News Story In Hindi: ‘‘आप सभी का अशोका राज्य में स्वागत है. जनमत नियंत्रण समिति एक सर्वे करा रही है, जिस में हमें लोगों के घरघर जा कर उन से जानकारी हासिल करनी है. हमें यह खबर मिली है कि पिछले सर्वे का आंकड़ा फर्जी था. हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी इस बात से नाराज हैं कि बहुत से बाहरी लोग नाम बदल कर यहां रह रहे हैं, इसलिए आप सभी को उन्होंने अपने खर्चे पर यहां बुलाया है,’’ उस भगवाधारी ने विजय और अनामिका के साथ आए और भी दूसरे नौजवानों को इस सर्वे का मकसद बताते हुए कहा.
‘‘पर आप ने ऐसे नौजवानों को ही क्यों इस काम के लिए चुना, जिन की अभी शादी नहीं हुई है?’’ एक लड़के ने सवाल किया.
‘‘हमारे देश में नौजवानों की कोई कमी नहीं है. बहुत से नौजवानों को तो इतना पढ़नेलिखने के बाद भी कोई रोजगार नहीं मिल पाता है. हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी चाहते हैं कि जरूरतमंद को काम मिले और उन का राष्ट्रवाद का मकसद भी हासिल हो जाए,’’ उस भगवाधारी ने कहा.
उस भगवाधारी के साथ खड़ी एक जवान लड़की, जिस ने खुद भगवा धारण किया हुआ था, ने बताया, ‘‘आप सब के रहने के लिए यह सरकारी स्कूल खाली करा दिया गया है. वैसे भी यहां कोई पढ़ने नहीं आता है और यह स्कूल बंद सा ही समझो.’’
वाकई उस स्कूल की हालत बड़ी जर्जर थी. कुल 4 कमरे थे. हर कमरे में लाइन से चारपाई बिछी थी. एक लाइन लड़कों के लिए तो दूसरी लाइन पर लड़कियों के सोने का इंतजाम था. टौयलेट थोड़ा दूर था और एक अस्थायी बाथरूम का भी इंतजाम किया गया था.
अनामिका ने विजय से फुसफुसाते हुए कहा, ‘‘यार, यह कहां फंसा दिया तुम ने मुझे.’’
विजय बोला, ‘‘मेरे एक दोस्त ने रिक्वैस्ट की थी कि यह सर्वे करा दो, तो मैं ने हां बोल दिया. यार, यहां भी एक तरह का एडवैंचर रहेगा और हम दोनों को करीब आने का मौका भी मिलेगा.’’
‘‘आप सब लोग अब आराम कीजिए. आप के भोजन का इंतजाम कर दिया गया है. हम कल से सर्वे करेंगे. लोगों से जरूरी जानकारी के फार्म आप को कल दे दिए जाएंगे. आप को लोगों से उन के बारे में पता कर के हर किसी से 500 रुपए लेने हैं.
‘‘यह कोई फीस नहीं नहीं है, बल्कि इन पैसों से उन्हें धार्मिक यात्रा पर भेजा जाएगा, ताकि उन का जीवन धन्य हो जाए,’’ उस भगवाधारी ने कहा.
‘‘पर यहां के लोग तो गरीब लगते हैं. हम उन से 500 रुपए कैसे मांगेंगे? अगर उन्होंने मना कर दिया तो?’’ अनामिका ने सवाल किया.
‘‘यही तो मेन मुद्दा है. असली राष्ट्रवादी धार्मिक यात्रा के लिए पैसे देने से मना नहीं करेगा. जो मना करेगा, उसे हम बाहरी मान लेंगे, जो यहां नाम बदल कर रह रहे हैं.
‘‘हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी का मकसद यही है कि अशोका राज्य में सिर्फ राष्ट्रवादी लोग ही रहेंगे, ताकि यह राज्य खुशहाल बन सके,’’ उस भगवाधारी ने बताया.
‘‘आप ने एक बात तो बताई ही नहीं,’’ भगवाधारी के साथ आई उस जवान लड़की ने कहा.
‘‘कौन सी बात?’’ उस भगवाधारी ने हैरान हो कर पूछा.
‘‘यही कि जो भी आदमी अपनी सही जानकारी देगा, उसे मंदिरों में जाने का हक मिलेगा. इस से राष्ट्रवाद को मजबूती मिलेगी और समाज का कल्याण भी होगा,’’ उस जवान लड़की ने बताया.
‘‘तुम ने सही याद दिलाया. तुम जैसी जागरूक साथी की वजह से ही हमारे सर्वश्रेष्ठ गुरुजी की मुहिम कामयाब हो कर रहेगी,’’ उस भगवाधारी ने मुसकराते हुए कहा.
रात के 9 बज चुके थे. अब स्कूल में सिर्फ वही लोग थे, जो यह सर्वे करने यहां अशोका राज्य में आए थे.
हालांकि, लड़के और लड़कियों के बिस्तर अलगअलग थे, पर रात के अंधेरे में कुछ जोड़े एक ही बिस्तर पर गुटरगूं कर रहे थे. वहां कोई रोकटोक नहीं थी.
विजय और अनामिका भी एक ही चारपाई पर थे. विजय ने अनामिका के बालों में हाथ फिराते हुए कहा, ‘‘डार्लिंग, कुछ दिनों की बात है. सर्वे के बहाने हम एकसाथ रहेंगे और कुछ पैसे भी बना लेंगे.’’
‘‘पर विजय, मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है. इन लोगों के इरादे सही नहीं लग रहे हैं. यह तो गरीबों के साथ जबरदस्ती है. 500 रुपए में मोक्ष का सपना दिखाया जा रहा है. जो भी पैसे देने में आनाकानी करेगा, उसे इस राज्य से भगा दिया जाएगा,’’ अनामिका ने विजय के कंधे पर सिर रखते हुए कहा.
विजय ने अनामिका को अपनी मजबूत बांहों में भींचते हुए कहा, ‘‘कल की कल देखेंगे. अभी तो इस रात का मजा लेते हैं.’’
अनामिका विजय को बेतहाशा चूमने लगी और उन दोनों ने चादर ओढ़ ली.
अगले दिन वे दोनों एक घर के सामने खड़े थे. वहां 2 बूढ़े पतिपत्नी रहते थे. बूढ़ा लाठी टेकता हुआ उन दोनों के पास आया और 10 रुपए निकाल कर बोला, ‘‘बेटा, तुम लोगों को फार्म में जो भरना है, खुद ही भर लो. हमें बताया गया था कि 5 रुपए के हिसाब से हम दोनों के 10 रुपए बनते हैं.
‘‘हमें इस उम्र में धार्मिक यात्रा पर जाना है. पूरी जिंदगी हम दोनों ने यहां के मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं. हमें वह चौखट भी पार करनी है.
‘‘मैं ने किसी तरह 1,000 रुपए का इंतजाम किया है. फार्म में किसी तरह की गलती मत करना वरना ऊपर जा कर हम अपने भगवान को क्या मुंह दिखाएंगे.’’
इतने में वह भगवाधारी वहां आया और विजय से बोला, ‘‘हम ने इन दोनों की पहले ही जांचपड़ताल कर ली है. ये दोनों हमारे राज्य में रहने के लिए फिट हैं. सर्वश्रेष्ठ गुरुजी का आदेश है कि इन्हें मोक्ष मिलना ही चाहिए.’’
‘‘पर जब पहले से ही सबकुछ हो चुका है, तो फिर यह सर्वे किस काम का है?’’ अनामिका ने सवाल किया.
‘‘तुम इस पचड़े में मत पड़ो और मैं जो फार्म तुम लोगों को दे रहा हूं, उन पर दस्तखत कर दो. 20 फार्म हैं. ये सभी फर्जी लोग हैं. इन्हें हमारे राज्य से बाहर भेज दिया जाएगा. 5 रुपए के हिसाब से तुम्हारे 100 रुपए हुए. इन्हें रख लो,’’ वह भगवाधरी बोला.
अनामिका ने अपना सिर पकड़ लिया. राष्ट्रवाद के नाम पर यह कैसा खेल चल रहा था, जो उस की समझ से परे था.
‘‘यार विजय, जब इस छोटे से सर्वे में इतनी बड़ी धांधली हो रही है, तो बिहार में विपक्ष जो सरकार पर चुनाव आयोग के जरीए लाखों वोट काटने का इलजाम लगा रहा है, वह भी तो कहीं न कहीं सच ही होगा न,’’ अनामिका बोली.
‘‘बात में तो दम है. जब से यह मामला उछला है, बिहार विधानसभा चुनाव से ज्यादा यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है. पर आम जनता को अगर यह मामला सम?ाना हो तो वह कहां जाए? हमारे देश में वंचित समाज के लोग कितने कम जागरूक हैं, यह कड़वा सच किसी से छिपा नहीं है,’’ विजय ने मानो सरकार पर ताना मारा.
‘‘जहां तक अखबारों, न्यूज चैनलों खासकर बीबीसी की रिपोर्टिंग की बात करें तो मोटामोटा मामला कुछ यों है कि ‘सर’ यानी स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन का प्रोसैस 1 जुलाई, 2025 से शुरू हुआ है. इस के तहत 1 अगस्त, 2025 को लिस्ट का ड्राफ्ट पब्लिश किया जाना था और आखिरी लिस्ट 30 सितंबर, 2025 को पब्लिश होगी. इस से पहले इतने बड़े लैवल पर यह प्रोसैस आखिरी बार साल 2003 में हुआ था.
‘‘चिंता की बात यह है कि जो 11 दस्तावेज लोगों से मांगे जा रहे हैं, वे बड़े पैमाने पर लोगों के पास मुहैया नहीं हैं. एक सर्वे में साफ निकल कर आया है कि 63 फीसदी लोगों के पास वे कागजात नहीं हैं, जो उन से मांगे जा रहे हैं.
‘‘यहां सब से बड़ा सवाल यह है कि जो हाशिए पर खड़े समुदाय हैं, जैसे दलित, वंचित और औरतें… क्या वे सचमुच इस तरह की जद्दोजेहद में अपनी बात उठा पाएंगे और अपने फार्म जमा कर पाएंगे?’’ अनामिका बोली.
‘‘पौइंट तो तुम्हारा एकदम सही है,’’ विजय बोला.
‘‘इस के उलट 24 जून, 2025 को चुनाव आयोग ने अपने एक प्रैस नोट में कहा था कि बिहार में वोटरों की
लिस्ट का आखिरी बार स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन साल 2003 में किया गया था. उस के बाद कई लोगों की मौत होने, लोगों के दूसरी जगह चले जाने और गैरकानूनी तौर पर लोगों के बसने की वजह से फिर से एक स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन की जरूरत है.
‘‘यह भी कहा था कि जिन लोगों का नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में आता है, उन्हें बस चुनाव आयोग की तरफ से जारी एक फार्म भरना होगा. जिन का नाम नहीं आता, उन्हें जन्म के साल के मुताबिक दस्तावेज देने होंगे. जिन का जन्म 1 जुलाई, 1987 के पहले हुआ है, उन्हें अपने जन्मस्थल या जन्मतिथि के दस्तावेज देने होंगे.
‘‘जिन का जन्म 1 जुलाई, 1987 से 2 दिसंबर, 2004 के बीच हुआ है, उन्हें अपने साथ अपने मातापिता में से किसी एक के दस्तावेज देने होंगे. जिन का जन्म 2 दिसंबर, 2004 के बाद हुआ है, उन्हें अपने दस्तावेज के साथ अपने मातापिता के भी दस्तावेज देने होंगे.
‘‘जिन के मातापिता का नाम साल 2003 की वोटर लिस्ट में शामिल है, उन्हें अपने मातापिता के दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी. हालांकि, सभी वोटरों को चुनाव आयोग की तरफ से जारी किया गया फार्म भरना होगा,’’ अनामिका ने बताया.
‘‘तो इस में दिक्कत क्या है? लोग फार्म भरें और इस मुसीबत से छुटकारा पा लें,’’ विजय बोला.
‘‘दिक्कत यह है कि सरकार के अपने ही आंकड़े बताते हैं कि चुनाव आयोग जो दस्तावेज मांग रहा है, वे ज्यादातर लोगों के पास मुहैया नहीं हैं. साल 2022 में बिहार में हुए जातिगत सर्वे के मुताबिक सिर्फ 14 फीसदी लोग 10वीं पास हैं. जिन के पास पक्का मकान है, उन की तादाद 60 फीसदी से भी कम है. चुनाव आयोग के अपने आंकड़े बताते हैं कि 21 फीसदी वोटर बिहार से बाहर रहते हैं.
‘‘ऐसे में लोगों के दस्तावेज जुटा पाना बहुत चैलेंजिंग है. वह भी इतने कम समय में. वैसे भी इस मसले पर अनपढ़ क्या, पढ़ेलिखे लोगों में भी जागरूकता की भारी कमी है,’’ अनामिका ने अपनी बात रखी.
‘‘ओह, यही वजह है कि चुनाव आयोग के इस प्रोसैस को ले कर सभी विपक्षी दल एकजुट हो कर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर बिहार चुनाव से महज 3 महीने पहले ही इस की जरूरत क्यों महसूस हुई?
‘‘मैं ने भी पढ़ा था कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है और बैकडोर से एनआरसी लागू करने की कोशिश की जा रही है.
‘‘हाल ही में राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जो चोरी महाराष्ट्र में हुई, वही चोरी अब बिहार में करने की तैयारी है,’’ विजय बोला.
‘‘पर वे 11 दस्तावेज कौन से हैं, जो चुनाव आयोग मांग रहा है?’’ विजय ने थोड़ा रुक कर सवाल किया.
‘‘पहला दस्तावेज है केंद्र या राज्य सरकार या पब्लिक सैक्टर यूनिट के नियमित कर्मचारी या पैंशनर को जारी किया गया कोई भी पहचानपत्र या पैंशन भुगतान आदेश. दूसरा है 1 जुलाई, 1987 से पहले सरकार या स्थानीय अधिकारियों या बैंकों या पोस्ट औफिस या एलआईसी या पीएसयू द्वारा भारत में जारी किया गया कोई भी पहचानपत्र या प्रमाणपत्र या फिर दस्तावेज. तीसरा है सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जन्म प्रमाणपत्र. चौथा है पासपोर्ट.
‘‘5वां है मान्यताप्राप्त बोर्ड या यूनिवर्सिटी द्वारा जारी मैट्रिक या शैक्षिक प्रमाणपत्र. छठा है सक्षम राज्य प्राधिकारी द्वारा जारी स्थायी निवास प्रमाणपत्र. 7वां है वन अधिकार प्रमाणपत्र. 8वां है ओबीसी या एससी या एसटी या सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी कोई भी जाति प्रमाणपत्र. 9वां है नैशनल रजिस्ट्रार औफ सिटीजन्स (जहां भी यह मौजूद है). 10वां है राज्य या स्थानीय अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया परिवार रजिस्टर. 11वां है सरकार द्वारा जारी कोई भी भूमि या घर आवंटन प्रमाणपत्र.’’
‘‘अरे, इस तरह के भी सर्टिफिकेट होते हैं क्या इस देश में?’’ विजय ने हैरान हो कर पूछा.
‘‘स्पैशल इंटैंसिव रिवीजन के पहले चरण के बाद यह बात सामने आई थी कि राज्य के तकरीबन 8 फीसदी वोटर यानी 65 लाख वोटरों के नाम ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल नहीं हो पाए हैं,’’ अनामिका ने अपनी बात को आगे बढ़ाया.
‘‘इस पर तुर्रा यह कि चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि ऐसा जरूरी नहीं है कि वह उन वोटरों के नाम की लिस्ट भी पब्लिश करे जिन के नाम बिहार की वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट रोल में शामिल नहीं हैं.’’
‘‘यह मामला बेहद गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में अपना पक्ष रखना चाहिए और जिस तरह से विपक्ष को वोट चोरी का मामला लगा है, सरकार और चुनाव आयोग से पूरे मामले पर अपना रुख साफ करने के आदेश देने चाहिए.
‘‘एक आम आदमी के पास वोट की ताकत होती है. अगर वही उस से छिन जाएगी, तो फिर देश में लोकतंत्र होने का कोई मतलब नहीं बनता है. तानाशाही पर रोक लगनी ही चाहिए,’’ विजय ने कहा.
थोड़ी देर के लिए वहां चुप्पी छा गई थी.
अशोका राज्य की हमारी काल्पनिक कहानी ने बिहार के वोटरों की समस्या पर जो बात की है, वह बहुत गंभीर है और सरकार को इस पर अपना रुख साफ करना चाहिए, वरना चुनाव आयोग को कठघरे में ऐसे ही खड़ा किया जाएगा. News Story In Hindi