समय रहते पहचानें कैंसर के लक्षण, कहीं हो ना जाए देर

एक अनुमान के मुताबिक पुरुषों में कैंसर से होने वाली मृत्यु; 31 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 10 प्रतिशत प्रोस्टेट, 8 प्रतिशत कोलोरेक्टल, 6 प्रतिशत पैंक्रिएटिक और 4 प्रतिशत लिवर कैंसर से होती हैं. अगर आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें. जिससे आप इस समस्या से बच सकते है. जानिए इन लक्षणों के बारें में.

फीवर आना

फीवर कैंसर का एक सामान्य लक्षण होता है. कैंसर के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण शरीर बीमारियों से खुद की रक्षा नहीं कर पाता और अक्सर बुखार की शिकायत होती है. इससे आपको ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया आदि लक्षण नजर आते हैं.

पीठ में दर्द

अधिक देर तक कुर्सी  पर बैठे रहने आदि से दर्द होना नार्मल है लेकिन आपको बराबर पीठ का दर्द सताता है तो आपको कोलोरेक्‍टल या प्रोस्‍टेट कैंसर हो सकता है. इसके अलावा आपकी कमर की मसल्स में भी दर्द रहता हैं.

आंत में हो किसी प्रकार की समस्या

आंतो में नार्मल प्राब्लम होना कोई बड़ी बात नहीं हैं,  लेकिन अगर बराबर आंतो में समस्या हो रही हो तो यह कैंसर के स्टार्ट का लक्षण हो सकता है. यह कोलेन या कोलोरेक्‍टल कैंसर हो सकता है. इस प्राब्लम में आपको पेट संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं.

यूरिन में बदलाव

जब आप वॉशरुम जाते हो तो आपको यूरिन करने में अधिक दर्द होता है या फिर ब्लड आए तो ये प्रोस्टेट कैंसर अथवा डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.

टेस्टिकल्‍स में चेंजमेंट

टेस्टिकल्‍स का बदलना टेस्टिकुलर कैंसर संकेत हो सकता है. अगर आपके टेस्टिकल्‍स का आकार बढ़ रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें. टेस्टिकुलर कैंसर ज्‍यादातर 20 से 39 साल की उम्र में होता है.

लगातार ब्लड का निकलना

अगर आपके शरीर से लगातार ब्लड गिर रहा हौ तो यह भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है. यह कोलेन कैंसर हो सकता है, लेकिन यह कैंसर 50 साल की उम्र की बाद होता है. इस समस्या में आपको मलाशय के साथ खून आता है. लेकिन आज के सम में ये किसी भी उम्र में हो सकता हैं.

लगातार वेट कम होना

आज के समय में वजन कम करने के लिए कई उपाय करते हैं, लेकिन अगर आपका वजन बिना कोई उपाय कम हो रहा है तो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आपका वजन 10 पौंड से ज्यादा कम हो जाए,तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

जल्द थक जाना

बेवजह लगातार थका-थका महसूस करना कैंसर का शुरुआती लक्षण है. कैंसर की शिकायत होने पर मरीज बिना वजह थका-थका महसूस करता है. कभी-कभी तो वह हाथ पांव से काम करने लायक भी नहीं रहता.

अधिक खांसी आना

अगर आपको सर्दी-जुकाम में खांसी आए तो कई बात नहीं. अगर आपको बिना किसी कारण खांसी आए तो आपको लंग कैसंर की समस्या हो सकती है. अगर खांसी के साथ आपके मुंह से खून आ जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.

स्किन में बदलाव

अगर आपकी स्किन एक दम से बदलाव आए तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते है. इससे आपकी स्किन सांवली या काली या फिर पीला होना भी कैंसर का होने का एक लक्षण हैं.

क्या मोटापा हो सकता है, बच्चे ना होने की वजह ?

खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण कई बीमारी आज हमारे शरीर को कमजोर करने में लगी हैं. बीमारी के साथ – साथ पनप रही है कुछ परेशानियां जिसे समय रहते ठीक करना जरुरी हैं. इन परेशानियों में सबसे ज्यादा देखें जाने वाली समस्या हैं  प्रजनन क्षमता  की.

कहते हैं मोटापा बीमारियों का घर होता हैं. लोगो में जैसे जैसे मोटापा बढ़ता हैं वैसे वैसे हम बीमारी और परेशानी से खिर जाते है. डायबिटीज और कैंसर उन कुछ बीमारियो में से एक हैं. पर मोटापा के कारण प्रजनन क्षमता भी कम हो जाती हैं. आजकल बहुत सारे कपल्स ऐसे मिलते हैं, जिनको तमाम प्रयास के बाद भी बच्चा नहीं होता है. इनमें से ज्यादातर कपल्स वो हैं, जिनमें पति या पत्नी में से कोई एक या दोनों मोटापे का शिकार हैं. आज हम आपको बताएंगे की कैसे मोटाप प्रजनन क्षमता प्रभावित करता है…

हार्मोन्स का असंतुलन

मोटापा महिलाओं और पुरुषों में हार्मनल असंतुलन का एक बड़ा कारण है. हार्मोनल असंतुलन के कारण पुरुषों में शुक्राणु प्रभावित होते हैं. जिससे अनेक प्रयास के बाद भी प्रजनन करने मां परेशानी पेदा होती हैं.

इंसुलिन की कमी

मोटापे के कारण शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया धीरे हो जाती है, जिससे व्यक्ति को डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है.यह देखा जाता है की असंतुलित दिनचर्या इसका मुख्य कारण हैं.

इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार पुरुष

मोटापे के कारण शरीर में कई तरह के रोग जैसे- डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रौल और किडनी की समस्याएं हो जाती हैं, जिससे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है. लिंग में ठीक से ब्लड सर्कुलेशन न हो पाने के कारण कड़ापन नहीं बना रह पाता है, जिससे संबंध बनाने में परेशानी आती है. इससे भी पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है.

तो यदि आप भी मोटापे के  शिकार हैं और प्रजन्न में परेशानी पैदा होती हैं तो आप समय रहते आपनी सेहत का ध्यान दे. क्योंकि स्वस्थ शरीर होना ना सिर्फ आपके लिए बल्कि परिवार के लिए भी जरुरी हैं.

युवाओं में बढ़ रहा हार्ट फेल्योर का रिस्क

भारत में इस समय तकरीबन 50.4 लाख हार्ट फेल्योर रोगी हैं और जिस तरह से इस के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है, उसे देख कर लगता है कि अब हार्ट फेल्योर युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है. इस के बढ़ते मामलों की वजह लोगों में हार्ट फेल्योर के बारे में जानकारी की कमी है और लोग इसे  हार्ट अटैक से जोड़ कर देखते हैं.

कुछ ऐसा ही मामला मेरे पास आया था. विपिन सैनी जब अस्पताल में भर्ती हुए थे तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, पैरों और टखनों में सूजन थी, चक्कर आ रहे थे और जब भी खांस रहे थे तो बलगम हलके गुलाबी रंग का था. करीब डेढ़ साल पहले उन्हें हार्ट अटैक आया था और इस के बाद ही पता चला कि विपिन हार्ट फेल्योर की समस्या से ग्रस्त हैं.

दरअसल, विपिन की प्रोफैशनल जिंदगी में बहुत तनाव था और लगातार काम करते रहना व अस्वस्थ खानपान के चलते उन में हार्ट फेल्योर के लक्षण दिखाई देने लगे थे.

हार्ट फेल्योर

हार्ट फेल्योर लंबी चलने वाली गंभीर बीमारी है. इस में हृदय इतना रक्तपंप नहीं कर पाता कि जिस से शरीर की जरूरतों को पूरा किया जा सके. इस से पता चलता है कि हृदय की मांसपेशियां पंपिंग करने के लिए जिम्मेदार होती हैं जो समय के साथ कमजोर हो जाती हैं या अकड़ जाती हैं. इस से दिल की पंपिंग पर प्रभाव पड़ता है और शरीर में रक्त (औक्सीजन व पोषक तत्त्वों से युक्त) की गति सीमित हो जाती है. इस वजह से रोगी को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है और उस के टखनों में सूजन आने लगती है. यह बीमारी हार्ट अटैक से बिलकुल अलग है.

लक्षण भी जानें

हार्ट फेल्योर होने के कई कारण होते हैं जिन में पहले हार्ट अटैक होना सब से महत्त्वपूर्ण कारक हो सकता है. विपिन के मामले में भी ऐसा ही हुआ था. हार्ट अटैक के बाद विपिन में हार्ट फेल्योर के लक्षण सामने आए थे. इस के अलावा दिल से जुड़ी बीमारियां, ब्लडप्रैशर, संक्रमण या शराब या ड्रग की वजह से हृदय की मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त होना शामिल हो सकता है. दिल के क्षतिग्रस्त होने की वजह डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, मोटापा, किडनी की बीमारी और थायरायड में विकार हो सकते हैं. कई मामलों में हार्ट फेल्योर के एक या इस से ज्यादा कारण भी हो सकते हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े

दुनियाभर के आंकड़ों पर गौर करें तो यूरोप में 140.9 लाख लोग और अमेरिका में 50.7 लाख लोग हार्ट फेल्योर की समस्या से जूझ रहे हैं. भारत में हाल ही जर्नल औफ प्रैक्टिस औफ कार्डियोवैस्कुलर साइंसैज में प्रकाशित एम्स की स्टडी के अनुसार, हार्ट फेल्योर से अमेरिका व यूरोप में 4 -7 प्रतिशत के मुकाबले भारत में 30.8 फीसदी मृत्यु होती है. अगर संपूर्ण बीमारी का बोझ देखें तो पता चलता है कि दुनिया की आबादी में भारत आंकड़ों में 16 फीसदी है तो दुनिया के क्रोनोरी हार्ट डिसीज बोझ में यह 25 फीसदी है.

दुनियाभर के मुकाबले भारत में क्रोनोरी आर्टरी डिसीज (सीएडी) से युवा ज्यादा प्रभावित हैं. आमतौर पर सीएडी पुरुषों में अगर 55 साल से पहले और महिलाओं में 65 साल से पहले हो जाए तो उसे प्रीमैच्योर सीएडी कहा जाता है, लेकिन अगर यह बीमारी 40 साल से पहले हो तो माना जाता है कि यह युवाओं को अपनी चपेट में ले रही है.

क्या है फर्क

सब से महत्त्वपूर्ण हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर के अंतर को समझना है. हार्ट अटैक अचानक होता है और हृदय की मांसपेशियों को रक्त पहुंचाने वाली धमनियों में ब्लौकेज होने से आकस्मिक हार्ट अटैक हो सकता है जबकि हार्ट फेल्योर लगातार बढ़ने वाली बीमारी है जिस में हृदय की मांसपेशियां समय के साथ कमजोर होती जाती हैं.

कैंसर, अल्जाइमर्स, सीओपीडी और ऐसी कई बीमारियों की तरह हार्ट फेल्योर भी लगातार बढ़ने वाली बीमारी है. इसलिए इस के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और दिल की मांसपेशियों के क्षतिग्रस्त होने से पहले इसे चेक कराना बहुत महत्त्वपूर्ण है. हार्ट फेल्योर में यह जानना बेहद जरूरी है कि क्षतिग्रस्त मांसपेशियों को दोबारा रिकवर नहीं किया जा सकता, इलाज की मदद से सिर्फ दिल व शरीर के दूसरे महत्त्वपूर्ण अंगों को अधिक खराब होने से बचाया जा सकता है.

हार्ट फेल्योर को लगातार अनदेखा करना बहुत रिस्की है क्योंकि जो लोग इस बीमारी की पहचान नहीं कर पाते या इलाज नहीं कराते, उन की अचानक मृत्यु होने का रिस्क बढ़ सकता है और वे बेहतर जिंदगी भी नहीं बिता पाते. बीमारी की काफी देर बाद पहचान होने के परिणाम काफी घातक होते हैं. इस वजह से एकतिहाई रोगियों की अस्पताल में भरती होने पर मृत्यु हो जाती है और एकचौथाई की पहचान होने के 3 महीनों में मृत्यु हो जाती है.

जीवनशैली है बड़ा कारण

लगातार शराब, धूम्रपान, ड्रग्स का सेवन, तनाव, कसरत न करने जैसी अस्वस्थ जीवनशैली हार्ट फेल्योर के कारण हो सकते हैं. इस से मोटापा, ब्लडप्रैशर बढ़ना, डायबिटीज जैसे रोग हो सकते हैं. ये बीमारियां दिल की मांसपेशियों को कमजोर करती हैं और इस से हृदय की कार्यक्षमता प्रभावित होती है.

अस्वस्थ जीवनशैली का उदाहरण हाल ही में एक मामले में देखने को मिला.

20 साल का लड़का सत्यम शर्मा जब परामर्श के लिया आया तो उसे बहुत थकान, सांस लेने में तकलीफ और बहुत ज्यादा पसीना निकलने की समस्या थी. जब जांच की गई तो उस में शुरुआती हार्ट फेल्योर के लक्षण नजर आए. इस उम्र में हार्ट फेल्योर के लक्षणों का कारण लगातार बहुत ज्यादा शराब पीना था.

हार्ट फेल्योर का इलाज

हार्ट फेल्योर की पहचान करना ज्यादा मुश्किल नहीं है. इस की पहचान मैडिकल हिस्ट्री की जांच कर के, लक्षणों की पहचान, शारीरिक जांच, रिस्क फैक्टर जैसे उच्च रक्तचाप, क्रोनोरी आर्टरी बीमारी या डायबिटीज होने और लैबोरेटरी टैस्ट से की जा सकती है. इकोकार्डियोग्राम, छाती का एक्सरे, कार्डियेक स्ट्रैस टैस्ट, हार्ट कैथेटराइजेशन और एमआरआई से इस समस्या की सही पहचान की जा सकती है.

पहचान न कर पाने या स्क्रीनिंग में दिक्कत होने के बावजूद हार्ट फेल्योर का इलाज आधुनिक तकनीकों से बेहतर तरीके से किया जा सकता है. इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना बहुत जरूरी है.

इस के साथ कई थेरैपियों की मदद से हार्ट फेल्योर का उपचार किया जा सकता है. इस से लक्षणों को कम, जिंदगी की गुणवता में सुधार और मृत्युदर को कम किया जा सकता है.

इस के इलाज में बीटा ब्लौकर, एसीई इनहिबिटर जैसी दवाइयों, हाई बीपी या डायबिटीज जैसी बीमारियों का इलाज कर के, कार्डियेक उपकरण जैसे कार्डियेक रिस्नक्रोनाइजेशन थेरैपी (सीआरटी) व इंट्रा कार्डियेक डिफिबरालेटर (आईसीडी) और क्रोनोरी आर्टरी बीमारी के मामलों में सर्जरी व वौल्व के रिपेयर या रिप्लेसमैंट का सुझाव दिया जाता है.

नई उम्मीदें

हार्ट फेल्योर के इलाज के कई बेहतरीन विकल्प हैं. पिछले साल यूएस फूड व ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने नई दवाई इवाब्राडाइन को मंजूरी दी थी जो भारत में काफी समय से उपलब्ध है. इसी तरह  ड्रग की नई श्रेणी एंजियोटेनसिन-रिस्पेटरब्लौकर निपरिलसिन इंहिबिटर (एआरएनआई) है.

2 संयोजकों से बनी यह दवाई मौजूदा ब्लडप्रैशर को कम करने में मदद करती है और यह काफी प्रभावी साबित हुई थी. इस से 20 फीसदी तक मृत्यु में कमी और बारबार अस्पताल में भरती होने में कमी आई थी, जोकि फिलहाल मौजूद थेरैपियों के मुकाबले काफी फायदेमंद है.

(लेखक नई दिल्ली स्थित एम्स में कार्डियोलौजिस्ट हैं)

हेल्दी नाश्ता करना है शरीर के लिए बेहद जरूरी

प्रोटीन हमारे शरीर की ग्रोथ के लिए महत्त्वपूर्ण है. इस के लिए अंकुरित दालें  विविध प्रकार के पोषक अनाज लिए जा सकते है. ऐंटीऔक्सीडैंट पदार्थों का सही मात्रा में सेवन करें. इस के लिए ग्रीन टी जरूर नाश्ते में शामिल करें. प्रतिदिन मौसमी जैसे फलों को अपने ब्रेकफास्ट में लेना न भूलें. जूस और शेक को नाश्ते की लिस्ट में जरूर रखें. पैक्ड जूस की जगह ताजे जूस का प्रयोग करें. नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन, फैट और मिनरल्स का होना जरूरी है.

सुबह सुबह की भागादौड़ी में अधिकतर महिलाएं अपने नाश्ते को ले कर लापरवाही करती हैं. या तो वे टालमटोल करती रहती हैं या नाश्ता करना भूल ही जाती हैं. ऐसा करना महिलाओं की सेहत के लिए बेहद हानिकारक है. सुबह का नाश्ता स्वस्थ शरीर के लिए बेहद मायने रखता है. यह नाश्ता ही होता है, जो पूरे दिन हमारी पाचन क्रिया को सक्रिय बनाए रखता है. एक मैडिकल सैंटर के संचालक का कहना है, ‘‘यह धारणा बिलकुल गलत है कि सुबह नाश्ता न करने से मोटापा कम होता है. मोटापे को कम करने के लिए सही समय पर संतुलित आहार लेना चाहिए.’’

सुबह के नाश्ते की महत्ता बताते हुए वे कहते हैं, ‘‘हमारी डाइजेशन की क्रिया सुबह के वक्त सब से बेहतर होती है. जिस तरह सुबह सुबह कोई अच्छी बात सुनने से हमारा पूरा दिन अच्छा बीतता है, हमारे भीतर सकारात्मकता का संचार होता है, उसी तरह सुबह स्वस्थ नाश्ता करने से पूरे दिन हमारे शरीर में ताजगी बनी रहती है.’’

नाश्ता न करने पर

  1. डाक्टरों का मानना है कि सुबह नाश्ता न करने से चेहरे पर उम्र बढ़ने का प्रभाव जल्दी ही दिखाई पड़ने लगता है.
  2. हमारी पाचनक्रिया असंतुलित हो जाती है, जिस से तरह तरह की बीमारियां होने लगती हैं.
  3. गौरतलब है कि स्वस्थ नाश्ता न करने से हमें आलस बहुत जल्द आने लगता है. साथ ही साथ हम भारीपन सा महसूस करते हैं.

कौन सी चीजें जरूरी

  1. सुबह का नाश्ता चूंकि हमारी पाचन क्रिया की शुरुआत करता है, इसलिए उस में कुछ मूल तत्त्वों का समावेश करना बेहद जरूरी है.

2. महिलाओं को प्राय: ऐसा लगता है कि वसायुक्त पदार्थ खाने से हमारी चरबी बढ़ जाएगी. लेकिन नाश्ते में सही मात्रा में वासयुक्त पदार्थों का होना भी बेहद जरूरी है. इस के लिए दुग्ध पदार्थों, देशी घी, मक्खन इत्यादि उचित अनुपात में खाएं.

3. जरा सोचिए, सुबहसुबह खाली पेट जब अपने आराध्य को याद करने में परेशानी होती है, तो भूखे पेट हमारे काम सुचारु रूप से कैसे होंगे.

4 टिप्स: जाने क्यों है ब्लैक टी आपके लिए फायदेमंद

सुबह की चाय हम में से अमुमन सभी की पहली पसंद होती है. चाय की चुस्की से की दिन शुरुआत पुरे दिन  को तरेताजगा कर देता है. चाय के शौकीन लोगों के लिए जरुरी है की वो किस प्रकार की चाय पी रहे है इसपर ध्यान दे. दूध वाली चाय, ग्रीन चाय या काली चाय सभी का अपना अपना स्वाद होता है. ये बात जानना बेहद है की सुबह खाली पेट दूध वाली चाय पीना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती है. इससे आपको डाईजेशन में तो समस्या होती ही है साथ ही और भी कई समस्या से दो चार होना पड़ता हैं. ऐसे में अगर आप दूध वाली चाय की जगह काली चाय पिएंगे तो ये आपकी सेहत के लिए काफी लाभदायक होगी. ब्लैक टी हृदय रोगों, दस्त, पाचन समस्याओं, हाई ब्लड प्रेशर, टाइप 2 शुगर और अस्थमा जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करती हैं. इसलिए हम आपको ब्लैक टी पीने के ऐसे चार फायदे बता रहे हैं, जिसके जरिए आप अपनी सेहत में सुधार कर सकते हैं और कई रोगों से दूर रहे सकते हैं.

शरीर की बदबू को दूर रखे ब्लैक टी

जिन्हें बहुत ज्यादा पसीना आता है और आपके आस-पास के लोग आपके पसीने की दुर्गंध से परेशान रहते हैं तो आपके लिए ब्लैक टी एक बेहद अच्छी है. ब्लैक टी बैक्टीरिया को पनपने नहीं देती, जिसके कारण पसीने से बदबू नहीं आती.

ब्लैक टी रखे टेंशन को रखे दूर

ब्लैक टी तनाव पैदा करने वाले हार्मोन के उत्पादन में कमी लाती है और इसे सामान्य बनाए रखने में सहायता करती है. एक अध्ययन के मुताबिक ब्लैक टी में मौजूद अमीनो एसिड और एल-थीनिन तनाव कम करता है और आपके शरीर को आराम भी देता है.

ब्लैक टी करें हृदय को बेहतर

शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है दिल. ब्लैक टी में मौजूद फ्लेवोन दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में बेहद उपयोगी है. वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि रोजाना तीन या उससे अधिक कप ब्लैक टी पीने से कोरोनरी हार्ट डिसीज का जोखिम कम हो जाता है. अगर आप भी अपनी डाइट में एंटीऑक्सिडेंट को शामिल करना चाहते हैं तो आप ब्लैक टी के साथ ऐसा कर सकते हैं.

शुगर को रखें दूर ब्लैक टी

मधुमेह(शुगर) एक ऐसी बीमारी है, जो सबसे तेजी से फैलने वाली बीमारियों में से एक है. मधुमेह का इलाज अगर प्रारंभिक चरण में हो तो इस रोग को प्रबंधित करना आसान होता है. हालांकि कुछ सावधानियों के साथ इस रोग का निदान आसान है. वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि ब्लैक टी टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम को कम करती है क्योंकि इसमें पाए जाने वाला कैटेचिन और थायफ्लाविंस शरीर के इंसुलिन स्तर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है.

बच्चों को रखें फोन से दूर

क्या आपका भी बच्चा फोन का आदि है अगर हां तो हो जाइए सावधान और अपने बच्चे को फोन का आदि बनने से बचाएं उन्हें फोन से दूर रखें. बच्चों को ज्यादा फोन देना आपके लिए और बच्चों के लिए दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं इसलिए कोशिश करें कि आपका बच्चा फोन से दूर रहे. अक्सर ऐसा होता है कि जब आपका बच्चा छोटा होता है वो रोता है तो आप उसे शांत कराने के लिए हाथ में फोन पकड़ा देते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है और आपके बच्चे के भविष्य के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. ऐसे कई दुष्परिणाम हैं जो आपको जानना आवश्यक है.

  • सबसे पहले तो आपका बच्चा फोन का आदि होने लगता है फिर वो बार-बार रोता है ताकि उसे फोन मिले और साथ ही फिर उसे बड़े होने पर भी जल्दी फोन चाहिए जबकि अभी वो उस लायक है भी नहीं कि उसके हाथ में फोन दे दिया जाए.
  • फोन देखते वक्त क्या पता आपका बच्चा कुछ ऐसा देख ले जो शायद उसे अभी नहीं देखना और समझना चाहिए क्योंकि हर चीज जानने और समझने का एक सही वक्त होता है. और आपका बच्चा वो देखकर आपसे सवाल कर बैठे तो आप उसका जवाब नहीं दे पाएंगे. और क्या पता किसी के सामने आपका बच्चा कुछ गलत कह दें.
  • ज्यादा फोन के इस्तेमाल से आपके बच्चे की आंखे भी खराब हो सकती हैं. कम उम्र में चश्मा लगना कोई बहुत सही चीज तो है नहीं. और फिर ये आपके बच्चें के भविष्य के लिए बिल्कुल ही अच्छा नहीं होगा. जैसे जैसे वो बड़ा होगा या होगी उसकी आंखों पर असर पड़ेगा. उसे पढ़ाई में दिक्कत हो सकती है. और फिर आजकल के बच्चे तो कम्प्यूटर भी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रहे कि इसमें आंखों की सेफ्टी का भी ध्यान रखें.
  • बच्चों के हांथ में मोबाइल तभी दें जब आपको लगे कि अब आपके बच्चें को सचमुच फोन की जरूरत है. ये नहीं कि कभी भी दे दिया. इसके कारण बच्चे कभी-कभी बिगड़ भी जाते हैं और भले ही फोन कई मामलों में अच्छा है लेकिन कभी-कभी बहुत घातक सिद्ध हो सकता है. आजकल तो क्राइम भी कितने हो रहें हैं. कहीं ऐसा ना हो कि आपका बच्चा उस क्राइम का शिकार हो जाए. इसलिए अपने बच्चे का ध्यान रखें और जितना हो सके उसे फोन से दूर रखें, जरूरत के समय उसके हाथ में फोन दें.
  • आजकल के बच्चों की तो पढ़ाई भी बिना फोन के नहीं होती है तो कोशिश करें कि जब आप अपने बच्चे को पढ़ाई से संबंधित कार्य के लिए फोन दे रहें हैं तो वो वही कर रहा है या फिर किसी गलत चीज का शिकार तो नहीं हो गया कुछ गलत तो नहीं कर रहा. एक अभिभावक होने के नाते ये आपका फर्ज है और कर्तव्य भी.
  • ज्यादा फोन इस्तेमाल करने से आपका बच्चा डिप्रेशन में होगा जब उसे फोन नहीं मिलेगा. उसका विकास रुक सकता है क्योंकि वो किसी पर ध्यान ही नहीं देगा तो अच्छा होगा कि आप अपने बच्चें को घर-परिवार से जोड़े, लोगों के साथ घुलने-मिलने दें ताकि वो फोन से दूर रहे.

बच्चों को इतनी ज्यादा लत हो जाती है फोन की कि उसके चक्कर में वो सोते भी नहीं हैं तो नींद पूरी ना होना और सिर दर्द होना तो बिल्कुल भी आपके बच्चे के लिए ठीक नहीं है. इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

Liver को हेल्दी बनाने के लिए अपनी डाइट में शामिल करें ये 7 चीजें

लिवर (Liver)  आपके शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है. यह पूरे शरीर को डिटाक्स करता है. अगर लीवर स्वस्थ और मजबूत रहता है तो आप भी स्वस्थ रहेंगे. तो आइए जानते हैं उन 7 चीजों के बारे में जो आपके लिवर को मजबूत बनाती हैं.

  1. लहसुन- लहसुन में एलिसिन कंपाउंड होता है जो पूरी बौडी को डिटाक्स करने के लिए जाना जाता है. लहसुन में एंटीऔक्सिडेंट और एंटीबायोटिक गुण भी होते हैं. ये लिवर को साफ और मजबूत बनाता है.

2. चकोतरा- चकोतरा में मौजूद एंटीऔक्सीडेंट इंफ्लेमेशन को कम करते हैं और लिवर कोशिकाओं की रक्षा करने में मदद करते हैं.

3. चुकंदर- चुकंदर  एंटीऔक्सीडेंट, मिनरल्स और विटामिन से भरपूर होता है. ये पित्त को बेहतर बनाता है और विषाक्त पदार्थों को बॉडी से बाहर निकालता है.

4. धनिया, हल्दी, अदरक का मिश्रण- धनिया, हल्दी, अदरक और सिंहपर्णी की जड़ों शक्तिशाली डिटौक्सिफायर माने जाते हैं. ये सारी जड़ी-बूटियां लिवर को मजबूत बनाती हैं.

5. कौफी- कौफी में मौजूद पालीफेनोल्स में एंटीऔक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सिरोसिस को बढ़ने से रोकते हैं और लिवर की रक्षा करते हैं.

6. बेरीज- क्रैनबेरी और ब्लूबेरी जैसे बेरीज में एंथोसायनिन होता है जो लिवर को किसी भी तरह के नुकसान से बचाता है. ये एंटीऑक्सीडेंट लिवर के इम्यून सिस्टम को भी सही रखता है.

भोजन से जुड़ी अच्छी आदतें

भोजन करना हमारी बुनियादी जरूरत है. इस के बगैर काम करने की हमारी ताकत पर बुरा असर पड़ता है. ज्यादा दिनों तक भूखा रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. क्या आप जानते हैं कि भोजन करना भी एक कला है और उस से जुड़ी कुछ आदतें ऐसी हैं, जो आप की सेहत बना सकती हैं:

1. भोजन करने से पहले अगर शौच की हाजत लगी है, तो उसे कर के ही भोजन करने बैठें. अगर पेशाब करने की इच्छा हो तो उसे कर लें.

2. भोजन करने से पहले साबुन से हाथ धोना बेहद जरूरी है.

3. भोजन तभी करें, जब जोरों की भूख लगी हो.

4.  भोजन को ठीक से चबा कर खाना चाहिए. जल्दबाजी में भोजन को निगल लेने से वह ठीक से पचेगा नहीं. यही नहीं, दांतों का काम आंतों को करना होगा. एक ग्रास को कम से कम 25 से 30 बार चबाना चाहिए.

5. भोजन के ग्रास छोटेछोटे लें, ताकि उन्हें खाने, चबाने में सुविधा रहे. बड़ेबड़े ग्रास ले कर खाना बेहूदगी है.

6. भोजन के पहले या भोजन के दौरान और भोजन के तुरंत बाद ढेर सारा पानी न पीएं. इस से भोजन को पचाने में दिक्कत होती है. जरूरत पड़ने पर भोजन के दौरान 1-2 घूंट पानी ले सकते हैं, वरना भोजन के एक घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए.

7. भोजन को शांत मन से करना चाहिए. जब आप दुखी हों, गुस्से या तनाव में हों, तब भोजन करने नहीं बैठना चाहिए. इस से न तो भोजन का स्वाद आएगा और न ही आप भरपेट भोजन कर सकेंगे.

8. एक ही बार में ठूंसठूंस कर खाने के बजाय हर 4 घंटे बाद थोड़ाथोड़ा खा लेना चाहिए. इस से पाचन सही रहता है और हर समय ऊर्जा बनी रहती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए तो टुकड़ेटुकड़े में भोजन करना बेहद जरूरी है. इस से उन की शुगर सामान्य स्तर पर बनी रह सकती है.

9.  अपने भोजन में सभी चीजों को शामिल करें. किसी पसंदीदा चीज को खाना व दूसरी चीजों को चखना तक मंजूर न होना, यह आदत ठीक नहीं. घर में जोकुछ बना हो, खाना चाहिए. इस से आप का भोजन पौष्टिक व संतुलित होगा.

10. शादीब्याह या पार्टी में जाएं तो व्यंजन को देख कर ललचाएं नहीं. स्वाद के बजाय सेहत पर ध्यान दें. उतना ही खाएं, जिसे आप पचा सकें.

11. भोजन करें तो उन चीजों से परहेज करें जो आप के लिए मना है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो मीठे से तोबा करें. अगर हाई ब्लडप्रैशर है तो नमक कम खाएं. दालसब्जियों में ऊपर से नमक न डालें. अगर दिल की बीमारी है तो ज्यादा वसा यानी फैट वाला भोजन न लें. इस के अलावा भी अगर फूड एलर्जी है तो ऐसी चीजों के सेवन से बचें.

12. भोजन एकांत में नहीं परिवार वालों के साथ करें, तो उस का मजा ही अलग है. टैलीविजन के सामने बैठ कर भोजन न करें.

13. भोजन हमेशा ताजा, पचने वाला करना चाहिए.

14. भोजन की थाली से बीच में उठ कर जाना ठीक नहीं. अगर कोई काम है तो पहले उसे निबटा लें.

15. भोजन चाहे घर में करें या बाहर, उतना ही थाली में लें, जितना खा सकें.

16. कोशिश करें कि रोजाना तय समय पर ही भोजन करें.

17. भोजन के ठीक पहले या तुरंत बाद चायकौफी, आइसक्रीम व कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस से पाचन क्रिया पर बुरा असर होता है.

18. भोजन हमेशा बैठ कर खाना चाहिए. खड़ेखड़े खाने की आदत ठीक नहीं है.

19. जहां तक मुमकिन हो, बाजार के खाने से बचें. मेले, ठेलों पर बिकने वाले चाटपकौड़ी या दूसरी चीजों का सेवन न करें, तो ही अच्छा है.

20. भोजन जैसा भी बना हो, उसे मन से खाएं. उस में मीनमेख न निकालें.

21. भोजन को इतमीनान से करें. उसे करने में 20 से 30 मिनट का समय लगना चाहिए. 5 मिनट में फटाफट खाने की आदत ठीक नहीं है.

22.  अगर भोजन करते समय खांसी आने लगे या ठसका लग जाए, तो वहां से उठ जाएं. राहत मिलने पर दोबारा भोजन शुरू करें.

23.  भूख से हमेशा थोड़ा कम खाएं, तो बेहतर रहेंगे. डट कर खाने से सुस्ती, आलस, घबराहट, बेचैनी वगैरह की शिकायत होगी.

24. अगर आप को एसिडिटी की शिकायत है, तो ज्यादा समय खाली पेट न रहें. नाश्ता जरूर लें. इस से एसिडिटी नहीं होगी.

25. भोजन करें तो 2 बेमेल चीजें एकसाथ न लें, जैसे खीर के साथ दही, अचार वगैरह का सेवन न करें.

26. अगर भोजन के पहले या उस के बाद कोई दवा लेना जरूरी है, तो उसे जरूर लें, खासतौर पर डायबिटीज के मरीज.

27. भोजन के बाद प्लेट या थाली में हाथ न धोएं. घर हो या बाहर, हर जगह इस बात का ध्यान रखना चाहिए.

28.  भोजन करने के फौरन बाद कड़ी मेहनत वाला काम नहीं करना चाहिए. भोजन के तुरंत बाद दौड़ना, तेज चलना, सीढि़यां चढ़ना, कसरत करना, जिस्मानी संबंध बनाना वगैरह काम नहीं करना चाहिए. इसी तरह भोजन के बाद मालिश करना, नहाना जैसे काम भी नहीं करने चाहिए.

29. भोजन करते ही सो जाना ठीक नहीं. दोपहर के भोजन के आधा घंटे बाद 20 मिनट की  झपकी ली जा सकती है. रात का भोजन करने के 2 घंटे बाद ही सोना चाहिए.

30.  भोजन के बाद ठीक से कुल्ला करना जरूरी है, ताकि दांतों में फंसे भोजन के कण बाहर निकल जाएं और बदबू पैदा न करें. रात के भोजन के बाद ब्रश कर के ही सोना चाहिए.

स्किन के लिए भी फायदेमंद है केले से जुड़े ये 5 टिप्स

केला एक ऐसा फल है जो अकसर सभी को पसंद आता है. वजन घटाने से लेकर वजन बढ़ाने तक ये फल काफी हेल्प करता है. पर सेहत के साथ-साथ ये आपकी स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है. ब्रेकफास्ट टेबल पर केले लगभग हर घर में होते हैं. पर क्या केले खाने के बाद आप भी इसका छिलका डस्टबिन में डाल देते हैं?

अगर ऐसा करते है तो अगली बार ये करने से पहले ये जान लें कि स्किन के लिए केला उतने ही फायदेमंद हैं जितना कि कोई भी अच्छा फेशियल. लड़को की स्किन वैसे भी लड़कियों के मुकाबले ज्यादा रफ होती है ऐसे में उनको ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है. इसलिए आज हम लेकर आए हैं आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें आजमाकर स्किन में ग्लो आएगा और साथ ही कई तरह की स्किन प्रौबलम्स से भी निजात मिलेगा.

केले के 5 टिप्स

1. छिलके के भीतरी हिस्से को चेहरे और गर्दन पर रगड़ें और लगभग आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें. रेगुलर करने पर इससे झुर्रियां खत्म हो जाएंगी.

2. केले में एंटीऔक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाते हैं और त्वचा में चमक लाते हैं. ये एंटी-एजिंग क्रीम से ज्यादा असरदार होते हैं.

3. केले के छिलके से सफेद रेशे को निकालकर एलोवेरा जेल में मिलाएं और आंखों के आसपास लगाएं. ऐसा करने से डार्क सर्कल्स कम होंगे.

4. छिलके का एक छोटा टुकड़ा काट लें और इसे एक्ने प्रोन स्किन पर धीरे-धीरे रगड़ें. 10 मिनट तक ऐसा करें और फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.

5. केले के छिलके को मस्से पर लगाने से मस्से दब जाते हैं और नए नहीं निकलते. इसके लिए छिलके की भीतरी परत को त्वचा पर मलें.

तो ये है केले के 5 टिप्स जिसे आप यूज कर अपने चहरे को निखार सकते है.

इन सब्जियों और फलों से रखें खुद को स्वस्थ

अगर आप भी अच्छा दिखना चाहते है और स्वस्थ रहना चाहते है तो इसके लिए जिम में पसीना बहाने की जरुरत नही है. कुछ नेचुरल चीजें खाकर भी आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकते है. पर किसी किसी को आदत जिम में जाकर खुद को फिट रखने की इसके लिए डाइट भी काफी अहम रोल प्रे करती है. मेहनत वाला काम है या आप किसी खेल से जुड़े है तो आपको अपनी सेहत का और विशेषकर अपनी डाइट का अच्छे से देखभाल करना चाहिए. शरीर को अच्छी तरह काम करने के लिए ढेर सारे तत्वों की जरूरत होती है जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स और फैट. ये सभी तत्व आपको किसी प्रोटीन पाउडर या मल्टी विटामिन कैप्सूल से नहीं, बल्कि फल और सब्जियों से मिलेंगे.

1. पालक के फायदे है अनेक

पालक हरी पत्तेदार सब्जियों में सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें ढेर सारे मिनरल्स होते हैं. पालक कैल्शियम, विटामिन सी, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है. जिम जाने वालों के साथ-साथ सामान्य लोगों के लिए भी बहुत जरूरी हैं. पालक में विटामिन के भी अच्छी मात्रा में होता है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखता है.

2. चुकंदर खाएं सेहत बनाएं

चुकंदर नाइट्रेट का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसके सेवन से शरीर में रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) अच्छा रहता है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक औक्सीजन और दूसरे पोषक तत्व आसानी से पहुंच जाते हैं. आप चाहें तो चुकंदर के साथ दूसरी ढेर सारी सब्जियों को मिलाकर इसका जूस बनाकर पी सकते हैं.

3. मशरूम से फिट को कहे बाय बाय

मशरूम विटामिन डी का बहुत अच्छा स्रोत है. आप जो भी कैल्शियम खाते हैं, उसे एब्जौर्ब करने के लिए शरीर में विटामिन डी बहुत जरूरी है. विटामिन डी मसल्स बनाने के लिए भी जाना जाता है. मशरूम में कैलोरीज बहुत कम होती हैं. 1 कप कटे हुए मशरूम में सिर्फ 15 कैलोरीज होती हैं और इसमें फैट बिल्कुल नहीं होता है.

4. केला है फायदेमंद

केला शरीर को बहुत जल्दी एनर्जी देता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट्स ज्यादा होते हैं. केला जल्दी पच जाता है और आपके पेट को देर तक भरा रखता है. खेल खेलने के दौरान या जिम में एक्सरसाइज के दौरान आपके शरीर को ऊर्जा (एनर्जी) की जरूरत होती है, ऐसे में आप केला खा सकते हैं. खेल और एक्सरसाइज के दौरान शरीर से पसीना निकलता है और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है. केले में पोटैशियम भरपूर होता है, जो एक तरह का इलेक्ट्रोलाइट है.

5. संतरा है सेहत के लिए जरूरी

एक्सरसाइज या खेल के दौरान आपकी मांसपेशियां थक जाती हैं और एनर्जी कम हो जाती है. संतरे में भरपूर विटामिन सी होता है, जो इन दोनों परेशानियों से आपको बचाता है. इसके अलावा विटामिन सी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है. संतरे में फाइबर भी भरपूर होता है, जो आपके पाचन और पेट को दुरुस्त रखता है.

6. चेरी भी है सेहत के लिए खास

चेरी में एंटऔक्सीडेंट्स बहुत ज्यादा होते हैं. इनमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट आपकी मांसपेशियों में होने वाली सूजन को रोकते हैं और दर्द को कम करते हैं. एक्सरसाइज के बात चेरी का सेवन जरूर करना चाहिए. आप चेरीज को ऐसे ही खा सकते हैं या आप चाहें तो इसकी समूदी या शेक बनाकर भी पी सकते हैं.

तो ये थे वो कुछ फल और सब्जियां जिसे आप अपने खाने में इस्तेमाल करके रह सकते है फिटनेस फ्रीक.

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