इधर गीता भी असलियत जान चुकी थी. अब वह सागर से छुटकारा पाना चाहती थी. सागर सुबह काम पर जाता तो बाहर से ताला लगा कर जाता. इधर गीता का परिवार उसे ढूंढ़ कर थक चुका था. इश्तिहार छपवा दिए गए, ताकि गीता का कहीं से कोई तो सुराग मिले.
एक दिन सागर तैयार हो रहा था कि औफिस से फोन आया कि अभी पहुंचो. वह जल्दी में ताला लगाना भूल गया. गीता के लिए यह अच्छा मौका था. वह भाग निकली और जा पहुंची अपने घर. उस ने अपने किए की माफी मांगी.
घर वालों से तो गीता को माफी मिल गई, पर आसपड़ोस के लोगों ने उस का जीना मुहाल कर दिया था.
गीता के पापा ने यह घर बेच कर रोहिणी में जा कर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत की, मगर वहां भी वे जिल्लत की जिंदगी जिए. न कहीं गीता का रिश्ता तय होता था और न ही कहीं बंटी का.
साल बीतते गए. पहले तो पापा इस सदमे से बीमार हो गए और फिर उन की मौत हो गई. मां दिनरात चिंता में घुलती रहती थीं. घरबार सब बिक गया, इज्जत चली गई.
गीता के एक मामा करनाल में रहते थे. एक दिन वे बोले, ‘‘दीदी, करनाल तो मैं आप को लाऊंगा नहीं, मेरी भी यहां इज्जत खराब होगी, पर आप कुरुक्षेत्र में शिफ्ट हो जाओ, कम से कम दिल्ली जितना महंगा तो नहीं है.’’
वे सब कुरुक्षेत्र में शिफ्ट हो गए. वहां मामा ने जैसेतैसे छोटीमोटी नौकरी का इंतजाम करवा दिया था. इस से किसी तरह गुजारा चल निकला.
गीता अब 35 साल की और बंटी
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप