फिल्म ‘गोलमाल रिटर्न्स’ से चर्चा में आई मौडल और अभिनेत्री अंजना सुखानी मुंबई की है, उन्हें बचपन से ही कुछ अलग करने का शौक था, पर फिल्मी बैकग्राउंड से न होने की वजह से उन्हें अभिनय क्षेत्र में काफी संघर्ष करने पड़े, लेकिन उसका अमिताभ बच्चन के साथ विज्ञापन में आना और कुछ फिल्मों में अच्छी भूमिका मिलने की वजह से उसकी पहचान बनी, लेकिन बीच में कुछ पारिवारिक लोगों के गुजर जाने की वजह से उसने फिल्मों से दूरी बना ली और डिप्रेशन में चली गयी.
ढाई साल बाद गुड न्यूज से वापसी…
फिल्मों में वह ढाई साल बाद वापसी फिल्म ‘गुड न्यूज़’ से कर रही है, जिसमें उसने अक्षय कुमार की बहन की भूमिका निभाई है. जो एक लीगल एडवाईजर है और दोनों को कानून के बारें में राय देती है.
अंजना अपनी इस चरित्र से बहुत खुश है, क्योंकि बहुत सालों बाद फिल्मों में भी बहन की भूमिका दर्शकों को देखने को मिलेगी. रिश्तों और भूमिका के बारें में पूछे जाने पर वह कहती है कि मैंने वाकई इस बारें में नहीं सोचा है कि आजकल फिल्मों से भाई-बहन या रिश्तेदारों की भूमिका तक़रीबन उठ गयी है और ये रिश्ते दैनिक जीवन में भी कम होते जा रहे है, जबकि रिश्ते ही आपको अच्छा महसूस करवाते है.
परिवार ने निकाला डिप्रेशन से बाहर…
आगे अंजना कहती है- जब व्यक्ति किसी चुनौती से गुजरता है तो परिवार ही उसे सहारा देती है. हर किसी के जीवन में परिवार मुख्य है और ये हर किसी की सुख दुःख में शामिल होता है. मुझे याद है जब में डिप्रेशन में चली गयी थी तो मेरे भाई ने मुझसे कहा था कि मुझे प्रोफेशनल हेल्प की जरुरत है, जबकि मैं इसे समझ नहीं पा रही थी. मेरे माता-पिता और भाई की वजह से ही मैं इससे जल्दी निकल पायी. परिवार ही आपकी जिंदगी को जीना आसान बनाती है इसलिए इसकी कद्र सभी को करने की जरुरत है,क्योंकि आज की भाग दौड़ की जिंदगी में लोग रिश्तों को भूलते जा रहे है,यही वजह है कि आज मानसिक रोगियों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है, जो पहले कभी नहीं था और ये चिंता का विषय है.
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परिवार का सहयोग अंजना को हमेशा से था आज जिस मुकाम पर वह है उसकी क्रेडिट वह परिवार को ही देती है. वह कहती है कि ये इस फिल्म में निर्देशक ने भी महसूस किया है. जब व्यक्ति मानसिक समस्याओं से गुजरता है तो परिवार का कोई सदस्य ऐसा होना चाहिए जो उसे सही गलत निर्णय को बताने के लिए हो और वही मेरी भूमिका भी है. दो ढाई साल बाद ये फिल्म मुझे मिली है और मैं इस गुड न्यूज़ से बहुत खुश हूं.
मां नहीं चाहती थी फिल्मों में आऊं…
अंजना का फिल्मों में आना एक इत्तफाक ही था,क्योंकि आज से 10 साल पहले उसकी मां नहीं चाहती थी कि वह फिल्मों में काम करें. वह किसी को इंडस्ट्री में जानती नहीं थी. उसकी अकेले कि जर्नी थी. पहली फिल्म के बाद माँ को लगा कि ये उसकी जर्नी है और वह ये यही करेगी. अंजना बताती है कि फिल्म को करते हुए मुझे समझ में आया कि फिल्मी बैकग्राउंड न होने के बावजूद मैं इस काम को एन्जॉय कर रही हूँ. अभिनय को सीखने के लिए मैंने कई वर्कशौप किये थे. मेरे हिसाब से अभिनय कोई सीखा नहीं सकता ये आपके अंदर होनी चाहिए, जिसके लिए मौके की जरुरत होती है. मैंने कुछ समय के लिए ब्रेक लिया और अब दूसरी पारी में अभिनय कर रही हूं. उसी दिशा में आगे अच्छा काम करने का प्रयास कर रही है.
कानून के बारें में महिलाओं में जागरूकता की कमी
अंजना ये मानती है कि हमारे देश में कानून के बारें में महिलाओं में जागरूकता में कमी है और इसकी जानकारी समय-समय पर किसी भी माध्यम से देने की जरुरत है, लेकिन आज महिलाएं पहले से जागरूक हो चुकी है. आज जो भी आन्दोलन होता है, उसमें महिलाएं भी सामान रूप से भागीदार होती है और ये अच्छी बात है. इन सबमें परिवार का सहयोग होने की भी जरुरत है.
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मैं किसी से प्रतियोगिता नहीं करती…
अंजना के आगे अब सबसे अधिक अच्छी फिल्में करने की चुनौती है, जिसके लिए उसे अधिक एग्रेसिव होने की जरुरत है, क्योंकि अभी नयी-नयी प्रतिभाओं की बाढ़ सी आ गई है. पहले माता-पिता फिल्मों में बच्चों को डालना पसंद नहीं करते थे, अब तो 3 साल के बच्चे भी रियलिटी शो में भाग लेते है. इस बदलाव से हर कोई अच्छा काम चाहता है, पर उसके बारें में वह अधिक नहीं सोचती, उसे खुद अच्छा काम करने की इच्छा है. वह किसी से कोई प्रतियोगिता नहीं करती. वह आगे कहती है कि चुनौती मेरे लिए हर रोज होती है. इसे मैं अच्छा समझती हूं.
महिलाओं को कभी डरना नहीं चाहिए
मैं स्पोर्ट्स पर्सन की बायोपिक करना चाहती हूँ, क्योकि खेल के अलावा वे कई मानसिक परिस्थितियों से भी गुजरते है. जिसे मैं पर्दे पर लाना चाहती हूं. साल 2020 में अंजना का सन्देश है कि महिलाओं को कभी डरना नहीं चाहिए, आप जो चाहती है, उसे अवश्य करें और यहीं सोच उसके खुद की भी है, जिसे उसने अपने जीवन में उतारा है.