लेखक : विजया वासुदेवा
शहनाज खाला ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी आंखों से लगाया, ‘‘बेटा, तुम तो मेरे लिए फरिश्ते की तरह आए हो, जिस ने मेरी बच्ची की जिंदगी बहारों से भर दी,’’ खुशी से गमकते वह और खालू घर के अंदर खबर देने चले गए.
उन के जाने के बाद शकील कमरे में आते हुए बोला, ‘‘तो हुजूर ने मुझे शह देने के लिए सब हथकंडे आजमाए.’’
असगर ने कहा, ‘‘तू डर मत, मैं जीत का दावा कार मांग कर नहीं कर रहा हूं.’’
‘‘तू न भी मांगे,’’ शकील ने कहा, ‘‘तो भी मैं कार दूंगा. हम मुगल अपनी जबान पर जान भी दे सकने का दावा करते हैं, कार की तो बात ही क्या.’’
‘‘मजाक छोड़ शकील,’’ असगर ने कहा, ‘‘कल उसे पता लगेगा तब…’’
‘‘अब कुछ असर होने वाला नहीं है,’’ शकील ने कहा, ‘‘अपनेआप शादी के बाद हालात से सुलह करना सीख जाएगी. अपने यहां हर लड़की को ऐसा ही करने की नसीहत दी जाती है.’’
‘‘पर तू कह रहा था शकील कि वह आम लड़कियों जैसी नहीं है, बड़ी तेजतर्रार है.’’
‘‘वह तो शादी से पहले 50 फीसदी लड़कियां खास होने का दावा करती हैं पर असलीयत में वे भी आम ही होती हैं. है न, जब तक तरन्नुम को शादी में दिलचस्पी नहीं थी, मुहब्बत में यकीन नहीं था, वह खास लगती थी. पर तुम्हें चाह कर उस ने जता दिया है कि उस के खयाल भी आम औरतों की तरह घर, खाविंद, बच्चों पर ही खत्म होते हैं. मैं तो उस के ख्वाबों को पूरा करने में उस की मदद कर रहा हूं,’’ शकील ने तफसील से बताते हुए कहा.
और यों दोस्त की शादी में शरीक होने वाला असगर अपनी शादी कर बैठा. तरन्नुम को दिल्ली ले जाने की बात से शकील कन्नी काट रहा था. अपना मकान किराए पर दिया है, किसी के घर में पेइंगगेस्ट की तरह रहता हूं. वे शादीशुदा को नहीं रखेंगे. इंतजाम कर के जल्दी ही बुला लेने का वादा कर के असगर दिल्ली वापस चला आया.
तरन्नुम ने जब घर का पता मांगा तो असगर बोला, ‘‘घर तो अब बदलना ही है. दफ्तर के पते पर चिट्ठी लिखना,’’ और वादे और तसल्लियों की डोर थमा कर असगर दिल्ली चला आया.
7-8 महीने खतों के सहारे ही बीत गए. घर मिलने की बात अब खटाई में पड़ गई. किराएदार घर खाली नहीं कर रहा था इसलिए मुकदमा दायर किया है. असगर की इस बात से तरन्नुम बुझ गई, मुकदमों का क्या है, अब्बा भी कहते हैं वे तो सालोंसाल ही खिंच जाते हैं, फिर क्या जिन के अपने घर नहीं होते वह भी तो कहीं रहते ही हैं. शादी के बाद भी तो अब्बू, अम्मी के ही घर रह रहे हैं, ससुराल नहीं गई, इसी को ले कर लोग सौ तरह की बातें ही तो बनाते हैं.
असगर यों अचानक तरन्नुम को अपने दफ्तर में खड़ा देख कर हैरान हो गया, ‘‘आप यहां? यों अचानक,’’ असगर हकलाता हुआ बोला.
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तरन्नुम शरारत से हंस दी, ‘‘जी हां, मैं यों अचानक किसी ख्वाब की तरह,’’ तरन्नुम ने चहकते से अंदाज में कहा, ‘‘है न, यकीन नहीं हो रहा,’’ फिर हाथ आगे बढ़ा कर बोली, ‘‘हैलो, कैसे हो?’’ असगर ने गरमजोशी से फैलाए हाथ को अनदेखा कर के सिगरेट सुलगाई और एक गहरा कश लिया.
तरन्नुम को लगा जैसे किसी ने उसे जोर से तमाचा मारा हो. वह लड़खड़ाती सी कुरसी पकड़ कर बैठ गई. मरियल सी आवाज में बोली, ‘‘हमें आया देख कर आप खुश नहीं हुए, क्यों, क्या बात है?’’
असगर ने अपने को संभालने की कोशिश की, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. तुम्हें यों अचानक आया देख कर मैं घबरा गया था,’’ असगर ने घंटी बजा कर चपरासी से चाय लाने को कहा.
‘‘हमारा आना आप के लिए खुशी की बात न हो कर घबराने की बात होगी, ऐसा तो मैं ने सोचा भी नहीं था,’’ तरन्नुम की आंखें नम हो रही थीं.
तब तक चपरासी चाय रख कर चला गया था. असगर ने चाय में चीनी डाल कर प्याला तरन्नुम की तरफ बढ़ाया. तरन्नुम जैसे एकएक घूंट के साथ आंसू पी रही थी.
असगर ने एकदो फाइलें खोलीं. कुछ पढ़ा, कुछ देखा और बंद कीं. अब उस ने तरन्नुम की तरफ देखा, ‘‘क्या कार्यक्रम है?’’
‘‘मेरा कार्यक्रम तो फेल हो गया,’’ तरन्नुम लजाती सी बोली, ‘‘मैं ने सोचा था पहुंच कर आप को हैरान कर दूंगी. फिर अपना घर देखूंगी. हमेशा ही मेरे दिमाग में एक धुंधला सा नक्शा था अपने घर का, जहां आप एक खास तरीके से रहते होंगे. उस कमरे की किताबें, तसवीरें सभी कुछ मुझे लगता है मेरी पहचानी सी होंगी लेकिन यहां तो अब आप ही जब अजनबी लग रहे हैं तब वे सब…’’
असगर के चेहरे पर एक रंग आया और गया. फिर वह बोला, ‘‘यही परेशानी है तुम औरतों के साथ. हमेशा शायरी में जीना चाहती हो. शायरी और जिंदगी 2 चीजें हैं. शायरी ठीक वैसी ही है जैसे मुहब्बत की इब्तदा.’’
‘‘और मुहब्बत की मौत शादी,’’ असगर की तरफ गहरी आंखों से देखते हुए तरन्नुम बोली.
‘‘मुझे पता है तुम ने बहुत से इनाम जीते हैं वादविवाद में, लेकिन मैं अपनी हार कबूल करता हूं. मैं बहस नहीं करना चाहता,’’ असगर ने उठते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा सामान कहां है?’’
‘‘बाहर टैक्सी में,’’ तरन्नुम ने बताया.
‘‘टैक्सी खड़ी कर के यहां इतनी देर से बैठी हो?’’
‘‘और क्या करती? पता नहीं था कि आप यहां मिलोगे भी या नहीं. फिर सामान भी भारी था,’’?तरन्नुम ने खुलासा किया.
जाहिर था असगर उस की किसी भी बात से खुश नहीं था.
जब टैक्सी में बैठे तो असगर ने टैक्सी चालक को किसी होटल में चलने को कहा, ‘‘पर मैं तो आप का घर देखना…’’