पीरियड के 2 दिन पहले क्यों होता है दर्द

अकसर लड़कियों को पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान असहनीय दर्द होता है, जिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इस से निबटने के लिए जरूरी है कि पहले जान लिया जाए कि दर्द की वजह क्या है.

पीरियड के दौरान दर्द होने से कोई भी लड़की बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर सकती है या वह बहुत कमजोर भी हो सकती है. पीएमएस यानी प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम जैसे शब्द कभीकभी मजाक में उपयोग किए जाते हैं. पीएमएस में होने वाली सूजन, सिरदर्द, बदनदर्द, ऐंठन और थकान लड़कियों के लिए दर्दनाक स्थिति बना देती है. इस के अलावा और भी गंभीर कंडीशन, जैसे प्रीमैंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिस्और्डर यानी पीएमडीडी भी हो सकती है जो प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम की तरह  है लेकिन पीरियड आने के एक हफ्ते या दो हफ्ते पहले गंभीर चिड़चिड़ापन, डिप्रैशन या एंग्जाइटी का कारण बन सकता है. आमतौर पर लक्षण पीरियड्स शुरू होने के 2 से 3 दिन बाद तक रहते हैं. लेकिन पहले 1-2 दिन बहुत दर्द वाले हो सकते हैं. यह प्रोस्टाग्लैंडीन नामक एक हार्मोन संबंधी पदार्थ के कारण होता है जिस से दर्द और सूजन के कारण गर्भाशय की मांसपेशियों में कौन्ट्रैक्शन होता है. ज्यादा गंभीर मैंस्ट्रुअल कै्रम्प होना प्रोस्टाग्लैंडीन के हाई लैवल का संकेत दे सकता है.

बीएमजे पब्लिशिंग ग्रुप, यूके द्वारा प्रकाशित क्लीनिकल एविडैंस हैंडबुक के अनुसार, 20 फीसदी महिलाओं में क्रैम्प, मतली, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं जबकि कई अन्य ने इमोशनल कंट्रोल और कंसन्ट्रेशन में कमी देखी. एंडोमेट्रियोसिस सोसाइटी इंडिया के आंकड़े सु?ाते हैं कि 2.5 करोड़ से अधिक महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से पीडि़त हैं. यह एक क्रोनिक कंडीशन होती है जिस में पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है, जिसे चिकित्सकीय रूप से डिसमेनोरिया कहा जाता है.

दिल का दौरा पड़ने के बावजूद काम करने वाले किसी व्यक्ति की कल्पना करें. पीरियड में दर्द होना उस से भी बुरा हो सकता है. कालेज औफ यूनिवर्सिटी, लंदन की रिसर्च के अनुमान के अनुसार, 68 फीसदी से अधिक महिलाएं भारत में गंभीर पीरियड से संबंधित लक्षण, जैसे ऐंठन, थकान, सूजन व ऐंठन का अनुभव करती हैं और इन में से 49 फीसदी थकावट महसूस करती हैं. लगभग 28 फीसदी महिलाओं को अपने पीरियड्स के दौरान सूजन का अनुभव होता है.

पीरियड्स में होने वाले दर्द को समझते

हार्मोन जारी करने पर गर्भाशय की ऐंठन के कारण महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द का अनुभव होता है. प्रोस्टाग्लैंडीन गर्भाशय में मांसपेशियों के कौन्ट्रैक्शन के प्रोसैस को शुरू करता है. यह दर, जिस में कौन्ट्रैक्शन होता है, उपयोग न की गई यूट्रीन लाइनिंग की शेडिंग को निर्धारित करता है कि शरीर से बाहर खून के साथ क्लौट्स भी निकलेंगे. डिसमेनोरिया कुछ बीमारियों का संकेत भी दे सकता है जैसे-

पौलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानी पीसीओडी मासिकधर्म में होने वाली बीमारियों में सब से आम बीमारी है. यह महिलाओं में निष्क्रिय लाइफस्टाइल के कारण बढ़ रहे हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है. यह शरीर में पुरुष हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ाता है और ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बाधित करता है.

गर्भाशय फाइब्रौएड – हालांकि ये नेचर में सौम्य होते हैं, लेकिन ये असहनीय लक्षण पैदा कर सकते हैं, जैसे असामान्य यूट्रीन ब्लीडिंग, डिस्पेर्यूनिया, पेल्विक पेन, मूत्राशय या मलाशय पर प्रतिरोधी प्रभाव और बां?ापन की समस्या. अन्य बीमारियां जो पीरियड्स के दौरान दर्द पैदा कर सकती हैं वे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस हैं.

क्या पीरियड के दर्द का इलाज किया जा सकता है?

हां, हलके मासिकधर्म के क्रैम्प का इलाज ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवाओं के साथ किया जा सकता है, जबकि ज्यादा गंभीर क्रैम्प के लिए नौनस्टेरौइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स की जरूरत होगी. यह सुनिश्चित करें कि दवा दर्द शुरू होने से पहले लें. एक्सरसाइज करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्लड फ्लो और एंडोर्फिन दोनों के प्रोडक्शन को बढ़ाती है, जो प्रोस्टाग्लैंडीन और रिजल्टंट दर्द को कम कर सकता है.

मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि लगभग 70 फीसदी रिप्रोडक्टिव संबंधी बीमारियां खराब मासिकधर्म की स्वच्छता के कारण होती हैं. ओरल गर्भनिरोधक गोलियों के माध्यम से ट्रीटमैंट किसी भी ओवेरियन हार्मोन लैवल के असंतुलन को ठीक कर सकता है. ताजे भोजन, फलों और सब्जियों को ज्यादा खाएं, धूम्रपान, शराब और कैफीन का सेवन करने से बचें, नमक व चीनी के सेवन को भी कम करें और 30 मिनट के लिए रोज एक्सरसाइज करें.

पीरियड हौलिडे, रोज के कामों में साथ देना और हम कुछ ऐसी ही मदद कर के एक महिला को पीरियड के दिनों में राहत पहुंचा सकते हैं.

(लेखिका सीड्स औफ इनोसैंस एंड जेनेस्ंिट्रग्स लैब की फाउंडर व आईवीएफ एक्सपर्ट हैं)

जानें यहां, वर्कर्स के पहनावे से शहरी पहनावे तक का शानदार सफर

जिसे फैक्टिरियों में काम करने वाले वर्कर्स पहनते थे वह आज सबको पसंदीदा पोशाक बन चुका है.

त्यौहारों का उत्सव हो या शादी का रौनक या किसी पारिवारिक आयोजन में आप शामिल हो रहे हो  , इस सब में एक पोशाक आम है , जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है . वह है जींस के कपड़े. तो आईए आज जानते है इसके हर उस पहलू को जो इसे पोशाक को सबका पसंदीदा बनता है. आइए समझते है 9 विंदुओ में….

1. डूंगरीज से जींस बनने की कहानी है शानदार :-

अगर जींस के प्रौडक्शन की बात करेंए तो फ्रांस और भारत स्वतंत्र रुप से इसका प्रॉडक्शन करते थे. शायद आपको यह जानकर आश्चर्य हो कि शुरुआत में जींस वर्कर्स द्वारा पहनी जाती थी. भारत में डेनिम से बने ट्राउजर्स डूंगा के नाविक पहना करते थेए जिन्हें डूंगरीज के नाम से जाना जाता था. वहीं फ्रांस में गेनोइज नेवी के वर्कर जींस को बतौर यूनिफॉर्म पहनते थे. उनके लिए जींस का फैब्रिक उनके काम के मुताबिक परफेक्ट था. जींस को ब्लू कलर में रंगने के लिए इंडिगो डाई का इस्तेमाल किया जाता था. हालांकि 16 वीं शताब्दी में जींस के चलन ने ज्यादा जोर पकड़ाए लेकिन बाकी देशों तक अपनी पहुंच बनाने में इसे काफी समय लग गया.

2. 1850 से 1950 तक का शानदार सफर :-

1850 तक जींस काफी पौपुलर हो चुकी थी. इस दौरान एक जर्मन व्यापारी लेवी स्ट्रास ने कैलिफोर्निया में जींस पर अपना नाम छापकर बेचना शुरू किया. वहां एक टेलर जेकब डेविस उसका सबसे पहला कस्टमर बना. वह काफी दिन तक उससे जींस खरीदता रहा और उसने भी उन्हें लोगों को बेचना शुरू कर दिया. वहां कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर इसे ज्यादा खरीदते, क्योंकि इसका कपड़ा बाकी फैब्रिक से थोड़ा मोटा था, जो उनके लिए काफी आरामदायक था.

ऐसा कहा जाता है कि एक दिन डेविस ने स्ट्रास से कहा कि क्यों न हम दोनों मिलकर इसका एक बड़ा बिजनस शुरू करें. स्ट्रास को डेविस का प्रपोजल काफी पसंद आया. इस तरह उन्होंने जींस के लिए यूएस पेटेंट ले लिया और फिर जींस का उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका की फैक्टिरियों में काम करने वाले वर्कर्स इसे पहना करते थे. और तो और यह उनकी यूनिफौर्म में शामिल कर दी गई थी.

– पुरुषों के लिए बनी जींस में जिप फ्रंट में नीचे की तरफ लगाई जाती थी, वहीं महिलाओं के लिए बनी जींस में इसे साइड में लगाया जाता था.

– स्पेन और चीन में वहां के काउबाय वर्कर्स जींस कैरी किया करते थे.

– वक्त के साथ जींस में नए नए चेंज आने लगे. इसी के तहत अमेरिकन नेवी में बूट कट जींस को वर्कर्स की यूनिफौर्म बनाया गया.

3. जींस का फैशन में आने की कहानी भी है पुरानी :-

आज से 8 दशक पहले 1950 के करीब जेम्स डीन ने एक हौलिवुड फिल्म श्रेबल विदाउट ए कॉजश् बनाई, जिसमें उन्होंने पहली बार जींस को बतौर फैशन यूज किया.

इस फिल्म को देखने के बाद अमेरिका के टीन एजर्स और यूथ में जींस का ट्रेंड काफी पौपुलर हो गया.

इसकी लोकप्रियता कम करने के लिए अमेरिका में रेस्तरांए थियेटर्स और स्कूल में जींस पहनकर जाने पर बैन भी लगा दिया गया, फिर भी जींस का फैशन यूथ के सिर पर ऐसा चढ़ा की फिर उतरा ही नहीं.

अमेरिका से आगे  जींस की लोकप्रियता  धीरे धीरे बढ़ने लगी, पूरे विश्व समुदाय ने दो दशक के उपरांत यानी 1970 के दशक में इसे फैशन के तौर पर स्वीकार कर लिया गया. तब से अब तक इसके (जींस का) क्रेज हर तबके के लोगों के सिर पर चढ़कर बोल रहा है.

4. हर उम्र के लोगों का पसंदीदा पोशाक :-

बच्चों से लेकर 50 साल के लोगों तक की पसंद बन चुका है, जींस . बच्चे तो सिर्फ जींस ही पहनने की रट लगाते हैं और कुछ बड़े भी हैं, जो सातों दिन बारह माह जींस ही पहनते हैं.

5. गरीब से लेकर अमीर तक सबका पसंदीदा पोशाक-

एक अच्छी किस्म की जींस के कपड़े हजार रुपए से आना शुरू होता है , वहीं बाजार के मांग और एक बड़े ग्राहक समूह को होने के कारण यह सामान्यतः पटरी और बड़े शहरों के लोकल बाजार में आराम से यह 500 से मिलना शुरू हो जाता है   .

इस कपड़े के बाजार में देश – विदेश की कई कम्पनी शामिल होने के कारण इसमें भी प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ा है .

500 के शुरुआती मूल्य से 21 हजार के अधिकतम मूल्य तक इसके कपड़े मिल जाते है .

इस पोशाक का यह भी खास बात है कि हर रेट यानी हर बजट में बहुत प्रकार के कपड़े मिल जाएंगे . कुल मिला कर अगर आपको जींस का कपड़ा पसंद है तो इसके बदलते रूप से आप कभी बोर नहीं हो सकते .

6. हर समय इसका जादू रहता है बरकरार

-किसी भी फैशन का जादू अधिक दिन तक नहीं टिकता है , लेकिन जींस एक ऐसा परिधान है जिसका जलवा सालों से जस का तस बरकरार है. कभी मजदूरों की पोशाक के रूप में शुरू हुई जींस समाज के हर वर्ग में अपनी पैठ बना लेगी, किसी ने सोचा भी नहीं होगा. लेकिन आज यह एक बड़ी सच्चाई है कि कई दशकों से फैशन की दुनिया में ये पहले पायदान पर है.

7. कई रूप में उपलब्ध है जींस का पोशाक

युवकों के लिए इसका दायरा जींस पैंट और जैकेट तक ही सीमित है. जबकि युवतियों ने गुजराती बंधेज के धागे और कट ग्लास से सजे मिडी, मिनी स्कटे और हाफ पैंटस तक जींस के पहनने शुरू कर दिए हैं.

8. महिलओं में विशेष क्रेज है :-

भारत में जींस का दखल तो वर्षों से रहा है मगर बीते कुछ दशक में   भारतीय महिलाओं की यह मनपसंद पोशाक बन चुका है. आज महानगरों और अन्य उपनगरों कों छोड दिया जाए तों छोटे शहरों की महिलाए भी इसे अरामदायक पहनावे के रूप में स्वीकार कर चुकी है. अगर इसे सिर्फ पहनावे के रूप में इसे देखा लाए तो यह भारतीय महिलाओं के लिए खासी सुविधाजनक साबित हुई है.

एक दशक पहले तक छोटे शहरों में शादी के बाद किसी भारतीय महिला को जींस में देखने की कल्पना करना भी मुश्किल था. लेकिन अब स्थिति बदल गई है .

9. रखरखाव आसान :-

जींस के रखरखाव की बात करे तो एक बार धुलाई के बाद इसे दो बार तक इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर आपको बहुत यात्राएं करनी पड़ती हों या आपका प्रोफेशन भागदौड़ भरा हो तो भला जींस से बेहतर क्या हो सकता है.

नाकामियों को सफलता की मंजिल का पड़ाव ऐसे माने

आईए समझते हैं किस तरह आपकी नाकामियां आपको आपके मंजिल के पास ले जाती है , कैसे आप उन से सीख कर अपने आप में सुधार कर के कामयाबी का नया इतिहास लिख सकते हैं . चार(04) बिंदुओ में समझते हैं :-

1.संघर्षों का सामना करके इतिहास बनाता है :-  हिटलर का प्रसिद्ध वाक्य है, ‘जो बिना संघर्ष के जीतता है वह विजेता कहलाता है लेकिन जो संघर्षों का सामना करके जीतता है वह इतिहास बनाने वाला कहलाता है.

अक्सर देखा जाता है कि युवा जब अपना सफल करियर नहीं बना पाते हैं तो इसका दोष वे दूसरों को देते हैं. अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने लगते हैं. यह याद रखिए अपनी नाकामी के जिम्मेदार आप खुद हैं.

2.लक्ष्य के प्रति समर्पण व्यक्ति असाधारण प्रतिभा वाला बना देता है :- अक्सर देखा गया है कि असफल व्यक्ति अनेक बातों का रोना रहते हैं, जैसे हमारे माता-पिता के कम पढ़े-लिखे होने के कारण वे हमारा करियर में मागदर्शन नहीं कर सके. हम पढ़ने की सुविधाएं नहीं मिली. पढ़ाई के दौरान हमें घर के कामों में लगाए रखा. घर में ज्यादा सदस्य होने से घरवालों ने हमारी ओर ध्यान नहीं दिया. ये ऐसी कुछ बातें हैं जो असफल युवा कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर व्यक्ति कुछ करना चाहे और उसके हौसले बुलंद हों तो उसकी राह में कितनी भी मुसीबतें आएं वह सफल हो जाता है. एक अंग्रेजी कहावत का हिन्दी अर्थ है- ‘किसी एक विचार या लक्ष्य के प्रति समर्पण के कारण ही एक सामान्य योग्यता रखने वाला व्यक्ति असाधारण प्रतिभा से संपन्न व्यक्ति बनता है.’

3. कठिनाइयों को ढाल बनाकर सफलता की कहानी को लिखे :-

कठिनाइयां हर किसी के जीवन में आती हैं बस उनका स्वरूप और उनसे लड़ने के तरीके अलग हो सकते हैं. उन कठिनाइयों को ढाल बनाकर अपनी नाकामी को उजागर न करें, बल्कि हर स्थिति से निकलना सीखें. याद रखिए दुनिया भी उन्हीं को याद रखती है जो संघर्षों से निकलकर सफलता के शिखर पर पहुंचता है.

4. अनेक बाधा के सामने आप डेट रहे कामयाबी आपके कदमों में होगी :- नाकामियों को रोना छोड़कर चल पड़िए मंजिल की राह पर. मुश्किलें तो आएंगी. इन बातों जीवन में हमेशा रखें ध्यान –

अगर आप किसी क्षेत्र में करियर बनाने में असफल हो गए हैं तो यह न सोचिए कि सिर्फ वही क्षेत्र आपके लिए बना था.

आप दूसरे क्षेत्र में प्रयास कर सफलता को प्राप्त कर सकते हैं.

पहाड़ी की चढ़ाई करते समय हमेशा ऊपर चढ़ने वालों को देखना चाहिए. नीचे वालों को देखेंगे तो हमें ऊंचाई से डर लगेगा.

अपने आपको मोटिवेट कीजिए. सफलता की जो अनुभूति रहती है उसका मजा ही कुछ और है.

जीत कुछ कर गुजरने में है, हारकर बैठने में नहीं. प्रयास से सफलता मिल ही जाती है.

संक्रमण से बचाएंगी ये 7 आदतें

कोरोना से जंग की बात हो तो हमें हाथ धोने, मास्क लगाने, सैनिटाइजर का प्रयोग करने और सामाजिक दूरी बना कर रखने जैसे उपायों को जरूर अपनाना चाहिए. इन उपायों से आप कोरोना वायरस से दूर रह पाएंगे.

मगर मान लीजिए कि किसी तरह कोरोना ने आप के शरीर में प्रवेश कर ही लिया. फिर कैसे लड़ेंगे? इस के लिए जरूरी है आप का अंदर से मजबूत होना और अंदर से मजबूती के लिए जरूरी है लाइफस्टाइल और डाइट में सुधार.

इन छोटेछोटे बदलावों से आप खुद को और परिवार को किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षित रख सकती हैं.

सकारात्मक सोच

यह सही है कि आज हम रातदिन दुनिया भर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और मरने वालों की लगातार बढ़ती संख्या देख और सुन रहे हैं. ऐसे में सकारात्मक सोच बनाए रखना कठिन है. मगर ध्यान दें, दरअसल सकारात्मक सोच के लिए हमें परिस्थितियों की भयावहता से अधिक संभावित उपायों पर नजर रखनी होगी. परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों यदि हम मन से मजबूत हैं, आशावान हैं, बेहतर और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं तो हम कहीं न कहीं अपने दिमाग तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि घबराने वाली कोई बात नहीं. इस से आप का नर्वस सिस्टम बेहतर ढंग से काम कर पाता है. शरीर ऐक्टिव रहता है. शरीर का हर अंग ज्यादा अच्छी तरह काम करता है और आप बीमारियों से लड़ने को तैयार हो जाते हैं. आप का इम्यून सिस्टम मजबूती से किसी भी संक्रमण का सामना करने के लिए तैयार रहता है.

शांत मन प्रसन्न हृदय

मन को शांत रखें. आप का मन विचलित होगा, आप किसी के लिए बुरा सोचेंगे और कठोर वचन बोलेंगे, क्रोधित होंगे या फिर किसी बात को  ले कर दुखी रहेंगे तो आप अपने मन और शरीर की मदद करें. सद्भावना रखें. इस से आप को दूसरों का प्यार मिलेगा और शरीर में अच्छे और स्वस्थ हारमोन तैयार होंगे.

खूब हंसे

हंसने के बहाने ढूंढें. छोटीछोटी बातों पर खिलखिला कर हंसे. मन में उत्साह रखें. छोटेछोटे सपने पूरे होने की खुशी मनाएं. मिल कर जीने का आनंद लें. इस से शरीर में एंड्रोफिन, डोपामिन जैसे हारमोंस बनते हैं जो शरीर को ऊर्जा और मजबूती से भर देते हैं.

खुद को व्यस्त रखें

कहते हैं न कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है. भले ही आप को औफिस, स्कूल या कालेज से छुट्टी मिल गई हो मगर आप वर्क फ्रौम होम कर के खुद को व्यस्त रख सकते हैं. औफिस के साथसाथ घर के कामों में भी एकदूसरे की मदद करें. दूसरों के लिए कुछ करने का प्रयास करें. इस से मन को बहुत खुशी और मजबूती मिलेगी और आप अंदर से मजबूत होंगे.

अच्छी किताबें पढ़ें

समय पास करने के लिए दूसरों से लड़नेझगड़ने और बेकार की फिल्में देखने या मोबाइल पर टाइम पास करने के बजाय अच्छी किताबें और पत्रिकाएं पढ़ें. आप औनलाइन भी पत्रिकाएं पढ़ सकते हैं. आप को नई बातें जानने को मिलेंगी. दिमाग खुलेगा. अच्छे जोक्स और सुरीले गाने सुनें ताकि मन प्रसन्न रहे. अपनी हौबी के लिए समय निकालें. कुछ क्रिएटिव करेंगे तो आप को महसूस होगा जैसे आप के अंदर खास गुण हैं. ऐसी सकारात्मक सोच ही आप को अंदर से मजबूत बनाएगी.

कैसी हो डाइट

लौकडाउन के समय में हम सबों को अपनी इम्यूनिटी का खास खयाल रखना चाहिए. जितनी अच्छी इम्यूनिटी होगी उतने ही बेहतर तरीके से हम किसी भी बीमारी से लड़ पाएंगे. चाहे वह कोरोना हो, मलेरिया हो, साधारण बुखार हो या फिर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी. गुडवेज फिटनैस की न्यूट्रिशनिस्ट शक्ति बताती हैं कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन दिनों डाइट का खास खयाल रखना चाहिए.

आप को रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट जैसे

पास्ता, पिज्जा, फ्रैंच फ्राइज, बर्गर, पेस्ट्रीज, केक्स, व्हाइट ब्रैड, मैदा, पकोड़े, टिक्की, समोसे जैसी तली हुई चीजों और जंक फूड से दूरी बढ़ानी पड़ेगी. रिफाइंड शुगर से बनी चीजें कम लें या बिलकुल न लें. इन्हें खाने से इम्यूनिटी घटती है.

इन के बजाए खूब कच्चे फल और सब्जियां खाएं. इन से जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं जिस से आप अंदर से मजबूत बनते हैं.

खाने में विटामिन सी की मात्रा भी बढ़ाएं. विटामिन सी को सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए माना जाता है. इसी से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है. नीबू, अनानास, अमरूद, टमाटर, कीवी, संतरा, आमला जैसी चीजें विटामिन सी के बेहतर स्रोत हैं.

ब्रोकोली खाएं: विटामिन ए,

सी और ई के साथसाथ कई

अन्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स और फाइबर से भरपूर ब्रोकोली हैल्दी सब्जियों में से एक है.

पालक: पालक में फौलेट पाया जाता है जो शरीर में नई कोशिकाएं बनाने के साथ कोशिकाओं में मौजूद डीएनए की मरम्मत भी करता है. इस में पाया जाने वाला फाइबर, आयरन हमारे शरीर को हर तरह से स्वस्थ बनाए रखता है.

तुलसी: एंटी वायरल और एंटी इंफ्लेमेट्री जैसे औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी आप की इम्यूनिटी बढ़ाती है.

दही: दही रोगों से लड़ने के लिए शरीर को शक्ति प्रदान करता है.

हल्दी: हलदी ऐंटीऔक्सीडैंट गुणों से भरपूर है. रोज रात में दूध में हलदी डाल कर पीने से आप की इम्यूनिटी मजबूत होगी.

फ्लैक्स सीड्स: फ्लैक्स सीड्स हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर है. इस के नियमित सेवन से आप कोरोना समेत कई बीमारियों से बच सकते हैं. फ्लैक्स सीड में अल्फा लिनोलेनिन ऐसिड, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड होता है जो शरीर की प्रतिरोधिक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है.

दालचीनी: दालचीनी में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स गुण खून को जमने से रोकने और हानिकारिक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं.

ग्रीन टी: यह ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर पेय है. ग्रीन टी पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

लहसुन: लहसुन में ऐंटीऐलर्जिक प्रौपर्टीज होती हैं. यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है.

इस के साथ ही पूरे दिन कुनकुना पानी पीएं. नारियल पानी भी इम्यूनिटी बढ़ाता है जिस से शरीर में ऐनर्जी बनी रहती है.

करें व्यायाम

स्वस्थ रहने के लिए ऐक्टिव शरीर और नियमित व्यायाम जरूरी है. आप रोज सुबह उठ कर 15-20 मिनट दौड़ने या तेज वाक करने का अभ्यास करें. बाहर नहीं जा सकते तो अपने घर की छत या ग्राउंड में तेज वाक कर लें. घर की सीढि़यों पर तेजी से उतरनेचढ़ने का अभ्यास करें. यह भी एक अच्छी ऐक्सरसाइज है और इस से हृदय और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. घर में ही स्ट्रेचिंग, साइक्लिंग और तरहतरह के कार्डियो ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. इस के अलावा दंड बैठक लगाना, रस्सी कूदना बच्चों के साथ दौड़भाग के खेल खेलना और दूसरे छोटेबड़े व्यायाम करने का नियमित अभ्यास रखें. व्यायाम करने से शरीर में खून का बहाव तेज होता है, आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं.

अगर आप भी वर्कआउट से होने वाली दर्द से परेशान हैं तो जरूर ट्राय करें ये 5 घरेलू टिप्स

आज के समय में हर कोई ये चाहता है कि उसकी बॉडी ऐसी हो कि वे जहां भी जाए सब लोग उसकी बॉडी के तारीफ करे और तो और कई लोग बॉडी बिल्डिंग के इतने दीवाने होते हैं कि वे एक दिन भी बिना एक्सरसाइज किए दिना नहीं रह पाते. लेकिन कई लोगों में ऐसा देखा गया है कि वे जिम में या घर पर एक्सरसाइज तो कर लेते हैं लेकिन उनकी बॉडी में कई ऐसे दर्द पैदा हो जाते हैं जिनसे वे काफी परेशान रहते हैं.

बॉडी बिल्डिंग के दौरान शरीर में दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि, न्यूट्रिशन की कमी, वार्म अप न करना, स्ट्रेचिंग न करना या फिर सही से वर्कआउट न करना. इसलिए ये कहा जाता है कि अधिक एक्सरसाइज या फिर सही तरीके से एक्सरसाइज ना करना भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है.

आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे घरेलू उपाय जिससे कि आप अपने शरीर की बॉडी बिल्डिंग से होने वाली दर्दों से छुटकारा पा सकते हैं.

अरंडी का तेल (Castor oil)

शरीर में होने वाली दर्दों में अरंडी का तेल काफी फायदेमंद साबित हो सकता है. आपको बता दें अरंडी का तेल घरों में अलग-अलग प्रकार से इस्तेमाल किया जाता है. अरंडी का तेल शरीर के दर्द और चोट पर लगाने से काफी अराम मिलता है. एक चम्मच अरंडी का तेल गर्म करके चोट वाली जगह या दर्द वाले हिस्से में लगाकर मालिश करें और फिर 20-30 मिनट खुला छोड़ दें.

सरसों का तेल (Mustard Oil)

सरसों का तेल सदियों से दर्द निवारक के रूप में प्रयोग होता आ रहा है. मांसपेशियों में खिंचाव से सूजन, कठोरता और दर्द में सरसों का तेल इस्तेमाल करने से आपको काफी आराम मेहसूस हो सकता है. सरसों के तेल को गर्म कर 15 से 20 मिनट तक आप दर्द वाली जगह पर मालिश करें.

पेट्रोलियम जेली (Petroleum jelly)

दर्द या सूजन वाली जगह के आसपास पेट्रोलियम जेली लगाकर मालिश करने से आपको काफी अच्छा मेहसूस हो सकता है. ऐसा करने से आपके शरीर के दर्द और सूजन कम होगी और साथ ही हीलिंग प्रोसेस भी तेज होगा.

हल्दी (Turmeric)

हल्दी एक ऐसा मसाला है जो हर घर में इस्तेमाल होता है और साथ ही यह बात हम सब जानते हैं कि किसी भी प्राकार की चोट लगने पर हल्दी वाला दूध पीने से दर्द कम हो जाती है और जख्म तेजी से सही होने लगता है और तो और हल्दी सूजन को कम करने में भी काफी लाभदायर साबित हो सकती है.

अदरक (Ginger)

शरीर के किसी हिस्से में दर्द होने पर अदरक के पानी से नहाने ये काफी आराम मिलता है. इसके लिए नहाने के गुनगुने पानी में 2-3 बड़ी चम्मच अदरक का रस डालें. यदि आपकी स्किन सेंसेटिव है तो इस पानी से ना नहाएं क्योंकि इस पानी से नहाने से ड्राइनेस और जलन की समस्याएं हो सकती हैं.

जानकारी: डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श कैसे लें

औनलाइन डाक्टरी परामर्श से आप अपने मर्ज का निदान पा सकते हैं. डाक्टर की सलाह से आप पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं, तो परामर्श लेने से पहले क्या और कैसे पूछना है, यह आप को पता होना चाहिए.

डाक्टर्स ऐप की शुरुआत लोगों की व्यस्त जीवनशैली को देखते हुए की गई थी. बिना किसी अपौइंटमैंट के आप अपनी हैल्थ के बारे में घर बैठे डाक्टर से औनलाइन परामर्श ले सकते हैं.

आज कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल जाने के बारे में सोचते हुए ही लोगों के मन में दहशत सी होने लगती है. कारण साफ है, एक तो अस्पताल जाना अपनेआप को संक्रमण से ग्रसित होने की दावत देने के समान है, दूसरा, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और अव्यवस्थित स्थिति है.

ऐसी हालत में यही बेहतर लगता है कि घर बैठे ही डाक्टर से सलाह ले कर उपचार कर लिया जाए. ऐसा सोचना बिलकुल सही है. लेकिन, यहां भी एक समस्या सामने आती है, वह यह है कि औनलाइन डाक्टर के सामने आने के बाद मरीज कई बार अपनी समस्या पूरी तरह से डाक्टर के सामने रख नहीं पाता. ऐसा लगता है डाक्टर को अपनी प्रौब्लम पूरी तरह से समझा नहीं पाए और दूर बैठा डाक्टर फिजिकल एग्जामिन कर के मर्ज को जान ले, ऐसा हो नहीं सकता. इसलिए महसूस होता है कि पता नहीं उपचार सही मिला भी है या डाक्टर हमारी बात समझा भी है या नहीं. बेकार ही हम ने रुपए डाक्टर परामर्श के नाम पर बरबाद कर दिए.

सो, डाक्टर के साथ औनलाइन सलाह लेने पर इन बातों का ध्यान अवश्य रखें.

आप को जो भी तकलीफ महसूस हो रही है उसे किसी पेपर पर नोट कर लें ताकि डाक्टर जब पूछे तो बताना न भूलें. कई बातें बहुत छोटी लगती हैं लेकिन बताने में झिझकें नहीं, डाक्टर से खुल कर अपनी बात कहें.

यदि आप की कोई केस हिस्ट्री है तो शुरुआत उसी से कीजिए और बाद में अपनी करंट सिचुएशन के बारे में विस्तार से बताएं. क्योंकि सर्दीजुकाम, पेटदर्द, छोटीमोटी चोट लगना आम बात है लेकिन किडनी रोग, डायबिटीज, कैंसर ऐसी गंभीर बीमारियां हैं जिन की बीमारी को समझने व समझाने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए ऐसे मरीजों को जब कोई तकलीफ होती है और वे औनलाइन डाक्टरी परामर्श लें तो अपनी हिस्ट्री जरूर बताएं.

बारबार डाक्टर न बदलें. यदि एक डाक्टर के उपचार से फायदा हुआ है तो अगली बार उसी से संपर्क करें. डाक्टर आप की मैडिकल प्रौब्लम जान चुका होता है तो उसे भी उपचार करने में आसानी रहती है और आप भी डाक्टर से बात करने में कम्फर्टेबल महसूस करते हैं. हां, यह दूसरी बात है यदि आप को लगता है कि फलां डाक्टर से अच्छा इलाज नहीं मिल रहा है तो डाक्टर बदल लें.

यदि आप औनलाइन सलाह लेने में घबरा रहे हैं तो आप को एक बार पहले चैकअप करवा लेना चाहिए. ऐसा करने से आप डाक्टर को अपनी समस्या मिल कर बता सकते हैं और आप के मन को संतुष्टि भी हो जाती है. ऐसा करने के बाद आप डाक्टर से औनलाइन सलाह लेने में खुद को परेशान नहीं पाएंगे.

लोगों की बढ़ती व्यस्त जीवनशैली ने औनलाइन प्लेटफौर्म को काफी बढ़ावा दिया है. एक डाक्टर से औनलाइन सलाह लेना भविष्य में और भी तेजी से बढ़ेगा. जब आप वास्तव में यह समझेंगे कि यह आप का कितना समय बचाता है तब आप खुद इसे अपनाने लगेंगे.

डाक्टर ऐप के फायदे

आप को कहीं भी जाने की जरूरत नहीं होती और घर बैठेबैठे ही हैल्थ प्रौब्लम का ट्रीटमैंट करा सकते हैं.

डाक्टर ऐप पर डाक्टर की फीस उन की क्लीनिक फीस से बहुत कम होती है. अगर आप डाक्टर ऐप के जरिए डाक्टर से सलाह लेते हैं तो 60 फीसदी तक सेविंग कर सकते हैं.

यहां आप को स्पैशलिस्ट डाक्टर मिलते हैं जो एमडी और एमबीबीएस होते हैं. डाक्टर से मिलने के बाद आप उन की प्रोफाइल भी पढ़ कर उन के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं.

डाक्टर से की गई आप की हैल्थ ऐडवाइज 3 दिनों तक वैलिड होती है और उस के बाद वह खुदबखुद बंद हो जाती है. लेकिन अगर आप को डाक्टर से कोई और प्रश्न करना है तो पुरानी चैट में जा कर उन से दोबारा बात भी कर सकते हैं.

डाक्टर ऐप का प्रयोग करने के लिए आप की उम्र 18+ होनी जरूरी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस उम्र में व्यक्ति को अपनी प्रौब्लम के बारे में अच्छी तरह से पता होता है और अच्छी तरह से दूसरे को समझा भी सकता है.  साथ ही, डाक्टर के परामर्श को गहन रूप से समझ सकता है. व्

सेक्स शरीर का नहीं भावनाओं का खेल है!

हम हर पल कई तरह की भावनाओं से ओतप्रोत होते हैं. इन्हीं भावनाओं के चलते हम अपनी तमाम गतिविधियों को अंजाम देते हैं. हमारे मन में हर क्षण पैदा होने वाली भावनाओं में कई बेहद सकारात्मक होती हैं तो कई नकारात्मकता से ओतप्रोत होती हैं. हममें और दूसरे जीवों में यही फर्क है कि हम इस बात को भली भांति जानते हैं कि यह भावना अच्छी है और यह बुरी. जबकि जानवर इस बात को नहीं जानते. इसीलिए उनके व्यवहार में बेहद तात्कालिकता होती है. जब वह किसी गतिविधि में संग्लन होते हैं, उसके पहले तक वे यह नहीं जानते कि अगले पल वह क्या करेंगे? जबकि इंसान न सिर्फ अपने आने वाली गतिविधियों को तय कर सकता है बल्कि पिछली गतिविधियों के बारे में भी ठहरकर सोच सकता है. साथ ही उनका ईमानदारी से मूल्याकंन भी कर सकता है.

इंसान के भावनापूर्ण होने का यूूं तो हर गतिविधि में असर पड़ता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर सेक्सुअल गतिविधियों पर पड़ता है. दरअसल सेक्स शरीर की नहीं बल्कि दिमाग की गतिविधि है. इसीलिए हम अगर भावनाओं में उत्तेजना महसूस नहीं करेंगे तो हमारा शरीर चाहे हाथी जितना क्यों न हो, बिल्कुल मिट्टी का है. उसके लिए सेक्स संभव ही नहीं है. कुल मिलाकर सेक्स की तमाम शारीरिक चाहत और क्षमता हमारी भावनाओं का खेल है.

यही वजह है कि यदि हम कभी सेक्स के लिए उत्तेजक स्थिति में भी हों और तभी दिल दिमाग में डर, दहशत, शर्म, लज्जा, अपराधबोध या हीनताबोध की भावनाएं कब्जा कर लें तो एक पल में सेक्स गायब हो जाता है. इसके बाद चाहकर भी कोई सेक्स नहीं कर सकता. क्योंकि सेक्स भले शरीर से होता हो, लेकिन इसके लिए शरीर को तैयार भावनाएं ही करती हैं. कहने का मतलब यह कि सेक्स की गतिविधियां वास्तव में हमारी भावनात्मक गतिविधियां होती हैं. यही वजह है कि हमारी नकारात्मक भावनाओं का हमारे सेक्स संबंधों पर जबरदस्त असर पड़ता है.

क्रोध, तनाव, उदासीनता, अपराधबोध, हीनताबोध ये वो भावनाएं हैं जो अच्छे खासे स्वस्थ इंसान को भी पुरुषत्व से रहित कर देती हैं. वास्तव में ये भावनाएं पुरुषत्व के लिए बहुत खतरनाक होती है. इनमें भी क्रोध का असर सबसे ज्यादा हमारी सेक्सुअल चाहतों और परफोर्मेंस पर पड़ता है. क्रोध पुरुष की यौनेच्छा को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करता है. क्रोध  से स्तम्भन शक्ति में जबरदस्त कमी आ जाती है. यही नहीं कई बार क्रोध की इस नकारात्मक भावना का इतना नुकसानदायक असर होता है कि इंसान को दिल से हमेशा हमेशा के लिए सेक्स की इच्छा ही खत्म हो जाती है.

लगातार तनाव में रहने के चलते पुरुष की कामेच्छा ही जाती रहती है. इस तनाव के चलते पुरुष न सिर्फ पत्नी से बल्कि किसी भी महिला से सेक्स करने के नाम पर खीझ उठता है. शुरु में तो इस स्थिति को काबू में किया भी जा सकता है, लेकिन अगर यह स्थिति लगातार कई सालों तक बनी रहे तो हमेशा हमेशा के लिए सेक्स चाहत ही गायब हो जाती है. सेक्स के लिए न सिर्फ भावनात्मक रूप से हमें ख्वाहिशमंद बल्कि सकारात्मकता से भी भरे होना चाहिए.

इसमें महिलाएं पुरुषों की मदद आसानी से कर सकती हैं. क्योंकि स्त्रियों से सकारात्मक भावनात्मक सहयोग मिलने पर पुरुष भावनात्मक रूप से बहुत मजबूत हो जाते हैं. कहने का मतलब यह कि आप गुस्से में, तनाव में, लगातार नाराज रहने की स्थिति में, सेक्स नहीं कर सकते. यह तभी संभव है, जब मन शांत हो, सुकून हो और दिल दिमाग में दूर दूर तक डर, दहशत और नकारात्मकता की भावनाएं न हों.

इसीलिए मशहूर सेक्सुलाॅजिस्ट प्रकाश कोठारी कहते हैं कि कभी भी क्रोध की स्थिति में किसी स्त्री से शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए. अगर सहवास करना है तो मन को शांत रखना चाहिए. फिर चाहे भले आप कितना ही सही क्यों न हों. यदि ऐसा नहीं किया गया तो पहली बार तो संभोग से अचानक अरुचि महसूस होगी, लेकिन अगर आपने मशीनी अंदाज में इस उदासीनता की अनदेखी करके भी सेक्स करना चाहे तो संभव नहीं होगा, उल्टे नकारात्मक भावनाएं ही भर जाएगी. गुस्सा या किसी भी किस्म की नकारात्मक भावना को खत्म करके ही सेक्स करें.

अगर आप गुस्से में हैं और मन में सेक्स की चाहत भी पैदा हो रही है तो रणनीति के तहत गुस्सा शांत करें, खुद को किसी ऐसे काम में व्यस्त करें, जिसमें कुछ ही देर में आप सेक्स को लेकर पैदा होने वाली नकारात्मक भावनाओं को भूल जाएं. इसके लिए कोई किताब लेकर बैठ जाएं या टीवी चालू कर लें या इंटरनेट में अपना कोई पसंदीदा कार्यक्रम देखने लगे.

थोड़ी देर में जब आपका दिमाग कुछ देर पहले की नकारात्मक भावनाओं को भूला देगा तो आपके शरीर में संसर्ग की लहरें भी उठने लगेंगी और इसके लिए शरीर में ताकत भी होगी.

अगर आपकी पार्टनर इस बात को जानती है तो वह आपको आपकी भावनाओं के विपरीत जाकर संसर्ग के लिए तैयार कर सकती है. दरअसल पुरुष का मनोविज्ञान समर्पण चाहता है. पुरुष उस स्थिति में सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकता जब उसका पार्टनर खुद को उससे बेहतर साबित करने की कोशिश कर रहा हो, उससे बहस कर रहा हो या कोई ऐसी बात कर रहा हो, जिससे मन खराब हो रहा हो. इसीलिए कहा जाता है कि सेक्स वर्कर के शरीर में जादू होता है, वह हर किसी को सेक्स के लिए तैयार कर लेती हैं. दरअसल वह इस मनोविज्ञान को अच्छे से जानती हैं कि गुस्से में जल भुन रहा या तनाव में डूब उतरा रहा पुरुष सेक्स नहीं कर सकता.

इसके लिए सुकून और भावनात्मक लगाव चाहिए. जलता भुनता या तनाव में कसमसाता पुरुष समर्पण के आगे बिल्कुल ठंडा हो जाता है और उसके मन की नकारात्मक भावनाएं गायब हो जाती हैं. जाहिर है इस स्थिति में वह सेक्स के लिए अच्छे से तैयार होता है.

जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते:

यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है:

जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं:

यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है:

हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है:

‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

क्या आपको पता है नाभि पर तेल लगाने के ये 11 फायदे

नाभि में तेल लगाना एक बहुत ही पुरानी प्रक्रिया है. पर हममें से कई लोग नाभि के महत्व को नहीं जानते हैं जबकि नाभि शरीर का केंद्र बिंदु है, जो हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र से  जुड़ा होता है. दरअसल नाभि के पीछे पेकोटि नामक ग्रांथि पाई जाती हैं, जो शरीर के अन्य अंगों, ऊतकों और नसों से जुड़ी होती हैं. जिसके कारण यह काफी शक्तिशाली होती है. जब आप नाभि में तेल डालते हैं तो पेकोटि ग्रंथि से झट से अवशोषित कर लेती है. जिससे आप शरीरिक और मानसिक रूप से फिट रहते हैं. इसलिए नाभि में तेल लगाने के कई फायदे होते हैं.क्या हैं वो फायदे? आइये जानें –

1. पेट फूलने की समस्या में दे आराम

अगर आपको ब्लोटिंग यानि पेट फूलने की समस्या है तो  नाभि पर नारियल का तेल डालें, इससे बहुत जल्दी आराम मिलेगा क्योंकि ये आपके आंतरिक अंगों को पोषण देता है और उनको स्वस्थ रखता है.

2. वजन को करें कम

बढ़ते वेट से अगर आप परेशान हैं और कम करना चाहतीं हैं तो रात में सोने से नाभि में पहले जैतून का तेल डालें.

3. थकान होगी छूमंतर

आप अगर दिनभर काम करने के बाद बहुत जल्दी थक जाते हैं शारीरिक थकावट को दूर करने के लिए नाभि पर तेल लगाएं.

4. घुटनों का दर्द गायब

घुटनों के दर्द से अगर आप  परेशान रहते हैं तो नाभि में रोजाना सरसों का तेल डाले.

5. मासिक धर्म के दर्द को करे दूर

पीरियड्स के समय होने वाले दर्द से अगर आप छुटकारा पाना चाहती हैं तो रोजाना नाभि में तेल लगाएं,  इससे पेट दर्द में राहत मिल सकती है.

 6. पेट की समस्या से मिले आरा

अगर  आप फूड पौइजिंग और दस्त जैसी समस्याओं से परेशान हैं तो पिपरमिंट और जिंजर औयल को किसी और  तेल के साथ  मिलाकर पतला करें और  नाभि में डालें.

7. मुंहासों से पाएं छुटकारा

अगर आप मुहासों की समस्या से परेशान हैं तो नीम के तेल की कुछ बूंदे रोजाना नाभि में डालें. ऐसा करने से  राहत मिल सकती है.

8. पाएं ग्लोइंग स्किन और लंबे बाल

अगर आप बेदाग ग्लोइंग स्किन और लंबे बाल चाहतीं हैं तो नाभि में जैतून का तेल डालें, जो काफी फायदेमंद हो सकता है.

9. अब नहीं रहेंगे फटे होंठों

अगर आपके  होंठ बहुत फट गये हैं तो नाभि में रोज़ाना ना सरसों का तेल डालें, इससे कुछ ही दिनों में आराम मिलना शुरू हो सकता है.

10. इन्फेक्शन से बचाव

नाभि में बहुत जल्दी मैले जम जाती है. नाभि में मैल जमने के कारण वहां पर बैड बैक्टेरिया का जमाव होने लगता है, जिसके कारण इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है. ऐसे में ज़रूरी है कि नाभि में तेल की बूंदे नियमित रूप से डाली जाएं.

11. कैसे डालें तेल

नाभि में गुनगुने तेल की 5 से 7 बूंदें डालें. 5 से 10 मिनट ऐसे ही रहने दें. जब कुछ तेल नाभि के अंदर ही अवशोषित हो जाए तो बाकी तेल को हल्के हाथों से मसाज कर नाभि के चारों और फैला लें.

सेक्स समस्याएं: महिला और पुरुष को झेलनी पड़ती हैं ये परेशानियां

स्वस्थ सेक्स का आपकी जीवनशैली से गहरा रिश्ता होता है. आज के समय में तनाव भरी जीवनशैली के कारण सेक्स समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. अगर आप तनाव में हैं तो जाहिर है आप सेक्स का आनंद नही ले सकते और इसका आपके रिश्तों पर भी नकारात्मक असर पड़ने लगता है.

वैसे भारत में सेक्स समस्या बढ़ने की मुख्य वजह है लोगों में सेक्स के प्रति जागरूकता की कमी. लोग डॉक्टर व काउंसलर से सेक्स समस्याओं के बारे में खुल कर बात करने में संकोच करते हैं. महिलाओं और पुरुषों में कुछ सामान्य सेक्स समस्याएं होती हैं जिनसे लोग आमतौर पर ग्रस्त रहते हैं.

-यहां हम आपको बता रहे हैं सेक्स संबंधी 10 समस्याएं.

1. पुरुषों की सेक्स समस्याएं

  • पुरुष के लिंग में उत्तेजना न आना, उत्तेजना आकर शीघ्र ही खत्म हो जाना, उत्तेजना आते ही semen (वीर्य) निकल जाना आदि पुरूषों में आम सेक्स समस्याएं हैं.
  • पुरूषों का स्त्री के सामने आते ही घबरा जाना, semen निकल जाना इत्यादि सेक्स समस्याओं के तहत ही आता है. इस समस्या की वजह से अक़्सर पुरूष स्त्री से दूर-दूर भागने लगते हैं और अपनी बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं.
  • पुरुष के semen में शुक्राणु होते हैं. ये शुक्राणु ही गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं. semen में इन शुक्राणुओं की संख्या कम होने से महिला गर्भवति नहीं हो पाती. शुक्राणु की कमी को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं जो पुरूषों में होने वाली एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • कई पुरूषों के semen में शुक्राणुओं ही नहीं होते, इस स्थिति को एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है. इस समस्या के होने पर पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं. यह भी पुरूषों के लिए एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • पुरूषों में उम्र के बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता है और इसके कारण सेक्स इच्छा में कमी भी हो जाती है.

2. महिलाओं की सेक्स समस्याएं

  • महिलाओं को सबसे अधिक शिकायत यौनेच्छा की कमी होती है. कई महिलाओं की सेक्स करने में बिल्कुल भी रूचि नहीं होती. उनकी सेक्स भावना बिल्कुल खत्म हो चुकी होती है जो कि एक गंभीर सेक्स समस्या है. कई बार ये स्थिति मेनोपोज के बाद आती है लेकिन कई महिलाओं में मेनोपोज से पहले ही सेक्स के प्रति इच्छा ख़त्म हो जाती है.
  • योनि से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज युवावस्था की महिलाओं के लिए भी आम समस्या हो गई है. सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया कहा जाता है.
  • कई कारणों से महिलाओं को योनि में itching (खुजली) होने लगती है. इसके कई कारण होते हैं जैसे इन्फेक्शन, ठीक से सफाई न होना, रोज़ाना कब्ज रहना. इसके अलवा संभोग करने वाले व्यक्ति के यौनांगों में इन्फेक्शन से भी ये समस्या हो जाती है.
  • कई बार प्यूबिक हेयर्स की ठीक से सफाई न करने से उसमें मौजूद कीटाणु योनि मार्ग में चले जाते हैं जिससे योनि गर्भाशय संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इसीलिये यौनांगों की ठीक तरह से सफाई बेहद ज़रुरी है.
  • कई बार स्तनों में दर्द होने पर लड़कियां इसे आम बीमारी समझ कर लापरवा‍ही करती हैं लेकिन ये दर्द बढ़कर स्तन कैंसर का रूप भी ले सकता है. इसीलिए किसी भी तरह के बड़े ख़तरे को टालने के लिए जरूरी है डॉक्टर की सही समय पर सलाह लेना.
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