साल 2015 में आई फिल्म ‘हीरो’ से अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत करने वाली अथिया शेट्टी बौलीवुड के हीरो सुनील शेट्टी की बेटी हैं. फिल्मी माहौल में पलीबढ़ी अथिया शेट्टी को बचपन से ही ऐक्टिंग का शौक था. आईने के आगे दुपट्टा ले कर, आंखों में काजल लगा कर वे करीना कपूर की तरह डांस करती थीं. वे स्पोर्ट्स पर्सन भी हैं. वे फुटबाल, बास्केटबाल, बैडमिंटन जैसे कई खेल खेलती हैं. वे अपने पिता की ऐक्शन फिल्मों से बहुत ज्यादा प्रभावित हैं.
पेश हैं, स्वभाव से नम्र और हंसमुख अथिया शेट्टी से हुई बातचीत के खास अंश:
दूसरी फिल्म में इतनी देरी क्यों हुई? इस में क्या ऐक्साइटमैंट लगा?
मेरे हिसाब से पहली फिल्म आप को चुनती है, लेकिन दूसरी फिल्म आप खुद चुनते हैं और फिर सफर की शुरुआत होती है. मेरे लिए सब से ज्यादा जरूरी था कि एक अच्छी फिल्म के लिए सब्र रखना.
इस दौरान मुझे काफी स्क्रिप्ट मिल रही थीं, पर मुझे उन में कुछ ऐक्साइटमैंट वाली बात नजर नहीं आ रही थी. मुझे एक अच्छी स्क्रिप्ट, एक अच्छा डायरैक्टर और एक अच्छा बैनर चाहिए था. मैं खुश हूं कि वह सब मुझे फिल्म ‘मुबारकां’ में मिला. इस फिल्म में मैं अपना किरदार और फिल्मी नाम बिंकल सुन कर खुश हो गई थी.
परिवार की जिम्मेदारियों को आप कैसे शेयर करती हैं?
जिम्मेदारियां मैच्योरिटी के साथ आती हैं और आप समझने लगते हो कि आप को आप के परिवार ने क्या दिया है. मैं ऐसे बहुत से बच्चों को देखती हूं, जो बात को समझने की कोशिश ही नहीं करते हैं. पर मुझे याद है कि मैं ने अपने बचपन का बहुत सारा समय अपने दादादादी के साथ बिताया है. उन्हें खुश रखूं, यही मेरी इच्छा है.
पिता की साख को कैसे बनाए रखती हैं?
मैं हमेशा उसे बनाए रखने की कोशिश करती हूं, क्योंकि आप का स्वभाव आप के चेहरे, आंखों और पूरी शख्सीयत पर होता है, जो परदे पर दिखाई पड़ता है. अच्छी सोच रखने वाला इनसान ही अच्छा काम कर सकता है. आप जितने भी कामयाब हो जाएं, लेकिन अगर आप सिंपल नहीं हैं, तो वह कामयाबी आप के पास नहीं रह सकती.
अपनी पहली कमाई आप ने किसे दी थी या उस से क्या खरीदा था?
मुझे याद आता है, जब मुझे पहला चैक मिला था, तो मैं ने वह अपने दादाजी को दिया था, क्योंकि बचपन से मैं ने उन की आधुनिक सोच को देखा था. उन्हें हर ऐसी लड़की पसंद है, जो अपने पैरों पर खड़ी है या उस का अपना एक वजूद है. शादी करो या मत करो, लेकिन अपने पैरों पर खड़े रहो. उन के नहीं रहने के बाद मुझे भी महसूस होता है कि वे मुझ से खुश हैं, क्योंकि मैं एक फिल्म के सैट पर हूं. मैं जब घर पर होती थी, तो वे पूछा करते थे कि मैं काम क्यों नहीं कर रही हूं.
फिल्मों में प्यार जताने वाले सीन करने में आप कितना सहज महसूस करती हैं?
अभी तक तो मैं ने कोई ऐसा सीन नहीं किया है, क्योंकि फिल्म ‘हीरो’ में ऐसे सीन नहीं थे. मैं ऐसे सीन नहीं करूंगी, ऐसा तो नहीं कह सकती, लेकिन अगर मैं सहज नहीं रहूंगी, तो शूट नहीं करूंगी. आगे क्या करूंगी, यह तो स्क्रिप्ट और किरदार पर निर्भर करता है.
आप का ड्रीम प्रोजैक्ट क्या है?
मुझे एक ऐक्शन फिल्म करनी है. मुझे लगता है कि मैं अपने पापा को ऐक्शन फिल्म कर के एक तरह की चुनौती दे सकती हूं.
आप की दादी और मां बहुत फैशनेबल हैं. आप ने उन से क्या कुछ सीखा है?
लोग मुझे ‘फैशनिस्ता’ कहते हैं, पर मैं बहुत ही सिंपल हूं. मैं ज्यादातर इंडियन पोशाकें पहनती हूं और अपनी मां की पोशाकों से काफी प्रभावित हूं. स्टाइल तो आताजाता रहता है, पर जरूरी होता है कि कपड़ों को ठीक तरह से पहना जाए.