जाते हुए साल 2017 के आखिरी यानी दिसंबर महीने के पहले सोमवार यानी 4 तारीख का दिन फिल्मी दुनिया के लिए एक काली रात बन गया. कपूर खानदान के चमचमाते सितारे शशि कपूर ने इसी दिन अपनी अंतिम सांस ली.

शशि कपूर का वजूद किसी परिचय का मुहताज नहीं है. ऐतिहासिक फिल्म ‘मुगल ए आजम’ में अकबर का बेमिसाल किरदार निभाने वाले पृथ्वीराज कपूर के छोटे बेटे शशि कपूर अपने मशहूर भाइयों राज कपूर और शम्मी कपूर से किसी भी लिहाज से कतई कम नहीं थे.

मोती जैसे चमचमाते दांतों के लिए दुनियाभर में मशहूर शशि कपूर अपने खानदान के सब से ज्यादा हैंडसम हीरो माने जाते थे. इस मामले में राज कपूर के मझले बेटे ऋषि कपूर का नंबर अपने चाचा शशि कपूर के बाद आता है.

यों तो शशि कपूर ने हर किस्म के किरदार निभाए थे, मगर रोमांटिक फिल्मों में उन्हें ज्यादा ही पसंद किया जाता था. इस मामले में रोमांटिक सुपरस्टार राजेश खन्ना के बाद शशि कपूर का ही जलवा था. तमाम हीरोइनों के साथ उन की रोमांटिक जोडि़यां मशहूर थीं.

महज 79 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहने वाले शशि कपूर पिछले काफी अरसे से बीमार चल रहे थे. मुंबई के मशहूर कोकिला बेन अस्पताल में उन का इलाज चल रहा था. इसी अस्पताल में 4 दिसंबर को शाम के 5:20 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली. वे अपने पीछे 2 बेटों और 1 बेटी को छोड़ गए.

शशि कपूर ने 116 हिंदी फिल्मों के अलावा कई दूसरी भाषाओं की फिल्मों में भी काम किया था. बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें साल 2011 में ‘पद्मभूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया गया था. इस के अलावा साल 2015 में उन्हें ‘दादा साहेब फालके अवार्ड’ से भी नवाजा गया था.

कोलकाता में 18 मार्च, 1938 को जनमे शशि कपूर का नाम बलबीर राज पृथ्वीराज कपूर रखा गया था. चूंकि उन के पिता और दोनों बड़े भाई अभिनय की दुनिया से जुड़े हुए थे, लिहाजा शशि कपूर का इरादा भी फिल्मी हीरो बनने का ही था.

साल 1948 में ‘आग’ और 1951 में ‘आवारा’ फिल्मों में अपने बड़े भाई राज कपूर के बचपन की भूमिकाएं निभा कर शशि कपूर ने ऐक्टिंग की शुरुआत की. 1961 में आई फिल्म ‘धर्मपुत्र’ बतौर हीरो उन की पहली फिल्म थी, जिस का डायरैक्शन नामी डायरैक्टर यश चोपड़ा ने किया था. इसी फिल्म से दर्शकों ने उन्हें पहचानना शुरू कर दिया था.

शशि कपूर की कामयाब और यादगार फिल्मों में ‘प्रेम कहानी’, ‘फकीरा’, ‘फांसी’, ‘दीवार’, ‘वक्त’, ‘सिद्धार्थ’, ‘जबजब फूल खिले’, ‘कभीकभी’, ‘सत्यम शिवम सुंदरम’, ‘नई दिल्ली टाइम्स’, ‘चोर मचाए शोर’, ‘शर्मीली’, ‘इजाजत’ व ‘अलगअलग’ वगैरह के नाम लिए जा सकते हैं.

बतौर फिल्म निर्माता उन्होंने ‘जुनून’, ‘कलयुग’, ‘36 चौरंगी लेन’, ‘उत्सव’, ‘विजेता’ व  ‘अजूबा’ जैसी चर्चित फिल्में बनाईं. इस के अलावा उन्होंने राज कपूर की फिल्मों ‘श्रीमानश्रीमती’ व ‘दूल्हादुलहन’ में असिस्टैंट डायरैक्टर के रूप में भी काम किया था.

शशि कपूर की तमाम नायिकाओं के साथ रोमांटिक जोडि़यां बनीं और कई हीरोइनों के साथ उन के इश्क के चर्चे मशहूर हुए, मगर उन्होंने अपनी थिएटर की साथी जैनिफर कैंडल से सच्चा प्यार किया. 1959 में शशि कपूर व जैनिफर की शादी हुई. जैनिफर भी अपने पिता की थिएटर कंपनी में काम करती थीं. शशि कपूर उन्हें अपनी प्रेरणा मानते थे.

शशि कपूर व जैनिफर के 3 बच्चे हुए. बड़ा बेटा कुणाल कपूर एक विज्ञापन फिल्म निर्माता के रूप में काफी कामयाब रहा, पर बतौर अभिनेता वह ज्यादा सफल नहीं रहा. छोटा बेटा करण कपूर भी एक मौडल व अभिनेता है, मगर उसे भी खास कामयाबी नहीं मिल सकी.

उन की बेटी संजना कपूर ने भी कई फिल्मों में काम किया, मगर अब वे दादा पृथ्वीराज कपूर द्वारा बनाए गए पृथ्वी थिएटर का काम संभालती हैं.

शशि कपूर अपने हर काम में जैनिफर को शामिल करते थे. फिल्म ‘जुनून’ की नायिका हालांकि नफीसा अली थीं, मगर इस फिल्म में जैनिफर ने भी एक खास किरदार निभाया था. साल 1984 में जैनिफर की मौत ने उन्हें एकबारगी तोड़ कर रख दिया था और तभी से उन की सेहत खराब रहने लगी थी.

80 के दशक के बाद उन्होंने हीरो की भूमिकाएं करना बंद कर दिया था और सिर्फ चरित्र भूमिकाओं तक खुद को समेट लिया था.

1984 की फिल्म ‘उत्सव’ में वे अमिताभ बच्चन को लेना चाहते थे, मगर बिजी होने के कारण अमिताभ बच्चन उस फिल्म में काम नहीं कर पाए थे. बाद में वही किरदार शशि कपूर ने खुद निभाया था.

साल 1991 में उन्होंने अमिताभ बच्च, डिंपल कापडि़या, सोनम और अपने भतीजे ऋषि कपूर को ले कर फिल्म ‘अजूबा’ बनाई थी, जो काफी अलग किस्म की फिल्म थी. बच्चों ने उसे खासा पसंद किया था.

राजेश खन्ना के साथ उन्होंने राज खोसला की फिल्म ‘पे्रम कहानी’ में तो हमउम्र युवक का किरदार निभाया था, मगर फिल्म ‘अलगअलग’ में उन्होंने मोटे और अधेड़ डाक्टर का किरदार बखूबी निभाया था. राजेश खन्ना प्रोडक्शन की इस फिल्म में शशि कपूर के काम को काफी ज्यादा पसंद किया गया था.

साल 1998 के बाद शशि कपूर ने फिल्मों में काम करना या फिल्म बनाना बिलकुल बंद कर दिया था, क्योंकि उन की सेहत इस लायक नहीं रह गई थी.

शशि कपूर की रोमांटिक जोड़ी नंदा, राखी, शर्मिला टैगोर, हेमा मालिनी, रेखा, जीनत अमान, मौसमी चटर्जी व परवीन बाबी वगैरह तमाम हीरोइनों के साथ खूब हिट रही थी, पर नंदा के साथ उन की जोड़ी को बहुत ज्यादा पसंद किया गया.

नंदा के साथ उन्होंने ‘जबजब फूल खिले’, ‘जुआरी’, ‘देखो रूठा न करो’, ‘नींद हमारी ख्वाब तुम्हारे’, ‘मोहब्बत इस को कहते हैं’, ‘चारदीवारी’ व ‘राजा साहब’ वगैरह यादगार व कामयाब फिल्मों में काम किया था.

नायकों में अमिताभ बच्चन के साथ उन्हें सब से ज्यादा पसंद किया गया. यश चोपड़ा की फिल्म ‘दीवार’ में वे अमिताभ बच्चन के छोटे भाई बने थे, तो यश चोपड़ा की ही ‘सिलसिला’ में वे अमिताभ बच्चन के बड़े भाई के रूप में नजर आए.

इन के अलावा ‘सुहाग’, ‘दो और दो पांच’, ‘कभीकभी’, ‘काला पत्थर’ व ‘त्रिशूल’ वगैरह फिल्मों में भी अमिताभ व शशि कपूर की जुगलबंदी को काफी पसंद किया गया.

शशि कपूर पत्रकारों की बहुत इज्जत करते थे और पूरे मन से बातचीत करते थे. एक बातचीत के दौरान उन्होंने बताया था कि उन की मां उन्हें ‘फ्लूकी’ कहती थीं, क्योंकि उन का जन्म बगैर योजना के हो गया था. राज कपूर के बाद 2 बेटे और हुए थे, जो छोटी उम्र में ही गुजर गए थे. फिर शम्मी कपूर पैदा हुए थे. फिर साल 1933 में उन की बहन उर्मिला का जन्म हुआ था.

इस के बाद शशि कपूर के मातापिता ने मान लिया था कि उन का परिवार पूरा हो गया. मगर 5 साल बाद उन की मां फिर से गर्भवती हो गईं. यह जान कर वे बहुत शर्मिंदा हुईं.

शशि कपूर की मां ने उन्हें समझदार होने के बाद बताया कि वे उन के जन्म से पहले जानबूझ कर साइकिल से गिरीं, सीढि़यों से गिरीं ताकि पेट गिर जाए. इस के लिए उन्होंने कुनैन व पपीता जैसी कई चीजें भी खाईं, मगर शशि कपूर को पैदा होना ही था और वे परिवार के चौथे बच्चे के रूप में पैदा हो ही गए.

शशि कपूर के मुताबिक इसी वजह से वे खुद को एक फ्लूक शख्स और फ्लूक कलाकार मानते थे, जो दुनिया में अचानक आ गया.

शशि कपूर से जुड़ी न जाने कितनी बातें व यादें मौजूद हैं, पर इस हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह हंसतामुसकराता कलाकार अब हमारे बीच मौजूद नहीं है.

साल 1985 में फिल्म ‘नई दिल्ली टाइम्स’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाले शशि कपूर को अब उन की फिल्मों में ही देखा जा सकेगा.

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