कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

लेखक: शकीला एस हुसैन

उसी वक्त एएसआई लोहे का रेंच और पाना उठा लाया. उस पर खून और कुछ बाल चिपके हुए थे. यही आलाएकत्ल था, जिस की मार ने चौधरी का काम तमाम कर दिया. यह रेंच पाना पलंग के नीचे से बरामद हुआ था.

उसे ऐहतियात से रखने के बाद मैं ने राशिद से कहा, ‘‘जल्दी ही चौधरी की लाश को अस्पताल ले जाने का बंदोबस्त करो.’’

इस डेरे पर 3 कमरे थे. दूसरे कमरे में कादिर का मुकाम था. तीसरा कमरा स्टोर की तरह काम में आता था. कहीं से कोई भी काम की चीज बरामद नहीं हुई. मैं चौधरी सिकंदर के पास पहुंच गया. वह अपाहिज था. फालिज ने उसे बिस्तर से लगा दिया था. जवान बेटे की मौत ने उसे हिला कर रख दिया था.

मैं ने उसे तसल्ली दी और वादा किया कि मैं बहुत जल्द कातिल को गिरफ्तार कर लूंगा. वह रोते हुए बोला, ‘‘रुस्तम मेरा एकलौता बेटा था. मेरी तो नस्ल ही खत्म हो गई. उस की शादी का अरमान भी दिल में रह गया. उस से छोटी तीनों बहनों की शादियां हो गईं. बस यही रह गया था. मेरी बीवी का भी इंतकाल हो गया है. अब मैं बिलकुल तनहा रह गया.’’

मैं ने उसे तसल्ली दे कर डेरे के हाल सुनाए और पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है क्या?’’

‘‘नहीं जनाब. मुझे कुछ अंदाजा नहीं है.’’

‘‘कादिर को गरदन का मनका तोड़ कर ठिकाने लगाया गया था और लाश नहर में बहा दी गई थी, जबकि रुस्तम को खोपड़ी पर वार कर के खत्म किया गया था. यह किसी ऐसे इंसान का काम है जो दोनों से नफरत करता था. क्या आप फरीदपुर की तमाम औरतों को हवेली में जमा कर सकते हैं, साथ ही अगर आप के गांव में कोई पहलवान हो या कबड्डी का खिलाड़ी हो तो उसे भी बुलवाइए.’’

‘‘मैं अभी इंतजाम करता हूं. हमारे गांव में एक ही पहलवान है सादिक, जो गांव की शान और हमारा मान है. बड़ा ही भला आदमी है.’’

थोड़ी देर में गांव की सभी औरतें हवेली में पहुंच गईं. मैं ने चौधरी को बताया, ‘‘मुझे उस औरत की तलाश है जो रात को चौधरी रुस्तम के साथ डेरे पर मौजूद थी. उस की चूडि़यां टूटी थीं. उस के हाथ पर खरोंच या जख्म जरूर होगा.’’

ये भी पढ़ें- Short Story : रिश्तों की कसौटी

मैंने चौधरी को चूड़ी के टुकड़े भी दिखाए. मेरी बात सुन कर चौधरी सारा मामला समझ गया. मैं ने हवेली में बुलाई जाने वाली तमाम औरतों की कलाइयां बारीकी से चैक कीं पर किसी की कलाई पर ऐसा कोई निशान नहीं मिला. मुझे बताया गया बस एक औरत इस परेड में शामिल नहीं है, क्योंकि उसे बुखार है.

मैं ने उस औरत से मिलना जरूरी समझा. उसे सब नूरी मौसी कहते थे. मैं उस के घर पहुंचा. नूरी कोई 50 साल की मामूली शक्ल की औरत थी. उसे देख कर मेरी उम्मीद खत्म हो गई पर उस से बात करना जरूरी समझा. मैं ने उसे सारी बात बताई. उस ने अपनी कलाई आगे की.

मैं ने जल्दी से कहा, ‘‘नहीं नूरी मौसी, तुम्हारी कलाई चैक करने की जरूरत नहीं है. अगर तुम मुझे यह बता सकती हो कि रात चौधरी के डेरे पर कौन औरत थी, जिस ने चौधरी की जान ली तो बड़ी मेहरबानी होगी. वैसे मुझे एक मर्द की भी तलाश है जिस ने कादिर को मौत के घाट उतारा है.’’

नूरी बहुत समझदार औरत थी. सारी बात समझ गई. कहने लगी, ‘‘सरकार, मेरा अंदाजा है चौधरी के साथ जो औरत डेरे पर थी, वह जरूर बाहर की होगी. फरीदपुर की नहीं हो सकती. क्योंकि यहां आप ने सभी को चैक कर लिया है.’’

‘‘तुम्हारे इस अंदाजे की कोई वजह है?’’

‘‘जी सरकार, मैं ने कल दिन में 2 अजनबी औरतों को कादिर से बात करते देखा था.’’

नूरी की बात सुन कर आशा की एक किरण जगी. मैं ने जल्दी से पूछा, ‘‘तुम ने उन औरतों को कहां देखा था?’’

‘‘डेरे के करीब, नहर के किनारे.’’ उस ने जवाब दिया.

‘‘ओह. क्या तुम बता सकती हो कि वे क्या बातें कर रहे थे?’’

‘‘नहीं जनाब, मैं जरा फासले पर थी. बात नहीं सुन सकी. पर यह पक्का है वे फरीदपुर की नहीं थीं.’’

‘‘नूरी, तुम ने बड़े काम की बात बताई. मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूं. बस एक काम और करो, उन के हुलिए और कद के बारे में तफसील से बताओ जिस से उन्हें ढूंढने में आसानी हो जाए. तुम ने उन की शक्लें तो गौर से देखी होंगी?’’

‘‘जी देखी थीं. साहब वे 2 औरतें थीं. उस में से एक जवान 19-20 की होगी. लंबा कद, गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें बहुत खूबसूरत थी. उस ने फूलदार सलवार कुरते पर काली शौल ओढ़ रखी थी. उस के साथ वाली औरत अधेड़ थी. काफी मोटी, कद छोटा, रंग सांवला बिलकुल फुटबाल जैसे लगती थी. उस की नाक पर एक मस्सा था. उस ने भूरे रंग का जोड़ा और नीला स्वेटर पहन रखा था.’’

ये भी पढ़ें- सच्चाई सामने आती है पर देर से

शुक्रिया कह कर मैं उस के घर से निकल आया. फरीदपुर में मेरा काम करीबकरीब खत्म हो गया था. पहलवान सादिक से आज मुलाकात मुमकिन न थी. क्योंकि वह बाहर गया हुआ था.

अगले दिन सुबह मैं ने सरकारी फोटोग्राफर और आर्टिस्ट को थाने बुलवाया और उन दोनों औरतों का हुलिया बता कर स्केच बनाने को कहा. स्केच तैयार होने पर मैं ने उस स्केच के 10-12 प्रिंट बनवाए. साथ ही बताने वालों को भी जता दिया कि ये दोनों औरतें अगर कहीं भी दिखाई दें तो मुझे फौरन खबर करें.

फिर उन तसवीरों के आने पर मैं ने उन्हें जरूरी जगहों पर तलाश करने के लिए सिपाहियों की ड्यूटी लगा दी. शाम को दोनों पोस्टमार्टम शुदा लाशें थाने पहुंच गईं. दोनों की मौत का वक्त 10 और 11 बजे के बीच का था.

रुस्तम की मौत खोपड़ी पर लगने वाली करारी चोट से हुई थी, जब वह शराब के नशे में धुत था. रेंच पाने पर उसी का खून और बाल थे और कादिर की गरदन का मनका एक खास टैक्निक से तोड़ा गया था और फिर उसे नहर में डाल दिया गया था. मैं ने लाशें कफनदफन के लिए चौधरी साहब के यहां भिजवा दीं.

अब मुझे उन दोनों औरतों की तलाश थी. फोटो बन कर आ गए थे. सिपाही उन की तलाश में भटक रहे थे. दूसरे दिन शाम को एक सिपाही खबर ले कर आया कि इन दोनों औरतों को रेलवे प्लेटफार्म पर देखा गया है.

मैं फौरन रेलवे स्टेशन रवाना हो गया. स्टेशन मास्टर ने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया. मैं ने उन दोनों औरतों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. उस ने बताया, ‘‘वह लड़की गलती से इस स्टेशन पर उतर गई थी. वह बहुत परेशान थी. उसी दौरान यह मोटी औरत उसे मिल गई. दोनों काफी देर तक एक बेंच पर बैठ कर बातें करती रहीं. उस के बाद मोटी औरत उस का हाथ पकड़ कर स्टेशन से बाहर ले गई. हो सकता है, वे एकदूसरे को जानती हों पर पक्का नहीं है.’’

ये भी पढ़ें- खाउड्या : आखिर क्या था इस शब्द का मतलब

मैं ने पूछा, ‘‘आप ने कहा वह लड़की गलती से उतर गई थी. वह जा कहां रही थी?’’

‘‘जिस गाड़ी से वह उतरी थी, वह रावलपिंडी से लाहौर जा रही थी. मुझे यह नहीं पता वह कहां जा रही थी क्योंकि मेरी उस से कोई बातचीत नहीं हुई थी. फिर वह मोटी औरत के साथ बाहर चली गई थी.’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...