलू शर्मा से पूछताछ की. बबलू के बयानों के आधार पर महेशचंद्र शर्मा संदेह के दायरे में आ चुका था.

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Satyakatha: फरीदाबाद- नफरत का खतरनाक अंजाम- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

Writer- शाहनवाज

21अक्तूबर, 2021 की रात के करीब साढ़े 11 बजे फरीदाबाद के गोठड़ा मोहब्ताबाद का रहने वाला गगन (26 वर्ष) अपने परिवार के साथ खाटू श्याम के दर्शन कर के घर लौटा था. गगन हर साल इसी समय के आसपास अपने पूरे परिवार के साथ खाटू श्याम मंदिर में दर्शन के लिए जाया करता था. उस मंदिर के प्रति उस की आस्था बहुत थी.

वह इस साल अपनी माता सुमन (50 वर्ष), बहन आयशा (30 वर्ष), छोटे भांजे सक्षम (12 वर्ष) और दोस्त राजन शर्मा के साथ मंदिर में दर्शन कर के लौटा था.

गगन राजन के साथ ही फरीदाबाद सेक्टर 55-56 में प्रौपर्टी डीलिंग और पुरानी गाडि़यों की खरीदफरोख्त का काम करता था. इस से पहले गगन अपने परिवार के साथ फरीदाबाद सेक्टर 55 में किराए पर ही रहता था. लेकिन इसी साल सितंबर में उस ने गोठड़ा मोहब्ताबाद में किराए के एक मकान में, जो कि एक पूर्व सरपंच का मकान है, वहां रहने लगा था. उस के पुराने घर से इस नए मकान के बीच करीब 30 मिनट पैदल की दूरी थी.

21 अक्तूबर को मंदिर से दर्शन कर देर रात घर लौटने की वजह से गगन ने राजन को अपने घर पर ही रुकने का आग्रह किया था, क्योंकि रात बहुत हो चुकी थी और वह अपने इलाके में देर रात होने वाली घटनाओं और वारदातों के बारे में अच्छे से जानता था.

राजन ने भी गगन की बात मान ली और वह रात में उसी के घर रुक गया. देर रात को लंबा सफर कर के लौटे सभी लोग पहले फ्रैश हुए और हलकाफुलका खाना खा कर वे सब सोने के लिए अपनेअपने कमरे में चले गए.

आयशा व उस की मां सुमन मकान में नीचे के कमरे में सोने चली गईं और गगन, राजन व सक्षम पहली मंजिल पर सोने चले गए. सब थकेहारे थे तो हर किसी को जल्दी नींद भी आ गई थी और सभी गहरी नींद में सो भी गए थे. बस सक्षम ही रात को जागा हुआ था.

नींद तो सक्षम को भी तेज आ रही थी, लेकिन वह किसी का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहा था. वह रात को जगे हुए अपने मम्मी के फोन में गेम खेल रहा था. रात के करीब ढाई बजे के आसपास उस का फोन बजा. इस से पहले कि फोन की घंटी हर किसी को नींद से जगा देती कि उस से पहले ही सक्षम ने तुरंत फोन उठा लिया.

यह उस के पिता नीरज चावला (35 वर्ष) का फोन था. सक्षम ने फोन उठा कर फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘हैलो पापा.’’

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नीरज अपने बेटे को पुचकारते हुए बोला, ‘‘अरे मेरा बेटा कैसा है? खाटू श्याम घूम कर आ गए सब? कैसा लगा वहां घूम कर? मजा आया?’’

सक्षम ने फिर से फुसफुसाते हुए अपने पिता के सवालों का जवाब दिया, ‘‘जी पापा. वहां तो खूब मजा आया पापा. काश! आप भी साथ होते और मजा आता. हमें तो काफी रात हो गई थी वहां से वापस आते हुए.’’

ये सुन कर नीरज ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं बेटे. सुनो, जो हमारी बीच बात हुई थी तुम्हें याद है न?’’

सक्षम ने उत्सुकता के साथ कहा, ‘‘जी पापा, मुझे याद है. आप क्या लाए हो मेरे लिए?’’

नीरज ने जवाब दिया, ‘‘वो तो सरप्राइज है मेरे बच्चे. मैं अभी तुम्हारे घर के बाहर ही तो खड़ा हूं. नीचे आ कर दरवाजा खोलो और अपना गिफ्ट ले जाओ. और हां, किसी को इस बारे में बताने की जरूरत नहीं है. ये गिफ्ट स्पैशल तुम्हारे लिए मंगवाया है बाहर से. अब जल्दी से नीचे आ कर अपना गिफ्ट ले लो. इसी बहाने मैं अपने बेटे से भी मिलूंगा.’’

अपने पिता के द्वारा लाए हुए गिफ्ट की बात सुन कर सक्षम के मन में खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. वह तुरंत अपने बिस्तर से इस तरह से उठा कि किसी और को उस के उठने की भनक तक नहीं लगी और वह जल्द ही नीचे दरवाजे की ओर भागा.

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आहिस्ता से सक्षम ने अंदर से लगी दरवाजे की कुंडी खोली और धीरे से दरवाजा खोला. उस ने देखा उस के पिता दरवाजे के ठीक सामने अपने हाथों में एक थैली लिए खड़े थे.

सक्षम के दरवाजा खोलने पर नीरज ने झुक कर उसे पहले अपने गले लगा लिया और फुसफुसाते हुए उस से पूछा, ‘‘कोई जागा तो नहीं बेटा?’’

सक्षम ने भी उसी तरह से नीरज को जवाब दिया, ‘‘नहीं पापा, कोई नहीं जागा.’’

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Satyakatha: पुलिसवाली ने लिया जिस्म से इंतकाम- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

शिवाजी माधवराव सानप (54) मुंबई पुलिस के नेहरू नगर थाने में हैडकांस्टेबल के पद पर तैनात था. वह पुणे में रहता था. वहीं से रोजाना ड्यूटी के लिए अपडाउन करता था. पुणे से वह बस से पनवेल जाता था, फिर पनवेल से दूसरी बस पकड़ कर कुर्ला पहुंचता और कुर्ला से लोकल ट्रेन के जरिए वह नेहरू नगर थाने पहुंचता. आनेजाने के लिए उस का रुटीन ठीक उसी तरह तय था, जैसे सुबह उठ कर लोग दैनिक काम करते हैं.

इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के कारण काफी भागदौड़ रही. दिन भर की थकान के बाद वह उस रात भी कुर्ला स्टेशन से उतरने के बाद पनवेल के लिए बस पकड़ने के लिए लगभग रात के साढ़े 10 बजे सड़क से गुजर रहा था.

तभी सड़क पार करते समय एक तेज रफ्तार नैनो कार ने शिवाजी को इतनी जोर की टक्कर मारी कि उस का शरीर हवा में उछलता हुआ सड़क के किनारे दूर जा गिरा.

इस बीच शिवाजी को टक्कर मारने वाली कार हवा की गति से नौ दो ग्यारह हो गई. शिवाजी सानप गंभीर रूप से घायल हो गया. आनेजाने वाले कुछ राहगीरों ने यह माजरा अपनी आखों से देखा था. लिहाजा वहां मौजूद हुए लोगों में से किसी ने उसी समय पुलिस कंट्रोल रूम को इस की सूचना दे दी.

पहले पीसीआर की गाड़ी आई जिस ने घायल शिवाजी को पास के एक अस्पताल में भरती करा दिया. लेकिन कुछ देर की जद्दोजहद के बाद आखिरकार शिवाजी को मृत घोषित कर दिया गया.

मामला बिलकुल सीधासाधा सड़क हादसे का दिख रहा था, इस में शक की कोई गुंजाइश भी नहीं लग रही थी. लिहाजा पनवेल शहर पुलिस स्टेशन के सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे ने सड़क दुर्घटना का मामला दर्ज करवा दिया.

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शिवाजी के कपड़ों की तलाशी लेने के बाद जेब से उस का महाराष्ट्र पुलिस का परिचय पत्र, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज मिले थे. इस से पुलिस को उस की पहचान कराने में भी ज्यादा जहमत नहीं उठानी पड़ी.

सड़क दुर्घटना का केस दर्ज करने के बाद पनवेल पुलिस स्टेशन ने पुणे में रहने वाले शिवाजी के घर वालों को भी हादसे की खबर कर दे दी. अगली सुबह ही शिवाजी सानप की पत्नी गायत्री अपने भाई व रिश्तेदारों को ले कर पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची, जहां उन्हें हादसे के बारे में बताया गया.

पुलिस ने विभाग का आदमी होने के कारण जल्दी ही शिवाजी के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव उस के परिजनों का सौंप दिया.

1-2 दिन गुजरने के बाद अचानक शिवाजी की पत्नी गायत्री अपने भाई के साथ पनवेल पुलिस स्टेशन पहुंची और सीनियर पीआई अजय कुमार लांडगे से मुलाकात की.

गायत्री ने अपने मन में छिपे शक का इजहार करते हुए कहा, ‘‘सर, मेरे पति का ऐक्सीडेंट नहीं हुआ उन की हत्या की गई है. हत्या भी इस तरह कि लोगों को लगे कि ये पूरी तरह से सड़क दुर्घटना है.’’

यह सुन कर अजय लांडगे के होंठों पर हलकी सी मुसकान तैर गई. वह बोले, ‘‘देखो गायत्री, मैं तुम्हारा दुख समझता हूं. तुम्हारे पति की मौत हुई है और तुम्हारे दिमाग की हालत अभी ठीक नहीं है. लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि तुम्हारे पति की हत्या हुई है. भला तुम्हें ऐसा क्यों लग रहा है. सड़कों पर हर रोज ऐसे हजारों ऐक्सीडेंट होते हैं, लेकिन इस का मतलब ये तो नहीं कि सब हत्या कही जाएंगी.’’

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‘‘हां साहब, इस की वजह मैं आप को बताती हूं,’’ कहने के बाद गायत्री ने इंसपेक्टर अजय कुमार लांडगे को जो कुछ बताया, उसे सुन कर लांडगे की आंखें फैल गईं.

कुछ देर शांत रहने के बाद इंसपेक्टर लांडगे ने कहा, ‘‘ठीक है गायत्री, तुम ने जो कुछ बताया, अगर वो सच है तो हम इस की जांच करेंगे. अगर तुम्हारे पति की मौत हत्या है तो तुम्हें इंसाफ जरूर मिलेगा और कातिल जेल की सलाखों के पीछे होगा.’’

इंसपेक्टर लांडगे ने उसी दिन पनवेल डिवीजन के एसीपी भगवत सोनावने को शिवाजी की पत्नी और उस के साले के इस शक के बारे में जानकारी दे कर यह भी बता दिया कि उन्हें क्यों शक है कि शिवाजी की मौत सड़क हादसा नहीं बल्कि मर्डर है.

अगले भाग में पढ़ें- पुलिस टीम को एक और कहानी पता चली.

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