‘‘उस ने कभी मुझ से या मेरे सामने ऐसा नहीं कहा. लोगों के कहने पर हमें पूरी तरह विश्वास नहीं करना चाहिए. लोगों के कहने की परवा मैं ने की होती तो तुम को कभी भी वह प्यार न दे पाता, जो मैं ने तुम्हें दिया है. अभी तुम मांजी द्वारा आरोप लगाए जाने की बात कर रही थीं. पर वह उन्होंने नहीं लगाया. लोगों ने उन्हें ऐसा बताया होगा. आज तक मैं ने भी इस बारे में तुम से कुछ पूछा या कहा नहीं. आज कह रहा हूं... तुम्हारे ही कुछ परिचितों व रिश्तेदारों ने मुझ से भी कहा कि शिखा बहुत तेजमिजाज लड़की है. अपनी भाभी को इस ने कभी चैन से नहीं जीने दिया. इस के जुल्मों से परेशान हो कर भाभी की मौत हुई थी. पता नहीं वह हत्या थी या आत्महत्या...लेकिन मैं ने उन लोगों की परवा नहीं की...’’
‘‘पर तुम ने उन की बातों पर विश्वास कर लिया? क्या तुम भी मुझे अपराधी समझते हो?’’
‘‘मैं तुम्हें अपराधी नहीं समझता. न ही मैं ने उन लोगों की बातों पर विश्वास किया था. अगर विश्वास किया होता तो तुम से शादी न करता. तुम से बस एक सवाल करना चाहता हूं, लोग जब किसी के बारे में कुछ कहते हैं तो क्या हमें उस बात पर विश्वास कर लेना चाहिए.’’
‘‘मैं तो बस इतना जानती हूं कि वह सब झूठ है. हम से जलने वालों ने यह अफवाह फैलाई थी. इसी वजह से मेरी शादी में कई बार रुकावटें आईं.’’
‘‘मैं ने भी उसे सच नहीं माना, बस तुम्हें यह एहसास कराना चाहता हूं कि जैसे ये सब बातें झूठी हैं, वैसे ही पंकज के खिलाफ हमें भड़काने वालों की बातें भी झूठी हो सकती हैं. उन्हें हम सत्य क्यों मान रहे हैं?’’
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप