‘कितने मस्ती भरे दिन थे वे…’ बीते दिनों को याद कर यामिनी की आंखें भर आईं.
कालेज में उस का पहला दिन था. कैमिस्ट्री की क्लास चल रही थी. प्रोफैसर साहब कुछ भी पूछते तो रोहित फटाफट जवाब दे देता. उस की हाजिरजवाबी और विषय की गहराई से समझ देख यामिनी के दिल में वह उतरता चला गया.
कालेज में दाखिले के बाद पहली बार क्लास शुरू हुई थी. इसीलिए सभी छात्रछात्राओं को एकदूसरे को जाननेसमझने में कुछ दिन लग गए. एक दिन यामिनी कालेज पहुंची तो रोहित कालेज के गेट पर ही मिल गया. उस ने मुसकरा कर हैलो कहा और अपना परिचय दिया. यामिनी तो उस पर पहले दिन से ही मोहित थी. उस का मिलनसार व्यवहार देख वह खुश हो गई.
‘‘और मैं यामिनी…’’ उस ने भी अपना परिचय दिया तो रोहत ने उसे कैंटीन में अपने साथ कौफी पीने का औफर कर दिया. वह मना नहीं कर सकी.
साथ कौफी पीते हुए रोहित टकटकी लगा कर यामिनी को देखने लगा. यामिनी उस की नजरों का सामना नहीं कर पा रही थी. लेकिन उस के दिल में खुशी का तूफान उमड़ रहा था. क्लास में भी दोनों साथ बैठे रहे.
शाम को घर लौटते समय रोहित ने यामिनी से अचानक प्यार का इजहार कर दिया. वह भौंचक्की रह गई. लेकिन अगले ही पल शर्म से लाल हो गई और भाग कर रिकशे पर बैठ गई. थोड़ी देर बाद यामिनी ने पीछे मुड़ कर देखा. रोहित अब तक अपनी जगह पर खड़ा उसे ही देख रहा था.
यामिनी के दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं. खुशी से उस के होंठ लरज रहे थे. उस की आंखों में सिर्फ रोहित का मासूम चेहरा दिख रहा था. न जाने क्यों वह हर पल उसे करीब महसूस करने लगी.
ये भी पढ़ें- Romantic Story- कायरता का प्रायश्चित्त
अगले दिन सुबह यामिनी की नींद खुली तो आदतन उस ने अपना मोबाइल चेक किया. रोहित ने मैसेज भेजा था, ‘सुप्रभात, आप का दिन मंगलमय हो.’
यामिनी देर तक उस मैसेज को देखती रही और रोमांचित होती रही. वह भी उसे एक खूबसूरत सा जवाब देना चाहती थी. लेकिन क्या जवाब दे, सोचने लगी. मैसेज टाइप करने के लिए अनजाने में उस की उंगलियां आगे बढ़ीं. लेकिन वे कांपने लगीं.
यामिनी फिर रोहित के मैसेज को प्यार से देखने लगी और जवाब के लिए कोई अच्छा सा मैसेज सोचने लगी. लेकिन दिमाग जैसे जाम सा हो गया. अच्छा मैसेज सूझ ही नहीं रहा था. आखिरकार उस ने ‘आप को भी सुप्रभात’ टाइप कर मैसेज भेज दिया.
यामिनी की जिंदगी की एक नई शुरुआत हो चुकी थी. रोहित से मिलना, उसे देखना और प्यार भरी बातें करना यामिनी को अच्छा लगने लगा. एकदूसरे से मिले बिना उन्हें चैन नहीं आता. जिस दिन किसी प्रोफैसर के छुट्टी पर रहने के कारण क्लास नहीं रहती, उस दिन दोनों आसपास के किसी पार्क में चले जाते या बाजार घूमते. मस्तियों में उन के दिन गुजर रहे थे. हालांकि कालेज में दोनों को ले कर तरहतरह की बातें होने लगी थीं. लेकिन उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी.
बातों ही बातों में यामिनी को मालूम हुआ कि रोहित के मातापिता इस दुनिया में नहीं हैं. एक ऐक्सीडैंट में उन की मौत हो गई थी. रोहित के चाचाचाची ही उस की देखभाल कर रहे थे. रोहित का घर शहर से दूर एक गांव में था. वह यहां किराए का कमरा ले कर कालेज की पढ़ाई कर रहा था. रोहित पढ़ाई में अच्छा था. इसीलिए यामिनी को उस से मदद मिल जाती थी पढ़ाई में.
एक दिन यामिनी कालेज गई तो पाया कि रोहित कालेज नहीं आया है. बहुत देर इंतजार करने के बाद यामिनी ने उसे फोन किया, लेकिन रोहित ने फोन नहीं उठाया. जब यामिनी ने कई बार फोन किया तब रोहित ने काल रिसीव किया और दबी आवाज में बोला, ‘‘यामिनी, मैं कालेज नहीं आ पाऊंगा. बुखार है मुझे. तुम परेशान नहीं होना. मैं ठीक होते ही आऊंगा.’’
दूसरे दिन भी रोहित कालेज नहीं आया. इसीलिए कालेज में यामिनी का मन नहीं लग रहा था. उसे रहरह कर रोहित का खयाल आता. उस ने सोचा, ‘कहीं रोहित की बीमारी बढ़ न जाए. उस से मिलने जाना चाहिए. पता नहीं अकेले किस हाल में है? दवा ले रहा है या नहीं. खाना कैसे खा रहा है.’
बहुत मुश्किल से ढूंढ़तेढूंढ़ते यामिनी रोहित के कमरे पर पहुंची. देर तक दस्तक देने के बाद रोहित ने दरवाजा खोला. उस का बदन तप रहा था. उस की हालत देख कर दया से ज्यादा गुस्सा आ गया यामिनी को. बोली, ‘‘इतनी तेज बुखार है और तुम ने बताया भी नहीं. दवा ली क्या? घर पर किसी को बताया?’’
रोहित अधखुली पलकों से यामिनी को देखते हुए शिथिल आवाज में बोला, ‘‘नहीं. चाचाचाची को कष्ट नहीं देना चाहता और डाक्टर के पास जाने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.’’
ये भी पढ़ें- Social Story: रुक के देखे न कभी पैर के छाले हमने
2 दिनों में ही बहुत कमजोर पड़ गया था रोहित. आंखों के नीचे कालापन दिखने लगा था. यामिनी का मन रो पड़ा. रोहित ने शायद कुछ खाया भी नहीं था, क्योंकि खाना वह खुद बनाता था. होटल से लाया हुआ खाना एक स्टूल पर पड़ा था और सूख चुका था. एक शीशे के गिलास में थोड़ा सा पानी था. एक बिस्कुट का अधखुला पैकेट बगल में पड़ा था. कमरा भी अस्तव्यस्त था.
यह सब देख यामिनी से रहा नहीं गया. वह कमरा साफ करने लगी. रोहित हाथ के इशारे से मना करता रहा. पर यामिनी उसे आराम करने को कह कर सफाई में लगी रही. कमरे की सफाई करने के बाद वह पास की दुकान से ब्रैड और दूध ले आई और रोहित को खाने को दिया. रोहित एक ही ब्रैड खा पाया.
रोहित की हालत ठीक नहीं थी. वह अकेला था. यामिनी पास के एक डाक्टर से संपर्क कर दवा ले आई और रोहित को खिलाई. वह शाम तक उसी के पास बैठी रही. रोहित आंखों में आंसू लिए यामिनी को देखता रहा. यामिनी उसे बारबार समझाती, ‘‘मुझ से जितना होगा करूंगी. रोते क्यों हो?’’
‘‘तुम कितनी अच्छी हो यामिनी. बचपन से मैं प्यार को तरसा हूं. मम्मीपापा मुझे छोड़ कर चले गए. साथ में मेरी सारी खुशियां भी ले गए. चाचाचाची ने मुझे आश्रय जरूर दिया. लेकिन एक बोझ समझ कर. उन से प्यार कभी नहीं मिला. जब तुम मेरी जिंदगी में आई तो मैं ने जाना कि प्यार क्या होता है? तुम्हारा प्यार, तुम्हार सेवाभाव देख कर मुझे अपने मम्मीपापा की याद आ गई. इसीलिए मेरी आंखों में आंसू आ गए.
‘‘खैर मुझे अपने चाचाचाची से कोई शिकायत नहीं है. मैं उन की अपनी औलाद तो नहीं हूं. लेकिन बचपन से मुझे किसी का साया तो नसीब हुआ,’’ रोहित की आंखों से आंसू की धारा बह रही थी.
‘‘बस करो रोहित. अभी यह सब सोचने का वक्त नहीं. स्वास्थ्य पर ध्यान दो. खुद को अकेला नहीं समझो. मैं साथ देने से कभी पीछे नहीं हटूंगी,’’ कहते हुए यामिनी ने दुपट्टे से रोहित के आंसू पोंछ दिए.
वह करीब 2 घंटे तक रोहित के पास बैठी रही. शाम होने को आ गई थी. दवा के प्रभाव से रोहित को पसीना आ गया था. बुखार कम हुआ तो वह कुछ अच्छा महसूस करने लगा था. यामिनी ने कहा, ‘‘अब मैं चलूंगी. घर पर सब मेरा इंतजार कर रहे होंगे. तुम रात में दूध गरम कर ब्रैड के साथ ले लेना. दवा भी ले लेना. किसी तरह की परेशानी हो तो फोन जरूर करना. यह नहीं सोचना कि मैं क्या कर पाऊंगी? तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.’’
रोहित को ढांढ़स बंधा कर यामिनी अपने घर आ गई. लेकिन उसे चिंता होती रही. रात में वह सब की नजर बचा कर घर की छत पर गई और फोन कर रोहित का हाल पूछा. रोहित ने कहा कि अभी वह ठीक महसूस कर रहा है. यह जान कर यामिनी को राहत महसूस हुई.
चौथे दिन रोहित ठीक हो गया. यामिनी पिछले 2 दिन उस के घर गई थी. सब से नजर बचा कर वह रोहित के लिए घर से खाना ले जाती थी और घंटों उस के पास बैठ कर बातें करती थी. 5वें दिन रोहित कालेज आया तो यामिनी बहुत खुश हुई. उस के ठीक होने की खुशी में वह उस के गले से लिपट गई. यामिनी अब रोहित के बहुत करीब आ चुकी थी.
ये भी पढ़ें- Romantic Story: उम्र भर का रिश्ता
ऐसे ही 3 साल कब बीत गए उन्हें एहसास ही न हुआ. खुशियों के वे पल जैसे पंख लगा कर उड़ गए और उन के जुदाई के दिन आ गए. दरअसल, उन की कालेज की पढ़ाई पूरी हो गई थी. रोहित ने आगे की पढ़ाई के लिए कालेज में ही पुन: दाखिला ले लिया. वह प्रोफैसर बनना चाहता था. लेकिन यामिनी के आगे की पढ़ाई के लिए उस के पापा ने मना कर दिया. इसीलिए अब उस का रोहित से मिलनाजुलना बेहद मुश्किल हो गया. हर पल उसे रोहित की याद आती. रोहित से दूर रहने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता.
यामिनी के मम्मीपापा अब उस की शादी कर के अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे. इसीलिए यामिनी के लिए लड़का ढूंढ़ा जाने लगा था. उस का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया गया था. रोहित से दिल की बात कहना भी कठिन हो गया उस के लिए. मोबाइल फोन का ही आसरा रह गया था. वह जब भी मौका पाती, रोहित को फोन कर देती और उसे कुछ करने के लिए कहती ताकि दोनों हमेशा के लिए एक हो जाएं. लेकिन रोहित को कोई उपाय नहीं दिखता.
जब घर में शादी की बात चलती तो यामिनी की हालत बुरी हो जाती. रोहित से दूर होने की बात सोच कर उस का मन अजीब हो जाता. अपने मम्मीपापा को रोहित के बारे में बताने की उस की हिम्मत नहीं होती थी. पापा पुलिस में थे. इसीलिए गरम मिजाज के थे. हालांकि शायद ही वह कभी गुस्सा हुए हों यामिनी पर. वह उन की इकलौती बेटी जो थी.
एक दिन यामिनी को उस की मां ने बताया कि उसे देखने कुछ मेहमान आएंगे. लड़का डाक्टर है. यह जान कर यामिनी की आंखों से आंसू निकल गए. वह किसी तरह सब से बच कर रोहित से मिलने गई. उस के गले से लिपट कर रो पड़ी. जब उस ने अपने लिए लड़का देखे जाने की बात बताई तो रोहित भी अपने आंसू नहीं रोक पाया.
तभी यामिनी बोली, ‘‘रोहित, तुम मुझे मेरे पापा से मांग लो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगी.’’