सिसक पड़ी थी सिबली. अन्ना की हरकतें बढ़ती गईं. वह सिबली के बदन से कपड़े उतारने लगा. सिबली रो पड़ी और अपने सीने को ढकने की कोशिश की, पर अन्ना ने बेदर्दी से उस के हाथों को मरोड़ते हुए उस के सीने को खोल दिया. सिबली ने बहुत विरोध किया, पर एक ताकतवर मर्द के सामने उस की एक न चली. अन्ना सिबली के नंगे बदन को गिद्ध जैसी आंखों से घूर रहा था. सिबली रोए जा रही थी. अचानक से अन्ना उस से दूर हट गया और अपने मोबाइल के कैमरे से सिबली के नंगे शरीर के फोटो लेने लगा. कभी आगे से तो कभी पीछे से, कभी सीने के फोटो उतारता, तो कभी उस की पीठ की. अन्ना ने सिबली के फोटो उतार कर उस से कपड़े पहनने को कहा और खुद एक कोने में बैठ कर वे तसवीरें किसी को ह्वाट्सएप पर भेज दीं और जवाब का इंतजार करने लगा. सिबली भी एक कोने में दुबक गई थी.
कुछ देर बाद अन्ना का मोबाइल बज उठा. ‘‘जी सर, बताइए… माल पसंद आ गया न?’’ शायद उधर से बात करने वाले ने माल की क्वालिटी पसंद कर ली थी, तभी अन्ना खुश हो गया था. ‘‘सुन… साहब को तेरा जिस्म पसंद आ गया है. मैं तुझे उन के पास ले जाने के लिए आधे घंटे में आऊंगा, तब तक तू अच्छी तरह से रगड़ कर नहा ले और ये नए कपड़े पहन लेना… याद रख… अगर तू ने साहब को खुश कर दिया, तो हम मालामाल हो जाएंगे,’’ अन्ना की आंखों में एक चमक थी. शहर में सत्ताधारी बड़े नेता, जो अपने पद, इज्जत और पहचान के चलते बाहर की औरतों से सैक्स करने के लिए कोठों पर नहीं जा सकते थे, उन के लिए ही अन्ना एक जादू के जिन्न की तरह काम करता था. अन्ना नाम का यह आदमी गरीब, अनाथ और पिछड़े तबके की औरतों के लिए ‘सीप के मोती’ नामक एक स्वयंसेवी संस्था चलाता था, पर असलियत कुछ और ही थी. अन्ना का काम था कसबों और गांवों से मजदूर, पिछड़ी और गरीब लड़कियां ला कर इन नेताओं के जिस्म की जरूरत पूरी करना. वह लड़कियां लाता और मोबाइल से उन के नंगी फोटो नेताओं को भेजता और पसंद आने पर बताए गए पते पर लड़कियों को पहुंचाता था. अन्ना लड़कियों की दलाली करता था. उस ने सिबली के साथ भी वही किया. वह सिबली को ले कर शहर से थोड़ा बाहर बने एक मकान में गया.
सफेद कुरतापाजामा पहने एक नेता सोफे में धंसा हुआ शराब की चुसकियां ले रहा था. उस ने सिबली की पीठ पर हाथ फेरा. ‘‘अरे, घबराओ नहीं… हम लड़कियों की भलाई के लिए काम करने वाले नेता हैं. हम तुम्हारे साथ कोई जबरदस्ती नहीं करेंगे… हमारा स्वाद कुछ दूसरा ही है,’’ एक जहरीली मुसकराहट नेता के चेहरे पर थिरक उठी थी. उस कमरे में सिबली और उस सत्ताधारी नेता के अलावा और कोई भी नहीं था. नेता ने शराब का एक घूंट अपने मुंह में भरा और सिबली के सीने पर उगल दिया और फिर अपनी जीभ निकाल कर कुत्ते की तरह चाटने लगा. सिबली ने अपनी मुट्ठियां गुस्से से भींच लीं. वह नेता के चंगुल से चाह कर भी आजाद नहीं हो पा रही थी, पर अचानक नेता ने सिबली को पलट कर एक सोफे पर टिका दिया और उस के हाथपैर बांध दिए. ‘‘देख लड़की, मैं तेरे जिस्म को हाथ तक न लगाऊंगा, बस तू अपने मुंह से सैक्सी आवाज निकालती रह, जैसी अंगरेजी फिल्मों में निकालते हैं,’’ इतना कहने के साथ नेता ने सिबली की सलवार को नीचे खींच दिया और उस के नंगे कूल्हों पर अपनी बैल्ट से एक के बाद एक प्रहार करने शुरू कर दिए. नेता सिबली से हर प्रहार के बाद वासनात्मक आवाज की उम्मीद कर रहा था, पर सिबली कोई वेश्या तो थी नहीं, जो ऐसा करती. वह 16 साल की लड़की उस के हर प्रहार पर रोने लगी. उस का रोना नेता को बुरा लग रहा था. सि‘‘साली… तू ऐसे नहीं मानेगी… मैं तो सोच रहा था कि तेरा बलात्कार न करूं पर तू ऐसे नहीं मानेगी,’’ नेता ने सिबली के बंधनों को आजाद तो कर दिया पर उस के कोमल शरीर को अपने भारी भरकम शरीर के नीचे दबा दिया और उस के शरीर में समा गया और उसे तब तक दबाए रखा जब तक उस नेता को यौन संतुष्टि नहीं मिल गई. नेता एक ओर लुढ़क गया था, कुछ देर बाद वह उठा और शराब के कई जाम अपनी हलक के नीचे उड़ेल लिए और कुछ देर बाद गहरी नींद में सोने लगा.
सिबली को जब होश आया तो पौ फटने को थी, उस ने देखा नेता बेसुध पड़ा हुआ है और बाहर उस के गुर्गे भी नहीं है, उसे मानो इसी द्रश्य की प्रतीक्षा थी, सिबली ने जल्दी से कपड़े पहने और दरवाजा खोला और सीधे किसी तीर की तरह सड़क पर भागने लगी. सिबली कितना पैदल चली, कितना दौड़ी उस का उसे अहसास भी नहीं था वह तो बस किसी मदद की तलाश में थी, सामने से पुलिस की पेट्रोलिंग जीप दिखाई दी तो सिबली के प्राण जाग उठे वह पूरी ताकत से उसे रुकने का इशारा करने लगी. ‘‘मुझे बचा लीजिए साहब… मुझे बचा लीजिए,’’’’ चीक पड़ी थी सिबली. ‘‘क्या हुआ… क्यों चीख रही है तू’’ इंस्पेक्टर ने पूछा. सिबली एक ही सांस में सब बताती चली गई. और पुलिस द्वारा दोषी का नाम पूछे जाने पर सिबली ने अन्ना का नाम बताया. ‘‘अन्ना की ये हिम्मत… बारबार समझाए जाने पर भी वे हरकत से बाज नहीं आता,’’ ये कह कर पुलिस ने सिबली को अपने साथ बिठा लिया और अन्ना के अड्डे की तरफ जीप बढ़ा दी. कुछ देर बाद जीप अन्ना के अड्डे के सामने थी, इंस्पेक्टर अपने साथ सिबली को ले कर अंदर गया. ‘‘तुम घबराओ नहीं… हम अभी अन्ना को सबक सिखाते हैं,’’ इंस्पेक्टर ने कहा. पुलिस वाले अन्ना के सामने खड़े थे. ‘‘सुना है तुम गरीबों को सताते हो और आजकल नेताओं को लड़कियां सप्लाई करने लगे हो’’ इंस्पेक्टर अन्ना से बोला, उस की इस बात पर अन्ना घबरा सा गया. ‘‘अपने आप को जिस्मों का दलाल कहते हो तुम्हारा धंधा यहां से ले कर अरब देशों तक फैला हुआ है पर एक लड़की तो तुम से संभाली नहीं जाती.