‘‘मुझे भी अच्छी नहीं लगती.’’ अनुष्का ने कहा.
‘‘बस, तो फिर हम सब उस से बात नहीं करेंगे.’’
‘‘पापा कहेंगे, तब भी?’’ मनु और अनुष्का ने एक साथ पूछा.
‘‘हां, तब भी बात नहीं करेंगे. उसे देख कर हंसना भी नहीं है, न ही उसे कुछ देना है. उस से कुछ मांगना भी नहीं है. यही नहीं, उस की ओर देखना भी नहीं है. समझ गए न?’’
‘‘हां, समझ गए.’’ मनु और अनुष्का ने एक साथ कहा, ‘‘पर दादी मां कहेंगी कि उसे बुलाओ तो...’’
‘‘तब देखा जाएगा. दोनों ध्यान रखना, हमें उस से बिलकुल बात नहीं करनी है.’’
‘‘पापा, इसे क्यों ले आए?’’ मासूम अनुष्का ने पूछा.
‘‘पता नहीं.’’ ऋजुता ने लापरवाही से कहा.
‘‘दीदी, एक बात कहूं, मुझे तो अब पापा भी अच्छे नहीं लगते.’’
‘‘मुझे भी,’’ मनु ने कहा. मनु ने यह बात कही जरूर, पर उसे पापा अच्छे लगते थे. वह उस से बहुत प्यार करते थे. उस की हर इच्छा पूरी करते थे. पर दोनों बहनें कह रही थीं, इसलिए उस ने भी कह दिया. इतना ही नहीं, उस ने आगे भी कहा, ‘‘दीदी, अब यहां रहने का मन नहीं होता.’’
‘‘फिर भी रहना तो पड़ेगा ही. अच्छा, चलो अब सो जाओ.’’
‘‘मैं तुम्हारे पास सो जाऊं दीदी?’’ अनुष्का ने पूछा.
‘‘लात तो नहीं मारेगी?’’
‘‘नहीं मारूंगी.’’ कह कर वह ऋजुता का हाथ पकड़ कर क्षण भर में सो गई.
ऋजुता को अनुष्का का इस तरह सो जाना अच्छा नहीं लगा. घर में इतनी बड़ी घटना घटी है, फिर भी यह इस तरह निश्चिंत हो कर सो गई. कुछ भी हो, 17-18 साल की एक लड़की पूरी रात तो नहीं जाग सकती थी. वह भी थोड़ी देर में सो गई.
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