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इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से कई गवाह भी पेश किए गए थे. पिछले महीने यानी सितंबर में सारी गवाहियां पूरी हो चुकी थीं और अदालत ने फैसले की तारीख 10 अक्तूबर, 2019 तय कर दी थी. इस मामले में रविंदर कौर को सजा होनी तय थी.
23 सितंबर, 2019 को जालंधर देहात के एसएसपी नवजोत सिंह माहल को फैजाबाद की फैमिली कोर्ट से एक फैक्स प्राप्त हुआ. उस फैक्स में लिखा था कि रविंदर कौर बनाम जगजीत सिंह उर्फ सोनू पुत्र मंजीत सिंह बग्गा निवासी 13, गुरुनानक नगर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश.
केस नंबर 104/2009 धारा 125 में उस के खिलाफ 4 लाख 32 हजार रुपए का कंडीशनल वारंट जारी किया गया है. आरोपी जालंधर देहात क्षेत्र में कहीं छिपा बैठा है. तत्काल प्रभाव से उसे गिरफ्तार कर फैजाबाद की अदालत में पेश किया जाए.
दरअसल, फैजाबाद की अदालत में जज के सामने केस की बहस के दौरान रविंदर कौर के वकील विजय शंकर पांडेय ने कहा था कि जगजीत सिंह जिंदा है और वह जालंधर में किसी स्थान पर छिपा बैठा है. इस के बाद फैजाबाद, उत्तर प्रदेश की अदालत ने फैक्स द्वारा जालंधर देहात के एसएसपी नवजोत सिंह माहल को रविंदर कौर के पति जगजीत सिंह बग्गा को ढूंढने का आदेश दिया था.
अदालत के आदेश पर पंजाब पुलिस का एक्शन
उक्त फैक्स मिलने के बाद एसएसपी नवजोत सिंह माहल ने जालंधर देहात क्षेत्र के थाना लांबड़ा के थानाप्रभारी एसआई पुष्प बाली को उक्त फैक्स देते हुए आरोपी को शीघ्र तलाश कर अरेस्ट करने के आदेश दिए. एसआई पुष्प बाली को यह आदेश 24 सितंबर, 2019 को प्राप्त हुआ और उसी दिन से उन्होंने आरोपी की तलाश शुरू कर दी.
25 सितंबर को रविंदर कौर थाना लांबड़ा पहुंची और एसआई पुष्प बाली से मिल कर हाथ जोड़ते हुए प्रार्थना की कि अगर उस के पति जगजीत को शीघ्र न ढूंढा गया तो निर्दोष होते हुए भी आने वाली 10 अक्तूबर को अपने पति की हत्या के आरोप में उसे और उस के परिवार को जेल जाना पड़ेगा. रविंदर कौर ने जांच अधिकारी को अपने पति जगजीत सिंह के लापता होने का शुरू से अंत तक का सारा मामला समझाया और वह फोन नंबर भी दिया, जिस से कुछ दिन पहले उसे जालंधर से पति का फोन आया था.
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एसआई पुष्प बाली ने उस फोन नंबर की काल डिटेल्स और लोकेशन निकलवा कर जांच की. वह फोन किसी आटो वाले का था. उन्होंने आटो वाले को बुला कर उस से लंबी पूछताछ की.
आटो वाले ने बताया, ‘‘साहब, गांव सिंघा में हरनेक ढाबे पर काम करने वाले एक आदमी ने उस से फोन मांग कर काल की थी.’’
समय न गंवाते हुए पुष्प बाली हरनेक ढाबे पर पहुंच गए. उन के साथ रविंदर कौर भी थी. जांच अधिकारी ने ढाबे पर काम करने वाले सभी लोगों को अपने सामने खड़ा किया तो रविंदर कौर एक आदमी को बड़े गौर से देखने लगी. वह उस के पति की तरह लग रहा था, लेकिन वह उसे एकाएक नहीं पहचान पा रही थी.
वजह यह कि जगजीत सिंह 11 साल पहले जब घर से लापता हुआ था, तब उस के सिर पर बाल और पगड़ी थी और वह पूरी तरह तंदुरुस्त था, जबकि सामने खड़ा कमजोर सा मोना व्यक्ति किसी भी रूप में उस का पति नहीं लग रहा था. काफी देर तक दोनों मौन खड़े एकदूसरे को देखते रहे. यह दृश्य किसी की भी आत्मा को झकझोर देने वाला था. कुछ देर बाद उस व्यक्ति ने रविंदर कौर को पुकारा, ‘‘सोनी…’’
सामने खड़े व्यक्ति के मुंह से यह शब्द सुनते ही रविंदर कौर के सब्र का बांध टूट गया और वह फूटफूट कर रोते हुए जगजीत सिंह से लिपट गई. इस के बाद पुलिस ने जगजीत सिंह को हिरासत में ले लिया.
जब रविंदर और जगजीत की शादी हुई थी, तब वे हनीमून मनाने शिमला गए थे और जगजीत ने प्यार से रविंदर कौर का नाम सोनी रखा था. इतना ही नहीं, उस ने अपनी बाजू पर सोनू और सोनी गुदवाया भी था. पुरानी यादें एक बार फिर से ताजा हो गई थीं.
पति के मिल जाने के बाद रविंदर कौर ने थाने से ही फोन कर जगजीत की बात अपने बेटों हरप्रीत बग्गा और हरमीत बग्गा से करवाई. बेटों की आवाज सुन कर जगजीत काफी भावुक हो गया था. जिस समय उस ने घर छोड़ा था, तब हरप्रीत 5 साल का था जो अब 17 साल का गबरू जवान हो गया था.
थानाप्रभारी पुष्प बाली ने किया कमाल
इस मामले को हल करने में थानाप्रभारी पुष्प बाली को इतनी खुशी और आत्मसंतोष मिला, जितना उन्हें अपनी पूरी नौकरी के दौरान नहीं मिला था. दो बिछड़े हुओं को मिलाना और 4 निर्दोषों को सजा से बचाना बहुत बड़ी बात थी.
वैसे तो इस मामले में थानाप्रभारी पुष्प बाली का कोई वास्ता नहीं था. उन का काम सिर्फ इतना था कि वे अदालत के आदेश को मान कर जगजीत सिंह को फैजाबाद की अदालत तक पहुंचाएं. पर मामला इतना दिलचस्प था कि उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जगजीत सिंह और रविंदर कौर से पूछताछ की. पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह कम चौंकाने वाली नहीं थी.
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गुरुनानक नगर, थाना कोतवाली, रायबरेली, उत्तर प्रदेश में करोड़ों की चलअचल संपत्ति का मालिक जगजीत सिंह बग्गा उर्फ सोनू सिर्फ अपनी पत्नी को फंसाने के लिए ढाबे पर बरतन साफ कर रहा था. सोनू के पिता का वहां पर कपड़े का बड़ा कारोबार था. खुद की फैक्ट्री लगी हुई थी. वहां पर वह ऐश की जिंदगी जीता था.
शादी के कुछ सालों बाद पत्नी के साथ विवाद शुरू हुआ तो उस ने पत्नी से तलाक मांगा. पत्नी ने तलाक देने से मना कर दिया तो वह वहां से भाग कर जालंधर आ गया और थाना लांबड़ा के अंतर्गत मुद्दा गांव में एक ढाबे पर बरतन मांजने की नौकरी करने लगा.
3 साल तक मुद्दा गांव में ढाबे पर काम करने के बाद वह नौकरी छोड़ कर गांव सिंघा में हरनेक ढाबे पर बरतन मांजने का काम करने लगा. ढाबे पर उसे 4 हजार रुपए पगार के साथसाथ खाना और कपड़े मिल रहे थे, जिन से वह अपना गुजारा कर रहा था.
जांच में सामने आया कि जगजीत के परिजनों को पता था कि वह जालंधर, लांबड़ा के सिंघा गांव में है. उस ने अपने परिवार वालों से अपनी बदहाली की बात इसलिए कभी नहीं बताई थी कि कहीं वे आर्थिक मदद न भेज दें और फंस जाए. यहां तक कि वह अपने पिता या परिवार के किसी सदस्य से जब भी बात करता था तो रिश्तेदारों के फोन पर करता था. उसे डर था कि कहीं परिवार के फोन के जरिए पुलिस उस तक न पहुंच जाए.
जगजीत कुछ महीने पहले से अपनी पत्नी रविंदर कौर को अलगअलग नंबरों से फोन करता रहता था. इस के लिए वह ढाबे पर आने वाले ट्रक ड्राइवरों से मोबाइल मांग लेता था. इसीलिए पुलिस उस का फोन ट्रेस नहीं कर पाई थी. आखिरी काल उस ने एक आटो वाले के फोन से की थी, उसी के जरिए वह पकड़ में आ गया था.
अपनी ही गलती से पकड़ा गया जगजीत
आखिरी काल में जगजीत ने रविंदर कौर से कहा था, ‘‘तुम मेरे घर वालों को बिना वजह क्यों तंग कर रही हो. मैं जिंदा हूं. इस समय कहां हूं, यह नहीं बताऊंगा. अगर किसी में दम है तो ढूंढ कर दिखाए.’’ इतनी बात कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी थी.
दरअसल रविंदर कौर ने जगजीत और उस के परिवार वालों पर खर्चे का जो केस डाल रखा था, वह जीत गई थी और उस के पिता को अदालत में साढ़े 4 लाख रुपए जमा करने थे.
इस से पहले जगजीत सिंह जब भी पत्नी को फोन करता था तो वह अपना नाम नहीं बताता था. रविंदर कौर केवल आवाज से ही पहचान पाती थी कि वह उस के पति की आवाज है. लेकिन इस बार उस ने रविंदर से बात करते समय साबित कर दिया था कि वह जगजीत ही है.
पति के जीवित होने की पुष्टि हो जाने के बाद रविंदर कौर बहुत खुश हुई क्योंकि 10 अक्तूबर को इस मामले में सजा जो सुनाई जाने वाली थी. रविंदर ने पति के जीवित होने की बात अपने वकील के माध्यम से फैजाबाद कोर्ट को बता दी. कोर्ट ने इस बाबत जालंधर देहात के एसएसपी को फैक्स भेज कर जगजीत सिंह का पता लगाने के आदेश दिए.
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जगजीत सिंह के मिल जाने के बाद जालंधर देहात के एसएसपी नवजोत सिंह माहल ने इस की जानकारी फैजाबाद की अदालत को दे दी. फैजाबाद अदालत की तरफ से एसएसपी माहल को ईमेल आया कि वह पुलिस कस्टडी में पूरी सुरक्षा के साथ जगजीत सिंह व रविंदर कौर को फैजाबाद अदालत में पेश करें, इस का पूरा खर्च अदालत वहन करेगी.
थानाप्रभारी ने कागजी काररवाई पूरी करने के बाद 28 सितंबर, 2019 को जगजीत सिंह को फैमिली कोर्ट, फैजाबाद में पेश किया. वहां से उसे रायबरेली की ट्रायल कोर्ट में पेश किया गया.
हर अपराधी को यह गलतफहमी होती है कि उस ने जो अपराध किया है, उसे कोई पकड़ नहीं सकता. जैसेजैसे समय गुजरता है, वैसेवैसे अपराधी का आत्मविश्वास भी बढ़ने लगता है. यही गलतफहमी जगजीत सिंह उर्फ सोनू को भी थी और वह गलती कर बैठा. लेकिन उस की इस गलती ने 4 निर्दोष लोगों को जेल जाने से बचा लिया था. – कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां