पवन औफिस से जल्दी निकल, क्रिस को डेकेयर से घर लाया, उसे दूध पिलाया. ऐनी को कई बार फोन किया पर उस का फोन स्विच औफ था. उस का मन भयभीत होने लगा कि कहीं उसे कुछ हो तो नहीं गया. जब ऐसे करते रात के 12 बजने को आए तो चिंतित पवन कहां फोन करे, उस के पास तो ऐनी के किसी जानपहचान वाले या उस की मांबहन का नंबर तक नहीं था. कैसा बेवकूफ है वह, कभी उन से बात ही नहीं हुई.
रात 2 बजे फोन बजा तो उस ने लपक कर फोन उठाया, फोन ऐनी का ही था. उस ने सीधा कहा, ‘‘मैं अपनी मां के पास आ गई हूं. तुम्हें क्रिस को स्वयं पालना है, मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरा कोई पता या फोन नंबर नहीं है.’’ ‘‘ऐनीऐनी’’ कहता रह गया पवन, और फोन कट गया. सिर धुन लिया पवन ने और सोते क्रिस को देख बेहाल हो गया. क्या कुसूर है उस का या इस नन्हे बच्चे का.
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दिन बीतते गए. सब रोज के ढर्रे पर चलता रहा. ऐसा कब तक चलेगा? हताश हो कर सोचा, मां या भाई को बताऊं. पहले ऐनी के साथ रहने का बता मां को सदमा दिया था, अब उस से बड़ा सदमा देने के बारे में सोच कर ही डर गया. कुछ तो करना होगा, यह सोच कर हिम्मत जुटा भाई को फोन किया तो पता चला वह 1 महीने के लिए दूसरी जगह पोस्ंिटग पर है. फोन पर पवन के रोने की आवाज सुन, भाभी डर गई, ‘‘पवन, क्या हुआ, ऐनी तो ठीक है?’’
‘‘भाभी, ऐनी मुझे छोड़ कर चली गई.’’ भाभी ने कुछ और समझा, ‘‘कैसे हुआ, क्या हुआ, तुम साथ नहीं थे क्या?’’
‘‘भाभी, वो अब मेरे साथ रहना नहीं चाहती. अपने बेटे को छोड़ कर, अपनी मां के पास चली गई है.’’ ‘‘बेटे को, यानी तुम्हारा बेटा या केवल उस का?’’ भाभी कुछ अंदाजा लगा चुकी थी, ‘‘तुम ने पहले क्यों नहीं बताया?’’
‘‘जब पहली बार ऐनी के बारे में बताया था, तब हमारा बेटा क्रिस 2 महीने का था.’’ ‘‘अब क्या करोगे?’’
‘‘भाभी, कुछ समझ नहीं आ रहा.’’ संजना ने कहा, ‘‘सुनो, बच्चे को ले सीधा हमारे पास चले आओ, तब तक तुम्हारे भाई भी आ जाएंगे. सब मिल कर कुछ उपाय सोचेंगे.’’
तुरंत बच्चे का पासपोर्ट बनवा, वीजा लगवा, काम से एक महीने की छुट्टी ले पवन वापस इंडिया चल पड़ा. भाई के घर वापस आने से 4 दिन पहले पहुंच गया. भाभी को पूरी बात बता, थोड़ा सहज हुआ. ‘‘कुछ गलत तो नहीं किया तुम ने ऐनी से शादी कर. अगर बच्चा पैदा हो गया तो विदेश में ऐसी बातें होती ही हैं.’’
‘‘भाभी, शादी नहीं की थी, सोचा था, कुछ समय इकट्ठा गुजारेंगे. पर उसी बीच वह प्रैग्नैंट हो गई. उस के बाद भी शादी कर लेता तो ठीक होता.’’ भाभी ने कहा, ‘‘अब अपने देश में भी अजीब सा चलन हो गया है लिवइन रिलेशनशिप का. लगता है लगाव, जिम्मेदारी, ममता केवल शब्द ही रह गए हैं, कोई भावना नहीं.’’
अगली सुबह नयन आ गए. अचानक पवन को वहां देख हैरान हुए और फिर घर में बच्चे के रोने की आवाज सुन और भी हैरान से हो गए. संजना ने जल्दी से कहा, ‘‘मैं चाय बनाती हूं. आप पहले अपने बेटे रोहन को जगाएं, आप को आया देख खुश होगा. फिर सब बात होगी.’’ नयन कुछ समझ नहीं पा रहा था. रोहन उठ, पापा से मिला और फिर भाग, दूसरे कमरे में ताली बजा नन्हे क्रिस को रोते से चुप कराने की कोशिश करने लगा. पवन ये सब देख अपने आंसू नहीं रोक पाया.
पत्नी संजना से सब जान नयन ने किसी को कुछ नहीं कहा. नाश्ता करते नयन ने देखा पवन चुपचाप खाने की कोशिश कर रहा पर जैसे खाना उस के गले से नहीं उतर रहा था. नयन के कहने पर कि नाश्ते के बाद हमारे कमरे में मिलते हैं, उस की घबराहट और बढ़ गई. क्रिस दूध पीने के बाद सो गया. रोहन को उस की पसंद का टीवी पर प्रोग्राम लगा दूसरे कमरे में बिठाया और फिर तीनों कमरे में मिले.
नयन ने सीधी बात शुरू की, ‘‘पवन, मैं समझता हूं कि ऐसे हालात में तुम क्रिस को हमारा बेटा समझ यहां छोड़ जाओ. आगे की सोचो, तुम वापस जाना चाहो या यहां रहो, यह तुम्हारा अपना फैसला होगा. मां को हम समझा लेंगे.’’ पवन का दिलआंखें ऐसे रोईं कि भाभी भी साथ रोती हुई, उस को तसल्ली दे, उस की पीठ थपथपाती रही. ‘‘सब ठीक हो जाएगा, हौसला रखो, पवन,’’ कह कर नयन उठ बाहर चले गए.
इस बार मां को इस दुख से उबारने की जिम्मेदारी पवन ने स्वयं ली. भरे मन से क्रिस को भाभी के पास छोड़ मां के पास जा, बिना रोए, ढांढ़स बांध, सारी बात बताई. मां ने उस के सिर पर हाथ रख कर कहा, ‘‘बेटा, किस को दोष दें, समय की बात है.’’ मां ने समझाया, ‘‘जो हुआ सो हुआ, अब वह जल्दी अपना घर बसाए. शादी टूटने की बात तो ठीक है पर बच्चे की चर्चा न ही हो तो अच्छा है.’’ पवन ने वापस लौट कुछ समय के बाद घर और नौकरी बदल ली. बैठता तो क्रिस को याद करने के साथ यह भी सोचता कि कैसी ममतामयी और समझदार हैं संजना भाभी, कितनी सहजता से भाई ने क्रिस को अपने बेटे जैसे रखने के बारे में सोच लिया. मां भी क्या रिश्ता है, कितनी सरलता से मां ने उसे आगे की सोचने की सलाह दी. क्या ऐनी के मन में ऐसा कोई भाव नहीं जागा.
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इतवार का दिन था, पवन 10 बजे तक लेटा रहा. रात किनकिन विचारों में उलझा रहा था. तभी फोन बजा. भाई का फोन था, बता रहा था कि क्रिस ठीक है और उस की कुछ फोटो अपलोड कर भेजी हैं. साथ ही, यह भी बताया कि ईमेल पर किसी की पूरी डिटेल्स, फोटो और पता लिखा है. तुम स्वयं भी साइट देख सकते हो. मां और संजना लड़की के परिवार से मिल सब जानकारी ले भी आए और तुम्हारे विषय में भी बता दिया है. याद रहे, क्रिस अब हमारा बेटा है. जैसा मां का सुझाव था वैसे ही करो. लड़की सिम्मी अपने भाईभाभी के पास पिछले 2 वर्षों से रह रही है जो यूके में कई वर्षों से हैं. तुम्हारा पता नहीं दिया. मां चाहती हैं कि तुम स्वयं देखभाल कर बात बढ़ाओ.
पवन का मन खुश न हो, दुखी हुआ, काश, ऐनी के साथ ही सब ठीक रहता तो…किसे दोष दे. पवन को लगा शायद पहली बार सब मां के आशीर्वाद के बिना हुआ था इसलिए…टालता रहा. पर जब मां ने पूछा कि उन्हें फोन क्यों नहीं किया, सिम्मी के परिवार से क्यों नहीं मिला तो अब तक कहा कि इस इतवार सिम्मी के परिवार को फोन अवश्य करूंगा. फोन किया तो सिम्मी ने ही उठाया, पूछा, ‘‘कहिए, किस से बात करनी है?’’
‘‘संजयजी से, जरा रुकें, भाभी को मैसेज दे दें.’’ झिझकते हुए पवन ने अपना परिचय दिया तो भाभी फोन पर बात करती हुई खुश हो पूछ बैठी, ‘‘आप आज शाम मिल सकते हैं.’’
‘‘जी, ठीक है, कहां?’’ ‘‘संजयजी अभी आते होंगे, वे आप को बताएंगे.’’ अब तो पवन घबराया कि क्या बताए क्या छिपाए.