वेणी शंकर पटेल ‘ब्रज’
धर्मराज ने सपना की पीठ पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘5 मंगलवार नियमित रूप से दरबार में हाजिरी लगाओ. मन की हर मुराद पूरी होगी.’’ धर्मराज ने उन्हें प्रसाद दिया और इस के बाद दूसरे भक्तों की परेशानियां सुनने लगे. अपनी सूनी गोद भरने की आस में सपना और सुभाष अब हर मंगलवार को दरबार में हाजिरी लगाने लगे. चौथे मंगलवार को धर्मराज स्वामी ने उन्हें बताया, ‘‘संतान की प्राप्ति के लिए आखिरी मंगलवार को विशेष पूजा करनी पड़ेगी. इस से तुम्हारी मनोकामना पूरी हो जाएगी.’’
दरबार में रहने वाली आरती नाम की सेवादार ने सपना को बताया कि 5वें मंगलवार को रात के एकांत में स्वामीजी तांत्रिक साधना करेंगे, उस दौरान तुम्हें पूरी तरह निर्वस्त्र रहना होगा. तांत्रिक की इस साधना को कोई भी दूसरा इनसान देख नहीं सकेगा. आरती की बताई बातों से सुभाष को तो पूरी तरह से यकीन हो गया था कि यह धर्मराज धर्म की आड़ में औरतों की मजबूरियों का फायदा उठा कर जरूर उन की आबरू से खेल रहा है. सपना को भी समझ आ रहा था कि अगले मंगलवार को यह ढोंगी बाबा उस की इज्जत से खेलने का सपना देख रहा है, मगर वह औलाद की चाह में इस तरह पागल हो गई थी कि धर्मराज के आगे कुछ भी करने को तैयार थी. वह किसी भी तरह एक बच्चा पैदा कर के समाज के मुंह पर तमाचा मारना चाहती थी.
आखिरी मंगलवार को सपना और सुभाष धर्मराज के दरबार में पहुंच गए. धर्मराज महाराज के हाथों में नारियल देते हुए सपना ने जैसे ही उन के पैर छुए, धर्मराज ने सपना को ललचाई नजरों से देख कर कहा, ‘‘संतान की प्राप्ति के लिए रात में कुछ घंटे एकांत में तंत्र साधना करनी पड़ेगी. शर्त यह है कि इस तांत्रिक अनुष्ठान को कोई देख नहीं सकता.’’
सुभाष और सपना धर्मराज की बात मानने को राजी हो गए. रात के तकरीबन 11 बज चुके थे. मंदिर में बाबा धर्मराज का एक आलीशान कमरा था, जिस में सभी आधुनिक सुखसुविधाएं मौजूद थीं. धर्मराज के सेवादारों ने सुभाष और सपना के लिए कमरे में ही भोजनपानी का इंतजाम कर दिया था और रात के 12 बजते ही धर्मराज की सेवादार आरती सपना को तांत्रिक साधना के लिए धर्मराज के कमरे में ले आई. कमरे के अंदर पहुंची सपना ने देखा कि एक लग्जरी सोफे पर धर्मराज बैठा हुआ मोबाइल फोन पर किसी से बात कर रहा था.
सपना के अंदर पहुंचते ही बाबा ने उसे सोफे पर बैठने का इशारा किया. कुछ ही देर में आरती ने गिलास में पानी भर कर धर्मराज को दिया, जिसे उस ने कुछ मंत्र बुदबुदा कर सपना को दे दिया और आरती को बाहर जाने का इशारा किया. फिर वह पूजापाठ की तैयारी का नाटक करने लगा. कुछ ही देर में सपना ने महसूस किया कि उसे नशा छाने लगा है. इस के बाद धर्मराज के अंदर का शैतान जाग गया. उस ने सपना को सोफे से उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और धीरेधीरे उस के हाथ सपना के जिस्म पर रेंगने लगे.
सपना पर नशे का असर इस कदर हावी था कि वह विरोध नहीं कर पा रही थी. सपना के खिले हुए बदन को देख कर धर्मराज के अंदर की हवस ज्वाला की तरह भड़क उठी. धीरेधीरे उस ने सपना को निर्वस्त्र कर दिया था. धर्मराज के शरीर में उठा हवस का तूफान जब तक शांत नहीं हुआ, तब तक वह सपना के जिस्म के साथ खेलता रहा. सपना की आंखों से जब नशे की खुमारी दूर हुई, तो उस ने अपनेआप को अधनंगी हालत में पाया. बदहवास सी बिस्तर पर पड़े अपने कपड़ों को बदन पर लपेटते हुए वह अपनेआप को ठगा सा महसूस कर रही थी. उस के करीब लेटा हुआ धर्मराज अपनी कुटिल मुसकान के साथ उस से कह रहा था, ‘‘अब तुम्हारी गोद सूनी नहीं रहेगी.’’
उस ने सपना को अपना मोबाइल फोन दिखाते हुए कहा, ‘‘हमारे बीच जोकुछ भी हुआ है, वह मोबाइल के कैमरे में कैद है. अगर तुम्हें संतान सुख हासिल करना है, तो किसी को कुछ नहीं बताओगी…’’ उस ने सपना को आगे भी उस की खिदमत में दरबार आते रहने की हिदायत भी दी. अपना सबकुछ लुटा चुकी सपना रात के तकरीबन 2 बजे धर्मराज के कमरे से बाहर निकल कर सीधे सुभाष के पास पहुंची. मन में औलाद की चाह लिए अपने दर्द को छिपाते हुए सुभाष के पूछने पर उस ने केवल यही बताया कि धर्मराज स्वामी द्वारा की गई तांत्रिक साधना सफल रही है.
एकएक दिन गिन रही सपना को अगले महीने जब समय पर माहवारी नहीं हुई, तो उस की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसे अपनी इज्जत लुटने के दुख से ज्यादा अपने मां बनने की खुशी थी. अगले हफ्ते जब सपना के प्रैग्नैंसी टैस्ट की रिपोर्ट पौजिटिव आई, तो सुभाष और उस की मां भी खुशी से फूले नहीं समा रहे थे. आसपड़ोस में धर्मराज स्वामी के प्रसाद का गुणगान चल रहा था. इधर सपना का पूरा ध्यान अपने होने वाले बच्चे की सेहत पर था, मगर धर्मराज स्वामी के दरबार से उसे फोन आने लगे थे.
धर्मराज उसे अब उस के साथ बनाए संबंधों का वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर फिर से संबंध बनाने के लिए दरबार बुला रहा था. सपना की कोख में धर्मराज का बच्चा पल रह था, इसलिए उस ने सोचा कि धर्मराज को अभी नाराज न किया जाए, मगर वह दोबारा अपना जिस्म भी उसे नहीं सौंपना चाहती थी. धर्मराज सपना को हर हाल में वापस बुला कर उस के साथ रंगरलियां मनाना चाहता था.
एक दिन धर्मराज ने सपना के मोबाइल पर वही वीडियो भेज कर धमकी दे दी कि अगर वह उस के दरबार में नहीं आई, तो इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर देंगे. दिमाग से तेज सपना ने इस वीडियो से घबराने के बजाय इसे अपनी ढाल बना लिया. उस ने फोन कर के धर्मराज को उलटा ही धमका दिया, ‘‘मैं इस वीडियो को वायरल कर के समाज को बता दूंगी कि धर्म की आड़ में तू पाखंड की दुकान चला रहा है.’’
धर्मराज को सपना से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. सपना को दरबार बुलाने की ख्वाहिश रखने वाला धर्मराज अब सपना के फोन से घबराने लगा था. उसे यह डर सताने लगा था कि कहीं सपना उस वीडियो के जरीए उस का भांडा न फोड़ दे, इसलिए धर्मराज उस पर वीडियो को डिलीट करने का दबाव बनाने लगा. धर्मराज के चेले आएदिन उसे धमकाने लगे, तो इस बात को ले कर सपना परेशान रहने लगी, मगर वह आसानी से हार मानने वाली नहीं थी.
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