सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह दागी सांसदों-विधायकों के मुकदमे निपटाने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करे. इन अदालतों की स्थापना के लिए संसाधनों के बारे में विस्तृत ब्योरा छह हफ्ते में पेश करे.

जस्टिस रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्र से पूछा कि वर्ष 2014 के चुनावों में दागी सांसदों और विधायकों के 1,581 मामलों में कितने का निस्तारण एक वर्ष में किया गया है? क्या किसी जनप्रतिनिधि के खिलाफ अब तक कोई मुकदमा दर्ज हुआ है?

केंद्र के वकील अतिरिक्त सालिसीटर जनरल आत्माराम नाडकर्णी ने पीठ को बताया कि विशेष अदालतों के गठन के खिलाफ नहीं है. दागी नेताओं के मुकदमे एक साल में निपटाने के लिए करीब 1000 अदालतें बनाने की जरूरत पड़ सकती है. लेकिन यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में भी हो सकता है. कोर्ट जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा है.

आजीवन बैन पर विचार

केंद्र ने पीठ को बताया कि आपराधिक मामलों में दोषी नेताओं को आजीवन अयोग्य घोषित करने पर गंभीरता से विचार हो रहा है.

पांच साल की योजना बनाएं

कोर्ट ने कहा, ये अदालतें पांच वर्ष के लिए बनाई जा सकती हैं, जिन्हें आगे बढ़ाया जा सकता है.

51 सांसद और विधायकों पर महिला अपराध के केस

33% सांसद और विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि के

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