लेखक- रंगनाथ द्विवेदी
तांत्रिक दिनेश के पास दो उसके समकक्ष तांत्रिक चेले थे खुर्शीद और संजय यह कभी-कभी अपने तांत्रिक गुरु की भी खाट खड़ी कर देते थे. और इस समय तो कोरोना वायरस जैसी महामारी के चलते इनके–“तांत्रिक खेत की उर्वरता अपने चरम पर थी”. तांत्रिक दिनेश के दोनो चेलो ने इस वायरस की तांत्रिक शुरुआत से पहले की रखी हुई पुरानी इंसानी खोपड़ी व हाथ की पुरानी हड्डी को फेंक कर कब्रिस्तान से एक मजबूत व नई हड्डी को लाकर धुला-पोछा और तांत्रिक क्रिया के अनुकूल उसका मेकअप कर दिया.
फिर उस गांव की ही एक महिला जो की अक्सर कमीशन पर तांत्रिक दिनेश के संपर्क में रहती थी. वे औरतों को झाड़-फूंक के लिए बहलाने और फूशलाने की जादूगर थी. तांत्रिक दिनेश के दोनों चेलो ने उस महिला से मिलकर तांत्रिक दिनेश की पूरी योजना समझाई व कहा कि वे शाम तलक 10 -12 महिलाओं की व्यवस्था कर उन्हें तांत्रिक दिनेश से मिलवाए और यह बताएं कि वह बहुत पहुंचे हुए तांत्रिक हैं जिन्होंने बड़े-बड़े भूत प्रेत बाधा को न केवल दूर किया, बल्कि उन्होंने उस घर और गांव से उस प्रेत बाधा को हमेशा के लिए खत्म कर दिया. तांत्रिक दिनेश बंगाल, आसाम की तंत्र साधना जानने के अलावा लाल किताब के भी बड़े पहुंचे जानकार है.
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वह एक हफ्ते तक ही गांव में रुकेंगे, फिर इसके बाद एक अनजानी अंधेरी गुफा में कोरोना के शैतान को मंत्र से बांधने के लिए चले जाएंगे. रात को 9:00 बजे 12 का क्या वे 20 महिलाओं के साथ तांत्रिक दिनेश के आश्रम में आई, उस आश्रम में प्रवेश करते ही जैसे सभी महिलाओं की बुद्धि 50% तांत्रिक दिनेश के वश में हो गई हो. इसका कारण था, वे अंदर का धुआँ जो कि महिलाएं कह रही थी कि जादू था. तांत्रिक दिनेश भी अपने तंत्र के उस ड्रेस में था, जोकि अक्सर सुपर हिट भुतहे फिल्म के तांत्रिकों की होती हैं.
इतना ही नहीं वे अस्त्र-शस्त्र भी तंत्र साधना के वहीं मौजूद थे. जैसे आज तांत्रिक दिनेश इस कोरोना वायरस की ऐसी-तैसी कर देगा सिंदूर से खींची लाल सुर्ख आड़ी तिरछी रेखा बड़ी ही डरावनी लग रही थी. उसमें से ऐसी चमक निकल रही थी, मानो वहां कोई रोशनी की गई हो. हड्डी से चारों तरफ सिंदूर के घुमाना चीखना खोपड़ी को स्पर्श करना, तीन नींबू, एक कागज में रखें लौंग, कपूर अगरबत्ती यह कोरोना वायरस को तंत्र-मंत्र और इस देश से भगाने की उठापटक का एक अद्भुत दृश्य था.
तभी उसकी पेटेंट महिला अपने फिक्स तांत्रिक व नाटकीय तरीके से बाल खोले गाली देती सिंदूर वाली घेरे के पास पहुंची और जोर-जोर से अजीब अजीब आवाजें निकालने लगी, सारी औरतें एकटक अवाक व डरी सी उसको देखने लगीं. तभी वे उठी और तांत्रिक दिनेश से उलझ गई. तांत्रिक जैसे हवा में कोरोना वायरस रूपी शैतान व उसकी आस -पास के चुड़ैलों को कहने लगा कि, -” जा मेरे मंत्र तंत्र को चैलेंज मत कर, नहीं तो, तुम्हें नष्ट कर दूंगा. मैं नहीं जाऊंगी, पूरे गांव को निकल जाऊंगी ” इतना कहते ही तांत्रिक दिनेश ने पास में रखी राखी उस पर फेंकी वह हाथ के शमशान वाली हड्डी से उसे पीटा, वह गुर्राते हुए बेहोश हो गई.
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उसके बेहोश होते ही तांत्रिक दिनेश ने अपने तांत्रिक चेलों से चाकू मांगा फिर उस चाकू से तीनों नींबू में से एक नींबू को काटा तो लाल खून बहने लगा उसने इस औरत के अंदर मौजूद कोरोना के शैतान व उसके साथ की चुड़ैल को काटा हो उस उस खून को उस दिन उसने सिंदूर पर निचोड़ा , फिर दूसरे नींबू को उस औरत के ऊपर काटकर के निचोड़ा तो वे औरत अचानक सकपका कर उठी जैसे ही उठी तो उसने कहा, मैं कहां हूं? मुझे क्या हुआ? उसके इतना पूछते ही तांत्रिक दिनेश ने झट तीसरा नींबू काटकर उस खोपड़ी पर निचोड़ दिया इतना करते ही वे खोपड़ी और भी खतरनाक और डरावनी दिखने लगी.
फिर उसके चेले पैसे ऐंठने और निकलवाने के अपने हुनर का प्रयोग करने लगे. उन सबको इस कोरोना वायरस की तांत्रिक झाड़-फूंक कराने के लिए प्रेरित किया. फिर सारी औरतें चली गई. क्योंकि तंत्र मत्र के धंधे की सबसे बड़ी ग्राहक व प्रचारक यह औरतें ही हैं फिर आधे घंटे बाद इनकी पेटेंट और फिक्स औरत अपना कमीशन लेने दिनेश के आश्रम पर आई.
अब तक इस गांव से कोरोना वायरस के शैतान को तंत्र मत्र से भगाने के नाम पर तांत्रिक दिनेश ने अपने दोनों तांत्रिक चेलों के व इस फिक्स महिला के मिलीभगत से ₹80000 आ चुके हैं क्योंकि दिनेश भी अब कोई साधारण तांत्रिक नहीं है. बल्कि अपनी कमाई का कोरोना तांत्रिक हो गया है.