Exclusive Interview: राजस्थान के बीकानेर शहर से निकल कर मुंबई फिल्म नगरी में अपना मुकाम बनाना कोई आसान काम नहीं है, पर संदीप भोजक ने यह कामयाबी हासिल कर ली है. वे अब तक ‘दीया और बाती हम’, ‘परमावतार श्रीकृष्ण’, ‘जय संतोषी मां’, ‘शक्ति’, ‘ये हैं मोहब्बतें’, ‘कुमकुम भाग्य’, ‘कसौटी जिंदगी की 2’ जैसे कई टैलीविजन सीरियलों के अलावा ‘गांधी गोडसे : एक युद्ध’, ‘बैड बौयज’, ‘बैटल औफ सारागढ़ी’, ‘राम राज्य’ जैसी फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके हैं.

पेश हैं, संदीप भोजक से हुई लंबी बातचीत के खास अंश :

ऐक्टर बनने की बात आप ने कब सोची?

हम तो बीकानेर के रहने वाले हैं. मेरे पिता विनोद भोजक आकाशवाणी के लिए गाना गाने के अलावा टूरिस्ट गाइड के रूप में काम करते हैं. स्कूल के दिनों से ही मुझे भी थिएटर का चसका लग गया था. पढ़ाई पूरी होने के बाद साल 2010 में मेरा ब्याह हो गया और पिताजी ने मुझे जूते की दुकान खुलवा दी.

जूते की दुकान चलाते हुए मैं थिएटर भी कर रहा था. फिर एक दिन मुझे अहसास हुआ कि कलाकार के तौर पर मुझे अपनेआप को एक मौका देना चाहिए. दुकान में सेल लगा दी. एक ही दिन में सारे जूते बिक गए, तो अपनी पत्नी और पिताजी से बात कर के मैं मुंबई रवाना हो गया. मैं ने उन से वादा किया था कि अगर 6 महीने में ऐक्टर नहीं बना, तो फिर से जूतों की दुकान खोल लूंगा.

साल 2015 में मुंबई पहुंचने के बाद 2-3 दिन थिएटर के दोस्त के साथ गुजारे, फिर मैं ने विरार इलाके में किराए के मकान में रहना शुरू कर दिया था.

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