शिक्षक ज्ञान की ज्योति फैलाता है, उसका समाज में सबसे अहम महत्व होना चाहिए मगर, चाहे मध्यप्रदेश हो या छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश हो या बिहार लगभग देश भर की तस्वीर यह है कि प्रदेश सरकारों की हठधर्मिता के कारण “कोरोना ड्यूटी” करते हुए जाने कितने शिक्षक मौत का ग्रास बन रहे हैं, जिसकी तदाद दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है. आज भयावह समय में शिक्षक मानो एक सैनिक की तरह अपना फर्ज निभाते हुए कोरोनावायरस योद्धा बने हुए हैं. मगर सरकार अपनी भूमिका से मुंह छुपा रही है और शिक्षक कोरोना संक्रमण के कारण मर रहे हैं.
वस्तुत: सरकार के लिए शिक्षक महज एक “रोबोट” बना दिया गया है. चाहे चुनाव हो, जनगणना हो या कोई भी सरकारी काम काज या फिर आज का “कोरोना संक्रमण काल”, हर जगह शिक्षक को तैनात किया जा रहा है और शिक्षक वर्ग की भलमनसाहत देखिए ! शिक्षक बिना ना नुकुर किए सरकार के हर एक आदेश का पालन कर रहा है.
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लाख टके का सवाल सरकार से यह है कि क्या शिक्षक इंसान नहीं है क्या कोई वह यंत्र है रोबोट है कि उस पर कोरोना वायरस कोविड-19 का संक्रमण नहीं होगा? जब वह बिना सुरक्षा कवच के, दवाइयों के, सैनिटाइजर के गली गली ड्यूटी करेगा और घर आएगा तो क्या वह और उसका परिवार सुरक्षित रहेगा?
आज कोरोना संक्रमण के इस भयावह समय में शिक्षक शासन के आदेशानुसार, घर में लाक डाउन रहने की जगह अपना फर्ज निभा रहा है और पुलिस, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ की भांति कोरोना संक्रमण से अपनी जान गंवा रहा है.
शिक्षक राजेश चटर्जी ने हमारे संवाददाता से बातचीत में बताया कि छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग में प्रस्तुत किये आँकड़ो के अनुसार कोरोना के करण कुल मौत का कुल आंकड़ा 689 हो गया है जिसमें से अकेले शिक्षा विभाग में अब तक 370 शिक्षकों ने जान गँवाई है. जो चिंता का सबब बना हुआ है. शिक्षकों का निर्धारित काम पाठशाला स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देना है मगर सरकार की हठधर्मिता देखिए स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिक जानकारी से भी अनजान है उसे कोरोना काल में गली-गली घूमने पर मजबूर किया गया है. शिक्षक की सुरक्षा और भविष्य की चिंता किसी को नहीं है.
सुरक्षा उपायों में लापरवाही
दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षकों की ,कोरना के इस समय में ड्यूटी चेक पोस्ट, वैक्सीनेशन, रेल्वे स्टेशन, क्वारेंटाइन सेंटर्स व टेस्टिंग जैसे संवेदनशील काम में लगा रही है और ड्यूटी में लगने से शिक्षक लगातार संक्रमितों की चपेट में आ रहे है. और बीमार हो रहे है. बीमार शिक्षक को शासन से मदद भी नहीं मिल रही और वो खुद के खर्चे से अपना इलाज करवाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. और कोरोना महामारी के रोकथाम में शिक्षकोंको डयुटी पर लगाना बदस्तूर जारी है. गौरतलब है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए कोई सुरक्षात्मक उपाय किये बिना ही,जिला प्रशासन ने शिक्षकों की मनमाने डयूटी,कोरोना महामारी के रोकथाम एवं नियंत्रण में लगा दिया. विभाग के जिला एवं ब्लॉक के अधिकारी कोरोना संबंधित डयूटी से इंकार करने वाले शिक्षकों को,वेतन रोकने की धमकी दे कर मजबूर कर रहे हैं. परिणाम स्वरूप शिक्षकों की जान जा रही है, उनका परिवार बेसहारा हो रहा है और विभाग के उच्च अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं.
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सच्चाई यह है कि कोरोना संक्रमित हो रहे शिक्षकों के त्वरित इलाज का कोई प्रबंध सरकार नहीं कर रही है. संक्रमित शिक्षक त्वरित इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.विभाग रोज नए फरमान जारी कर रहा है. जिससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि, शासन प्रशासन को निरीह शिक्षकों की जान की परवाह नहीं है.
छत्तीसगढ़ राज्य के 29 जिलों में शिक्षक कोरोना कार्य जैसे ग़ैर-शिक्षाकीय कार्य में शहीद हुए हैं. समाज में ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले शिक्षक,खुद अंधेरे में खो गया हैं रिपोर्ट लिखे जाने तलक चार सौ के लगभग शिक्षकों की मौत हो गई है. आखिर शिक्षकों को मुँह में धकेलने का दोषी कौन है ?
यह कि शिक्षा विभाग में तृतीय श्रेणी के पदों में सहायक शिक्षक के पद रिक्त हैं ऐसे में राज्य सरकार दिवंगत शिक्षक के परिवार के एक सदस्य को तत्काल अनुकंपा नियुक्ति देनी चाहिए.कोरोना महामारी के दृष्टिगत,दिवंगत शिक्षकों के परिवार के एक सदस्य को सांत्वना स्वरूप अनुकंपा नियुक्ति मानवीय आधार पर शीघ्र दी जानी चाहिए.