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ठाकुर जिगलान को अपनी सेहत और मूंछों को चुस्तदुरुस्त रखने के अलावा महंगी गाडि़यों का भी शौक था. उस के गैराज में कई महंगी गाडि़यां खड़ी थीं, जिन की देखभाल में 2-4 आदमी हमेशा लगे रहते थे.

गांव में एक फजलू ढोलक वाला रहता था. उसे सब ‘चाचा’ कहते थे. 55 साल का फजलू ढोलक बजाने में माहिर था. हालांकि गांव में डीजे का चलन तो पौपुलर हो रहा था, पर छोटे मौकों पर लोग फजलू को ही बुलवा लेते थे. जो आता, ढोलक बजाता और नजराना ले कर चला जाता. उस की ढोलक की थाप में ऐसी गमक थी कि छोटे बच्चे और किशोर लड़के अपनेआप झूमने लगते.

फजलू ने अपनी ढोलक आज धूप में सूखने को रखी थी, ताकि उस की थाप में कुछ और आवाज बढ़ कर आ सके.

कच्चे रास्ते के किनारे 2 बांसों को गाड़ कर उस के बीच में अपनी ढोलक को फजलू ने सूखने के लिए लटका दिया था कि इतने में ठाकुर जिगलान अपनी गाड़ी चलाता हुआ वहां से निकला. सामने ढोलक सूखती देख कर उस ने अचानक से ब्रेक लगा दिए और अपने एक चमचे को ढोलक उतार कर नीचे रखने को कहा.

चमचा जैसे सबकुछ समझ गया. उस ने ढोलक उतार कर सामने रास्ते पर रख दी. फजलू की नजरें इस सारे कांड को देख तो रही थीं और उस की जबान डर के मारे हिल नहीं सकी. वह कुछ न बोल सका और जिगलान ने अपनी गाड़ी उस ढोलक पर चढ़ा दी.

‘भाड़’ की आवाज के साथ ढोलक चूरचूर हो गई थी. अपनी कमाई के एकमात्र जरीए को इस तरह फूटता देख कर फजलू फफक पड़ा था. ठाकुर जिगलान ने कुटिल मुसकराहट के साथ गाड़ी आगे बढ़ा दी.

ठाकुर जिगलान को यही सब करने में मजा था. इस तरह से कभी वह गुड्डू कुम्हार के बरतन भी फोड़ देता, जो उस ने चाक से बना कर सूखने को रखे होते, तो कभी दूध दुहते रमुआ के पास गाड़ी ले जा कर जोर का हौर्न बजा देता, तो भैंस दूध दुहना छोड़ देती. लोगों को परेशान देख कर ठाकुर जिगलान को मजा आता था.

जुम्मन को गांव में वापस आए 3 महीने से ज्यादा हो गया था और अब उस ने सड़क के किनारे अपनी एक छोटी सी दुकान भी खोल ली थी और दुकान के बाहर मोटरसाइकिल और कार के कुछ पुराने टायरट्यूब सजा कर रख दिए थे, ताकि आनेजाने वालों को पता चल सके कि यह मेकैनिक की दुकान है.

धीरेधीरे दुकान चलने लगी, तो जुम्मन का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगा था और अब वह रन्नो से रोज शाम को एक तय जगह पर मिलने भी जाता था और वहां पर रन्नो के साथ सलमा भी आती थी, सो अलगू को तो आना ही था.

वे चारों एकदूसरे से छिपछिप कर मिलते, तो प्यारमुहब्बत की बातें करते. एकदूसरे की उंगलियों को छू कर ही उन्हें अपने जोबन का असीम सुख हासिल हो जाता.

जुम्मन और अलगू दोनों अपना घर तो बसाना चाहते थे, पर दोनों के सामने धर्म और जाति की समस्या सामने आ रही थी और दोनों जोड़े जानते थे कि दूसरे धर्म में शादी कर पाना इतना आसान नहीं होगा, पर वे सब अपने दिल के हाथों मजबूर थे.

ठाकुर जिगलान के चमचों के कानों तक यह खबर पहुंच चुकी थी कि शहर से आया हुआ जुम्मन एक हिंदू लकड़ी रन्नो से शादी करना चाहता है और उस का दोस्त अलगू मुसलिम धर्म की लड़की सलमा से शादी करना चाहता है और अब तो जुम्मन ने घर जा कर लड़की के मांबाप से बात भी कर ली है और उस के घर वाले भी राजी हैं.

‘‘हमारी नाक के नीचे यह प्यारमुहब्बत का खेला चल रहा है और हमें ही नहीं मालूम…’’ ठाकुर जिगलान गरज उठा था.

औरतखोर ठाकुर जिगलान के अहंकार को अंदर तक चोट पहुंची थी. उस ने तुरंत ही अपने गुरगों को आदेश दिया कि रन्नो और सलमा को अगवा कर उस के नहर वाले बंगले में लाया जाए.

ठाकुर जिगलान के इरादे खतरनाक नजर आ रहे थे. एक गुरगा थोड़ा झिझक कर बोला, ‘‘साहब, अगर इन दोनों को एकएक कर के उठाएंगे, तो गांव में हल्ला हो जाएगा और यह जो जुम्मन है न, यह थोड़ा इंटरनैट वगैरह चलाता है, इसलिए थोड़ा ठंडा कर के खाइए मालिक.’’

ठाकुर जिगलान पहले तो भड़का, पर इंटरनैट का नाम सुन कर और कुछ सोच कर चुप हो गया. उस के चमचे ने उसे बताया कि 2 दिन के बाद पड़ोस वाले गांव में मेला लगेगा और रन्नो और सलमा जरूर उस मेले में जुम्मन और अलगू से मिलने की गरज से जाएंगी. बस, वहां से दोनों को अगवा कर के आप के सामने पेश कर देंगे.

‘‘हां, फिर एक ही रात में 2 अलगअलग जात के माल का मजा मारेंगे हम,’’ ठाकुर जिगलान हवस भरी आवाज में बोल रहा था.

जब तक हमारे खुद के साथ कुछ बुरा नहीं होता, तब तक हमें यही लगता है कि हमारे साथ तो बुरा हो ही नहीं सकता और यही इस गांव के सारे लोग सोचा करते थे.

बुरा तो हो ही गया, जब मेले में जा रही रन्नो और सलमा को अगवा कर नहर वाले बंगले के एक कमरे में बंद कर दिया गया, जहां पर दारू के नशे में चूर ठाकुर जिगलान ने दोनों का रेप किया. एक बार नहीं कई बार किया.

उस के बाद ठाकुर जिगलान के गुरगों ने भी अपना मुंह काला किया और पौ फटने से पहले उन लड़कियों को वापस उन के घर के बाहर डाल गए.

हर बार की तरह ही दोनों लड़कियों की मां ने ज्यादा शोर नहीं मचाने को कहा. कमोबेश दोनों घरों से एकजैसे विचार निकल रहे थे. भले ही दोनों परिवारों में धर्मजाति की खाई थी, पर मुसीबत के समय दोनों परिवारों के रुदन का स्वर एकजैसा ही था.

रन्नो और सलमा के परिवार वालों ने बात दबाने की बहुत कोशिश की, पर ऐसी बातें भला कहां छिपती हैं. गांव के लोगों से होते हुए यह बात जुम्मन और अलगू तक भी पहुंची, तो वे दोनों गुस्से से पागल हो गए.

जुम्मन तो ठाकुर जिगलान को जिंदा नहीं छोड़ना चाहता था, पर जुम्मन ने उसे धीरज रखने को कहा और यह भी कहा, ‘‘हमें बदला प्लानिंग से लेना होगा और ऐसे में अगर जिगलान को मार भी देंगे तो क्या… उस के गुरगे बदले में हमें मार देंगे… फिर रन्नो और सलमा का क्या होगा? उन से तो कोई शादी भी नहीं करेगा.’’

रन्नो का नाम आने पर जुम्मन थोड़ा शांत हुआ.

जुम्मन और अलगू दोनों बदला लेना तो चाह रहे थे और यह भी सोच रहे थे कि बदला ऐसे लिया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

जब से ठाकुर जिगलान ने रन्नो और सलमा की अस्मत लूटी थी, तब से उस के चेहरे पर तृप्ति का भाव बना रहता था. आज उसे शहर जाना था. उस के ड्राइवर ने उस की पसंदीदा कार को साफ कर के खड़ा किया था.

ठाकुर जिगलान बड़ी ऐंठ में आया और उस में बैठ गया. उस की कार शहर की तरफ चल दी.

जुम्मन ने सड़क से ठाकुर जिगलान को जाते देखा, तो अलगू को मोबाइल पर फोन लगाया, ‘‘थोड़ी देर में जिगलान की गाड़ी का ऐक्सीडैंट होने वाला है.’’

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