Bollywood Interview: राजस्थान में बाड़मेर एक ऐसा छोटा कसबानुमा शहर है, जहां 2-2 साल तक बारिश नहीं होती और जब किसी साल बारिश होती भी है, तो उस का होना न होने के बराबर ही होता है, इसलिए किसी फिल्म में बारिश का सीन देख कर बाड़मेर में रह रहे 6-7 साल के बच्चे पर कई तरह से असर पड़ सकता है.
जी हां, ऐसा ही एक मजेदार वाकिआ है. साल 1960 में विजय आनंद की लिखी और उन के डायरैक्शन में बनी फिल्म ‘काला बाजार’ रिलीज हुई थी, जिस में देव आनंद और वहीदा रहमान की रोमांटिक जोड़ी थी.
इस फिल्म में एक सीन है कि देव आनंद और वहीदा रहमान के बीच पहले प्यार था, फिर दोनों के बीच कुछ अनबन हो जाती है. उस के बाद वे दोनों एक दिन एक ही बस स्टौप पर बस के लिए कतार में खड़े होते हैं.
बस आ नहीं रही थी. अचानक एक टैक्सी आती है. आगे से वहीदा रहमान और पीछे से देव आनंद कतार से निकल कर उसी टैक्सी को पकड़ना चाहते हैं. दोनों का हाथ हैंडल पर जाता है और बैकग्राउंड में गीत बजता है, ‘रिमझिम के तराने ले कर आई बरसात, याद आए किसी से वह पहली मुलाकात...’
इस फिल्म के रिलीज होने के बाद 7-8 साल बाद बाड़मेर का एक बच्चा राजेश शर्मा इस फिल्म को देखता है और बारिश के इस सीन का उस पर गहरा असर पड़ता है.
आज ऐक्टर बन चुके राजेश शर्मा बताते हैं, ‘‘उस फिल्म के इस गाने ने मु झ पर बहुत बड़ा असर किया था. उस जमाने में हमारे बाड़मेर में बारिश नहीं होती थी. बचपन में हम ने देखा कि 2 से 3 साल बीत जाते थे, पर एक बूंद बारिश नहीं होती थी. ऐसे में एक तो बारिश का सीन, ऊपर से मेरे फेवरेट कलाकार, फिर उस समय की बंबई, जो अब मुंबई है, का क्रेज... बस, ठान लिया कि कुछ भी करना पड़े, पर बंबई जाना है. फिल्म में काम करना है.’’
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