मैं ने अपना और सीमा का परिचय दिया तो वकील ने भी अपना परिचय दे कर हमें अंदर ले जा कर एक सोफे पर बैठा दिया. वहां 3 पुरुष और 1 महिला पहले ही मौजूद थे. तीनों ही अंगरेज थे.
मार्टिन ने हम सब का परिचय कराया. एक सज्जन आर.एस.पी.सी.ए. (दि रायल सोसाइटी फार दि प्रिवेंशन आफ क्रूएल्टी टु ऐनिमल्स) का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. अन्य 3, विलियम वारन (जेम्स वारन का पुत्र), उस की पत्नी जैनी वारन तथा जेम्स का पौत्र जार्ज वारन थे, जो आस्टे्रलिया से आए थे.
बाईं ओर छोटे से नर्म गद्दीदार गोल बिस्तर में एक बड़ी प्यारी सी काली और सफेद रंग की बिल्ली कुंडली के आकार में सोई पड़ी थी, जिस का नाम ‘विलमा’ बताया गया.
मार्टिन ने अपनी फाइल से वसीयत के कागज निकाल कर पढ़ने शुरू किए. अपनी संपत्ति के वितरण के बारे में कुछ कहने से पहले जेम्स ने अपनी सिसकती वेदना का चित्रण इन शब्दों में किया था:
‘लगभग 4 दशक पहले मेरे अपने बेटे विलियम और उस की पत्नी जैनी ने लंदन छोड़ कर मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया. मैं फोन पर अपने पोते और इन दोनों की आवाज सुनने को तरस गया. मैं फोन करता तो शीघ्र ही किसी बहाने से काट देते और एक दिन इस फोन ने मौन धारण कर यह सहारा भी छीन लिया. किसी कारण स्थानांतरण होने पर बेटे ने मुझे अपने नए पते या टेलीफोन नंबर की सूचना तक नहीं दी. मैं इस अकेलेपन के कारण तड़पता रहा. कोई बात करने वाला नहीं था. कौन बात करेगा, जिस का अपना ही खून सफेद हो गया हो.
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‘6 साल जीभ बिना हिले पड़ीपड़ी बेजान हो गई थी कि एक दिन एक भारतीय सज्जन राकेश वर्मा ने पार्क में मेरी इस मौन व्यथा को देखा और समझा. मेरे उमड़ते हुए उद्गारों को इस अनजान आदमी ने पहचाना. विडंबना यह रही कि वह भी व्यक्तिगत कारणों से लंदन से दूर चले गए.
‘राकेश वर्मा के साथ एक दिन की भेंट मेरे सारे जीवन की धरोहर बन यादों में सुकून देती रही. फिर इस भयावह अकेलेपन ने धीरेधीरे भयानक रूप ले लिया. आयु और शारीरिक रोगों के अलावा मानसिक अवसाद ने भी मुझे घेर लिया.
‘इस अभिशप्त जीवन में आशा की एक लहर मेरे मकान के बाग में न जाने कहां से एक बिल्ली के रूप में आ गई. कौन जाने इस का मालिक भी देश छोड़ गया हो और इसे भी इस के भाग्य पर मेरी तरह ही अकेला छोड़ गया हो. बिल्ली को मैं ने एक नाम दिया ‘विलमा.’
‘2-3 दिनों में विलमा और मैं ऐसे घुलमिल गए जैसे बचपन से हम दोनों साथ रहे हों. मैं उसे अपनी कहानी सुनाता और वह ‘मियाऊंमियाऊं’ की भाषा में हर बात का उत्तर देती. मुझे ऐसा लगता जैसे मैं नन्हें जार्ज से बात कर रहा हूं.
‘एक दिन वह जब बाहर गई और रात को वापस नहीं लौटी तो मैं बहुत रोया, ठीक उसी तरह जैसे जार्ज, विलियम और जैनी को छोड़ने के बाद दिल की पीड़ा को मिटाने के लिए रोया था. मैं रात भर विलमा की राह देखता रहा. अगले दिन वह वापस आ गई. बस, यही अंतर था विलमा और विलियम में जो वापस नहीं लौटा.
‘विलमा के संग रहने से मेरे मानसिक अवसाद में इतना सुधार हुआ जो अच्छी से अच्छी दवाओं से नहीं हो पाया था. उस ने मुझे एक नया जीवन दिया. वह कब क्या चाहती है, मैं हर बात समझ लेता था. यह सब वर्णन से बाहर है, केवल अनुभूति ही हो सकती है.’
विलियम, जैनी और जार्ज, तीनों के चेहरों पर उतारचढ़ाव कभी रोष तो कभी पश्चात्ताप के लक्षणों का स्पष्टीकरण कर रहे थे.
जेम्स ने अपनी वसीयत में मुख्य रूप से कहा था कि मेरी सारी चल और अचल संपत्ति में से समस्त टैक्स तथा हर प्रकार के वैध खर्च, बिल आदि देने के बाद शेष बची रकम का इस प्रकार वितरण किया जाए :
‘मिस्टर राकेश वर्मा, जिन का पुराना पता था : 23 रैले ड्राइव, वैटस्टोन, लंदन एन 20, को 2 हजार पौंड दिए जाएं और उन से मेरी ओर से विनम्रतापूर्वक कहा जाए कि यह राशि उन के उस एक दिन का मूल्य न समझा जाए जिस के कारण मेरे जीवन के मापदंड ही बदल गए थे. उन अमूल्य क्षणों का मूल्य तो चुकाने की सामर्थ्य किसी के भी पास न होगी. यह क्षुद्र रकम तो मेरे उद्गारों का केवल टोकन भर है.
‘मेरे उक्त वक्तव्य से, स्पष्ट है कि विलियम वारन, जैनी वारन या जार्ज वारन इस संपत्ति के उत्तराधिकारी होने के अयोग्य हैं.’
वकील कहतेकहते कुछ क्षणों के लिए रुक गया. विलियम, जैनी और जार्ज की मुखाकृति पर एक के बाद एक भाव आजा रहे थे. वे कभी आंखें नीची करते हुए दांत पीसते तो कभी अपने कठोर व्यवहार का पश्चात्ताप करते.
विलियम अपने क्रोध को वश में न रख सका और खड़े हो कर सामने रखी मेज पर जोर से हाथ मार कर जाने को खड़ा हो गया तो जैनी ने उसे समझाबुझा कर बैठा लिया.
वकील ने पुन: वसीयत पढ़नी शुरू की तो यह जान कर सभी आश्चर्यचकित हो गए कि शेष समस्त संपत्ति ‘विलमा’ बिल्ली के नाम कर दी गई थी और साथ ही कहा गया था कि आर.एस.पी.सी.ए. को ‘विलमा’ के शेष जीवन के पालनपोषण का अधिकार दिया जाए और इसी संस्था को प्रबंधक नियुक्त किया जाए. साथ ही एक सूची थी जिस में ‘विलमा’ को जेम्स किस प्रकार रखता था, उस का पूरा वर्णन था. आगे लिखा था, ‘विलमा के निधन पर उस का एक स्मारक बनाया जाए. उस के बाद शेष धन को राह भटके हुए, प्रताडि़त पशुओं की दशा सुधारने पर व्यय किया जाए.’
मैं ने मार्टिन से कहा, ‘‘यदि आप अनुमति दें तो ये 2 हजार पौंड, जो वसीयत के अनुसार जेम्स वारन मुझे दे रहे हैं, इस राशि को भी ‘विलमा’ की वसीयत की राशि में ही मिला दें तो मुझे हार्दिक सुख मिलेगा.’’
वकील ने कहा, ‘‘इस को विधिवत बनाने में थोड़ी अड़चन आ सकती है. हां, इसी राशि का एक चैकआर.एस.पी.सी.ए. को अपनी इच्छानुसार देना अधिक सुगम होगा.’’
अंत में औपचारिक शब्दों के साथ मार्टिन ने वसीयत बंद कर बैग में रख ली. बिल्ली, जो अभी भी सारी काररवाई से अनजान सोई हुई थी, आर.एस.पी.सी.ए. के प्रतिनिधि को सौंप दी गई. इस प्रकार वकील का भी प्रतिदिन ‘विलमा’ की देखरेख का भार समाप्त हो गया. सब मकान से बाहर आ गए.
मैं ने सीमा से कहा कि मैं तुम्हें उस मकान पर ले चलता हूं जहां लंदन में विवाह से पहले मैं रहता था. कार 10 मिनट में 23 रैले ड्राइव के सामने पहुंच गई. कार एक ओर खड़ी की और न जाने क्यों बिना सोचेसमझे ही उंगली उस मकान की घंटी के बटन पर दबा दी.
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एक अंगरेज वृद्ध ने छोटे से कुत्ते के साथ दरवाजा खोला. कुत्ते ने भौंकना शुरू कर दिया. मैं ने उस वृद्ध को बताया कि लगभग 30 वर्ष पहले मैं इस मकान में किराएदार था. बस, इधर से गुजर रहा था तो पुरानी याद आ गई…इस से पहले कि मैं आगे कुछ कहता, बूढ़े ने बड़े रूखेपन से कहना शुरू कर दिया.
‘‘यदि तुम इस मकान को खरीदने के विचार से आए हो तो वापस चले जाओ. इन दीवारों में केरी और चार्ल्स की यादें बसी हुई हैं. चार्ल्स की मां, मेरी पत्नी तो मुझे कब की छोड़ गई…चार्ल्स अमेरिका से एक दिन अवश्य आएगा… हां, कहीं उस का फोन न आ जाए?’’
इतना कहतेकहते उस ने दरवाजा बंद कर लिया. अंदर से कुत्ता अभी भी भौंक रहा था. सीमा की नजर दरवाजे पर अटकी हुई थी. कह रही थी.