लेखक- नीरज कुमार मिश्रा
उस लड़की को अपने साथ पीछे वाली गाड़ी में ही बिठा लाया था रणबीर, जबकि कैंप में नेताजी की उदारवादिता की चर्चा होने लगी थी कि नेताजी कितने अच्छे हैं, जो हम लोगों के लिए रोजगार जुटा रहे हैं. शायद वे धीरेधीरे हम सब को रोजगार देंगे. जैसे आज रजिया को दिया है.
‘रजिया‘ हां, यही तो नाम था उस भोली सी दिखने वाली लड़की का, जो खूबसूरती में किसी भी फिल्म हीरोइन को टक्कर देती थी. बस उस का गूंगापन ही उस के लिए एक बड़ी समस्या थी. उस के मांबाप बचपन में ही मर गए थे. कैसे, वह रजिया को पता नहीं, सिर्फ उस की एक बहन थी, जो अब भी उसी कैंप में ही थी.
जब से रजिया ने होश संभाला, तब से उस की मौसी ने ही उसे पाला है और जब वह जवान हुई तो पाकिस्तान के खराब हालात उसे एक शरणार्थी बना कर आज यहां तक ले आए थे.
जब रजिया बाथरूम से नहा कर निकली, तो रणबीर सिंह को भी अपने फैसले पर सुखद आश्चर्य हो रहा था. रजिया को देख कर उस के मुंह में भी पानी आ गया था. अमूमन तो किसी भी नए फल को नेताजी ही चखते थे, पर रजिया को तो आज रणबीर सिंह ही खा जाने वाला था.
रात को जब रजिया फर्श पर बिछे कालीन पर सो रही थी, तभी शराब के नशे में रणबीर सिंह ने रजिया के जिस्म को नोच डाला… बेचारी गूंगी लड़की चीख भी नहीं सकी थी.
हांफता हुआ जब रणबीर रजिया के जिस्म से अलग हुआ, तो अनायास ही उस के मुंह से ये शब्द निकल पड़े, ‘‘स्साला… गूंगी लड़की के साथ तो सैक्स करने का अपना ही मजा है,‘‘ और धूर्तता से मुसकरा उठा था रणबीर.
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रजिया जब उठ पाने की हालत में आई, तो वह भाग कर नेताजी के पास पहुंची. नेताजी अभी अपने बिस्तर पर ही थे. रजिया ने हाथों के इशारों से ही अपने साथ हुए अत्याचार की सारी बात नेताजी को बता डाली.
नेताजी के गुस्से का पारावार नहीं रहा. उन्होंने तुरंत ही रणबीर को बुला कर खूब डांटा.
‘‘जिस लड़की के जिस्म पर पहले हमारा अधिकार था, उसे तुम ने हम से पहले जूठा कर दिया. लगता है कि अब हमारे साथ काम करने का मन नहीं है तुम्हारा.‘‘
‘‘माफ कर दीजिए सर. कल रात थोड़ी ज्यादा हो गई थी, इसलिए होश खो बैठा. आगे से ऐसा नहीं होगा,‘‘ गिड़गिड़ा रहा था रणबीर.
उस के इस तरह माफी मांगने पर नेताजी का गुस्सा थोड़ा शांत तो हुआ, पर अंदर ही अंदर उन के मन में नाराजगी ने घर कर लिया था.
नेताजी ने इशारों में रजिया को समझाया और जा कर नहाने को कहा.
नेताजी की डांट का असर बहुत दिनों तक रणबीर पर नहीं रहा. एक नेता का पीए होने के नाते वह जनता के सीधे संपर्क में रहता था, इसलिए उसे गलत तरीके से पैसे कमाने में कोई परेशानी नहीं होती थी. कुछ दिनों बाद ही उस ने लोगों से फिर पैसा उगाहना शुरू कर दिया.
रणबीर सिंह द्वारा बलात्कार किए जाने के सदमे से रजिया बहुत घबराई हुई थी. वह न खाती थी और न ही पीती थी. उस की ये हालत देख कर नेताजी समझ गए कि अगर इस की यही हालत रही, तो इस लड़की के साथ कुछ भी करना ठीक नहीं होगा, क्योंकि गुस्से में आ कर ये लड़की आत्महत्या भी कर सकती है, इसलिए उन्होंने रजिया को प्यारदुलार से समझाना शुरू किया और रणबीर को तो बिलकुल रजिया के पास फटकने नहीं दिया. तब रजिया को कुछ सुरक्षित माहौल का अनुभव हुआ.
जब उन्होंने धीरेधीरे रजिया का विश्वास जीत लिया, तो उसे लगने लगा कि अब उस पर रणबीर का कोई खतरा नहीं है और भविष्य में उस की अस्मत पर कोई आंच नहीं आएगी, तब एक दिन जब नेताजी अपने कमरे में आराम कर रहे थे, तभी उस ने नेताजी को एक कागज के टुकड़े पर टूटीफूटी हिंदी में जो लिखा, वह इस प्रकार था, ‘‘इस दुनिया में हम 2 बहनें ही हैं. मेरे यहां आ जाने से वह कैंप में अकेली रह गई है. आप बड़े दयालु हैं. हो सके तो उस को भी यहीं मेरे पास बुलवा दीजिए. आप को शुक्रिया.‘‘
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‘‘ओह्ह… तो ये मतलब है… इस की एक बहन और भी है. इस लड़की को मानसिक रूप से सही होने के लिए उस की बहन का यहां होना ठीक होगा, तो हम कल ही उस को भी बुलवा लेते हैं.‘‘
फिर क्या था, नेताजी ने तुरंत ही रणबीर सिंह को शरणार्थी कैंप में रजिया की बहन को लाने के लिए भेज दिया. कैंप में होने वाली कागजी कार्यवाही के लिए वहां के प्रबंधक के लिए नजराना भी भिजवाना नहीं भूले थे नेताजी.
‘‘क्या नाम है तुम्हारा?‘‘ नेताजी ने अपने साथ खड़ी रजिया की बहन से इशारों में पूछा.
‘‘जी, हमारा नाम मुमताज है,‘‘ उसे बोलते हुए सुन कर नेताजी हैरान हो गए.
उन्होंने तो सोचा था कि गूंगी रजिया की बहन भी गूंगी ही होगी, पर यह तो बोलती भी है. मतलब यह हुआ कि मुमताज खूबसूरती में भी रजिया से कहीं आगे थी और उस का बोलना तो एक तरह से सोने पे सुहागा हो गया था.
जब मुमताज ने नहाधो कर साफ कपडे़ पहन लिए, तो उसे देख कर रजिया बहुत खुश हो गई और उस से लिपट गई. जब रात को दोनों बहनें पास में लेटीं, तो रजिया ने अपने साथ हुए बलात्कार के बारे में मुमताज को सब बता दिया.
यह जान कर मुमताज के गुस्से का पारावार नहीं रहा, पर उसे वक्त के थपेड़ों ने बहुत ही समझदार लड़की में तबदील कर दिया था, इसलिए उस ने अपने तरीके से ही रणबीर सिंह को सबक सिखाने की बात सोची, क्योंकि वह जानती थी कि सीधी लड़ाई में तो वह रणबीर से नहीं जीत सकती है.
मुमताज को देख कर नेताजी और रणबीर के मुंह में पानी आ गया. दोनों ही उसे भोगने का सपना देखने लगे.
रणबीर ने अपनी आदत के अनुसार ही उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए.
‘‘हां सुनो मुमताज, आज मैं बहुत खुश हूं… बताओ, तुम्हें क्या गिफ्ट दूं,‘‘ रणबीर ने मुमताज से कहा.
‘‘पर, भला आप इतना खुश क्यों हो?‘‘ मुमताज ने पूछा.
‘‘क्योंकि, आज मेरा जन्मदिन है. मैं आज किसी को भी दुखी नहीं देखना चाहता और खुशियां बांटना चाहता हूं,‘‘ रणबीर ने मुमताज की आंखों में झांकते हुए कहा.
‘‘तो… अगर ऐसा है तो मुझे थोड़ा शहर घुमा दो. मैं काफी दिन से बाहर नहीं गई हूं,‘‘ मुमताज ने भी बनावटी प्रेम दिखाते हुए कहा.
अपने जाल में खुद ही मछली को फंसते देख मन ही मन खुश हो रहा था रणबीर.
शहर में कई जगहों पर घुमाने के बाद एक अच्छे से रैस्टोरैंट में दोनों ने साथ खाना खाया. मुमताज के हावभाव से कतई नहीं लग रहा था कि वह एक शरणार्थी कैंप से आई हुई लड़की है.
इस बीच रणबीर ने कई बार मुमताज के नाजुक अंगों को छूने की कोशिश की, जिसे वह बड़ी ही सफाई से बचा गई थी.
‘‘घूमना तो काफी हो गया… अब बताओ, मैं तुम्हें क्या तोहफा दूं?‘‘ रणबीर ने मुमताज के हाथ को अपने हाथों में लेते हुए कहा. इस बार मुमताज ने कोई विरोध नहीं किया.
‘‘आप मुझे कुछ दिलाना ही चाहते हैं, तो फिर मुझे एक अच्छा सा मोबाइल दिला दीजिए… दरअसल, मुझे फेसबुक चलाने का बहुत शौक है,‘‘ मुसकराते हुए मुमताज ने कहा.
‘‘बस, इतनी सी बात… अभी चल कर दिलवा देता हूं.‘‘
अपनी पसंद का मोबाइल ले कर उस पर गुलाबी रंग का कवर भी लगवा लिया था मुमताज ने.
मुमताज को घुमाने, खिलानेपिलाने और तोहफे के तौर पर रणबीर मन ही मन इतना तो बेफिक्र हो ही चुका था कि अब मुमताज को पाना कठिन नहीं होगा और यही बात सोच कर रणबीर ने मुमताज से कहा, ‘‘मुमताज, तुम ने मोबाइल तो ले लिया है, पर इसे चलाना तो तुम्हें अभी आता नहीं. अगर आज रात तुम मेरे घर आ जाओ, तो मैं तुम्हें सबकुछ सिखा दूंगा… सबकुछ,‘‘ रणबीर ने अपनी आंख दबाते हुए कहा. बदले में मुमताज ने सिर्फ मुसकरा कर हामी भर दी.
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पूरे दिन रणबीर सिंह मुमताज के जिस्म के बारे में कल्पनाएं करता रहा और शाम से ही शराब पीनी भी शुरू कर दी थी.