‘क्यों होता है कोई ऐसा... क्या रिश्तों से जुड़ने के लिए समय का होना ही जरूरी है, धन का होना ही जरूरी है... ऐसा होता तो कुछ समय पहले जब इक्कादुक्का औरतें नौकरी करती थीं, उन के पास तो समय ही समय था, तो सभी अपनों को बांध पातीं, सभी अच्छी होतीं. लेकिन ऐसा नहीं होता था, तब भी औरतें घर तोड़ने वाली होती थीं, कर्कश होती थीं. रिश्तों को जोड़ने के लिए आप का स्वागत वाला भाव, मीठी वाणी, खुला दिलोदिमाग, उस समय का महत्त्व जो आप अपनों के साथ बिताते हो, मधुर मुसकान जरूरी होती है,’ वानिया बड़बड़ा रही थी.
मां क्या कहें बेटी को. इकलौते भाईभाभी का रूखा सा व्यवहार वानिया को अकसर सहन नहीं होता तो वह जबतब मां के सामने बड़बड़ाती थी. जब बेटे की शादी हुई थी तब नई बहू के अडि़यल स्वभाव से मां परेशान होतीं तो यही बेटी मां को समझाती थी. शायद उसे विश्वास था कि समय के साथ भाभी बदल जाएगी, लेकिन कुछ लोग कभी नहीं बदलते...फिर बुनियादी स्वभाव तो कभी नहीं बदलता.
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करे भी क्या वानिया, पहले भाई ऐसे नहीं थे. वानिया अपने भाई विनय से कम से कम 10 साल छोटी थी और जब वह लगभग 10 साल की थी तब पापा उसे व मां को 20 साल के भाई के सहारे छोड़ कर दुनिया से चल बसे थे.
पापा के गले से झूलने वाली उम्र में वानिया ने पापा को खो दिया था. वह अचानक खामोश व खोईखोई सी रहने लगी. लेकिन भाई जरूर 20 साल की उम्र में 40 के हो गए थे. भाई ने मां व वानिया को ऐसे संभाला कि मांबेटी दोनों ही पति व पिता के जाने का गम भूल गईं.
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