1 दिसंबर की सुबह 11 बजे के करीब कृष्णवल्लभ गुप्ता लिफ्ट से 7वीं मंजिल पर स्थित अपने फ्लैट नंबर 702 पर पहुंचे तो उन्हें फ्लैट के दरवाजे की सिटकनी बाहर से बंद मिली. उन्हें लगा कि रुचिता किसी काम से ऊपर वाले फ्लैट में गई होगी, इसलिए बाहर से सिटकनी बंद है. सिटकनी खोल कर वह अंदर पहुंचे तो बच्चों के बैडरूम के सामने उन्हें कई जगह खून के निशान दिखाई दिए.

उन्हें लगा कि रुचिता के हाथ या पैर में कुछ लग गया होगा, उसी के खून के ये निशान हैं. उन्होंने रुचिता को आवाज दी, ‘‘रुचि…ओ रुचि…कहां हो भई तुम?’’

रुचिता नहीं बोली तो कृष्णवल्लभ ऊपर वाले फ्लैट में उसे देखने गए. वह वहां भी नहीं मिली तो उन्हें संदेह हुआ. अपने फ्लैट में आ कर उन्होंने कमरों में ही नहीं, बाथरूम, टौयलेट में भी देखा, लेकिन रुचिता कहीं नहीं मिली.

इस तलाश में उन्हें फ्लैट में कुछ अन्य जगहों पर भी खून के निशान नजर आए. इस के बाद उन्होंने रुचिता के मोबाइल पर फोन किया. फोन की घंटी तो पूरी बजी, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ.

कृष्णवल्लभ थोड़ा परेशान हुए. उन्होंने भूतल पर अपार्टमेंट के सुरक्षागार्ड प्रेम बहादुर को फोन कर के रुचिता के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि मैडम न तो नीचे आई हैं और न ही अपार्टमेंट से बाहर गई हैं. इस के बाद उन्होंने उसे फ्लैट में खून के निशान मिलने की बात बता कर ऊपर बुला लिया.

वह ऊपर पहुंचा तो खून के निशान देख कर वह भी चौंका. एक बार फिर कृष्णवल्लभ ने गार्ड के साथ रुचिता की तलाश शुरू की. गार्ड प्रेम बहादुर ने फ्लैट के स्टोररूम का दरवाजा खोला तो नीचे फर्श पर सामने ही रुचिता की लाश पड़ी दिखाई दी. उस के आसपास खून फैला था.

लाश देख कर प्रेम बहादुर चीख पड़ा. कृष्णवल्लभ भाग कर उस के पास आए और रुचिता की नब्ज टटोल कर देखी तो वह शांत थी. पत्नी की मौत के बारे में जान कर वह जोर से चिल्लाए. उन के चिल्लाने की आवाज सुन कर पड़ोसी आ गए.

यह घटना उदयपुर शहर के न्यू भूपालपुरा के लक्ष्मण वाटिका के पास बने आर्बिट-1 अपार्टमेंट की है. कृष्णवल्लभ गुप्ता इस बहुमंजिला अपार्टमेंट में 7वीं मंजिल पर बने फ्लैट में पत्नी रुचिता, 9 साल की बेटी अविशी और 8 साल के बेटे अरनव के साथ रहते थे. दिनदहाड़े फ्लैट में महिला की हत्या होने से पूरे अपार्टमेंट में सनसनी फैल गई थी.

सूचना पा कर कुछ ही देर में थाना सुखेर पुलिस घटनास्थल पर आ गई थी. फ्लैट और लाश के निरीक्षण में साफ लग रहा था कि मृतका ने आखिरी दम तक संघर्ष किया था. हत्या किसी नुकीली चीज के अलावा सिर को दीवार में पटक कर की गई थी.

फ्लैट की स्थिति से साफ लग रहा था कि लूटपाट जैसा कुछ नहीं हुआ था. रसोई में गैस चूल्हे पर दूध रखा था. घर में रुचिता के मोबाइल की तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला. अब तक यह समझ में नहीं आया था कि रुचिता की हत्या क्यों की गई थी? फ्लैट में न तो चोरी हुई थी और न ही कोई दूसरी ऐसी बात सामने आई, जिस से हत्या का पता चलता.

सूचना पा कर उदयपुर के ही सैक्टर-4 में रहने वाली रुचिता की मौसी मोनिका जैन और कुछ अन्य रिश्तेदार तथा परिचित आ गए थे. पूछताछ में कृष्णवल्लभ ने बताया था कि वह एलएलबी फाइनल ईयर की पढ़ाई कर रहा था. इस के अलावा वह सीए भी कर रहा था.

रुचिता वकील थी और उदयपुर बार एसोसिएशन की सदस्य भी थी. कभीकभी वह कोर्ट भी जाती थी. वह जज बनना चाहती थी, इसलिए राजस्थान न्यायिक सेवा (आरजेएस) परीक्षा की तैयारी कर रही थी. इस के लिए वह सुबह करीब साढ़े 7 बजे कोचिंग जाती थी.

उस दिन भी वह सुबह अपने समय पर कोचिंग चली गई थी. उस के बाद दोनों बच्चे स्कूल चले गए थे. साढ़े 8 बजे वह भी कालेज चला गया था. तब तक रुचिता कोचिंग से आई नहीं थी. अपार्टमेंट से निकलते समय उस ने सुरक्षागार्ड प्रेम बहादुर से कहा था कि दूध वाला आए तो मैडम से कह देना कि दूध ले लेंगी. 11 बजे के करीब वह घर लौटा तो फ्लैट के दरवाजे की बाहर से सिटकनी लगी थी और अंदर स्टोररूम में रुचिता की लाश पड़ी थी.

कृष्णवल्लभ की बातों से साफ हो गया था कि रुचिता की हत्या सुबह साढ़े 8 से 11 बजे के बीच हुई थी. पुलिस ने पड़ोसियों और सुरक्षागार्ड प्रेम बहादुर से भी पूछताछ की लेकिन ऐसी कोई बात सामने नहीं आई, जिस से हत्या या हत्यारे के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजना चाहा तो रुचिता की मौसी मोनिका जैन ने आग्रह किया कि रुचिता के घर वाले अजमेर से चल पड़े हैं, उन्हें आ जाने दीजिए. उस के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाइएगा. पुलिस ने उन की बात मान ली.

इस बीच पुलिस जांच करती रही. एसएफएल टीम ने भी आ कर सारे साक्ष्य जुटा लिए थे. दोपहर में रुचिता के दोनों बच्चे स्कूल से आए तो उन्हें कुछ बताए बगैर मोनिका जैन ने अपने घर भिजवा दिया. शाम को रुचिता के पिता दुलीचंद जैन एवं भाई विवेक उर्फ सोनू पहुंचे तो लाश देख कर दोनों रोने लगे.

पिता और भाई ने रुचिता की हत्या के लिए कृष्णवल्लभ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि शराब पी कर वह रुचिता के साथ मारपीट करता था. रोजाना फोन कर के वह पति की हरकतें बताती थी. रुचिता के नाम पर लिया गया फ्लैट और उस के गहने भी उस ने बेच दिए थे. पिता और भाई ने रुचिता की हत्या का कृष्णवल्लभ गुप्ता पर आरोप लगाते हुए उस के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने के लिए तहरीर भी दे दी थी.

रुचिता के पिता और भाई द्वारा दी गई तहरीर को मुकदमा दर्ज करने थाने भेज दिया गया था. इस के बाद बाकी की काररवाई कर के लाश को पोस्टमार्टम के लिए एमबी अस्पताल भिजवा दिया था. चूंकि कृष्णवल्लभ गुप्ता को नामजद किया था, इसलिए पुलिस उसे साथ ले कर थाने आ गई थी.

थाने में पूछताछ में भी कृष्णवल्लभ ने वही बातें दोहराईं. पुलिस ने उस की बातों की सच्चाई के बारे में पता किया तो उस ने बताया था कि वह लौ कालेज का रेग्युलर स्टूडेंट है, लेकिन वह रोजाना नहीं, कभीकभी कालेज जाता था. अब सवाल यह था कि जब वह रोजाना कालेज नहीं जाता था तो उस दिन कालेज क्यों गया था?

उस ने बताया था कि बच्चों के उठने से पहले रुचिता कोचिंग चली गई थी, जबकि बच्चों ने बताया था कि सुबह उन का टिफिन बना कर मम्मी ने ही दिया था. सुबह 10 बजे के करीब चौकाबरतन करने वाली बाई हेमा आई थी तो दरवाजे पर ताला लगा था.

दूसरी ओर कृष्णवल्लभ ने बताया था कि 11 बजे जब वह फ्लैट पर पहुंचा था तो दरवाजे पर बाहर से सिटकनी लगी थी और रुचिता का शव स्टोररूम में पड़ा था. उस ने फ्लैट के अंदर आ कर भी शव क्यों नहीं देखा? लाश सुरक्षागार्ड ने देखी. उस के हाथ के नाखूनों पर खून लगा था, जिस के बारे में उस का कहना था कि रुचिता के शव को देखते समय उस के शरीर पर लगा खून उस के हाथों में लग गया होगा.

रुचिता के पिता और भाई का कहना था कि कृष्णवल्लभ बड़ा ही गुस्सैल व हिंसक प्रवृत्ति का था. अकसर पतिपत्नी में झगड़ा होता रहता था. उन्होंने बताया था कि कुछ महीने पहले उस ने रुचिता को जान से मारने की धमकी भी दी थी. हालांकि पड़ोसियों ने झगड़े की बातें नहीं बताई थीं.

पूछताछ में यह भी पता चला कि कुछ समय पहले रुचिता पति, बच्चों और भाई के साथ दुबई घूमने गई थी. वहां किसी बात पर विवाद हो गया तो कृष्णवल्लभ दोनों बच्चों को छोड़ कर चला आया था. बाद में रुचिता का भाई उन्हें ले कर आया था. कृष्णवल्लभ ने बताया था कि वह साढ़े 8 बजे कालेज के लिए निकला था. तब तक रुचिता घर नहीं लौटी थी.

जबकि अपार्टमेंट के कुछ लोगों ने बताया था कि साढ़े 8 बजे उन्हें रुचिता अपार्टमेंट की लिफ्ट में मिली थी. इस के अलावा कृष्णवल्लभ ने उस दिन से पहले अपार्टमेंट के सुरक्षागार्ड से कभी यह नहीं कहा था कि दूधवाला आए तो मैडम से कह देना कि दूध ले लेंगी.

ये बातें कृष्णवल्लभ गुप्ता को संदेह के दायरे में ला रही थीं. जबकि हत्या में किसी भी तरह से अपना हाथ होने से वह मना कर रहा था. पुलिस ने रुचिता के मोबाइल को सर्विलांस पर लगवा दिया था. पुलिस कृष्णवल्लभ से पूछताछ कर ही रही थी कि रात होतेहोते इस मामले में एक नया मोड़ आ गया.

अपार्टमेंट की 8वीं मंजिल के फ्लैट नंबर 892 में रहने वाले अरविंद कोठारी का 22 साल का बेटा दिव्य अचानक लापता हो गया. लापता होने से पहले वह अपने कमरे में एक पत्र छोड़ गया था, जिस में उस ने लिखा था, ‘रुचिता की हत्या से मेरा कोई लेनादेना नहीं है. मैं काफी परेशान हूं. दिन में पुलिस ने मुझ से पूछताछ की थी, लेकिन मम्मीपापा, मैं ने कुछ नहीं किया.’

अचानक इस तरह दिव्य कोठारी का गायब होना और छोड़े गए पत्र में ‘रुचिता की हत्या से मेरा कोई लेनादेना नहीं है’ वाली बात ने पुलिस को उलझा दिया था. उस के घर वालों का कहना था कि दोपहर के करीब 2 बजे वह बिना बताए मोटरसाइकिल से कहीं चला गया था. जब रात तक वह घर नहीं लौटा तो उन्हें चिंता हुई. उन्होंने उस के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन बात नहीं हुई. उस का सामान देखा गया तो उसी में वह पत्र मिला था.

पुलिस दिव्य कोठारी की तलाश में जुट गई. उस के बारे में जानकारियां जुटाई गईं तो पता चला कि वह चार्टर्ड एकाउंटैंसी (सीए) कर रहा था. लेकिन सीपीटी में कई बार फेल हो चुका था. इस से अवसाद में था. पुलिस ने दिव्य के मोबाइल को सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन देर रात तक बड़े तालाब के आसपास की मिलती रही.

पुलिस रात भर उस की तलाश करती रही, पर उस का कुछ पता नहीं चला. अगले दिन यानी 2 दिसंबर की सुबह वह उदयपुर शहर की फतेहपुरा पुलिस चौकी पर पहुंचा और वहां बताया कि उस का नाम दिव्य कोठारी है. चौकी पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर थाना सुखेर पहुंचा दिया.

थाने में दिव्य से पूछताछ की जाने लगी तो कभी वह रोने लगता तो कभी हंसने लगता. उस का कहना था कि वह रुचिता को मां की तरह मानता था. पत्र के बारे में उस का कहना था कि पूछताछ से डर कर उस ने पुलिस को वह पत्र लिखा था. दिन भर की पूछताछ में पुलिस को दिव्य से ऐसी कोई बात पता नहीं चली, जिस से हत्या के बारे में कुछ पता चलता.

पुलिस कृष्णवल्लभ से भी पूछताछ कर रही थी. अपराध स्वीकार करने के लिए पुलिस उस पर काफी दबाव बना रही थी. एक बार तो पुलिस ने हवा भी फैला दी कि कृष्णवल्लभ ने पत्नी की हत्या का अपना अपराध स्वीकार भी कर लिया है, लेकिन शाम को ही एसपी राजेंद्र प्रसाद गोयल ने कहा कि अभी ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है, मामले की जांच चल रही है.

अगले दिन रुचिता का मोबाइल उदयपुर के सायरा के एक मजदूर के पास से मिल गया. उसे वह मोबाइल सड़क पर पड़ा मिला था. पुलिस ने रुचिता के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स खंगाली, लेकिन उस से भी कोई सबूत नहीं मिला. पोस्टमार्टम के बाद रुचिता की लाश उस के मायके वाले अजमेर ले कर चले गए और वहीं उस का अंतिम संस्कार कर दिया. पुलिस हिरासत में होने की वजह से कृष्णवल्लभ पत्नी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका.

3 दिसंबर को आखिर पुलिस ने रुचिता हत्याकांड का खुलासा कर दिया. एसपी राजेंद्र प्रसाद गोयल ने प्रेस कौन्फ्रैंस में बताया कि रुचिता की हत्या दिव्य ने की थी. वह साइकोसिस का मरीज है. उस ने यह हत्या इसी बीमारी के दौरे के दौरान की थी. यह ऐसी बीमारी है, जिस का दौरा आने पर वह अपनी मां की भी हत्या कर सकता था.

थाने में जब दिव्य के घर वालों को बुलवाया गया तो वह मां से मिलने के बाद उस की गोद में सो गया था. दिव्य ने पुलिस को यह भी बताया था कि अब तक वह 8 बार खुदकुशी की कोशिश कर चुका है.

लेकिन अगले दिन 4 दिसंबर को पुलिस द्वारा दिव्य को साइकोसिस बताने पर जांच पर सवाल उठ खड़े हुए. इस के बाद पुलिस ने कहा कि दिव्य पागल नहीं है, बल्कि पागल होने का नाटक कर रहा था. अगर वह पागल होता तो सीए की पढ़ाई कैसे करता. पुलिस ने दिव्य को उसी दिन अदालत में पेश कर के 8 दिसंबर तक के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

5 दिसंबर को उदयपुर बार एसोसिएशन के निवर्तमान अध्यक्ष भरत जोशी और उपाध्यक्ष गोपाल सिंह चौहान के नेतृत्व में वकीलों का एक समूह एसपी राजेंद्र प्रसाद गोयल से मिला और उन से कहा कि महिला अधिवक्ता रुचिता की हत्या जैसे संवेदनशील मामले में जिस तरह हत्यारे को साइकोसिस बता दिया गया. इस पर सवाल उठे तो पुलिस अब कह रही है कि दिव्य पागल नहीं था, वह तो नाटक कर रहा था. पुलिस इस मामले की जांच योग्य अधिकारियों से कराई जाए, वरना अदालत में केस की सुनवाई के दौरान हत्यारा इस का अनुचित लाभ उठा सकता है.

2 दिनों में पुलिस द्वारा दिए गए अलगअलग बयानों की वीडियो क्लिपें बना कर लोगों ने वायरल कर दिया है. बगैर मैडिकल जांच के हत्या के अभियुक्त को मानसिक रोगी बता देना पुलिस की बहुत बड़ी संवेदनहीनता और लापरवाही है.

यहां सवाल यह उठता है कि आखिर दिव्य ने रुचिता की हत्या क्यों की थी? पुलिस द्वारा दिव्य से की गई पूछताछ में इस हत्याकांड की जो कहानी उभर कर सामने आई है, वह इस प्रकार थी—

कृष्णवल्लभ गुप्ता कोटा के रामपुरा के रहने वाले एस.आर. गुप्ता के बेटे थे तो रुचिता उर्फ अनु अजमेर के केसरगंज के रहने वाले दुलीचंद जैन की बेटी थी. रुचिता और कृष्णवल्लभ ने सन 2003 में प्रेम विवाह किया था. शादी के बाद दोनों उदयपुर में किराए का मकान ले कर रहने लगे थे.

गुजरबसर के लिए कृष्णवल्लभ एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगा था. इस के अलावा वह बीएसएनएल में ठेकेदारी के साथसाथ एकाउंट्स का काम भी करता था. बहुधंधी होने की वजह से वह ठीकठाक कमाई कर लेता था. शादी के बाद बेटी हुई तो उस का नाम रखा गया अविशी उर्फ तनु, जो इस समय 9 साल की है. इस के साल भर बाद ही बेटा अरनव उर्फ मिशु हो गया.

कृष्णवल्लभ के पास पैसा आया तो उदयपुर के न्यू भूपालपुरा में लक्ष्मण वाटिका के पास आर्बिट-1 अपार्टमेंट में उन्होंने अपना एक फ्लैट खरीद लिया, जो 8वीं मंजिल पर था. उन्हीं के फ्लैट के सामने अरविंद कोठारी रहते थे, दिव्य कोठी उन्हीं का बेटा है. आमनेसामने रहने की वजह से दोनों परिवारों का एकदूसरे के यहां आनाजाना ही नहीं था, बल्कि अच्छा मेलजोल भी था.

एक साल पहले कृष्णवल्लभ ने 8वीं मंजिल वाला अपना फ्लैट बेच कर 7वीं मंजिल पर फ्लैट खरीद लिया. इस के अलावा उन्होंने विश्वविद्यालय रोड पर एक भूखंड भी खरीद लिया. एक मंजिल नीचे आने के बाद भी कोठारी और उन में मेलजोल बना रहा. दिव्य लगभग रोज रुचिता के यहां आता था. वह उन्हें आंटी कहता था.

रुचिता की उम्र करीब 35 साल थी, लेकिन कदकाठी ऐसी थी कि अभी भी उन में गजब का आकर्षण था. शायद यही वजह थी कि दिव्य उन की ओर आकर्षित हो गया. वह मन ही मन उन्हें प्यार करते हुए उन्हें हासिल करने के बारे में सोचने लगा.

वह रुचिता के साथ डांडिया, बैडमिंटन खेलता और जब वह योगा करतीं तो उन्हें चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. अब वह अकसर उन के घर में पल रहे कछुए से खेलने के बहाने आने लगा.

पहली दिसंबर की सुबह साढ़े 8 बजे के करीब कृष्णवल्लभ कालेज के लिए फ्लैट से निकले तो दिव्य ने स्कूटर से कुछ दूरी तक उन का पीछा किया, ताकि पता चल सके कि वह कहां जा रहे हैं. जब उस ने देखा कि वह कालेज गए हैं तो वह लौट आया. पौने 9 बजे दूधवाला आया तो उसी समय दिव्य दूसरी लिफ्ट से 7वीं मंजिल पर पहुंचा और रुचिता के फ्लैट का दरवाजा खुला देख कर अंदर चला गया.

रुचिता उस समय किचन में गैस चूल्हे पर दूध गर्म कर रही थी. दिव्य रुचिता से थोड़ी बातचीत कर के बैडरूम में चला गया और वहां घूम रहे कछुए की फोटो खींचने लगा. इस के बाद तेज आवाज में टीवी चला कर उस ने रसोई में जा कर रुचिता को पीछे से पकड़ लिया और उस के साथ जबरदस्ती की कोशिश करने लगा. दिव्य की इस हरकत से रुचिता चौंकी. उस ने कहा, ‘‘बेटा, यह क्या कर रहे हो?’’

लेकिन दिव्य नहीं माना और रुचिता के आगे के कपड़े फाड़ दिए. दुष्कर्म में सफल न होने पर वहां रखे टूल बौक्स से एक पाना निकाल कर वह रुचिता पर वार करने लगा. इस के अलावा रुचिता के बाल पकड़ कर उस का सिर दीवार पर दे मारा, जिस से रुचिता गिर पड़ी. इस के बाद वह उसे घसीट कर स्टोररूम में ले गया और उसी पाने से उसे तब तक मारता रहा, जब तक वह मर नहीं गई.

रुचिता की हत्या करने के दौरान दिव्य के कपड़ों पर खून लग गया था, जिसे उस ने बाथरूम में जा कर साफ किया और शावर लिया. रुचिता का मोबाइल ले कर वह बालकनी में आया. उस ने देखा कि कोई पड़ोसी उसे देख तो नहीं रहा. बाहर कोई नहीं दिखा तो रिमोट से टीवी बंद कर के वह अपने फ्लैट पर चला गया.

कुछ देर अपने फ्लैट पर रुक कर वह कार से बाहर चला गया. लौटा तो रुचिता की हत्या की सूचना पा कर पुलिस आ गई थी. कुछ देर वह पुलिस की काररवाई पर नजर रखता रहा. उस के बाद अपने फ्लैट पर गया और पत्र लिख कर एक बैग में कुछ कपड़े तथा अन्य सामान के साथ रुचिता का मोबाइल रख कर मोटरसाइकिल से चला गया.

घर से निकलने के बाद वह इधरउधर घूमता रहा. उस का बैग कोने में फटा था, जिस से अंबेरी के पास स्पीड ब्रेकर पर मोटरसाइकिल उछली तो रुचिता का मोबाइल गिर गया, जो एक मजदूर को मिला था. 2 दिसंबर को पुलिस ने सर्विलांस के माध्यम से उसे बरामद कर लिया था.

पुलिस ने 5 दिनों की रिमांड अवधि पूरी होने के बाद दिव्य को अदालत में पेश किया, जहां जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि अभी अभियुक्त पर भादंवि की धाराएं 302 एवं 201 के तहत मुकदमा दर्ज है. अभी इस में दुष्कर्म के प्रयास की धाराएं जोड़ी जानी है. इस के बाद अदालत ने दिव्य को 3 दिनों के और पुलिस रिमांड पर दे दिया.

पुलिस ने रुचिता की हत्या में प्रयुक्त पाना, खून लगे कपड़े बरामद कर लिए थे. दिव्य की कार, स्कूटर और मोटरसाइकिल के साथ मोबाइल भी जब्त कर लिया गया था.

रुचिता जिस पड़ोसी लड़के को बेटा मानती थी, उसी ने उस की इज्जत पर हाथ डालने की ही नहीं सोची, बल्कि विरोध करने पर जान भी ले ली. आखिर इस में रुचिता की क्या गलती थी? एक लड़के की कुंठा से एक हंसताखेलता परिवार उजड़ गया, 2 मासूम बच्चे बिना मां के हो गए. रुचिता के बच्चे नानानानी के पास हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों एवं अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित

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