बौलीवुड में सफलता पाना किसी के लिए भी संभव नही है. कम से कम देश के गाॅंव व छोटे शहरों में रहने वालों के लिए तो बौलीवुड दूर की कौड़ी ही है. क्योंकि बौलीवुड में गुटबाजी और नेपोटिजम का
बोलबाला है.जिसके चलते कुछ लोग आजीवन संघर्ष करते रह जाते हैं,पर सफलता नसीब नहीं होती.

मगर होशंगाबाद में रहने वाले शरद सिंह खुद  को भाग्यशाली मानते हैं कि उनका 18 वर्ष का संघर्ष अब रंग ला रहा है. होशंगाबाद के एक गरीब परिवार में जन्में षरद सिंह बचपन से ही अभिनेता
बनना चाहते थे.पर उनके पास अभिनय सीखने के लिए पैसे नही थे.किसी दूसरी जगह जाने के लिए किराए के पैसे नहीं थे. इसलिए वहीं पर स्ट्रीट  नाटक किया करते थे.18 वर्ष पहले उनका एक दोस्त उन्हे झांसी के पास ओरछा ले गया, जहां पर अभिनेता,निर्माता व निर्देषक राजा बुंदेला अपनी फिल्म ‘‘प्रथा’’ की शूटिंग कर रहे थे.

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राजा बुंदेला ने शरद सिंह को अपनी फिल्म ‘प्रथा’में एक पुलिस वाले का किरदार निभाने का अवसर दिया.पर इससे उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ. शरद सिंह ने एम आर की नौकरी करनी षुरू कर दी.फिर जब प्रकाश झा अपनी फिल्म ‘आरक्षण’की षूटिंग भोपाल में कर रहे थे, तब शरद सिंह को इस फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिला.इसके बाद उन्होने अरशद वारसी की फिल्म ‘फ्रॉड सइयां’में अभिनय किया.फिर निर्देशक रविन्द्र गौतम अपने टीवी सीरियल ‘‘अरमानों का बलिदान’’की शूटिंग करने हौशंगाबाद  गए तो उन्होने शरद को इस सीरियल में बड़ा किरदार निभाने का अवसर मिला.

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