इस बार राधा चीख उठी, ‘‘ओह विक्रम, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? मैं अब किसी और की हो चुकी हूं. मेरा पति है, बच्चा है, अपना घर है. हो सके, तो तुम मुझे भूल जाओ. अगर तुम मेरे साथ जबरदस्ती करोगे, तो मजबूरन मैं पुलिस को फोन कर दूंगी.’’
‘‘नहीं राधा… नहीं… मैं बगैर तुम्हारे जी नही पाऊंगा.’’
‘‘लगता है कि तुम ऐसे नहीं जाओगे,’’ राधा फोन की तरफ बढ़ी. फोन लगाया, ‘‘हैलो, पुलिस स्टेशन.’’
इस से पहले कि राधा अपनी बात पूरी करती, विक्रम ने फोन छीन कर तार काट दिया.
विक्रम गुस्से में चीखा, ‘‘मैं तुम्हें इतनी आसानी से नहीं छोड़ूंगा राधा. अगर मैं तुम्हारे लिए इतना तड़प सकता हूं, तो तुम्हें भी अपने लिए तड़पा सकता हूं. अब तो तुम्हें मेरे साथ चलने से कोई नहीं रोक सकता,’’ विक्रम आगे बढ़ा.
‘‘आगे मत बढ़ना. मैं कहती हूं कि वहीं रुक जाओ,’’ राधा चिल्लाई, लेकिन विक्रम ने आगे बढ़ कर उसे आपनी बांहों में भर लिया. राधा कसमसाई. इस से पहले कि वह बचाव के लिए चीखती, विक्रम ने उस के सिर पर हलके से वार कर उसे बेहोश कर दिया. उसे अपनी गोद में उठाया. बाहर सन्नाटा था. राधा को अपनी कार की पिछली सीट पर लिटा कर गाड़ी अपनी कोठी की तरफ दौड़ा दी.
राधा को होश आया, तो उस ने खुद को एक खूबसूरत बैडरूम में पाया. पूरे कमरे में राधा की तसवीरें लगी थीं. राधा ने दरवाजा खोला. बाहर एक बहुत बड़ा कमरा था. 2 आदमी हाथ में रिवाल्वर लिए पहरेदारी कर रहे थे. राधा समझ गई कि भागना बेकार है. वह वापस कमरे में आ गई.
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‘‘कैसी हो राधा,’’ विक्रम बोला.
‘‘मुझे यहां क्यों लाए हो?’’
‘‘अपनी चीज को अपने पास ही तो लाया हूं.’’
‘‘तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो विक्रम.’’
‘‘नहीं, मैं कोई गलती नहीं कर रहा. प्यार करना कोई जुर्म नहीं है. तुम सिर्फ मेरी हो… सिर्फ मेरी.’’
‘‘मैं सिर्फ अपने पति की हूं. तुम मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते. मुझे हाथ मत लगाना. मैं तुम से नफरत करती हूं.’’
‘‘नहीं राधा, मुझ से नफरत मत करो. मैं मर कर भी सुकून नहीं पाऊंगा.’’
‘‘मुझे यहां से जाने दो प्लीज,’’ राधा गिड़गिड़ाई.
‘‘नहीं, अब तुम यहीं रहने की आदत डाल लो. अब यही तुम्हारा घर है.’’
‘‘घर… थू… अरे, तुम क्या जानो कि घर किसे कहते हैं, पत्नी क्या होती है और प्यार क्या होता है? तुम तो छीनने वालों में से हो.’’
‘‘हां, मैं लुटेरा हूं. तुम मुझे आसानी से हासिल नहीं हुई, इसलिए मैं ने तुम्हें छीन लिया.’’
‘‘यहां ला कर तुम क्या साबित करना चाहते हो? प्यार के नाम पर तुम्हें मेरा जिस्म चाहिए… यह लो, लूट लो मेरी इज्जत. मुझे पा कर तुम्हारी हवस बुझ सकती है, तो बुझा लो,’’ कहते हुए राधा ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.
विक्रम ने राधा को एक जोरदार थप्पड़ मारा और जिस्म से हटी साड़ी राधा को थमाते हुए बोला, ‘‘तुम ने समझ क्या रखा है? अगर मुझे जिस्म की प्यास ही बुझानी होती, तो बाजार में जिस्म बेचने वालों की कोई कमी नहीं है. अरे, मैं ने तुम से प्यार किया है, तुम्हारे जिस्म से नहीं. तुम्हें यहां मुझ से कोई खतरा नहीं है. मैं तुम्हारा अपना हूं.’’
‘‘ये कैसा प्यार है तुम्हारा, जो मेरी ही जिंदगी बरबाद करने पर तुला है, आखिर तुम्हें मुझ से चाहिए क्या?’’
‘‘शादी… मैं तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ विक्रम ने जवाब दिया.
‘‘तुम जानते हो कि ऐसा नहीं हो सकता है. मैं शादीशुदा हूं?’’
‘‘तलाक दे दो उसे.’’
‘‘शादी कोई मजाक है, जो आज की और कल तलाक दे दिया? मैं ऐसी औरत नहीं हूं, जो तुम जैसे झूठे और अपराधी के लिए अपने पति को धोखा दे दे,’’ कहते हुए राधा ने विक्रम को चले जाने के लिए कहा.
‘‘अभी तो मैं जा रहा हूं, लेकिन तुम्हें हर हाल में हासिल कर के ही दम लूंगा,’’ विक्रम कमरे से बाहर निकल गया.
उधर थाने में अरुण ने इंस्पैक्टर को सारा हाल बताया.
‘‘मिस्टर अरुण…’’ इंस्पैक्टर दयाल ने पूछा, ‘‘आप यह कैसे कह सकते हैं कि आप की पत्नी किडनैप हुई है? हो सकता है कि वह अपनी मरजी से कहीं गई हो?’’
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‘‘इंस्पैक्टर साहब…’’ अरुण बोला, ‘‘मैं अपनी राधा को अच्छी तरह से जानता हूं. वह बिना बताए कहीं नहीं जाती. अपने दूधपीते बच्चे को छोड़ कर कहां जाएगी राधा? नहीं साहब, घर में बिखरा सामान और टैलीफोन का कटा तार साबित करता है कि हाथापाई के बाद कोई राधा को जबरदस्ती उठा ले गया है.’’
‘‘मिस्टर अरुण, बुरा मत मानना, पर आप की पत्नी का कोई चाहने वाला था? मेरा मतलब शादी से पहले उस का…’’
अरुण का चेहरा गुस्से से लाल हो उठा, पर अपना गुस्सा दबा कर वह बोला, ‘‘नहीं.’’
‘‘ठीक है, अभी आप जाइए. हम आप की पत्नी को ढूंढ़ने की पूरी कोशिश करेंगे. अगर इस दौरान आप को कोई जानकारी मिले, तो हमें जरूर बताना.’’
‘‘ओके इंस्पैक्टर,’’ अरुण ने हाथ मिलाया और बाहर निकल गया. घर में बच्चा रो रहा था. अरुण ने दूध की बोतल से चुप कराना चाहा, लेकिन उसे तो मां की छाती चाहिए थी.
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अरुण इस अचानक हुए हादसे से सकते में था. उधर, विक्रम अपने खयालों में यही सोच रहा था कि अगर राधा का पति मर जाए, तो राधा का ध्यान उस की तरफ आएगा. उस का पति ही उस के रास्ते का सब से बड़ा कांटा था. उस की मौत ही उसे राधा के करीब ला सकती थी. एक शादीशुदा औरत दूसरी शादी नहीं कर सकती, लेकिन एक विधवा तो कर सकती है. हां… राधा तभी उस की होगी, जब उस के पति की मौत हो जाएगी… और विक्रम ने एक भयानक इरादा कर लिया. उस के चेहरे पर दरिंदगी के भाव आ गए थे.
‘ट्रिन…ट्रिन…’ कालबैल की आवाज सुन कर अरुण ने जैसे ही दरवाजा खोला… ‘धांयधांय’ 2 गोलियां उस के सीने में समा गईं. अरुण कटे पेड़ सा ढेर हो गया. गोली की आवाज से बच्चे की नींद खुल गई. वह जोरजोर से रोने लगा.