ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग में यूपी ने पकड़ी रफ्तार

प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अस्‍पतालों में सभी पुख्‍ता इंतजाम कर लिए हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हर जिले में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में ऑक्सीजन जेनरेटर्स युद्धस्‍तर पर लगाए जा रहे हैं. अस्पतालों में नौ हजार से अधिक पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) बेड तैयार किए जा चुके हैं. योगी सरकार ने निर्णयों से प्रदेश में अब कोरोना की दूसरी लहर पूरी तौर पर नियंत्रित है. दूसरे प्रदेशों के मुकाबले ‘योगी के यूपी मॉडल’ से संक्रमण पर तेजी से लगाम लगी है. कम समय में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट जीनोम सिक्वेंसिंग की तेजी से जांच की जा रही है.

केजीएमयू लखनऊ में 109 सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक 107 सैंपल में कोविड की दूसरी लहर वाले पुराने डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि ही हुई है, जबकि 02 सैम्पल में कप्पा वैरिएंट पाए गए. दोनों ही वैरिएंट प्रदेश के लिए नए नहीं हैं. प्रदेश में ट्रेसिंग से संक्रमण का प्रसार भी न्यूनतम स्‍तर पर है.

जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा से लैस केन्‍द्र की होगी स्‍थापना

कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा का लगातार विस्‍तार किया जा रहा है. जल्‍द ही प्रदेश में इस सुविधा से लैस केंद्र की स्थापना भी की जाएगी. सरकार ने पहले ही प्रदेश में जीनोम  सिक्वेंसिंग के दायरे को बढ़ाते हुए बीएचयू,  केजीएमयू,  सीडीआरआई,  आईजीआईबी, राम मनोहर लोहिया संस्‍थान में जीनोम परीक्षण की व्यवस्था की है.

15 अगस्‍त तक यूपी में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट होंगें क्रियाशील 

यूपी ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर हो रहा है. प्रदेश में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट पर तेजी से काम किया जा रहा है जिसमें से अब तक  146 ऑक्सीजन प्लांट प्रदेश में क्रियाशील हो चुके हैं. प्रदेश में ऑक्सीजन जेनरेटर के जरिए 15 फीसदी ऑक्सीजन की 3300 बेडों पर आपूर्ति हो रही है. विभिन्न औद्योगिक समूहों की ओर से ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्‍ध कराने में  मदद की गई है. अनेक औद्योगिक समूहों व इकाइयों ने ‘हेल्थ एटीएम’ उपलब्ध कराने के लिए आगे आए हैं. इन अत्याधुनिक मशीनों के जरिए से लोग बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर , मेटाबॉलिक ऐज, बॉडी फैट, हाईड्रेशन, पल्स रेट, हाइट, मसल मास, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा, वजन सहित कई पैरामीटर की जांच कर सकते हैं.

जनसंख्या संतुलन के लिए समुदाय केंद्रित कार्यक्रमों की है जरूरत: सीएम योगी

करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में जनसंख्या स्थिरीकरण की जरूरतों को देखते हुए, राज्य सरकार नई जनसंख्या नीति घोषित करने वाली है. वर्ष 2021-30 की अवधि के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से एक ओर जहां परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी, वहीं, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर को कम करने, नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराते हुए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयास भी किए जाएंगे.

नवीन नीति में एक अहम बिंदु 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था करना भी है. 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 जारी करेंगे.

गुरुवार को लोकभवन में नवीन जनसंख्या नीति 2021-30 के संबंध में प्रस्तुतिकरण का अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, आबादी विस्तार के लिए गरीबी और अशिक्षा बड़ा कारक है. कतिपय समुदाय में भी जनसंख्या को लेकर जागरूकता का अभाव है. ऐसे में समुदाय केंद्रित जागरूकता प्रयास की जरूरत है. प्रदेश की निवर्तमान जनसंख्या नीति 2000-16 की अवधि समाप्त हो चुकी है. अब नई नीति समय की मांग है.

प्रस्तुतिकरण के अवलोकन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जागरूकता और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ सभी जरूरी प्रयास किए जाएं.जागरूकता प्रयासों के क्रम में उन्होंने स्कूलों में “हेल्थ क्लब” बनाये जाने के निर्देश भी दिए. साथ ही, डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप नवजातों, किशोरों और वृद्धजनों की डिजिटल ट्रैकिंग की व्यवस्था के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि नई नीति तैयार करते हुए सभी समुदायों में जनसांख्यकीय संतुलन बनाये रखने, उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं की सहज उपलब्धता, समुचित पोषण के माध्यम से मातृ-शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर तक लाने का प्रयास होना चाहिए. नई नीति के उद्देश्यों में सतत विकास लक्ष्य के भावना निहित हो.

इससे पहले अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, अमित मोहन प्रसाद ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रस्तावित जनसंख्या नीति प्रदेश में एनएफएचएस-04 सहित अनेक रिपोर्ट के अध्ययन के उपरांत उपरांत तैयार की जा रही है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-05 की रिपोर्ट जल्द ही जारी होने वाली है.  नवीन नीति जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों को तेज करने वाली होगी. इसमें 2026 और 2030 तक के लिए दो चरणों में अलग-अलग मानकों पर केंद्रित लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं.

वन महोत्सव में लगेंगे करोड़ो पेड़

वन महोत्‍सव के वृक्षारोपण महाअभियान के अन्‍तर्गत मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने सुलतानपुर में पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे 100 करोड़वां पौधा लगाया गया. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पांच साल में यूपी सरकार ने वृक्षारोपण अभियान में रिकार्ड कायम किया है. अब तक प्रदेश में वन विभाग के सहयोग से 100 करोड़ पेड़ लगाए जा चुके हैं, अ‍भी यह अभियान 7 जुलाई तक चलेगा. वहीं प्रदेश सरकार ने  विभिन्‍न जनपदों व गांवों में रविवार को 25 करोड़ पौधे लगाकर रिकार्ड बना दिया.  सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे को ध्‍यान में रखते हुए पांच औद्योगिक स्‍थानों पर पांच औद्योगिक गलियारे विकसित किए जाएंगे, जहां पर उद्योग लगेंगे. इससे पूर्वांचल के युवाओं को नौकरी के लिए कहीं जाना नहीं पड़ेगा. उनको अपने ही शहर में नौकरी मिल जाएगी.  वृक्षारोपण अभियान के तहत राज्‍यपाल आनंदीबेन पटेल ने झांसी में वृक्षारोपण किया.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वृक्षारोपण के इस महाअभियान में सरकार कई रिकार्ड बनाने जा रही है. उस रिकार्ड के तहत यूपी में पिछले 5 साल में 100 करोड़ वृक्ष लगाए जा चुके हैं. एक जुलाई से सुबह 10 बजे तक 9 करोड़ पेड़ लगा दिए गए है. वहीं रविवार शाम तक प्रदेश के विभिन्‍न जनपदों में 25 करोड़ पौधे लगाए गए. यूपी में 7 जुलाई तक वन महोत्‍सव का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरे प्रदेश में 30 करोड़ से अधिक वृक्ष लगाए जाएंगे. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि यहां पर 100 वर्ष पुराना एक बरगद का वृक्ष है. जिसको हेरिटेज वृक्ष के रूप में संरक्षित किया गया है. सीएम ने कहा कि वृक्षों को संरक्षित करके ही हम एक स्‍वच्‍छ समाज दे सकते हैं. एक्‍सप्रेस वे के किनारे पंचवटी, नक्षत्र वाटिका समेत अन्‍य औषधीय वाटिकाएं भी बनाई जाए.

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे के किनारे वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. यहां पर 2-3 साल पहले खेत हुए करते थे. यहां पर आज एक्‍सप्रेस वे है. जो पूर्वी उत्‍तर प्रदेश के अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ बनने जा रहा है. एक्‍सप्रेस वे के निर्माण के बाद यूपी को व्‍यापक रोजगार, नौकरी व औद्योगिकीकरण की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी . सीएम ने कहा कि पूर्वांचल एक्‍सप्रेस वे  देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित होगा. इससे पूर्वांचल वासियों व युवाओं को अपने शहर में रोजगार मिलेगा. यूपी समृद्ध होगा.

पांच औद्योगिक कलस्‍टर होंगे विकसित

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि एक्‍सप्रेस वे ध्‍यान में रखते हुए सरकार पूर्वांचल एक्‍सप्रेस के किनारे पांच औद्योगिक स्‍थानों पर 5 औद्योगिक कलस्‍टर विकसित करने जा रही है. यहां पर आईटी पार्क, ओडीओपी व टेक्सटाइल पार्क के साथ अन्‍य उद्योग लगाए जाएंगे. इन उद्योगों के जरिए लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा. यूपी का युवा अपने ही शहर में नौकरी हासिल कर सकेगा. जो स्‍वावलंबन के पथ पर चल कर यूपी के विकास में अपना योगदान देगा. पीएम मोदी की मंशा के अनुरूप यूपी एक बिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन सकेगा. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि यह सिर्फ औद्योगिक गलियारा नहीं बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण का आधार भी साबित होगा.

स्‍मृति वाटिकाएं अपनों की यादें संजोने की एक अच्‍छी पहल

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि कोरोना कमजोर हुआ है लेकिन अभी खत्‍म नहीं हुआ है. इसलिए सोशल डिस्‍टेसिंग व मास्‍क का उपयोग बहुत जरूरी है. सीएम ने कहा कि आप खुद भी वैक्‍सीन लगवाए और अपने परिवार व आसपास के लोगों को वैक्‍सीन लगवाने के लिए जागरूक करें. मुख्‍यमंत्री ने कहा कि कोरोना में दिवंगत आत्माओं की याद में जो यहां स्‍मृति वाटिका बनाई गई है. उसके लिए जिला प्रशासन को बधाई. हर गांव व जिले में इस तरह की वाटिका बनाई जाए. उन दिवंगत आत्‍माओं को नमन व उनके याद में लगाए वृक्ष हमेशा उनकी याद संजोये रहेंगे.

डेल्टा वैरियंट को रोकने में यूपी रहा सफल: क्रैग केली

लखनऊ . ऑस्‍ट्रेलिया के संसद सदस्‍य क्रेग केली ने सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्‍यनाथ के कोरोना प्रबंधन की तारिफ की. उन्‍होंने आइवरमेक्टिन के प्रयोग साथ प्रदेश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्‍टा को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को सराहा है.  सांसद क्रेग केली ने कहा कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्‍तर प्रदेश ने आइवरमेक्टिन टैबलेट का प्रयोग कर  दूसरी लहर पर अंकुश लगाया है.

केली ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारतीय राज्‍य उत्‍तर प्रदेश की जनसंख्‍या 230 मिलियन है. इसके बावजूद कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट डेल्‍टा पर लगाम लगाई है. यूपी में आज कोरोना के दैनिक केस 182 है जबकि यूके की जनसंख्‍या 67 मिलियन है और दैनिक केस 20 हजार 479 हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए यूपी सरकार ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की सलाह अनुसार प्रदेश में आइवरमेक्टिन को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयोग किया इसके साथ ही डॉक्‍सीसाइक्लिन को भी उपचार के लिए प्रयोग में लाया गया. बता दें कि उत्‍तर प्रदेश देश का पहला राज्‍य था जिसने बड़े पैमाने पर रोगनिरोधी और चिकित्‍सीय उपयोग में  आइवरमेक्टिन का प्रयोग किया.

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर है. कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को बांबे हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी सराहा है. ट्रिपल टी, मेडिकल किट वितरण समेत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन का कार्य युद्धस्‍तर पर किया गया.

उत्तर प्रदेश में निराश्रित महिलाओं के लिए बनेगी कार्ययोजना

लखनऊ. सूबे के मुखिया योगी आदित्‍यनाथ ने जब से सत्‍ता की बागडोर संभाली है तब से लेकर अब तक वो प्रदेश की महिलाओं व बेटियों की सुरक्षा, स्‍वावलंबन और सम्‍मान के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश में कवच अभियान और मिशन शक्ति जैसा वृहद अभियान इसके साक्षी हैं. प्रदेश में महिलाओं के लिए कई स्‍वर्णिम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे सीधे तौर पर महिलाओं को लाभ मिल रहा है. प्रदेश में अब जल्‍द ही कोरोना के कारण निराश्रित महिलाओं से जुड़ी एक बड़ी योजना की शुरूआत होने जा रही है. जिसके लिए सीएम ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास विभाग को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. जिसपर विभाग द्वारा तेजी से कार्य शुरू कर दिया गया है.

निराश्रित महिला पेंशन के लिए पात्र महिलाओं को पेंशन वितरण के लिए ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाने के भी निर्देश दिए हैं. उन्‍होंने राजस्व विभाग द्वारा ऐसी महिलाओं को प्राथमिकता के साथ नियमानुसार पारिवारिक उत्तराधिकार लाभ दिलाए जाने की व्‍यवस्‍था को सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

विभाग द्वारा काम किया गया शुरू, सीधे तौर पर मिलेगा महिलाओं को लाभ

कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं के लिए एक विशेष योजना को विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सीएम के निर्देशानुसार कार्ययोजना पा काम शुरू कर दिया गया है. विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि प्रदेश में कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं को पहले चरण में चिन्हित किया जाएगा जिसके बाद इन चिन्हित महिलाओं को राज्‍य सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं से जोड़ते हुए उनको स्‍वावलंबी बनाने का कार्य किया जाएगा. उन्‍होंने बताया कि जल्‍द ही योजना को तैयार कर ली जाएगी.

वृद्धजनों की जरूरतों व समस्याओं का त्वरित लिया जाएगा संज्ञान

सीएम ने आला अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ओल्ड एज होम में रह रहे सभी वृद्धजनों की जरूरतों और समस्याओं का त्वरित संज्ञान लिया जाए. इनके पारिवारिक विवादों का समाधान जल्‍द से जल्‍द कराने संग इनके स्वास्थ्य की बेहतर ढंग से देखभाल किए जाने के निर्देश दिए.

बैंकिग सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम करेगी बैंक सखी

लखनऊ. राज्य सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने की में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पहल की है. गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये उसने 17500 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बनाने का काम पूरा कर लिया है.

प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 17500 बीसी सखी का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है और उनको पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है.  इसके अलावा 58 हजार बीसी सखी को प्रशिक्षण देने का काम तेज गति से किया जा रहा है.

सरकार के इस प्रयास से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंची हैं. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसे जमा करने में बड़ी आसानी हुई है. उनका बैंक शाखाओं तक जाने का खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही हैं.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मिशन रोजगार, मिशन शक्ति और मिशन कल्याण योजनाओं को शुरु किया है. इसके तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान को सरकार से सम्बद्ध संस्थान तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. इस क्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) ने 1200 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बना लिये हैं. कम्पनी अगले साल तक 7000 बीसी सखी बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में लगी है. गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रहे हैं.

22 मई 2020 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिये बीसी सखी योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं. उत्तर प्रदेश् राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रदेश में 30 हजार हजार बीसी सखी बनाने का कार्यक्रम बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर किया जा रहा है. यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) इसमें भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी सखी बनाए हैं.

बीसी सखी बनाने के लिये पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंककर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है. बीसी सखी बनने के लिये योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है. अभ्यर्थी को कम्यूटर चलाना आना चाहिये, उसपर को वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिये. ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है. इसमें उत्तीर्ण होने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है.

इज्जतदार काम मिला और लोगों की सेवा का अवसर भी

बड़हलगंज जिला गोरखपुर में बीसी सखी योजना से जुड़ने वाले धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि वो पहले वस्त्र उद्योग से जुड़े थे. बीसी सखी योजना से जुड़ने के बाद उनको काफी फायदा हुआ. उनका कहना है कि इज्जदतार काम मिलने के साथ लोगों की सेवा का भी बड़ा अवसर मिला है. लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से खुद को भी खुशी होती है.

बीसी सखी योजना से जुड़कर प्रत्येक माह मिलने लगी एक निश्चित आमदनी

कस्बा सेथल जिला बरेली के आसिफ अली ने बताया कि बीसी सखी बनने के बाद भविष्य सुरक्षित करने के लिये प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है. इससे पहले मैं ऑनलाइन कैफे चलाता था, ऑनलाइन आधार बनाने का भी काम करता था. इन सेंटरों के बंद होने के बाद रोजगार नहीं था. इसके बाद बीसी सखी योजना से जुड़कर एक स्थायी रोजगार मिला है.

लोगों को बैंकों में लाइन लगाना और समय लगाना हुआ बंद

लखनऊ में नक्खास निवासी मोहसिन मिर्जा ने बताया कि बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को देना रोजी-रोटी का बेहतर साधन बना है. सबसे अधिक फायदा इससे बैंक के ग्राहकों को हुआ है. उनको बैंक में लाइन लगाने और समय लगाना बन्द हो गया है और बैंक तक जाने का किराया भी उनका बचा है. छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग हमारे केंन्द्रों से ले रहे हैँ.

बैंकिंग सेवाओं को आसानी से प्राप्त करने की बड़ी पहल

सोनभद्र के भगवान दास बताते हैं कि बीसी सखी योजना से उनको रोजगार मिला है. प्रत्येक माह उनकी आमदनी बढ़ती जा रही है. सबसे अधिक सुविधा ग्राहकों को मिली है. सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं की बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी गई है. ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे उसकी भी बचत हो रही है.

उत्तर प्रदेश में कोविड के समय घर लौटे श्रमिकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सराहा

लखनऊ. योगी सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई पूरी प्रतिबद्धता के साथ जारी रखते हुए विकास और जनकल्‍याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू किया. उच्‍चतम न्‍यायालय ने भी अपने फैसले में कोविड 19 के कारण दूसरे प्रदेशों से घर वापस आने वाले श्रमिकों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की तारीफ की है. कोर्ट ने संज्ञान लिया कि पोर्टल पर अपलोड डाटा के अनुसार उस दौरान कुल 37,84,255 श्रमिकों की घर वापसी हुई थी. स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10,44,710 श्रमिकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत संघटित क्षेत्र में रोजगार दिया जा चुका है. इसके अलावा अधिकांश को रोजगार से जोड़े जाने के कारण दूसरी लहर में सिर्फ चार लाख प्रवासी ही आए. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ते हुए रोजगार के साथ-साथ विकास की कड़‍ियों को जोड़ते हुए प्रदेश सरकार ने न सिर्फ प्रवासी मजदूरों की घर वापसी कराई बल्कि उनके भरण पोषण की व्‍यवस्‍था करते हुए श्रमिकों को सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं के तहत रोजगार भी दिलाया है.

प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं को निस्‍तारित करते हुए यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारिफ की. कोरोना काल के दौरान प्रदेश सरकार ने श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा,  रेहड़ी लगाने वालों की भरण-पोषण की व्‍यवस्‍था को सुनिश्‍चित किया. लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्‍या में यूपी लौटे श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता दिया गया. उनको राशन किट का वितरण करने का बड़ा काम किया. बता दें क‍ि नीत‍ि आयोग, बाम्‍बे हाईकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार की सराहना की है.

दक्षता के अनुसार श्रमिकों को दिया गया रोजगार

प्रदेश सरकार ने जिला मुख्‍यालय पर इनकी स्किल मैपिंग कराई और उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर उनको रोजगार देने का भी भरसक प्रयास किया. प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बाबत पंजीकरण से लेकर स्किल मैपिंग तक के कार्यो को खुद में बड़ा काम माना है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपनी कई योजनाओं से इन श्रमिकों को जोड़ते हुए रोजगार दिया.

पारदर्शिता के लिए बनाया गया पोर्टल

सरकार अपने इन कर्यो के बारे में सुप्रीमकोर्ट में शपथपत्र भी दे चुकी है. यही नहीं पारदर्शिता के लिए  http://www.rahat.up.nic.in नाम से एक पोर्टल भी बनवाया था. इसमें वापस आए श्रमिकों और उनके हित में सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की अपडेट जानकारी थी.

कम्युनिटी किचन की पहल

जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों और अन्य को भूखा न रहना पड़े इसके लिए प्रदेश सरकार ने कम्युनिटी किचन की शुरुआत की जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने भी किया और अन्य राज्यों को भी यह व्यवस्था चलाने को कहा.

1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को किए गए हस्तांतरित

योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी तरह की सुविधाएं पहुंचाई. जिसके तहत परिवहन निगम की बसों के जरिए लगभग 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्‍सकीय सुविधाएं उपलब्‍ध कराने व उनको स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्‍यवस्‍था की गई. इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही आर्थिक सहायता देते हुए प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्‍यम से दी. इन लाभों में से 20.67 लाख परिवारों ने लाभ उठाया, जिसमें से 16.35 लाख को 15-दिवसीय राशन किट प्रदान किया गया. कुल 1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को हस्तांतरित किए गए हैं. राशन किट के अलावा योगी सरकार ने सामुदायिक रसोई की भी स्थापना की.

यूपी में ‘विशेष स्वच्छता अभियान’ से लगेगी मौसमी बीमारियों पर लगाम

लखनऊ. बरसात के बाद होने वाली मौसमी बीमारियों पर शिकंजा कसने के लिये निगरानी समितियों ने स्वच्छता को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है. कोरोना की दूसरी लहर पर जीत हासिल करने में निगरानी समितियां बड़ा हथियार साबित हुई हैं. उनके माध्यम से राज्य सरकार 17.25 करोड़ लोगों तक पहुंच चुकी है. इस उपलब्धि को देखते हुए एक बार फिर से 63148 निगरानी समितियों के 04 लाख से अधिक सदस्यों को गांव और शहरी निकायों में गली-कूचों तक सफाई का कार्य तेजी से कराने की देखरेख में लगाया गया है.

बरसात से पहले की तैयारियां

सरकार की ओर से प्रदेश में शनिवार और रविवार को विशेष सफाई अभियान चलाए जा रहे हैं. नाले-नालियों की स्वच्छता पर जोर देने के साथ बरसात में जलभराव की समस्या को दूर किया जा रहा है. मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिये लगातार सेनेटाइजेशन और फॉगिंग कराई जा रही है. मोहल्ला निगरानी समितियों को भी इस काम में जुटाया गया है.

स्वच्छ भारत से स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने में जुटी योगी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर पर अन्य प्रदेशों से पहले जीत हासिल की है. अब तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए उसने तैयारियां पूरी कर ली है. इसके लिये गांव-गांव और शहरों में विशेष सफाई अभियान शुरू किये हैं. ग्राम पंचायतों में सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है. इसके लिये प्रदेश के कुल 58189 ग्राम पंचायतों और 97499 राजस्व ग्रामों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. 52916 सफाईकर्मी इस कार्य में जुटे हैं. यूपी में  पिछले एक दिन में 31156 राजस्व ग्रामों में सफाई हुई. 15396 राजस्व गांवों में सेनेटाइजेशन और 4787 में फॉगिंग की गए. प्रदेश के सभी नगर निगमों, नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में कुल 12016 मोहल्ला निगरानी समितियों के 64175 सदस्य स्वच्छता अभियानों में जुटे हैं. उनकी देखरेख में नगरीय निकायों में कुल 1378 बड़े नालों, 5219 मझोले नाले और 12410 छोटे नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया गया है.

निगरानी समितियां बनी

बीमारी से बचाव के लिये गांव-गांव गठित निगरानी समितियों के सदस्य प्रत्येक व्यक्ति के पास पहुंचकर उनको मौसमी व मच्छर जनित रोगों से बचाव के लिये स्वच्छता और सामाजिक दूरी के महत्व बता रहे हैं. हाथों को साबुन से धोना और मास्क पहनने की आदत लोगों में डालने के लिये जागरूक कर रहे हैं.

योगी सरकार ने बीमारी से रोकथाम के लिये ग्रामीण इलाकों में विशेष स्वच्छता अभियान चला रखा है. बड़े स्तर पर ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता अभियान चलाने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना है. बरसात से पहले संक्रामक बीमारियों को रोकने में सरकार के प्रयास का बड़ा असर हुआ है.

गौरतलब है कि योगी सरकार की ओर से गांव-गांव तक बिछाए गये निगरानी समितियों के जाल से काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं. इतनी तेज रफ्तार से बीमारी की रोकथाम करने में लिये योगी सरकार के शानदार कोविड प्रबंधन को पूरी दुनिया में प्रशंसा मिली है. डब्ल्यूएचओ भी सरकार के प्रयासों की तारीफ कर चुका है. यही नहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी वेबसाइट पर बीमारी पर तेज गति से नियंत्रण करने के लिये यूपी सरकार की सराहना की है.

 फ्रंट लाइन वर्कर्स को दिया गया टीका-कवर

प्रदेश में बीमारियों से बचाव के लिये स्वच्छता अभियान में जुटे 86770 फ्रंट लाइन वर्कर्स व अन्य अधिकारी व कर्मचारियों को कोरोना से बचाव के लिये टीकाकरण की पहली डोज लग चुकी है. जबकि 66190 सफाई श्रमिकों को दूसरी डोज दी गई है. 26399 अन्य निकाय कार्मिकों को प्रथम डोज व 20991 कार्मिकों को दूसरी डोज का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. राज्य सरकार के निर्देश पर सभी स्थानीय निकायों में सफाई कर्मचारियों एवं फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिये ग्लब्स, मास्क और सेनेटाईजर भी दिये जा रहे हैं.

कोरोना की दूसरी लहर पर जीत हासिल करने में निभाई बड़ी भूमिका

कोरोना के खिलाफ योगी सरकार के ‘ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट’ रणनीति को मजबूती देने में निगरानी समितियों ने बड़ा योगदान दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर बीमारी को रोकने के लिये प्रदेश में  निगरानी समितियों का गठन किया गया. समितियों से जुड़े चार लाख से अधिक सदस्यों ने घर-घर दस्तक देकर न सिर्फ लोगों को जागरूक करने का काम किया बल्कि कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को मेडिकल  किट भी उपलब्ध कराई. इतनी बड़ी संख्या में निगरानी समितियों की तैनाती करने वाला यूपी देश का पहला राज्य बना. समिति के सदस्यों को प्रत्येक व्यक्ति में बीमारी के लक्षणों की पहचान का काम किया.

ओडीओपी से कामगारों की होगी तरक्‍की, छात्र भी बनेंगे आत्‍मनिर्भर

लखनऊ. एकेटीयू से सम्‍बद्ध प्रदेश के तकनीकी एवं प्रबंधन संस्‍थानों में पढ़ने वाले छात्र ओडीओपी से जुड़े हर जिले के उत्‍पाद का एक नई पहचान देंगे. ओडीओपी उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़ कर उनको नई पहचान दी जाए. इसे लेकर छात्र अपना आइडियाज देंगे. ओडीओपी विभाग के साथ मिलकर एकेटीयू एक मेगा हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है.

अभी हाली ही में ओडीओपी विभाग व एकेटीयू की ओर से लखनऊ की चिकनकारी व जरदोजी को कैसे नई पहचान दिलाई जाए. इस पर हैकाथन का आयोजन किया गया था. इसमें लखनऊ समेत प्रदेश के अन्‍य जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों के 70 से अधिक छात्रों ने अपने आइडियाज एकेटीयू को भेजे थे. इसमें 5 छात्रों के आइडियाज को फाइनल राउंड में चुना गया था. छात्रों के बेहतर रूझान को देखते हुए अब ओडीओपी प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को लेकर मेगा हैकाथन का आयोजित करने की तैयारी कर रहा है. उत्‍तर प्रदेश सरकार के सूक्ष्‍म मध्‍यम एवं लघु उद्योग विभाग व एकेटीयू के बीच ओडीओपी उत्‍पादों को बढ़ावा देने के लिए एक एमओयू हुआ है. जिसके तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

एक जनपद – एक उत्पाद उत्‍तर प्रदेश सरकार की महत्‍वाकांक्षी योजना है. इसका उद्देश्य प्रदेश के अलग अलग जनपदों में बनने वाले उत्‍पादों को अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलवाना और कामगारों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध करा कर उन्‍हें आत्‍मनिर्भर बनाना है. उत्‍तर प्रदेश में ऐसे उत्‍पाद बनते हैं, जो पूरे देश में कहीं नहीं बनते हैं. इसमें प्राचीन एवं पौष्टिक कालानमक चावल, फिरोजाबाद का कांच उत्‍पाद, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, दुर्लभ एवं अकल्पनीय गेहूं डंठल शिल्प, विश्व प्रसिद्ध चिकनकारी, कपड़ों पर जरी-जरदोजी का काम, मृत पशु से प्राप्त सींगों व हड्डियों से अति जटिल शिल्प कार्य आदि है. इन कलाओं से ही उन जनपदों की पहचान होती है. इनमें से तमाम ऐसे उत्पाद हैं जो अपनी पहचान खो रहे थे. सरकार उनको ओडीओपी के तहत फिर से पहचान दिला रही है.

एमएसएमई से समझौते के बाद एकेटीयू पूरे प्रदेश के हर जिले के ओडीओपी उत्‍पाद को नई पहचान देने के लिए मेगा हैकाथन का आयोजन करेगा. इसमें बीटेक व एमबीए के छात्र-छात्राएं एक जनपद, एक उत्‍पाद योजना से जुड़े उत्‍पादों को कैसे तकनीक से जोड़कर बेहतर बनाया जाए, जिससे वह उत्‍पाद अन्‍तर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर नई पहचान बना सके. इस पर अपने आइडियाज देंगे.

प्रो-एक्टिव नीति से कोरोना की तीसरी लहर का होगा मुकाबला

लखनऊ . कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों व किशारों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने कमर कस ली है. उत्तर प्रदेश सरकार ने बच्चों की स्वास्थ्य, सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से घर-घर मेडिकल किट वितरण का विशेष अभियान शुरू किया है. प्रदेश में रविवार से 75 जनपदों में 50 लाख के करीब मेडिकल किटों का वितरण के कार्य को शुरू किया गया है. करीब 75 हजार निगरानी समितियों की मदद से लक्षण युक्त बच्चों की पहचान का काम भी शुरू कर दिया गया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में निगरानी समितियों ने अहम भूमिका निभाई है. ऐसे में एक बार फिर से सरकार ने इन निगरानी समितियों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. बता दें कि तीसरी लहर का डट कर मुकाबला करने के लिए प्रदेश की 3011 पीएचसी और 855 सीएचसी को सभी अत्याधुनिक संसाधनों से लैस किया गया है.

महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) डॉ डीएस नेगी ने बताया कि मेडिकल किट के वितरण के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. मेडिकल किट को बच्चों व किशोरों को उनकी उम्र के अनुसार अलग-अलग चार वर्गों में विभाजित किया गया है. नवजात शिशु से लेकर एक साल तक और एक से पांच वर्ष की उम्र के बच्चों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल सीरप की दो शीशी, मल्टी विटामिन सीरप की एक शीशी और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. छह से 12 वर्ष की उम्र के बच्चों और 13 से 17 वर्ष की उम्र के किशोरों की मेडिकल किट में पैरासिटामोल की आठ टैबलेट, मल्टी विटामिन की सात टैबलेट, आइवरमेक्टिन छह मिली ग्राम की तीन गोली और दो पैकेट ओआरएस घोल रखा गया है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में तीसरी लहर को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. अस्पतालों कोई कमी न हो इस बात भी ध्यान रखा जा रहा है.

कोरोना के लक्षणों समेत मौसमी बीमारी से बचाएगी दवाएं

मेडिकल-किट में उपलब्ध दवाईयां कोविड-19 के लक्षणों से बचाव के साथ 18 साल से कम उम्र के बच्चों का मौसमी बीमारियों से भी बचाएंगी. तीसरी लहर से बचाव के लिए सरकार ने प्रदेश में 75000 निगरानी समितियों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में मेडिकल मेडिसिन किट के वितरण को गति देने के लिए 60 हजार से अधिक निगरानी समितियों के चार लाख से अधिक सदस्यों को लगाया गया है.

 प्रो-एक्टिव नीति के तहत प्रदेश में किया जा रहा काम

प्रदेश में विशेषज्ञों के आंकलन के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के संबंध में योगी सरकार प्रो-एक्टिव नीति अपना रही है. सभी मेडिकल कॉलेजों में पीआईसीयू और एनआईसीयू की स्थापना को तेजी से पूरा किया जा रहा है. पीडियाट्रिक विशेषज्ञ, नर्सिंग स्टाफ अथवा टेक्निशियन की जरूरत के अनुसार जिलावार स्थिति का आकलन करते हुए पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था युद्धस्तर पर कराई जा रही है. अस्पतालों में बाइपैप मशीन, मोबाइल एक्स-रे मशीन समेत जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है. बता दें कि प्रदेश में डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ के पहले चरण का प्रशिक्षण का कार्य पूरा हो गया है. इनके जरिए अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है.

प्रदेश में महज 3165 एक्टिव केस

कोरोना संक्रमण के मामलों में उत्तर प्रदेश की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है. पिछले 24 घंटों में प्रदेश में संक्रमण के महज 222 नए मामले दर्ज किए गए हैं. प्रदेश में कोविड रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. प्रदेश में अब तक पांच करोड़  70 लाख 85 हजार 424 कोरोना की जांचें की जा चुकी हैं. मिशन जून के तहत निराधृत लक्ष्य को तय समय सीमा से पहले हासिल करने वाले यूपी में अब तक तीन करोड़ चार लाख 51 हजार 330 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं.

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