अगर आप भी करते हैं ईयरफोन का इस्तेमाल तो, जरुर पढ़ें ये 4 टिप्स

हमारे जीवन में बढ़ती टेक्नालजी की आवश्यकता अपने साथ कई तरह की बीमारियां भी लेकर आती है. इन्हीं में शामिल हैं ईयरफोन या हेडफोन, जिसके ज्यादा देर तक इस्तेमाल से आपको अपने कानों से सम्बन्धित समस्या का सामना करना पड़ सकता है. एक रिसर्च के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक घंटे से अधिक वक्त तक 80 डेसीबेल्स से अधिक तेज आवाज में संगीत सुनता है, तो उसे सुनने में संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है या फिर वह स्थायी रूप से बहरा हो सकता है.

अगर आप भी ईयरफोन का ज्यादा देर तक इस्तेमाल करती हैं तो समय रहते संभल जाइये क्योंकि ये ना केवल आपके कानों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि आपके शरीर को भी कई और तरह से नुकसान पहुंचाता है. आज हम आपको ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से होने वाले 4 बड़े नुकसान के बारे में बता रहें है.

1. कम सुनाई देना

लगभग हर ईयरफोन में हाई डेसीबल वेव्स होते हैं. इसका इस्तेमाल करने से आप हमेशा के लिए अपनी सुनने की क्षमता खो सकते हैं. इसके लगातार प्रयोग से सुनने की क्षमता 40 से 50 डेसीबेल तक कम हो जाती है. कान का पर्दा वाइब्रेट होने लगता है. दूर की आवाज सुनने में परेशानी होने लगती है. यहां तक कि इससे बहरापन भी हो सकता है. इसलिए 90 डेसीबल से अधिक आवाज में गाने न सुनें और ईयरफोन से गाने सुनने के दौरान समय-समय पर ब्रेक भी लेते रहें.

2. दिमाग पर बुरा प्रभाव

इसके लगातार इस्तमाल से दिमाग पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. ईयरफोन से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगे दिमाग के सेल्स को काफी क्षति पहुंचाती हैं. ईयरफोन्स के अत्यधिक प्रयोग से कान में दर्द, सिर दर्द या नींद न आने जैसी सामान्य समस्याएं हो सकती हैं. आज लगभग पचास प्रतिशत युवाओं में कान की समस्या का कारण ईयरफोन्स का अत्यधिक प्रयोग है.

3. कान का संक्रमण

ईयरफोन से लंबे समय तक गाना सुनने से कान में इंफेक्शन भी हो सकता है. जब भी किसी के साथ ईयरफोन शेयर करें तो उसे सेनिटाइजर से साफ करना न भूलें. बता दें कि आमतौर पर कान 65 डेसिबल की ध्वनि को ही सहन कर सकता है. लेकिन ईयरफोन पर अगर 90 डेसिबल की ध्वनि 40 घंटे से ज्यादा सुनी जाए तो कान की नसें पूरी तरह डेड हो जाती है.

4. कान सुन्न होना

लंबे समय तक ईयरफोन से गाना सुनने से कान सुन्न हो जाता है जिससे धीरे-धीरे सुनने की क्षमता कम हो सकती है. तेज आवाज में संगीत सुनने से मानसिक समस्याएं तो पैदा होती ही है साथ ही हृदय रोग और कैंसर का भी खतरा बढ़ जाता है़. उम्र बढ़ने के साथ बीमारियां सामने आने लगती है़ यह बाहरी भाग के कान के परदे को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अंदरूनी हेयरसेल्स को भी तकलीफ पहुंचाता है़. डाक्टरों के अनुसार इनके ज्यादा उपयोग लेने से कानों में अनेक प्रकार की समस्या हो सकती है जिनमें कान में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आना, सनसनाहट, नींद न आना, सिर और कान में दर्द आदि मुख्य है.

इससे बचने के लिए ईयरफोन का इस्तेमाल कम से कम करने की आदत डालें. अच्छी क्वालिटी के ही हेडफोन्स या ईयरफोन्स का प्रयोग करें और ईयरफोन की बजाय हेडफोन का प्रयोग करें क्योंकि यह बाहरी कान में लगे होते हैं. अगर आपको घंटों ईयरफोन लगाकर काम करना है, तो हर एक घंटे पर कम से कम 5 मिनट का ब्रेक लें.

इन 12 लक्षणों से रहें सतर्क, हो सकता है HIV

भारत की बात करें तो यहां एड्स के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां सबसे ज्‍यादा एचआईवी एड्स के केस (13107) महाराष्‍ट्र में दर्ज हुए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है.

अगर पिछले वर्षों से तुलना करें तो संख्‍या लगातार बढ़ रही है. 2009-10 में 246,627 केस पूरे देश में आये, जबकि 2010-11 में यह संख्‍या बढ़कर 320,114 रही.

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सही तरीके से देखभाल न करने की दशा में यह बीमारी बढ़कर एड्स का रूप धारण कर लेती है. एक सर्वे के अनुसार, एच आई वी के शुरूआती स्‍टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्‍यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है. इसीलिए आपको एच आई वी के शुरूआती 12 लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है.

बार-बार बुखार आना: हर दो तीन दिन में बुखार महसूस होना और कई बार तेजी से बुखार आना, एच आई वी का सबसे पहला लक्षण होता है.

थकान होना: पिछले कुछ दिनों से पहले से ज्‍यादा थकान होना या हर समय थकावट महसूस करना एच आई वी का शुरूआती लक्षण होता है.

मांसपेशियों में खिचावं: आपने किसी प्रकार का भी भारी काम नहीं किया या फिर आप शारीरिक मेहनत का कोई काम नहीं करते , फिर भी मांसपेशियों में हमेशा तनाव और अकड़न रहती है. यह भी एच आई वी का लक्षण होता है.

जोड़ों में दर्द व सूजन: ढ़लती उम्र से पहले ही अगर आपके जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है तो आपको एच आई वी टेस्‍ट करवाने की जरूरत है.

गला पकना: अक्‍सर कम पानी पीने की वजह से गला पकने की शिकायत होती है लेकिन अगर आप पानी पर्याप्‍त मात्रा में पीते हैं और फिर भी आपके गले में भयंकर खराश और पकन महसूस हो, तो यह लक्षण अच्‍छा नहीं.

सिर में दर्द: सिर में हर समय हल्‍का – हल्‍का दर्द रहना, सुबह के समय दर्द में आराम और दिन के बढ़ने के साथ दर्द में भी बढ़ोत्‍तरी एच आई वी का सबसे बड़ा लक्षण है.

धीरे-धीरे वजन का कम होना: एच आई वी में मरीज का वजन एकदम से नहीं घटता है. हर दिन धीरे – धीरे बॉडी के सिस्‍टम पर प्रभाव पड़ता है और वजन में कमी होती है. अगर पिछले दो महीनों में बिना प्रयास के आपके वजन में गिरावट आई है तो चेक करवा लें.

स्‍कीन पर रेशैज होना: शरीर में हल्‍के लाल रंग के चक्‍त्‍ते पड़ना या रेशैज होना भी एच आई वी का लक्षण है.

बिना वजह के तनाव होना: आपके पास कोई प्रॉब्‍लम नहीं है लेकिन फिर भी आपको तनाव हो जाता है, बात-बात पर रोना आ जाता है तो नि:संदेह आपको एच आई वी की जांच करवाना जरूरी है.

मतली आना: हर समय मतली आना या फिर खाना खाने के तुरंत बाद उल्‍टी होना भी शरीर में एच आई वी के वायरस का होना इंडीकेट करते हैं.

हमेशा जुकाम रहना: मौसम आपके बेहद अनुकूल है लेकिन उस हालत में भी नाक बहती रहती है. हर समय छींक आती है और रूमाल का साथ हमेशा चाहिए होता है.

ड्राई कफ: आपको भयंकर खांसी नहीं हुई थी लेकिन हमेशा कफ आता रहता है. कफ में कोई ब्‍लड़ नहीं आता. मुंह का जायका खराब रहता है. अगर आपको इनमें से अधिकाशत: लक्षण अपने शरीर में लगते हैं तो आप एच आई वी टेस्‍ट जरूर करवाएं.

जानें 18 से लेकर 70 साल तक का फुल लाइफ डाइट प्लान

अगर आप हमेशा हेल्दी रहना चाहते है तो आपको अपने खान पान का ख्याल रखना चाहिए. शरीर में चुस्ती फुरथी बनाए रखने के लिए जितना व्यायाम और कसरत जरुरी है उतना ही  अपनी डाइट का भी ख्याल रखना जरुरी है. कुछ लोगों को लगता है कि अच्छे खानपान का मतलब यह है कि आप अपनी मनपसंद चीजें ना  खाएं, मगर ऐसा नहीं है. अगर आप Balanced Diet लेते है तो इसके जरीए आप खुद को लंबी उम्र तक स्वस्थ रख सकते हैं. इसलिए आज हम आपके लिए लेकर आए है 18 साल की उम्र से लेकर 70 साल की उम्र तक आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यानी पूरा डाइट प्लान. जिसकी बदद से आप खुद और भी स्वस्थ रख सकते है.

Diet Plan for Age 18-30

आपका मेटाबौलिज्म उम्र के साथ-साथ घटता जाता है. आमतौर पर ये घटाव 18 साल के बाद शुरू हो जाता है, इसलिए इस उम्र से आपको अपने खानपान पर थोड़ा ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए. 18-30 साल की उम्र के बीच आपके शरीर को सबसे ज्यादा जरूरत आयरन और कैल्शियम की होती है. इस उम्र में 11.3 मिलीग्राम आयरन लड़कों के लिए और 14.8 मिलीग्राम आयरन लड़कियों के लिए जरूरी है. इसके अलावा सभी को 800 से 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

इसलिए आपको खाने में ऐसी चीजे लेनी चाहिए जो ये जरूरत पूरी कर सकें, जैसे- कैल्शियम के लिए दूध पिएं और दूध से बनी चीजें, दही, पनीर, चीज़, योगर्ट आदि खाएं. इसके अलावा आयरन की जरूरत पूरी करने के लिए सप्ताह में 3-4 दिन हरी सब्जियां, दालें खाएं और रोजाना 1-2 कटोरी फल खाएं. इसके अलावा रोजाना नाश्ते या लंच में 2 अंडे खाना भी अच्छा होगा. रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें.

Diet Plan for Age 30-40

30 से 40 साल की उम्र में आमतौर पर व्यक्ति अपना पूरा फोकस अपने करियर पर रखता है. ऐसे में तनाव और चिंता का उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए इस उम्र में आपको प्रोटीन, विटामिन्स और एंटीऔक्सीडेंट्स से भरपूर आहार लेने चाहिए. सुबह के नाश्ते में अंडे, फल, ओट्स, शेक, स्मूदी आदि लें. औयली फूड्स (तेल में छने-पके फूड्स) को सेवन बहुत ज्यादा न करें. चीनी और नमक की मात्रा खाने में थोड़ा-थोड़ा घटाते रहें, जिससे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसे रोग न हों.

इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि आप रात में बहुत ज्यादा खाना न खाएं. बाकी खाने में आपको दाल, रोटी, चावल, सब्जी, ग्रिल्ड चिकन, फल, मोटे अनाज, अंडे, दूध का सेवन करना चाहिए. रोजाना अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश आदि का सेवन करना भी आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा. रोजाना थोड़ी एक्सरसाइज और थोड़ा पैदल चलना जरूरी है.

Diet Plan for Age 40-50

40-50 साल की उम्र old age का पहला पायदान होता है. इस उम्र तक आपका शरीर धीरे-धीरे ढलने लगता है और रोगों की शुरुआत होने लगती है. इस उम्र में आप अपने खानपान को जितना ज्यादा संतुलित रखेंगे, आप उतना स्वस्थ रहेंगे, क्योंकि ज्यादातर रोग इसी उम्र में लोगों को परेशान करते हैं. रोगों से बचने के लिए आपको अपने खाने में नट्स (अखरोट, बादाम, पिस्ता आदि) को शामिल करना चाहिए.

इसके अलावा खाने के तेल में बदलाव करना चाहिए. खाना बनाने के लिए आप औलिव औयल, नारियल का तेल आदि इस्तेमाल कर सकते हैं. डाक्टर से सलाह लेकर आप फिश औयल सप्लीमेंट (मछली के तेल का कैप्सूल) भी ले सकते हैं. इसके अलावा आपका नाश्ता कार्बोहाइड्रेट्स से कम, प्रोटीन से ज्यादा भरा होना चाहिए. इसलिए आप मल्टीग्रेन आटा, होल व्हीट ब्रेड, होल व्हीट टोस्ट और मोटे अनाज आदि खा सकते हैं.

Diet Plan for Age 50-60

महिलाओं में इस उम्र तक मेनोपौज हो जाती है और पुरुषों में भी कई तरह के बदलाव हो जाते हैं. इसलिए ये उम्र भी स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. इस उम्र तक इंसान की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं. इसलिए स्वस्थ रहने के लिए साल में 2 बार अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहना चाहिए. इस उम्र तक आपको चाय, कौफी, एल्कोहल का सेवन बिल्कुल छोड़ देना चाहिए.

50 साल की उम्र के बाद सोडियम वाले आहारों का सेवन बहुत कम कर देना चाहिए. नमक बहुत कम मात्रा में खाना चाहिए और तेल में पकाने के बजाय सब्जियों को भाप में पकाकर खाना चाहिए. कमजोरी से बचने के लिए आपको फलों, कच्ची सब्जियों, सलाद, मोटे अनाज आदि का सेवन करते रहना चाहिए.

Diet Plan for Age 60-70

इस उम्र तक ज्यादातर लोग काम से रिटायरमेंट ले लेते हैं. इस उम्र में आपकी हड्डियों, आंखों और हृदय रोगों का खतरा सबसे ज्यादा होता है. इसलिए इनसे बचे रहने के लिए आपको गाजर, आंवला, ब्रोकली, संतरे, पालक, अंडे आदि का सेवन करना चाहिए, ताकि आपके शरीर को पर्याप्त कैल्शियम, प्रोटीन और एंटीऔक्सीडेंट्स मिल सकें. आपको पहले की अपेक्षा कम खाना खाना चाहिए और ऐसी चीजें खानी चाहिए, जो आसानी से पच जाएं.

तो ये फुल लाइफ डाइट प्लान जिसे आप खुद पर और आपने बच्चों पर ट्राय कर स्वस्थ रह सकते है.

Summer Special: खाने में कुछ बदलाव, हाई ब्लड प्रेशर को रखेंगे दूर

कहा जाता है अगर आपके के पेट में सही आहार जा रहा है और नियमित रुप से अपने डाइट प्लान में बदलाव करते है तो आप कई सारी बीमारियों से बच सकते है. इंसान के शरीर खाने और पानी की जरुरत होती है जिसके चलते हमें कम से कम तीन टाईम खाने की जरुरत होती है पर अगर हम जरुरत से ज्यादा खाए या शरीर को जरुरत को भूल कर बस जीभ का स्वाद ध्यान में रखे तो काफी समस्या पैदा हो सकती है.

अगर आपका डाइट प्‍लान सही नहीं है तो आपको कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं हो सकती हैं. ये स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं ही आगे चलकर ह्रदय रोगों, ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या, कैंसर, डायबिटीज जैसी बीमारियों का रूप ले लेती हैं. ब्‍लड प्रेशर को नियमित करने के लिए स्‍वस्‍थ और पोषणयुक्‍त आहार की बहुत जरूरत है.

बेकार खाना ही है हाई ब्लड प्रेशर का कारण

हाई ब्लड प्रेशर होने का सबसे बड़ा कारण है खाना. अगर आप सही आहार वाला खाना नही खा रहे है तो आपके लिए खतरे की घंटी है. हाई ब्लड प्रेसर वाले मरीज के लिए सबसे बेहतर होगा की वो नमक और सोडियम की मात्रा कम हो ऐसा खाना खाएं. एक सामन्य व्यक्ति को 72 to 99 ब्‍लड का प्रेशर होता है. अगर इससे ज्यादा हो तो वो हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है.

फलों और सब्जियों को खाएं

हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए. खाने में नियमित रूप से ताजे फलों और सीजनल हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करना चाहिए. लहसुन, प्याज, साबुत अनाज, सोयाबीन का सेवन करने से ब्‍लड प्रेशर सामान्‍य रहता है.

खाने में सोडियम कम  

ब्‍लड प्रेशर के मरीज के खाने में में पोटेशियम की मात्रा ज्यादा हो और सोडियम की मात्रा कम होनी चाहिए. यदि हाई ब्लड प्रेशर की समस्‍या है तो नमक का सेवन कम करना चाहिए. साथ ही डेयरी उत्पादों, चीनी, रिफाइंड खाद्य-पदार्थों, तली-भुनी चीजों, कैफीन और जंक फूड से परहेज करना चाहिए.

पानी पीना है जरुरी

ब्‍लड प्रेशर के मरीज को ज्‍यादा पानी का सेवन करना चाहिए. दिन में कम से कम 10-12 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए.

क्या आपको भी होती हैं, सांस फूलने की परेशानी

आए दिन सांस फूलने की शिकायतें सुनने को मिलती हैं. शादीब्याह या किसी छोटेमोटे प्रोग्राम में मौसी, बूआ, ताऊ, चाची या अन्य किसी चिरपरिचित को सांस फूलने की शिकायत करते सुना जाता है. क्या कभी आप ने सोचा कि सांस फूलने के असली कारण क्या हैं.

1. सांस फूलना

सांस फूलने की मुख्य वजह है शरीर को औक्सीजन ठीक से न मिल पाना जिस से फेफड़े पर अनावश्यक दबाव पड़ता है. ऐसे में फेफड़े औक्सीजन पाने के लिए श्वसन क्रिया की गति को बढ़ा देते हैं जिस को हम सरल भाषा में सांस फूलना कहते हैं. यदि समय रहते सांस फूलने पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस के परिणाम जानलेवा हो सकते हैं.

सांस फूलने के रोकने के 2 उपाय हैं. एक, या तो शरीर की औक्सीजन की मांग पूरी करने के लिए बाहर से अतिरिक्त औक्सीजन दी जाए, दूसरे, शरीर की औक्सीजन की मांग को कम किया जाए.

2. महत्त्वपूर्ण कारण

सांस फूलने के खासकर अपने देश में 2 मुख्य कारण हैं. एक तो ज्यादा मोटापा व दूसरा शरीर में खून यानी लाल कणों की कमी. अगर औक्सीजन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने वाले रक्तकणों यानी हीमोग्लोबिन की कमी है तो औक्सीजन की सप्लाई बाधित होगी.

अपने देश में अधिकांश महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं. काफी संख्या में महिलाएं बच्चेदानी की समस्या व उस से जुड़ी अनावश्यक व अधिक रक्तस्राव (ब्लीडिंग) की समस्या से पीडि़त हैं. देश में अधिकतर बच्चों के जन्म के बीच फासला काफी कम होना भी अनीमिया व सांस फूलने की शिकायत का एक बहुत बड़ा कारण है. सांस न फूले, इस के लिए कुपोषण समाप्त करना जरूरी है.

3. मोटापा एक अभिशाप

आजकल लोगों की आरामतलबी बढ़ रही है. नियमित सुबह की सैर व व्यायाम का अभाव, शराब व चरबीयुक्त खा- पदार्थों का भरपूर सेवन ये दोनों बातें शरीर के मोटापे को तेजी से बढ़ा रही हैं. अकसर मोटे लोगों को यह शिकायत करते सुना जाता है कि जरा सी सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलती है. मोटापे में जरूरी नहीं कि दिल की बीमारी ही हो. समय रहते यदि कुपोषण खत्म कर दिया जाए व मोटापे को नियंत्रित किया जाए तो सांस फूलने की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

4. फेफड़े का रोग, बड़ा कारण

फेफड़े का इन्फैक्शन, जैसे निमोनिया व टीबी सांस फूलने का सब से बड़ा कारण हैं? श्वास नली व उस की शाखाओं में सूजन भी इस का एक कारण है जिसे मैडिकल भाषा में एस्थमैटिक ब्रांकाइटिस कहते हैं. कभीकभी श्वास नली पर किसी गिल्टी या छाती में ट्यूमर का दबाव भी सांस फूलने का कारण बन सकता है. अकसर दुर्घटना में छाती की चोट का सही इलाज न होने पर अंदर

खून या मवाद जमा हो जाता है और उस से फेफड़ों पर दबाव बनता है. इस से अकसर सांस फूलने के साथसाथ खांसी की भी शिकायत रहती है.

स्केलोडरमा नाम की बीमारी फेफड़े को आहत करती है और फेफड़े के अंदरूनी हिस्से में अस्वाभाविक बदलाव आता है. इस से फेफड़े की बाहरी औक्सीजन सोखने की क्षमता कम हो जाती है और जरा सा चलने पर सांस फूलने लगती है.

5. दिल के रोग

यदि आप का दिल कमजोर है यानी पिछले हार्टअटैक के दौरान दिल का कोई हिस्सा बहुत कमजोर या नष्ट हो गया है तो ऐसा कमजोर दिल खून व पानी का साधारण भार भी नहीं उठा पाता और सांस फूलने का कारण बन जाता है. ऊपर से अगर मोटापा भी है, तो स्थिति और भी कष्टकारी हो जाती है.

दायीं तरफ का दिल गंदे खून का स्टोरहाउस है जो धड़कन के साथ शरीर के अंगों से आए गंदे खून को फेफड़े की तरफ शुद्धीकरण के लिए भेजता है और फिर यह खून दिल के बाएं हिस्से में इकट्ठा होता है और धड़कन के साथ शरीर के अन्य अंगों में जाता है.

अगर किसी को पैदाइशी दिल की बीमारी है और दिल के अंदर शुद्ध व अशुद्ध खून का आपस में सम्मिश्रण होता रहता है, तो जिस्म में नीलापन दिखता है विशेषकर उंगलियां व होंठ प्रभावित होते हैं और साथ ही, सांस फूलने की भी शिकायत रहती है.

6. आवश्यक जांच

वैसे तो अनगिनत जांचें हैं पर कुछ बहुत जरूरी जांचें सांस फूलने के कारण को समझने व उस के इलाज के लिए आवश्यक हैं, जैसे छाती का ऐक्सरे, छाती का एचआर, सीटी, पीएफटी, दिल के लिए डीएसई (डोब्यूटामीन स्ट्रैस ईको), खून की जांच जैसे विटामिन ‘डी’ की मात्रा व ब्लड गैस एनालिसिस आदि.

7. सांस फूलने पर क्या करें

उस अस्पताल में जाएं जहां आवश्यक जांचों की सुविधा हो. संबंधित जांचों के बाद अगर लगे कि सांस फूलने का कारण फेफड़ा है तो किसी छाती रोग विशेषज्ञ व थोरेसिक सर्जन से सलाह लें. यदि फेफड़ा क्षतिग्रस्त है या दबाव में है तो तुरंत सर्जरी करवाएं, आप की जरा सी  लापरवाही दूसरी तरफ के नौर्मल फेफड़े को भी नुकसान पहुंचा सकती है. अगर सांस फूलना दिल की वजह से है तो किसी हृदयरोग विशेषज्ञ या कार्डियोथोरेसिक सर्जन से सलाह लें. किडनी विशेषज्ञ की राय भी लेनी पड़ती है अगर गुरदे के कारण सांस फूल रही है.

8. कुछ खास बातें

यदि आप 20 साल की उम्र से ही रोज 2 घंटे नियमित टहलते हैं और 2 घंटे धूप का सेवन करते हैं तथा धूलधक्कड़ से दूर रहते हैं तो यकीन मानिए आप सांस फूलने की समस्या से काफी हद तक बचे रहेंगे. मोटापा किसी भी हालत में न पनपने दें.

रोज तकरीबन 350 ग्राम सलाद व 350 ग्राम फलों का सेवन करें. प्रोटीन भरपूर मात्रा में लें. पत्तेदार सब्जियों का नियमित सेवन करें. किसी तरह के धूम्रपान व तंबाकू के सेवन से बचें. शराब न पीएं. अगर आप यह सलाह मानेंगे तो सांस फूलने की तकलीफ ले कर आप को अस्पताल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.                        –

(लेखक दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में वरिष्ठ थोरेसिक एवं कार्डियो वैस्कुलर सर्जन हैं.)

क्या जिम जाने वाला अग्रेसिव होता है?

कुछ साल पहले की बात है. मैं दिल्ली देहात के एक गांव में एक इंटरनैशनल पहलवान के सगाई समारोह में गया था. वहां कई नामचीन लोग आए थे और माहौल बड़ा खुशनुमा था कि अचानक वहां कुछ नौजवान लड़कों का ग्रुप आया. सभी गांवदेहात के थे, पर पैसे वाले भी दिख रहे थे.

हैरत की बात थी कि उन नौजवानों में से कइयों के पास महंगी और मौडर्न पिस्टल थीं और ज्यादातर जिम में जा कर बौडी बनाए हुए थे. उन में जो लड़का सब से बीच में चल रहा था, वह बहुत हैंडसम था और उस की बौडी के तो कहने ही क्या. उस की महंगी शर्ट से बौडी के कट्स साफसाफ दिख रहे थे.

वे लड़के वहां कुछ देर रहे, चंद लोगों और दूल्हे से मुलाकात की और फिर अपनी महंगी गाड़ियों में चले गए.

यह सोच कर मेरे मन में सवाल उठा था कि जो लोग जिम जा कर बौडी बनाते हैं, क्या वे सभी अग्रेसिव होते हैं या हो जाते हैं? वजह, जो लड़के शादी में आए थे, वे दिखने में बदमाश जैसे नहीं थे, पर हाथ में पिस्टल और कसी हुई बौडी से ऐसा लग था कि अगर कोई उन से पंगे लेगा तो वे उसे छोड़ेंगे नहीं.

पैसे दे कर जिम में बौडी बनाने का चलन आजकल बहुत ज्यादा बढ़ गया है. बड़े शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे कसबों में भी अब जिम खुलने लगे हैं. वहां ज्यादातर लड़के इसलिए बौडी बनाने जाते हैं कि दुनिया पर उन का रोब जमे, खासकर जवान लड़कियों पर. जब उन की बौडी दिखाने लायक बन जाती है, तो उन में अकड़ आ जाती है. पर क्या इस के पीछे कोई अग्रेशन होती है, जो उन्हें जिम तक ले जाती है?

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अंजू गुप्ता

इस मसले पर मुंबई के ‘आइडियल बौडी फिटनैस’ जिम में फिटनैस इंस्ट्रक्टर अंजू गुप्ता ने बताया, “जिम जाने से अग्रेशन का कुछ लेनादेना नहीं है, बल्कि जिम जाने से बौडी में जो बदलाव आता है, उस से तो बहुत अच्छा महसूस होता है.

“अमूमन जिम जाने वाले लोग अपने रूटीन को ले कर बहुत अनुशासित होते हैं, तो शायद देखने वाले को लगे कि वे अग्रेसिव हैं. एक बात और है कि जब जिम जाने वाले लोग किसी स्ट्रिक्ट डाइट पर होते हैं, तो उन का मैटाबौलिक रेट बढ़ जाता है, हार्ट रेट ज्यादा हो जाती है, पर यह फिटनैस का हिस्सा है.

“लेकिन अगर हम किसी एक तरह के ऐक्सरसाइज स्टाइल को अपनाते हैं तो ब्रेन को उसी की आदत पड़ जाती है, जिस से अग्रेशन बढ़ने का डर बना रहता है, इसलिए हमेशा जिम और ऐक्सरसाइज के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए. अपने को दूसरे ऐसे काम में बिजी रखना चाहिए, जो मन को शांत करते हैं. इस के अलावा खानपान का भी खास ध्यान चाहिए.”

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कपिल गुप्ता

फरीदाबाद के 47 साल के कारोबारी कपिल गुप्ता अपने कालेज के दिनों से जिम में जाने लगे थे. एक समय ऐसा था जब वे अपने सिक्स पैक्स एब्स के लिए जाने जाते थे. तब उन्होंने अपना वजन 106 किलो से घटा कर 82 किलो किया था.

कपिल गुप्ता ने बताया, “मैं जिम में तरहतरह के लोगों से मिला हूं, पर मेरी नजर में कोई ऐसा नहीं आया, जो जिम जौइन करने के बाद अग्रेसिव हुआ हो. हां, अगर कोई शुरू से ही अग्रेसिव सोच का रहा होगा तो कहा नहीं जा सकता.

“जिम अपने शरीर को सेहतमंद रखने की ठीक वैसे ही जगह है, जैसे कोई दूसरे खेल की जगह. यहां आने वाले लोगों का मकसद यही रहता है कि वे अच्छी बौडी बनाएं और अपनी फिटनैस बरकरार रखें.

“जहां तक किसी के अग्रेसिव होने की बात है तो अगर कोई अपने स्वभाव से अग्रेसिव है, तो वह जिम क्या कहीं भी जैसे अपने घर, औफिस, बाजार या फिर किसी दूसरी जगह वैसा ही बरताव करेगा. यह तो बच्चों पर भी लागू होता है. अगर किसी बच्चे में एनर्जी ज्यादा है तो वह दूसरे बच्चों के मुकाबले अग्रेसिव होता है. अगर उस अग्रेसिवनैस का सही से इस्तेमाल किया जाए तो बच्चा शांत रहता है.

“हां, अगर जिम में कोई ऐक्सरसाइस के लिए सप्लीमैंट्स लेता है तो कभीकभार उस के साइड इफैक्ट के तौर पर ऐसे लोग अग्रेसिव हो जाते हैं, पर यह नहीं कहा जा सकता है कि जिम जाने वाले लोग अग्रेसिव हो जाते हैं या होते हैं.”

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निश्चिंत कटोच

भारत के अल्ट्रा रनर निश्चिंत कटोच एक समय अपने ज्यादा वजन से परेशान थे. उन्होंने अपनी लगन से खुद में इस हद तक बदलाव किया कि वे आज कईकई किलोमीटर तक आसानी से दौड़ लेते हैं. इस सब बदलाव में जिम ने बड़ा रोल निभाया है.

निश्चिंत कटोच ने बताया, “यह सब वर्कआउट की इंटैंसिटी पर डिपैंड करता है. हार्ड ट्रेनिंग ऐक्सरसाइज से टैस्टोस्टेरोन के कुदरती लैवल में बढ़ोतरी होती है, जिस से अग्रेशन का लैवल बढ़ सकता है. इस पर कंट्रोल करने का तरीका यही है कि वर्कआउट और इंटैंसिटी में बैलैंस बनाया जाए. गुड मैंटल हैल्थ के लिए वर्कआउट को इस ढंग से करना चाहिए कि जिम जाने वाला अग्रेसिव न हो.”

इस मुद्दे पर एक बात बहुत ज्यादा अहम है कि जिम जाने वाले लोगों में से बहुत से ऐसे होते हैं, खासकर नौजवान, जो बौडी बनाने को ही जिंदगी की सब से बड़ी कामयाबी मानते हैं और उन के पास ऐसी कोई उपलब्धि नहीं होती है, जिस पर वे या उन का परिवार गर्व कर सके.

बने रहें जवां : शान से जिएं जिंदगी

बचपन, युवावस्था और वृद्धावस्था. जिंदगी के ये 3 पड़ाव हैं. बचपन और युवावस्था तो गुज़र जाते हैं लेकिन वृद्धावस्था इंसान के साथ आखिरी सांस तक रहती है. सच है कि उम्र का बढ़ना तय है और हर किसी को वृद्धावस्था यानी बुढ़ापा से दोचार होना है. बूढ़ा होने से कोई खुद को रोक तो नहीं सकता लेकिन उस अवस्था को भी एंजौय जरूर कर सकता है. यानी, एक तरह से वह जवां बना रह सकता है.

जिंदगी की व्यस्तताओं ने इंसान को रोबोट सा बना दिया है. सुबह उठने से ले कर रात को सोने तक काम, काम और काम. टेबल पर खाना खाता इंसान एक मशीन सा बन कर रह गया है. हालात और ज्‍यादा खराब हो जाते हैं  जब इंसान अपनी सेहत, भोजन और नींद को भी नजरअंदाज करने लगता है.

वहीं, सच यह है कि बढ़ती उम्र के प्रभाव को कोई भी अपने चेहरे पर जल्दी नहीं देखना चाहता. अपनेआप को स्मार्ट दिखाने के लिए हर कोई परेशान रहता है और इंसान पूरी कोशिश करता है कि उस की झलक सब से अलग दिखे.

पुरुष दें ध्यान :

पुरुषों को अपनी त्वचा का खयाल रखने के लिए छोटी से छोटी बात पर ध्यान देने की जरूरत है. पुरुषों की त्वचा सख्त होती है, वे लंबे समय तक जवां दिखना चाहते हैं तो उन्हें कुछ आदतों को छोड़ कर अच्छी आदतों को अपनाना होगा. ऐसा करने से होने वाले फायदे कुछ ही दिनों में ही ज़ाहिर होना शुरू हो जाते हैं.

शाम को भी साफ़ करें चेहरा :

हर इंसान अपना चेहरा धोता है, लेकिन आमतौर पर सिर्फ सुबह. और यह उस की बचपन से ही आदत होती है. अच्छी आदत है. चेहरे की स्किन ज्यादा उम्र तक जवां बनी रहे, इस के लिए रोजाना शाम को भी फेसवौश या साबुन से चेहरे को धोना/साफ़ करना बेहद ज़रूरी है. ऐसा करने के नतीजे में आप के चेहरे पर मौजूद दिनभर की गंदगी भी साफ हो जाएगी और आप का चेहरा साफ रहेगा. इतना ही नहीं, रोजाना चेहरा अच्छी तरह साफ करने के चलते आप कई तरह के स्किन इंफैक्शन से बचे भी रहेंगे.

क्रीम नहीं मौइस्चराइजर है अनिवार्य:

ज़्यादातर युवा नहाने के बाद किसी क्रीम को ही लगाते हैं. दरअसल, युवाओं के चेहरे के लिए यह ठीक नहीं है. इस के चलते उन्हें रिऐक्शन हो सकता है और चेहरे पर पिंपल व दागधब्बों से भी जूझना पड़ सकता है. 30 साल की उम्र पार करने के बाद पुरुषों को नियमितरूप से नहाने के बाद मौइस्चराइजर का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए. यह स्किन पोर्स (त्वचा के महीनमहीन छिद्र) को खोलने में मदद करता है, जिस से चेहरे को खिलाखिला बनाए रखने में काफी मदद मिलती है. हां, मौइस्चराइजर के बाद चाहें तो कोई क्रीम लगा सकते हैं.

सप्ताह में 2 बार फेसपैक :

अकसर पुरुष समझते हैं कि फेसपैक का इस्तेमाल केवल महिलाएं करती हैं, जबकि ऐसा नहीं है. यह चेहरे पर मौजूद गंदगी को साफ करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वह चेहरा महिला का हो या पुरुष का. इस के अलावा, यह चेहरे की स्किन को निखारने और दागधब्बे व मुहांसों को दूर करने के लिए भी काफी प्रभावी माना जाता है. यह चेहरे की रंगत को बरकरार रखता है और बढ़ती हुई उम्र के असर को भी चेहरे पर पूरी तरह से नहीं आने देता. फेसपैक किसी घरेलू नुस्खे के जरिए भी तैयार किया जा सकता है, अन्यथा बाज़ार में उपलब्ध हैं.

सप्ताह में स्क्रब जरूर :

चेहरा देख कर आमतौर पर लोग किसी की उम्र का पता लगा लेते हैं. बुढ़ापे का असर या कह लें ढलती हुई उम्र सब से पहले चेहरे पर अपना असर दिखाना शुरू कर करती है. इसलिए, चेहरे का खास खयाल रखते हुए हफ्ते में एक बार स्क्रब जरूर करें. स्क्रब किसी घरेलू नुस्खे के जरिए भी तैयार किया जा सकता है, अन्यथा बाज़ार में उपलब्ध हैं. स्क्रब करने से चेहरे की स्किन खिलीखिली लगती है.

बालों को भी दें समय :

चेहरे से ही इंसान जवां नहीं दिखता. जवां दिखने के लिए जरूरी नहीं कि कोई अपने जिस्म के सिर्फ एक हिस्से पर ही ध्यान दे बल्कि उस को सभी ब्यूटी टिप्स पर ध्यान देने की जरूरत है. बालों की अच्छी चमक हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है. पुरुषों को अपने बालों की भी खास केयर करनी चाहिए. बढ़ती उम्र के साथसाथ उन्हें समयसमय पर हेयरकेयर टिप्स का इस्तेमाल कर के बालों को हैल्दी बनाए रखना चाहिए. कुछ घरेलू नुस्खों के ज़रिए भी बालों को काला करने और उन्हें मजबूती देने के लिए खास हेयरमास्क का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

बुरी आदतों से बचें :

शराब का सेवन और स्मोकिंग करना जिस्म के लिए नुकसानदायक हैं. किसी को अगर ये आदतें हैं तो उसे इन आदतों को छोड़ना पड़ेगा वरना उम्र से पहले वह बूढा नज़र आने लगेगा. इन आदतों के चलते चेहरे की स्किन के साथसाथ पूरे जिस्म के अंगों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बढ़ती उम्र में ये बुरी आदतें जिस्म को विभिन्न प्रकार के नकारात्मक दोषों से नहीं बचा सकेंगी और इंसान के चेहरे पर बुढ़ापे की झलक साफ दिखने लगेगी.

जल्दी उठना, जल्दी सोना :

अर्ली टु बेड ऐंड अर्ली टु राइज… सुबह जल्दी उठने और रात में जल्दी सोने से इंसान की सेहत अच्छी रहती है. पुरुषों को सुबह जल्दी उठना चाहिए, यह उन की सेहत के लिए काफी अच्छा होता है. जल्दी उठने के लिए रात में जल्दी सोना होगा ताकि नींद का समय पूरा हो सके. वहीं, सुबह उठ कर बाहर टहलने की आदत डालनी चाहिए, क्योंकि सुबह की फ्रेश एयर इंसान के पूरे दिन को अच्छा बना देती है.

औयलीफूड और जंकफूड से बचें :

तेल की अधिक मात्रा में बने भोजन यानी औयलीफूड का सेवन कम से कम करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर की एनर्जी को जल्द खत्म कर देता है. इस के साथ ही रात को थोड़ा हलका खाना खाएं. घर के बने खाने में अच्‍छे तेल का उपयोग करें, क्योंकि खराब क्वालिटी वाला तेल सेहत पर काफी बुरा प्रभाव डालता है. पुरुषों को जंक फूड से भी परहेज करना होगा. इस के ज्यादा खाने से शुक्राणुओं की गुणवत्‍ता में गिरावट आ जाती है. इस की जगह  फ्रूट्स, अंकुरित अनाज और जूस लिया जा सकता है.

रोजा करें ऐक्‍सरसाइज़ :

पुरुषों को मोटापा कम करने औऱ फिट रहने के लिए रोजाना ऐक्‍सरसाइज़ करनी चाहिए. अगर आप ऐक्सरसाइज़ नहीं कर सकते हैं, तो थोड़ाबहुत उछलकूद ही करें यानी जिस्म को हरकत दें ताकि पूरा जिस्म फिट बना रहे. मौर्निंग वौक हर इंसान को करना चाहिए.

इस तरह, कोई भी इंसान अपने जीवन के हर पड़ाव को एंजौय कर सकता है. वह वृद्धावस्था में भी अपने को जवां महसूस कर सकता है चूंकि जिस्म से फिट जो है. सो, आप भी अंतिम क्षणों को तक जीवन को एंजौय करें, खुद को जवां फील करें.

अगर आप भी करते हैं तंबाकू का सेवन तो हो जाइए सावधान

तंबाकू से बनी बीड़ी व सिगरेट में कार्बन मोनोऔक्साइड, थायोसाइनेट, हाइड्रोजन साइनाइड व निकोटिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं, जो न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि शरीर को भी कई खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलते हैं. जो लोग तंबाकू या तंबाकू से बनी चीजों का सेवन नहीं करते हैं, वे भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों खासकर बीड़ीसिगरेट पीने वालों की संगत में बैठ कर यह बीमारी मोल ले लेते हैं. इसे अंगरेजी भाषा में ‘पैसिव स्मोकिंग’ कहते हैं.

नुकसान ही नुकसान

तंबाकू के सेवन में न केवल लोगों की कमाई का ज्यादातर हिस्सा बरबाद होता है, बल्कि इस से उन की सेहत पर भी कई तरह के गलत असर देखने को मिलते हैं, जो बाद में कैंसर के साथसाथ फेफड़े, लिवर व सांस की नली से जुड़ी कई बीमारियों को जन्म देने की वजह बनते हैं. तंबाकू या सिगरेट का इस्तेमाल करने से सांस में बदबू रहती है व दांत गंदे हो जाते हैं. इस में पाए जाने वाला निकोटिन शरीर की काम करने की ताकत को कम कर देता है और दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों के साथसाथ ब्लड प्रैशर की समस्या से भी दोचार होना पड़ता है.

पहचानें कैंसर को

डाक्टर वीके वर्मा का कहना है कि पूरी दुनिया में जितनी तादाद में मौतें होती हैं, उन में से 20 फीसदी मौतों की वजह सिर्फ कैंसर है. गाल, तालू, जीभ, होंठ व फेफड़े में कैंसर की एकमात्र वजह तंबाकू, पान, बीड़ीसिगरेट का सेवन है. अगर कोई शख्स तंबाकू या उस से बनी चीजों का इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे नियमित तौर पर अपने शरीर के कुछ अंगों पर खास ध्यान देना चाहिए.

अगर आप पान या तंबाकू का सेवन करते हैं, तो यह देखते रहें कि जिस जगह पर आप पान या तंबाकू ज्यादातर रखते हैं, वहां पर कोई बदलाव तो नहीं दिखाई पड़ रहा है. इन बदलावों में मुंह में छाले, घाव या जीभ पर किसी तरह का जमाव, तालू पर दाने, मुंह का कम खुलना, लार का ज्यादा बनना, बेस्वाद होना, मुंह का ज्यादा सूखना जैसे लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जा कर अपनी जांच कराएं. बताए गए सभी लक्षण कैंसर की शुरुआती दशा में दिखाई पड़ते हैं.

बढ़ती तंबाकू की लत

अकसर स्कूलकालेज जाने वाले किशोरों व नौजवानों को शौक में सिगरेट के धुएं के छल्ले उड़ाते देखा जा सकता है. यह आदत वे अपने से बड़ों से सीखते हैं. सरकार व कोर्ट द्वारा सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है और अगर ऐसा करते हुए किसी को पाया जाता है, तो उस पर जुर्माना भी लगाए जाने का कानून है, लेकिन यह आदेश सिर्फ आदेश बन कर ही रह गया है. हम गुटका खा कर जहांतहां थूक कर साफसुथरी जगहों को भी गंदा कर बैठते हैं, जो कई तरह की संक्रामक बीमारियों की वजह बनता है.

पा सकते हैं छुटकारा

एक सर्वे का आंकड़ा बताता है कि 73 फीसदी लोग तंबाकू खाना छोड़ना चाहते हैं, लेकिन इस का आदी होने की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते हैं. अगर आप में खुद पर पक्का यकीन है, तो आप तंबाकू की बुरी लत से न केवल छुटकारा पा सकते हैं, बल्कि तंबाकू को छोड़ कर दूसरों के लिए भी रोल मौडल बन सकते हैं.

तंबाकू या उस से बनी चीजों का सेवन करने वाला शख्स अगर कुछ देर इन चीजों को न पाए, तो वह अजीब तरह की उलझन यानी तलब का शिकार हो जाता है, क्योंकि उस का शरीर निकोटिन का आदी बन चुका होता है. ऐसे में लोग तंबाकू के द्वारा निकोटिन की मात्रा को ले कर राहत महसूस करते हैं, लेकिन यही राहत आगे चल कर जानलेवा लत भी बन सकती है.

इन सुझावों को अपना कर भी तंबाकू की लत से छुटकारा पाया जा सकता है:

* तंबाकू की लत को छोड़ने के लिए अपने किसी खास के जन्मदिन, शादी की सालगिरह या किसी दूसरे खास दिन को चुनें और आदत छोड़ने के लिए इस दिन को अपने सभी जानने वालों को जरूर बताएं.

* कुछ समय के लिए ऐसी जगह पर जाने से बचें, जहां तंबाकू उपयोग करने वालों की तादाद ज्यादा हो, क्योंकि ये लोग आप को फिर से तंबाकू के सेवन के लिए उकसा सकते हैं.

* तंबाकू, सिगरेट, माचिस, लाइटर, गुटका, पीकदान जैसी चीजों को घर से बाहर फेंक दें.

* तंबाकू या उस से बनी चीजों के उपयोग के लिए जो पैसा आप द्वारा खर्च किया जा रहा था, उस पैसे को बचा कर अपने किसी खास के लिए उपहार खरीदें. इस से आप को अलग तरह की खुशी मिलेगी.

* तंबाकू की तलब होने के बाद मुंह का जायका सुधारने के लिए दिन में 2 से 3 बार ब्रश करें. माउथवाश से कुल्ला कर के भी तलब को कम कर सकते हैं.

* हमेशा ऐसे लोगों के साथ बैठें, जो तंबाकू या सिगरेट का सेवन नहीं करते हैं और उन से इस बात की चर्चा करते रहें कि वे किस तरह से इन बुरी आदतों से बचे रहे हैं.

* बीड़ीसिगरेट पीने की तलब महसूस होने पर आप अपनेआप को किसी काम में बिजी करना न भूलें. पेंटिंग, फोटोग्राफी, लेखन जैसे शौक पाल कर तंबाकू की लत से छुटकारा पा सकते हैं.

इस मुद्दे पर डाक्टर मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि अकसर उन के पास ऐसे मरीज आते रहते हैं, जो किसी न किसी वजह से नशे का शिकार होते हैं और वे अपने नशे को छोड़ना चाहते हैं. लेकिन नशे के छोड़ने की वजह से उन को तमाम तरह की परेशानियों से जूझना पड़ता है, जिस में तंबाकू या सिगरेट छोड़ने के बाद लोगों में दिन में नींद आने की शिकायत बढ़ जाती है और रात को नींद कम आती है.

सिगरेट छोड़ने वाले को मीठा व तेल वाला भोजन करने की ज्यादा इच्छा होती है. इस के अलावा मुंह सूखने का एहसास होना, गले, मसूढ़ों व जीभ में दर्द होना, कब्ज, डायरिया या जी मिचलाने जैसी समस्या भी देखने को मिलती है. इस की वजह से वह मनोवैज्ञानिक रूप से मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाता है.

ऐसी हालत में तंबाकू की लत के शिकार लोगों को एकदम से इसे छोड़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि धीरेधीरे छोड़ने वाले अकसर फिर से तंबाकू की लत का शिकार होते पाए गए हैं. तंबाकू छोड़ने के बाद अकसर कोई शख्स हताशा का शिकार हो जाता है. इस हालत में उसे चाहिए कि वह समयसमय पर किसी अच्छे मनोचिकित्सक से सलाह लेना न भूले.

क्या आप पेनकिलर एडिक्टेड हैं तो पढ़ें ये खबर

आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में हमारे पास आराम करने का बिलकुल भी समय नहीं है. ऐसे में भीषण दर्द की वजह से हमें बैठना पड़े तो उस से बड़ी मुसीबत कोई नहीं लगती है. कोई भी दर्द से लड़ने के लिए न तो अपनी एनर्जी लगाना चाहता है और न ही समय. इसलिए पेनकिलर टैबलेट खाना बहुत आसान विकल्प लगता है. बाजार में हर तरह के दर्द जैसे बदनदर्द, सिरदर्द, पेटदर्द आदि के लिए कई तरह के पेनकिलर मौजूद हैं.

अलगअलग तरह के पेनकिलर शरीर के विभिन्न दर्दों के लिए काम करते हैं और वह भी इतने बेहतर ढंग से कि कुछ ही मिनटों में दर्द गायब हो जाता है और व्यक्ति फिर से काम करने को तैयार हो जाता है.

शरीर में हलका सा दर्द होते ही हम एक पेनकिलर मुंह में डाल लेते हैं. इस से होता यह है कि शरीर की दर्द से लड़ने की क्षमता घट जाती है और हम शरीर को दर्द से स्वयं लड़ने देने के बजाय उसे यह काम करने के लिए पेनकिलर्स का मुहताज बना देते हैं. काम को सरल बनाने के लिए तरीकों का इस्तेमाल करना मानव प्रवृत्ति है और ईजी पेनकिलर एडिक्शन उसी प्रवृत्ति का परिणाम है.

क्या है पेनकिलर एडिक्शन

पेनकिलर ऐसी दवाइयां हैं जिन का इस्तेमाल मैडिकल कंडीशंस जैसे माइग्रेन, आर्थ्राइटिस, पीठदर्द, कमरदर्द, कंधे में दर्द आदि से अस्थायी तौर पर छुटकारा पाने के लिए किया जाता है. पेनकिलर बनाने में मार्फिन जैसे नारकोटिक्स, नौनस्टेरौइडल एंटी इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स और एसेटेमिनोफेन जैसे नौननारकोटिक्स कैमिकल का इस्तेमाल होता है. पेनकिलर एडिक्शन तब होता है जब जिसे ये पेनकिलर दिए गए हों और वह शारीरिकतौर पर उन का आदी हो जाए.

इस एडिक्शन के कितने बुरे प्रभाव हो सकते हैं, यह बात हमारे दिमाग में जब चाहे मुंह में पेनकिलर टैबलेट्स डालते हुए आती ही नहीं है. अन्य एडिक्शन की तरह इस के भी साइड इफैक्ट्स समान ही होते हैं. कई बार दर्द न होने पर भी इस के एडिक्ट पेनकिलर खाने लगते हैं. इन्हें खाने वालों को तो लंबे समय तक पता ही नहीं चलता है कि वे इस के शिकार हो गए हैं. उन का मनोवैज्ञानिक स्तर अस्तव्यस्त हो जाता है. इस एडिक्शन से बाहर आने के लिए उन्हें चिकित्सीय मदद लेनी पड़ती है.

साइड इफैक्ट्स

पेनकिलर्स में सेडेटिव इफैक्ट्स होते हैं जिस की वजह से हमेशा नींद आने का एहसास बना रहता है. पेनकिलर लेने वालों में कब्ज की शिकायत अकसर देखी गई है. पेट में दर्द, चक्कर आना, डायरिया और उलटी इन्हें लेने वालों में आम देखी जाती है. इस के अतिरिक्त भारीपन महसूस होने के कारण सिरदर्द और पेट में दर्द रहने लगता है. मूड स्ंिवग्स और थकावट इन में आम बात हो जाती है. साथ ही, कार्डियोवैस्कुलर और रैस्पिरेट्री गतिविधियों पर भी असर होता है, हार्टबीट व ब्लडप्रैशर में तेजी से उतारचढ़ाव तक ऐसे मरीजों में देखा गया है. पेनकिलर एडिक्शन लिवर पर भी असर डालता है और इन का अधिक मात्रा में सेवन करने से जोखिम और बढ़ जाता है.

मिचली आना, उलटी होना, नींद आना, मुंह सूखना, आंखों की पुतली का सिकुड़ जाना, रक्तचाप का अचानक कम हो जाना, कौंसटिपेशन होना दर्दनिवारक दवाइयों के सेवन से होने वाले कुछ आम साइड इफैक्ट्स हैं. इस के अलावा खुजली होना, हाइपोथर्मिया, मांसपेशियों में तनाव जैसे साइड इफैक्ट्स भी पेनकिलर के सेवन से होते हैं.

फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज, नई दिल्ली के कंसल्टैंट फिजिशियन डा. विवेक नांगिया के अनुसार, ‘‘अकसर मरीज हमारे पास यह शिकायत ले कर  आते हैं कि उन की किडनी ठीक ढंग से कार्य नहीं कर रही है. जब हम विस्तृत जानकारी लेते हैं तो पता चलता है कि मरीज एनएसएआईडी नौन स्टीरौयड एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स गु्रप की दवाइयां लंबे समय से ले रहा है.

‘‘न केवल किडनी फेलियर, बल्कि मरीज अल्सर या पेट में ब्लीडिंग की शिकायत ले कर भी हमारे पास आते हैं, जो अत्यधिक मात्रा में पेनकिलर लेने की वजह से होती है. पेनकिलर लेना ऐसे में एकदम बंद कर देना चाहिए. पैरासिटामोल जैसी सुरक्षित दवाइयां बिना डाक्टर की सलाह के ली जा सकती हैं, पर बहुत कम समय के लिए.’’

अकसर महिलाएं पीरियड्स के दिनों में भी दर्द से बचने के लिए पेनकिलर लेती हैं. हालांकि इस से राहत महसूस होती है पर इस का अधिक मात्रा में सेवन करने से एसिडिटी, गैसट्राइटिस, पेट में अल्सर आदि की समस्याएं हो सकती हैं. इस के अलावा, अगर पेनकिलर खाने से दर्द से राहत मिलती है तो भी चिकित्सकों की राय लें. अगर पेनकिलर्स का उपयोग गलत ढंग से किया जाए तो उस से दर्द और बढ़ सकता है. इसलिए दर्द कम करने के लिए अगर पेनकिलर ले रहे हों तो यह भी याद रखें कि इस से दर्द बढ़ भी सकता है.

लाइफस्टाइल में अपनाएं ये टिप्स और चेहरे को रखे स्वस्थ

बदलती लाइफस्‍टाइल के साथ ही लोग अपने हेल्थ को लेकर काफी सजक हो गए है. इसको सबसे बड़ा कारण है लोगों में खुद को बेहतर दिखाने की इच्छा जिसके चलते अब लोग जिम, योगा और एक्सरसाइज जैसी चीजों को डेली रूटीन में कर है. फिटनेस के साथ साथ आजकल लोग अपनी स्किन को लेकर भी काफी ध्यान देते है. इसके लिए मार्केट से या तो वो कई प्रोडक्ट्स का यूज करते है जिसके कारण कई बार हम स्किन प्रौब्लम का भी शिकार हो जाते है. आप जितना प्रकृतिक तरीकों को इस्तेमाल लाएंगे उतना ही वो आपकी हेल्थ के लिए फायदेमंद होगा. इसलिए आज हम लेकर आए है आपके लिए कुछ आसान तरीके जिसे उपयोग मे लाने से आकर्षक स्किन और फिटनेस पा सकते हैं.

स्किन को जरुरी है एक्सट्रा केयर

अगर आप चाहते हैं कि चेहरे पर निखार आए तो अपने स्किन को हमेशा साफ पानी से धोए और साफ रखें. हर रोज कुछ समय अपने चेहरे की गंदगी को साफ करने के लिए लगाएं. इसके लिए प्राकृतिक चीजों का सहारा ले सकते है जैसे हल्दी और एलोवोरा. ये ना सिर्फ चेहरे की रंगत बढ़ाएंगा बल्कि चेहरे को स्वस्थ भी रखेगा.

खाने में यूज करें फाइबर प्रोटीन्स

आप हेल्दी तभी हो सकते है जब आप पौष्टिक और फाइबर युक्त खाने का सेवन करेगें. इस तरह के आहार न केवल आपको उर्जा देते हैं बल्कि आपके स्किन को भी हेल्दी रखते हैं. स्वस्थ पेट, स्वस्थ शरीर आप जितना स्वस्थ खाना खाएंगे उतना आपकी चेहरे पर रोनक आएंगी.

टेंशन को रखे दूर

टेंशन न सिर्फ आपके दिमाग को बल्कि शरीर को भी कई प्रकार से नुकसान पहुंचाता है. ये आपकी मांसपेशियों को कसने, आपकी ऊर्जा का स्तर कम करने और ब्लडप्रेशर को तेजी से बढ़ाता है. टेंशन की वजह से आपके चेहरे का निखार खत्म हो जाता है.

स्वस्थ रहने के लिए नींद लेना है जरुरी

अपनी व्यस्त लाइफ में कम से कम 7 से 8 घंटे अपनी नींद को दीजिए. जब आप सोते हैं तब शरीर हर तरह की गंदगी को बाहर नि‍कालने का काम करता है, जिससे त्वचा में निखार आता है.

स्वस्थ पानी रखें स्वस्थ शरीर

स्वस्थ्य रहने के लिए पानी का सेवन करना बहुत ही जरूरी है. पानी ही एक ऐसी चीज है जिसका आप सही समय पर सेवन करते हैं तो शरीर की कई सारी बीमारियां दूर हो सकती है. अपने चेहरे पर ग्लो लाना है तो हर एक घंटे में पानी पीजिए.

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