Relationship Tips: जितेंद्र और सुमित्रा सहोदर यानी सगे भाईबहन थे. उन के छोटे भाई सुरेंद्र की शादी की बात चल रही थी. चूंकि उन के मांबाप नहीं थे, तो सुरेंद्र ने सुमित्रा और अपने जीजाजी की बात मान कर एक जगह रिश्ता देख कर हां बोल दी.

बस, यही बात जितेंद्र को खल गई, क्योंकि वह अपनी साली से सुरेंद्र की शादी कराना चाहता था. वह दिन था और आज का दिन, इस बात को 15 साल हो गए हैं, जितेंद्र ने सुमित्रा से रिश्ता खत्म कर लिया है.

लेकिन खून के रिश्ते इस तरह खत्म नहीं होते हैं. एक दिन सुमित्रा अपने पति के साथ जितेंद्र के घर गई. उस की बेटी की शादी थी. उस ने जितेंद्र को शादी का कार्ड देते हुए हाथ जोड़ कर कहा, ‘‘भाई, भूलचूक माफ कर दे. पहला कार्ड तुझे दे रही हूं. अपनी भांजी की शादी में जरूर आना.’’

पहले तो जितेंद्र ने मुंह फुला लिया, पर फिर भाईबहन का प्यार इस वैर पर भारी पड़ा. जितेंद्र ने सुमित्रा का मान रखा और अपनी भांजी की शादी में परिवार समेत शरीक हुआ. भाई ने बहन की पैसे से भी मदद की.

भाईबहन का रिश्ता दुनिया के सब से प्यारे और अनमोल रिश्तों में से एक है. यह रिश्ता प्यार, विश्वास और समर्थन से भरा होता है. वे दोनों एकदूसरे के साथ बचपन से ले कर बुढ़ापे तक का सफर तय करते हैं और इस दौरान एकदूसरे के साथ कई यादगार पल बिताते हैं.

पर कई बार इस रिश्ते में खटास आ जाती है. इस में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि ऐसा होना स्वाभाविक है, पर इस खटास को कभी कड़वाहट में न बदलने दें. जब भी जरूरत हो भाईबहन एकदूसरे के साथ खड़े रहें, फिर चाहे वह पैसे से मदद करना ही क्यों न हो.

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