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मात्र 24 साल की छोेटी सी उम्र में वह 2 बड़े हादसे झेल चुकी थी. पहली घटना उस के साथ 20 वर्ष की उम्र में घटी थी. तब वह बीकौम कर रही थी. उम्र के इस पड़ाव में युवाओं का किसी के प्यार में पड़ना आम बात होती है. आधुनिक शिक्षा व पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और समाज की बेडि़यों में ढीलापन होने के कारण युवा आपस में बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं. उन के  संबंध जितनी तीव्रता से परवान चढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से टूटते भी हैं. कच्ची उम्र की सोच भी कच्ची होती है और इस उम्र में युवाओं के लिए सही निर्णय लेना लगभग असभंव होता है.

मिलिंद उस का पहला प्यार था. वह भी उसी के कालेज में पढ़ता था और एक साल सीनियर था. पढ़ाई के दौरान होने वाला प्यार मात्र मौजमस्ती के लिए होता है. यह सारे युवा जानते हैं. एकदूसरे को भरोसे में लेने के लिए वे बड़ेबड़े वादे करते हैं, लेकिन जब उन के बीच शारीरिक संबंध कायम हो जाते हैं, तो उस के बाद सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं. तब प्यार के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं. फिर प्यार में कटुता पनपती है, दूरियां बढ़ती हैं और कई बार इस की परिणति बहुत दुखद होती है.

मिलिंद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे पता चला कि वह एक बदमाश किस्म का युवक है. छोटीमोटी लूटपाट, मारपीट ही नहीं, वह युवतियों के साथ जोरजबरदस्ती भी करता था. जो युवती उस के झांसे में नहीं आती, उसे वह अपने मित्रों के माध्यम से अगवा कर उस की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करता. कालेज में वह बहुत बदनाम था, लेकिन किसी युवती ने अभी तक उस पर कोईर् दोष नहीं मढ़ा था, इसीलिए उस की हिम्मत दिनोदिन बढ़ती जा रही थी.

नित्या के लिए यह स्थिति बहुत कष्टकारी थी. न तो वह किसी को अपनी मनोस्थिति बता सकती थी और न ही किसी से सलाह ले सकती थी. मिलिंद के चंगुल से निकल भागने का कोई उपाय उसे नहीं सूझ रहा था.

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लेकिन परिस्थितियों ने उस का साथ दिया. चूंकि मिलिंद नित नई युवतियों पर फिदा होने वाला युवक था, नित्या से उस ने खुद ही दूरियां बनानी शुरू कर दीं. वह मन ही मन बड़ी खुश हुई. धीरेधीरे एक साल बीत गया और नित्या ने बीकौम भी कर लिया.

अगले साल उस ने मांबाप को मना कर दूसरे शहर में एमबीए जौइन कर लिया. होस्टल में जगह न मिलने के कारण पेइंगगैस्ट के रूप में एक कमरा किराए पर ले कर रहने लगी. पैसा बचाने के लिए उस ने अपना रूम एक दूसरी युवती के साथ शेयर कर लिया. सुरक्षा की दृष्टि से भी यह जरूरी था.

नए शहर में आ कर नित्या ने ठान लिया था कि वह किसी लफड़े में नहीं पड़ेगी. बस, अपनी पढ़ाई पर ध्यान देगी. लेकिन जहां खुला माहौल हो, भंवरे और तितलियां एक ही बाग में स्वछंद घूमफिर रहे हों, प्रकृति का रोमांच उन के दिलों को गुदगुदा रहा हो, तो वसंत के फूलों की सुगंध से वे कैसे बच सकते हैं और मधुमास के अभिसार से अछूते कैसे रह सकते हैं. पेड़पौधों और फूलपत्तों पर जब वसंत का निखार आता है, तो जवां दिल एक हुए बिना नहीं रह सकते.

वह बहुत सोचसमझ कर जीवन के अगले चरण में अपने कदम रख रही थी. उस की रूममेट शिखा बहुत बातूनी और चंचल थी. वह हर वक्त प्यारमुहब्बत की बातें करती रहती थी. नित्या उस की बातें सुन हलके से मुसकरा भर देती या उसे झिड़क देती, ‘‘अब बस कर, कुछ पढ़ाई की तरफ भी ध्यान दे ले.’’

‘‘पढ़ाई कर के क्या मिलेगा? अंत में शादी ही तो करनी है. अभी जवानी है, प्यार का मौसम है, तो क्यों न उस का भरपूर मजा लिया जाए?’’ वह अंगड़ाई ले कर कहती.

नित्या बस, मुसकरा कर रह जाती. प्यार के खेल की वह पुरानी खिलाड़ी थी, लेकिन उस ने शिखा को अपने पहले प्यार के बारे में कुछ नहीं बताया था. वह उन

कड़वी यादों को अपने दिल से निकाल देना चाहती थी.

यों ही हंसीमजाक में दिन गुजरते रहे. एक दिन शिखा ने पूछ ही लिया, ‘‘नित्या, सचसच बता, क्या तेरे मन में प्यार की भावना नहीं उमड़ती या तेरे साथ कोई हादसा हुआ है, जो तू प्यार के नाम से बिदकती है?’’

नित्या चौंक गई, क्या शिखा को उस के बारे में कुछ पता चल गया है या वह केवल कयास लगा रही है. उस ने कहा, ‘‘तू क्या समझती है, सारी युवतियां एकजैसी होती हैं? मेरा एक लक्ष्य है. मुझे पढ़ाईर् कर के मांबाप के सपनों को पूरा करना है.’’

‘‘बस कर, तू मुझे क्यों बना रही है? प्यार के मामले में सारी युवतियां एकजैसी होती हैं. जवान होने से पहले ही चारा खाने के लिए उतावली रहती हैं. मुझे तो लगता है, तूने चारा खा लिया है. अब बन रही है.’’

‘‘मैं ने क्या किया है या क्या करूंगी, यह तू मेरे ऊपर छोड़ दे. तू अपनी सोच,’’ नित्या ने बात को टालने का प्रयास किया.

शिखा लापरवाही से बोली, ‘‘मुझे अपने बारे में क्या सोचना? मैं ने तो अपना बौयफ्रैंड बना भी लिया है. तू अपनी फिक्र कर…’’ उस के चहरे से खुशी टपक रही थी, हृदय उछल रहा था. सपनों के उड़नखटोले में बैठ कर वह किसी और ही दुनिया में विचरण कर रही थी.

नित्या को उस के बौयफ्रैंड के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं थी, लेकिन एक कसक सी उस के मन में उठी. प्यार में ठोकर न खाई होती तो उस का भी कोई बौयफ्रैंड होता. उसे शिखा से जलन हुई. परंतु फिर उस ने अपना मन कड़ा किया. क्या फिर से आग में कूदने का इरादा है. शिखा को जो करना है, करे. वह अपने पथ पर अडिग रहेगी. पुरानी चोट क्या इतनी जल्दी भूल जाएगी?

लेकिन एक जवान युवती, जब घर से दूर अकेली रहती है, तो उस की भावनाएं बेलगाम हो जाती हैं. वह केवल अपने लक्ष्य पर ही ध्यान केंद्रित नहीं रख पाती. दूसरी चीजें भी उसे प्रलोभित करती हैं. कोई भी युवा अपने मन को चंचल होने से नहीं रोक सकता. नित्या भी अपने हृदय की भावनाओं और मन की चंचलता को दबाने का प्रयास करती, लेकिन शिखा की बातें सुनसुन कर वह मन से कमजोर पड़ने लगी थी. जब भी शिखा उस से अपने अफेयर और बौयफ्रैंड के बारे में बात करती तो उस के हृदय में कांटे से गड़ने लगते. सोचती, इतनी सुंदर दुनिया में वह अकेले ही चलने के लिए क्यों मजबूर है? यह उम्र क्या तनहाइयों में आहें भरने के लिए होती है?

कालेज में हर दूसरी युवती अपने बौयफ्रैंड के साथ नजर आती. एक बस वही अकेली थी. कितना खराब लगता था उसे. उस की फ्रैंड्स उसे चिढ़ातीं, ‘‘यह देखो, ठूंठ, इस पर जवानी का फूल अभी तक नहीं खिला है.’’

धीरेधीरे उस का मन विचलित होने लगा. पुरानी कड़वी यादें समय की परतों के नीचे दब सी गईं. नई भावनाओं ने जल की लहरों की तरह उस के हृदय में उछाल लेना शुरू कर दिया, जैसे कोई नया तूफान आने वाला था. नए तूफान को रोकने का उस ने प्रयास नहीं किया, वह कमजोर हो गई थी. प्यार के मामले में हर युवती बहुत कमजोर होती है. प्यार के नाम पर कोई भी युवक उसे किसी भी तरफ झुका सकता है. नित्या दूसरी बार झुकने के लिए अपने मन को तैयार कर रही थी.

सहेलियों के बीच वह एक ठूंठ सिद्ध हो चुकी थी. उस ने तय कर लिया, अब वह फूल की तरह कोमल बन कर दिखाएगी. उस ने अपने दिमाग को इधरउधर दौड़ाया. कई युवकों के चेहरे उस के मस्तिष्कपटल पर दौड़ने लगे, लेकिन उस ने तय किया कि वह किसी क्लासमेट या कालेज के किसी युवक से दोस्ती नहीं करेगी. मिलिंद भी उस के कालेज का लड़का था, वह कितना छिछोरा और बदमाश निकला. इस बार वह किसी नौकरीशुदा व्यक्ति से दोस्ती करेगी.

उस ने अपना मन अपने मकान में रहने वाले किराएदारों की तरफ केंद्रित किया. जिस मकान में वह रहती थी, उस में कई किराएदार थे. ज्यादातर कालेज की युवतियां थीं, कुछ आईटी प्रोफैशनल भी थे. कुछ अन्य नौकरी करने वाले थे. राहुल नित्या के कमरे के बिलकुल सामने रहता था. वह जब भी सामने पड़ता, उसे देख कर मुसकरा देता. पहले वह तटस्थ रहती थी, लेकिन जब उस के मन की भावनाओं ने पंख फैलाने शुरू किए, तो उस के होंठों पर भी मुसकान की मीठी झलक दिखाई देने लगी. युवकयुवती के बीच एक बार मुसकान का आदानप्रदान हो जाए, तो दूरियां कम होने में वक्त नहीं लगता.

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राहुल से रिश्ता बनाते समय उसे तनिक भी खयाल नहीं आया कि वह एक बार प्यार में धोखा खा चुकी है. इस बार ठोंकबजा कर राहुल को परख ले, जब प्यार की चिनगारी हृदय को जलाने लगती है, तो सारी सावधानी और समझदारी धरी की धरी रह जाती है.

बात बढ़ी, तो बढ़ती ही चली गई. दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे, इसलिए उन के मिलने में कोई व्यवधान भी नहीं था. स्वच्छंद रूप से दिनरात जब भी मन करता, वे मिल लेते. उन के बीच की सारी दूरियां बिना किसी देरी के समाप्त हो गईं.

शिखा को उस के अफेयर के बारे में पता चलते देर न लगी. पूछा, ‘‘नित्या, तू तो बड़ी तेज निकली. इतनी जल्दी बौयफ्रैंड बना लिया. कल तक तो प्रेम के नाम पर नाकभौं सिकोड़ती थी.’’

नित्या ने सिर झटकते हुए कहा, ‘‘क्यों, क्या मैं प्यार नहीं कर सकती? आखिर सामान्य युवती हूं. मन में भावनाएं हैं, इच्छाएं हैं और हृदय में कामनाएं मचलती हैं. जब तक मन का दरवाजा नहीं खुलता, बाहर की हवा की सुगंध मनमस्तिष्क में नहीं घुसती, तब तक कामदेव के बाण किसी को घायल नहीं करते. मैं ने भी तुझ से सीख ले कर मन की आंखें खोल दीं, हृदयपटल को खोल कर ‘उसे’ प्रवेश करने की अनुमति दे दी. फिर तो तुम जानती ही हो, प्रेम की चिनगारी भड़कने में देर नहीं लगती.’’

‘‘पर तुम ने राहुल को क्यों पसंद किया. तुम्हारे क्सासमेट भी तो हैं?’’

‘‘तुम नहीं समझोगी. साथ में पढ़ने वाले युवकों में गंभीरता नहीं होती. उन का भविष्य अनिश्चित सा रहता है. पूरी तरह

से वे मांबाप पर निर्भर रहते हैं. राहुल नौकरीशुदा है. वह मेरा खर्च उठा सकता है.’’

‘‘क्या करता है वह?’’

‘‘शायद किसी आईटी कंपनी में ऐग्जिक्यूटिव है. मैं ने पूछा नहीं है.’’

‘‘नौकरी वाला बौयफ्रैंड पसंद किया है, तो क्या तुम उस से शादी करने की सोच रही हो?’’

‘‘क्या हर्ज है, अगर वह तैयार हो जाए,’’ नित्या ने लापरवाही से कहा.

‘‘तुम ने बात की है?’’

‘‘कर लूंगी, अभीअभी तो प्यार हुआ है. कुछ दिन एंजौय करने दो.’’

शिखा  गंभीर हो गई, ‘‘नित्या, एक बात अच्छी तरह समझ लो, प्यार अगर मौजमस्ती के लिए है, तो इस में सबकुछ जायज है, पर अगर शादी कर के घर बसाने के उद्देश्य से तुम राहुल से प्यार कर रही हो, तो संभल कर रहना. पहले शादी कर लो, फिर अपना तन उस को समर्पित करना. आजकल शादी के नाम पर युवक बहलाफुसला कर युवतियों का सालों शोषण करते हैं और जब उन का मन भर जाता है, तो युवती को ठोकर मार कर भगा देते हैं. युवतियां भावुक होती हैं. वे बहुत जल्दी युवकों की बातों पर विश्वास कर लेती हैं और बाद में पछताती हैं. तुम राहुल से साफसाफ बात कर लो कि वह क्या चाहता है और तुम भी अपने दिल की बात उस के सामने रख दो कि तुम उस से शादी करना चाहती हो, वरना बाद में पछताओगी.’’

नित्या के मन में बात खटक गई. शिखा सच कह रही थी. प्यार कोई खेल तो है नहीं, जो केवल मनोरंजन के लिए खेला जाए. ऐसा प्यार वासना का खेल बन जाता है. उस ने खुद को धिक्कारा…. उसे क्या कभी अक्ल नहीं आएगी. एक बार लुट चुकी है और दूसरी बार लुटने को तैयार है. जीवनभर क्या वह प्यार के नाम पर अलगअलग युवकों के हाथों अपने शरीर को नुचवाती रहेगी, अपनी अस्मिता तारतार करवाती रहेगी?

उसे अफसोस होने लगा कि प्यार में वह इतनी जल्दबाजी क्यों करती है, दो दिन की बातचीत और मीठीमीठी बातों में आ कर उस ने खुद को राहुल के चरणों  में समर्पित कर दिया.

अगली मुलाकात में उस ने राहुल से पूछ लिया, ‘‘राहुल, तुम ने अपने बारे में कभी कुछ नहीं बताया, जबकि मैं अपने बारे में तुम्हें सबकुछ बता चुकी हूं.’’

‘‘क्या जानना चाहती हो मेरे बारे में?’’ उस ने संशय से पूछा.

‘‘मैं तुम्हारे नाम के सिवा क्या जानती हूं.’’

‘‘क्या तुम्हारे लिए इतना जानना पर्याप्त नहीं है कि मैं तुम्हारा प्रेमी हूं?’’

‘‘प्यार की अंतिम परिणति शादी होती है, इसलिए एकदूसरे के घरपरिवार के बारे में जानना भी जरूरी है,’’ नित्या ने अपने मन की बात कही.

राहुल ने टालने के भाव से कहा, ‘‘तुम कहां बेमतलब की बातों में पड़ी हो. दुनियादारी के लिए सारी उम्र पड़ी है. अभी प्यार का मौसम है, जी भर कर प्यार कर लो और उस की सुगंध अपने तनबदन में भर लो. प्यार की खुशबू से जब तनमन नहाने लगता है, तो बाकी चीजें गौण हो जाती हैं. अभी तुम केवल मेरे बारे में सोचो और मैं तुम्हारे बारे में… बस,’’ उस ने नित्या को बांहों में समेटने की कोशिश की.

नित्या ने प्यार से उसे अलग करते हुए कहा, ‘‘तुम अपनी मीठीमीठी बातों से  टालने की कोशिश मत करो. मेरे लिए यह जानना काफी अहम है कि मैं ने जिस व्यक्ति से प्यार किया, वह जीवन में कितनी दूर तक मेरा साथ देगा. पुरुष और स्त्री को बांधने का सूत्र प्रेम होता है और जब वह सूत्र शादी के बंधन में बंध जाता है तो यह अटूट हो जाता है.’’

‘‘क्या दकियानूसी बातें कर रही हो. जब हम स्वेच्छा से एकदूसरे के साथ रह रहे हैं, तो बीच में शादी कहां से आ गई?’’

‘‘राहुल, तुम बात को समझने का प्रयास करो. अब हम बच्चे या किशोर नहीं हैं, पूरी तरह से बालिग हैं. लिवइन रिलेशनशिप केवल वासना की पूर्ति का एक आधुनिक बहाना है, वरना समाज में इस तरह के कृत्य अवैध रूप से पहले भी चलते थे और आज भी चल रहे हैं. लेकिन परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के साथ अगर पतिपत्नी का रिश्ता निभाया जाए, तो सभी सुखी रहते हैं.’’

नित्या ने सोचसमझ कर बहुत गंभीर बात कही थी. उस में अब परिपक्वता झलक रही थी, क्यों न हो आखिर? ठोकर खाने के बाद तो मूर्ख भी अक्लमंद हो जाते हैं. इस के बाद भी अगर नित्या को अक्ल न आती, तो कब आती?

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राहुल चिंतित हो गया, फिर बोला, ‘‘यार, तुम ने भी अच्छाखासा रोमांटिक मूड खराब कर दिया. मैं बाद में इस मुद्दे पर बात करूंगा,’’ फिर वह अपने औफिस चला गया.

नित्या को उस की यह बेरुखी अच्छी नहीं लगी. वह समझ गई थी कि राहुल उस के साथ केवल शारीरिक संबंध बनाने तक ही रिश्ता कायम रखना चाहता है. इस के अलावा वह किसी और जिम्मेदारी के प्रति गंभीर नहीं है, पर बिना किसी जिम्मेदारी के यह रिश्ता भी कोई रिश्ता है. क्या यह एक प्रकार की वेश्यावृत्ति नहीं है? बिना प्रतिबद्धता और सामाजिक बंधन के युवती एक युवक के साथ रहे या दो के साथ, क्या फर्क पड़ता है? इस में पारिवारिक और सामाजिक प्रतिष्ठा कहां है. युवती को तो अपनी अस्मिता लुटा कर ही यह सब करना पड़ता है. बदले में उसे क्या मिलता है? युवक के चंद मीठे बोल, कुछ उपहार लेकिन सामाजिक सुरक्षा इस में कहां है? उसे लांछनों के साथ समाज में जीवित रहना पड़ता है.

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