सौजन्य- मनोहर कहानियां
पुलिस उन की कहानी सुन कर दंग रह गई. उन्होंने सिर पर हाथ रख लिया कि टेस्ट ट्यूब से बच्चा पैदा होने के जमाने में भी ऐसा अंधविश्वास लोगों के जेहन में भरा हुआ है.
इस अंधविश्वास के कारण हुए अपराध की कहानी की जड़ में संतान की चाहत निकली. जिस का फायदा उठाने वाले ढोंगी बाबा की भी भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण थी, जिस की वजह से एक नहीं बल्कि 2-2 महिलाओं की बलि दी गई थी.
भाभी ममता की गोद भरना चाहती थी मीरा
भावनात्मक दावपेंच और तांत्रिक अनुष्ठान के लिए अपनाए गए भयभीत करने वाले तरीके के प्रवाह में 5 लोग बह गए. उन में मीरा राजावत, उस का भाई बेटू भदौरिया, भाभी ममता, प्रेमी नीरज परिहार और तांत्रिक गिरवर था. इस में शिकार बनने वाली अनजान महिला आरती और नीरू थीं.
इस का पूरा तानाबाना मीरा द्वारा ही बुना गया था. उसी ने अपने निस्संतान भाईभौजाई को इस के लिए उकसाया था. हत्या का जुर्म स्वीकारने के बाद पछतावे में रोती हुई मीरा बोली, ‘‘साहब, भाई का घर आबाद करने की चाहत में तांत्रिक के कहने पर ही आरती और नीरू की बलि देनी पड़ी थी.’’
यह सब कैसे हुआ, उस की दिलचस्प मगर सवाल खड़ा करने के साथसाथ सावधान करने वाली कहानी इस प्रकार है—
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ग्वालियर के मोतीझील इलाके में रहने वाले मीरा के बड़े भाई बेटू भदौरिया की शादी 18 साल पहले ममता भदौरिया के साथ हुई थी. बेटू ट्रक ड्राइवर था. अभी तक वे निस्संतान थे. काफी डाक्टरी इलाज और मन्नतों के बावजूद ममता की गोद सूनी थी. एक दिन ममता ने अपनी संतानहीनता की पीड़ा मीरा को सुनाई. किसी भी तरह कहीं से कोई बच्चा गोद लेने या दूसरा उपाय करने के लिए कहा.
मीरा खुद तो अविवाहित थी, लेकिन वह संतानहीनता की पीड़ा को समझती थी. उस की जानपहचान कई तरह के लोगों से थी. ममता को उस के प्रेमी नीरज की अच्छी जानपहचान होने के बारे में भी मालूम था. इस कारण ममता ने मीरा को नीरज या किसी और के जरिए उपाय करने की गुजारिश की.
ममता के काफी अनुरोध के बाद मीरा ने इस बारे में नीरज से बात की. नीरज ने छूटते ही बताया कि वह एक ऐसे तांत्रिक को जानता है, जो कइयों की मनमानी संतान की चाहत को पूरा करवा चुका है, लेकिन इस पर वह मोटी फीस वसूलता है.
नीरज की विश्वास भरी बातें सुन कर मीरा को लगा जैसे उस के भाईभाभी की मुराद बस पूरी होने ही वाली है. उस ने तुरंत तांत्रिक से बात करने के लिए कहा.
अगले रोज ही नीरज ने मीरा को जानकारी दी कि हमें इस के लिए भैयाभाभी को तांत्रिक गिरवर यादव नाम के तांत्रिक के यहां ले कर जाना होगा. वहीं उन की जन्म कुंडलियों को देखने के बाद उपाय के बारे में सब कुछ तय किया जाएगा.
मीरा ने तुरंत यह जानकारी अपनी भाभी ममता को दी, ममता ने अपने पति बेटू को इस के लिए राजी कर लिया. इस पर आने वाले खर्च के बारे में बेटू ने जानना चाहा. मीरा कोई निश्चित राशि तो नहीं बता पाई, लेकिन इतना जरूर कहा कि नीरज के मुताबिक लाख, सवा लाख में उपाय हो जाना चाहिए.
इसी के साथ मीरा ने बेटू को 10-15 हजार रुपए साथ ले कर चलने को भी कहा, ताकि तांत्रिक की पैरपुजाई के तौर पर कुछ पेशगी दी जा सके.
तांत्रिक ने बताया संतान प्राप्ति का तरीका
चारों लोग तांत्रिक के पास गए. तांत्रिक ने बेटू और ममता की जन्मकुंडलियां देखने के बाद ध्यान लगा कर बताया कि ममता की किस्मत में औलाद सुख बहुत ही कमजोर है. थोड़ीबहुत उम्मीद की किरण बेटू में दिखती है. उसे ममता के करीब लाने के लिए एक तांत्रिक अनुष्ठान करना होगा.
तांत्रिक ने अनुष्ठान का समय भी निर्धारित कर दिया. बताया कि दोनों को औलाद सिर्फ उसी सूरत में हो सकती है, जब वे शरद पूर्णिमा की आधी रात में किसी निस्संतान महिला की बलि बगैर रक्त बहे दे दें.
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अनुष्ठान तक की बात सभी के लिए किसी उम्मीद की किरण से कम नहीं थी, लेकिन बलि की बात सुन कर सभी हैरानी में पड़ गए. जबकि तांत्रिक ने स्पष्ट कहा कि इस के बगैर वे संतान की उम्मीद छोड़ दें.
मीरा और नीरज ने इस के लिए तुरंत हामी भर दी. उस के बाद ममता और बेटू ने भी अपनी स्वीकृति दे दी. उन्होंने इस पर आने वाले खर्च और आगे की तैयारी के बारे में पूछा.
तांत्रिक गिरवर यादव ने बताया कि पूरे आयोजन पर कुल डेढ़ लाख रुपए का खर्च आएगा. बलि के लिए किसी को तैयार करने का खर्च और इंतजाम उन का होगा. इस काम के लिए वह श्मशान में लगातार 3 घंटे तक मंत्रजाप अकेले करेंगे.
तांत्रिक की शर्त पर ममता, बेटू, मीरा और नीरज ने एक साथ हामी कर दी. अनुष्ठान के लिए समय मात्र एक हफ्ते का बचा था. महत्त्वपूर्ण तैयारी किसी वैसी निस्संतान औरत के तलाश की थी, जो उन की बिरादरी की न हो. इस के लिए नीरज को लगा दिया गया.
उस ने अपने जानने वालों से गुप्त तरीके से इस पर काम करना शुरू कर दिया. उसी क्रम में उसे पहचान वाली रोशनी से मदद मिल गई. उस ने आरती के बारे में बताया.
संयोग से आरती को नीरज पहले से जानता था. जल्द ही उन के बीच बात बन गई और नीरज ने आरती को 10 हजार रुपए में धार्मिक आयोजन में सहयोग करने के लिए तैयार कर लिया. नीरज आरती को एडवांस पैसा देने के बाद 20 अक्तूबर, 2021 की शाम 8 बजे के करीब आटो में बिठा कर बेटू की पुरानी छावनी स्थित आवास पर ले गया. वहां गिनेचुने लोग ही थे. उसे मिला कर कुल 5 लोग.
एक कमरे में अनुष्ठान की तैयारी की गई थी. आरती की खातिरदारी के साथसाथ उस के लिए खरीदे गए उपहार के कपड़े और सामान दिखाए गए, जो उसे आयोजन के बाद दिए जाने थे. आरती यह सब देख कर खुश हो गई.
औनलाइन अनुष्ठान में दी गई महिला की बलि
मीरा ने आरती को आयोजन के उद्देश्य और तरीके के बारे में समझाया. उस ने कहा कि उस के सहयोग से उस के भाईभाभी के घर में किलकारी गूंज उठेगी. इस का लाभ भविष्य में हम सभी को मिलेगा, ऐसा पुजारी ने कहा है. उसे एक धार्मिक अनुष्ठान में बेटू और ममता के साथ एक अनुष्ठान करने वाले महत्त्वपूर्ण सदस्य के तौर पर बैठना है.
अनुष्ठान का सारा काम औनलाइन होगा. पुजारी दूर रह कर हवन आदि के साथ मंत्रजाप करेंगे. यहां से हमें मोबाइल पर उन की आवाज के साथ सहयोग का जयकारा लगाना होगा.
इन तैयारियों के साथ अनुष्ठान का आयोजन रात के 11 बजे शुरू हो गया. तांत्रिक ने बलि देने का समय रात के एक बजे का तय किया था. आरती को इस का जरा भी आभास नहीं हुआ कि उस की बलि दी जानी है.
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