Family Story In Hindi, लेखिका – टी. बेगम
संतरी को गली में रात के एक बजे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी तो वह चौंक उठा. उस ने उसी ओर लपकते हुए ‘कौन है?’ की तेज आवाज उछाली, फिर एक झन्नाटेदार सीटी बजा दी.
संतरी और सीटी की आवाज सुन कर वह साया जरा तेजी से आगे बढ़ने लगा. संतरी भी सावधानी से उस साए की ओर बढ़ा. अचानक वह साया तेजी से एक दरवाजे के सामने जा खड़ा हुआ, फिर उस ने घबराहट में दरवाजे पर दस्तक दी.
दरवाजा खुला और उसी पल संतरी भी वहां आ पहुंचा. खंभे के लट्टू की रोशनी में संतरी ने दरवाजा खोलने वाले नौजवान को फटकार लगाते हुए कहा, ‘‘अपने घर की औरतों को इतनी रात तक अकेला छोड़ देते हो, तुम्हें कुछ भी खयाल नहीं कि जमाना कैसा?है?’’
वह नौजवान उस संतरी के मुंह की ओर देखने लगा, तो वह फिर भुनभुनाया, ‘‘अब मेरा मुंह क्या देख रहे हो… औरत को अंदर करो और किवाड़ लगाओ.’’
संतरी सीटी बजाता हुआ आगे की ओर बढ़ गया. उस नौजवान ने तब अपने दरवाजे पर दस्तक देने वाली लड़की के चेहरे की ओर देखा और हौले से बोला, ‘‘आइए, अंदर आ जाइए.’’
वह लड़की झिझकती हुई अंदर आ गई. नौजवान ने एक पलंग की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘अगर आप को रातभर यहीं रुकना है तो पलंग पर आराम से सो सकती हैं,’’ इतना कह कर वह दूसरे कमरे की ओर बढ़ गया.
वह लड़की देर रात तक पलंग पर लेटी हुई सोचती रही, फिर पता नहीं कब उस की आंख लग गई.
सुबह जब वह लड़की उठी तो उस ने महसूस किया कि वह देर तक सोती रही है. काफी धूप निकल आई थी. उस के पलंग के पास एक मेज पर उस के लिए नाश्ता रखा हुआ था.
उसी पल वह नौजवान वहां आ गया. उस ने लड़की को गुसलखाने का रास्ता बताया.
नहाधो कर वह लड़की नाश्ता करने लगी, फिर बोली, ‘‘आप ने तो यह भी नहीं पूछा कि मैं कौन हूं और कहां से आई हूं? आप ने अनजान लड़की पर भरोसा कर उसे ऐसे ही शरण दे दी?’’
उस लड़की की बात सुन कर वह नौजवान हंसा, फिर धीमे से बोला, ‘‘रात को तुम्हारे चेहरे से लग रहा था कि तुम आफत की मारी हो. तुम कौन हो और कहां से आई हो? यह तो अब तुम खुद ही बताओ.’’
उस लड़की के चेहरे पर उदासी छा गई. वह पलभर को चुप रही, फिर हिम्मत बटोर कर बोली, ‘‘मैं अच्छी नहीं हूं, मैं एक ‘कालगर्ल’ हूं, यानी अपना जिस्म बेचती हूं. एक रात के मैं 4-5 सौ रुपए कमा लेती हूं.
‘‘मेरे कुछ बंधे ग्राहक हैं, जो फोन कर के मुझे बुला लेते हैं.
‘‘कल रात जिस ग्राहक ने बुलाया था, उस ने कुछ ज्यादा ही वक्त ले लिया, इसीलिए इस गली को पैदल ही पार कर रही थी कि संतरी पीछे लग गया. मजबूर हो कर आप के घर पर दस्तक दे डाली.’’
वह नौजवान उस की बात सुन कर संजीदा हो गया, फिर उस ने पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या?है?’’
लड़की के होंठों पर इस बार मुसकराहट नाच उठी, ‘‘मेरे ग्राहक मुझे अलगअलग नामों से जानते हैं. कोई रेहाना के नाम से जानता है तो कोई सुरैया के नाम से. कुछ मुझे शांति देवी कहते हैं तो कुछ गीता देवी.
असली नाम तो मैं खुद भी भूल गई हूं. अगर कुछ सही याद है तो वह है मेरा फोन नंबर.’’
यह कहते हुए उस लड़की की आंखों में आंसू भर आए. उन्हें अपने रूमाल से पोंछती हुई वह बोली, ‘‘आप को देख कर जिंदगी में पहली बार लगा कि किसी शरीफ आदमी के घर में रात गुजारी है… नहीं तो यहां के नेताओं, अफसरों, सेठों ने स्याह रातों में मुझे खूब भोगा है.
‘‘मुझे कच्ची उम्र से ही फांस लिया गया था. अच्छा, अब मैं चलती हूं. आप के घर बिताई यह रात जिंदगीभर याद रहेगी.’’
वह लड़की अपना बैग उठा कर जाने ही वाली थी कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई. नौजवान ने उठ कर दरवाजा खोला, तो सामने अपनी मां को देख कर चौंका, ‘‘मांजी, आप… अचानक…?’’
घर में दाखिल होते हुए वे अधेड़ उम्र की औरत बोलीं, ‘‘हां, मैं अब अपना फैसला सुनाने आई हूं. तुझे अब शादी करनी ही होगी. मैं ने लड़की देख ली है. फोटो साथ लाई हूं. अब तुझे इनकार नहीं करने दूंगी.’’
अचानक नौजवान की मां की नजर उस लड़की पर पड़ी. वह चौंकते हुए बोली, ‘‘अच्छा तो तू शादी कर भी लाया. खैर, मुझे तेरी पसंद मंजूर है. लड़की अच्छी है, मुझे तो बहू ही चाहिए थी.’’
उस लड़की की मांग में सिंदूर भरा था, इसलिए मां को धोखा हुआ.
मां ने उस लड़की के सिर पर हाथ फेर कर पूछा, ‘‘बहू, क्या नाम है तेरा?’’
‘‘जी… जी… सावित्री,’’ उस लड़की ने हकलाते हुए कहा.
‘‘अच्छा नाम है, हमेशा सुखी रहो,’’ मां ने फिर उस के सिर पर हाथ फेरा. फिर वे गुसलखाने में चली गईं. तभी वहीं से आवाज आई, ‘‘अनिल, आज बहू को मैं खाना बना कर खिलाऊंगी.’’
नौजवान ने लड़की की ओर देखा और धीरे से बोल, ‘‘सावित्री… या जो नाम हो तुम्हारा, अब तुम्हें 5-6 दिन यहीं रुकना होगा. तुम्हें बहू का रोल अदा करना होगा. मैं हर रात के 500 रुपए तुम्हें दूंगा. तुम्हारे नुकसान की कम से कम भरपाई ही कर पाऊंगा. मेरी आमदनी बहुत ज्यादा नहीं है. मां के जाते ही तुम भी चली जाना.’’
लड़की ने मुसकराते हुए उस की बात मान ली.
उस लड़की को 5 रातों तक उस के साथ एक ही पलंग पर सोना पड़ा. हर रात बीतने पर वह लड़की के हाथ पर 500 रुपए रख देता. वह लड़की मुसकरा कर उन्हें ले लेती.
छठे दिन मां जाने की तैयारी करने लगीं. लड़की ने तय कर लिया कि उन के जाते ही वह भी चली जाएगी. उस ने नौजवान के नाम एक खत लिखा और उसे तकिए के नीचे रख दिया. खत में उस ने लिखा था:
‘अनिल बाबू,
‘आप के साथ जो 5 रातें गुजारी हैं, उन्हें मैं हमेशा याद रखूंगी. मेरी फीस तो मेरे जिस्म को भोगने की है, सिर्फ साथ सोने की नहीं. आप ने तो मुझे हाथ तक नहीं लगाया, इसलिए मैं आप के सारे रुपए इस खत के साथ रखे जा रही हूं. हां, एक सौ का नोट आप की यादगार के रूप में ले जा रही हूं. बिना मिले जा रही हूं, इस के लिए माफ कर देना.’
अनिल की मां अपनी अटैची के साथ रिकशे में बैठ कर चली गईं. कुछ ही देर बाद वह लड़की भी रवाना हो गई. उस ने चाबी पड़ोस की एक औरत को दे कर अनिल को दे देने के लिए कह दिया.
शाम को जब अनिल घर आया तो घर पर उस की मां मिलीं. उन्होंने बताया कि वे अपना कुछ सामान भूल गई थीं, इसलिए लौट आईं. फिर अनिल को मालूम हुआ कि अजनबी लड़की जा चुकी है. वह कुछ उदास हो गया.
मां ने कहा, ‘‘तकिए के नीचे तेरी किराए की बीवी का खत रखा है, उसे पढ़ ले.’’
मां की बात सुन कर अनिल का शर्म से सिर झुक गया. फिर वह खत पढ़ने लगा.
अगले दिन सुबहसुबह उस लड़की के दरवाजे पर दस्तक हुई. दरवाजा खोलने पर उस के मुंह से अचानक ही निकल गया, ‘‘मांजी, आप…?’’
‘‘हां, मैं…’’ अनिल की मां अंदर आते हुए बोलीं, ‘‘मैं ने तुम्हें खत रखते देख लिया था. पढ़ कर जाना कि तुम अनिल की असली नहीं, किराए की बीवी हो.’’
इतना कह कर मां ने गौर से उस लड़की के चेहरे को पढ़ने की कोशिश की. उस सुंदर लड़की के चेहरे पर कई रंग आए और गए. फिर उस ने अपना बैग उठा कर कंधे से लटकाया और सख्त आवाज में बोली, ‘‘जब आप को पता चल ही गया था कि मैं क्या हूं तो फिर मेरा पता मालूम कर आप यहां क्यों आईं? खैर, मैं जा रही हूं. मैं आज दिन में ही ‘बुक’ हूं.’’
मां भी थोड़ी सख्त आवाज में बोलीं, ‘‘तो हम भी तुम्हें ‘बुक’ करने आए हैं. अनिल के लिए तुम्हें बुक करना है. पूरी जिंदगी के लिए. बोलो, मंजूर है?’’
वह लड़की ठगी सी कुछ देर के लिए खड़ी रह गई. फिर उस की आंखों में खुशी के आंसू छलछला आए. उस ने मां के सीने में अपना मुंह छिपा लिया. मां उस के सिर पर प्यार से हाथ फेरने लगीं. Family Story In Hindi