फोन पर ‘हैलो’ सुनते ही अंजलि ने अपने पति राजेश की आवाज पहचान ली.
राजेश ने अपनी बेटी शिखा का हालचाल जानने के बाद तनाव भरे स्वर में पूछा, ‘‘तुम यहां कब लौट रही हो?’’
‘‘मेरा जवाब आप को मालूम है,’’ अंजलि की आवाज में दुख, शिकायत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभरे.
‘‘तुम अपनी मूर्खता छोड़ दो.’’
‘‘आप ही मेरी भावनाओं को समझ कर सही कदम क्यों नहीं उठा लेते हो?’’
‘‘तुम्हारे दिमाग में घुसे बेबुनियाद शक का इलाज कर ने को मैं गलत कदम नहीं उठाऊंगा…अपने बिजनेस को चौपट नहीं करूंगा, अंजलि.’’
‘‘मेरा शक बेबुनियाद नहीं है. मैं जो कहती हूं, उसे सारी दुनिया सच मानती है.’’
‘‘तो तुम नहीं लौट रही हो?’’ राजेश चिढ़ कर बोला.
‘‘नहीं, जब तक…’’
‘‘तब मेरी चेतावनी भी ध्यान से सुनो, अंजलि,’’ उसे बीच में टोकते हुए राजेश की आवाज में धमकी के भाव उभरे, ‘‘मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा. अगर तुम फौरन नहीं लौटीं तो…तो मैं कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दूंगा. आखिर, इनसान की सहने की भी एक सीमा…’’
अंजलि ने फोन रख कर संबंधविच्छेद कर दिया. राजेश ने पहली बार तलाक लेने की धमकी दी थी. उस की आंखों में अपनी बेबसी को महसूस करते हुए आंसू आ गए. वह चाहती भी तो आगे राजेश से वार्तालाप न कर पाती क्योंकि उस के रुंधे गले से आवाज नहीं निकलती.
शिखा अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी. अंजलि के मातापिता अपने कमरे में आराम कर रहे थे. अपनी चिंता, दुख और शिकायत भरी नाराजगी से प्रभावित हो कर वह बिना किसी रुकावट के कुछ देर खूब रोई.
रोने से उस का मन उदास और बोझिल हो गया. एक थकी सी गहरी आस छोड़ते हुए वह उठी और फोन के पास पहुंच कर अपनी सहेली वंदना का नंबर मिलाया.
राजेश से मिली तलाक की धमकी के बारे में जान कर वंदना ने उसे आश्वासन दिया, ‘‘तू रोनाधोना बंद कर, अंजलि. मेरे साहब घर पर ही हैं. हम दोनों घंटे भर के अंदर तुझ से मिलने आते हैं. आगे क्या करना है, इस की चर्चा आमने- सामने बैठ कर करेंगे. फिक्र मत कर, सब ठीक हो जाएगा.’’
वंदना उस के बचपन की सब से अच्छी सहेली थी. उस का व उस के पति कमल का अंजलि को बहुत सहारा था. उन दोनों के साथ अपने सुखदुख बांट कर ही पति से दूर वह मायके में रह रही थी. अपना मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए अंजलि जो बात अपने मातापिता से नहीं कह पाती, वह इन दोनों से बेहिचक कह देती.
राजेश से फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा अंजलि से सुन कर वंदना चिंतित हो उठी तो उस के पति कमल की आंखों में गुस्से के भाव उभरे.
‘‘अंजलि, कोई चोर कोतवाल को उलटा नहीं धमका सकता है. राजेश को तलाक की धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वह ऐसा करता है तो समाज उसी के नाम पर थूथू करेगा,’’ कमल ने आवेश भरे लहजे में अपनी राय बताई.
‘‘मेरी समझ से हमें टकराव का रास्ता छोड़ कर राजेश से बात करनी चाहिए,’’ चिंता के मारे अपनी उंगलियां मरोड़ते हुए वंदना ने अपने मन की बात कही.
‘‘राजेश से बातचीत करने को अगर अंजलि उस के पास लौट गई तो वह अपने दोस्त की विधवा के प्रेमजाल से कभी नहीं निकलेगा. उस पर संबंध तोड़ने को दबाव बनाए रखने के लिए अंजलि का यहां रहना जरूरी है.’’
‘‘अगर राजेश ने सचमुच तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी तो क्या करेंगे हम? तब भी तो अंजलि
को मजबूरन वापस लौटना पडे़गा न.’’
‘‘मैं नहीं लौटूंगी,’’ अंजलि ने सख्त लहजे में उन दोनों को अपना फैसला सुनाया, ‘‘मैं 2 महीने अलग रह सकती हूं तो जिंदगी भर को भी अलग रह लूंगी. मैं जब चाहूं तब अध्यापिका की नौकरी पा सकती हूं. शिखा को पालना मेरे लिए समस्या नहीं बनेगा. एक बात मेरे सामने बिलकुल साफ है. अगर राजेश ने उस विधवा सीमा से अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंध बिलकुल समाप्त नहीं किए तो वह मुझे खो देंगे.’’
वंदना व कमल कुछ प्रतिक्रिया दर्शाते, उस से पहले ही बाहर से किसी ने घंटी बजाई. अंजलि ने दरवाजा खोला तो सामने अपनी 16 साल की बेटी शिखा को खड़ा पाया.
‘‘वंदना आंटी और कमल अंकल आए हुए हैं. तुम उन के पास कुछ देर बैठो, तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना लगा लाती हूं,’’ भावुकता की शिकार बनी अंजलि ने प्यार से अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रखा.
‘‘मेरा मूड नहीं है, किसी से खामखां सिर मारने का. जब भूख होगी, मैं खाना खुद ही गरम कर के खा लूंगी,’’ बड़ी रुखाई से जवाब देने के बाद साफ तौर पर चिढ़ी व नाराज सी नजर आ रही शिखा अपने कमरे में जा घुसी.
अंजलि को उस का अचानक बदला व्यवहार बिलकुल समझ में नहीं आया. उस ने परेशान अंदाज में इस की चर्चा वंदना और कमल से की.
‘‘शिखा छोटी बच्ची नहीं है,’’ वंदना की आंखों में चिंता के बादल और ज्यादा गहरा उठे, ‘‘अपने मातापिता के बीच की अनबन जरूर उस के मन की सुखशांति को प्रभावित कर रही है. उस के अच्छे भविष्य की खातिर भी हमें समस्या का समाधान जल्दी करना होगा.’’
‘‘वंदना ठीक कह रही है, अंजलि,’’ कमल ने गंभीर लहजे में कहा, ‘‘तुम शिखा से अपने दिल की बात खुल कर कहो और उस के मन की बातें सहनशीलता से सुनो. मेरी समझ से हमारे जाने के बाद आज ही तुम यह काम करना. कोई समस्या आएगी तो वंदना और मैं भी उस से बात करेंगे. उस की टेंशन दूर करना हम सब की जिम्मेदारी है.’’
उन दोनों के विदा होने तक अपनी समस्या को हल करने का कोई पक्का रास्ता अंजलि के हाथ नहीं आया था. अपनी बेटी से खुल कर बात करने के इरादे से जब उस ने शिखा के कमरे में कदम रखा, तब वह बेचैनी और चिंता का शिकार बनी हुई थी.
‘‘क्या बात है? क्यों मूड खराब है तेरा?’’ अंजलि ने कई बार ऐसे सवालों को घुमाफिरा कर पूछा, पर शिखा गुमसुम सी बनी रही.
‘‘अगर मुझे तू कुछ बताना नहीं चाहती है तो वंदना आंटी और कमल अंकल से अपने दिल की बात कह दे,’’ अंजलि की इस सलाह का शिखा पर अप्रत्याशित असर हुआ.
‘‘भाड़ में गए कमल अंकल. जिस आदमी की शक्ल से मुझे नफरत है, उस से बात करने की सलाह आज मुझे मत दें,’’ शिखा किसी ज्वालामुखी की तरह अचानक फट पड़ी.