मनीष सेना में कैप्टन था. जब रिया मां के पेट में थी उन्हीं दिनों बौर्डर पर सिक्योरिटी का जायजा लेते समय आतंकियों के एक हमले में उस की जान चली गई थी. इस के बाद सुधा टूट कर रह गई थी. पर मनीष की निशानी की खातिर वह जिंदा रही. अब उस ने लोगों की सेवा को ही अपने जीने का मकसद बना लिया था.
थोड़ी देर तक शांत रहने के बाद रवि कुछ बुदबुदाया. शायद उसे प्यास लग रही थी. सुधा उस के बुदबुदाने का मतलब समझ गई थी. उस ने 8-10 चम्मच पानी उस को पिला दिया. पानी पिला कर उस ने रूमाल से रवि के होंठों को पोंछ दिया था. फिर वह पास ही रखे स्टूल पर बैठ कर आहिस्ताआहिस्ता उस का सिर सहलाने लगी थी. यह देख कर रवि की आंखें नम हो गई थीं.
सुधा को रवि के बारे में मालूम था. डाक्टर अशोक लाल ने उसे रवि के बारे में पहले से ही सबकुछ बता दिया था. नर्सिंगहोम में रवि के दफ्तर से आनेजाने वालों का जिस तरह से तांता लगा रहता, उसे देख कर उस के रुतबे का अंदाजा लग जाता था.
कुछ दिनों के इलाज के बाद बेशक अभी भी रवि कुछ बोल पाने में नाकाम था, पर उस के हाथपैर हिलनेडुलने लगे थे. अब वह किसी चिट पर लिख कर अपनी कोई बात सुधा या डाक्टर के सामने आसानी से रख पा रहा था. कभी जब सुधा की रात की ड्यूटी होती तब भी वह पूरी मुस्तैदी से उस की सेवा में लगी रहती.
एक दिन सुबह जब सुधा अपनी ड्यूटी पर आई तो रवि बहुत खुश नजर आ रहा था. सुधा के आते ही रवि ने उसे एक चिट दी, जिस पर लिखा था, ‘आप बहुत अच्छी हैं, थैंक्स.’
चिट के जवाब में सुधा ने जब उस के सिर पर हाथ फेरते हुए मुसकरा कर ‘वैलकम’ कहा तो उस की आंखें भर आई थीं. उस दिन रवि के धीरे से ‘आई लव यू’ कहने पर सुधा शरमा कर रह गई थी.
सुधा का साथ पा कर रवि के मन में जिंदगी को एक नए सिरे से जीने की इच्छा बलवती हो उठी थी. जब तक सुधा उस के पास रहती, उस के दिल को बड़ा ही सुकून मिलता था.
एक दिन सुधा की गैरहाजिरी में जब रवि ने वार्ड बौय से उस के बारे में कुछ जानना चाहा था तो वार्ड बौय ने सुधा की जिंदगी की एकएक परतें उस के सामने खोल कर रख दी थीं.
सुधा की कहानी सुन कर रवि भावुक हो गया था. उस ने उसी पल सुधा को अपनाने और एक नई जिंदगी देने का मन बना लिया था. उस ने तय कर लिया था कि वह कैसे भी हो, सुधा को अपनी पत्नी बना कर ही दम लेगा. पर सवाल यह उठता था कि एक पत्नी के होते हुए वह दूसरी शादी कैसे करता?
उस दिन अस्पताल से छुट्टी मिलते ही रवि दफ्तर के कुछ काम निबटा कर सीधा अपने गांव चला गया था. जब वह सुबह अपने गांव पहुंचा तब घर वाले हैरान रह गए थे. बूढे़ मांबाप की आंखों में तो आंसू आतेआते रह गए थे.
पूरे घर में अजीब सा भावुक माहौल बन गया था. आसपास के लोग रवि के घर के दरवाजे पर इकट्ठा हो कर घर के अंदर का नजारा देखे जा रहे थे.
रवि बहुत कम दिनों के लिए गांव आया था. वह जल्दी से जल्दी गुंजा को तलाक के लिए तैयार कर शहर लौट जाना चाहता था. पर घर का माहौल एकदम से बदल जाने के चलते वह असमंजस में पड़ गया था. उस दिन पूरे समय गुंजा उस की खातिरदारी में लगी रही. वह उसे कभी कोई पकवान बना कर खिलाती तो कभी कोई. पर रवि पर उस की इस मेहमाननवाजी का कोई असर नहीं हो रहा था.
दिनभर की भीड़भाड़ से जूझतेजूझते और सफर की रातभर की थकान के चलते उस रात रवि को जल्दी ही नींद आ गई थी. गुंजा ने अपना व उस का बिस्तर एकसाथ ही लगा रखा था, पर इस की परवाह किए बगैर वह दालान में पड़े तख्त पर ही सो गया था. पर थोड़ी ही देर में उस की नींद खुल गई थी. उसे नींद आती भी तो कहां से. एक तो मच्छरमक्खियों ने उसे परेशान कर रखा था, उस पर से भविष्य की योजनाओं ने थकान के बावजूद उसे जगा दिया था.
रवि देर रात तक सुधा और अपनी जिंदगी के तानेबाने बुनने में ही लगा रहा. रात के डेढ़ बजे उस पर दोबारा नींद
की खुमारी चढ़ी कि उसे अपने पैरों के पास कुछ सरसराहट सी महसूस हुई. उसे ऐसा लगा मानो किसी ने उस के पैरों को गरम पानी में डुबो कर रख दिया हो.
रवि हड़बड़ा कर उठ बैठा. उस ने देखा, गुंजा उस के पैरों पर अपना सिर रखे सुबक रही थी. पास में ही मच्छर भगाने वाली बत्ती चारों ओर धुआं छोड़ रही थी. उस के उठते ही गुंजा उस से लिपट गई और फिर बिलखबिलख कर रोने लगी.
गुंजा रोते हुए बोले जा रही थी, ‘‘इस बार मुझे भी शहर ले चलो. मैं अब अकेली गांव में नहीं रह सकती. भले ही मुझे अपनी दासी बना कर रखना, पर अब अकेली छोड़ कर मत जाना, नहीं तो मैं कुएं में कूद कर मर जाऊंगी.’’